एलुमनी सीएमई एवं प्रेस्टीजियस ओरेशंस 2025 का भव्य आयोजन।

संजय द्विवेदी प्रयागराज। मेडिकल कॉलेज प्रयागराज के Alumni Welfare Association और सर्जरी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 11 अक्टूबर 2025 को Alumni CME एवं Prestigious Orations 2025 का भव्य आयोजन किया जाएगा।इस आयोजन में देश-विदेश के ख्यातिप्राप्त चिकित्सक शामिल होंगे और अपने अनुभव व शोध कार्यों से चिकित्सक समुदाय एवं आम जनता दोनों को लाभान्वित करेंगे।शाम को आयोजित Alumni Orations में चार प्रतिष्ठित स्मृति व्याख्यान होंगे—रिकॉर्डधारी नेत्र चिकित्सक एवं पूर्व प्राचार्य प्रो.(डॉ.)एस.पी. सिंह, प्रो.डी.बी.चंद्रा Oration में “Precision, Prediction and Perfection in Cataract Surgery”विषय पर चर्चा करेंगे।अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग में ट्रांसप्लांट सर्जरी के प्रमुख विशेषज्ञ प्रो.डॉ.अजय खन्ना प्रो. प्रीतम दास Oration में “Multi Organ Transplantation”विषय पर व्याख्यान देगे।प्रोफेसर खन्ना अमेरिका में एक साथ लिवर,पेनक्रियाज एवं किडनी का ट्रांसप्लांट करके रिकॉर्ड बना चुके है।सर्जन एसोसिएशन के अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रभारी एवं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.प्रोबाल नियोगी प्रो.आर.के. अग्रवाल Oration में “Vanishing Touch:The Erosion of Clinical Examination” विषय पर अपने विचार रखेंगे।प्रो. एस.आर.सिंह Oration में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मुंबई के वरिष्ठ सर्जन डॉ कुशल मित्तल Decoding Yourself विषय पर बोलेंगे।डॉ.ज्योति भूषण अध्यक्ष ने बताया कि यह कार्यक्रम कॉलेज की गौरव शाली परम्परा और चिकित्सा शिक्षा में उत्कृष्टता का प्रतीक होगा।डॉ. शरद जैन संयोजक ने कहा कि Alumni और वर्तमान विद्यार्थियों का यह संगम संस्थान की पहचान को और मजबूत करेगा।डॉ.मोहित जैन उप प्राचार्य ने कहा कि यह आयोजन छात्रों और युवा चिकित्सकों को नई दिशा देगा और उन्हें प्रख्यात सर्जनों से सीखने का अवसर मिलेगा।डॉ. बैजनाथ गुप्ता (कोषाध्यक्ष) ने कहा कि ऐसे आयोजन Alumni Welfare Association की सक्रियता और योगदान को और सशक्त बनाते हैं तथा यह सम्मेलन भविष्य के चिकित्सकों के लिए प्रेरणादायक साबित होगा।सचिव डॉ. पंकज कामरा एवं आयोजन सचिव डॉ.संतोष सिंह ने बताया कि इस बार Alumni Orations 2025 में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ शामिल होंगे जिनके व्याख्यान से चिकित्सक समुदाय ही नहीं बल्कि आम जनता भी आधुनिक चिकित्सा तकनीकों व उनके लाभों से परिचित होगी।सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ.वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारम्भ सुबह 9:00 बजे Surgeons’ Reunion 2025 से होगा, जिसमें विभाग से शिक्षा प्राप्त कर चुके पूर्व छात्र शामिल होंगे और अपने अनुभव व यादें साझा करेंगे।यह आयोजन पुरानी और नई पीढ़ियों के बीच सेतु का कार्य करेगा और विभागीय परम्परा को और भी समृद्ध बनाएगा।

हमें अमेरिका ने रोका...', मुंबई हमले पर चिदंबरम का बड़ा खुलासा

#mumbaiterrorattackformerunionhomeministerpchidambaram

26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बड़ा खुलासा किया है। पी चिदंबरम ने मंगलवार को माना कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका के दबाव और विदेश मंत्रालय के रुख के कारण पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने माना कि वह बदला लेना चाहते थे, लेकिन सरकार ने युद्ध जैसे कदम से बचने का निर्णय किया।

पी चिदंबरम ने एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, पूरी दुनिया दिल्ली पर उतर आई थी और हमें ‘युद्ध शुरू न करने’ को कह रही थी। हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘उस समय अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस रहीं, मुझसे और प्रधानमंत्री से मिलने के लिए मुंबई अटैक के दो या तीन दिन बाद आईं। उन्होंने कहा, ‘कृपया जवाबी कार्रवाई न करें’। राइस ने साफ तौर पर कहा कि भारत को कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। इस पर मैंने कहा कि यह सरकार का निर्णय होगा। बिना कोई सरकारी गोपनीयता तोड़े मैं मानता हूं कि मेरे दिमाग में कुछ बदले की कार्रवाई का विचार आया था।

आतंकवादी हमलों के कुछ दिन बाद चिदंबरम बने गृह मंत्री

पी. चिदंबरम ने 166 लोगों की जान लेने वाले आतंकवादी हमलों के कुछ ही दिनों बाद केंद्रीय गृह मंत्री का पदभार संभाला था। चिदंबरम ने कहा, मैं गृहमंत्री उस दिन बना जब आतंकवादियों को मार दिया गया था। आखिरी आतंकवादी को 30 नवंबर को मार दिया गया था। मुझे लगता है कि वह रविवार का दिन था, जब मुझे प्रधानमंत्री ने बुलाया। मुझे कहा गया कि आपको वित्त से गृह मंत्रालय भेजा जा रहा है, लेकिन मैं इसके लिए तैयार नहीं था। उन्होंने कहा कि हम फैसला कर चुके हैं।

