प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री साय को लिखा पत्र, निशुल्क पुस्तकों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने का किया आग्रह

रायपुर-  छत्तीसगढ़ के प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर अशासकीय स्कूलों में दी जाने वाली निशुल्क पाठ्यपुस्तक ऑनलाइन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है. स्कूली छात्रों की पढ़ाई को लेकर पत्र के माध्यम से चिंता जाहिर की गई है. पत्र में बताया गया कि प्रदेश के अशासकीय स्कूलों को अब तक निशुल्क पाठ्यपुस्तकें नहीं मिलने से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. 

प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने पत्र में लिखा कि हर वर्ष की तरह इस बार भी राज्य पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा पुस्तकों का वितरण किया जाना था, लेकिन स्कूल खुलने के एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब तक किसी भी स्कूल को किताबें नहीं मिली हैं. पुस्तकों की खेप अभी तक डिपो तक भी नहीं पहुंची है। ऐसे में आशंका है कि विद्यार्थियों को किताबें मिलने में 15 जुलाई तक का समय लग सकता है। इस एक महीने के दौरान छात्र को पढ़ाने के लिए कुछ भी नहीं है.

सीएम साय से आग्रह किया कि जब तक किताबें नहीं मिलतीं, तब तक कम से कम पाठ्यपुस्तकों की पीडीएफ कॉपी ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाए, जिससे स्कूल शुरुआती पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू कर सकें. उनका यह भी कहना है कि विलंब के चलते कई निजी स्कूलों ने अब निजी प्रकाशकों की किताबें अपने छात्रों को देना शुरू कर दिया है.

*सर्वोच्च प्रशिक्षण देकर पुलिस को नई चुनौतियों के लिए करें तैयार ...डीजीपी राजीव कृष्ण*

पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय एवं पुलिस लाइन का निरीक्षण करने पहुंचे उत्तर प्रदेश के डीजीपी राजीव कृष्ण जनपद आगमन पर आईजी अयोध्या मंडल प्रवीण कुमार जिला अधिकारी कुमार हर्ष पुलिस अधीक्षक कुंवर अनुपम सिंह ने बुके देकर किया स्वागत पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय में अधिकारियों के साथ डीजीपी ने की बैठक रिक्रूट आरक्षियों के प्रशिक्षण की व्यवस्थाओं के सम्बंध में दिया महत्वपूर्ण निर्देश बोले डीजीपी उत्तर प्रदेश कानून-व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़,जन उत्तरदायी एवं संवेदनशील बनाये जाने पर किया फोकस अपराध एवं अपराधियों के विरूद्ध जीरो टालेरेंस की नीति के तहत संगठित अपराध,भू माफियाओं और असमाजिक तत्वों के खिलाफ कठोर व क्विक एक्सन को कहा नाबालिग किशोरियों युवतियो महिलाओं की सुरक्षा व सशक्तिकरण को लेकर विशेष अभियान चलाने पर जोर महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता, सम्मान व सुरक्षा की भावना को बल देने हेतु करें ठोस प्रयास। जनशिकायतों के निस्तारण हेतु जनसुनवाई को प्रभावी बनाये भू माफिया बिल्डर जमीन कब्जाने के आरोपियों पर करें सख्त कार्यवाही उन्नत तकनीकों के माध्यम से साइबर अपाराधों पर लगाए लगाम जनता को करें साइबर अपराधियों के खिलाफ जागरूक पुलिसिंग हो स्मार्ट इसके लिए तकनीक और आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस का करे उपयोग सेवाकालीन प्रशिक्षण को सर्वोच्चय प्राथमकिता देते हुए पुलिस कर्मियों को नवीनतम चुनौतियों के लिये करे तैयार एसपी कुमार अनुपम सिंह के प्रयास को सराहा और बेहतर करने के लिए किया प्रेरित डीएम और एसपी की अच्छी ट्यूनिंग देखकर मुस्कुराए डीजीपी...राजीव कृष्ण
भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक’, आपातकाल के 50 साल पर बोले पीएम मोदी

#pmnarendramodiemergencyanniversary

देश में 1975 को लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकतंत्र के इतिहास के काले अध्याय को याद करते हुए कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे हो गए हैं। यह वो वक्त था जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को बंधक बना लिया था।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स लिखा, यह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है। भारत के लोग इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन, भारतीय संविधान के मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया। कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया।

तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने लिखा कि जब आपातकाल लगाया गया था, तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए सीखने का एक अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की अहमियत को फिर से पुष्ट किया। साथ ही, मुझे राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला। पीएम ने लिखा कि मुझे खुशी है कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने उन अनुभवों में से कुछ को एक किताब के रूप में संकलित किया है, जिसकी प्रस्तावना श्री एच.डी. देवेगौड़ा जी ने लिखी है, जो खुद आपातकाल विरोधी आंदोलन के एक दिग्गज थे।

आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों को सलाम-पीएम मोदी

पीएम ने आपातकाल के खिलाफ खड़े होने वालों को सलाम किया। पीएम ने कहा हम आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में डटे रहने वाले हर व्यक्ति को सलाम करते हैं। ये पूरे भारत से, हर क्षेत्र से, अलग-अलग विचारधाराओं से आए लोग थे, जिन्होंने एक ही उद्देश्य से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया। भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करना और उन आदर्शों को बनाए रखना, जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह उनका सामूहिक संघर्ष ही था, जिसने सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और नए चुनाव कराने पड़े, जिसमें वे बुरी तरह हार गए।

