मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने MS धोनी का जिक्र कर किसानों को दी स्वावलंबन की प्रेरणा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि किसान का खेतीबाड़ी के माध्यम से जीवन यापन होता है। देश की अर्थ व्यवस्था में भी किसानों की भूमिका है। देश के एक नेता ने एक नारा दिया था जय जवान जय किसान। यह कितना ताकतवर नारा है, अगर सही मायने में हम इसको समझ पाएं। इससे अच्छा आज की दुनिया में और कुछ नहीं है। खेती और पशुपालन मानव जीवन की एक ऐसी व्यवस्था है, इसमें कोई नुकसान नहीं है। सिर्फ फायदा ही फायदा है। बहुत सारे उद्योग धंधे चल रहे हैं। इनसे कोई न कोई नुकसान जरूर नहीं है। पर्यावरण को नुकसान होता है, हमें भी परेशानी होती है, लेकिन खेती से न तो पर्यावरण को और न ही मनुष्यों को नुकसान होता है।
सीएम हेमंत सोरेन शुक्रवार को होटवार के टाना भगत स्टेडियम में मेधा पाउडर प्लांट का शिलान्यास करने के बाद किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूरे देश में लोग व्यक्तिगत रूप से खेती कर उसे व्यवसाय के रूप में भी आगे बढ़ा रहे हैं। हमारे राज्य के क्रिकेटर एमएस धोनी भी खेतीबाड़ी करते हैं और उनके खेत का उत्पाद विदेशों में भी बेचा जाता है।
उन्होंने कहा कि जब क्रिकेट खेलने वाले एक व्यस्त व्यक्ति खेतीबाड़ी कर सकते हैं, तो हम क्यूं नहीं?। हम तो 24 घंटे खेत-खलिहान में ही रहते हैं। मेहनत से किया हुआ काम हमेशा अच्छा फल देता है, इसलिए किसान सरकार की योजनाओं का लाभ लेते हुए स्वावलंबी बने।
सीएम ने कहा अब गांव-देहात में कमजोर बच्चे पैदा होने को मजबूर होते हैं, महिलाओं में खून की कमी होती है, लेकिन पहले ऐसा नहीं होता था। पहले हमारे गांव में पशुपालन व्यवस्था समृद्ध रहती थी। अगर पशुधन घर में रहे, तो परिवार का कोई सदस्य कमजोर नहीं रह सकता है। वर्तमान में महंगाई तेजी से बढ़ रही है, लेकिन किसानों की आय नहीं बढ़ रही है। किसानों को हतोत्साहित होने की आवश्यकता नहीं है। सरकार किसानों के साथ खड़ी है। आय का स्रोत बढाने के लिए विभाग प्रयासरत है और कई योजनाएं बना रहे हैं, ताकि किसान स्वावलंबी हो सकें। किसानों का धान और दूध सरकार खरीदती है।
पशुओं का हो रहा बीमा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पहले पशुओं का वितरण काम चलाऊ था। जानवर वितरण का कोई लेखाजोखा नहीं था। लेकिन अब सरकार किसानों को मुर्गी, बकरी, गाय, सुअर का बीमा करा रही है, क्योंकि जानवरों को बीमारी होती है और उसकी मौत हो जाती है।ऐसी घटना होने पर किसानों की लागत बैंक से वापस दिया जाएगा, ताकि फिर से पशुपालन किया जा सके। राज्य में प्रखंडों में दूध संग्रहण का कार्य हो रहा है। दूध संग्रहण सेंटर को पंचायत स्तर पर पहुंचाया जाएगा।
अलग राज्यों से मिलावटी पनीर और खोआ बेचा जा रहा है और लोगों की जान खतरे में डाला जा रहा है। हम अपने राज्य में इसका उत्पादन बढ़ा लें, तो हमें मिलावट दही, दूध और पनीर खाने की क्या आवश्यकता होगी। अंडा, मछली और मीट को लेकर हम दूसरे राज्यों निर्भर रहते थे। लेकिन अगले पांच साल में इन सभी क्षेत्रों में राज्य आत्मनिर्भर हो जाएगा।
दूध संग्रहण केंद्रों की संख्या बढ़ानी होगी: कृषि मंत्री
कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि 80 करोड़ की लागत से प्रति दिन 20 मीट्रिक टन क्षमता वाले इस प्लांट से दूध के अतिरिक्त संग्रहण को मिल्क पाउडर बनाने में मदद मिलेगी। अबतक अतिरिक्त दूध को मिल्क पाउडर में बदलने के लिए असम- छत्तीसगढ़ जैसे राज्य पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन होटवार स्थित मेधा प्लांट परिसर में ही दूध को मिल्क पाउडर में आसानी से बदला जाएगा।
मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि अभी मेधा ढाई लाख लीटर प्रतिदिन दूध कर रहा है। झारखंड में प्रतिदिन करीब 60 लाख लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य में दूध संग्रहण केंद्र की संख्या बढानी होगी। राज्य में 32 हजार गांव है जबकि दूध संग्रहण केंद्र की संख्या 12 सौ है। बिचौलिया गांव में पशुपालकों से मनमाने दर पर दूध का उठाव करते है।
पशुपालकों को सरकार प्रति लीटर पांच रुपये प्रोत्साहन राशि दे रही है, ताकि उनकी मेहनत का अधिक से अधिक पैसा उनकी जेब में जा सके। इस दौरान कई पशुपालकों को प्रोत्साहन राशि का भुगतान भी मंच से किया गया। इस दौरान कृषि सचिव अबु बक्कर सिद्दीख, एनडीडीबी के चेयरमैन डॉ. मीनेश शाह, जेएमएफ के एमडी जयदेव विश्वास, विशेष सचिव प्रदीप हजारी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
5 hours ago