Nisthawrites

Jul 24 2024, 12:28

इंडिया ब्लॉक ने 'कुर्सी-बचाओ' बजट का किया विरोध, बताया ये है लोगों के अहित का बजट

union budget 2024

विपक्षी इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने आज संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने केंद्रीय बजट 2024 की तीखी आलोचना करते हुए इसे 'भेदभावपूर्ण' बताया और सभी राज्यों के लिए समान व्यवहार की मांग की। विपक्ष ने सरकार पर बिहार और आंध्र प्रदेश को तरजीह देने का आरोप लगाया - ये दोनों राज्य भाजपा के प्रमुख सहयोगियों द्वारा शासित हैं, जिनका समर्थन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है - जबकि अन्य की उपेक्षा की जा रही है। 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बिहार के लिए कई परियोजनाओं और पैकेजों की घोषणा की, जिनकी कुल राशि लगभग ₹59,000 करोड़ है। आंध्र प्रदेश के लिए, उन्होंने राज्य की राजधानी अमरावती के निर्माण के लिए ₹15,000 करोड़ और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त धनराशि, पोलावरम बांध परियोजना और दो औद्योगिक नोड्स को पूरा करने की घोषणा की।

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, "कई लोगों को केंद्रीय बजट में न्याय नहीं मिला। हम न्याय के लिए लड़ रहे हैं।" कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए बजट की निंदा की और इसे "भेदभावपूर्ण" बताया। उन्होंने सरकार पर तमिलनाडु, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया, जिन्हें हाल ही में आई आपदाओं के बावजूद बाढ़ राहत के लिए कोई राशि आवंटित नहीं की गई। टैगोर ने कहा, "यह भाजपा शासित राज्यों के प्रति भेदभावपूर्ण बजट है। यह 'कुर्सी बचाओ बजट' है। यह सिर्फ अपनी सरकार बचाने के लिए है। इसमें कुछ भी नहीं है। नरेगा फंड, शिक्षा फंड, शिक्षा ऋण में कटौती की गई है। मध्यम वर्ग को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस सरकार ने सभी को धोखा दिया है।"

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने केरल के लिए, खासकर स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रावधानों की कमी पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, " केरल से कुछ उम्मीदें थीं, खासकर स्वास्थ्य क्षेत्र में, लेकिन वे सभी पूरी नहीं हुई हैं।" कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भी इसी भावना को दोहराते हुए बजट को "अनुचित" और "हताशापूर्ण" बताया।

"भारत के कई राज्यों और उनकी गंभीर चिंताओं को नजरअंदाज किया गया है। यह एक हताश सरकार द्वारा केवल अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लाया गया एक हताश बजट है। उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि सभी राज्यों की स्थानीय जरूरतें क्या हैं, इसलिए इंडिया अलायंस इसका विरोध कर रहा है," गोगोई ने कहा।

शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए इसे 'कुर्सी बचाओ' बजट बताया। "एक समय था जब गुजरात के व्यापारी ईस्ट इंडिया कंपनी को जबरन वसूली करते थे...मुझे लगता है कि उन्हीं व्यापारियों ने बिहार के नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू को अपनी कुर्सी बचाने के लिए जबरन वसूली की है," राउत ने कहा। टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने बजट में सहकारी संघवाद की कमी की आलोचना की। उन्होंने कहा, "सरकार ने बजट में भेदभावपूर्ण संघवाद किया है, क्योंकि केवल दो राज्यों- आंध्र प्रदेश और बिहार, जो केंद्र के गठबंधन सहयोगी हैं, को ही सब कुछ दिया गया है।"

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा, "...बजट वास्तव में अच्छा है और सभी ने इसका स्वागत किया है। विपक्ष यह कहकर गुमराह करने की कोशिश कर रहा है कि यह केवल 2 राज्यों का बजट है...यह पूरे देश का बजट है, जिसे सभी के सामने सामूहिक रूप से पेश किया जाता है।" जेडी(यू) नेता नीरज कुमार ने बिहार के लिए आवंटन का बचाव करते हुए इसे उचित और आवश्यक बताया। उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट हो गया है कि इंडी गठबंधन दल, अपने बयानों और ट्वीट से, बिहार विरोधी हैं...बिहार को जो कुछ भी दिया गया है, वह हमारा अधिकार है और लोगों को इसकी आवश्यकता है।"

తప్పు చేస్తే దొరకక తప్పదు

Jul 23 2024, 20:00

ఉద్యోగులు, యువతకు గుడ్ న్యూస్.. కేంద్రం వరాల జల్లు

Union Budget: 2024 -25 సంబంధించి తొలి కేంద్ర బడ్జెట్‌ను నేడు (జూలై 23) పార్లమెంట్ లో ప్రవేశపెడుతున్నారు.

ఇందులో భాగంగా ఉద్యోగులు, యువతపై వరాల జల్లు కురిపించారు.

అందరూ ఎంతగానో ఎదురు చూస్తున్న సమయం రానే వచ్చింది. కేంద్ర బడ్జెట్‌ని నిర్మలా సీతారామన్ పార్లమెంట్‌లో ప్రవేశపెడుతున్నారు.

7వ సారి ఆమె బడ్జెట్‌ను ఆవిష్కరిస్తున్నారు. నరేంద్ర మోదీ నాయకత్వంలో మూడో సారి ప్రవేశపెడుతున్నందుకు గర్వపడుతున్నాని నిర్మలా సీతారామన్ తెలిపారు.

ఈ బడ్జెట్ లో ఉద్యోగులు, యువతపై కేంద్రం వరాలు కురిపించారు. నాలుగు కోట్ల యువతకు ఉపాదే లక్ష్యంగా ముందుకు వెళ్లనున్నట్లు చెప్పారు.

కొత్తగా ఉద్యోగాల్లో చేరేవారికి ఈపీఎఫ్ఓ పథకం అమలు చేస్తామని, 20 లక్షల మంది యువత కోసం సరికొత్త కార్యక్రమం ఏర్పాటు చేసి ఉపాధి కల్పించనున్నట్లు చెప్పారు.

ఈ మేరకు 1000 ట్రైనింగ్ సెంటర్లు ఏర్పాటు చేయనున్నట్లు తెలిపారు. మూడు స్కీమ్స్ ద్వారా ఉద్యోగ కల్పన చేయబోతున్నట్లు చెప్పారు.

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Jul 23 2024, 19:09

बजट पर खरगे का वार, बताया- कुर्सी बचाने और 2 लोगों का भला करने वाला बजट, जानें दूसरे विपक्षी नेताओं की राय

#oppositionleadersreactionsonunion_budget

मोदी सरकार के आम बजट 2024 पर लगातार राजनीतिक प्रतिक्रयाएं भी आ रही हैं। एनडीए नेताओं ने जहां बजट को जनकल्याणकारी करार दिया है। वहीं, विपक्षी नेताओं ने इसे बिहार और आंध्र प्रदेश का बजट बता रहे हैं।

मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट पर कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कांग्रेस के न्याय के एजेंडे को ठीक तरह से कॉपी भी नहीं कर पाया मोदी सरकार का 'नकलची बजट'। मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी "रेवड़ियां" बांट रहा है, ताकि एनडीए बची रहे। खरगे ने कहा, ये 'देश की तरक्की' का बजट नहीं, 'मोदी सरकार बचाओ' बजट है। उन्होंने ये भी कहा कि 10 साल बाद उन युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं हुईं हैं, जो सालाना दो करोड़ नौकरियों के जुमले को झेल रहे हैं। किसानों को लिए केवल सतही बातें हुई हैं, डेढ़ गुना एमएसपी और आय दोगुना करना - सब चुनावी धोखेबाज़ी निकली। ग्रामीण वेतन को बढ़ाने का इस सरकार का कोई इरादा नहीं है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि गरीबों और दलितों के लिए कुछ नहीं किया है। हो सकता है कि चुनाव में दलित वर्ग ने इंडिया गठबंधन को वोट दिया है, इस वजह से वो गुस्सा हों। बजट में जातीय जनगणना के लिए पैसे की व्यवस्था होनी चाहिए थी। मगर, इसका भी कोई जिक्र नहीं किया है।मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, बजट में इंटर्नशिप प्रोग्राम को इस सरकार ने कांग्रेस की योजना से कॉपी पेस्ट किया है। देश महंगाई से परेशान है, इससे कैसे निजात मिलेगी, बजट में इसका कोई जिक्र नहीं है। इस बजट में मिडिल क्लास को भी कुछ नहीं मिला है। कुर्सी बचाने के लिए जो एक-दो लोगों को खुश करना था, वही इन्होंने किया है।

कुर्सी बचाओ बजट- राहुल गांधी

बजट 2024 पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी खरगे की बात को दुहराया। राहुल ने लिखा- "कुर्सी बचाओ बजट।" राहुल गांधी ने कहा है कि अन्य राज्यों की कीमत पर सहयोगियों को खुश करने के लिए खोखले वादे किए गए हैं। उन्होंने कहा कि बजट से आम भारतीय को कोई राहत नहीं है। राहुल ने बजट को कांग्रेस के घोषणापत्र और पिछले बजट की कॉपी बताया है। 

अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्रीय बजट पर कहा कि अगर हम उत्तर प्रदेश को देखें तो निवेश की स्थिति क्या है? इनके जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं वह कभी समय पर पूरे नहीं हुए। अच्छी बात है कि बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष योजनाओं से जोड़ा गया है लेकिन उत्तर प्रदेश जैसा राज्य जो प्रधानमंत्री देता है क्या वहां के किसानों के लिए बजट में कुछ है? अखिलेश यादव ने केंद्रीय बजट पर कहा कि जब तक किसान और नौजवानों की पक्की नौकरी का इंतजाम नहीं होगा तब तक जनता को कोई बड़ा लाभ नहीं पहुंचेगा। 

बजट में कुछ भी नहीं- डिंपल यादव

केंद्रीय बजट 2024 पर मैनपुरी से सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा, "महिलाओं की सुरक्षा को लेकर होना चाहिए था, (बजट में)कुछ भी नहीं है...किचन का ध्यान नहीं रखा गया है क्योंकि सरकार मंहगाई के बारे में कोई कदम नहीं उठाना चाह रही है..." 