सीधे प्रतिक्रिया के बदले कूटनीतिक तरीका अपनाने की सलाह

चिदंबरम ने कहा, मुझे सुरक्षा बलों की तैयारी की जानकारी नहीं थी. मुझे हमारी खुफिया एजेंसियों की तैयारियों की कोई जानकारी नहीं थी। मुझे खुफिया एजेंसियों द्वारा पाकिस्तान और पड़ोस में बनाए गए संसाधनों की कोई जानकारी नहीं थी। उस वक्त मेरे मन में आया कि बदला लेना चाहिए। मैंने प्रधानमंत्री और बाकी अहम लोगों से इस मामले पर चर्चा की थी, लेकिन निष्कर्ष काफी हद तक गृहमंत्रालय और विदेश मंत्रालय से प्रभावित था कि हमें स्थिति पर सीधे प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, इसकी जगह कूटनीतिक तरीका अपनाना चाहिए।

क्या है मुंबई अटैक

दरअसल, 26 नवंबर 2008 को मुंबई अटैक हुआ। पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने मुंबई शहर को एक तरह से बंधक बना लिया और शहर के जगहों मसलन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट, ताजमहल पैलेस एंड टावर होटल, लियोपोल्ड कैफे, कामा हॉस्पिटल और नरीमन हाउस पर हमले किए। 29 नवंबर तक चले इस हमले में 166 लोग मारे गए, जिनमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे। सुरक्षा बलों ने नौ आतंकवादियों को मार गिराया, जबकि एकमात्र जिंदा आतंकी अजमल कसाब को 2012 में फांसी दी गई। इस हमले के बाद तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने सुरक्षा चूक की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पी चिदंबरम को वित्त मंत्रालय से गृह मंत्रालय में ट्रांसफर किया गया।

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अब बांग्लादेश की बारी, गंगा संधि की समीक्षा की तैयारी मे मोदी सरकार, पड़ोसी देश पर डाला दबाव

#uniongovtpressesbangladeshonreviewofgangatreaty

भारत को पड़ोसी देश उसे आंखे दिखाने से बाज नहीं आ रहे। ऐसे में भारत सरकार ने भी इनपर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। हाल ही में जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु समझौते को निलंबित कर दिया है। अब मोदी सरकार ने बांग्लादेश के साथ गंगा नदी जल संधि पर फिर से बातचीत करने का फैसला किया है।

बांग्लादेश को पहुंचाया संदेश

भारत ने बांग्लादेश के साथ भी गंगा जल संधि पर फिर दोबारा विचार शुरू कर दिया है। बांग्लादेश के साथ गंगा नदी जल संधि की मियाद अगले साल ही पूरी होने वाली है। ऐसे में भारत ने अभी से बांग्लादेश को यह संदेश पहुंचा दिया है कि उसे अपनी जरूरत पूरा करने लिए और पानी चाहिए। भारत ने अपने समकक्ष को बताया है कि उसे अपनी विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता है।

छोटी अवधी के लिए हो सकती है नई संधि

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अगर संधि बढ़ी भी तो पहली जितनी लंबी अवधि के लिए नहीं होगी। नई संधि संभवतः छोटी अवधि की होगी, जो 10 से 15 वर्ष तक चलेगी। छोटी अवधि दोनों देशों के लिए आगे बढ़ने में लचीलापन और अनुकूलनशीलता को बढ़ावा देगी।

बता दें कि गंगा जल संधि पर 12 दिसम्बर 1996 को हस्ताक्षर किये गये थे, जिसमें जल बंटवारे, विशेष रूप से कम वर्षा वाले मौसम में फरक्का बैराज के आसपास जल बंटवारे पर जोर दिया गया था।

पहलगाम हमले के बाद स्थिति बदली

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि पहले सरकार गंगा जल संधि को पहले की तरह 30 साल के लिए बढ़ाना चाहती थी। लेकिन, पहलगाम की घटना के बाद स्थिति बदल गई। मई में बांग्लादेश के अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई थी। अधिकारी ने कहा कि यह एक सामान्य बैठक थी, जो साल में दो बार होती है। इस बैठक में भारत ने अपने लिए पानी की जरूरत के बारे में बताया।

कैसे होता है गंगा जल संधि के तहत पानी का बंटवारा

1996 की गंगा जल संधि के अनुसार अगर फरक्का में पानी की उपलब्धता 70,000 क्यूसेक या उससे कम रहती है, तो दोनों देशों को आधा-आधा पानी मिलता है। लेकिन, अगर यह उपलब्धता 70,000 क्यूसेक से 75,000 क्यूसेक के बीच होता है तो बांग्लादेश को 35,000 क्यूसेक और भारत को बाकी हिस्सा मिलता है। लेकिन, अगर पानी की उपलब्धता 75,000 क्यूसेक या उससे भी ज्यादा होता है तो भारत उसका 40,000 क्यूसेक हिस्सा इस्तेमाल कर सकता है और बाकी प्रवाह बांग्लादेश को जाता है

केन्द्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तमिलनाडु, फंड रोकने के आरोप में स्टालिन सरकार ने दायर कराई अर्जी

#tamilnadugovtpetitioninscagainstuniongovt

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार और तमिलनाडु की एम के स्टालिन सरकार आमने-सामने हैं। इस बीच तमिलनाडु ने एनईपी 2020 और पीएम श्री स्कूल योजना को लागू न करने को लेकर समग्र शिक्षा योजना (एसएसएस) के तहत धनराशि रोके रखने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया है।

