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गड्ढे में डूबकर मरी दो बच्चियों को परिजनों ने नम आँखो से राप्ती नदी में किया प्रवाहित

सिकरीगंज/ गोरखपुर। सिकरीगंज थाना क्षेत्र के पिड़री गांव में सोमवार को दुर्गा पूजा की तैयारी के लिए मिट्टी लेने गए तीन बच्चे पानी भरे गड्ढे में डूब गए थे।जिसमें दो बच्चियों की मौत हो गई थी और तीसरे बच्चे का इलाज गोरखपुर चल रहा है।मंगलवार को मृत दोनों बच्चियों का शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों ने गोरखपुर राप्ती नदी में प्रवाहित कर दिया।

सोमवार को स्कूल की छुट्टी होने के बाद जितेंद्र तिवारी 8 वर्षीय बच्चा आर्यन तिवारी, 6 वर्षीय बच्ची दिया तिवारी और गांव के ही विजय गौड़ की 8 वर्षीय बच्ची अनुष्का गौड़ दुर्गा पूजा की तैयारी के लिए गांव के किनारे पुराने खनन वाले गड्ढे से मिट्टी लेने गए थे।इसी दौरान दिया तिवारी का पैर फिसल गया और वह पानी भरे गड्ढे में डूबने लगी।उसे बचाने के चक्कर में आर्यन और अनुष्का भी गहरे पानी में चले गए।सूचना मिलते ही परिजन व ग्रामीण मौके पर पहुंचे और तीनों बच्चों को निकालकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उरुवा ले गए।वहां से गंभीर स्थिति को देखते हुए चिकित्सक ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया।यहां चिकित्सकों ने दिया और अनुष्का को मृत घोषित कर दिया।आर्यन का इलाज चल रहा है जिसकी स्थिति में सुधार है।

गांव में है मातम का माहौल -

दो परिवारों में हुए इस हृदय विदारक घटना को लेकर गांव में मातम छाया हुआ है।परिवार में अब तक चूल्हा नहीं जला है।जितेंद्र तिवारी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ गोरखपुर में ही रहते हैं।वे सब्जी के व्यवसायी हैं।गांव में कभी-कभी आते हैं।तीन दिन पूर्व शनिवार को जितेंद्र परिवार के साथ पितृ विसर्जन करने के लिए गांव आए थे।घटना के बाद घर पर ताला लगा है।सभी लोग गोरखपुर में ही हैं।वहीं विजय गौड़ दिल्ली में मजदूरी करते हैं और इनका परिवार गांव में ही रहता है।परिवार के लोग इस घटना को लेकर सदमे में हैं।दिया तिवारी दो बहनों व एक भाई में सबसे छोटी थी।अनुष्का दो बहनों और एक भाई में दूसरे नंबर पर थी।

खजनी तहसीलदार और सीओ सोमवार की रात करीब 11 बजे पिड़री गांव पहुंचे।और घटना की जानकारी लेने के बाद विजय के परिवार को तत्काल 20 हजार रुपये दिए।कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद दोनों परिवारों को सरकारी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।साथ ही कोटेदार से विजय के परिवार को एक माह का राशन देने का निर्देश दिए।

खेलने के मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी लेने गए तीन बच्चे गड्डे में गिरे, दो की मौत, एक गंभीर

सिकरीगंज /गोरखपुर । सिकरीगंज थाना क्षेत्र के पिड़री गांव में सोमवार को उस समय मातम छा गया जब खेलने के लिए दुर्गा मूर्ति के लिए मिट्टी लाने गए तीन मासूम बच्चे हादसे का शिकार हो गए। मिट्टी खनन से बने गहरे गड्ढे में पैर फिसलने से तीनों बच्चे डूब गए। ग्रामीणों की मदद से उन्हें बाहर निकालकर आनन-फानन में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उरूवां ले जाया गया, जहां से गंभीर हालत देखते हुए डाक्टरों ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।

जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने दिया (6 वर्ष) पुत्री जितेन्द्र तिवारी और अनुष्का (8 वर्ष) पुत्री विजय गौड़ को मृत घोषित कर दिया। वहीं, आर्यन तिवारी (8 वर्ष) का इलाज चल रहा है, जिसकी स्थिति नाजुक बताई जा रही है।प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, गांव के किनारे बने गहरे गड्ढों के पास बच्चे खेलने के लिए मिट्टी निकालने गये थे। इसी दौरान मिट्टी निकालते समय एक बच्ची फिसलकर पानी में गिर पड़ी। उसे बचाने के प्रयास में बाकी दोनों बच्चे भी गहरे पानी में चले गए।

