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नितिन नबीन ने बने बीजेपी के सबसे युवा कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष, जाने बीजेपी ने क्या दिया संदेश?

#nitin _

भारतीय जनता पार्टी बिहार के कैबिनेट मंत्री नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष (नेशनल वर्किंग प्रेसिडेंट) नियुक्त किया है। यह फैसला पार्टी के संसदीय बोर्ड द्वारा मंजूर किया गया है और वर्तमान राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) अरुण सिंह द्वारा जारी आदेश से यह निर्णय सार्वजनिक किया गया है।

14 जनवरी के बाद नितिन नवीन के बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की औपचारिक घोषणा हो सकती है। ऐसे में वो बीजेपी के सबसे युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे। अगले साल जनवरी में जब वे राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे, तब उनकी उम्र केवल साढ़े 45 साल रहेगी। इससे पहले अमित शाह 49 वर्ष की उम्र में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे, जबकि नितिन गडकरी ने 52 साल की उम्र में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला था।

युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने का संकेत

नितिन नवीन को फिलहाल जेपी नड्डा की जगह पार्टी की कमान सौंपी गई है। नितिन को इतनी बड़ी जिम्मेदारी यूं ही नहीं सौंपी। नितिन नबीन दिल्ली के जमे-जमाए राजनीतिक गलियारों का हिस्सा बने बिना शीर्ष संगठनात्मक पद संभालने जा रहे हैं। जाहिर है वर्षों से दिल्ली में संगठन से लेकर सरकार में जमें भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल जैसों के बजाए कम उम्र और दिल्ली के बाहर के नेता का चयन मौजूदा पीढ़ी के लिए भी संदेश है कि अब सरकार और संगठन में बड़े बदलाव होंगे और नई पीढ़ी आगे आएगी। यानी 45 वर्ष के नितिन नबीन का यह प्रमोशन युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने का संकेत है

नितिन नवीन पर भरोसे की वजह?

अब सवाल उठ रहा है, क्या वे अगले पूर्णकालिक अध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं? नितिन नवीन का बीजेपी में सफर संघर्षपूर्ण और तेजी से ऊपर उठने वाला रहा है। पार्टी ने उन्हें हमेशा महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी हैं जो उनकी संगठनात्मक क्षमता और चुनावी सफलता का प्रमाण हैं। वे दो बार राष्ट्रीय महामंत्री (युवा मोर्चा) रह चुके हैं जहां उन्होंने युवाओं को पार्टी से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई। बिहार में वे प्रदेश अध्यक्ष (युवा मोर्चा) के रूप में सक्रिय रहे, जिससे राज्य स्तर पर बीजेपी की युवा शाखा मजबूत हुई। इसके अतिरिक्त वे सिक्किम के प्रभारी और वर्तमान में छत्तीसगढ़ के प्रभारी के रूप में भी काम कर चुके हैं जहां उन्होंने पूर्वोत्तर और मध्य भारत में पार्टी का विस्तार किया।

शतरंज की समृद्ध धरोहर और उभरते सितारे, गुकेश डोमराजू ने संभाली कमान

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Gukesh Domraju (PTI)

भारत के युवा शतरंज खिलाड़ी गुकेश डोमराजू ने इतिहास रचते हुए गुरुवार को सिंगापुर में आयोजित 14-गेम मैच के आखिरी गेम में चीन के गत शतरंज विश्व चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र के शतरंज विश्व चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया। 18 साल के गुकेश ने इस नाटकीय मुकाबले में काले मोहरे से खेलते हुए डिंग को दबाव में झुकने पर मजबूर किया और अंततः 7.5-6.5 के स्कोर के साथ खिताब छीन लिया। यह जीत उन्हें शतरंज की दुनिया में एक नई पहचान दिलाने वाली साबित हुई।

गुकेश, जो केवल 18 वर्ष के हैं, इस खिताब को जीतने वाले सबसे युवा शतरंज विश्व चैंपियन बन गए। वह इससे पहले गैरी कास्पारोव (1985) से चार साल छोटे हैं, जिन्होंने 1985 में 22 साल की उम्र में अनातोली कार्पोव को हराकर शतरंज विश्व चैंपियन का खिताब जीता था। इस तरह गुकेश ने एक नई शतरंज पीढ़ी को प्रेरणा दी है। इस मैच के दौरान, डिंग लिरेन, जिनका प्रदर्शन 2023 में विश्व चैंपियन इयान नेपोमनियाचची को हराने के बाद कुछ कमजोर हुआ था, ने पहले कुछ राउंड में अच्छा खेल दिखाया, लेकिन अंत में उनकी गलतियों ने गुकेश को जीत दिलाई। 2023 के बाद से, डिंग ने लंबे समय तक "क्लासिकल" शतरंज में कोई बड़ा मैच नहीं जीता था और कई शीर्ष आयोजनों से दूर रहे थे। 

गुकेश की इस ऐतिहासिक जीत ने उसे कैंडिडेट्स टूर्नामेंट (अप्रैल में जीता गया) से विश्व चैंपियनशिप मैच तक पहुँचाया, जहां वह डिंग को मात देने में सफल रहे। यह मैच 14 राउंड के एक लंबे समय से चल रहे "क्लासिकल" इवेंट का हिस्सा था, जिसकी पुरस्कार राशि 2.5 मिलियन डॉलर थी। इस जीत से पहले, भारत के शतरंज क्षेत्र में विश्वनाथन आनंद,पेंटाला हरिकृष्णा, और विदित गुर्जरथी जैसे शीर्ष खिलाड़ियों ने अपनी जगह बनाई थी। गुकेश, जिनकी युवा सफलता से देशभर में शतरंज के प्रति रुचि बढ़ी है, भारत के शतरंज के भविष्य को लेकर उम्मीदों को और भी मजबूत करते हैं।

गुकेश की यह जीत शतरंज की दुनिया में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है, और यह युवा खिलाड़ियों को यह संदेश देती है कि अगर मेहनत और समर्पण हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। भारत में शतरंज का भविष्य अब और भी उज्जवल नजर आ रहा है, और गुकेश ने अपनी सफलता से यह साबित कर दिया कि युवा खिलाड़ी अब वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार हैं।

