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लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देने नेमरा पहुंचे

नेमरा, रामगढ़: लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और दिशोम गुरु दिवंगत शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देने उनके पैतृक गांव नेमरा पहुंचे। शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया था और आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है।

राहुल गांधी ने नेमरा पहुंचकर शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें अंतिम विदाई दी। इस दौरान उन्होंने शोक संतप्त परिवार के सदस्यों, जिनमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल हैं, से मिलकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

राहुल गांधी के अलावा, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और अन्य कई दलों के नेता भी अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए नेमरा पहुंचे हैं, जो शिबू सोरेन के राष्ट्रीय कद और सम्मान को दर्शाता है।

रघुवर दास ने अमित शाह को दी बधाई, बोले- 'गृह मंत्री के रूप में 2258 दिनों का कीर्तिमान'

रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सर्वाधिक 2258 दिनों तक इस पद पर रहने का कीर्तिमान स्थापित करने पर बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। श्री दास ने कहा कि अमित शाह ने अपनी कर्मठता और दृढ़ निश्चय के साथ गृह मंत्री के रूप में कई ऐतिहासिक कार्य किए हैं।

रघुवर दास ने अमित शाह के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में अनुच्छेद 370 और धारा 35ए को निरस्त करने के ऐतिहासिक फैसले को याद किया। उन्होंने कहा कि यह फैसला 5 अगस्त को ही लिया गया था, जिससे आज का दिन और भी गौरवपूर्ण हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अमित शाह के कार्यकाल में देश नक्सलवाद से मुक्ति की कगार पर पहुंच गया है।

रघुवर दास ने झारखंड की जनता की ओर से अमित शाह को हार्दिक बधाई देते हुए कामना की कि वे इसी तरह मां भारती की सेवा करते रहें।

बाबूलाल मरांडी ने गृह मंत्री अमित शाह को दी बधाई, बोले- 'वे सबसे लंबे कार्यकाल वाले गृह मंत्री'

रांची: झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भारत के राजनीतिक इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गृह मंत्री बनने पर बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। श्री मरांडी ने कहा कि अमित शाह उन चुनिंदा नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने नीतिगत और जमीनी स्तर पर निरंतर परिवर्तन के लिए काम किया है।

मरांडी ने इस गौरवपूर्ण क्षण को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के ऐतिहासिक प्रस्ताव से जोड़ा, जो 2019 में गृह मंत्री द्वारा संसद में रखा गया था। उन्होंने कहा कि इस निर्णय ने जम्मू-कश्मीर को भारत के संविधान के साथ पूरी तरह जोड़ा और एक ऐतिहासिक बोझ से मुक्ति दिलाई।

झारखंड में नक्सलवाद के खिलाफ 'ऑपरेशन समर्पण'

बाबूलाल मरांडी ने अमित शाह के कार्यकाल में गृह मंत्रालय की आंतरिक सुरक्षा नीतियों की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप से झारखंड का उल्लेख करते हुए कहा कि जहां दशकों से नक्सलवाद ने विकास, शिक्षा और रोजगार को बाधित किया था, वहीं गृह मंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 'ऑपरेशन समर्पण' के तहत एक निर्णायक लड़ाई शुरू की। उन्होंने कहा कि यह अभियान झारखंड और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आम नागरिकों का विश्वास बहाल कर रहा है कि केंद्र सरकार उनकी सुरक्षा और विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

मरांडी ने अमित शाह को उनके "लंबे, प्रभावशाली और निर्णायक कार्यकाल" के लिए हार्दिक बधाई दी और कामना की कि उनके नेतृत्व में देश और भी सशक्त तथा सुरक्षित बने।

अंतिम 'जोहार' के साथ विदा हुए शिबू सोरेन, नेमरा में राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार, देखें तस्वीर
दिशोम गुरु शिबू सोरेन पंचतत्व में विलीन, राजकीय सम्मान के साथ नेमरा में हुआ अंतिम संस्कार

नेमरा, गोला (रामगढ़): झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और 'दिशोम गुरु' शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक गांव नेमरा में पंचतत्व में विलीन हो गया। पूरे राजकीय सम्मान और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ,

जिसके बाद झारखंड में एक युग का अवसान हो गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नम आंखों से अपने पिता को मुखाग्नि दी।