कल्याण बनर्जी ने कहा, 'कुर्सी बचाओ' बजट

केंद्रीय बजट पर टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, "यह 'कुर्सी बचाओ' बजट है। जो एनडीए में है, नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को अपने साथ रखने के लिए यह बजट है, यह बजट देश के लिए नहीं है। बंगाल के लिए तो कुछ भी नहीं है, वे बंगाल को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं, उनका बंगाल से सफाया होगा।

मायावती ने बताया धन्नासेठों का बजट

बजट 2024 पर बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर कुछ मुट्ठी भर अमीर व धन्नासेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों व उपेक्षित बहुजनों के त्रस्त जीवन से मुक्ति हेतु ’अच्छे दिन’ की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा है। देश में छाई जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन तथा यहाँ के 125 करोड़ से अधिक कमजोर तबकों के उत्थान व उनके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के प्रति इस नई सरकार में भी अपेक्षित सुधारवादी नीति व नीयत का अभाव। बजट में ऐसे प्रावधानों से क्या लोगों का जीवन खुश व खुशहाल हो पाएगा? देश का विकास व लोगों का उत्थान आँकड़ों के भूल भुलैया वाला न हो, बल्कि लोगों को त्रस्त जीवन से मुक्ति के लिए रोजगार के अवसर, जेब में खर्च के लिए पैसे/ आमदनी जैसी बुनियादी तरक्की सभी को मिलकर महसूस भी हो। रेलवे का विकास भी अति-जरूरी। सरकार बीएसपी सरकार की तरह हर हाथ को काम दे।

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Jul 23 2024, 15:24

*'ये भारत को समृद्ध करने वाला बजट' पीएम मोदी ने कहा-हर वर्ग को मिलेगी ताकत

#pmmodionunionbudget_2024 

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को देश का सालाना बजट पेश किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश को नई ऊंचाई पर ले जाने वाला बजट बताते हुए वित्तमंत्री सीतारमण की तारीफ की है।उन्होंने कहा कि यह बजट समाज के हर वर्ग को शक्ति देने वाला है। यह देश के गांव, गरीब, किसान को समृद्धि की राह पर ले जाने वाला है। पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। नौजवानों को अनगिनत नए अवसर देने वाला बजट है। इस बजट से शिक्षा और स्किल को नई ऊंचाइ मिलेगी।

छोटे व्यापारियों, एमएसएमई को उनकी प्रगति का नया रास्ता मिलेगा-पीएम मोदी

पीएम ने कहा कि इस बजट से छोटे व्यापारियों, एमएसएमई को उनकी प्रगति का नया रास्ता मिलेगा। बजट में मैन्युफैक्चरिंग पर भी बल है और इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी बल है। इससे आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी। पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीब, मिडिल क्लास को टैक्स में छूट दी गई है। TDS के नियमों को सरल किया गया है। पूर्वी भारत के विकास को जोड़ दिया गया है।

रोजगार और स्वरोजगार के अभूतपूर्व अवसर देना हमारी सरकार की पहचान-पीएम मोदी

पीएम ने कहा कि रोजगार और स्वरोजगार के अभूतपूर्व अवसर देना हमारी सरकार की पहचान रही है। आज का बजट इसे और मजबूत करता है।प्रधानमंत्री के अनुसार, इस बजट में सरकार ने एमप्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेटिव का एलान किया है। इस योजना के तहत जीवन में पहली नौकरी पाने वाले युवा की पहली तनख्वाह हमारी सरकार देगी। कौशल विकास और उच्च शिक्षा के लिए मदद हो या फिर एक करोड़ नौजवानों को इंटर्नशिप की योजना, इसे युवाओं के, गरीब के, मेरे बेटे-बेटी, देश की टॉप कंपनियों में काम करेंगे। उनके लिए संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे।

किसानों पर बड़ा फोकस

पीएम ने कहा, ‘इस बजट का एक बहुत बड़ा फोकस देश के किसान हैं। अन्न भंडारण के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्कीम के बाद अब हम सब्जी उत्पादन क्लस्टर बनाने जा रहे हैं। इससे छोटे किसानों को सब्जियों-फल, अन्य उपज के लिए नए बाजार मिलेंगे और बेहतर दाम मिलेंगे।’

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Jul 23 2024, 11:31

लोकसभा में बजट पेश कर रही हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, बताया किन 9 क्षेत्रों पर किया गया फोकस

#unionbudget2024_announcement 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में आज देश का आम बजट पेश कर रही हैं। संसद में बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। इस दौरान राष्ट्रपति ने उन्हें दही खिलाई। इसके बाद वित्त मंत्री ने उन्हें बजट की कॉपी सौंपी। राष्ट्रपति से औपचारिक मंजूरी के बाद वित्त मंत्री संसद पहुंची। इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट ने बजट को मंजूरी दे दी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्ण बजट होगा।

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि बेहतर रही है। उन्होंने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति कम रही है। यह वर्तमान में 3.1 फीसदी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार महंगाई को 4 फीसदी तक लाने की कोशिश करेगी। 

पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 साल के लिए बढ़ा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जैसा कि अंतरिम बजट में बताया गया हमें 4 अलग-अलग जातियों, गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। किसानों के लिए, हमने वादे को पूरा करते हुए सभी प्रमुख फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा की है। लागत पर कम से कम 50% मार्जिन के लिए पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया, जिससे 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ हुआ।

बजट में युवाओं के लिए दो लाख करोड़ रुपये

वित्त मंत्री ने कहा कि पूरे वर्ष और उससे आगे की ओर ध्यान देते हुए, इस बजट में हमने विशेष रूप से रोजगार, कौशल, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया है। मुझे 2 लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय परिव्यय के साथ 5 साल की अवधि में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसरों की सुविधा के लिए प्रधानमंत्री की 5 योजनाओं और पहलों के पैकेज की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।

बजट में 9 क्षेत्रों पर फोकस

वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा बजट को प्राथमिकताओं के लिए याद रखा जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में 9 क्षेत्रों पर फोकस किया गया है।

• कृषि में उत्पादकता और लचीलापन

• रोजगार और कौशल

• समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय

• विनिर्माण और सेवाएं

• शहरी विकास

• ऊर्जा सुरक्षा

• बुनियादी ढाँचा

• नवाचार, अनुसंधान और विकास

• अगली पीढ़ी के सुधार

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Jul 16 2024, 19:54

बजट से पहले हुई हलवा सेरेमनी, वित्त मंत्री ने कराया सभी का मुंह मीठा, जानें क्या है ये परंपरा*
#halwa_ceremony_before_union_budget_2024
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज केंद्रीय बजट 2024 के लिए 'हलवा सेरेमनी' में हिस्सा लिया। यह रस्म बजट बनाने की प्रक्रिया के अंतिम चरण का प्रतीक है। वित्त मंत्री ने बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल पूरी टीम को हलवा खिलाकर मुंह मीठा कराया। हर साल बजट बनाने की प्रक्रिया 'लॉक-इन' में जाने से पहले यह रस्म निभाई जाती है। देश का बजट पेश होने में एक हफ्ते का समय रह गया है। इस बार व‍ित्‍त मंत्री न‍िर्मला सीतारमण लगातार सातवीं बार देश का बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट है। इससे पहले व‍ित्‍त मंत्री ने 1 फरवरी 2024 को दूसरे कार्यकाल का अंतर‍िम बजट पेश क‍िया था। साल 2024 के लिए बजट तैयार होने की प्रक्र‍िया के अंतिम चरण में मंगलवार को वित्त मंत्रालय यानी नॉर्थ ब्लॉक में हलवा सेरेमनी का आयोजन किया गया। हलवा समारोह को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में नॉर्थ ब्लॉक में आयोज‍ित क‍िया गया। हलवा सेरेमनी में वित्त मंत्रालय के कई अधिकारी भी शामिल हुए। वित्त मंत्री ने खुद अपने हाथों से मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हलवा बांटा।हलवा सेरेमनी को बजट की अंतिम तैयारियों की शुरुआत माना जाता है। इसलिए बजट के कामकाज से जुड़े अधिकारी सख्त निगरानी में रहते हैं, ताकि कोई जानकारी लीक ना हो।वहीं वित्त मंत्री को भी सख्त नियमों का पालन करना होता है। *वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर बंकर में तब्दील* हलवा सेरेमनी के बाद वित्त मंत्रालय का नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर एक बंकर में तब्दील हो जाता है। यहां काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को ना तो फोन पर बात करने की परमिशन होती है, ना ही वह अपने घर पर कॉल कर सकते हैं और ना ही मोबाइल रख सकते हैं। इतना ही नहीं किसी को भी दफ्तर परिसर से बाहर आने-जाने की भी इजाजत नहीं होती। *बजट पेश होने के बाद ही कोई भी घर जाएगा* अब बजट की तैयारियों में लगे अधिकारी और कर्मचारी यहां तब तक रहेंगे, जब तक कि वित्त मंत्री का संसद में बजट भाषण पूरा नहीं हो जाता। बजट पेश होने के बाद ही वह अपने घर जा सकेंगे। यानी अब ये सभी लोग 23 जुलाई के बाद ही यहां से बाहर जा सकते हैं। सिर्फ किसी बहुत इमरजेंसी की हालत में ही उन्हें घर जाने की अनुमति मिल सकती है, लेकिन उसके लिए भी काफी सख्त निगरानी रखी जाती है। इस बीच अधिकारी या कर्मचारियों को अपने घर पर बात भी करनी होती है, तो वह हाई सिक्योरिटी लैंडलाइन से ही होती है। *कब से चल रही ये परंपरा?* हलवा सेरेमनी की परंपरा आजादी से पहले से चली आ रही है। हलवा सेरेमनी का आयोजन बजट पेश करने की सभी तैयारियां पूरी होने के बाद किया जाता है। इस दौरान व‍ित्‍त मंत्री के अलावा वित्त मंत्रालय के अध‍िकारी और कर्मचारी मौजूद रहते हैं। परंपरा के अनुसार हलवा सेरेमनी का आयोजन नॉर्थ ब्लॉक के नीचे बेसमेंट में बजट प्रेस में क‍िया जाता है। हलवा बनने के बाद बजट की छपाई शुरू होती है। ज‍िस दिन हलवा सेरेमनी के दौरान हलवा बांटा जाता है, उसके बाद बजट प्रकाश‍ित करने वाले कर्मचारी और अधिकारी वहीं पर रहते हैं।

తప్పు చేస్తే దొరకక తప్పదు

Jun 30 2024, 18:41

Telangana: కేంద్ర మంత్రి బండి సంజయ్ హాట్ కామెంట్స్..

తెలంగాణలో(Telangana) కాంగ్రెస్‌(Congress) ప్రభుత్వంపై కేంద్ర మంత్రి బండి సంజయ్(Union Minister Bandi Sanjay) హాట్ కామెంట్స్ చేశారు. రాష్ట్రంలో బీఆర్ఎస్(BRS) చేసిన పనులనే కాంగ్రెస్ చేస్తోందని విమర్శించారు. ఆదివారం నాడు మీడియాతో మాట్లాడిన ఆయన.. కాంగ్రెస్ దుర్మార్గాలకు పాల్పడుతోందని ఆరోపించారు.