50 साल पहले लगे आपातकाल के विरोध में भाजपा आज मनाएगी संविधान हत्या दिवस, दिलाई जाएगी काले दौर की याद

#emergencyanniversarybjpwillcelebrateconstitutionmurderdaytoday

देश में आपातकाल की घोषणा हुए आज 50 साल हो गए। साल 1975 में 25 और 26 जून की दरम्यानी रात से 21 मार्च 1977 तक (21 महीने) तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर बुधवार को भाजपा देशभर में संविधान हत्या दिवस का आयोजन करेगी। विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के जरिये लोगों को आपातकाल के काले दौर की याद दिलाई जाएगी। जिला स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में मीसा बंदियों का सम्मान किया जाएगा।

पीएम मोदी ने लिया संविधान हत्या दिवस मनाने का निर्णय

इससे पहले आपातकाल की 50वीं बरसी की पूर्व संध्या पर नई दिल्ली में श्यामा प्रसाद मुखर्जी न्यास की ओर से आयोजित आपातकाल के 50 साल कार्यक्रम में शाह ने कहा कि जब 11 जुलाई 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय किया कि हर वर्ष 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाया जाएगा, तब यह सवाल उठे कि 50 साल पहले हुई किसी घटना पर बात करके आज क्या हासिल होगा?

आपातकाल तानाशाही मानसिकता और सत्ता की भूख की उपज-शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल को अन्यायकाल बताया है। अमित शाह ने कहा कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का लाया आपातकाल असल में कांग्रेस का अन्यायकाल था। आपातकाल परिस्थिति और मजबूरी की नहीं बल्कि तानाशाही मानसिकता और सत्ता की भूख की उपज होता है। शाह ने यह भी कहा कि 25 जून सभी को याद दिलाता है कि कांग्रेस सत्ता के लिए किस हद तक जा सकती है।

50 साल पहले जब इंदिरा गांधी ने देश में लगा दिया था आपातकाल, जानें इमरजेंसी का “काला सच”

#50yearsofemergencyin_india

25 जून 1975 की आधी रात जब देश पर आपातकाल थोप दिया गया था। लोकतंत्र के इतिहास में इस दिन को काला दिन माना जाता है। यही वो दिन था जब तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत, इंदिरा गांधी की सरकार की सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा की। देश में आपातकाल लग चुका है इसका ऐलान खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो पर किया।

25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की। 26 जून, 1975 की सुबह इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर कहा, 'राष्ट्रपति ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। इसमें घबराने की कोई बात नहीं है...'। इसके बाद से ही विपक्षी नेताओं में हलचल मच गई और गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हो गया था। पौ फटने के पहले ही विपक्ष के कई बड़े नेता हिरासत में ले लिए गए। यहां तक कि कांग्रेस में अलग सुर अलापने वाले चंद्रशेखर भी हिरासत में लिए गए नेताओं की जमात में शामिल थे।

ये इमरजेंसी 21 मार्च, 1977 तक देशभर में लागू रही। स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये 21 महीने काफी विवादास्पद रहे। लोकतांत्रिक देश में भी ऐसा कुछ हो सकता है, यह किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। यह भी कि लोकतांत्रिक देश की संसद में किसी दल की मजबूती का बेजा इस्तेमाल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इन 21 महीनों में जो कुछ भी हुआ। सत्ता दल अभी भी कांग्रेस को समय-समय पर कोसते रहते हैं। गांधी परिवार के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने इस इमरजेंसी को गलत बताया और खुले तौर पर माफी भी मांगी थी।

इंदिरा सरकार ने बताई आपातकाल लागू करने के पीछे कई वजहें

इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 1971 के लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की थी। तत्कालीन 521 सदस्यीय संसद में कांग्रेस ने 352 सीटें जीती थीं। उन दिनों इंदिरा गांधी की सरकार पर भारत अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था। गुजरात में सरकार के खिलाफ छात्रों का नवनिर्माण आंदोलन चल रहा था। बिहार में जयप्रकाश नारायण (JP) का आंदोलन चल रहा था। 1974 में जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे हड़ताल चल रही थी। आपातकाल लागू करने के पीछे कई वजहें बताई जाती हैं। इसमें से मुख्य कारण था राजनीतिक अस्थिरता।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद बढ़ा तनाव

इस राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत उस वक्त हुई, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को चुनावी धांधली का दोषी पाया और उन्हें छह साल के लिए किसी भी चुने हुए पद पर आसीन होने से वंचित कर दिया। इस फैसले के बाद, देश भर में विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक तनाव बढ़ गया।

इन्ही सब को देखते हुए इंदिरा गांधी को देश में इमरजेंसी लगानी पड़ी। इंदिरा गांधी और उनकी सरकार ने दावा किया कि देश में गहरी अशांति और आंतरिक अस्थिरता है, जिसके चलते राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसी कारण से उन्होंने आपातकाल की घोषणा की, जिससे वे बिना किसी विधायी और न्यायिक हस्तक्षेप के सरकार चला सकें।

