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पाकिस्तान का आंतक प्रेम फिर आया सामने, पाक क्रिकेट टीम आतंकवादियों के परिवार को देगी अपनी मैच फीस

#pakistandonateasiacupfinalfeestoterroristmasoodazharsalmanaliagha

एशिया कप 2025 के फाइनल में भारतीय क्रिकेट टीम 11 रणबांकुरों ने साहसी खेल दिखाया। भारतीय टीम ने खिताब मैच में पाकिस्तान को 5 विकेट से पटखनी दी और रिकॉर्ड 9वीं बार ये खिताब अपने नाम किया। मैच के बाद भारतीय टीम ने पीसीबी बोर्ड चीफ मोहसिन नकवी से ट्रॉफी और मेडल लेने से इनकार किया। वहीं, कप्तान सूर्यकुमार यादव ने अपनी पूरी मैच फीस भारतीय सेना को देने का एलान के साथ पूरे देश का दिनल जीत लिया। दूसरी तरफ, पाकिस्तान एशिया कप 2025 फाइनल का पूरा पैसा आतंकियों को देगा। इसकी जानकारी कप्तान सलमान आगा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी है।

एशिया कप 2025 फाइनल में भारत से पांच विकेट से हारने के बाद पाकिस्तान के कप्तान सलमान अली आगा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए न सिर्फ भारतीय टीम के 'नो हैंडशेक' फैसले को क्रिकेट का अपमान बताया बल्कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में चौंकाने वाला एलान करते हुए कहा कि पूरा मैच फीस उन परिवारों को दान किया जाएगा जो 'ऑपरेशन सिंदूर' में मारे गए। सलमान आगा ने मैच के प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, एक टीम के रूप में हम अपने एशिया कप फाइनल मैच की फीस पाकिस्तान पर भारतीय हमलों में प्रभावित लोगों और बच्चों के परिवारों को दान कर रहे हैं।

पाकिस्तानी खिलाड़ी आतंकियों के परिवारों को मैच फीस देंगे?

सलमान आगा के इस बयान से कई सवाल उठ गए हैं, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर में केवल आतंकी मारे गए थे। यानी पाकिस्तानी खिलाड़ी आतंकियों के परिवारों को मैच फीस देंगे, क्योंकि भारत के ऑपरेशन सिंदूर में केवल पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था और उसमें 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया गया था।

भारत को लेकर बेतुका बयान

सलमान आगा ने कहा कि हाथ न मिलाकर वे हमारा अपमान नहीं कर रहे, बल्कि क्रिकेट का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा, भारत ने इस टूर्नामेंट में जो किया है वो बेहद निराशाजनक है। आगा ने कहा कि हम एशिया कप की ट्रॉफी के साथ अकेले फोटो खिंचवाने गए थे, क्योंकि हम अपना कर्तव्य निभाना चाहते थे। प्रेजेंटेशन सेरेमनी में हम वहीं खड़े रहे और अपने मेडल लिए।

सलमान का सूर्यकुमार पर आरोप

पाक कप्तान ने कहा कि उन्हें भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव से कोई निजी समस्या नहीं है और उनका मानना है कि अगर ये उनका फैसला होता तो वो मुझसे हाथ मिलाते। पाकिस्तान के कप्तान ने आगे कहा कि सूर्या ने टूर्नामेंट की शुरुआत में मुझसे निजी तौर पर हाथ मिलाया था। टूर्नामेंट से पहले की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी और जब हम रेफरी की मीटिंग में मिले थे तब भी उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया था, लेकिन जब वे कैमरों के सामने होते हैं, तो वे हमसे हाथ नहीं मिलाते। मुझे यकीन है कि वो दिए गए निर्देशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन अगर ये उन पर निर्भर होता, तो वे मुझसे हाथ मिलाते।

पाकिस्तान का आंतक प्रेम फिर आया सामने, पाक क्रिकेट टीम आतंकवादियों के परिवार को देगी अपनी मैच फीस

#pakistandonateasiacupfinalfeestoterroristmasoodazharsalmanaliagha

एशिया कप 2025 के फाइनल में भारतीय क्रिकेट टीम 11 रणबांकुरों ने साहसी खेल दिखाया। भारतीय टीम ने खिताब मैच में पाकिस्तान को 5 विकेट से पटखनी दी और रिकॉर्ड 9वीं बार ये खिताब अपने नाम किया। मैच के बाद भारतीय टीम ने पीसीबी बोर्ड चीफ मोहसिन नकवी से ट्रॉफी और मेडल लेने से इनकार किया। वहीं, कप्तान सूर्यकुमार यादव ने अपनी पूरी मैच फीस भारतीय सेना को देने का एलान के साथ पूरे देश का दिनल जीत लिया। दूसरी तरफ, पाकिस्तान एशिया कप 2025 फाइनल का पूरा पैसा आतंकियों को देगा। इसकी जानकारी कप्तान सलमान आगा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी है।