తెలంగాణలో(Telangana) కాంగ్రెస్‌(Congress) ప్రభుత్వంపై కేంద్ర మంత్రి బండి సంజయ్(Union Minister Bandi Sanjay) హాట్ కామెంట్స్ చేశారు. రాష్ట్రంలో బీఆర్ఎస్(BRS) చేసిన పనులనే కాంగ్రెస్ చేస్తోందని విమర్శించారు. ఆదివారం నాడు మీడియాతో మాట్లాడిన ఆయన.. కాంగ్రెస్ దుర్మార్గాలకు పాల్పడుతోందని ఆరోపించారు. కాంగ్రెస్ ఎమ్మెల్యేలకే నిధులు వస్తున్నాయని.. బీజేపీ ఎమ్మెల్యేల నియోజకవర్గాలకు నిధులు ఇవ్వడం లేదని కేంద్ర మంత్రి ఆరోపించారు.

తాము కూడా అలాగే వ్యవహరిస్తే.. తెలంగాణ అభివృద్ధి జరగదని హెచ్చరించారు. కాంగ్రెస్ ఎంపీలకు తాము నిధులు ఇవ్వకపోతే ఏం చేస్తారని ప్రశ్నించారు బండి సంజయ్. ప్రజలు ఎన్నుకున్న ఎమ్మెల్యేలకు నిధులు ఇవ్వకుండా అవమానిస్తారా? అంటూ ముఖ్యమంత్రి రేవంత్ రెడ్డిపై ఫైర్ అయ్యారు. కేసీఆర్ మీద తిరగబడినట్లే కాంగ్రెస్ ప్రభుత్వంపైనా తిరుగుబాటు చేస్తారని తీవ్ర స్వరంతో హెచ్చరించారు. అందరికీ సమానంగా నిధులు ఇవ్వాలని రాష్ట్ర ప్రభుత్వాన్ని కేంద్ర మంత్రి బండి సంజయ్ డిమాండ్ చేశారు. సింగరేణి విషయంలో బీఆర్‌స్ దారిలోనే కాంగ్రెస్ నడుస్తోందని వ్యాఖ్యానించారు.

ఇదే సమయంలో తెలంగాణలో బీజేపీ, జనసేన పొత్తుపై కేంద్రమంత్రి బండి సంజయ్ స్పందించారు. పవన్ కల్యాణ్ ప్రతిపాదనపై అధిష్టానం నిర్ణయం తీసుకుంటుందన్నారు. జనసేనతో బీజేపీ పొత్తుపై కిషన్ రెడ్డి, జేపీ నడ్డా ఆలోచిస్తారని చెప్పారు.

బీజేపీతో జనసేన పొత్తు తన పరిధిలో లేదని.. దానిపై తానేమీ మాట్లాడనని బండి సంజయ్ స్పష్టం చేశారు. కాగా, ఆంధ్రప్రదేశ్‌లో జనసేన, బీజేపీ కూటమిగా ఉన్న విషయం తెలిసిందే. అదే పొత్తు తెలంగాణలోనూ కొనసాగించాలని జనసేనాని పవన్ కల్యాణ్ భావిస్తున్నారు. అయితే, దీనిపై బీజేపీలో మాత్రం భిన్న స్వరాలు వినిపిస్తున్నాయి. మరి రానున్న రోజుల్లో ఎలాంటి నిర్ణయం తీసుకుంటారనేది వేచి చూడాల్సిందే.

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Jun 18 2024, 20:05

यूरोपीय यूनियन चुनाव में राष्ट्रवादी दलों का दबदबा, जिन मुद्दों ने दिलाई जीत, क्या उनसे लोगों को मिलेगा निजात?

#european_union_right_wing

अगर आप यूरोप पर एक नज़र घुमा कर देखें, चाहे वो उत्तर, दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम- आप अलग-अलग किस्म की धुर-दक्षिणपंथी पार्टियां देख सकते हैं। जिनका हाल के सालों में अच्छा ख़ासा उभार हुआ है। हालांकि, सच्चाई यह है कि 1980 के दशक से ही वे कुछ रुकावटों के साथ कमोबेश लगातार बढ़ रहे हैं। वे वास्तव में अब परिदृश्य का हिस्सा बन चुके हैं। हाल के यूरोपीय संसद चुनावों में, दक्षिणपंथी एवं धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों को बढ़त मिली, जबकि वामपंथी तथा उदारवादी पार्टियों को नुकसान का सामना करना पड़ा।

लगभग 25 साल पहले ऑस्ट्रिया में ही जब दक्षिणपंथी दल जीतकर आया, तो पूरा यूरोप नाराज हो उठा था। डिप्लोमेटिक रिश्ते तक तोड़ने की धमकियां दी गई थीं। अब ऑस्ट्रिया समेत फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े देशों में भी राइट विंग की तरफ रुझान बढ़ा है। इस बार यूरोपियन संसद के लिए 27 देशों में हुए चुनाव में दक्षिणपंथी मानी जाती पार्टियों को पहली बार भारी वोट मिले हैं। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ईयू चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यूरोप में पिछले कुछ समय से जैसे-जैसे शरणार्थियों द्वारा वहां के नागरिकों के प्रति अपराध और हिंसा बढ़ी है, वैसे-वैसे राष्ट्रवादी दलों का उभार भी हुआ है। यूरोप की बिगड़ी आर्थिक स्थिति और बढ़ते हुए आप्रवासन के कारण इन पार्टियों के सितारे बुलंद हुए हैं। पेरिस में एक राजनीतिक समीक्षक क्रिस्टोफ गिले कहते हैं, “इन दलों की सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि कुछ साल पहले अमरीका की आर्थिक स्थिति यूरोप से कहीं ज़्यादा बदतर थी। लेकिन अब जहां अमरीका की हालत काफ़ी सुधर गई है, वहीं यूरोप बहुत मुश्किल दौर में हैं और फ्रांस की बेरोज़गारी अब रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गई है।”

ऐसा कई वर्षों से कहा जा रहा था कि यूरोप में कथित उदार राजनीति के दिन लद गए हैं, क्योंकि मानवता के नाम पर बुलाए गए शरणार्थियों ने देश की पहचान के साथ खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया था। अस्सी के दशक के दौरान ईरान के धार्मिक नेताओं ने इस्लामिक जागरण की बात शुरू कर दी। वे अपील करते कि यूरोप जाकर खुद को यूरोपियन रंग-रूप में ढालने की बजाए मुसलमान खुद को मुस्लिम बनाए रखें। यहीं से सब बदलने लगा। मुस्लिम अपनी मजहबी पहचान को लेकर कट्टर होने लगे। पहले जो लोग फ्रांस या जर्मनी में आम लोगों के बीच घुलमिल रहे थे, वे एकदम से अलग होने लगे। इसके साथ ही उनकी बढ़ती आबादी भी यूरोप को अचानक दिखी।

प्यू रिसर्च सेंटर की मानें तो यूरोप में जितने भी शरणार्थी हैं, उनमें 86% मुसलमान हैं। यूरोप की कुल आबादी का 5% हिस्सा उनसे है। सबसे ज्यादा 9% लोग फ्रांस में जिसके बाद जर्मनी और स्वीडन का नंबर आता है। यूरोपियन यूनियन के तहत आने वाले साइप्रस में कुल आबादी का करीब 26 फीसदी मुस्लिम ही हैं। प्यू का ही डेटा कहता है कि साल 2050 से पहले ही यूरोप की पॉपुलेशन में 14% लोग शरणार्थी मुस्लिम होंगे। अगर ऐसा हुआ तो स्थानीय लोगों को अपने रिसोर्स बांटने होंगे। घर से लेकर नौकरियां बटेंगी।

यूरोप में फिलहाल सबसे ज्यादा गुस्सा शरणार्थियों को लेकर ही है। लोगों का मानना है कि सरकार अपनी इमेज के लिए मुस्लिम देशों के रिफ्यूजियों को आने दे रही है। इससे उनपर टैक्स का भी बोझ बढ़ा, साथ ही हिंसा की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। फ्रांस में बीते साल हिंसा और जबर्दस्त आगजनी हुई, जिसके पीछे शरणार्थियों का हाथ माना गया। जर्मनी और स्कैंडिनेविया में भी कुछ पार्टियां ऐसे आरोप लगा रही हैं।

इतने बड़े आप्रवासन से यूरोप का सामाजिक संतुलन बिगड़ गया है और इस बात को धुर दक्षिणपंथी पार्टियों ने एक राजनीतिक मुद्दा बनाया है और यूरोपीय नागरिकों में एक तरह से डर पैदा किया है। लंबे समय से आप्रवासन, इस्लाम और यूरोपीय संघ का विरोध ही यूरोप की दक्षिणपंथी पार्टियों को एकजुट करता रहा है। अब नए कारण भी सामने आए हैं: सांस्कृतिक युद्ध, अल्पसंख्यक अधिकार, जलवायु संकट और अनुचित बलिदान, जिनके बारे में सरकारें जोर देती हैं कि इससे निपटने के लिए इनकी आवश्यकता होगी।

India

Jun 18 2024, 20:05

यूरोपीय यूनियन चुनाव में राष्ट्रवादी दलों का दबदबा, जिन मुद्दों ने दिलाई जीत, क्या उनसे लोगों को मिलेगा निजात?