भारत का शतरंज से जुड़ाव हजारों वर्षों पुराना है, जो प्राचीन खेल चतुरंगा से जुड़ा हुआ है, जो 6वीं शताब्दी के आसपास का एक रणनीतिक बोर्ड खेल था। यह खेल 8x8 के ग्रिड पर खेला जाता था और इसे आधुनिक शतरंज का पूर्ववर्ती माना जाता है। चतुरंगा सिर्फ एक खेल नहीं था, बल्कि यह सम्राटों और सैनिकों के लिए युद्ध की रणनीतियों को समझने और सिखाने का एक माध्यम था। चतुरंगा का खेल फारस, इस्लामिक दुनिया और यूरोप में फैला और यहाँ से यह आधुनिक शतरंज के रूप में विकसित हुआ। जैसे-जैसे व्यापारिक मार्गों से यह खेल अन्य देशों में फैला, भारत का प्रभाव बना रहा, और आज यह देश वैश्विक शतरंज मंच पर एक प्रमुख शक्ति बन चुका है।

प्राचीन जड़ें: चतुरंगा और इसका विकास

आधुनिक शतरंज की जड़ें भारत के चतुरंगा में छुपी हैं, जिसका अर्थ है "सैन्य की चार शाखाएं" संस्कृत में, जो पैदल सेना, घुड़सवार, हाथी और रथों को दर्शाती हैं—जो आज के प्यादे, घोड़े, ऊंट और हाथी के रूप में बदल गए हैं। चतुरंगा केवल एक खेल नहीं था, बल्कि यह युद्ध की रणनीतियों की अभ्यास विधि था। यह खेल गुप्त साम्राज्य में खेला जाता था और इसके बाद यह फारस में शतरंज के रूप में विकसित हुआ, और फिर यूरोप में आधुनिक शतरंज के रूप में इसका रूप बदला।

भारत की आधुनिक शतरंज पुनर्जागरण

20वीं और 21वीं शताब्दियों में, भारत का शतरंज से जुड़ा योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहा है। 2000 में विश्वनाथन आनंद ने विश्व शतरंज चैंपियन बनकर इतिहास रचा, और वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय बने। उनके इस सफलता ने भारत के शतरंज के खेल को वैश्विक स्तर पर प्रमुख बना दिया। इसके बाद से भारत के युवा खिलाड़ियों ने भी इस खेल में अपनी पहचान बनाई है और उनकी सफलता ने शतरंज के प्रति देश की रुचि और प्रेरणा को बढ़ाया है।

भारत की शतरंज यात्रा प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक उत्कृष्टता, परंपरा और भविष्य की संभावनाओं से भरी हुई है। चतुरंगा से लेकर आज के वैश्विक सितारे जैसे आनंद, प्रग्गानंदा, और हरिकृष्णा तक, भारत शतरंज की दुनिया में प्रमुख शक्ति बन चुका है। युवा खिलाड़ियों और अनुभवी दिग्गजों के लगातार सफलता से यह सुनिश्चित हो गया है कि भारत का शतरंज क्षेत्र भविष्य में भी मजबूती से बढ़ता रहेगा और वैश्विक मंच पर अपनी धरोहर बनाए रखेगा।

भारत के गुकेश बने सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन, चीनी खिलाड़ी को हराकर रचा इतिहास

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भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने गुरुवार को विश्व शतरंज चैंपियनशिप के 14वें और अंतिम दौर में चीन के डिंग लिरेन को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया। लिरेन को हराकर वह सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बन गए। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने इतिहास रच दिया।

6.5 अंको के साथ खेल की शुरुआत हुई थी। अंतिम मैच भी ड्रॉ की तरफ बढ़ता दिख रहा था कि तभी लिरेन की एक गलती उनके लिए भारी पड़ गई और गुकेश को जीत दिला गई। 12 साल के बाद किसी भारतीय ने इस खिताब को अपने नाम करने में कामयाबी हासिल की है।इसके साथ ही विश्वनाथ आनंद के बाद वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप का खिताब जीतने वाले गुकेश सिर्फ दूसरे भारतीय ग्रैंडमास्टर बन गए हैं।

सिंगापुर में पिछले कई दिनों से चल रही वर्ल्ड चैंपियशिप में चीन के डिंग और भारत के गुकेश के बीच कड़ी टक्कर चल रही थी। डिंग ने पिछले साल ये चैंपियनशिप जीती थी। ऐसे में वो डिफेंडिंग चैंपियन के रूप में इस चैंपियनशिप में उतरे थे। वहीं गुकेश ने इस साल के शुरुआत में हुए कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर चैलेंजर के रूप में इस चैंपियनशिप में प्रवेश किया था।

पहले 13 राउंड में दोनों ने 2-2 मुकाबले जीतकर रोमांच और भी बढ़ा दिया था। 9 मैच ड्रॉ भी रहे थे और दोनों के पास 6.5 प्वाइंट्स ही थे। निर्णायक मैच में भी कांटे की टक्कर देखने को मिली। उन्होंने टाइब्रेकर तक इस खिताबी जंग को नहीं पहुंचने दिया। उन्होंने मुकाबले में चीन के ग्रैंडमास्टर को 7.5 – 6.5 के अंतर से शिकस्त दी। जैसे ही डिंग ने रिजाइन किया, गुकेश अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाए और अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे रोने लगे। उनके चेहरे पर जीत की खुशी, सपने के सच होने का एहसास और एक राहत साफ नजर आ रही थी, जबकि उनकी आंखों से आंसू भी बह रहे थे। वो वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहुंचने वाले विश्वनाथन आनंद के बाद सिर्फ दूसरे भारतीय और दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बने थे।