एशिया कप 2025 फाइनल में भारत से पांच विकेट से हारने के बाद पाकिस्तान के कप्तान सलमान अली आगा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए न सिर्फ भारतीय टीम के 'नो हैंडशेक' फैसले को क्रिकेट का अपमान बताया बल्कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में चौंकाने वाला एलान करते हुए कहा कि पूरा मैच फीस उन परिवारों को दान किया जाएगा जो 'ऑपरेशन सिंदूर' में मारे गए। सलमान आगा ने मैच के प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, एक टीम के रूप में हम अपने एशिया कप फाइनल मैच की फीस पाकिस्तान पर भारतीय हमलों में प्रभावित लोगों और बच्चों के परिवारों को दान कर रहे हैं।

पाकिस्तानी खिलाड़ी आतंकियों के परिवारों को मैच फीस देंगे?

सलमान आगा के इस बयान से कई सवाल उठ गए हैं, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर में केवल आतंकी मारे गए थे। यानी पाकिस्तानी खिलाड़ी आतंकियों के परिवारों को मैच फीस देंगे, क्योंकि भारत के ऑपरेशन सिंदूर में केवल पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था और उसमें 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया गया था।

भारत को लेकर बेतुका बयान

सलमान आगा ने कहा कि हाथ न मिलाकर वे हमारा अपमान नहीं कर रहे, बल्कि क्रिकेट का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा, भारत ने इस टूर्नामेंट में जो किया है वो बेहद निराशाजनक है। आगा ने कहा कि हम एशिया कप की ट्रॉफी के साथ अकेले फोटो खिंचवाने गए थे, क्योंकि हम अपना कर्तव्य निभाना चाहते थे। प्रेजेंटेशन सेरेमनी में हम वहीं खड़े रहे और अपने मेडल लिए।

सलमान का सूर्यकुमार पर आरोप

पाक कप्तान ने कहा कि उन्हें भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव से कोई निजी समस्या नहीं है और उनका मानना है कि अगर ये उनका फैसला होता तो वो मुझसे हाथ मिलाते। पाकिस्तान के कप्तान ने आगे कहा कि सूर्या ने टूर्नामेंट की शुरुआत में मुझसे निजी तौर पर हाथ मिलाया था। टूर्नामेंट से पहले की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी और जब हम रेफरी की मीटिंग में मिले थे तब भी उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया था, लेकिन जब वे कैमरों के सामने होते हैं, तो वे हमसे हाथ नहीं मिलाते। मुझे यकीन है कि वो दिए गए निर्देशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन अगर ये उन पर निर्भर होता, तो वे मुझसे हाथ मिलाते।

भारत ने जीता एशिया कप का खिताब, बिना ट्रॉफी के मनाया जश्न

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भारतीय क्रिकेट टीम ने एशिया कप 2025 फाइनल में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी और टूर्नामेंट में तीसरी बार पाकिस्तानी टीम पर जीत हासिल की। भारत ने फाइनल जीतकर नौवां एशिया कप खिताब जीता, लेकिन अंत में उन्हें जश्न मनाने के लिए ट्रॉफी नहीं मिली। टीम इंडिया की जीत के बाद प्रेजेंटेशन सेरेमनी को लेकर विवाद हो गया। इसकी वजह बने एशियन क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष मोहसिन नकवी, जो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। टीम इंडिया ने उनके हाथ से ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया था।

एशिया कप के फाइनल मुकाबले में भारतीय क्रिकेट टीम की पाकिस्तान पर शानदार जीत के बाद ट्रॉफी समारोह में ऐसा नजारा देखने को मिला, जो क्रिकेट इतिहास में शायद ही पहले हुआ हो। दुबई में रविवार को खेले गए मैच के बाद टीम इंडिया के कप्तान सूर्यकुमार यादव और उनके साथी खिलाड़ियों ने एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के अध्यक्ष मोहसीन नकवी से ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया।

भारत ने पहले ही जाहिर कर दी थी मंशा

नकवी पाकिस्तान के गृह मंत्री भी हैं और भारत विरोधी बयानों के लिए जाने जाते हैं। भारत ने इसकी घोषणा काफी पहले ही कर दी थी, लेकिन इसके बावजूद नकवी ट्रॉफी वितरण समारोह के दौरान स्टेज से नहीं हटे। मोहसिन नकवी भी अपनी जिद पर अड़े रहे और उन्होंने कहा कि एसीसी के नियमों के मुताबिक अध्यक्ष होने के नाते वो ही ट्रॉफी देंगे। इसके चलते प्रेजेंटेशन सेरेमनी में काफी देरी हो गई और मैच खत्म होने के सवा घंटे बाद ये सेरेमनी हुई। इस दौरान पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने तो अपने मेडल लिए लेकिन टीम इंडिया ने अपने विनर्स मेडल लेने से इनकार कर दिया। साथ ही टीम इंडिया ने ट्रॉफी लेने से भी मना कर दिया।