असहमति के हर स्वर का मुंह बंद किया

इमरजेंसी लागू होने के तुरंत बाद विपक्षी नेताओं को जेल में डालने का सिलसिला शुरु हो गया। इनमें जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी और मोरारजी देसाई समेत कई बड़े नेताओं का नाम था, जो कई महीनों और सालों तक जेल में पड़े रहे थे। आरएसएस समेत 24 संगठनों पर बैन लगा दिया गया। इसके अलावा, इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में व्यापक सामाजिक और आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसमें जबरन नसबंदी और स्लम क्लीयरेंस जैसे कठोर उपाय शामिल थे। कई इतिहासकारों का मानना है कि आपातकाल का उपयोग इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को मजबूत करने और विरोधी आवाजों को दबाने के लिए किया। यह घटना भारतीय लोकतंत्र पर एक गहरा आघात थी और इसने देश के राजनीतिक इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी।

*Bengal -PRO T-20 league*

Sports

Sports Desk : মঙ্গলবার বেঙ্গল প্রো টি-টোয়েন্টি লিগের খেলায় হারবার ডায়মন্ড অ্যাডামাস হাওড়া ওয়ারিয়র্স কে ৩ উইকেটে হারিয়ে দিল। প্রথমে ব্যাট করতে নেমে অ্যাডামাস হাওড়া ওয়ারিয়ারস নির্ধারিত ওভারে ১৩৫ রান তোলে। ম্যাচের ৪ বল বাকি থাকতে হারবার ডায়মন্ড ৭ উইকেটে ১৩৮ রান তুলে জয় লাভ করে। খেলার সেরা খেলোয়াড় নির্বাচিত হন শুভম সরকার।

ছবি: সঞ্জয় হাজরা ( খবর কলকাতা)।

जिला अस्पताल में बनेगा डीआईपीएच‌एल लैब, एक छत के नीचे होगी 50 जांचें

नितेश श्रीवास्तव,भदोही। दो से ढाई लाख लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने वाले महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय में अब एक ही छत के नीचे 50 प्रकार की जांचें होंगी। अस्पताल परिसर के इमरजेंसी के पास डिस्ट्रिक्ट इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब स्थापित किया जाएगा। करीब 90 लाख की लागत से बनने वाले इस लैब के निर्माण के लिए पुरानी बिल्डिंग को तोड़ा जाएगा।

जिला अस्पताल में रोजाना 900 से 1000 की ओपीडी होती है। जिले का सबसे बड़ा अस्पताल होने के कारण हर दिन यहां पर काफी भीड़ भी होती है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को जांच के लिए निजी सेंटरों पर जाना होता है। जिससे उन्हें आर्थिक मार झेलनी पड़ती है। हालांकि मरीजों और तीमारदारों को जल्द ही इससे राहत मिलेगी। अस्पताल में करीब 90 लाख की लागत से डिस्ट्रिक्ट इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब की स्थापना को लेकर जमीन चिह्नित कर लिया गया है। अस्पताल में इमरजेंसी के बगल में पुरानी बिल्डिंग है, जो अब काफी जर्जर हो चुकी है।

अस्पताल प्रशासन उसी बिल्डिंग को ढहाकर उसी स्थान पर लैब की स्थापना करेगा। अस्पताल प्रशासन के अनुसार अगले सप्ताह से बिल्डिंग को ढहाने का कार्य शुरू हो जाएगा।

अस्पताल परिसर में इमरजेंसी के पास एक पुरानी बिल्डिंग है। उसे हटाने की प्रक्रिया चल रही है। उसी के स्थान पर डिस्ट्रिक्ट इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब बनाया जाएगा। सप्ताह भर में भवन को हटाने का काम शुरू होगा।

डॉ अजय तिवारी सीएमएस जिला अस्पताल

*60 से बढ़कर 66 रुपए की छात्राओं की भोजन की राशि* *500 छात्राएं पढ़ती है, पांच कस्तूरबा विद्यालयों में जिले की*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली बालिकाओं के डाइट की धनराशि शासन ने छह रुपये बढ़ा दी है। शासन ने प्रति बालिका की डाइट 60 रुपये से बढ़ाकर 66 रुपये कर दी है।0किसी कारणवश शिक्षा से वंचित छह से 14 वर्ष की ड्रॉप आउट छात्राओं को फिर से शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जिले में संचालित पांच कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में 500 छात्राएं पढ़ती हैं। छात्राओं को भोजन देने के लिए अभी तक प्रतिदिन भोजन देने के लिए 60 रुपये की दर से धनराशि आवंटित की जाती थी। इसमें अब छह रुपये की बढ़ोतरी कर 66 रुपये कर दिया गया है। विद्यालय में पढ़ने वाली बालिकाओं के डाइट चार्ट में सुबह के नाश्ते के साथ दोपहर और रात का खाना शामिल है। नाश्ते में दूध, अंडा, मौसमी फल के साथ दूसरे पौष्टिक आहार पोहा आदि को शामिल किया है। दोपहर के खाने में चावल, दाल, सब्जी, रोटी और सलाद दिया जाता है। जबकि रात के खाने में सब्जी, रोटी के साथ मीठे की भी व्यवस्था है।