कुछ देर तक बच्चों के न दिखने पर लोगों ने तलाश शुरू की और गड्ढे में पड़े देख हड़कंप मच गया।मृतका दिया के पिता जितेन्द्र तिवारी गोरखपुर में सब्जी का कारोबार करते हैं, जबकि अनुष्का के पिता विजय गौड़ बाहर रहकर मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। दोनों परिवारों के घर मातम का माहौल है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। दिया दो बहन और एक भाई जब कि अनुष्का दो बहन एक भाई थे। बच्चों के मौत की खबर मिलते पूरे गांव में कोहराम मच गया। परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है और गांव का माहौल गमगीन बना हुआ है।

22 सितंबर 2025 को बराबर होंगे दिन और रात...

क्या होता है संपात बिंदु या Equinox : जब दिन-रात होते हैं बराबर, जानिए इसके पीछे का संपूर्ण खगोलीय रहस्य एवं मान्यताएँ ।

खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि Equinox (संपात बिंदु) वह खगोलीय घटना होती हैं जब सूर्य आकाशीय भूमध्य रेखा को पार करता है; अर्थात सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर पड़ती हैं। इसी का नतीजा होता कि पृथ्वी पर दिन और रात की अवधि लगभग समान हो जाती है। और यह खगोलीय घटना साल में दो बार घटित होती है: वसंत संपात (लगभग 21 मार्च) और शरद संपात (लगभग 22-23 सितंबर)। इस वर्ष शरद संपात 22 सितंबर को घटित होगा।

वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि 22 सितंबर 2025 को दिन और रात बराबर होंगे और इस दिन के बाद धीरे धीरे भारत समेत पूरे उत्तरी गोलार्ध में पड़ने वाले तमाम देशों में भी दिन छोटे और रातें बड़ी होनी शुरू जायेंगी।

क्या होते हैं संपात बिंदु ( Equinox ) ?

खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि _ “Equinox” का अर्थ “समान रात” होता है (Latin: aequus = समान, nox = रात)।

इस दिन पृथ्वी पर दिन और रात लगभग बराबर हो जाते हैं, शरद संप्राप्त उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है और दक्षिणी गोलार्ध में यह वसंत की शुरुआत को दर्शाता है। या कुछ यूं कहें कि Equinox (संपात बिंदु ) वह खगोलीय घटना है जब सूर्य, पृथ्वी की भूमध्य रेखा (Equator) के ठीक ऊपर दिखाई देता है। इस दिन पूरी दुनिया में दिन और रात की लंबाई लगभग बराबर होती है।

भारत में कब और कैसे घटित होगी यह खगोलीय घटना ?

इस बाबत खगोलविद अमर पाल सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2025 में शरद संपात 22 सितंबर को घटित होगा। भारत में इस दिन सूर्य बिल्कुल पूर्व दिशा से उगता हुआ और बिल्कुल ठीक पश्चिम दिशा में अस्त होता हुआ दिखाई देगा।

खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि यह भी विशेष ध्यान रहे कि सूर्य को कभी भी साधारण आँखों से नहीं देखना चाहिए हैं ,नहीं तो सूर्य से आने वाली अल्ट्रा वॉयलेट, इंफ्रा रेड एवं अन्य प्रकार की घातक किरणों से आंखों को गहरा नुकसान हो सकता है। सूर्य को देखने के लिए किसी प्रमाणित विशेष सूर्य चश्मे या सोलर गॉगल या पिन होल कैमरा अथवा विशेष सूर्य दर्शी सोलर फ़िल्टर युक्त दूरबीनों से ही किन्हीं विशेषज्ञों की मदद से ही देखना चाहिए।

खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि 22 सितंबर को सूर्य का उदय और अस्त की दिशा ठीक 90° और 270° पर होगी है। एवं 22 सितंबर 2025 को रात 11:49 बजे (IST) यानि उस समय दिन और रात लगभग बराबर होंगे। एवं इस दिन के बाद से ही उत्तरी गोलार्ध (भारत सहित) में रातें लंबी और दिन छोटे होने शुरू हो जाएंगे।

क्या है इसके पीछे का खगोलीय कारण ?