काल्पनिक ट्रॉफी उठाते हुए मनाया जीत का जश्न

प्रेजेंटेशन सेरेमनी का संचालन कर रहे साइमन डौल ने समारोह के अंत में पुष्टि करते हुए कहा कि, मुझे एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) द्वारा सूचित किया गया है कि भारतीय क्रिकेट टीम आज रात अपने पुरस्कार नहीं लेगी। इसलिए पोस्ट-मैच प्रेजेंटेशन का यही अंत किया जाता है। प्रस्तुति को लेकर हुए विवाद के बावजूद, भारतीय खिलाड़ी फाइनल के बाद जश्न मनाने से पीछे नहीं हटे। सूर्यकुमार और उनके साथियों का काल्पनिक ट्रॉफी उठाते हुए एक क्लिप तेजी से वायरल हो गया। कप्तान सूर्यकुमार यादव ने पूर्व कप्तान रोहित शर्मा की ट्रेडमार्क शैली की नकल की, टीम की ओर धीरे-धीरे चलना और फिर जोर से दहाड़ना, बस फर्क इतना था कि इस बार हाथ में ट्रॉफी नहीं थी।

इन 4 खिलाड़ियों ने लिए अवॉर्ड

हालांकि, टीम इंडिया के 4 खिलाड़ियों ने जरूर अवॉर्ड लिए. शिवम दुबे के गेम चेंजर अवॉर्ड मिला, तो वहीं कुलदीप यादव को वैल्यू प्लेयर अवॉर्ड के 15 हजार डॉलर मिले. वहीं तिलक वर्मा को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया, जबकि अभिषेक शर्मा प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने, जिसके लिए उन्हें 15 हजार डॉलर के साथ ही ट्रॉफी और कार भी मिली। मगर इन सभी खिलाड़ियों को अवॉर्ड नकवी के बजाए अमीरात क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेट से जुड़े दूसरे अधिकारियों ने दिए।

बीसीसीआई के नए अध्यक्ष चुने गए मिथुन मन्हास, विराट कोहली से है खास कनेक्शन

#mithunmanhaselectedbccipresident

पूर्व क्रिकेटर मिथुन मन्हास भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के अध्यक्ष बन गए है। वे 37वें बीसीसीआई अध्यक्ष बने हैं। इसका ऐलान रविवार को मुंबई में बीसीसीआई ऑफिस में हुई एनुअल जरनल मीटिंग के बाद हुआ। मन्हास इस पद पर निर्विरोध चुने गए। मन्हास इस अहम पद पर चुने जाने वाले लगातार तीसरे क्रिकेटर बने हैं। उनसे पहले सौरव गांगुली और रोजर बिन्नी यह जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ट्वीट कर मिथुन मन्हास को बधाई दी है। जितेंद्र सिंह ने लिखा, 'मिथुन मनहास को आधिकारिक तौर पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का नया अध्यक्ष घोषित किया गया है। जम्मू और कश्मीर के सबसे दूरदराज़ जिलों में से एक, डोडा के लिए यह दिन कितनी बड़ी उपलब्धि है, इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है

कौन हैं मिथुन मन्हास?

जम्मू और कश्मीर में जन्मे मिथुन मन्हास ने भारतीय घरेलू क्रिकेट में खुद को एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया, भले ही उन्होंने कभी अंतरराष्ट्रईय क्रिकेट नहीं खेला। अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाने वाले मन्हास दाएं हाथ के बल्लेबाज थे और पार्ट टाइम ऑफ स्पिनर भी। जब कई सीनियर खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय ड्यूटी पर रहने के कारण मौजूद नहीं होते थे, तब मन्हास ने अक्सर दिल्ली की कप्तानी की, जिससे टीम को महत्वपूर्ण सत्रों में मार्गदर्शन मिला। विशेष रूप से, उन्होंने दिल्ली का नेतृत्व तब किया जब युवा विराट कोहली ने पदार्पण किया, जिससे भविष्य के स्टार के साथ एक मजबूत बंधन बना।

मन्हास का खेल सफर

18 साल के प्रथम श्रेणी करियर में, मन्हास ने 157 मैच खेले, जिसमें 9,714 रन बनाए। उन्होंने 49 अर्धशतक और 27 शतक लगाए, जिसमें उनका सबसे शानदार सत्र 2007-08 में आया। उस वर्ष, उन्होंने दिल्ली को लंबे समय से प्रतीक्षित रणजी ट्रॉफी में जीत दिलाई, व्यक्तिगत रूप से 57.56 के प्रभावशाली औसत से 921 रन बनाए, जिससे भारतीय घरेलू क्रिकेट में उनकी पकड़ अच्छी बनी। रणजी में अच्छा परफॉरमेंस देने के चलते मन्हास का सिलेक्शन आईपीएल के पहले सीजन में हो गया। उन्होंने 2008 में दिल्ली डेयरडेविल्स से आईपीएल डेब्यू किया। फिर साल 2011 में आईपीएल में पुणे वॉरियर्स इंडिया से जुड़े। 2015 में चेन्नई सुपर किंग्स टीम का हिस्सा बने।