फिलहाल विभाग की ओर से बढ़ाई गई डाइट की धनराशि बहुत अधिक नहीं है। बढ़ी हुई धनराशि से डाइट के खर्च में सहूलियत होगी। शासन स्तर से भोजन के बजट में वृद्धि की गई है। इससे छात्राओं को दिए जाने वाले भोजन को तैयार कराने में राहत मिलेगी। रितेश, जिला समन्वयक, सर्व शिक्षा अभियान बालिका शिक्षा
*रोडवेज बसों की कमी, निजी में डेढ़ गुना किराया देकर यात्रा के लिए मजबूर*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में भले ही परिवहन निगम ने सवारी न होने हवाला देती हो, लेकिन जिले से होकर निकलने वाली निजी बसों में भर-भर के सवारी जाती हैं। रोडवेज निगम की उदासीनता से जिले की सड़कों पर रोडवेज बसों का टोटा है। रोडवेज बसों का संचालन न होने से लोगों को मजबूरी में निजी बसों का सहारा लेना है। जहां उन्हें डेढ़ गुना अधिक किराया देना पड़ता है। जिले के प्रमुख वाराणसी-चौरी वाया जौनपुर, प्रयागराज रूट पर ही 55 निजी बसों का संचालन होता है। इस रूट पर वाराणसी से भदोही का किराया 60 रुपये तय किया गया है। वहीं सरकारी बस में वाराणसी से भदोही का किराया 40 रुपये ही। ऐसे में डेढ़ गुना अधिक रुपये देकर लोग यात्रा करने को विवश हैं। जिले में रोडवेज बस डिपो न होने से बसों का टोटा रहता है। वाराणसी-प्रयागराज हाईवे स्थित औराई रोडवेज बस स्टेशन को छोड़ दिया जाए तो भदोही और ज्ञानपुर रोडवेज स्टेशन वीरान ही रहती है। ज्ञानपुर रोडवेज बस स्टेशन पर जहां अराजकतत्वों का डेरा लगा रहता है। रोडवेज निगम चालक न मिलने और यात्री न होने का हवाला देती है, लेकिन इसके उलट जिले की सड़कों पर जमकर निजी बसें फर्राटा भर रही हैं। चौरी-वाराणसी रूट के अलावा दुर्गागंज, सुरियावां और मोढ़ जैसे रूटों पर भी निजी बसें दिख जाती हैं। अब प्रश्न यह है कि अगर सरकारी बसों को सवारी नहीं मिल रही हैं तो निजी बसें सवारियों से भर-भर कर कैसे चल रही हैं। निजी बसें जहां सवारी दिखती हैं। वहीं रूक जाती हैं, लेकिन इनका कुछ जगहों पर स्टॉपेज भी बना हुआ है। जिसमें ये चौरी बाज़ार, इंद्रा मिल चौराहा, कंधिया फाटक जैसे स्थानों पर कुछ देर रूक यात्रियों का इंतजार भी करती हैं।


ग्रामीण रूटों पर बसों के संचालन को लेकर प्रयास किया जा रहा है। इस समय कुछ बसें चल भी रही हैं। निजी बसें जगह-जगह रूककर सवारियां ले लेती हैं। वहीं रोडवेज का अपना स्टॉपेज होता है। कुछ बसें बढ़ाए जाने पर विचार चल रहा है। विजय श्रीवास्तव, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, रोडवेज परिवहन निगम।
*इजरायल - ईरान युद्ध से फिलहाल रुकी मेडिकल केयर गिवर की भर्ती* *विदेश जाने में नर्सिंग अभ्यर्थियों की रुचि नहीं, दो महीने से एक भी आवेदन नहीं*






रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जापान, जर्मनी और इस्राइल जैसे देशों में ठीकठाक पैकेज मिलने के बाद नर्सिंग अभ्यर्थी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। करीब दो महीने में एक भी अभ्यर्थी जाने के लिए आवेदन नहीं किया। इस्राइल-ईरान युद्ध के मद्देनजर मेडिकल क्षेत्र के केयर गिवर आवेदन प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है। युवाओं को रोजगार देने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है। देश, प्रदेश के साथ विदेशों में भेजने के लिए व्यवस्था की जा रही है। जापान, जर्मनी और इस्राइल की मांग पर मार्च 2025 में प्रदेश सरकार ने 5000 नर्सिंग अभ्यर्थियों को चयनित करने का निर्देश दिया। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एमएसडीसी) को जिम्मेदारी सौंपी गई। इन भर्तियों के लिए सेवायोजन के संगम पोर्टल पर आवेदन लिए जा रहे थे। करीब दो महीने गुजरने पर भी एक अभ्यर्थी ने आवेदन नहीं किया। इसको लेकर ऐसा लग रहा है कि विदेशों में जाकर अच्छे पैकेज पर काम करने में मेडिकल अभ्यर्थियों में दिलचस्पी नहीं है। ईरान-इस्राइल संघर्ष के कारण फिलहाल इसे रोक दिया गया है। रोक लगने पर अब यह चयन कब तक होगा इसको लेकर अभी कुछ निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।


*2.29‌ से 1.31 लाख तक वेतन* नर्सिंग के अभ्यर्थियों को जर्मनी, जापान और इजरायल में नर्सिंग केयर गिवर और सहायक नर्स की नौकरी के लिए सरकार की तरफ से अनुबंध किया गया। अभ्यर्थियों को हर महीने अच्छा खासा वेतन मिलता। इसके अलावा पासपोर्ट एवं उम्र को लेकर भी क‌ई गाइडलाइन तय की गई थी।


संगम पोर्टल पर एक भी आवेदन नहीं आया है। युद्ध के कारण फिलहाल सभी प्रक्रिया रोक दी गई है। भविष्य में जो निर्देश आएगा उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। शिवानी, जिला सेवायोजन अधिकारी
प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री साय को लिखा पत्र, निशुल्क पुस्तकों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने का किया आग्रह

रायपुर-  छत्तीसगढ़ के प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर अशासकीय स्कूलों में दी जाने वाली निशुल्क पाठ्यपुस्तक ऑनलाइन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है. स्कूली छात्रों की पढ़ाई को लेकर पत्र के माध्यम से चिंता जाहिर की गई है. पत्र में बताया गया कि प्रदेश के अशासकीय स्कूलों को अब तक निशुल्क पाठ्यपुस्तकें नहीं मिलने से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. 