সর্বকনিষ্ঠ ভারতীয় মাউন্ট এভারেস্ট জয়, নতুন  ইতিহাস গড়ল ভারত
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এ এন আই: মুম্বাইয়ের কাম্য কার্তিকেয়ন বিশ্বের সর্বোচ্চ পর্বতশৃঙ্গ মাউন্ট এভারেস্ট জয় করল সর্বকনিষ্ঠ এক খুদে ভারতীয়। 16 বছর বয়সে তিনি এই কৃতিত্ব অর্জন করেছেন। 12 শ্রেণীতে অধ্যয়নরত। শিশুরা সাধারণত স্কুল শেষ করার পরে ক্যারিয়ার সম্পর্কে চিন্তা করতে শুরু করে। কিন্তু মুম্বাইয়ের একটি স্কুলে পড়ছেমাত্র ১৬ বছর বয়সে ইতিহাস সৃষ্টি করেছেন কাম্য কার্তিকেয়ান। তিনি বিশ্বের সর্বোচ্চ শৃঙ্গ মাউন্ট এভারেস্টে পৌঁছানো দ্বিতীয় সর্বকনিষ্ঠ মেয়ে হয়েছেন। কাম্যা, একজন ভারতীয় নৌবাহিনীর অফিসারের মেয়ে, মুম্বাইয়ের নেভি চিলড্রেন স্কুলে 12 শ্রেনীর ছাত্রী। তার পিতা কমান্ডার এস. কার্তিকেয়ান ভারতীয় নৌবাহিনীর একজন অফিসার এবং কাম্যা তার বাবার নাম নিয়েছেন এবং ভারতীয় নৌবাহিনীর কমান্ডার এস. কার্তিকেয়ানের সঙ্গে এভারেস্ট20 মে এভারেস্টের 8,849 মিটার উচ্চ শিখরে পৌঁছেছেন বাবা এবং মেয়ে। তবে এভারেস্ট জয়ের আগেও অনেক বড় বড় পাহাড় জয় করেছেন কাম্যা। সাত মহাদেশের ছয়টি সর্বোচ্চ শৃঙ্গে আরোহণ করতে সফল হয়েছেন কাম্যা। তার লক্ষ্য হল এই বছরের ডিসেম্বরে অ্যান্টার্কটিকার মাউন্ট ভিনসন ম্যাসিফে আরোহণ করা বিশ্বের সাতটি সর্বোচ্চ শৃঙ্গ স্কেল করার চ্যালেঞ্জ সম্পূর্ণ করা।সবচেয়ে ছোট মেয়ে হতে পারে। কাম্যা কার্তিকেয়ন মাত্র সাত বছর বয়সে পাহাড়ে আরোহণ শুরু করেন। 2015 সালে তিনি 12 হাজার ফুট উঁচু চন্দ্রশীলা পর্বত জয় করেছিলেন। তারপর থেকে কামিয়ার ট্রেকিং চলতে থাকে। এর পরে তিনি হর কি দুন (13,500 ফুট), কেদারকন্ঠ (13,500 ফুট) এবং রূপকুন্ড লেক (16,400 ফুট) জয় করেন। 2017 সালে, তিনি নেপালের 17,600 ফুট উঁচু এভারেস্টের বেস ক্যাম্পেও গিয়েছিলেন। 20192017 সালে, তিনি হিমাচল প্রদেশের ভৃগু হ্রদ (14,100 ফুট) এবং 13,850 ফুট উঁচু সার পাসে ট্র্যাকও সম্পন্ন করেছিলেন। কাম্যা প্রধানমন্ত্রীর জাতীয় বাল শক্তি পুরস্কারে ভূষিত হয়েছেন। দেশের শিশুদের অসাধারণ কৃতিত্বের জন্য এই পুরস্কার দেওয়া হয়। টিএসএএফ জানিয়েছে, কাম্যা তার দলের সঙ্গে ৬ এপ্রিল কাঠমান্ডু পৌঁছেছে। অভিযোজন এবং বেশ কিছু দিনের পরিকল্পনার পর, 16 মে তার চূড়ান্ত শিখরে আরোহণ হয়।20 মে এভারেস্ট বেস ক্যাম্প থেকে শুরু করে এবং 20 মে সকালে চূড়ার দিকে চূড়ান্ত আরোহণ শুরু করে।
भारत ने रचा इत‍िहास, जानें कौन है काम्या जिसने सबसे कम उम्र में फतह किया एवरेस्ट

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मुंबई में रहनेवाली काम्या कार्तिकेयन दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बन गई हैं। उन्होंने यह उपलब्धि 16 साल की उम्र में हासिल की है।12वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे अमूमन स्कूल पूरा करने के बाद करियर के बारे में सोचना शुरू करते हैं। मगर मुंबई के एक स्कूल में पढ़ने वाली काम्या कार्तिकेयन ने महज 16 साल की उम्र में इतिहास रच दिया है। वो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाली दूसरी सबसे कम उम्र की लड़की बन गई हैं।

भारतीय नौसेना अधिकारी की बेटी काम्या मुंबई के नेवी चिल्ड्रन स्कूल में बारहवीं की छात्रा हैं। उनके पिता कमांडर एस. कार्तिकेयन भारतीय नौसेना में अधिकारी हैं।काम्या ने अपने पिता और भारतीय नेवी के कमांडर एस. कार्तिकेयन के साथ एवरेस्ट की चोटी को फतह किया।बाप-बेटी ने 20 मई को एवरेस्ट की 8,849 मीटर ऊंची चोटी पर पहुंचे।

हालांकि एवरेस्ट जीतने से पहले भी काम्या ने कई बड़े पहाड़ों को फतह किया है। काम्या ने सात महाद्वीपों में से छह सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई करने में सफलता पाई है। उनका लक्ष्य इस साल दिसंबर में अंटार्कटिका के माउंट विंसन मैसिफ पर चढ़ना है, ताकि वह दुनिया की सात सबसे ऊंची चोटियों को फतेह करने की चुनौती पूरा करने वाली सबसे कम उम्र की लड़की बन सकें।

काम्या कार्तिकेयन ने महज सात साल में ही पहाड़ चढ़ने शुरू कर दिए थे। 2015 में उन्होंने 12 हजार फीट ऊंचा चंद्रशिला पर्वत फतह किया था। काम्या की ट्रेकिंग का सिलसिला तभी से जारी है। इसके बाद उन्होंने हर की दून (13,500 फीट), केदारकांठा (13,500 फीट) और रूपकुंड लेक (16,400 फीट) को भी जीता। 2017 में वो नेपाल में मौजूद 17,600 फीट ऊंचे एवरेस्ट के बेस कैंप तक भी गईं। 2019 में उन्होंने भृगु लेक (14,100 फीट) और हिमाचल प्रदेश में मौजूद 13,850 फीट ऊंचे सर पास का भी ट्रेक पूरा किया था।