पीएम मोदी के मन की बात की 126वां एपिसोड, स्वदेशी अपनाने पर दिया जोर, बताया खरीदारी का मंत्र

#pmnarendramodimannkibaat126th_episode

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात की 126वां एपिसोड को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के 126वें एपिसोड में भगत सिंह और लता मंगेशकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि भगत सिंह आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं। साथ ही पीएम मोदी ने स्वर कोकिला लता मंगेश्कर को उनकी जयंती पर याद करते हुए उनको नमन किया। अपने संबोधन में पीएम ने छठ पर्व को यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर में शामिल कराने के प्रयास की जानकारी दी और गांधी जयंती पर खादी अपनाने की अपील करते हुए 'वोकल फॉर लोकल' को बढ़ावा देने को कहा।

भगत सिंह और लता दीदी को किया नमन

प्रधानमंत्री ने कहा, आज इस कार्यक्रम का 126वां एपिसोड है और आज के दिन के साथ कुछ विशेषताएं भी जुड़ी हैं। आज भारत की दो महान विभूतियों की जयंती है। मैं बात कर रहा हूं शहीद भगत सिंह और लता दीदी की। साथियों, अमर शहीद भगत सिंह हर भारतवासी, विशेषकर देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा पुंज हैं। निर्भीकता उनके स्वभाव में कूट-कूटकर भरी थी। देश के लिए फांसी के फंदे पर झूलने से पहले भगत सिंह जी ने अंग्रेजों को पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा था कि मैं चाहता हूं कि आप मेरे और मेरे साथियों से युद्धबंदियों से जैसा व्यवहार करें। इसलिए हमारी जान फांसी से नहीं, सीधा गोली मारकर ली जाए। यह उनके अदम्य साहस का प्रमाण है। भगत सिंह लोगों की पीड़ा के प्रति भी बहुत संवेदनशील थे और उनकी मदद में हमेशा आगे रहते थे। मैं शहीद भगत सिंह को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

लता मंगेश्कर के वीर सावरकर के साथ संबंध का जिक्र

पीएम ने आगे कहा, साथियों, आज लता मंगेशकर की भी जयंती है। भारतीय संस्कृति और संगीत में रुचि रखने वाला कोई भी उनके गीतों को सुनकर अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकता। उनके गीतों में वह सबकुछ है, जो मानवीय संवेदनाओं को झकझोरता है। उन्होंने देशभक्ति के जो गीत गाए, उन गीतों ने लोगों को बहुत प्रेरित किया। भारत की संस्कृति से भी उनका गहरा जुड़ाव था। मैं लता दीदी के लिए हृदय से अपनी श्रद्धांजलि प्रकट करता हूं। साथियों, लता दीदी जिन महान विभूतियों से प्रेरित थीं, उनमें वीर सावरकर भी एक थे। जिन्हें वह तात्या कहती थीं। उन्होंने वीर सावरकर के कई गीतों को अपने सुरों में पिरोया। लता दीदी से मेरा स्नेह का जो बंधन था, वह हमेशा कायम रहा। वह मुझे बिना बोले हर साल राखी भेजा करती थीं।

त्योहार सिर्फ स्वदेशी चीजों से मनाएंगे की अपील

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि एक संकल्प लेकर आप अपने त्योहारों को और खास बना सकते हैं। अगर हम ठान लें कि इस बार त्योहार सिर्फ स्वदेशी चीजों से ही मनाएंगे, तो हमारे उत्सव की रौनक कई गुना बढ़ जाएगी। 'वोकल फॉर लोकल' को खरीदारी का मंत्र बना दीजिए

2 अक्टूबर को खादी का सामान खरीदने की अपील

इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि 2 अक्टूबर को गांधी जयंती है। गांधीजी ने हमेशा स्वदेशी को अपनाने पर बल दिया और इनमें खादी सबसे प्रमुख थी। दुर्भाग्य से आजादी के बाद, खादी की रौनक कुछ फीकी पड़ती जा रही थी, लेकिन बीते 11 साल में खादी के प्रति देश के लोगों का आकर्षण बहुत बढ़ा है। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि 2 अक्टूबर को कोई ना कोई खादी सामान जरूर खरीदें और गर्व से कहें ये स्वदेशी हैं।