अनुदान का भुगतान करने का निर्देश देने की अपील

तमिलनाडु सरकार की ओर से केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में 2 हजार 299 करोड़ 30 लाख 24 हजार 769 रुपये की रिकवरी की अपील की गई है। साथ ही मूल राशि पर 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान की मांग की गयी है। सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने गुहार लगाई है कि प्रतिवादी को अपने निर्देशों का पालन और निष्पादन जारी रखने का निर्देश दिया जाना चाहिए। वादी को राज्य अनुदान की सहायता का भुगतान करने के वैधानिक दायित्व का निर्वहन करना चाहिए। केंद्र सरकार को योजना व्यय का 60% हिस्सा शैक्षणिक वर्ष के प्रारंभ से पहले भुगतान करना होगा।

एनईपी लागू करने के लिए बलपूर्वक बाध्य करने का आरोप

तमिलनाडु ने कहा कि केंद्र सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए दिए जाने वाले फंड को रोककर राज्य को तीन भाषा फॉर्मूला अपनाने के लिए बलपूर्वक बाध्य नहीं कर सकती। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार पर संघवाद का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा है कि समग्र शिक्षा योजना और पीएम श्री स्कूल योजनाओं को आपस में नहीं जोड़ा जा सकता ऐसा करना संघवाद का उल्लंघन है।

संसद में वक्फ बिल पेश करने की प्रक्रिया शुरू, रिजिजू बोले-कल तारीख बता देंगे

#union_minister_kiren_rijiju_on_waqf_amendment_bill

वक्फ संशोधन विधेयक कब आएगा इसे लेकर चर्चा का दौर जारी है। इस बीच केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि संसद में वक्फ बिल पेश करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। बिल पर संसद के बाहर खूब विचार-विमर्श हुए हैं। हमें सदन में बहस और चर्चा में भी जरूर भाग लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार विधेयक के प्रावधानों से जुड़े हर सवाल का जवाब देने को तैयार है।

अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मेरी सभी से अपील है कि जब हम संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करने की तैयारी कर रहे हैं, तो हमें सदन में बहस और चर्चा में हिस्सा लेना चाहिए। संसद के बाहर, रिकॉर्ड संख्या में परामर्श और विचार-विमर्श हुए हैं।

किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि जेपीसी ने लोकतांत्रिक भारत के इतिहास में अब तक की सबसे व्यापक परामर्श प्रक्रिया और सर्वोच्च प्रतिनिधित्व का रिकॉर्ड बनाया है। अब जबकि विधेयक तैयार है, मैं सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध करना चाहूंगा कि वे इसमें भाग लें और संसद के पटल पर अपने विचार रखें।

किरेन रिजिजू ने कहा कृपया इस मामले को लेकर लोगों को गुमराह न करें। उन्होंने कहा कि भोले-भाले मुसलमानों को यह कहकर गुमराह किया जा रहा है कि सरकार मुसलमानों की संपत्ति और अधिकार छीनने जा रही है। उन्होंने कहा कि हम कल तारीख बता देंगे की वक्फ बिल कब ला रहे। सरकार की तैयारी पूरी है।

गृह मंत्री अमित शाह ने 29 मार्च को एक निजी चैनल से बातचीत में इसी सत्र (बजट सत्र) में वक्फ बिल संसद में पेश करने की बात कही थी। शाह ने कहा था कि इस बिल से किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है।

माना जा रहा है कि वक्फ संशोधन बिल को 2 अप्रैल को संसद में पेश किया जा सकता है। सरकार पहले लोकसभा में बिल पेश करेगी। सत्र 4 अप्रैल तक चलेगा।

इससे पहले आज ही केरल के कैथोलिक बिशप्स काउंसिल (केसीबीसी) ने राज्य के सांसदों से केंद्र सरकार के इस विधेयक का समर्थन करने की अपील की। इस पत्र को अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर साझा करते हुए रिजिजू ने कहा, खुद अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य होने के नाते वे इस अपील का स्वागत करते हैं। बता दें कि केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री रिजिजू बौद्ध धर्म के मानने वाले हैं। खुद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने भी उनकी इस पहचान को रेखांकित कर इसे भारत के लिए गौरवशाली तथ्य बताया था।

No Student Union Elections for Five Years at TMBU, Leaving Students Without Leadership

No Student Union Elections for Five Years at TMBU, Leaving Students Without Leadership

Correspondent, Bhagalpur, Bihar

Students at Tilka Manjhi Bhagalpur University (TMBU) are facing numerous challenges. However, the university remains unaware of these issues because there is no representative to voice the students' concerns. The primary reason for this is that no student union elections have been held for the past five years.

TMBU student Hrishikesh Prakash stated that the absence of student union elections over the last five years has left students without proper representation. This situation has arisen due to internal conflicts among university officials. Although various student organizations continuously demand elections, no concrete steps have been taken in this regard.

It is noteworthy that student union elections were held in 2018 and 2019 during the tenure of former DSW Professor Yogendra. The student union plays a crucial role in university governance, as its members are also included in bodies like the Senate, Syndicate, and Academic Council. This ensures that students' concerns are effectively raised in important university meetings, ultimately benefiting them.

Students will now have elected representatives only in the upcoming academic session. Only after that will they have representation in the Senate and Syndicate.

Bhagalpur University student Hrishikesh Prakash has met with the university administration, urging them to conduct elections at the earliest to resolve students' issues as soon as

possible.

महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री रक्षा खडसे की बेटी से छेड़छाड़, एक आरोपी गिरफ्तार

#union_minister_raksha_khadse_daughter_harassed

महाराष्ट्र के जलगांव में केंद्रीय खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे की बेटी के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। जलगांव के मुक्ताई नगर इलाके में एक मेले के दौरान कुछ लड़कों ने केंद्रीय मंत्री की बेटी और उसकी सहेलियों से छेड़खानी की। मामले की शिकायत खुद मंत्री रक्षा खडसे ने मुक्ताई नगर थाने में की है। खडसे पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में खेल राज्य मंत्री के कई अन्य विभाग संभाल रही हैं।

रक्षा खडसे की बेटी से कथित छेड़छाड़ मामले में एक आरोपी के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। जलगांव पुलिस ने रविवार को यह बड़ा खुलासा किया। मुक्ताईनगर के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) कृष्णत पिंगले ने बताया कि मामले में सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिनमें से एक को पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है। उनमें से एक के खिलाफ पहले भी चार मामले दर्ज हैं।

यह घटना संत मुक्ताई यात्रा के दौरान हुई। जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री की बेटी और उसकी सहेली सुरक्षा गार्ड के साथ कोथली गांव में शोभा यात्रा देखने गई थी। उसी समय सुरक्षा गार्ड को कुछ युवकों द्वारा वीडियो बनाने का शक हुआ। सुरक्षा गार्ड ने इस शक के आधार पर युवक के हाथ से मोबाइल फोन जब्त कर लिया और उसकी जांच की। सूत्रों का कहना है कि इस घटना से चारों युवक नाराज हो गए और सुरक्षा गार्ड से भिड़ गए। आरोपियों की गिरफ्तारी हो, इसलिए रक्षा खड़से पुलिस स्टेशन पहुंच गई हैं। आरोप है कि कुछ बदमाशों ने छेड़छाड़ की।

इस पूरे मामले में खडसे ने कहा कि मैं केंद्रीय मंत्री के तौर पर नहीं एक मां के तौर पर पुलिस स्टेशन गई थी। परसों रात मेरी बेटी और उसकी सहेलियों के साथ जो घटना हुई, वह निंदनीय है। ऐसी कई माताएं होंगी जो इससे पीड़ित हैं। उन्हें पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज करानी चाहिए। मेरी बेटी और उसकी सहेलियां महाशिवरात्रि के मेले में गई थीं, जहां कुछ लोगों ने उनके साथ छेड़छाड़ की। उन्होंने पुलिस गार्ड के साथ भी बदसलूकी की। पुलिसकर्मी की मौजूदगी में भी उनकी इतनी हिम्मत थी कि वे छेड़छाड़ कर रहे थे और वीडियो बना रहे थे। यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और इसीलिए मैंने एफआईआर दर्ज कराई है। 30-40 लोग एकत्रित हुए और पुलिस के साथ बदतमीजी करने लगे। वे किसी भी घर में घुस सकते हैं और जो चाहें कर सकते हैं। मैंने पुलिस को सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

ट्रंप की धमकियों के बाद बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच दिल्ली पहुंचीं यूरोपीय संघ की प्रमुख, भारत को बताया भरोसेमंद देश

#indiaandeuropeanunionleadershipmeetingursulavonderleyenarrivedindelhi

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्‍ट्रपति बनने के बाद जिस तेजी से दुनिया बदली है, यूरोप खुद को अलग-थलग पा रहा है। ऐसे समय में वैश्विक व्यापार और कूटनीति में अस्थिरता देखी जा रही है। ऐसे में यूरोप अब भारत की ओर उम्मीदों की निगाह से देख रहा है। इसी उम्मीद के साथ यूरोपीय संघ (ईयू) की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन गुरुवार को भारत पहुंचीं। भारत आने के बाद यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला ने एक्स पर लिखा कि संघर्ष और कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर में भरोसेमंद मित्रों की जरूरत होती है और यूरोप के लिए भारत एक ऐसा ही मित्र और रणनीतिक सहयोगी है।

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन दो दिवसीय भारत दौरे पर गुरुवार को दिल्ली पहुंचीं। दिल्ली हवाई अड्डे पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने उनका स्वागत किया। दिल्ली पहुंचने के बाद लिएन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा की।

नई दिल्ली पहुंचने के बाद उर्सुला लेयेन ने साफ किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बीच यूरोप को भारत में एक भरोसेमंद मित्र नजर आ रहा है। उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने लिखा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस बात पर चर्चा करूंगी कि हमारी रणनीतिक साझेदारी को अगले स्तर पर कैसे ले जाया जाए।

भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते पर होगी बात

लिएन कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ व्यापक बातचीत करेंगी। इस मुलाकात में दोनों नेता महत्वाकांक्षी भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए जारी बातचीत का जायजा लेंगे। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, वॉन डेर लेयेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच शुक्रवार को होने वाली व्यापक वार्ता में लंबे समय से प्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मजबूत करने और रक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दोनों पक्ष रूस-यूक्रेन संघर्ष, भारत-प्रशांत की स्थिति और पश्चिम एशिया के घटनाक्रम पर भी विचार-विमर्श कर सकते हैं। मोदी और ईयू प्रतिनिधियों की वार्ता के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी होने की भी उम्मीद है।

ट्रंप ने ईयू को चेतावनी दी

बता दें कि ट्रंप ने हाल में यूरोपीय संघ से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी देते हुए कहा था कि ईयू की गठन ही अमेरिका को परेशान करने के लिए किया गया था। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप यूक्रेन-रूस युद्ध में यूरोपीय देशों की मदद करने की अमेरिकी नीति को पूरी तरह से बदलते हुए अब रूस के साथ खड़े होते दिख रहे हैं।

यूरोपीय संघ भारत के साथ संबंधों को महत्व दे रहा

यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट उर्सला वोन डेर लेयेन के साथ यूरोपीय आयोग के 22 देशों के आयुक्त भी भारत आ रहे हैं। यह पहला मौका है, जब 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के इतने सारे देशों के आयुक्त एक साथ किसी देश की यात्रा पर हैं। इससे यह पता चलता है कि यूरोपीय संघ भारत के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व दे रहा है।