इससे पहले, रांची के मोरहाबादी स्थित आवास से उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए नेमरा लाया गया था, जहां हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे।

अंतिम 'जोहार' के लिए उमड़ा जन सैलाब

दिशोम गुरु को अंतिम 'जोहार' कहने के लिए नेमरा गांव में जनसैलाब उमड़ पड़ा था। राज्य के अलग-अलग कोनों से आए आम और खास लोगों की भीड़ में हर कोई गमगीन था।

सभी ने झारखंड राज्य के प्रणेता, पथप्रदर्शक और मार्गदर्शक को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। हर किसी का दिल उदास और आंखें नम थीं।

शिबू सोरेन के निधन की खबर मिलने के बाद से ही नेमरा गांव में मातम पसरा हुआ था। घरों में चूल्हे तक नहीं जले थे। आज जैसे ही उनका पार्थिव शरीर पैतृक आवास पहुंचा, पूरा नेमरा रो पड़ा।

परिजन और दूर-दराज से आए लोगों की आंखों से आंसू छलक रहे थे, जब सभी ने अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई दी।

धनबाद में 'ऑपरेशन नारकोस' के तहत बड़ी कार्रवाई, राजधानी एक्सप्रेस से 42 किलो गांजा जब्त; तीन तस्कर गिरफ्तार

धनबाद: रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की संयुक्त टीम ने 'ऑपरेशन नारकोस' के तहत बड़ी सफलता हासिल करते हुए गांजा तस्करी के एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। सोमवार रात को धनबाद रेलवे स्टेशन पर की गई इस कार्रवाई में, राजधानी एक्सप्रेस (12301 अप) के एसी कोच से तीन तस्करों को गिरफ्तार कर उनके पास से 42 किलोग्राम गांजा बरामद किया गया, जिसकी अनुमानित कीमत 6.30 लाख रुपए है।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में बिहार के नालंदा निवासी सौरभ कुमार और अखिलेश मोहन, और सिवान के रंजीत कुमार शामिल हैं, जो हरियाणा के पानीपत में भी रहता है।

ओडिशा से प्रयागराज जा रहा था गांजा

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने यह गांजा ओडिशा के अंगुल जिले में रहने वाले संजय नामक व्यक्ति से खरीदा था। इसे प्रयागराज में रामकुमार नामक व्यक्ति को सौंपा जाना था, जिसके बदले में उन्हें पैसे मिलने थे। हालांकि, इससे पहले ही वे आरपीएफ और जीआरपी की संयुक्त टीम के हत्थे चढ़ गए।

पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि राजधानी एक्सप्रेस में तीन तस्कर गांजा लेकर जा रहे हैं। सूचना के आधार पर, टीम ने ट्रेन के एसी कोचों में तलाशी ली, जहां तीन ट्रॉली बैग से 42 पैकेट (प्रत्येक 1 किलोग्राम) गांजा, तीन मोबाइल, आधार कार्ड, कैश और ट्रेन टिकटें बरामद की गईं।

आरपीएफ के अनुसार, यह हाल के दिनों में गांजा तस्करों के खिलाफ की गई लगातार कार्रवाइयों में से एक है। टीम ने बताया कि इससे पहले 21 जून को 28 किलो, 16 जुलाई को 20 किलो और 18 जुलाई को 12.1 और 10.2 किलो गांजा जब्त किया गया था। इस सफल ऑपरेशन को अंजाम देने वाली टीम में आरपीएफ इंस्पेक्टर अजय प्रकाश, सीआइबी इंस्पेक्टर अरविंद कुमार राम, एसआइ मनीषा कुमारी सहित कई अन्य अधिकारी और जवान मौजूद थे।

अंतिम जोहार कहने उमड़ा जनसैलाब, राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हुए दिशोम गुरु

नेमरा (रामगढ़)-झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन आज मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. उनके पैतृक गांव नेमरा में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए श्मशान घाट पर जनसैलाब उमड़ पड़ा. नम आंखों से लोगों ने दिशोम गुरु को अंतिम जोहार कहा. दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में इलाजरत शिबू सोरेन ने चार अगस्त की सुबह 81 साल की उम्र में आखिरी सांस ली.

दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी समेत कई गणमान्य ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके बाद उनका पार्थिव शरीर सोमवार की शाम को रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचा. उनके अंतिम दर्शन के लिए एयरपोर्ट पर जनसैलाब उमड़ पड़ा. वहां से उनका पार्थिव शरीर रात में रांची के मोरहाबादी आवास पहुंचा. मंगलवार की सुबह उनका पार्थिव शरीर झारखंड विधानसभा पहुंचा. यहां उन्हें श्रद्धांजिल दी गयी. इसके बाद अंतिम यात्रा पैतृक गांव नेमरा के लिए रवाना हुई. रास्ते में जननायक को लोगों को नम आंखों से आखिरी विदाई दी.

शिवलाल से बने शिबू सोरेन

वर्तमान रामगढ़ जिले के नेमरा में 11 जनवरी 1944 को शिबू सोरेन का जन्म हुआ था. बचपन में नाम शिवलाल था. बाद में शिबू सोरेन हुआ. गोला हाईस्कूल से उन्होंने पढ़ाई की. प्रारंभिक पढ़ाई नेमरा के ही सरकारी स्कूल से की थी. 27 नवंबर 1957 को उनके पिता सोबरन सोरेन की महाजनों ने हत्या कर दी थी. उनके पिता शिक्षक थे और गांधीवादी थे. पिता की हत्या के बाद पढ़ाई छोड़ कर उन्होंने महाजनों के खिलाफ संघर्ष करने का फैसला किया था. शिबू सोरेन झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे. 308 दिनों का कार्यकाल रहा. सर्वाधिक 153 दिन सीएम रहे.

हेमंत सोरेन ने बताया 'दिशोम गुरु' का अर्थ, कहा- "यह उपाधि जनता के दिलों से निकली थी"

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता, दिशोम गुरु दिवंगत शिबू सोरेन के निधन के बाद एक अत्यंत भावुक और मार्मिक पोस्ट लिखा है। अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखे इस संदेश में उन्होंने अपने पिता के साथ बिताए बचपन के दिनों, उनके संघर्ष और उनकी विरासत को याद किया। हेमंत सोरेन ने इस दुखद घड़ी को अपने जीवन का सबसे कठिन समय बताया है।

दिशोम गुरु का अर्थ: जनता के दिलों से मिली उपाधि

हेमंत सोरेन ने अपने पोस्ट में 'दिशोम गुरु' उपाधि के पीछे की कहानी भी साझा की। उन्होंने बताया कि बचपन में जब वह अपने पिता से पूछते थे कि उन्हें यह उपाधि क्यों मिली, तो वे मुस्कुराकर कहते थे, "क्योंकि बेटा, मैंने सिर्फ उनका दुख समझा और उनकी लड़ाई अपनी बना ली।" हेमंत ने स्पष्ट किया कि यह उपाधि न किसी किताब में लिखी गई थी, न संसद ने दी, बल्कि यह झारखंड की जनता के दिलों से निकली थी। उन्होंने कहा कि दिशोम का अर्थ समाज और गुरु का अर्थ रास्ता दिखाने वाला होता है।

'मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुज़र रहा हूं'

अपने गहरे दुख को व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने लिखा, "मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुज़र रहा हूं। मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया, झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया।" उन्होंने कहा कि वह उन्हें सिर्फ 'बाबा' नहीं कहते थे, बल्कि वे उनके पथप्रदर्शक, विचारों की जड़ें और एक ऐसी छाया थे जिसने हजारों-लाखों झारखंडियों को धूप और अन्याय से बचाया।

संघर्ष की मिसाल थे शिबू सोरेन

हेमंत सोरेन ने अपने पिता के साधारण जीवन और अदम्य साहस को याद किया। उन्होंने कहा कि नेमरा गांव के एक छोटे से घर में जन्मे गुरुजी ने गरीबी और भूख देखी, लेकिन हिम्मत कभी नहीं हारी। बचपन में ही पिता को खोने के बाद जमींदारी के शोषण ने उन्हें एक ऐसी आग दी जिसने उन्हें जीवनभर संघर्षशील बनाए रखा। हेमंत ने लिखा, "बचपन में मैंने उन्हें सिर्फ संघर्ष करते देखा, बड़े बड़ों से टक्कर लेते देखा। मैं डरता था, पर बाबा कभी नहीं डरे।"

'आपके सपने अब मेरा वादा हैं'