काम्या प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार से सम्मानित की जा चुकी हैं। यह पुरस्कार देश में बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए दिया जाता है। टीएसएएफ ने बताया कि काम्या अपनी टीम के साथ 6 अप्रैल को काठमांडू पहुंचीं। अनुकूलन और कई दिनों की योजना के बाद, उनकी अंतिम शिखर चढ़ाई 16 मई को एवरेस्ट आधार शिविर से शुरू हुई और 20 मई की सुबह शिखर की ओर अंतिम चढ़ाई शुरू की।

Debendra Lenka: The Young Entrepreneur Shaping Unitary Corporate Group's Soaring Success.

 

Unitary Corporate Group, under the leadership of its creative and imaginative Chairman Debendra Lenka, has emerged as one of India's fastest-growing groups. With a diversified portfolio that includes energy, power, information technology, social media, e-commerce, retail, cosmetics, and personal care, the company is making ripples across industries.

Debendra Lenka, the industry's youngest chairman, currently leads Unitary Corporate Group. His inventive approach and persistent commitment to quality have catapulted the organization to new heights. Lenka has always envisioned Unitary Corporate Group as a change agent, propelling forward through excellence and creativity.

Unitary Corporate Group has a diversified array of businesses. This extensive network enables the company to tap into a variety of high-value industries and capitalize on emerging opportunities. Unitary Corporate Group, with a focus on innovation and client satisfaction, is growing its presence both nationally and internationally.

Unitary Corporate Group's mission is clear: to become global leaders in high-value areas while making a good contribution to society. With a vision of global dominance in mind, the company is committed to creating products that enhance people's lives. Unitary Corporate Group intends to strengthen its position as a major corporate player in India by demonstrating integrity, passion, and conviction.

Chairman Debendra Lenka expresses his satisfaction with Unitary Corporate Group's achievements in a message to stakeholders. He emphasizes the company's commitment to technology advancement and customer-focused innovation. Lenka underlines that progress is more than just a desire; it is a constant journey driven by effort and teamwork. He is convinced that with the backing of dedicated employees and loyal consumers, Unitary Corporate Group will continue to accomplish excellent milestones.

As Unitary Corporate Group expands its influence across industries, the future looks bright. With Chairman Debendra Lenka leading the way, the company is primed for considerable growth in the corporate sector. Unitary Corporate Group is raising the bar in India's corporate landscape via innovation, dedication, and a commitment to quality.

In summary, Unitary Corporate Group is more than just a corporation; it is a shining example of success, thanks to Chairman Debendra Lenka's vision and leadership. As the company continues its journey of expansion and innovation, it stays committed to making a long-term effect on society while providing value to its consumers.

फ्रांस को मिला सबसे युवा और पहला गे प्रधानमंत्री, 34 वर्षीय गैब्रियल अटल बने पीएम

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गेब्रियल अटल फ्रांस के सबसे युवा प्रधानमंत्री बन गए हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने मंगलवार को गेब्रियल अटल को देश का नया प्रधान मंत्री नामित किया। 34 वर्ष की आयु के गेब्रियल अटल फ्रांस के सबसे युवा और पहले समलैंगिक प्रधानमंत्री हैं। गेब्रियल अटल खुले तौर पर खुद को गे बता चुके हैं। इससे पहले अटल ने शिक्षा मंत्री के रूप में सेवाएं दी हैं। प्रधानमंत्री के रूप में गैब्रियल की ये नियुक्ति तब हुई है जब इस साल के आखिर में होने वाले यूरोपीय संघ के चुनाव से पहले मैक्रों अपनी टीम में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहे हैं।

गैब्रियल अटल ने अपने से लगभग दोगुनी उम्र की प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न की जगह ली है। उनके इस्तीफे के बाद से ही अटल की तासपोशी लगभग तय मानी जा रही थी। एलिजाबेथ बोर्न के इस्तीफे की वजह नए इमिग्रेशन कानून को लेकर बढ़ रहे राजनीतिक तनाव को माना जा रहा है। राष्ट्रपति मैक्रों ने इस कानून का समर्थन किया था। बताया जा रहा है कि सोमवार को राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया था और मंगलवार को नए पीएम के नाम का एलान कर दिया। 62 वर्षीय एलिजाबेथ बोर्न को मई 2022 में देश का पीएम नियुक्त किया गया था। वो लगभग दो साल तक इस पद पर थीं। इस पद पर पहुंचने वाली वो फ्रांस की दूसरी महिला प्रधानमंत्री थीं।

फ्रांस में यह फेरबदल ऐसे समय में हुआ है, जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों साल के अंत में होने वाले यूरोपीय चुनावों से पहले अपनी शीर्ष टीम में फेरबदल करने की तैयारी कर रहे हैं। जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मैक्रों का खेमा धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन की पार्टी से लगभग आठ से दस प्रतिशत अंकों से पीछे चल रहे हैं।

गेब्रियल अटल की गिनती मैक्रों के करीबी सहयोगियों में होती है। गेब्रियल अटल ने कोविड महामारी के दौरान सरकार के प्रवक्ता के रूप में उभरे थे जिसके बाद उन्हें शिक्षा मंत्री बनाया दिया गया था। हाल के जनमत सर्वेक्षणों में देश के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में से एक, अटल ने रेडियो शो और संसद में सहजता से काम करने वाले एक समझदार मंत्री के रूप में अपनी पहचान बनाई है।ऐसे में अटल को प्रधानमंत्री बनाए जाने को लेकर कहा जा रहा है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति यूरोपीय संसद चुनावों से पहले अपने दूसरे जनादेश में नई जान फूंकना चाहते हैं। मैक्रों अब अटल के साथ मिलकर सरकार में नई जान डाल सकते हैं।

नितिन नबीन ने बने बीजेपी के सबसे युवा कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष, जाने बीजेपी ने क्या दिया संदेश?