खगोलविद ने बताया कि इसके पीछे का खगोल विज्ञान कुछ इस प्रकार होता है। जैसा कि सर्वविदित है कि पृथ्वी अपनी काल्पनिक धुरी या अक्ष पर 23.5° झुकी हुई है यह झुकाव ही ऋतु परिवर्तन का कारण होता है, और अपने इसी झुकाव के साथ ही अपने अक्ष पर एक घूर्णन पूरा करने को एक पूर्ण दिवस कहा जाता है उसके साथ साथ ही आगे बढ़ते हुए सूर्य की परिक्रमा भी करती रहती है जब एक परिक्रमण पूरा होता है तो इसी को एक वर्ष कहा जाता है और जब मार्च और सितंबर के दौरान सूर्य की किरणें सीधे भूमध्य रेखा पर पड़ती हैं इसलिए उस दिन पूरी दुनिया में दिन और रात लगभग बराबर हो जाते हैं। और अब अगर हम बात करें मार्च संपात की तो पाते हैं कि मार्च संपात के बाद उत्तरी गोलार्ध में गर्मी बढ़ने लगती है। और सितंबर संपात के बाद उत्तरी गोलार्ध में ठंडक (शरद ऋतु) शुरू हो जाती है।

खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि इसको लेकर पूरी दुनिया में मानव सभ्यता की अपने अपने हिसाब से अनेकों प्राचीन मान्यताएँ भी रही हैं । जैसे कि मिस्र की सभ्यता में कुछ पिरामिड और मंदिर/ विशेष स्थान एवं खगोलीय यंत्र ऐसे बनाए गए थे कि संपात Equinox के दिन सूर्य की किरणें विशेष कोण पर पड़ें। और माया सभ्यता में चिचेन इत्ज़ा (Chichen Itza) के पिरामिड पर इस दिन सूर्य की छाया सांप के आकार की प्रतीत होती थी, जिसे देवता कुकुलकन का आगमन माना जाता था। एवं यूनान और रोम में इस दिन को फसल कटाई और ऋतु परिवर्तन का त्योहार माना जाता था। प्राचीन कालीन भारतीय वैज्ञानिक इतिहास में भारतीय प्राचीन पंचांग और प्राचीन खगोल विज्ञान और गणित ज्योतिष में संपात बिंदुओं को ऋतु परिवर्तन का संकेत माना गया है तथा यहाँ इसे कृषि चक्र और पर्व-त्योहारों आदि से भी जोड़ा गया है।

(Equinox ) संपात का असर क्या होता है:

खगोलविद अमर पाल सिंह ने इसके बारे में कुछ संक्षित बिंदुओं में इस प्रकार बताया कि

1_इस दौरान दिन और रात लगभग बराबर होंगे

2_सूर्य ठीक पूरब से निकलकर ठीक पश्चिम में अस्त होगा।

3_ दिनभर छाया की दिशा दक्षिण की ओर मुख्य रूप से रहती है (उत्तरी गोलार्ध में)

शरद संप्राप्त का खगोलीय महत्व

4_ सूर्य का स्थान: सूर्य सीधे पृथ्वी के विषुवत रेखा के ऊपर होता है।

5_दिन-रात का संतुलन: धरती पर सभी स्थानों पर दिन और रात की लंबाई लगभग बराबर होती है।

6_ ऋतु परिवर्तन: उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु की शुरुआत, दक्षिणी गोलार्ध में वसंत की शुरुआत।

खगोलविद अमर पाल सिंह ने निष्कर्ष के तौर पर बताया कि खगोलीय संपात बिंदु (Equinox) केवल एक खगोलीय घटना नहीं है,बल्कि यह मौसम बदलने का वैश्विक संकेत भी होता है। इसीलिए भारत सहित पूरी दुनिया में यह दिन यह बताता है कि पृथ्वी का झुकाव और गति हमारे जीवन, ऋतुओं और फसलों पर कितना गहरा असर डालता है। साथ ही, यह प्राचीन कालीन मान्यताओं और आधुनिक खगोल विज्ञान को जोड़ने वाली एक अद्भुत कड़ी भी है।

वीर बहादुर सिंह पी.जी. काॅलेज हरनहीं में राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर संगोष्ठी आयोजित