#european_union_right_wing

अगर आप यूरोप पर एक नज़र घुमा कर देखें, चाहे वो उत्तर, दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम- आप अलग-अलग किस्म की धुर-दक्षिणपंथी पार्टियां देख सकते हैं। जिनका हाल के सालों में अच्छा ख़ासा उभार हुआ है। हालांकि, सच्चाई यह है कि 1980 के दशक से ही वे कुछ रुकावटों के साथ कमोबेश लगातार बढ़ रहे हैं। वे वास्तव में अब परिदृश्य का हिस्सा बन चुके हैं। हाल के यूरोपीय संसद चुनावों में, दक्षिणपंथी एवं धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों को बढ़त मिली, जबकि वामपंथी तथा उदारवादी पार्टियों को नुकसान का सामना करना पड़ा।

लगभग 25 साल पहले ऑस्ट्रिया में ही जब दक्षिणपंथी दल जीतकर आया, तो पूरा यूरोप नाराज हो उठा था। डिप्लोमेटिक रिश्ते तक तोड़ने की धमकियां दी गई थीं। अब ऑस्ट्रिया समेत फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े देशों में भी राइट विंग की तरफ रुझान बढ़ा है। इस बार यूरोपियन संसद के लिए 27 देशों में हुए चुनाव में दक्षिणपंथी मानी जाती पार्टियों को पहली बार भारी वोट मिले हैं। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ईयू चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यूरोप में पिछले कुछ समय से जैसे-जैसे शरणार्थियों द्वारा वहां के नागरिकों के प्रति अपराध और हिंसा बढ़ी है, वैसे-वैसे राष्ट्रवादी दलों का उभार भी हुआ है। यूरोप की बिगड़ी आर्थिक स्थिति और बढ़ते हुए आप्रवासन के कारण इन पार्टियों के सितारे बुलंद हुए हैं। पेरिस में एक राजनीतिक समीक्षक क्रिस्टोफ गिले कहते हैं, “इन दलों की सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि कुछ साल पहले अमरीका की आर्थिक स्थिति यूरोप से कहीं ज़्यादा बदतर थी। लेकिन अब जहां अमरीका की हालत काफ़ी सुधर गई है, वहीं यूरोप बहुत मुश्किल दौर में हैं और फ्रांस की बेरोज़गारी अब रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गई है।”

ऐसा कई वर्षों से कहा जा रहा था कि यूरोप में कथित उदार राजनीति के दिन लद गए हैं, क्योंकि मानवता के नाम पर बुलाए गए शरणार्थियों ने देश की पहचान के साथ खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया था। अस्सी के दशक के दौरान ईरान के धार्मिक नेताओं ने इस्लामिक जागरण की बात शुरू कर दी। वे अपील करते कि यूरोप जाकर खुद को यूरोपियन रंग-रूप में ढालने की बजाए मुसलमान खुद को मुस्लिम बनाए रखें। यहीं से सब बदलने लगा। मुस्लिम अपनी मजहबी पहचान को लेकर कट्टर होने लगे। पहले जो लोग फ्रांस या जर्मनी में आम लोगों के बीच घुलमिल रहे थे, वे एकदम से अलग होने लगे। इसके साथ ही उनकी बढ़ती आबादी भी यूरोप को अचानक दिखी।

प्यू रिसर्च सेंटर की मानें तो यूरोप में जितने भी शरणार्थी हैं, उनमें 86% मुसलमान हैं। यूरोप की कुल आबादी का 5% हिस्सा उनसे है। सबसे ज्यादा 9% लोग फ्रांस में जिसके बाद जर्मनी और स्वीडन का नंबर आता है। यूरोपियन यूनियन के तहत आने वाले साइप्रस में कुल आबादी का करीब 26 फीसदी मुस्लिम ही हैं। प्यू का ही डेटा कहता है कि साल 2050 से पहले ही यूरोप की पॉपुलेशन में 14% लोग शरणार्थी मुस्लिम होंगे। अगर ऐसा हुआ तो स्थानीय लोगों को अपने रिसोर्स बांटने होंगे। घर से लेकर नौकरियां बटेंगी।

यूरोप में फिलहाल सबसे ज्यादा गुस्सा शरणार्थियों को लेकर ही है। लोगों का मानना है कि सरकार अपनी इमेज के लिए मुस्लिम देशों के रिफ्यूजियों को आने दे रही है। इससे उनपर टैक्स का भी बोझ बढ़ा, साथ ही हिंसा की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। फ्रांस में बीते साल हिंसा और जबर्दस्त आगजनी हुई, जिसके पीछे शरणार्थियों का हाथ माना गया। जर्मनी और स्कैंडिनेविया में भी कुछ पार्टियां ऐसे आरोप लगा रही हैं।

इतने बड़े आप्रवासन से यूरोप का सामाजिक संतुलन बिगड़ गया है और इस बात को धुर दक्षिणपंथी पार्टियों ने एक राजनीतिक मुद्दा बनाया है और यूरोपीय नागरिकों में एक तरह से डर पैदा किया है। लंबे समय से आप्रवासन, इस्लाम और यूरोपीय संघ का विरोध ही यूरोप की दक्षिणपंथी पार्टियों को एकजुट करता रहा है। अब नए कारण भी सामने आए हैं: सांस्कृतिक युद्ध, अल्पसंख्यक अधिकार, जलवायु संकट और अनुचित बलिदान, जिनके बारे में सरकारें जोर देती हैं कि इससे निपटने के लिए इनकी आवश्यकता होगी।

lucknow

Jun 18 2024, 16:19

एकेटीयू के नाम से यूनियन बैंक में खाता खुलवाकर 120 करोड़ की धोखाधड़ी करने वालों का भंडाफोड़, सात गिरफ्तार
लखनऊ । एकेटीयू की फर्जी मेल आईडी बनाकर मेल भेजने एवं एकेटीयू का फर्जी अथारिटी लेटर व केवाईसी प्रपत्र देकर अाधिकारिक संचालन कर्ता बनकर एकेटीयू के नाम से यूनियन बैं में खाता खुलवाकर 120 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वालों का साइबर क्राइम थाना लखनऊ ने भंडाफोड़ किया है। साथ ही सा धोखाधड़ी करने वाले साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी करते हुए 119 करोड़ रुपये की धनराशि संबंधित बैंक के खाते में वापस कराया गया है।

*120 करोड़ की ठगी की 12 जून को दर्ज कराई गई थी सूचना*

डीसीपी पूर्व ने बताया कि 12 जून को वादी बैंक प्रबंधक अनुज कुमार सक्सेना द्वारा  साइबर थाना को सूचना दी गई कि यूनियन बैंक की शाखा से सौ करोड़ या उससे ऊपर की एफडी के लिए आफर लेटर लेकर एकेटीयू से संपर्क करके एकेटीयू के खाते से बैंक के खाते में 120 करोड़ जमा करवाकर बैंक व एकेटीयू की फर्जी मेल आईडी आईडी बनाकर मेल भेजने एवं एकेटी0यू का फर्जी अथारिटी लेटर व केवाईसी प्रपत्र देकर साइबर अपराधी द्वारा खुद को आधिकारिक संचालनकर्ता बनाकर एकेटीयू  के नाम से बैंक खाता खुलवाकर चेक लेकर RTGS आदि के माध्यम से धनराशि स्थानान्तरित करवाकर 120 करोड़ रूपये की ठगी कर ली गयी ।

*खुलासे के लिए साइबर थाना प्रभारी के नेतृत्व में गठित की गई टीम*

जिस पर थाना स्थानीय पर अपराध संख्या- 87/2024 धारा 419/420/467/468/471/120 बी  भा0द0वि0 व 66 डी आईटी एक्ट पंजीकृत हुआ। उक्त अभियोग के अनावरण के लिए पुलिस आयुक्त लखनऊ, संयुक्त पुलिस उपायुक्त के निर्देशन में  पुलिस उपायुक्त (पूर्वी),अपर पुलिस उपायुक्त (पूर्वी), सहायक पुलिस आयुक्त गोमतीनगरके कुशल पर्यवेक्षण में साइबर क्राइम थाना लखनऊ प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में अभियुक्तो की गिरफ़्तारी एवं घटना के खुलासे के लिए टीम गठित की गयी।

*सात अभियुक्तों को गिरफ्तार करने में मिली सफलता*

प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में उनकी टीम द्वारा उच्च अधिकारीगण के निर्देशन पर सूचना तंत्र सक्रिय कर तकनीकी संसाधनों का प्रयोग कर अभियुक्तगणो को जनपद सूरत, अहमदाबाद, एवं लखनऊ से सात नफर अभियुक्त गिरफ्तार कर थाना साइबर क्राइम लखनऊ में सोमवार को दाखिल किया गया।  इसे दौरान विवेचना प्रकाश में आये बैंक खाते जिनमें अभियुक्तो द्वारा उपरोक्त धनराशि स्थानान्तरित की गयी थी तत्परता दिखाते हुये उन खातो को फ्रीज कराया गया एवं 119 करोड़ रूपये की धनराशि सम्बन्धित यूनियन बैंक के खाते में वापस करायी गयी ।

*यह रहा इनके अपराध करने का तरीका*

साइबर अपराधियों द्वारा यूनियन बैंक के ब्रान्च मैनेजर का फर्जी विजिटिंग कार्ड व फर्जी मेल आईडी बनाकर अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी की मेल आईडी एवं AKTU की फर्जी मेल आईडी बनाकर बैंक की मेल आईडी पर मेल भेजकर एकेटीयू जानकीपुरम लखनऊ के सरकारी फण्ड का एफडी कराने के नाम पर फर्जी व कूटरचित दस्तावेज तैयार करते हुये यूनियन बैंक शाखा विधानसभा मार्ग हजरतगंज लखनऊ  में एफडी एकाउन्ट ओपन कराकर एकेटीयू के फण्ड को उपरोक्त बैंक के पूल एकाउण्ट में 120 करोड़ रूपये की धनराशि स्थानान्तरित करा ली गयी, जिसमें से अभियुक्तो द्वारा आरटीजीएस के माध्यम से 100 करोड़ की धनराशि अन्य खातो में स्थानान्तरित कर ली गयी।

*इन अभियुक्तों को किया गया गिरफ्तार*

जोशी देवेन्द्र प्रसाद प्रभाशंकर पुत्र प्रभाशंकर निवासी- 1103 साई लेक्जीरिया नियर श्रीकर विद्या स्कूल अमरौली  सूरत गुजरात, पटेल उदय पुत्र हरशद भाई निवासी ए-22 भगवती फ्लैट बैजलपुर जीवराज पार्क अहमदाबाद, राजेश बाबू पुत्र मथुरा प्रसाद निवासी पानापुर खुर्द मलकादीन, हसनगंज थाना आशीवन जनपद उन्नाव, गिरीश चंद्र पुत्र सोमई राम निवासी 2/132 सेक्टर-बी मानसरोवर योजना कानपुर रोड एलडीए कालोनी बीकेटी लखनऊ, शैलेश कुमार रघुवंशी पुत्र हरिदास सिंह निवासी बी-329, सेक्टर नियर कारमेल चौराहा महानगर जनपद लखनऊ, दस्तगीर आलम पुत्र कबीर अहमद निवासी सरेसर ग्राम सलाबथ गढ, मुसाफिर खाना, जनपद अमेठी, कृष्णकान्त पुत्र हरिराम त्रिपाठी निवासी  जयपुरवा, पो- गाँधीनगर, अमहट जनपद बस्ती है।

*गिरफ्तारी करने वाली टीम*

प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव, साइबर क्राइम थाना लखनऊ, सर्विलांस सेल कार्यालय डीसीपी पूर्वी लखनऊ, उ.नि. रवि वर्मा, साइबर क्राइम थाना लखनऊ , मुख्य आरक्षी रिजवानुल्ला अंसारी, साइबर क्राइम थाना लखनऊ , मुख्य आरक्षी पदम सौरभ, साइबर क्राइम थाना लखनऊ, मुख्य आरक्षी विवेक सिंह साइबर क्राइम थाना लखनऊ , का. विवेक यादव, साइबर क्राइम थाना लखनऊ , का. धनीश यादव, साइबर क्राइम थाना लखनऊ , का. संजय कसौधन, साइबर क्राइम थाना लखनऊ , का. नवीन राय, साइबर क्राइम थाना लखनऊ शामिल रहे।