छठ पर्व को यूनेस्को की सांस्कृति धरोहर की सूची में शामिल कराने का प्रयास

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, हमारे पर्व-त्योहार भारत की संस्कृति को जीवंत बनाए रखते हैं। छठ पर्व एक ऐसा पावन-पर्व है जो दिवाली के बाद आता है। सूर्य देव को समर्पित यह महापर्व बहुत ही विशेष है। इसमें हम डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देते हैं। उनकी आराधना करते हैं। छठ न केवल देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है। बल्कि दुनियाभर में इसकी छठा देखने को मिलती है। आज यह एक वैश्विक त्योहार बन रहा है। साथियों, मुझे आपको यह बताते हुए बहुत खुशी है कि भारत सरकार भी छठ पूजा को लेकर एक बड़े प्रयास में जुटी है। भारत सरकार छठ पर्व को यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल कराने का प्रयास कर रही है। छठ पूजा में यूनेस्को की सूची में शामिल होगी, तो दुनिया के कोने-कोने में लोग इसकी भव्यता और दिव्यता का अनुभव कर पाएंगे। साथियों, कुछ समय पहले भारत सरकार के ऐसे ही प्रयासों से कोलकाता की दुर्गा पूजा भी यूनेस्को की इस सूची का हिस्सा बनी है।

कॉलेज में यौन शोषण का आरोपी बाबा चैतन्यानंद स्वामी सारथी गिरफ्तार, जानें कैसे हुआ अरेस्ट

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दिल्ली के वसंत कुंज स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट-रिसर्च के हेड स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थसारथी को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। चैतन्यानंद पर कई छात्राओं के यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगा है। छात्राओं के आरोप के बाद चैतन्यानंद फरार था और उसकी आखिरी लोकेशन आगरा में मिली थी। जिसके बाद दिल्ली पुलिस की कई टीमें लगातार छापेमारी कर रही थी। इसी क्रम में 27 सितंबरप की रात आगरा से गिरप्तार किया गया।

देर रात आगरा के एक होटल से गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने शनिवार देर रात ताजगंज इलाके के होटल से गिरफ्तार कर लिया। शनिवार शाम से वह होटल में रुका था। दिल्ली पुलिस ने होटल के कमरे में 15 मिनट तक आरोपी से पूछताछ की, इसके बाद पुलिस उसे अपने साथ ले गई। दिल्ली पुलिस ने चैतन्यानंद के पास से 2 फर्जी विजिटिंग कार्ड बरामद किए हैं। एक कार्ड में उसे संयुक्त राष्ट्र में स्थायी राजदूत और दूसरे में ब्रिक्स संयुक्त आयोग का सदस्य और भारत का विशेष दूत बताया गया है।

नंबर काटने की धमकी देकर करता था ब्लैकमेल

दक्षिणी दिल्ली में स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट का यह मामला है। वहां की 17 लड़कियों ने आरोप लगाया था कि बाबा चैतन्यानंद ने उनका यौन शोषण किया। वह नंबर काटने की धमकी देकर लड़कियों को ब्लैकमेल करता था। वह देर रात को लड़कियों को अपने कमरे में बुलाता था। वह खुद को इंटरनेशनल पर्सन बताता और लड़कियों को अच्छी पैलेसमेंट दिलाने का झांसा देता था।

आरोपी ने छात्राओं को ऐसे निशाना बनाया

छात्राओं ने बताया कि सुरक्षा के नाम पर महिलाओं के हॉस्टल और कमरों में, बाथरूम के पास भी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। खुद स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती अपने मोबाइल पर उनके फीड्स को देखता था। उसने अपने मोबाइल में सीसीटीवी का एक्सेस ले रखा था। वह हर पर लड़कियों पर नजर रखता था। रात में स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती लड़कियों को व्हाट्सऐप मैसेज करता था। वह लड़कियों को बेबी आई लव यू जैसे मैसेज करता था। एक छात्रा का कहना है कि स्वामी चैतन्यनंद सरस्वती ने उससे पूछा था कि क्या उसने कंडोम यूज किया है। हरियाणा की एक छात्रा को बॉयफ्रेंड होने के कारण चरित्रहीन कहा गया, जबकि दूसरी छात्रा को स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती के कार्यालय से फटे कपड़ों में रोते हुए भागते देखा गया था।

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में उगला जहर, शहबाज शरीफ को भारत का करारा जवाब

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर भारत के खिलाफ जहर उगला है। यूएनजीए के 80वें सत्र की आम चर्चा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भाषण के बाद भारत की प्रतिक्रिया आई। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को करारा जवाब दिया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान भारत पर आक्रामकता का आरोप लगाया था। शहबाज के भाषण पर भारत के उत्तर देने के अधिकार का प्रयोग करते हुए भारतीय राजनयिक पेतल गहलोत ने पाकिस्तान का आतंकी चेहरा बेनकाब कर दिया।

शहबाज शरीफ के भाषण पर भारतीय राजनयिक पेटल गहलोत ने कहा, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सुबह-सुबह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की बेतुकी नौटंकी देखी। जिन्होंने एक बार फिर आतंकवाद का महिमामंडन किया, जो उनकी विदेश नीति का केंद्र बिंदु है। हालांकि किसी भी स्तर का नाटक और झूठ तथ्यों को नहीं छिपा सकता है। यह वही पाकिस्तान है जिसने 25 अप्रैल 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों के बर्बर नरसंहार की जिम्मेदारी से एक पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवादी संगठन, द रेजिस्टेंस फ्रंट, को बचाया था।