खजनी गोरखपुर।वीर बहादुर सिंह पी.जी.कॉलेज हरनहीं महुरांव में आज राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक विद्यार्थियों ने हिंदी दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया। प्राचार्य डाॅ.के.पी. चौरसिया द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यर्पण पूजन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

प्राचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, इसका सम्मान राष्ट्र का सम्मान है, भाषा के माध्यम से ही हम अपनी अभिव्यक्ति को प्रकट करते हैं। हमें अपने बोलचाल में हिंदी का प्रयोग करना चाहिए। प्रवक्ता डॉ.इन्द्रजीत सिंह, श्रीनारायण त्रिपाठी आदि ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया।

बी.ए. की छात्रा शिवांगी त्रिपाठी ने कव्यपाठ किया, छात्र अभिषेक कुमार ने कहा कि भारत के विविधता में एकता है भारत की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली भाषा हिंदी है, यह विश्व की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है इसलिए राष्ट्र के सम्मान में हिंदी का प्रयोग सभी को करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन पुष्पा मिश्रा ने किया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक डा.अरुण कुमार नायक, शैलेंद्र कुमार, अभिमन्यु, राजन, नसीम बानो, एकता सिंह, सौम्या मौर्य, बबीता मौर्य, प्रतिभा दूबे आदि विद्यार्थी मौजूद रहे।

गृह कलह से परेशान 32 वर्षीय युवक ने फंदे से लटक कर जान दी

खजनी गोरखपुर।खजनी थाने की महुआडाबर पुलिस चौकी क्षेत्र के रामपुर मलौली गांव के निवासी युवक सागर श्रीवास्तव उर्फ गोलू 32 वर्ष ने अंतर्जातीय विवाह और अधिक कर्ज होने के कारण गृह कलह से परेशान हो कर फंदे से लटक कर अपनी जान दे दी।

सबेरे घर में लटकता शव देखकर परिवार में कोहराम मच गया, घटना की सूचना पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंचे चौकी इंचार्ज अभिषेक सिंह ने फारेंसिक टीम के साथ प्राथमिक जांच और पंचायतनामे के बाद शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

मिली जानकारी के अनुसार युवक ने अंतर्जातीय विवाह किया था तथा 6 वर्ष और 3 वर्ष के दो बच्चों का पिता था, बेरोजगार होने के कारण पारिवारिक कलह से परेशान युवक ने कई लोगों से कर्ज भी लिया था। कर्जदार युवक से लोग अपने पैसे वापस मांगते थे जिससे वह बेहद परेशान रहता था।

पत्नी और बच्चों के साथ अपनी ससुराल वसंतपुर गोरखपुर में रहता था, शनिवार को देर शाम वह अपने गांव रामपुर मलौली आया था और अपने कमरे में सोने चला गया था। सबेरे जब देर तक कमरे का दरवाजा नहीं खुला तो परिवार के लोगों को कमरे के भीतर कुंडी से लटकता शव मिला, जिसकी सूचना 9.30 बजे खजनी थाने में पुलिस को दी गई। बताया गया कि युवक के माता-पिता की मौत हो चुकी है।

माताओं ने पुत्रों की दीर्घायु की कामना में रखा जिवित्पुत्रिका व्रत

खजनी गोरखपुर।अपने पुत्रों की लंबी आयु एवं अच्छे स्वास्थ्य की कामना में आश्विन मास पितृपक्ष की अष्टमी तिथि को होने वाले जीवित्पुत्रिका व्रत में माताओं ने कठोर निर्जल, निराहार व्रत रह पूजा अर्चना की और व्रत कथा सुनी।

लोकभाषा में इसे "जिउतिया व्रत" या "जितिया व्रत" भी कहा जाता है, और ज्यादातर पुत्रवती माताएं ही जीवित्पुत्रिका व्रत रहती हैं।

यह व्रत हर वर्ष आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। 

इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं अपने पुत्र के दीर्घायु,आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए निर्जल व्रत रहती हैं। इस दिन गन्धर्वों के राजकुमार जीमूतवाहन की विशेष पूजा की जाती है। व्रत वाले दिन जीवित्पुत्रिका व्रत कथा सुनना आवश्यक माना गया है। इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

रविवार को क्षेत्र में पुत्रवती माताओं ने श्रद्धापूर्वक व्रत रहकर अपने पुत्रों के स्वस्थ्य और लंबे जीवन की कामना की साथ ही बरियार नामक पौधे की पूजा की और व्रतकथा सुनीं।

