अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर मे पाथ एवं उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य निदेशालय के सहयोग से वेक्टर जनित रोग प्रबंधन कार्यशाला का सफल
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गोरखपुर। उत्तर प्रदेश – जनस्वास्थ्य क्षमता को सुदृढ़ बनाने एवं वेक्टर जनित रोगों (Vector-Borne Diseases – VBDs) के प्रति क्षेत्रीय प्रतिक्रिया को बेहतर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) गोरखपुर ने PATH एवं उत्तर प्रदेश शासन के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशालय के सहयोग से एक दिवसीय वेक्टर जनित रोग केस मैनेजमेंट कार्यशाला का सफल आयोजन किया।
PATH (Programme for Appropriate Technologies in Health) एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है, जो विज्ञान, तकनीक और साझेदारी के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ, प्रभावी और न्यायसंगत बनाने के लिए कार्य करता है।
कार्यशाला का उद्देश्य एवं दायरा
इस कार्यशाला का उद्देश्य चिकित्सकों, सामुदायिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं जनस्वास्थ्य पेशेवरों को मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, लिम्फैटिक फाइलेरिया एवं विसरल लीशमैनियासिस (काला आजार ) जैसे रोगों के निदान, प्रबंधन एवं रोकथाम में उन्नत ज्ञान और व्यावहारिक कौशल प्रदान करना था। प्रतिभागियों ने विशेषज्ञ व्याख्यान, इंटरैक्टिव केस डिस्कशन और कौशल-आधारित डेमोंस्ट्रेशन सत्रों में भाग लिया।
कार्यशाला की मुख्य विशेषताएं
• साक्ष्य-आधारित प्रोटोकॉल: राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों एवं डब्ल्यूएचओ-अनुरूप उपचार प्रोटोकॉल के साथ नवीनतम निगरानी रणनीतियों की समीक्षा।
• व्यावहारिक प्रशिक्षण: निदान तकनीक, रोगी ट्रायेज मॉडल और प्रकोप प्रबंधन उपकरणों पर अभ्यास।
• सहयोगात्मक दृष्टिकोण: जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण, अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मी (आशा, एएनएम) और एआईआईएमएस गोरखपुर की क्लीनिकल टीमों के बीच समन्वित प्रतिक्रिया पर जोर। रणनीतिक योजना: रेफरल सिस्टम, जन-जागरूकता अभियानों एवं डाटा-आधारित निर्णय प्रक्रिया को मजबूत करने के ढांचे पर चर्चा।
इस मौके पर
• मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता, कार्यकारी निदेशक, एआईआईएमएस गोरखपुर ने कहा: “यह कार्यशाला जनस्वास्थ्य क्षमता निर्माण और सामुदायिक लचीलापन बढ़ाने के प्रति हमारे संस्थान की प्रतिबद्धता का उत्कृष्ट उदाहरण है। मैं सभी चिकित्सकों से आग्रह करती हूँ कि इन रोगों के उन्मूलन के लिए सक्रिय योगदान दें। एआईआईएमएस इस क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्ध है।”
• डॉ. सत्यब्रत, एनटीडी निदेशक, पीएटीएच ने कहा: “स्थानीय चिकित्सकों एवं जनस्वास्थ्य कर्मियों को सशक्त बनाना, इस क्षेत्र में वेक्टर जनित रोगों के खतरे को नियंत्रित करने और कम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
• उत्तर प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशालय के प्रतिनिधि ने कहा: “हम ऐसे साझेदारी प्रयासों के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमारी अग्रिम पंक्ति की स्वास्थ्य संरचना को मजबूत बनाते हैं।”
• डॉ. अनिल कोपरकर, एआईआईएमएस गोरखपुर ने कहा: “शीघ्र निदान और त्वरित उपचार इन रोगों के नियंत्रण की कुंजी है। सामूहिक औषधि सेवन (MDA) की सफलता ही फाइलेरिया उन्मूलन की सफलता होगी। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से एआईआईएमएस वेक्टर जनित रोगों के निदान और उपचार के लिए उत्कृष्ट केंद्र बन सकता है।”
विशेषज्ञ योगदान
कार्यशाला में डॉ. जया चक्रवर्ती (बीएचयू), डॉ. शहवार काज़मी (WHO), डॉ. शोएब अनवर, राज्य एनटीडी लीड (PATH), तथा डॉ. कनिष्क एवं डॉ. बृजेश (एआईआईएमएस गोरखपुर) ने तकनीकी सत्र लिए।
आयोजन में योगदान
इस आयोजन को सफल बनाने में डॉ. आनंद दीक्षित के नेतृत्व में डॉ. अनिल कोपरकर एवं डॉ. प्रदीप खार्या (सामुदायिक एवं परिवार चिकित्सा विभाग, एआईआईएमएस गोरखपुर) के साथ डॉ. सिद्धार्थ चक्रवर्ती एवं उनकी पाथ टीम का विशेष योगदान रहा।
भविष्य की दिशा
यह कार्यशाला क्लीनिकल तत्परता एवं सामुदायिक प्रतिक्रिया तंत्र को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रतिभागियों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर आगामी प्रशिक्षण मॉड्यूल, कैस्केडिंग वर्कशॉप्स और क्षेत्रीय वेक्टर जनित रोग निगरानी एवं प्रबंधन टास्क फोर्स के गठन की योजना बनाई जाएगी।
एआईआईएमएस गोरखपुर पाथ, डब्ल्यूएचओ और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में जनस्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने और वेक्टर जनित रोगों से बेहतर तैयारी सुनिश्चित करने के लिए सतत प्रयासरत है।
Aug 08 2025, 18:24