प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने पत्र में लिखा कि हर वर्ष की तरह इस बार भी राज्य पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा पुस्तकों का वितरण किया जाना था, लेकिन स्कूल खुलने के एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब तक किसी भी स्कूल को किताबें नहीं मिली हैं. पुस्तकों की खेप अभी तक डिपो तक भी नहीं पहुंची है। ऐसे में आशंका है कि विद्यार्थियों को किताबें मिलने में 15 जुलाई तक का समय लग सकता है। इस एक महीने के दौरान छात्र को पढ़ाने के लिए कुछ भी नहीं है.

सीएम साय से आग्रह किया कि जब तक किताबें नहीं मिलतीं, तब तक कम से कम पाठ्यपुस्तकों की पीडीएफ कॉपी ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाए, जिससे स्कूल शुरुआती पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू कर सकें. उनका यह भी कहना है कि विलंब के चलते कई निजी स्कूलों ने अब निजी प्रकाशकों की किताबें अपने छात्रों को देना शुरू कर दिया है.

*सर्वोच्च प्रशिक्षण देकर पुलिस को नई चुनौतियों के लिए करें तैयार ...डीजीपी राजीव कृष्ण*

पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय एवं पुलिस लाइन का निरीक्षण करने पहुंचे उत्तर प्रदेश के डीजीपी राजीव कृष्ण जनपद आगमन पर आईजी अयोध्या मंडल प्रवीण कुमार जिला अधिकारी कुमार हर्ष पुलिस अधीक्षक कुंवर अनुपम सिंह ने बुके देकर किया स्वागत पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय में अधिकारियों के साथ डीजीपी ने की बैठक रिक्रूट आरक्षियों के प्रशिक्षण की व्यवस्थाओं के सम्बंध में दिया महत्वपूर्ण निर्देश बोले डीजीपी उत्तर प्रदेश कानून-व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़,जन उत्तरदायी एवं संवेदनशील बनाये जाने पर किया फोकस अपराध एवं अपराधियों के विरूद्ध जीरो टालेरेंस की नीति के तहत संगठित अपराध,भू माफियाओं और असमाजिक तत्वों के खिलाफ कठोर व क्विक एक्सन को कहा नाबालिग किशोरियों युवतियो महिलाओं की सुरक्षा व सशक्तिकरण को लेकर विशेष अभियान चलाने पर जोर महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता, सम्मान व सुरक्षा की भावना को बल देने हेतु करें ठोस प्रयास। जनशिकायतों के निस्तारण हेतु जनसुनवाई को प्रभावी बनाये भू माफिया बिल्डर जमीन कब्जाने के आरोपियों पर करें सख्त कार्यवाही उन्नत तकनीकों के माध्यम से साइबर अपाराधों पर लगाए लगाम जनता को करें साइबर अपराधियों के खिलाफ जागरूक पुलिसिंग हो स्मार्ट इसके लिए तकनीक और आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस का करे उपयोग सेवाकालीन प्रशिक्षण को सर्वोच्चय प्राथमकिता देते हुए पुलिस कर्मियों को नवीनतम चुनौतियों के लिये करे तैयार एसपी कुमार अनुपम सिंह के प्रयास को सराहा और बेहतर करने के लिए किया प्रेरित डीएम और एसपी की अच्छी ट्यूनिंग देखकर मुस्कुराए डीजीपी...राजीव कृष्ण
भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक’, आपातकाल के 50 साल पर बोले पीएम मोदी

#pmnarendramodiemergencyanniversary

देश में 1975 को लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकतंत्र के इतिहास के काले अध्याय को याद करते हुए कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे हो गए हैं। यह वो वक्त था जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को बंधक बना लिया था।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स लिखा, यह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है। भारत के लोग इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन, भारतीय संविधान के मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया। कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया।

तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने लिखा कि जब आपातकाल लगाया गया था, तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए सीखने का एक अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की अहमियत को फिर से पुष्ट किया। साथ ही, मुझे राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला। पीएम ने लिखा कि मुझे खुशी है कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने उन अनुभवों में से कुछ को एक किताब के रूप में संकलित किया है, जिसकी प्रस्तावना श्री एच.डी. देवेगौड़ा जी ने लिखी है, जो खुद आपातकाल विरोधी आंदोलन के एक दिग्गज थे।

आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों को सलाम-पीएम मोदी

पीएम ने आपातकाल के खिलाफ खड़े होने वालों को सलाम किया। पीएम ने कहा हम आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में डटे रहने वाले हर व्यक्ति को सलाम करते हैं। ये पूरे भारत से, हर क्षेत्र से, अलग-अलग विचारधाराओं से आए लोग थे, जिन्होंने एक ही उद्देश्य से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया। भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करना और उन आदर्शों को बनाए रखना, जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह उनका सामूहिक संघर्ष ही था, जिसने सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और नए चुनाव कराने पड़े, जिसमें वे बुरी तरह हार गए।