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भारतीय जनता पार्टी बिहार के कैबिनेट मंत्री नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष (नेशनल वर्किंग प्रेसिडेंट) नियुक्त किया है। यह फैसला पार्टी के संसदीय बोर्ड द्वारा मंजूर किया गया है और वर्तमान राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) अरुण सिंह द्वारा जारी आदेश से यह निर्णय सार्वजनिक किया गया है।

14 जनवरी के बाद नितिन नवीन के बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की औपचारिक घोषणा हो सकती है। ऐसे में वो बीजेपी के सबसे युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे। अगले साल जनवरी में जब वे राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे, तब उनकी उम्र केवल साढ़े 45 साल रहेगी। इससे पहले अमित शाह 49 वर्ष की उम्र में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे, जबकि नितिन गडकरी ने 52 साल की उम्र में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला था।

युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने का संकेत

नितिन नवीन को फिलहाल जेपी नड्डा की जगह पार्टी की कमान सौंपी गई है। नितिन को इतनी बड़ी जिम्मेदारी यूं ही नहीं सौंपी। नितिन नबीन दिल्ली के जमे-जमाए राजनीतिक गलियारों का हिस्सा बने बिना शीर्ष संगठनात्मक पद संभालने जा रहे हैं। जाहिर है वर्षों से दिल्ली में संगठन से लेकर सरकार में जमें भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल जैसों के बजाए कम उम्र और दिल्ली के बाहर के नेता का चयन मौजूदा पीढ़ी के लिए भी संदेश है कि अब सरकार और संगठन में बड़े बदलाव होंगे और नई पीढ़ी आगे आएगी। यानी 45 वर्ष के नितिन नबीन का यह प्रमोशन युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने का संकेत है

नितिन नवीन पर भरोसे की वजह?

अब सवाल उठ रहा है, क्या वे अगले पूर्णकालिक अध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं? नितिन नवीन का बीजेपी में सफर संघर्षपूर्ण और तेजी से ऊपर उठने वाला रहा है। पार्टी ने उन्हें हमेशा महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी हैं जो उनकी संगठनात्मक क्षमता और चुनावी सफलता का प्रमाण हैं। वे दो बार राष्ट्रीय महामंत्री (युवा मोर्चा) रह चुके हैं जहां उन्होंने युवाओं को पार्टी से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई। बिहार में वे प्रदेश अध्यक्ष (युवा मोर्चा) के रूप में सक्रिय रहे, जिससे राज्य स्तर पर बीजेपी की युवा शाखा मजबूत हुई। इसके अतिरिक्त वे सिक्किम के प्रभारी और वर्तमान में छत्तीसगढ़ के प्रभारी के रूप में भी काम कर चुके हैं जहां उन्होंने पूर्वोत्तर और मध्य भारत में पार्टी का विस्तार किया।

शतरंज की समृद्ध धरोहर और उभरते सितारे, गुकेश डोमराजू ने संभाली कमान

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Gukesh Domraju (PTI)

भारत के युवा शतरंज खिलाड़ी गुकेश डोमराजू ने इतिहास रचते हुए गुरुवार को सिंगापुर में आयोजित 14-गेम मैच के आखिरी गेम में चीन के गत शतरंज विश्व चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र के शतरंज विश्व चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया। 18 साल के गुकेश ने इस नाटकीय मुकाबले में काले मोहरे से खेलते हुए डिंग को दबाव में झुकने पर मजबूर किया और अंततः 7.5-6.5 के स्कोर के साथ खिताब छीन लिया। यह जीत उन्हें शतरंज की दुनिया में एक नई पहचान दिलाने वाली साबित हुई।

गुकेश, जो केवल 18 वर्ष के हैं, इस खिताब को जीतने वाले सबसे युवा शतरंज विश्व चैंपियन बन गए। वह इससे पहले गैरी कास्पारोव (1985) से चार साल छोटे हैं, जिन्होंने 1985 में 22 साल की उम्र में अनातोली कार्पोव को हराकर शतरंज विश्व चैंपियन का खिताब जीता था। इस तरह गुकेश ने एक नई शतरंज पीढ़ी को प्रेरणा दी है। इस मैच के दौरान, डिंग लिरेन, जिनका प्रदर्शन 2023 में विश्व चैंपियन इयान नेपोमनियाचची को हराने के बाद कुछ कमजोर हुआ था, ने पहले कुछ राउंड में अच्छा खेल दिखाया, लेकिन अंत में उनकी गलतियों ने गुकेश को जीत दिलाई। 2023 के बाद से, डिंग ने लंबे समय तक "क्लासिकल" शतरंज में कोई बड़ा मैच नहीं जीता था और कई शीर्ष आयोजनों से दूर रहे थे। 

गुकेश की इस ऐतिहासिक जीत ने उसे कैंडिडेट्स टूर्नामेंट (अप्रैल में जीता गया) से विश्व चैंपियनशिप मैच तक पहुँचाया, जहां वह डिंग को मात देने में सफल रहे। यह मैच 14 राउंड के एक लंबे समय से चल रहे "क्लासिकल" इवेंट का हिस्सा था, जिसकी पुरस्कार राशि 2.5 मिलियन डॉलर थी। इस जीत से पहले, भारत के शतरंज क्षेत्र में विश्वनाथन आनंद,पेंटाला हरिकृष्णा, और विदित गुर्जरथी जैसे शीर्ष खिलाड़ियों ने अपनी जगह बनाई थी। गुकेश, जिनकी युवा सफलता से देशभर में शतरंज के प्रति रुचि बढ़ी है, भारत के शतरंज के भविष्य को लेकर उम्मीदों को और भी मजबूत करते हैं।

गुकेश की यह जीत शतरंज की दुनिया में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है, और यह युवा खिलाड़ियों को यह संदेश देती है कि अगर मेहनत और समर्पण हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। भारत में शतरंज का भविष्य अब और भी उज्जवल नजर आ रहा है, और गुकेश ने अपनी सफलता से यह साबित कर दिया कि युवा खिलाड़ी अब वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार हैं।