एलुमनी सीएमई एवं प्रेस्टीजियस ओरेशंस 2025 का भव्य आयोजन।

संजय द्विवेदी प्रयागराज। मेडिकल कॉलेज प्रयागराज के Alumni Welfare Association और सर्जरी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 11 अक्टूबर 2025 को Alumni CME एवं Prestigious Orations 2025 का भव्य आयोजन किया जाएगा।इस आयोजन में देश-विदेश के ख्यातिप्राप्त चिकित्सक शामिल होंगे और अपने अनुभव व शोध कार्यों से चिकित्सक समुदाय एवं आम जनता दोनों को लाभान्वित करेंगे।शाम को आयोजित Alumni Orations में चार प्रतिष्ठित स्मृति व्याख्यान होंगे—रिकॉर्डधारी नेत्र चिकित्सक एवं पूर्व प्राचार्य प्रो.(डॉ.)एस.पी. सिंह, प्रो.डी.बी.चंद्रा Oration में “Precision, Prediction and Perfection in Cataract Surgery”विषय पर चर्चा करेंगे।अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग में ट्रांसप्लांट सर्जरी के प्रमुख विशेषज्ञ प्रो.डॉ.अजय खन्ना प्रो. प्रीतम दास Oration में “Multi Organ Transplantation”विषय पर व्याख्यान देगे।प्रोफेसर खन्ना अमेरिका में एक साथ लिवर,पेनक्रियाज एवं किडनी का ट्रांसप्लांट करके रिकॉर्ड बना चुके है।सर्जन एसोसिएशन के अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रभारी एवं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.प्रोबाल नियोगी प्रो.आर.के. अग्रवाल Oration में “Vanishing Touch:The Erosion of Clinical Examination” विषय पर अपने विचार रखेंगे।प्रो. एस.आर.सिंह Oration में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मुंबई के वरिष्ठ सर्जन डॉ कुशल मित्तल Decoding Yourself विषय पर बोलेंगे।डॉ.ज्योति भूषण अध्यक्ष ने बताया कि यह कार्यक्रम कॉलेज की गौरव शाली परम्परा और चिकित्सा शिक्षा में उत्कृष्टता का प्रतीक होगा।डॉ. शरद जैन संयोजक ने कहा कि Alumni और वर्तमान विद्यार्थियों का यह संगम संस्थान की पहचान को और मजबूत करेगा।डॉ.मोहित जैन उप प्राचार्य ने कहा कि यह आयोजन छात्रों और युवा चिकित्सकों को नई दिशा देगा और उन्हें प्रख्यात सर्जनों से सीखने का अवसर मिलेगा।डॉ. बैजनाथ गुप्ता (कोषाध्यक्ष) ने कहा कि ऐसे आयोजन Alumni Welfare Association की सक्रियता और योगदान को और सशक्त बनाते हैं तथा यह सम्मेलन भविष्य के चिकित्सकों के लिए प्रेरणादायक साबित होगा।सचिव डॉ. पंकज कामरा एवं आयोजन सचिव डॉ.संतोष सिंह ने बताया कि इस बार Alumni Orations 2025 में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ शामिल होंगे जिनके व्याख्यान से चिकित्सक समुदाय ही नहीं बल्कि आम जनता भी आधुनिक चिकित्सा तकनीकों व उनके लाभों से परिचित होगी।सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ.वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारम्भ सुबह 9:00 बजे Surgeons’ Reunion 2025 से होगा, जिसमें विभाग से शिक्षा प्राप्त कर चुके पूर्व छात्र शामिल होंगे और अपने अनुभव व यादें साझा करेंगे।यह आयोजन पुरानी और नई पीढ़ियों के बीच सेतु का कार्य करेगा और विभागीय परम्परा को और भी समृद्ध बनाएगा।

हमें अमेरिका ने रोका...', मुंबई हमले पर चिदंबरम का बड़ा खुलासा

#mumbaiterrorattackformerunionhomeministerpchidambaram

26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बड़ा खुलासा किया है। पी चिदंबरम ने मंगलवार को माना कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका के दबाव और विदेश मंत्रालय के रुख के कारण पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने माना कि वह बदला लेना चाहते थे, लेकिन सरकार ने युद्ध जैसे कदम से बचने का निर्णय किया।

पी चिदंबरम ने एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, पूरी दुनिया दिल्ली पर उतर आई थी और हमें ‘युद्ध शुरू न करने’ को कह रही थी। हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘उस समय अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस रहीं, मुझसे और प्रधानमंत्री से मिलने के लिए मुंबई अटैक के दो या तीन दिन बाद आईं। उन्होंने कहा, ‘कृपया जवाबी कार्रवाई न करें’। राइस ने साफ तौर पर कहा कि भारत को कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। इस पर मैंने कहा कि यह सरकार का निर्णय होगा। बिना कोई सरकारी गोपनीयता तोड़े मैं मानता हूं कि मेरे दिमाग में कुछ बदले की कार्रवाई का विचार आया था।

आतंकवादी हमलों के कुछ दिन बाद चिदंबरम बने गृह मंत्री

पी. चिदंबरम ने 166 लोगों की जान लेने वाले आतंकवादी हमलों के कुछ ही दिनों बाद केंद्रीय गृह मंत्री का पदभार संभाला था। चिदंबरम ने कहा, मैं गृहमंत्री उस दिन बना जब आतंकवादियों को मार दिया गया था। आखिरी आतंकवादी को 30 नवंबर को मार दिया गया था। मुझे लगता है कि वह रविवार का दिन था, जब मुझे प्रधानमंत्री ने बुलाया। मुझे कहा गया कि आपको वित्त से गृह मंत्रालय भेजा जा रहा है, लेकिन मैं इसके लिए तैयार नहीं था। उन्होंने कहा कि हम फैसला कर चुके हैं।