भारतीय राजनयिक ने आगे कहा कि, आतंकवाद को फैलाने और निर्यात करने की परंपरा में लंबे समय से डूबे एक देश को सबसे हास्यास्पद आख्यान गढ़ने में कोई शर्म नहीं आती है। याद कीजिए कि उसने एक दशक तक ओसामा बिन लादेन को पनाह दी थी, जबकि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में भागीदार होने का दिखावा करता रहा है। उसके मंत्रियों ने हाल ही में स्वीकार किया है कि वे दशकों से आतंकवादी शिविर चला रहे हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए कि एक बार फिर यह दोगलापन देखने को मिला, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री के स्तर पर भी यह जारी है।

पाकिस्तानी सेना की सीजफायर के लिए गुहार

पेटल गहलोत ने संयुक्त राष्ट्र को बताया कि भारत के हमलों के बाद पाकिस्तानी सेना ने कैसे युद्धविराम के लिए गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत के साथ हाल के संघर्ष (विराम) पर एक अजीब जानकारी दी। इस मामले पर रिकॉर्ड स्पष्ट हैं। 9 मई तक पाकिस्तान भारत पर और हमलों की धमकी दे रहा था। लेकिन 10 मई को पाकिस्तान सेना ने हमसे सीधे लड़ाई बंद करने की गुहार लगाई। इस बीच भारतीय सेना ने कई पाकिस्तानी हवाई अड्डों पर तबाही मचाई थी। उस नुकसान की तस्वीरें सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं।

...तो पाकिस्तान इसका मजा ले

गहलोत ने कहा कि अगर नष्ट हुए रनवे और जले हुए हैंगर जीत की तरह दिखते हैं, जैसा कि (पाकिस्तानी) प्रधानमंत्री ने दावा किया है, तो पाकिस्तान इसका मजा ले सकता है। सच्चाई यह है कि अतीत की तरह, पाकिस्तान भारत में निर्दोष नागरिकों पर आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार है। हमने अपने लोगों की रक्षा के अधिकार का प्रयोग किया है।

पाकिस्तान की खोली पोल

पाकिस्तान की पोल खोलते हुए पेटल गहलोत ने कहा, एक तस्वीर हजार शब्द कहती है और हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना के हाथों बहावलपुर और मुरीदके आतंकी परिसर में मारे गए आतंकवादियों की कई तस्वीरें देखीं। जब वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य और नागरिक अधिकारी सार्वजनिक रूप से ऐसे कुख्यात आतंकवादियों का महिमामंडन और श्रद्धांजलि देते हैं, तो क्या इस शासन की प्रवृत्ति पर कोई संदेह हो सकता है?

सोनम वांगचुक को जोधपुर जेल में किया गया शिफ्ट, जानें NSA के तहत गिरफ्तारी क्यों हुई गिरफ्तारी?

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लेह में हुई हिंसा के तीन दिन बाद प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया है। वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई की गई है। उन पर हिंसा भड़काने के आरोप लगाए गए हैं। लद्दाख हिंसा मामले में एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को लेह से गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उन्हें राजस्थान के जोधपुर शिफ्ट कर दिया है।

सोनम वांगचुक को लद्दाख पुलिस ने शुक्रवार की दोपहर लेह से गिरफ्तार किया था। लद्दाख पुलिस प्रमुख एस.डी. सिंह जामवाल के नेतृत्व में पुलिस टीम ने गुरुवार दोपहर करीब ढाई बजे सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया। इस दौरान जोधपुर पुलिस कमिश्नर भी उनके साथ मौजूद रहे। एयरफोर्स स्टेशन से विशेष सुरक्षा घेराबंदी के बीच उन्हें सीधे जेल पहुंचाया गया।

सोनम वांगचुक को लेह से जोधपुर जेल क्यों लाया गया?

यह सवाल अब उठ रहा है कि पुलिस ने सोनम वांगचुक को लद्दाख या आसपास की किसी जेल में रखने की बजाय करीब 1500 किलोमीटर दूर जोधपुर क्यों भेजा? सूत्रों के अनुसार इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। दरअसल, जोधपुर सेंट्रल जेल हाई सिक्योरिटी जेल है, जहां सुरक्षा व्यवस्था अत्याधुनिक है। वांगचुक को लद्दाख से दूर रखने का उद्देश्य क्षेत्र में आगे किसी संभावित अशांति या विरोध प्रदर्शन को रोकना है। इसके साथ ही जोधपुर जेल में सुरक्षा और निगरानी का स्तर काफी मजबूत है, जिससे किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।