50 साल पहले लगे आपातकाल के विरोध में भाजपा आज मनाएगी संविधान हत्या दिवस, दिलाई जाएगी काले दौर की याद

#emergencyanniversarybjpwillcelebrateconstitutionmurderdaytoday

देश में आपातकाल की घोषणा हुए आज 50 साल हो गए। साल 1975 में 25 और 26 जून की दरम्यानी रात से 21 मार्च 1977 तक (21 महीने) तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर बुधवार को भाजपा देशभर में संविधान हत्या दिवस का आयोजन करेगी। विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के जरिये लोगों को आपातकाल के काले दौर की याद दिलाई जाएगी। जिला स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में मीसा बंदियों का सम्मान किया जाएगा।

पीएम मोदी ने लिया संविधान हत्या दिवस मनाने का निर्णय

इससे पहले आपातकाल की 50वीं बरसी की पूर्व संध्या पर नई दिल्ली में श्यामा प्रसाद मुखर्जी न्यास की ओर से आयोजित आपातकाल के 50 साल कार्यक्रम में शाह ने कहा कि जब 11 जुलाई 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय किया कि हर वर्ष 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाया जाएगा, तब यह सवाल उठे कि 50 साल पहले हुई किसी घटना पर बात करके आज क्या हासिल होगा?

आपातकाल तानाशाही मानसिकता और सत्ता की भूख की उपज-शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल को अन्यायकाल बताया है। अमित शाह ने कहा कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का लाया आपातकाल असल में कांग्रेस का अन्यायकाल था। आपातकाल परिस्थिति और मजबूरी की नहीं बल्कि तानाशाही मानसिकता और सत्ता की भूख की उपज होता है। शाह ने यह भी कहा कि 25 जून सभी को याद दिलाता है कि कांग्रेस सत्ता के लिए किस हद तक जा सकती है।

50 साल पहले जब इंदिरा गांधी ने देश में लगा दिया था आपातकाल, जानें इमरजेंसी का “काला सच”

#50yearsofemergencyin_india

25 जून 1975 की आधी रात जब देश पर आपातकाल थोप दिया गया था। लोकतंत्र के इतिहास में इस दिन को काला दिन माना जाता है। यही वो दिन था जब तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत, इंदिरा गांधी की सरकार की सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा की। देश में आपातकाल लग चुका है इसका ऐलान खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो पर किया।

25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की। 26 जून, 1975 की सुबह इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर कहा, 'राष्ट्रपति ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। इसमें घबराने की कोई बात नहीं है...'। इसके बाद से ही विपक्षी नेताओं में हलचल मच गई और गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हो गया था। पौ फटने के पहले ही विपक्ष के कई बड़े नेता हिरासत में ले लिए गए। यहां तक कि कांग्रेस में अलग सुर अलापने वाले चंद्रशेखर भी हिरासत में लिए गए नेताओं की जमात में शामिल थे।

ये इमरजेंसी 21 मार्च, 1977 तक देशभर में लागू रही। स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये 21 महीने काफी विवादास्पद रहे। लोकतांत्रिक देश में भी ऐसा कुछ हो सकता है, यह किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। यह भी कि लोकतांत्रिक देश की संसद में किसी दल की मजबूती का बेजा इस्तेमाल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इन 21 महीनों में जो कुछ भी हुआ। सत्ता दल अभी भी कांग्रेस को समय-समय पर कोसते रहते हैं। गांधी परिवार के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने इस इमरजेंसी को गलत बताया और खुले तौर पर माफी भी मांगी थी।

इंदिरा सरकार ने बताई आपातकाल लागू करने के पीछे कई वजहें

इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 1971 के लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की थी। तत्कालीन 521 सदस्यीय संसद में कांग्रेस ने 352 सीटें जीती थीं। उन दिनों इंदिरा गांधी की सरकार पर भारत अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था। गुजरात में सरकार के खिलाफ छात्रों का नवनिर्माण आंदोलन चल रहा था। बिहार में जयप्रकाश नारायण (JP) का आंदोलन चल रहा था। 1974 में जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे हड़ताल चल रही थी। आपातकाल लागू करने के पीछे कई वजहें बताई जाती हैं। इसमें से मुख्य कारण था राजनीतिक अस्थिरता।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद बढ़ा तनाव

इस राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत उस वक्त हुई, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को चुनावी धांधली का दोषी पाया और उन्हें छह साल के लिए किसी भी चुने हुए पद पर आसीन होने से वंचित कर दिया। इस फैसले के बाद, देश भर में विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक तनाव बढ़ गया।

इन्ही सब को देखते हुए इंदिरा गांधी को देश में इमरजेंसी लगानी पड़ी। इंदिरा गांधी और उनकी सरकार ने दावा किया कि देश में गहरी अशांति और आंतरिक अस्थिरता है, जिसके चलते राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसी कारण से उन्होंने आपातकाल की घोषणा की, जिससे वे बिना किसी विधायी और न्यायिक हस्तक्षेप के सरकार चला सकें।