सीधे प्रतिक्रिया के बदले कूटनीतिक तरीका अपनाने की सलाह

चिदंबरम ने कहा, मुझे सुरक्षा बलों की तैयारी की जानकारी नहीं थी. मुझे हमारी खुफिया एजेंसियों की तैयारियों की कोई जानकारी नहीं थी। मुझे खुफिया एजेंसियों द्वारा पाकिस्तान और पड़ोस में बनाए गए संसाधनों की कोई जानकारी नहीं थी। उस वक्त मेरे मन में आया कि बदला लेना चाहिए। मैंने प्रधानमंत्री और बाकी अहम लोगों से इस मामले पर चर्चा की थी, लेकिन निष्कर्ष काफी हद तक गृहमंत्रालय और विदेश मंत्रालय से प्रभावित था कि हमें स्थिति पर सीधे प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, इसकी जगह कूटनीतिक तरीका अपनाना चाहिए।

क्या है मुंबई अटैक

दरअसल, 26 नवंबर 2008 को मुंबई अटैक हुआ। पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने मुंबई शहर को एक तरह से बंधक बना लिया और शहर के जगहों मसलन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट, ताजमहल पैलेस एंड टावर होटल, लियोपोल्ड कैफे, कामा हॉस्पिटल और नरीमन हाउस पर हमले किए। 29 नवंबर तक चले इस हमले में 166 लोग मारे गए, जिनमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे। सुरक्षा बलों ने नौ आतंकवादियों को मार गिराया, जबकि एकमात्र जिंदा आतंकी अजमल कसाब को 2012 में फांसी दी गई। इस हमले के बाद तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने सुरक्षा चूक की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पी चिदंबरम को वित्त मंत्रालय से गृह मंत्रालय में ट्रांसफर किया गया।

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अब बांग्लादेश की बारी, गंगा संधि की समीक्षा की तैयारी मे मोदी सरकार, पड़ोसी देश पर डाला दबाव

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भारत को पड़ोसी देश उसे आंखे दिखाने से बाज नहीं आ रहे। ऐसे में भारत सरकार ने भी इनपर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। हाल ही में जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु समझौते को निलंबित कर दिया है। अब मोदी सरकार ने बांग्लादेश के साथ गंगा नदी जल संधि पर फिर से बातचीत करने का फैसला किया है।

बांग्लादेश को पहुंचाया संदेश

भारत ने बांग्लादेश के साथ भी गंगा जल संधि पर फिर दोबारा विचार शुरू कर दिया है। बांग्लादेश के साथ गंगा नदी जल संधि की मियाद अगले साल ही पूरी होने वाली है। ऐसे में भारत ने अभी से बांग्लादेश को यह संदेश पहुंचा दिया है कि उसे अपनी जरूरत पूरा करने लिए और पानी चाहिए। भारत ने अपने समकक्ष को बताया है कि उसे अपनी विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता है।

छोटी अवधी के लिए हो सकती है नई संधि

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अगर संधि बढ़ी भी तो पहली जितनी लंबी अवधि के लिए नहीं होगी। नई संधि संभवतः छोटी अवधि की होगी, जो 10 से 15 वर्ष तक चलेगी। छोटी अवधि दोनों देशों के लिए आगे बढ़ने में लचीलापन और अनुकूलनशीलता को बढ़ावा देगी।

बता दें कि गंगा जल संधि पर 12 दिसम्बर 1996 को हस्ताक्षर किये गये थे, जिसमें जल बंटवारे, विशेष रूप से कम वर्षा वाले मौसम में फरक्का बैराज के आसपास जल बंटवारे पर जोर दिया गया था।

पहलगाम हमले के बाद स्थिति बदली

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि पहले सरकार गंगा जल संधि को पहले की तरह 30 साल के लिए बढ़ाना चाहती थी। लेकिन, पहलगाम की घटना के बाद स्थिति बदल गई। मई में बांग्लादेश के अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई थी। अधिकारी ने कहा कि यह एक सामान्य बैठक थी, जो साल में दो बार होती है। इस बैठक में भारत ने अपने लिए पानी की जरूरत के बारे में बताया।

कैसे होता है गंगा जल संधि के तहत पानी का बंटवारा

1996 की गंगा जल संधि के अनुसार अगर फरक्का में पानी की उपलब्धता 70,000 क्यूसेक या उससे कम रहती है, तो दोनों देशों को आधा-आधा पानी मिलता है। लेकिन, अगर यह उपलब्धता 70,000 क्यूसेक से 75,000 क्यूसेक के बीच होता है तो बांग्लादेश को 35,000 क्यूसेक और भारत को बाकी हिस्सा मिलता है। लेकिन, अगर पानी की उपलब्धता 75,000 क्यूसेक या उससे भी ज्यादा होता है तो भारत उसका 40,000 क्यूसेक हिस्सा इस्तेमाल कर सकता है और बाकी प्रवाह बांग्लादेश को जाता है

केन्द्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तमिलनाडु, फंड रोकने के आरोप में स्टालिन सरकार ने दायर कराई अर्जी

#tamilnadugovtpetitioninscagainstuniongovt

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार और तमिलनाडु की एम के स्टालिन सरकार आमने-सामने हैं। इस बीच तमिलनाडु ने एनईपी 2020 और पीएम श्री स्कूल योजना को लागू न करने को लेकर समग्र शिक्षा योजना (एसएसएस) के तहत धनराशि रोके रखने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया है।