पौराणिक एवं लोकमान्यताओं के अनुसार इस व्रत में माताऐं भगवान जीमूतवाहन की उपासना करते हुए अपने पुत्रों के दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना में निर्जल एवं निराहार व्रत रहकर सायंकाल बरियार नामक पौधे की पूजा करती हैं।

प्रात: सूर्योदय से पहले प्रारंभ होने वाले इस व्रत में माताओं ने सबेरे ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पूरे दिन और रात निर्जल व्रत रहने का संकल्प लिया।

 लोकमान्यताओं और व्रत के विधान के अनुसार व्रत के समापन पर सिर्फ बछड़े वाली गाय के दूध, जिउतिया (रंगीन लाल धागे की माला) दान के लिए श्रृंगार की वस्तुऐं,सप्त धान्य (सात प्रकार के अन्न),सरपुतिया की सब्जी,भैंस के दूध की दही,चिवड़ा (पोहा),नेनुआ के पत्ते,कुशा,धूप,दीप,मिठाई,फल, सरसों का तेल,खल्ली,गाय के गोबर आदि विशेष पूजन सामाग्री का प्रयोग करती हैं। इसमें पारंपरिक चिल्हो सियारो,राजा जीमूतवाहन और भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी व्रतकथा सुनने के बाद अगले दिन समापन के अवसर पर व्रत का पारण और दान दक्षिणा देने का विधान है।

पंडित प्रेमचंद राम त्रिपाठी ने बताया कि यह कठिन व्रत सभी माताएं अपनी संतानों की लंबी स्वास्थ्य आयू और उनके सुख समृद्धि के लिए श्रद्धा पूर्वक रहती हैं।

लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारों के कंधे पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी- एमएलसी

खजनी गोरखपुर।सिकरीगंज कस्बे में आयोजित पूर्वांचल पत्रकार एसोसिएशन के पहचान पत्र वितरण और सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे विधान परिषद सदस्य देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि संचार माध्यमों की क्रांति के इस दौर में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकार के कंधे पर समाज की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, पत्रकार ही देश और समाज की दशा और दिशा तय करता है। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय में व्यापक पैमाने पर हो रही धांधली तथा प्रदेश में बिना मान्यता के चल रहे।

विधि स्नातक महाविद्यालय में होने वाली धोखाधड़ी की घटनाओं का जिक्र किया। विशिष्ट अतिथि मान्यता प्राप्त पत्रकार एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार अरविंद राय ने मौजूद पत्रकारों को नई समाजिक चुनौतियों और निष्पक्ष पत्रकारिता के दायित्वों की जानकारी दी। पूर्व विधायक संत प्रसाद बेलदार ने कहा कि ग्रामीण पत्रकारों द्वारा भेजी गई अपने क्षेत्र की खबरें अखबारों में जरूर छपनी चाहिए, किंतु कई बार ऐसा नहीं होता ऐसी घटनाएं दु:खद हैं।

इस अवसर पर सूचना विभाग के निदेशक प्रशांत श्रीवास्तव, अनिल सिंह आदि ने भी संबोधित किया।

अतिथियों ने तहसील क्षेत्र के पत्रकारों को पहचान पत्र दिए तथा सभी अतिथियों को अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट देकर सम्मानित किया गया।

संचालन केपी कुशवाहा ने किया, आयोजन में धर्मनाथ जायसवाल, दुर्गेश पटवा, कृपाशंकर उर्फ जुगनू दूबे, संजय चंद, मनजीत सिंह, उमाशंकर मिश्रा, अवधेश दूबे, विकास मिश्रा, चंदन सिंह, महेंद्र प्रताप सिंह, जेपी गुप्ता, सुधाकर त्रिपाठी, रीना शुक्ला, हिमांशु शुक्ला, अंजलि शुक्ला, प्रकाशचंद्र पांडेय,धीरेन्द्र दूबे,उमेश दूबे, मनोज श्रीवास्तव, कृपाशंकर सिंह, राम अशीष तिवारी समेत दर्जनों पत्रकार मौजूद रहे।