Nisthawrites

Jul 24 2024, 12:28

इंडिया ब्लॉक ने 'कुर्सी-बचाओ' बजट का किया विरोध, बताया ये है लोगों के अहित का बजट

union budget 2024

विपक्षी इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने आज संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने केंद्रीय बजट 2024 की तीखी आलोचना करते हुए इसे 'भेदभावपूर्ण' बताया और सभी राज्यों के लिए समान व्यवहार की मांग की। विपक्ष ने सरकार पर बिहार और आंध्र प्रदेश को तरजीह देने का आरोप लगाया - ये दोनों राज्य भाजपा के प्रमुख सहयोगियों द्वारा शासित हैं, जिनका समर्थन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है - जबकि अन्य की उपेक्षा की जा रही है। 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बिहार के लिए कई परियोजनाओं और पैकेजों की घोषणा की, जिनकी कुल राशि लगभग ₹59,000 करोड़ है। आंध्र प्रदेश के लिए, उन्होंने राज्य की राजधानी अमरावती के निर्माण के लिए ₹15,000 करोड़ और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त धनराशि, पोलावरम बांध परियोजना और दो औद्योगिक नोड्स को पूरा करने की घोषणा की।

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, "कई लोगों को केंद्रीय बजट में न्याय नहीं मिला। हम न्याय के लिए लड़ रहे हैं।" कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए बजट की निंदा की और इसे "भेदभावपूर्ण" बताया। उन्होंने सरकार पर तमिलनाडु, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया, जिन्हें हाल ही में आई आपदाओं के बावजूद बाढ़ राहत के लिए कोई राशि आवंटित नहीं की गई। टैगोर ने कहा, "यह भाजपा शासित राज्यों के प्रति भेदभावपूर्ण बजट है। यह 'कुर्सी बचाओ बजट' है। यह सिर्फ अपनी सरकार बचाने के लिए है। इसमें कुछ भी नहीं है। नरेगा फंड, शिक्षा फंड, शिक्षा ऋण में कटौती की गई है। मध्यम वर्ग को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस सरकार ने सभी को धोखा दिया है।"

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने केरल के लिए, खासकर स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रावधानों की कमी पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, " केरल से कुछ उम्मीदें थीं, खासकर स्वास्थ्य क्षेत्र में, लेकिन वे सभी पूरी नहीं हुई हैं।" कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भी इसी भावना को दोहराते हुए बजट को "अनुचित" और "हताशापूर्ण" बताया।

"भारत के कई राज्यों और उनकी गंभीर चिंताओं को नजरअंदाज किया गया है। यह एक हताश सरकार द्वारा केवल अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लाया गया एक हताश बजट है। उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि सभी राज्यों की स्थानीय जरूरतें क्या हैं, इसलिए इंडिया अलायंस इसका विरोध कर रहा है," गोगोई ने कहा।

शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए इसे 'कुर्सी बचाओ' बजट बताया। "एक समय था जब गुजरात के व्यापारी ईस्ट इंडिया कंपनी को जबरन वसूली करते थे...मुझे लगता है कि उन्हीं व्यापारियों ने बिहार के नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू को अपनी कुर्सी बचाने के लिए जबरन वसूली की है," राउत ने कहा। टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने बजट में सहकारी संघवाद की कमी की आलोचना की। उन्होंने कहा, "सरकार ने बजट में भेदभावपूर्ण संघवाद किया है, क्योंकि केवल दो राज्यों- आंध्र प्रदेश और बिहार, जो केंद्र के गठबंधन सहयोगी हैं, को ही सब कुछ दिया गया है।"

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा, "...बजट वास्तव में अच्छा है और सभी ने इसका स्वागत किया है। विपक्ष यह कहकर गुमराह करने की कोशिश कर रहा है कि यह केवल 2 राज्यों का बजट है...यह पूरे देश का बजट है, जिसे सभी के सामने सामूहिक रूप से पेश किया जाता है।" जेडी(यू) नेता नीरज कुमार ने बिहार के लिए आवंटन का बचाव करते हुए इसे उचित और आवश्यक बताया। उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट हो गया है कि इंडी गठबंधन दल, अपने बयानों और ट्वीट से, बिहार विरोधी हैं...बिहार को जो कुछ भी दिया गया है, वह हमारा अधिकार है और लोगों को इसकी आवश्यकता है।"

తప్పు చేస్తే దొరకక తప్పదు

Jul 23 2024, 20:00

ఉద్యోగులు, యువతకు గుడ్ న్యూస్.. కేంద్రం వరాల జల్లు

Union Budget: 2024 -25 సంబంధించి తొలి కేంద్ర బడ్జెట్‌ను నేడు (జూలై 23) పార్లమెంట్ లో ప్రవేశపెడుతున్నారు.

ఇందులో భాగంగా ఉద్యోగులు, యువతపై వరాల జల్లు కురిపించారు.

అందరూ ఎంతగానో ఎదురు చూస్తున్న సమయం రానే వచ్చింది. కేంద్ర బడ్జెట్‌ని నిర్మలా సీతారామన్ పార్లమెంట్‌లో ప్రవేశపెడుతున్నారు.

7వ సారి ఆమె బడ్జెట్‌ను ఆవిష్కరిస్తున్నారు. నరేంద్ర మోదీ నాయకత్వంలో మూడో సారి ప్రవేశపెడుతున్నందుకు గర్వపడుతున్నాని నిర్మలా సీతారామన్ తెలిపారు.

ఈ బడ్జెట్ లో ఉద్యోగులు, యువతపై కేంద్రం వరాలు కురిపించారు. నాలుగు కోట్ల యువతకు ఉపాదే లక్ష్యంగా ముందుకు వెళ్లనున్నట్లు చెప్పారు.

కొత్తగా ఉద్యోగాల్లో చేరేవారికి ఈపీఎఫ్ఓ పథకం అమలు చేస్తామని, 20 లక్షల మంది యువత కోసం సరికొత్త కార్యక్రమం ఏర్పాటు చేసి ఉపాధి కల్పించనున్నట్లు చెప్పారు.

ఈ మేరకు 1000 ట్రైనింగ్ సెంటర్లు ఏర్పాటు చేయనున్నట్లు తెలిపారు. మూడు స్కీమ్స్ ద్వారా ఉద్యోగ కల్పన చేయబోతున్నట్లు చెప్పారు.

India

Jul 23 2024, 19:09

बजट पर खरगे का वार, बताया- कुर्सी बचाने और 2 लोगों का भला करने वाला बजट, जानें दूसरे विपक्षी नेताओं की राय

#oppositionleadersreactionsonunion_budget

मोदी सरकार के आम बजट 2024 पर लगातार राजनीतिक प्रतिक्रयाएं भी आ रही हैं। एनडीए नेताओं ने जहां बजट को जनकल्याणकारी करार दिया है। वहीं, विपक्षी नेताओं ने इसे बिहार और आंध्र प्रदेश का बजट बता रहे हैं।

मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट पर कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कांग्रेस के न्याय के एजेंडे को ठीक तरह से कॉपी भी नहीं कर पाया मोदी सरकार का 'नकलची बजट'। मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी "रेवड़ियां" बांट रहा है, ताकि एनडीए बची रहे। खरगे ने कहा, ये 'देश की तरक्की' का बजट नहीं, 'मोदी सरकार बचाओ' बजट है। उन्होंने ये भी कहा कि 10 साल बाद उन युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं हुईं हैं, जो सालाना दो करोड़ नौकरियों के जुमले को झेल रहे हैं। किसानों को लिए केवल सतही बातें हुई हैं, डेढ़ गुना एमएसपी और आय दोगुना करना - सब चुनावी धोखेबाज़ी निकली। ग्रामीण वेतन को बढ़ाने का इस सरकार का कोई इरादा नहीं है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि गरीबों और दलितों के लिए कुछ नहीं किया है। हो सकता है कि चुनाव में दलित वर्ग ने इंडिया गठबंधन को वोट दिया है, इस वजह से वो गुस्सा हों। बजट में जातीय जनगणना के लिए पैसे की व्यवस्था होनी चाहिए थी। मगर, इसका भी कोई जिक्र नहीं किया है।मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, बजट में इंटर्नशिप प्रोग्राम को इस सरकार ने कांग्रेस की योजना से कॉपी पेस्ट किया है। देश महंगाई से परेशान है, इससे कैसे निजात मिलेगी, बजट में इसका कोई जिक्र नहीं है। इस बजट में मिडिल क्लास को भी कुछ नहीं मिला है। कुर्सी बचाने के लिए जो एक-दो लोगों को खुश करना था, वही इन्होंने किया है।

कुर्सी बचाओ बजट- राहुल गांधी

बजट 2024 पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी खरगे की बात को दुहराया। राहुल ने लिखा- "कुर्सी बचाओ बजट।" राहुल गांधी ने कहा है कि अन्य राज्यों की कीमत पर सहयोगियों को खुश करने के लिए खोखले वादे किए गए हैं। उन्होंने कहा कि बजट से आम भारतीय को कोई राहत नहीं है। राहुल ने बजट को कांग्रेस के घोषणापत्र और पिछले बजट की कॉपी बताया है। 

अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्रीय बजट पर कहा कि अगर हम उत्तर प्रदेश को देखें तो निवेश की स्थिति क्या है? इनके जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं वह कभी समय पर पूरे नहीं हुए। अच्छी बात है कि बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष योजनाओं से जोड़ा गया है लेकिन उत्तर प्रदेश जैसा राज्य जो प्रधानमंत्री देता है क्या वहां के किसानों के लिए बजट में कुछ है? अखिलेश यादव ने केंद्रीय बजट पर कहा कि जब तक किसान और नौजवानों की पक्की नौकरी का इंतजाम नहीं होगा तब तक जनता को कोई बड़ा लाभ नहीं पहुंचेगा। 

बजट में कुछ भी नहीं- डिंपल यादव

केंद्रीय बजट 2024 पर मैनपुरी से सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा, "महिलाओं की सुरक्षा को लेकर होना चाहिए था, (बजट में)कुछ भी नहीं है...किचन का ध्यान नहीं रखा गया है क्योंकि सरकार मंहगाई के बारे में कोई कदम नहीं उठाना चाह रही है..." 