अनुदान का भुगतान करने का निर्देश देने की अपील

तमिलनाडु सरकार की ओर से केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में 2 हजार 299 करोड़ 30 लाख 24 हजार 769 रुपये की रिकवरी की अपील की गई है। साथ ही मूल राशि पर 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान की मांग की गयी है। सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने गुहार लगाई है कि प्रतिवादी को अपने निर्देशों का पालन और निष्पादन जारी रखने का निर्देश दिया जाना चाहिए। वादी को राज्य अनुदान की सहायता का भुगतान करने के वैधानिक दायित्व का निर्वहन करना चाहिए। केंद्र सरकार को योजना व्यय का 60% हिस्सा शैक्षणिक वर्ष के प्रारंभ से पहले भुगतान करना होगा।

एनईपी लागू करने के लिए बलपूर्वक बाध्य करने का आरोप

तमिलनाडु ने कहा कि केंद्र सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए दिए जाने वाले फंड को रोककर राज्य को तीन भाषा फॉर्मूला अपनाने के लिए बलपूर्वक बाध्य नहीं कर सकती। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार पर संघवाद का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा है कि समग्र शिक्षा योजना और पीएम श्री स्कूल योजनाओं को आपस में नहीं जोड़ा जा सकता ऐसा करना संघवाद का उल्लंघन है।

संसद में वक्फ बिल पेश करने की प्रक्रिया शुरू, रिजिजू बोले-कल तारीख बता देंगे

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वक्फ संशोधन विधेयक कब आएगा इसे लेकर चर्चा का दौर जारी है। इस बीच केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि संसद में वक्फ बिल पेश करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। बिल पर संसद के बाहर खूब विचार-विमर्श हुए हैं। हमें सदन में बहस और चर्चा में भी जरूर भाग लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार विधेयक के प्रावधानों से जुड़े हर सवाल का जवाब देने को तैयार है।

अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मेरी सभी से अपील है कि जब हम संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करने की तैयारी कर रहे हैं, तो हमें सदन में बहस और चर्चा में हिस्सा लेना चाहिए। संसद के बाहर, रिकॉर्ड संख्या में परामर्श और विचार-विमर्श हुए हैं।

किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि जेपीसी ने लोकतांत्रिक भारत के इतिहास में अब तक की सबसे व्यापक परामर्श प्रक्रिया और सर्वोच्च प्रतिनिधित्व का रिकॉर्ड बनाया है। अब जबकि विधेयक तैयार है, मैं सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध करना चाहूंगा कि वे इसमें भाग लें और संसद के पटल पर अपने विचार रखें।

किरेन रिजिजू ने कहा कृपया इस मामले को लेकर लोगों को गुमराह न करें। उन्होंने कहा कि भोले-भाले मुसलमानों को यह कहकर गुमराह किया जा रहा है कि सरकार मुसलमानों की संपत्ति और अधिकार छीनने जा रही है। उन्होंने कहा कि हम कल तारीख बता देंगे की वक्फ बिल कब ला रहे। सरकार की तैयारी पूरी है।

गृह मंत्री अमित शाह ने 29 मार्च को एक निजी चैनल से बातचीत में इसी सत्र (बजट सत्र) में वक्फ बिल संसद में पेश करने की बात कही थी। शाह ने कहा था कि इस बिल से किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है।

माना जा रहा है कि वक्फ संशोधन बिल को 2 अप्रैल को संसद में पेश किया जा सकता है। सरकार पहले लोकसभा में बिल पेश करेगी। सत्र 4 अप्रैल तक चलेगा।

इससे पहले आज ही केरल के कैथोलिक बिशप्स काउंसिल (केसीबीसी) ने राज्य के सांसदों से केंद्र सरकार के इस विधेयक का समर्थन करने की अपील की। इस पत्र को अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर साझा करते हुए रिजिजू ने कहा, खुद अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य होने के नाते वे इस अपील का स्वागत करते हैं। बता दें कि केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री रिजिजू बौद्ध धर्म के मानने वाले हैं। खुद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने भी उनकी इस पहचान को रेखांकित कर इसे भारत के लिए गौरवशाली तथ्य बताया था।

No Student Union Elections for Five Years at TMBU, Leaving Students Without Leadership

No Student Union Elections for Five Years at TMBU, Leaving Students Without Leadership

Correspondent, Bhagalpur, Bihar

Students at Tilka Manjhi Bhagalpur University (TMBU) are facing numerous challenges. However, the university remains unaware of these issues because there is no representative to voice the students' concerns. The primary reason for this is that no student union elections have been held for the past five years.

TMBU student Hrishikesh Prakash stated that the absence of student union elections over the last five years has left students without proper representation. This situation has arisen due to internal conflicts among university officials. Although various student organizations continuously demand elections, no concrete steps have been taken in this regard.

It is noteworthy that student union elections were held in 2018 and 2019 during the tenure of former DSW Professor Yogendra. The student union plays a crucial role in university governance, as its members are also included in bodies like the Senate, Syndicate, and Academic Council. This ensures that students' concerns are effectively raised in important university meetings, ultimately benefiting them.

Students will now have elected representatives only in the upcoming academic session. Only after that will they have representation in the Senate and Syndicate.

Bhagalpur University student Hrishikesh Prakash has met with the university administration, urging them to conduct elections at the earliest to resolve students' issues as soon as

possible.

महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री रक्षा खडसे की बेटी से छेड़छाड़, एक आरोपी गिरफ्तार

#union_minister_raksha_khadse_daughter_harassed

महाराष्ट्र के जलगांव में केंद्रीय खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे की बेटी के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। जलगांव के मुक्ताई नगर इलाके में एक मेले के दौरान कुछ लड़कों ने केंद्रीय मंत्री की बेटी और उसकी सहेलियों से छेड़खानी की। मामले की शिकायत खुद मंत्री रक्षा खडसे ने मुक्ताई नगर थाने में की है। खडसे पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में खेल राज्य मंत्री के कई अन्य विभाग संभाल रही हैं।

रक्षा खडसे की बेटी से कथित छेड़छाड़ मामले में एक आरोपी के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। जलगांव पुलिस ने रविवार को यह बड़ा खुलासा किया। मुक्ताईनगर के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) कृष्णत पिंगले ने बताया कि मामले में सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिनमें से एक को पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है। उनमें से एक के खिलाफ पहले भी चार मामले दर्ज हैं।

यह घटना संत मुक्ताई यात्रा के दौरान हुई। जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री की बेटी और उसकी सहेली सुरक्षा गार्ड के साथ कोथली गांव में शोभा यात्रा देखने गई थी। उसी समय सुरक्षा गार्ड को कुछ युवकों द्वारा वीडियो बनाने का शक हुआ। सुरक्षा गार्ड ने इस शक के आधार पर युवक के हाथ से मोबाइल फोन जब्त कर लिया और उसकी जांच की। सूत्रों का कहना है कि इस घटना से चारों युवक नाराज हो गए और सुरक्षा गार्ड से भिड़ गए। आरोपियों की गिरफ्तारी हो, इसलिए रक्षा खड़से पुलिस स्टेशन पहुंच गई हैं। आरोप है कि कुछ बदमाशों ने छेड़छाड़ की।

इस पूरे मामले में खडसे ने कहा कि मैं केंद्रीय मंत्री के तौर पर नहीं एक मां के तौर पर पुलिस स्टेशन गई थी। परसों रात मेरी बेटी और उसकी सहेलियों के साथ जो घटना हुई, वह निंदनीय है। ऐसी कई माताएं होंगी जो इससे पीड़ित हैं। उन्हें पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज करानी चाहिए। मेरी बेटी और उसकी सहेलियां महाशिवरात्रि के मेले में गई थीं, जहां कुछ लोगों ने उनके साथ छेड़छाड़ की। उन्होंने पुलिस गार्ड के साथ भी बदसलूकी की। पुलिसकर्मी की मौजूदगी में भी उनकी इतनी हिम्मत थी कि वे छेड़छाड़ कर रहे थे और वीडियो बना रहे थे। यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और इसीलिए मैंने एफआईआर दर्ज कराई है। 30-40 लोग एकत्रित हुए और पुलिस के साथ बदतमीजी करने लगे। वे किसी भी घर में घुस सकते हैं और जो चाहें कर सकते हैं। मैंने पुलिस को सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

ट्रंप की धमकियों के बाद बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच दिल्ली पहुंचीं यूरोपीय संघ की प्रमुख, भारत को बताया भरोसेमंद देश

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डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्‍ट्रपति बनने के बाद जिस तेजी से दुनिया बदली है, यूरोप खुद को अलग-थलग पा रहा है। ऐसे समय में वैश्विक व्यापार और कूटनीति में अस्थिरता देखी जा रही है। ऐसे में यूरोप अब भारत की ओर उम्मीदों की निगाह से देख रहा है। इसी उम्मीद के साथ यूरोपीय संघ (ईयू) की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन गुरुवार को भारत पहुंचीं। भारत आने के बाद यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला ने एक्स पर लिखा कि संघर्ष और कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर में भरोसेमंद मित्रों की जरूरत होती है और यूरोप के लिए भारत एक ऐसा ही मित्र और रणनीतिक सहयोगी है।

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन दो दिवसीय भारत दौरे पर गुरुवार को दिल्ली पहुंचीं। दिल्ली हवाई अड्डे पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने उनका स्वागत किया। दिल्ली पहुंचने के बाद लिएन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा की।

नई दिल्ली पहुंचने के बाद उर्सुला लेयेन ने साफ किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बीच यूरोप को भारत में एक भरोसेमंद मित्र नजर आ रहा है। उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने लिखा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस बात पर चर्चा करूंगी कि हमारी रणनीतिक साझेदारी को अगले स्तर पर कैसे ले जाया जाए।

भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते पर होगी बात

लिएन कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ व्यापक बातचीत करेंगी। इस मुलाकात में दोनों नेता महत्वाकांक्षी भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए जारी बातचीत का जायजा लेंगे। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, वॉन डेर लेयेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच शुक्रवार को होने वाली व्यापक वार्ता में लंबे समय से प्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मजबूत करने और रक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दोनों पक्ष रूस-यूक्रेन संघर्ष, भारत-प्रशांत की स्थिति और पश्चिम एशिया के घटनाक्रम पर भी विचार-विमर्श कर सकते हैं। मोदी और ईयू प्रतिनिधियों की वार्ता के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी होने की भी उम्मीद है।

ट्रंप ने ईयू को चेतावनी दी

बता दें कि ट्रंप ने हाल में यूरोपीय संघ से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी देते हुए कहा था कि ईयू की गठन ही अमेरिका को परेशान करने के लिए किया गया था। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप यूक्रेन-रूस युद्ध में यूरोपीय देशों की मदद करने की अमेरिकी नीति को पूरी तरह से बदलते हुए अब रूस के साथ खड़े होते दिख रहे हैं।

यूरोपीय संघ भारत के साथ संबंधों को महत्व दे रहा

यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट उर्सला वोन डेर लेयेन के साथ यूरोपीय आयोग के 22 देशों के आयुक्त भी भारत आ रहे हैं। यह पहला मौका है, जब 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के इतने सारे देशों के आयुक्त एक साथ किसी देश की यात्रा पर हैं। इससे यह पता चलता है कि यूरोपीय संघ भारत के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व दे रहा है।