भारत का शतरंज से जुड़ाव हजारों वर्षों पुराना है, जो प्राचीन खेल चतुरंगा से जुड़ा हुआ है, जो 6वीं शताब्दी के आसपास का एक रणनीतिक बोर्ड खेल था। यह खेल 8x8 के ग्रिड पर खेला जाता था और इसे आधुनिक शतरंज का पूर्ववर्ती माना जाता है। चतुरंगा सिर्फ एक खेल नहीं था, बल्कि यह सम्राटों और सैनिकों के लिए युद्ध की रणनीतियों को समझने और सिखाने का एक माध्यम था। चतुरंगा का खेल फारस, इस्लामिक दुनिया और यूरोप में फैला और यहाँ से यह आधुनिक शतरंज के रूप में विकसित हुआ। जैसे-जैसे व्यापारिक मार्गों से यह खेल अन्य देशों में फैला, भारत का प्रभाव बना रहा, और आज यह देश वैश्विक शतरंज मंच पर एक प्रमुख शक्ति बन चुका है।

प्राचीन जड़ें: चतुरंगा और इसका विकास

आधुनिक शतरंज की जड़ें भारत के चतुरंगा में छुपी हैं, जिसका अर्थ है "सैन्य की चार शाखाएं" संस्कृत में, जो पैदल सेना, घुड़सवार, हाथी और रथों को दर्शाती हैं—जो आज के प्यादे, घोड़े, ऊंट और हाथी के रूप में बदल गए हैं। चतुरंगा केवल एक खेल नहीं था, बल्कि यह युद्ध की रणनीतियों की अभ्यास विधि था। यह खेल गुप्त साम्राज्य में खेला जाता था और इसके बाद यह फारस में शतरंज के रूप में विकसित हुआ, और फिर यूरोप में आधुनिक शतरंज के रूप में इसका रूप बदला।

भारत की आधुनिक शतरंज पुनर्जागरण

20वीं और 21वीं शताब्दियों में, भारत का शतरंज से जुड़ा योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहा है। 2000 में विश्वनाथन आनंद ने विश्व शतरंज चैंपियन बनकर इतिहास रचा, और वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय बने। उनके इस सफलता ने भारत के शतरंज के खेल को वैश्विक स्तर पर प्रमुख बना दिया। इसके बाद से भारत के युवा खिलाड़ियों ने भी इस खेल में अपनी पहचान बनाई है और उनकी सफलता ने शतरंज के प्रति देश की रुचि और प्रेरणा को बढ़ाया है।

भारत की शतरंज यात्रा प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक उत्कृष्टता, परंपरा और भविष्य की संभावनाओं से भरी हुई है। चतुरंगा से लेकर आज के वैश्विक सितारे जैसे आनंद, प्रग्गानंदा, और हरिकृष्णा तक, भारत शतरंज की दुनिया में प्रमुख शक्ति बन चुका है। युवा खिलाड़ियों और अनुभवी दिग्गजों के लगातार सफलता से यह सुनिश्चित हो गया है कि भारत का शतरंज क्षेत्र भविष्य में भी मजबूती से बढ़ता रहेगा और वैश्विक मंच पर अपनी धरोहर बनाए रखेगा।

भारत के गुकेश बने सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन, चीनी खिलाड़ी को हराकर रचा इतिहास

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भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने गुरुवार को विश्व शतरंज चैंपियनशिप के 14वें और अंतिम दौर में चीन के डिंग लिरेन को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया। लिरेन को हराकर वह सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बन गए। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने इतिहास रच दिया।

6.5 अंको के साथ खेल की शुरुआत हुई थी। अंतिम मैच भी ड्रॉ की तरफ बढ़ता दिख रहा था कि तभी लिरेन की एक गलती उनके लिए भारी पड़ गई और गुकेश को जीत दिला गई। 12 साल के बाद किसी भारतीय ने इस खिताब को अपने नाम करने में कामयाबी हासिल की है।इसके साथ ही विश्वनाथ आनंद के बाद वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप का खिताब जीतने वाले गुकेश सिर्फ दूसरे भारतीय ग्रैंडमास्टर बन गए हैं।

सिंगापुर में पिछले कई दिनों से चल रही वर्ल्ड चैंपियशिप में चीन के डिंग और भारत के गुकेश के बीच कड़ी टक्कर चल रही थी। डिंग ने पिछले साल ये चैंपियनशिप जीती थी। ऐसे में वो डिफेंडिंग चैंपियन के रूप में इस चैंपियनशिप में उतरे थे। वहीं गुकेश ने इस साल के शुरुआत में हुए कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर चैलेंजर के रूप में इस चैंपियनशिप में प्रवेश किया था।

पहले 13 राउंड में दोनों ने 2-2 मुकाबले जीतकर रोमांच और भी बढ़ा दिया था। 9 मैच ड्रॉ भी रहे थे और दोनों के पास 6.5 प्वाइंट्स ही थे। निर्णायक मैच में भी कांटे की टक्कर देखने को मिली। उन्होंने टाइब्रेकर तक इस खिताबी जंग को नहीं पहुंचने दिया। उन्होंने मुकाबले में चीन के ग्रैंडमास्टर को 7.5 – 6.5 के अंतर से शिकस्त दी। जैसे ही डिंग ने रिजाइन किया, गुकेश अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाए और अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे रोने लगे। उनके चेहरे पर जीत की खुशी, सपने के सच होने का एहसास और एक राहत साफ नजर आ रही थी, जबकि उनकी आंखों से आंसू भी बह रहे थे। वो वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहुंचने वाले विश्वनाथन आनंद के बाद सिर्फ दूसरे भारतीय और दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बने थे।