असहमति के हर स्वर का मुंह बंद किया

इमरजेंसी लागू होने के तुरंत बाद विपक्षी नेताओं को जेल में डालने का सिलसिला शुरु हो गया। इनमें जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी और मोरारजी देसाई समेत कई बड़े नेताओं का नाम था, जो कई महीनों और सालों तक जेल में पड़े रहे थे। आरएसएस समेत 24 संगठनों पर बैन लगा दिया गया। इसके अलावा, इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में व्यापक सामाजिक और आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसमें जबरन नसबंदी और स्लम क्लीयरेंस जैसे कठोर उपाय शामिल थे। कई इतिहासकारों का मानना है कि आपातकाल का उपयोग इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को मजबूत करने और विरोधी आवाजों को दबाने के लिए किया। यह घटना भारतीय लोकतंत्र पर एक गहरा आघात थी और इसने देश के राजनीतिक इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी।

*Bengal -PRO T-20 league*

Sports

Sports Desk : মঙ্গলবার বেঙ্গল প্রো টি-টোয়েন্টি লিগের খেলায় হারবার ডায়মন্ড অ্যাডামাস হাওড়া ওয়ারিয়র্স কে ৩ উইকেটে হারিয়ে দিল। প্রথমে ব্যাট করতে নেমে অ্যাডামাস হাওড়া ওয়ারিয়ারস নির্ধারিত ওভারে ১৩৫ রান তোলে। ম্যাচের ৪ বল বাকি থাকতে হারবার ডায়মন্ড ৭ উইকেটে ১৩৮ রান তুলে জয় লাভ করে। খেলার সেরা খেলোয়াড় নির্বাচিত হন শুভম সরকার।

ছবি: সঞ্জয় হাজরা ( খবর কলকাতা)।

जिला अस्पताल में बनेगा डीआईपीएच‌एल लैब, एक छत के नीचे होगी 50 जांचें

नितेश श्रीवास्तव,भदोही। दो से ढाई लाख लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने वाले महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय में अब एक ही छत के नीचे 50 प्रकार की जांचें होंगी। अस्पताल परिसर के इमरजेंसी के पास डिस्ट्रिक्ट इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब स्थापित किया जाएगा। करीब 90 लाख की लागत से बनने वाले इस लैब के निर्माण के लिए पुरानी बिल्डिंग को तोड़ा जाएगा।

जिला अस्पताल में रोजाना 900 से 1000 की ओपीडी होती है। जिले का सबसे बड़ा अस्पताल होने के कारण हर दिन यहां पर काफी भीड़ भी होती है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को जांच के लिए निजी सेंटरों पर जाना होता है। जिससे उन्हें आर्थिक मार झेलनी पड़ती है। हालांकि मरीजों और तीमारदारों को जल्द ही इससे राहत मिलेगी। अस्पताल में करीब 90 लाख की लागत से डिस्ट्रिक्ट इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब की स्थापना को लेकर जमीन चिह्नित कर लिया गया है। अस्पताल में इमरजेंसी के बगल में पुरानी बिल्डिंग है, जो अब काफी जर्जर हो चुकी है।

अस्पताल प्रशासन उसी बिल्डिंग को ढहाकर उसी स्थान पर लैब की स्थापना करेगा। अस्पताल प्रशासन के अनुसार अगले सप्ताह से बिल्डिंग को ढहाने का कार्य शुरू हो जाएगा।

अस्पताल परिसर में इमरजेंसी के पास एक पुरानी बिल्डिंग है। उसे हटाने की प्रक्रिया चल रही है। उसी के स्थान पर डिस्ट्रिक्ट इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब बनाया जाएगा। सप्ताह भर में भवन को हटाने का काम शुरू होगा।

डॉ अजय तिवारी सीएमएस जिला अस्पताल

*60 से बढ़कर 66 रुपए की छात्राओं की भोजन की राशि* *500 छात्राएं पढ़ती है, पांच कस्तूरबा विद्यालयों में जिले की*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली बालिकाओं के डाइट की धनराशि शासन ने छह रुपये बढ़ा दी है। शासन ने प्रति बालिका की डाइट 60 रुपये से बढ़ाकर 66 रुपये कर दी है।0किसी कारणवश शिक्षा से वंचित छह से 14 वर्ष की ड्रॉप आउट छात्राओं को फिर से शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जिले में संचालित पांच कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में 500 छात्राएं पढ़ती हैं। छात्राओं को भोजन देने के लिए अभी तक प्रतिदिन भोजन देने के लिए 60 रुपये की दर से धनराशि आवंटित की जाती थी। इसमें अब छह रुपये की बढ़ोतरी कर 66 रुपये कर दिया गया है। विद्यालय में पढ़ने वाली बालिकाओं के डाइट चार्ट में सुबह के नाश्ते के साथ दोपहर और रात का खाना शामिल है। नाश्ते में दूध, अंडा, मौसमी फल के साथ दूसरे पौष्टिक आहार पोहा आदि को शामिल किया है। दोपहर के खाने में चावल, दाल, सब्जी, रोटी और सलाद दिया जाता है। जबकि रात के खाने में सब्जी, रोटी के साथ मीठे की भी व्यवस्था है।