इस्लाम धर्म में प्रेम, दया, दूसरों की मदद करने की शिक्षा दी गई : कारी अनस

मुस्लिम महिलाओं की संगोष्ठी

गोरखपुर। रविवार को मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में मुस्लिम महिलाओं की 24वीं संगोष्ठी हुई। अध्यक्षता ज्या वारसी ने की। कुरआन-ए-पाक कि तिलावत खुशी ने की। हम्द व नात-ए-पाक इरम, सना फातिमा, सानिया, लाइबा और हदीस व दीनी बात सना खान ने पेश की। पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के पैगाम पर रोशनी डाली गई।

मुख्य वक्ता कारी मुहम्मद अनस रजवी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम हमें सिखाता है कि अल्लाह एक है, सिर्फ वही इबादत के लायक है। पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के आखिरी नबी व रसूल हैं। कुरआन-ए-पाक अल्लाह की किताब है। इस्लाम धर्म हमें यह भी सिखाता है कि झूठ न बोलो, चोरी न करो, और दूसरों के साथ अच्छे से व्यवहार करो। इस्लाम धर्म में प्रेम, दया, और दूसरों की मदद करने की शिक्षा दी गई है।

संचालन करते हुए सना फातिमा, नूर फातिमा ने कहा कि प्रतिदिन पांच बार नमाज पढ़ना आवश्यक है। नमाज इंसान को हर बुराई से दूर रखती है। नमाज पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आंखों की ठंडक है। नमाज खुद भी अदा करें और घर वालों से भी नमाज पढ़ने के लिए कहें।

विशिष्ट वक्ता शिफा खातून ने महिलाओं के लिए पर्दे का जिक्र करते हुए कहा कि इस्लाम धर्म में महिलाओं के लिए पर्दा बेहद जरूरी करार दिया गया है। लिहाजा पर्दे का हर हाल में ख्याल रखा जाए। पर्दा पाबंदी नहीं अनुशासन है। इस्लाम धर्म का कोई भी कानून पाबंदी नहीं अनुशासन है। लिहाजा शरीअत के अनुशासन का हर हाल में पालन किया जाए। शादी में फिजूलखर्ची अल्लाह व पैगंबर-ए-इस्लाम को पसंद नहीं है इसलिए शादियों को पैगंबर-ए-इस्लाम के सुन्नत के मुताबिक अमल में लाया जाए।

अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में खुशहाली, तरक्की व अमन की दुआ मांगी गई। संगोष्ठी में फिजा खातून, आस्मां खातून, सना, मुबस्सिरा, इनाया फातिमा, शबाना खातून, हदीसुन निशा, नूर अफ्शा, अख्तरुननिसा, असगरी खातून आदि मौजूद रहीं।

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बच्चों को हर हाल में मां-बाप का कहना मानना चाहिए : मुजफ्फर रूमी

गोरखपुर। रविवार को जामिया अल इस्लाह एकेडमी नौरंगाबाद में दीनी बाल संगोष्ठी हुई। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हाफिज रहमत अली निजामी ने की। उन्होंने ही नात-ए-पाक पेश की।

बच्चों को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता वरिष्ठ शिक्षक मुजफ्फर हसनैन रूमी ने कहा कि बच्चों को हर हाल में मां-बाप का कहना मानना चाहिए।पढ़ाई, शादी ब्याह, चाकलेट, कपड़े से लेकर हमारे हक में बेहतर व हर फैसला लेने का हक मां-बाप को है। मां-बाप हमारी लिए बड़ी नेमत हैं। उनकी कद्र करें। उनकी बात मानें। किताब व कलम से दोस्ती करें। हर रोज किताब पढ़ें। महीने में एक किताब जरूर खत्म करें। नेक बनें, बुराई से दूर रहें। मां-बाप को भी चाहिए कि बच्चों को शिक्षा जरूर दिलाएं। आत्मविश्वास का एक महत्वपूर्ण आधार अल्लाह में दृढ़ विश्वास रखना है। अल्लाह की इच्छा के बिना कुछ भी नहीं हो सकता, और यही विश्वास एक इंसान को शक्ति देता है। जब कोई इंसान किसी काम का फैसला करता है, तो उसे अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिए, क्योंकि अल्लाह ऐसे लोगों को पसंद करता है जो उस पर भरोसा करते हैं। एक आत्मविश्वास से भरा इंसान अपनी क्षमताओं को जानता है और दूसरों से तुलना नहीं करता, बल्कि अल्लाह की कृपा के प्रति आभारी रहता है। इस्लाम धर्म में खाने, पीने, उठने, बैठने, सोने यहां तक कि इस्तिंजा करने का तरीका भी बताया गया है। रास्ता चलने के आदाब भी बयान किए गए हैं। अल्लाह के हुक्म के साथ-साथ बंदों के हुकूक के बारे में विस्तार से बता कर उनको अदा करने का बार-बार निर्देश दिया गया है। इस्लाम ने नाप तौल में कमी, सूद, रिश्वत, जुआ, शराब और दूसरी नशे वाली चीजों को हराम करार दिया है, ताकि इन बर्बाद करने वाली बुराईयों से बचकर एक अच्छे व पाक साफ समाज को वजूद में लाया जा सके।