वांगचुक पर युवाओं को उकसाने का आरोप

सोनम वांगचुक पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाख में प्रदर्शन कर रहे युवाओं को उकसाने का आरोप लगाया था। लेह पुलिस के मुताबिक 24 सितंबर को प्रदर्शनकारियों को हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस ने सोनम वांगचुक के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की थीं, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई

हिंसक प्रदर्शन में चार की मौत

लद्दाख में छठवीं अनुसूची और राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच सोनम वांगचुक चर्चा में आ गए हैं। सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर को लेह शहर में अनशन शुरू किया था। उनकी मांग थी कि लद्दाख क्षेत्र को छठी अनुसूची में शामिल किया जाए, राज्य का दर्जा दिया जाए और क्षेत्र के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। हालांकि 24 सितंबर को उनका अनशन उस समय खत्म हुआ जब शहर में हिंसा फैल गई। भीड़ ने सुरक्षाबलों पर पथराव किया। सीआरपीएफ के एक वाहन को आग लगा दी गई। भाजपा कार्यालय और लेह की प्रमुख संस्था के कार्यालय में भी आग लगी। डीजीपी के वाहन को प्रदर्शनकारियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। स्थिति बेकाबू होने पर सुरक्षा बलों ने फायरिंग की। इसमें चार प्रदर्शनकारी मारे गए और करीब 70 लोग घायल हुए। कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए लेह शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। गुरुवार शाम को कारगिल में भी कर्फ्यू लगाया गया। कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।

सोनम वांगचुक के एनजीओ पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप

इस बीच वांगचुक के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं। सोनम वांगचुक पर आरोप है कि उनके एनजीओ हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख ने अपने एफसीआरए अकाउंट में स्थानीय दान प्राप्त किया, जो विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) 2010 के सेक्शन 17 का स्पष्ट उल्लंघन है। इसके अलावा, एचआईएएल ने एफसीआरए रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने से पहले ही विदेशी फंड प्राप्त कर लिया था, जो इसी कानून के सेक्शन 11 का उल्लंघन है।

आखिरी बार रनवे पर उतरा मिग-21, 62 साल बाद रिटायर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कही बड़ी बात

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भारतीय वायुसेना के पहले सुपरसोनिक विमान को शुक्रवार को सेवामुक्त कर दिया गया। चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन से मिग-21 को विदाई दी गई। इस समारोह में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विशेष तौर पर शामिल हुए। उनके अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान, वायुसेना अध्यक्ष एपी सिंह, सेना अध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना अध्यक्ष दिनेश कुमार त्रिपाठी ने भी शिरकत की और मिग-21 की विदाई समारोह के ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मिग-21 के फेयरवेल के दौरान फाइटर जेट के कई कारनामों को भी याद किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि मिग-21 ने 1971 से लेकर ऑपेरशन सिंदूर तक हर मिशन में भारतीय सेना को मजबूती दी। राजनाथ सिंह ने कहा, आज जब हम मिग-21 को इसकी ऑपरेशनल जर्नी से विदाई दे रहे हैं तो मुझे लगता है हम एक ऐसे अध्याय को विदा करने जा रहे हैं जो न केवल भारतीय वायुसेना के इतिहास में बल्कि हमारी पूरी सैन्य उड्डयन की जर्नी में गोल्डन लेटर से लिखा जाएगा।

भारत-रूस के मजबूत संबंधों का प्रमाण-राजनाथ सिंह

अपने भाषण में राजनाथ सिंह ने कहा कि मिग-21 राष्ट्रीय गौरव और रक्षा कवच है। उन्होंने कहा कि इससे हमारा इससे गहरा लगाव है और इसने हमारे आत्मविश्वास को आकार दिया है। सिंह ने कहा कि मिग-21 सैन्य विमानन का इतिहास अद्भुत फाइटर प्लेन है। मिग-21 ने सैन्य विमानन यात्रा में कई गौरवपूर्ण क्षण जोड़े हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि मिग-21 केवल एक विमान या मशीन ही नहीं, बल्कि भारत-रूस के मजबूत संबंधों का प्रमाण भी है।

मिग-21 को रखा गया अपडेट

रक्षा मंत्री ने बताया कि अब तक हम जो मिग-21 विमान उड़ा रहे थे, वे अधिक से अधिक 40 साल पुराने थे। ऐसे विमानों के मानकों के हिसाब से 40 साल का जीवनकाल पूरी तरह से सामान्य है। कई देशों में ऐसे लड़ाकू विमानों को बस इतने ही समय तक सक्रिय रखा जाता है। लेकिन मिग-21 की एक खास बात यह है कि इसे तकनीकी रूप से हमेशा अपडेट रखा गया है।