সর্বকনিষ্ঠ ভারতীয় মাউন্ট এভারেস্ট জয়, নতুন  ইতিহাস গড়ল ভারত
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এ এন আই: মুম্বাইয়ের কাম্য কার্তিকেয়ন বিশ্বের সর্বোচ্চ পর্বতশৃঙ্গ মাউন্ট এভারেস্ট জয় করল সর্বকনিষ্ঠ এক খুদে ভারতীয়। 16 বছর বয়সে তিনি এই কৃতিত্ব অর্জন করেছেন। 12 শ্রেণীতে অধ্যয়নরত। শিশুরা সাধারণত স্কুল শেষ করার পরে ক্যারিয়ার সম্পর্কে চিন্তা করতে শুরু করে। কিন্তু মুম্বাইয়ের একটি স্কুলে পড়ছেমাত্র ১৬ বছর বয়সে ইতিহাস সৃষ্টি করেছেন কাম্য কার্তিকেয়ান। তিনি বিশ্বের সর্বোচ্চ শৃঙ্গ মাউন্ট এভারেস্টে পৌঁছানো দ্বিতীয় সর্বকনিষ্ঠ মেয়ে হয়েছেন। কাম্যা, একজন ভারতীয় নৌবাহিনীর অফিসারের মেয়ে, মুম্বাইয়ের নেভি চিলড্রেন স্কুলে 12 শ্রেনীর ছাত্রী। তার পিতা কমান্ডার এস. কার্তিকেয়ান ভারতীয় নৌবাহিনীর একজন অফিসার এবং কাম্যা তার বাবার নাম নিয়েছেন এবং ভারতীয় নৌবাহিনীর কমান্ডার এস. কার্তিকেয়ানের সঙ্গে এভারেস্ট20 মে এভারেস্টের 8,849 মিটার উচ্চ শিখরে পৌঁছেছেন বাবা এবং মেয়ে। তবে এভারেস্ট জয়ের আগেও অনেক বড় বড় পাহাড় জয় করেছেন কাম্যা। সাত মহাদেশের ছয়টি সর্বোচ্চ শৃঙ্গে আরোহণ করতে সফল হয়েছেন কাম্যা। তার লক্ষ্য হল এই বছরের ডিসেম্বরে অ্যান্টার্কটিকার মাউন্ট ভিনসন ম্যাসিফে আরোহণ করা বিশ্বের সাতটি সর্বোচ্চ শৃঙ্গ স্কেল করার চ্যালেঞ্জ সম্পূর্ণ করা।সবচেয়ে ছোট মেয়ে হতে পারে। কাম্যা কার্তিকেয়ন মাত্র সাত বছর বয়সে পাহাড়ে আরোহণ শুরু করেন। 2015 সালে তিনি 12 হাজার ফুট উঁচু চন্দ্রশীলা পর্বত জয় করেছিলেন। তারপর থেকে কামিয়ার ট্রেকিং চলতে থাকে। এর পরে তিনি হর কি দুন (13,500 ফুট), কেদারকন্ঠ (13,500 ফুট) এবং রূপকুন্ড লেক (16,400 ফুট) জয় করেন। 2017 সালে, তিনি নেপালের 17,600 ফুট উঁচু এভারেস্টের বেস ক্যাম্পেও গিয়েছিলেন। 20192017 সালে, তিনি হিমাচল প্রদেশের ভৃগু হ্রদ (14,100 ফুট) এবং 13,850 ফুট উঁচু সার পাসে ট্র্যাকও সম্পন্ন করেছিলেন। কাম্যা প্রধানমন্ত্রীর জাতীয় বাল শক্তি পুরস্কারে ভূষিত হয়েছেন। দেশের শিশুদের অসাধারণ কৃতিত্বের জন্য এই পুরস্কার দেওয়া হয়। টিএসএএফ জানিয়েছে, কাম্যা তার দলের সঙ্গে ৬ এপ্রিল কাঠমান্ডু পৌঁছেছে। অভিযোজন এবং বেশ কিছু দিনের পরিকল্পনার পর, 16 মে তার চূড়ান্ত শিখরে আরোহণ হয়।20 মে এভারেস্ট বেস ক্যাম্প থেকে শুরু করে এবং 20 মে সকালে চূড়ার দিকে চূড়ান্ত আরোহণ শুরু করে।
भारत ने रचा इत‍िहास, जानें कौन है काम्या जिसने सबसे कम उम्र में फतह किया एवरेस्ट

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मुंबई में रहनेवाली काम्या कार्तिकेयन दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बन गई हैं। उन्होंने यह उपलब्धि 16 साल की उम्र में हासिल की है।12वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे अमूमन स्कूल पूरा करने के बाद करियर के बारे में सोचना शुरू करते हैं। मगर मुंबई के एक स्कूल में पढ़ने वाली काम्या कार्तिकेयन ने महज 16 साल की उम्र में इतिहास रच दिया है। वो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाली दूसरी सबसे कम उम्र की लड़की बन गई हैं।

भारतीय नौसेना अधिकारी की बेटी काम्या मुंबई के नेवी चिल्ड्रन स्कूल में बारहवीं की छात्रा हैं। उनके पिता कमांडर एस. कार्तिकेयन भारतीय नौसेना में अधिकारी हैं।काम्या ने अपने पिता और भारतीय नेवी के कमांडर एस. कार्तिकेयन के साथ एवरेस्ट की चोटी को फतह किया।बाप-बेटी ने 20 मई को एवरेस्ट की 8,849 मीटर ऊंची चोटी पर पहुंचे।

हालांकि एवरेस्ट जीतने से पहले भी काम्या ने कई बड़े पहाड़ों को फतह किया है। काम्या ने सात महाद्वीपों में से छह सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई करने में सफलता पाई है। उनका लक्ष्य इस साल दिसंबर में अंटार्कटिका के माउंट विंसन मैसिफ पर चढ़ना है, ताकि वह दुनिया की सात सबसे ऊंची चोटियों को फतेह करने की चुनौती पूरा करने वाली सबसे कम उम्र की लड़की बन सकें।

काम्या कार्तिकेयन ने महज सात साल में ही पहाड़ चढ़ने शुरू कर दिए थे। 2015 में उन्होंने 12 हजार फीट ऊंचा चंद्रशिला पर्वत फतह किया था। काम्या की ट्रेकिंग का सिलसिला तभी से जारी है। इसके बाद उन्होंने हर की दून (13,500 फीट), केदारकांठा (13,500 फीट) और रूपकुंड लेक (16,400 फीट) को भी जीता। 2017 में वो नेपाल में मौजूद 17,600 फीट ऊंचे एवरेस्ट के बेस कैंप तक भी गईं। 2019 में उन्होंने भृगु लेक (14,100 फीट) और हिमाचल प्रदेश में मौजूद 13,850 फीट ऊंचे सर पास का भी ट्रेक पूरा किया था।