फिलहाल विभाग की ओर से बढ़ाई गई डाइट की धनराशि बहुत अधिक नहीं है। बढ़ी हुई धनराशि से डाइट के खर्च में सहूलियत होगी। शासन स्तर से भोजन के बजट में वृद्धि की गई है। इससे छात्राओं को दिए जाने वाले भोजन को तैयार कराने में राहत मिलेगी। रितेश, जिला समन्वयक, सर्व शिक्षा अभियान बालिका शिक्षा
*रोडवेज बसों की कमी, निजी में डेढ़ गुना किराया देकर यात्रा के लिए मजबूर*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में भले ही परिवहन निगम ने सवारी न होने हवाला देती हो, लेकिन जिले से होकर निकलने वाली निजी बसों में भर-भर के सवारी जाती हैं। रोडवेज निगम की उदासीनता से जिले की सड़कों पर रोडवेज बसों का टोटा है। रोडवेज बसों का संचालन न होने से लोगों को मजबूरी में निजी बसों का सहारा लेना है। जहां उन्हें डेढ़ गुना अधिक किराया देना पड़ता है। जिले के प्रमुख वाराणसी-चौरी वाया जौनपुर, प्रयागराज रूट पर ही 55 निजी बसों का संचालन होता है। इस रूट पर वाराणसी से भदोही का किराया 60 रुपये तय किया गया है। वहीं सरकारी बस में वाराणसी से भदोही का किराया 40 रुपये ही। ऐसे में डेढ़ गुना अधिक रुपये देकर लोग यात्रा करने को विवश हैं। जिले में रोडवेज बस डिपो न होने से बसों का टोटा रहता है। वाराणसी-प्रयागराज हाईवे स्थित औराई रोडवेज बस स्टेशन को छोड़ दिया जाए तो भदोही और ज्ञानपुर रोडवेज स्टेशन वीरान ही रहती है। ज्ञानपुर रोडवेज बस स्टेशन पर जहां अराजकतत्वों का डेरा लगा रहता है। रोडवेज निगम चालक न मिलने और यात्री न होने का हवाला देती है, लेकिन इसके उलट जिले की सड़कों पर जमकर निजी बसें फर्राटा भर रही हैं। चौरी-वाराणसी रूट के अलावा दुर्गागंज, सुरियावां और मोढ़ जैसे रूटों पर भी निजी बसें दिख जाती हैं। अब प्रश्न यह है कि अगर सरकारी बसों को सवारी नहीं मिल रही हैं तो निजी बसें सवारियों से भर-भर कर कैसे चल रही हैं। निजी बसें जहां सवारी दिखती हैं। वहीं रूक जाती हैं, लेकिन इनका कुछ जगहों पर स्टॉपेज भी बना हुआ है। जिसमें ये चौरी बाज़ार, इंद्रा मिल चौराहा, कंधिया फाटक जैसे स्थानों पर कुछ देर रूक यात्रियों का इंतजार भी करती हैं।


ग्रामीण रूटों पर बसों के संचालन को लेकर प्रयास किया जा रहा है। इस समय कुछ बसें चल भी रही हैं। निजी बसें जगह-जगह रूककर सवारियां ले लेती हैं। वहीं रोडवेज का अपना स्टॉपेज होता है। कुछ बसें बढ़ाए जाने पर विचार चल रहा है। विजय श्रीवास्तव, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, रोडवेज परिवहन निगम।
*इजरायल - ईरान युद्ध से फिलहाल रुकी मेडिकल केयर गिवर की भर्ती* *विदेश जाने में नर्सिंग अभ्यर्थियों की रुचि नहीं, दो महीने से एक भी आवेदन नहीं*






रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जापान, जर्मनी और इस्राइल जैसे देशों में ठीकठाक पैकेज मिलने के बाद नर्सिंग अभ्यर्थी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। करीब दो महीने में एक भी अभ्यर्थी जाने के लिए आवेदन नहीं किया। इस्राइल-ईरान युद्ध के मद्देनजर मेडिकल क्षेत्र के केयर गिवर आवेदन प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है। युवाओं को रोजगार देने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है। देश, प्रदेश के साथ विदेशों में भेजने के लिए व्यवस्था की जा रही है। जापान, जर्मनी और इस्राइल की मांग पर मार्च 2025 में प्रदेश सरकार ने 5000 नर्सिंग अभ्यर्थियों को चयनित करने का निर्देश दिया। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एमएसडीसी) को जिम्मेदारी सौंपी गई। इन भर्तियों के लिए सेवायोजन के संगम पोर्टल पर आवेदन लिए जा रहे थे। करीब दो महीने गुजरने पर भी एक अभ्यर्थी ने आवेदन नहीं किया। इसको लेकर ऐसा लग रहा है कि विदेशों में जाकर अच्छे पैकेज पर काम करने में मेडिकल अभ्यर्थियों में दिलचस्पी नहीं है। ईरान-इस्राइल संघर्ष के कारण फिलहाल इसे रोक दिया गया है। रोक लगने पर अब यह चयन कब तक होगा इसको लेकर अभी कुछ निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।


*2.29‌ से 1.31 लाख तक वेतन* नर्सिंग के अभ्यर्थियों को जर्मनी, जापान और इजरायल में नर्सिंग केयर गिवर और सहायक नर्स की नौकरी के लिए सरकार की तरफ से अनुबंध किया गया। अभ्यर्थियों को हर महीने अच्छा खासा वेतन मिलता। इसके अलावा पासपोर्ट एवं उम्र को लेकर भी क‌ई गाइडलाइन तय की गई थी।


संगम पोर्टल पर एक भी आवेदन नहीं आया है। युद्ध के कारण फिलहाल सभी प्रक्रिया रोक दी गई है। भविष्य में जो निर्देश आएगा उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। शिवानी, जिला सेवायोजन अधिकारी