आखिरी बार मिग की गर्जना

मिग-21 के विदाई समारोह में सूर्य किरण एरोबेटिक टीम ने प्रस्तुति दी। अलविदा उड़ान को देखकर इन्हें उड़ाने वाले पूर्व वायु सैनिक भावुक हो गए। मिग 21 को पानी की बौछार से अंतिम सलामी दी गई। इसी के साथ मिग की गर्जना शांत हो गई। 62 साल तक देश की सेवा करने के बाद भारत का पहला सुपरसोनिक विमान मिग-21 अब रिटायर हो गया है। खास बात यह है कि लगभग 60 साल पहले मिग-21 की लॉन्चिंग चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन से हुई थी। यही वजह रही की आज इसकी रिटायरमेंट भी यहीं से हुआ।

सोनम वांगचुक को बड़ा झटका, रद्द हुआ NGO का लाइसेंस, विदेशी फंडिंग पर लग गई रोक

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केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन बुधवार को हिंसक हो गया। इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई। उपद्रवियों ने लेह स्थित भाजपा कार्यालय को आग लगा दी। हालात पर काबू पाने के लिए अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाना पड़ा। सरकार ने इस हिंसा के लिए जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया। अगले दिन उनके एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया।

सोनम वांगचुक की स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का एफसीआरए (Foreign Contribution Regulation Act) रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया। उनके एनजीओ पर विदेशी फंडिंग से जुड़े कानून का बार-बार उल्लंघन करने का आरोप है। सीबीआई ने सोनम वांगचुक के एक संस्थान के खिलाफ विदेशी फंडिंग को लेकर जांच शुरू कर दी है।

क्यों हुआ पंजीकरण रद्द?

सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि संस्था के कामकाज में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं। सरकारी जांच में सामने आया कि संस्था को स्वीडन के एक दाता से करीब 4.93 लाख रुपये मिले थे, जो युवा जागरूकता कार्यक्रमों पर खर्च होने थे। इन कार्यक्रमों में जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और खाद्य सुरक्षा जैसे विषय शामिल थे। लेकिन सरकार ने इस दान को ‘राष्ट्रीय हित के खिलाफ’ बताया। इसके अलावा 19,600 रुपये और 79,200 रुपये जैसी छोटी रकमों के गलत तरीके से एफसीआरए खाते में दाखिल होने की बात भी नोटिस में दर्ज की गई। इन सब बिंदुओं के आधार पर मंत्रालय ने 10 सितंबर को नोटिस जारी किया था, और जवाब असंतोषजनक पाए जाने पर संस्था का पंजीकरण रद्द कर दिया।

क्या बोले वांगचुक?

वांगचुक ने इसे बदले की कार्रवाई बताते हुए कहा, प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा का दोष उन पर मढ़ा गया है। सोनम वांगचुक ने कहा, लद्दाख में दो महीने बाद चुनाव आने वाले हैं, जिसमें लोग पूछ रहे हैं कि पहले जो वादा किया था उसे पूरा करें। इसमें बड़ी आवाज मेरी थी इसलिए उन्होंने मुझे टारगेट किया और डेढ़ महीना पहले मुझे बताया गया कि आपके ऊपर देशद्रोह का एक एफआईआर है। इसके बाद सीबीआई की जांच की बात हुई। 

विदेशों से पैसे लेने का हमारा कोई इरादा नहीं- वांगचुक

वांगचुक ने कहा, सीबीआई के नोटिस में ये लिखा है कि 2022-24 में आपकी संस्था को विदेशों से फंड मिला, जिसकी अनुमति आपको नहीं है। आपके पास एफसीआरए नहीं है। हमने एफसीआरए नहीं लिया क्योंकि विदेशों से पैसे लेने का हमारा कोई इरादा नहीं था। संयुक्त राष्ट्र की टीम हमारी पैसिव सोलर हीटेड बिल्डिंग को अफगानिस्तान ले जाना चाहती थी और इसके लिए उन्होंने हमें फीस अदा की। इसी तरह हमारे आर्टिफिशियल ग्लेशियर को स्विट्जरलैंड की एक यूनिवर्सिटी और इटली की एक संस्था से पैसे मिले।

क्या करता है हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख?

सोनम वांगचुक ने 1994 में स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) की स्थापना की. इसका मकसद लद्दाख के युवाओं को स्थानीय जरूरतों और संस्कृति से जोड़ते हुए प्रासंगिक और व्यावहारिक शिक्षा देना था. बाद में इसी सोच के विस्तार के रूप में उन्होंने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) की नींव रखी. SECMOL की नींव 1994 में रखी गई ताकि बच्चे केवल कागजी डिग्री के बोझ तले न दबें बल्कि वास्तविक जीवन कौशल भी सीखें.

HIAL लगभग 2017-18 में आकार लेता है, जिसके पीछे विचार था लद्दाख और हिमालयी क्षेत्र के लिए ऐसे समाधान खोजना जो पर्यावरण-संवेदनशील हों. इसका स्पष्ट उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी और शिक्षा सुधार जैसे मुद्दों का स्थानीय अनुभवों के आधार पर हल निकालना तय किया गया था