काम्या प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार से सम्मानित की जा चुकी हैं। यह पुरस्कार देश में बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए दिया जाता है। टीएसएएफ ने बताया कि काम्या अपनी टीम के साथ 6 अप्रैल को काठमांडू पहुंचीं। अनुकूलन और कई दिनों की योजना के बाद, उनकी अंतिम शिखर चढ़ाई 16 मई को एवरेस्ट आधार शिविर से शुरू हुई और 20 मई की सुबह शिखर की ओर अंतिम चढ़ाई शुरू की।

Debendra Lenka: The Young Entrepreneur Shaping Unitary Corporate Group's Soaring Success.

 

Unitary Corporate Group, under the leadership of its creative and imaginative Chairman Debendra Lenka, has emerged as one of India's fastest-growing groups. With a diversified portfolio that includes energy, power, information technology, social media, e-commerce, retail, cosmetics, and personal care, the company is making ripples across industries.

Debendra Lenka, the industry's youngest chairman, currently leads Unitary Corporate Group. His inventive approach and persistent commitment to quality have catapulted the organization to new heights. Lenka has always envisioned Unitary Corporate Group as a change agent, propelling forward through excellence and creativity.

Unitary Corporate Group has a diversified array of businesses. This extensive network enables the company to tap into a variety of high-value industries and capitalize on emerging opportunities. Unitary Corporate Group, with a focus on innovation and client satisfaction, is growing its presence both nationally and internationally.

Unitary Corporate Group's mission is clear: to become global leaders in high-value areas while making a good contribution to society. With a vision of global dominance in mind, the company is committed to creating products that enhance people's lives. Unitary Corporate Group intends to strengthen its position as a major corporate player in India by demonstrating integrity, passion, and conviction.

Chairman Debendra Lenka expresses his satisfaction with Unitary Corporate Group's achievements in a message to stakeholders. He emphasizes the company's commitment to technology advancement and customer-focused innovation. Lenka underlines that progress is more than just a desire; it is a constant journey driven by effort and teamwork. He is convinced that with the backing of dedicated employees and loyal consumers, Unitary Corporate Group will continue to accomplish excellent milestones.

As Unitary Corporate Group expands its influence across industries, the future looks bright. With Chairman Debendra Lenka leading the way, the company is primed for considerable growth in the corporate sector. Unitary Corporate Group is raising the bar in India's corporate landscape via innovation, dedication, and a commitment to quality.

In summary, Unitary Corporate Group is more than just a corporation; it is a shining example of success, thanks to Chairman Debendra Lenka's vision and leadership. As the company continues its journey of expansion and innovation, it stays committed to making a long-term effect on society while providing value to its consumers.

फ्रांस को मिला सबसे युवा और पहला गे प्रधानमंत्री, 34 वर्षीय गैब्रियल अटल बने पीएम

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गेब्रियल अटल फ्रांस के सबसे युवा प्रधानमंत्री बन गए हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने मंगलवार को गेब्रियल अटल को देश का नया प्रधान मंत्री नामित किया। 34 वर्ष की आयु के गेब्रियल अटल फ्रांस के सबसे युवा और पहले समलैंगिक प्रधानमंत्री हैं। गेब्रियल अटल खुले तौर पर खुद को गे बता चुके हैं। इससे पहले अटल ने शिक्षा मंत्री के रूप में सेवाएं दी हैं। प्रधानमंत्री के रूप में गैब्रियल की ये नियुक्ति तब हुई है जब इस साल के आखिर में होने वाले यूरोपीय संघ के चुनाव से पहले मैक्रों अपनी टीम में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहे हैं।

गैब्रियल अटल ने अपने से लगभग दोगुनी उम्र की प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न की जगह ली है। उनके इस्तीफे के बाद से ही अटल की तासपोशी लगभग तय मानी जा रही थी। एलिजाबेथ बोर्न के इस्तीफे की वजह नए इमिग्रेशन कानून को लेकर बढ़ रहे राजनीतिक तनाव को माना जा रहा है। राष्ट्रपति मैक्रों ने इस कानून का समर्थन किया था। बताया जा रहा है कि सोमवार को राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया था और मंगलवार को नए पीएम के नाम का एलान कर दिया। 62 वर्षीय एलिजाबेथ बोर्न को मई 2022 में देश का पीएम नियुक्त किया गया था। वो लगभग दो साल तक इस पद पर थीं। इस पद पर पहुंचने वाली वो फ्रांस की दूसरी महिला प्रधानमंत्री थीं।

फ्रांस में यह फेरबदल ऐसे समय में हुआ है, जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों साल के अंत में होने वाले यूरोपीय चुनावों से पहले अपनी शीर्ष टीम में फेरबदल करने की तैयारी कर रहे हैं। जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मैक्रों का खेमा धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन की पार्टी से लगभग आठ से दस प्रतिशत अंकों से पीछे चल रहे हैं।

गेब्रियल अटल की गिनती मैक्रों के करीबी सहयोगियों में होती है। गेब्रियल अटल ने कोविड महामारी के दौरान सरकार के प्रवक्ता के रूप में उभरे थे जिसके बाद उन्हें शिक्षा मंत्री बनाया दिया गया था। हाल के जनमत सर्वेक्षणों में देश के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में से एक, अटल ने रेडियो शो और संसद में सहजता से काम करने वाले एक समझदार मंत्री के रूप में अपनी पहचान बनाई है।ऐसे में अटल को प्रधानमंत्री बनाए जाने को लेकर कहा जा रहा है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति यूरोपीय संसद चुनावों से पहले अपने दूसरे जनादेश में नई जान फूंकना चाहते हैं। मैक्रों अब अटल के साथ मिलकर सरकार में नई जान डाल सकते हैं।