कल्याण बनर्जी ने कहा, 'कुर्सी बचाओ' बजट

केंद्रीय बजट पर टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, "यह 'कुर्सी बचाओ' बजट है। जो एनडीए में है, नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को अपने साथ रखने के लिए यह बजट है, यह बजट देश के लिए नहीं है। बंगाल के लिए तो कुछ भी नहीं है, वे बंगाल को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं, उनका बंगाल से सफाया होगा।

मायावती ने बताया धन्नासेठों का बजट

बजट 2024 पर बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर कुछ मुट्ठी भर अमीर व धन्नासेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों व उपेक्षित बहुजनों के त्रस्त जीवन से मुक्ति हेतु ’अच्छे दिन’ की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा है। देश में छाई जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन तथा यहाँ के 125 करोड़ से अधिक कमजोर तबकों के उत्थान व उनके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के प्रति इस नई सरकार में भी अपेक्षित सुधारवादी नीति व नीयत का अभाव। बजट में ऐसे प्रावधानों से क्या लोगों का जीवन खुश व खुशहाल हो पाएगा? देश का विकास व लोगों का उत्थान आँकड़ों के भूल भुलैया वाला न हो, बल्कि लोगों को त्रस्त जीवन से मुक्ति के लिए रोजगार के अवसर, जेब में खर्च के लिए पैसे/ आमदनी जैसी बुनियादी तरक्की सभी को मिलकर महसूस भी हो। रेलवे का विकास भी अति-जरूरी। सरकार बीएसपी सरकार की तरह हर हाथ को काम दे।

India

Jul 23 2024, 15:24

*'ये भारत को समृद्ध करने वाला बजट' पीएम मोदी ने कहा-हर वर्ग को मिलेगी ताकत

#pmmodionunionbudget_2024 

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को देश का सालाना बजट पेश किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश को नई ऊंचाई पर ले जाने वाला बजट बताते हुए वित्तमंत्री सीतारमण की तारीफ की है।उन्होंने कहा कि यह बजट समाज के हर वर्ग को शक्ति देने वाला है। यह देश के गांव, गरीब, किसान को समृद्धि की राह पर ले जाने वाला है। पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। नौजवानों को अनगिनत नए अवसर देने वाला बजट है। इस बजट से शिक्षा और स्किल को नई ऊंचाइ मिलेगी।

छोटे व्यापारियों, एमएसएमई को उनकी प्रगति का नया रास्ता मिलेगा-पीएम मोदी

पीएम ने कहा कि इस बजट से छोटे व्यापारियों, एमएसएमई को उनकी प्रगति का नया रास्ता मिलेगा। बजट में मैन्युफैक्चरिंग पर भी बल है और इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी बल है। इससे आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी। पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीब, मिडिल क्लास को टैक्स में छूट दी गई है। TDS के नियमों को सरल किया गया है। पूर्वी भारत के विकास को जोड़ दिया गया है।

रोजगार और स्वरोजगार के अभूतपूर्व अवसर देना हमारी सरकार की पहचान-पीएम मोदी

पीएम ने कहा कि रोजगार और स्वरोजगार के अभूतपूर्व अवसर देना हमारी सरकार की पहचान रही है। आज का बजट इसे और मजबूत करता है।प्रधानमंत्री के अनुसार, इस बजट में सरकार ने एमप्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेटिव का एलान किया है। इस योजना के तहत जीवन में पहली नौकरी पाने वाले युवा की पहली तनख्वाह हमारी सरकार देगी। कौशल विकास और उच्च शिक्षा के लिए मदद हो या फिर एक करोड़ नौजवानों को इंटर्नशिप की योजना, इसे युवाओं के, गरीब के, मेरे बेटे-बेटी, देश की टॉप कंपनियों में काम करेंगे। उनके लिए संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे।

किसानों पर बड़ा फोकस

पीएम ने कहा, ‘इस बजट का एक बहुत बड़ा फोकस देश के किसान हैं। अन्न भंडारण के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्कीम के बाद अब हम सब्जी उत्पादन क्लस्टर बनाने जा रहे हैं। इससे छोटे किसानों को सब्जियों-फल, अन्य उपज के लिए नए बाजार मिलेंगे और बेहतर दाम मिलेंगे।’

India

Jul 23 2024, 11:31

लोकसभा में बजट पेश कर रही हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, बताया किन 9 क्षेत्रों पर किया गया फोकस

#unionbudget2024_announcement 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में आज देश का आम बजट पेश कर रही हैं। संसद में बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। इस दौरान राष्ट्रपति ने उन्हें दही खिलाई। इसके बाद वित्त मंत्री ने उन्हें बजट की कॉपी सौंपी। राष्ट्रपति से औपचारिक मंजूरी के बाद वित्त मंत्री संसद पहुंची। इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट ने बजट को मंजूरी दे दी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्ण बजट होगा।

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि बेहतर रही है। उन्होंने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति कम रही है। यह वर्तमान में 3.1 फीसदी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार महंगाई को 4 फीसदी तक लाने की कोशिश करेगी। 

पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 साल के लिए बढ़ा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जैसा कि अंतरिम बजट में बताया गया हमें 4 अलग-अलग जातियों, गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। किसानों के लिए, हमने वादे को पूरा करते हुए सभी प्रमुख फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा की है। लागत पर कम से कम 50% मार्जिन के लिए पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया, जिससे 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ हुआ।

बजट में युवाओं के लिए दो लाख करोड़ रुपये

वित्त मंत्री ने कहा कि पूरे वर्ष और उससे आगे की ओर ध्यान देते हुए, इस बजट में हमने विशेष रूप से रोजगार, कौशल, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया है। मुझे 2 लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय परिव्यय के साथ 5 साल की अवधि में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसरों की सुविधा के लिए प्रधानमंत्री की 5 योजनाओं और पहलों के पैकेज की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।

बजट में 9 क्षेत्रों पर फोकस

वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा बजट को प्राथमिकताओं के लिए याद रखा जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में 9 क्षेत्रों पर फोकस किया गया है।

• कृषि में उत्पादकता और लचीलापन

• रोजगार और कौशल

• समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय

• विनिर्माण और सेवाएं

• शहरी विकास

• ऊर्जा सुरक्षा

• बुनियादी ढाँचा

• नवाचार, अनुसंधान और विकास

• अगली पीढ़ी के सुधार

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Jul 16 2024, 19:54

बजट से पहले हुई हलवा सेरेमनी, वित्त मंत्री ने कराया सभी का मुंह मीठा, जानें क्या है ये परंपरा*
#halwa_ceremony_before_union_budget_2024
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज केंद्रीय बजट 2024 के लिए 'हलवा सेरेमनी' में हिस्सा लिया। यह रस्म बजट बनाने की प्रक्रिया के अंतिम चरण का प्रतीक है। वित्त मंत्री ने बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल पूरी टीम को हलवा खिलाकर मुंह मीठा कराया। हर साल बजट बनाने की प्रक्रिया 'लॉक-इन' में जाने से पहले यह रस्म निभाई जाती है। देश का बजट पेश होने में एक हफ्ते का समय रह गया है। इस बार व‍ित्‍त मंत्री न‍िर्मला सीतारमण लगातार सातवीं बार देश का बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट है। इससे पहले व‍ित्‍त मंत्री ने 1 फरवरी 2024 को दूसरे कार्यकाल का अंतर‍िम बजट पेश क‍िया था। साल 2024 के लिए बजट तैयार होने की प्रक्र‍िया के अंतिम चरण में मंगलवार को वित्त मंत्रालय यानी नॉर्थ ब्लॉक में हलवा सेरेमनी का आयोजन किया गया। हलवा समारोह को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में नॉर्थ ब्लॉक में आयोज‍ित क‍िया गया। हलवा सेरेमनी में वित्त मंत्रालय के कई अधिकारी भी शामिल हुए। वित्त मंत्री ने खुद अपने हाथों से मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हलवा बांटा।हलवा सेरेमनी को बजट की अंतिम तैयारियों की शुरुआत माना जाता है। इसलिए बजट के कामकाज से जुड़े अधिकारी सख्त निगरानी में रहते हैं, ताकि कोई जानकारी लीक ना हो।वहीं वित्त मंत्री को भी सख्त नियमों का पालन करना होता है। *वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर बंकर में तब्दील* हलवा सेरेमनी के बाद वित्त मंत्रालय का नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर एक बंकर में तब्दील हो जाता है। यहां काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को ना तो फोन पर बात करने की परमिशन होती है, ना ही वह अपने घर पर कॉल कर सकते हैं और ना ही मोबाइल रख सकते हैं। इतना ही नहीं किसी को भी दफ्तर परिसर से बाहर आने-जाने की भी इजाजत नहीं होती। *बजट पेश होने के बाद ही कोई भी घर जाएगा* अब बजट की तैयारियों में लगे अधिकारी और कर्मचारी यहां तब तक रहेंगे, जब तक कि वित्त मंत्री का संसद में बजट भाषण पूरा नहीं हो जाता। बजट पेश होने के बाद ही वह अपने घर जा सकेंगे। यानी अब ये सभी लोग 23 जुलाई के बाद ही यहां से बाहर जा सकते हैं। सिर्फ किसी बहुत इमरजेंसी की हालत में ही उन्हें घर जाने की अनुमति मिल सकती है, लेकिन उसके लिए भी काफी सख्त निगरानी रखी जाती है। इस बीच अधिकारी या कर्मचारियों को अपने घर पर बात भी करनी होती है, तो वह हाई सिक्योरिटी लैंडलाइन से ही होती है। *कब से चल रही ये परंपरा?* हलवा सेरेमनी की परंपरा आजादी से पहले से चली आ रही है। हलवा सेरेमनी का आयोजन बजट पेश करने की सभी तैयारियां पूरी होने के बाद किया जाता है। इस दौरान व‍ित्‍त मंत्री के अलावा वित्त मंत्रालय के अध‍िकारी और कर्मचारी मौजूद रहते हैं। परंपरा के अनुसार हलवा सेरेमनी का आयोजन नॉर्थ ब्लॉक के नीचे बेसमेंट में बजट प्रेस में क‍िया जाता है। हलवा बनने के बाद बजट की छपाई शुरू होती है। ज‍िस दिन हलवा सेरेमनी के दौरान हलवा बांटा जाता है, उसके बाद बजट प्रकाश‍ित करने वाले कर्मचारी और अधिकारी वहीं पर रहते हैं।

తప్పు చేస్తే దొరకక తప్పదు

Jun 30 2024, 18:41

Telangana: కేంద్ర మంత్రి బండి సంజయ్ హాట్ కామెంట్స్..

తెలంగాణలో(Telangana) కాంగ్రెస్‌(Congress) ప్రభుత్వంపై కేంద్ర మంత్రి బండి సంజయ్(Union Minister Bandi Sanjay) హాట్ కామెంట్స్ చేశారు. రాష్ట్రంలో బీఆర్ఎస్(BRS) చేసిన పనులనే కాంగ్రెస్ చేస్తోందని విమర్శించారు. ఆదివారం నాడు మీడియాతో మాట్లాడిన ఆయన.. కాంగ్రెస్ దుర్మార్గాలకు పాల్పడుతోందని ఆరోపించారు.