विशिष्ट वक्ता कारी मुहम्मद अनस रजवी ने कहा कि तौहीद व अमन इस्लाम की पहचान और इंसानियत इस्लाम की धरोहर है। नबी-ए-पाक हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूरी दुनिया को तौहीद, अमन और इंसानियत की पहचान कराई। कुरआन-ए-पाक में हर चीज का इल्म है। कुरआन-ए-पाक इब्तिदा-ए-इस्लाम से आज तक वैसा ही है जैसा नाजिल हुआ था और हमेशा वैसा ही रहेगा। अब न कोई नबी पैदा होने वाला है और न कोई किताब आने वाली है। जो कुरआन पर विश्वास न करे वह मुसलमान नहीं है।

अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में शांति, तरक्की व भाईचारगी की दुआ मांगी गई। चाकलेट बांटी गई। संगोष्ठी में अली अहमद, विद्यालय संचालक आसिफ महमूद, प्रधानाचार्या आयशा खातून, नेहाल अहमद, शीरीन आसिफ, बेलाल अहमद, आरजू, गुल अफ्शा, अदीबा, फरहीन, मंतशा, सना, आफरीन, नाजिया, फरहत, यासमीन, आयशा, तानिया, शिफा खातून, सना फातिमा, सादिया नूर सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

*त्योहारों में अश्लील गाने बजे तो आयोजकों की खैर नहीं, क्षेत्राधिकारी ने दी चेतावनी*

खजनी गोरखपुर।।शनिवार को देर शाम खजनी थाना परिसर में आयोजित शांति समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए क्षेत्राधिकारी खजनी शिल्पा कुमारी ने विश्वकर्मा पूजा, नवरात्र में दुर्गा पूजा, दशहरा, दीपावली, छठ पूजा आदि त्योहारों में पांडाल लगा कर मूर्तियां स्थापित कर पूजा पाठ करने वाले सभी आयोजकों को सख्त निर्देश दिया कि धार्मिक आयोजनों में अश्लील भद्दे द्विअर्थी गीत और तेज आवाज में डीजे बजाने की अनुमति किसी को भी नहीं दी जाएगी। प्रदेश शासन की मंशा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आदेश का उल्लंघन करने वाले आयोजकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

इस दौरान थानाध्यक्ष अनूप सिंह ने आयोजकों से उनकी समस्याओं और सुझावों की जानकारी देते हुए कहा कि किसी को भी नई परंपरा शुरू करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। यदि कोई नया आयोजन शुरू करना चाहता हो तो उसे उप जिलाधिकारी खजनी से इसकी अनुमति लेनी होगी और खजनी थाने में इसकी सूचना देनी होगी।

इस अवसर पर पांडालों में आग से सुरक्षा की व्यवस्था करने, मंचों को मजबूत बनाने, विसर्जन के दौरान शराब पी कर उपद्रव न करने जैसी दर्जनों हिदायतें भी दी गईं।

क्षेत्राधिकारी खजनी ने रात में ड्रोन उड़ाने वाली अफवाहों से लोग को न घबराने की सलाह देते हुए कहा कि इस पर प्रशासन की निगाह बनी हुई है किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है। पब्लिक का कोई नुकसान नहीं होगा पुलिस टीम रात में इलाके में गश्त करती रहती है। उन्होंने किसी भी प्रकार की विषम परिस्थिति में तत्काल पुलिस विभाग के हेल्पलाइन नंबरों पर तथा अपने और थानाध्यक्ष के मोबाइल नंबर पर सूचना देने की बात कही।

बैठक में त्योहारों में मूर्ति स्थापित करने वाले आयोजक क्षेत्रीय ग्राम प्रधान कस्बे के व्यापारी और थाने के सभी सब इंस्पेक्टर कांस्टेबल सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।