తెలంగాణలో(Telangana) కాంగ్రెస్‌(Congress) ప్రభుత్వంపై కేంద్ర మంత్రి బండి సంజయ్(Union Minister Bandi Sanjay) హాట్ కామెంట్స్ చేశారు. రాష్ట్రంలో బీఆర్ఎస్(BRS) చేసిన పనులనే కాంగ్రెస్ చేస్తోందని విమర్శించారు. ఆదివారం నాడు మీడియాతో మాట్లాడిన ఆయన.. కాంగ్రెస్ దుర్మార్గాలకు పాల్పడుతోందని ఆరోపించారు. కాంగ్రెస్ ఎమ్మెల్యేలకే నిధులు వస్తున్నాయని.. బీజేపీ ఎమ్మెల్యేల నియోజకవర్గాలకు నిధులు ఇవ్వడం లేదని కేంద్ర మంత్రి ఆరోపించారు.

తాము కూడా అలాగే వ్యవహరిస్తే.. తెలంగాణ అభివృద్ధి జరగదని హెచ్చరించారు. కాంగ్రెస్ ఎంపీలకు తాము నిధులు ఇవ్వకపోతే ఏం చేస్తారని ప్రశ్నించారు బండి సంజయ్. ప్రజలు ఎన్నుకున్న ఎమ్మెల్యేలకు నిధులు ఇవ్వకుండా అవమానిస్తారా? అంటూ ముఖ్యమంత్రి రేవంత్ రెడ్డిపై ఫైర్ అయ్యారు. కేసీఆర్ మీద తిరగబడినట్లే కాంగ్రెస్ ప్రభుత్వంపైనా తిరుగుబాటు చేస్తారని తీవ్ర స్వరంతో హెచ్చరించారు. అందరికీ సమానంగా నిధులు ఇవ్వాలని రాష్ట్ర ప్రభుత్వాన్ని కేంద్ర మంత్రి బండి సంజయ్ డిమాండ్ చేశారు. సింగరేణి విషయంలో బీఆర్‌స్ దారిలోనే కాంగ్రెస్ నడుస్తోందని వ్యాఖ్యానించారు.

ఇదే సమయంలో తెలంగాణలో బీజేపీ, జనసేన పొత్తుపై కేంద్రమంత్రి బండి సంజయ్ స్పందించారు. పవన్ కల్యాణ్ ప్రతిపాదనపై అధిష్టానం నిర్ణయం తీసుకుంటుందన్నారు. జనసేనతో బీజేపీ పొత్తుపై కిషన్ రెడ్డి, జేపీ నడ్డా ఆలోచిస్తారని చెప్పారు.

బీజేపీతో జనసేన పొత్తు తన పరిధిలో లేదని.. దానిపై తానేమీ మాట్లాడనని బండి సంజయ్ స్పష్టం చేశారు. కాగా, ఆంధ్రప్రదేశ్‌లో జనసేన, బీజేపీ కూటమిగా ఉన్న విషయం తెలిసిందే. అదే పొత్తు తెలంగాణలోనూ కొనసాగించాలని జనసేనాని పవన్ కల్యాణ్ భావిస్తున్నారు. అయితే, దీనిపై బీజేపీలో మాత్రం భిన్న స్వరాలు వినిపిస్తున్నాయి. మరి రానున్న రోజుల్లో ఎలాంటి నిర్ణయం తీసుకుంటారనేది వేచి చూడాల్సిందే.

India

Jun 18 2024, 20:05

यूरोपीय यूनियन चुनाव में राष्ट्रवादी दलों का दबदबा, जिन मुद्दों ने दिलाई जीत, क्या उनसे लोगों को मिलेगा निजात?

#european_union_right_wing

अगर आप यूरोप पर एक नज़र घुमा कर देखें, चाहे वो उत्तर, दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम- आप अलग-अलग किस्म की धुर-दक्षिणपंथी पार्टियां देख सकते हैं। जिनका हाल के सालों में अच्छा ख़ासा उभार हुआ है। हालांकि, सच्चाई यह है कि 1980 के दशक से ही वे कुछ रुकावटों के साथ कमोबेश लगातार बढ़ रहे हैं। वे वास्तव में अब परिदृश्य का हिस्सा बन चुके हैं। हाल के यूरोपीय संसद चुनावों में, दक्षिणपंथी एवं धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों को बढ़त मिली, जबकि वामपंथी तथा उदारवादी पार्टियों को नुकसान का सामना करना पड़ा।

लगभग 25 साल पहले ऑस्ट्रिया में ही जब दक्षिणपंथी दल जीतकर आया, तो पूरा यूरोप नाराज हो उठा था। डिप्लोमेटिक रिश्ते तक तोड़ने की धमकियां दी गई थीं। अब ऑस्ट्रिया समेत फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े देशों में भी राइट विंग की तरफ रुझान बढ़ा है। इस बार यूरोपियन संसद के लिए 27 देशों में हुए चुनाव में दक्षिणपंथी मानी जाती पार्टियों को पहली बार भारी वोट मिले हैं। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ईयू चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यूरोप में पिछले कुछ समय से जैसे-जैसे शरणार्थियों द्वारा वहां के नागरिकों के प्रति अपराध और हिंसा बढ़ी है, वैसे-वैसे राष्ट्रवादी दलों का उभार भी हुआ है। यूरोप की बिगड़ी आर्थिक स्थिति और बढ़ते हुए आप्रवासन के कारण इन पार्टियों के सितारे बुलंद हुए हैं। पेरिस में एक राजनीतिक समीक्षक क्रिस्टोफ गिले कहते हैं, “इन दलों की सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि कुछ साल पहले अमरीका की आर्थिक स्थिति यूरोप से कहीं ज़्यादा बदतर थी। लेकिन अब जहां अमरीका की हालत काफ़ी सुधर गई है, वहीं यूरोप बहुत मुश्किल दौर में हैं और फ्रांस की बेरोज़गारी अब रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गई है।”

ऐसा कई वर्षों से कहा जा रहा था कि यूरोप में कथित उदार राजनीति के दिन लद गए हैं, क्योंकि मानवता के नाम पर बुलाए गए शरणार्थियों ने देश की पहचान के साथ खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया था। अस्सी के दशक के दौरान ईरान के धार्मिक नेताओं ने इस्लामिक जागरण की बात शुरू कर दी। वे अपील करते कि यूरोप जाकर खुद को यूरोपियन रंग-रूप में ढालने की बजाए मुसलमान खुद को मुस्लिम बनाए रखें। यहीं से सब बदलने लगा। मुस्लिम अपनी मजहबी पहचान को लेकर कट्टर होने लगे। पहले जो लोग फ्रांस या जर्मनी में आम लोगों के बीच घुलमिल रहे थे, वे एकदम से अलग होने लगे। इसके साथ ही उनकी बढ़ती आबादी भी यूरोप को अचानक दिखी।

प्यू रिसर्च सेंटर की मानें तो यूरोप में जितने भी शरणार्थी हैं, उनमें 86% मुसलमान हैं। यूरोप की कुल आबादी का 5% हिस्सा उनसे है। सबसे ज्यादा 9% लोग फ्रांस में जिसके बाद जर्मनी और स्वीडन का नंबर आता है। यूरोपियन यूनियन के तहत आने वाले साइप्रस में कुल आबादी का करीब 26 फीसदी मुस्लिम ही हैं। प्यू का ही डेटा कहता है कि साल 2050 से पहले ही यूरोप की पॉपुलेशन में 14% लोग शरणार्थी मुस्लिम होंगे। अगर ऐसा हुआ तो स्थानीय लोगों को अपने रिसोर्स बांटने होंगे। घर से लेकर नौकरियां बटेंगी।

यूरोप में फिलहाल सबसे ज्यादा गुस्सा शरणार्थियों को लेकर ही है। लोगों का मानना है कि सरकार अपनी इमेज के लिए मुस्लिम देशों के रिफ्यूजियों को आने दे रही है। इससे उनपर टैक्स का भी बोझ बढ़ा, साथ ही हिंसा की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। फ्रांस में बीते साल हिंसा और जबर्दस्त आगजनी हुई, जिसके पीछे शरणार्थियों का हाथ माना गया। जर्मनी और स्कैंडिनेविया में भी कुछ पार्टियां ऐसे आरोप लगा रही हैं।

इतने बड़े आप्रवासन से यूरोप का सामाजिक संतुलन बिगड़ गया है और इस बात को धुर दक्षिणपंथी पार्टियों ने एक राजनीतिक मुद्दा बनाया है और यूरोपीय नागरिकों में एक तरह से डर पैदा किया है। लंबे समय से आप्रवासन, इस्लाम और यूरोपीय संघ का विरोध ही यूरोप की दक्षिणपंथी पार्टियों को एकजुट करता रहा है। अब नए कारण भी सामने आए हैं: सांस्कृतिक युद्ध, अल्पसंख्यक अधिकार, जलवायु संकट और अनुचित बलिदान, जिनके बारे में सरकारें जोर देती हैं कि इससे निपटने के लिए इनकी आवश्यकता होगी।

India

Jun 18 2024, 20:05

यूरोपीय यूनियन चुनाव में राष्ट्रवादी दलों का दबदबा, जिन मुद्दों ने दिलाई जीत, क्या उनसे लोगों को मिलेगा निजात?

#european_union_right_wing

अगर आप यूरोप पर एक नज़र घुमा कर देखें, चाहे वो उत्तर, दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम- आप अलग-अलग किस्म की धुर-दक्षिणपंथी पार्टियां देख सकते हैं। जिनका हाल के सालों में अच्छा ख़ासा उभार हुआ है। हालांकि, सच्चाई यह है कि 1980 के दशक से ही वे कुछ रुकावटों के साथ कमोबेश लगातार बढ़ रहे हैं। वे वास्तव में अब परिदृश्य का हिस्सा बन चुके हैं। हाल के यूरोपीय संसद चुनावों में, दक्षिणपंथी एवं धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों को बढ़त मिली, जबकि वामपंथी तथा उदारवादी पार्टियों को नुकसान का सामना करना पड़ा।

लगभग 25 साल पहले ऑस्ट्रिया में ही जब दक्षिणपंथी दल जीतकर आया, तो पूरा यूरोप नाराज हो उठा था। डिप्लोमेटिक रिश्ते तक तोड़ने की धमकियां दी गई थीं। अब ऑस्ट्रिया समेत फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े देशों में भी राइट विंग की तरफ रुझान बढ़ा है। इस बार यूरोपियन संसद के लिए 27 देशों में हुए चुनाव में दक्षिणपंथी मानी जाती पार्टियों को पहली बार भारी वोट मिले हैं। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ईयू चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यूरोप में पिछले कुछ समय से जैसे-जैसे शरणार्थियों द्वारा वहां के नागरिकों के प्रति अपराध और हिंसा बढ़ी है, वैसे-वैसे राष्ट्रवादी दलों का उभार भी हुआ है। यूरोप की बिगड़ी आर्थिक स्थिति और बढ़ते हुए आप्रवासन के कारण इन पार्टियों के सितारे बुलंद हुए हैं। पेरिस में एक राजनीतिक समीक्षक क्रिस्टोफ गिले कहते हैं, “इन दलों की सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि कुछ साल पहले अमरीका की आर्थिक स्थिति यूरोप से कहीं ज़्यादा बदतर थी। लेकिन अब जहां अमरीका की हालत काफ़ी सुधर गई है, वहीं यूरोप बहुत मुश्किल दौर में हैं और फ्रांस की बेरोज़गारी अब रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गई है।”

ऐसा कई वर्षों से कहा जा रहा था कि यूरोप में कथित उदार राजनीति के दिन लद गए हैं, क्योंकि मानवता के नाम पर बुलाए गए शरणार्थियों ने देश की पहचान के साथ खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया था। अस्सी के दशक के दौरान ईरान के धार्मिक नेताओं ने इस्लामिक जागरण की बात शुरू कर दी। वे अपील करते कि यूरोप जाकर खुद को यूरोपियन रंग-रूप में ढालने की बजाए मुसलमान खुद को मुस्लिम बनाए रखें। यहीं से सब बदलने लगा। मुस्लिम अपनी मजहबी पहचान को लेकर कट्टर होने लगे। पहले जो लोग फ्रांस या जर्मनी में आम लोगों के बीच घुलमिल रहे थे, वे एकदम से अलग होने लगे। इसके साथ ही उनकी बढ़ती आबादी भी यूरोप को अचानक दिखी।

प्यू रिसर्च सेंटर की मानें तो यूरोप में जितने भी शरणार्थी हैं, उनमें 86% मुसलमान हैं। यूरोप की कुल आबादी का 5% हिस्सा उनसे है। सबसे ज्यादा 9% लोग फ्रांस में जिसके बाद जर्मनी और स्वीडन का नंबर आता है। यूरोपियन यूनियन के तहत आने वाले साइप्रस में कुल आबादी का करीब 26 फीसदी मुस्लिम ही हैं। प्यू का ही डेटा कहता है कि साल 2050 से पहले ही यूरोप की पॉपुलेशन में 14% लोग शरणार्थी मुस्लिम होंगे। अगर ऐसा हुआ तो स्थानीय लोगों को अपने रिसोर्स बांटने होंगे। घर से लेकर नौकरियां बटेंगी।

यूरोप में फिलहाल सबसे ज्यादा गुस्सा शरणार्थियों को लेकर ही है। लोगों का मानना है कि सरकार अपनी इमेज के लिए मुस्लिम देशों के रिफ्यूजियों को आने दे रही है। इससे उनपर टैक्स का भी बोझ बढ़ा, साथ ही हिंसा की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। फ्रांस में बीते साल हिंसा और जबर्दस्त आगजनी हुई, जिसके पीछे शरणार्थियों का हाथ माना गया। जर्मनी और स्कैंडिनेविया में भी कुछ पार्टियां ऐसे आरोप लगा रही हैं।

इतने बड़े आप्रवासन से यूरोप का सामाजिक संतुलन बिगड़ गया है और इस बात को धुर दक्षिणपंथी पार्टियों ने एक राजनीतिक मुद्दा बनाया है और यूरोपीय नागरिकों में एक तरह से डर पैदा किया है। लंबे समय से आप्रवासन, इस्लाम और यूरोपीय संघ का विरोध ही यूरोप की दक्षिणपंथी पार्टियों को एकजुट करता रहा है। अब नए कारण भी सामने आए हैं: सांस्कृतिक युद्ध, अल्पसंख्यक अधिकार, जलवायु संकट और अनुचित बलिदान, जिनके बारे में सरकारें जोर देती हैं कि इससे निपटने के लिए इनकी आवश्यकता होगी।

lucknow

Jun 18 2024, 16:19

एकेटीयू के नाम से यूनियन बैंक में खाता खुलवाकर 120 करोड़ की धोखाधड़ी करने वालों का भंडाफोड़, सात गिरफ्तार
लखनऊ । एकेटीयू की फर्जी मेल आईडी बनाकर मेल भेजने एवं एकेटीयू का फर्जी अथारिटी लेटर व केवाईसी प्रपत्र देकर अाधिकारिक संचालन कर्ता बनकर एकेटीयू के नाम से यूनियन बैं में खाता खुलवाकर 120 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वालों का साइबर क्राइम थाना लखनऊ ने भंडाफोड़ किया है। साथ ही सा धोखाधड़ी करने वाले साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी करते हुए 119 करोड़ रुपये की धनराशि संबंधित बैंक के खाते में वापस कराया गया है।

*120 करोड़ की ठगी की 12 जून को दर्ज कराई गई थी सूचना*

डीसीपी पूर्व ने बताया कि 12 जून को वादी बैंक प्रबंधक अनुज कुमार सक्सेना द्वारा  साइबर थाना को सूचना दी गई कि यूनियन बैंक की शाखा से सौ करोड़ या उससे ऊपर की एफडी के लिए आफर लेटर लेकर एकेटीयू से संपर्क करके एकेटीयू के खाते से बैंक के खाते में 120 करोड़ जमा करवाकर बैंक व एकेटीयू की फर्जी मेल आईडी आईडी बनाकर मेल भेजने एवं एकेटी0यू का फर्जी अथारिटी लेटर व केवाईसी प्रपत्र देकर साइबर अपराधी द्वारा खुद को आधिकारिक संचालनकर्ता बनाकर एकेटीयू  के नाम से बैंक खाता खुलवाकर चेक लेकर RTGS आदि के माध्यम से धनराशि स्थानान्तरित करवाकर 120 करोड़ रूपये की ठगी कर ली गयी ।

*खुलासे के लिए साइबर थाना प्रभारी के नेतृत्व में गठित की गई टीम*

जिस पर थाना स्थानीय पर अपराध संख्या- 87/2024 धारा 419/420/467/468/471/120 बी  भा0द0वि0 व 66 डी आईटी एक्ट पंजीकृत हुआ। उक्त अभियोग के अनावरण के लिए पुलिस आयुक्त लखनऊ, संयुक्त पुलिस उपायुक्त के निर्देशन में  पुलिस उपायुक्त (पूर्वी),अपर पुलिस उपायुक्त (पूर्वी), सहायक पुलिस आयुक्त गोमतीनगरके कुशल पर्यवेक्षण में साइबर क्राइम थाना लखनऊ प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में अभियुक्तो की गिरफ़्तारी एवं घटना के खुलासे के लिए टीम गठित की गयी।

*सात अभियुक्तों को गिरफ्तार करने में मिली सफलता*

प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में उनकी टीम द्वारा उच्च अधिकारीगण के निर्देशन पर सूचना तंत्र सक्रिय कर तकनीकी संसाधनों का प्रयोग कर अभियुक्तगणो को जनपद सूरत, अहमदाबाद, एवं लखनऊ से सात नफर अभियुक्त गिरफ्तार कर थाना साइबर क्राइम लखनऊ में सोमवार को दाखिल किया गया।  इसे दौरान विवेचना प्रकाश में आये बैंक खाते जिनमें अभियुक्तो द्वारा उपरोक्त धनराशि स्थानान्तरित की गयी थी तत्परता दिखाते हुये उन खातो को फ्रीज कराया गया एवं 119 करोड़ रूपये की धनराशि सम्बन्धित यूनियन बैंक के खाते में वापस करायी गयी ।

*यह रहा इनके अपराध करने का तरीका*

साइबर अपराधियों द्वारा यूनियन बैंक के ब्रान्च मैनेजर का फर्जी विजिटिंग कार्ड व फर्जी मेल आईडी बनाकर अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी की मेल आईडी एवं AKTU की फर्जी मेल आईडी बनाकर बैंक की मेल आईडी पर मेल भेजकर एकेटीयू जानकीपुरम लखनऊ के सरकारी फण्ड का एफडी कराने के नाम पर फर्जी व कूटरचित दस्तावेज तैयार करते हुये यूनियन बैंक शाखा विधानसभा मार्ग हजरतगंज लखनऊ  में एफडी एकाउन्ट ओपन कराकर एकेटीयू के फण्ड को उपरोक्त बैंक के पूल एकाउण्ट में 120 करोड़ रूपये की धनराशि स्थानान्तरित करा ली गयी, जिसमें से अभियुक्तो द्वारा आरटीजीएस के माध्यम से 100 करोड़ की धनराशि अन्य खातो में स्थानान्तरित कर ली गयी।

*इन अभियुक्तों को किया गया गिरफ्तार*

जोशी देवेन्द्र प्रसाद प्रभाशंकर पुत्र प्रभाशंकर निवासी- 1103 साई लेक्जीरिया नियर श्रीकर विद्या स्कूल अमरौली  सूरत गुजरात, पटेल उदय पुत्र हरशद भाई निवासी ए-22 भगवती फ्लैट बैजलपुर जीवराज पार्क अहमदाबाद, राजेश बाबू पुत्र मथुरा प्रसाद निवासी पानापुर खुर्द मलकादीन, हसनगंज थाना आशीवन जनपद उन्नाव, गिरीश चंद्र पुत्र सोमई राम निवासी 2/132 सेक्टर-बी मानसरोवर योजना कानपुर रोड एलडीए कालोनी बीकेटी लखनऊ, शैलेश कुमार रघुवंशी पुत्र हरिदास सिंह निवासी बी-329, सेक्टर नियर कारमेल चौराहा महानगर जनपद लखनऊ, दस्तगीर आलम पुत्र कबीर अहमद निवासी सरेसर ग्राम सलाबथ गढ, मुसाफिर खाना, जनपद अमेठी, कृष्णकान्त पुत्र हरिराम त्रिपाठी निवासी  जयपुरवा, पो- गाँधीनगर, अमहट जनपद बस्ती है।

*गिरफ्तारी करने वाली टीम*

प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव, साइबर क्राइम थाना लखनऊ, सर्विलांस सेल कार्यालय डीसीपी पूर्वी लखनऊ, उ.नि. रवि वर्मा, साइबर क्राइम थाना लखनऊ , मुख्य आरक्षी रिजवानुल्ला अंसारी, साइबर क्राइम थाना लखनऊ , मुख्य आरक्षी पदम सौरभ, साइबर क्राइम थाना लखनऊ, मुख्य आरक्षी विवेक सिंह साइबर क्राइम थाना लखनऊ , का. विवेक यादव, साइबर क्राइम थाना लखनऊ , का. धनीश यादव, साइबर क्राइम थाना लखनऊ , का. संजय कसौधन, साइबर क्राइम थाना लखनऊ , का. नवीन राय, साइबर क्राइम थाना लखनऊ शामिल रहे।