अपने संदेश के अंत में हेमंत सोरेन ने अपने पिता के सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया। उन्होंने लिखा, "आज बाबा नहीं हैं, पर उनकी आवाज मेरे भीतर गूंज रही है... आपने जो सपना देखा, अब वो मेरा वादा है। मैं झारखंड को झुकने नहीं दूंगा, आपके नाम को मिटने नहीं दूंगा। आपका संघर्ष अधूरा नहीं रहेगा।" उन्होंने अंत में लिखा, "बाबा, अब आप आराम कीजिए। आपने अपना धर्म निभा दिया। अब हमें चलना है, आपके नक्शे-कदम पर। झारखंड आपका कर्जदार रहेगा। मैं, आपका बेटा, आपका वचन निभाऊंगा।"

दिशोम गुरु का अंतिम सफर: जानें नेमरा में कैसे निभाए गए आदिवासी रीति-रिवाज

रामगढ़, नेमरा: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और दिशोम गुरु शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव नेमरा पहुंच चुका है, जहां थोड़ी देर में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार, उन्हें पारंपरिक अर्थी की जगह उसी खाट पर घाट तक ले जाया गया, जिस पर वे सोते और आराम करते थे। प्रभात खबर से बात करते हुए एक ग्रामीण ने बताया कि यह उनके पूर्वजों द्वारा चली आ रही परंपरा है, जिसे वे आज भी निभाते हैं।

ग्रामीण ने आगे बताया कि अंतिम संस्कार करने से पहले मृत शरीर पर हल्दी लगाई जाती है, और फिर गांव के सभी लोग शगुन के तौर पर कुछ पैसे भेट करते हैं। इसके बाद ही उन्हें घाट पर ले जाया जाता है। इस दौरान, उनके बेटे हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन, भतीजे और परिवार के अन्य सदस्य उन्हें कंधा देंगे।

इससे पहले, शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर जैसे ही रामगढ़ पहुंचा, ग्रामीणों की भारी भीड़ ने फूल बरसा कर उन्हें अंतिम विदाई दी। मंगलवार सुबह उनके अंतिम दर्शन के लिए झारखंड विधानसभा में देश के कई बड़े नेताओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए नेमरा पहुंचे हैं।

शिबू सोरेन का सोमवार सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया था, जिसके बाद आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जा रही है।

दिशोम गुरु को मिले भारत रत्न", हेमंत सोरेन के मंत्री ने केंद्र सरकार से की मांग

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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और 'दिशोम गुरु' शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया। शिबू सोरेन के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से लेकर देशभर के नेताओं ने शोक प्रकट किया। इस बीच हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री कांग्रेस नेता इरफान सोलंकी ने शिबू सोरेन के लिए बड़ी मांग रख दी है। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की है कि शिबू सोरेन को भारत रत्न मिले।

झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी वरिष्ठ आदिवासी नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सह-संस्थापक शिबू सोरेन को अंतिम श्रद्धांजलि देने उनके आवास स्थान पहुंचे। इस दौरान उन्होंने गुरुजी को मरणोपरांत भारत रत्न देने की मांग की। मंत्री इरफान अंसारी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनकी कमी कभी पूरी नहीं होगी, मैं राष्ट्रपति से गुरुजी को भारत रत्न देने की मांग करता हूं। वो वास्तव में इसके हकदार हैं। वे एक आंदोलनकारी थे और गरीबों की आवाज थे इसलिए भारत सरकार को तुरंत यह घोषणा करनी चाहिए।

आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया-इरफान

झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने कहा कि शिबू सोरेन झारखंड आंदोलन के स्तंभ रहे हैं। वर्षों संघर्ष कर झारखंड अलग राज्य की मांग को मुकाम तक पहुंचाया। उन्होंने संसाधनों पर आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। जल, जंगल और जमीन की रक्षा को अपना मिशन बनाया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक के रूप में उन्होंने सामाजिक न्याय और स्वाभिमान की राजनीति को दिशा दी।

शिबू सोरेन से जुड़ा वाकया सुना भावुक हुए इरफान

शिबू सोरेन के साथ बिताये पल याद कर इरफान अंसारी भावुक हो गए। उन्होंने एक वाकया सुनाते हुए कहा कि शिबू सोरेन को इरफान अंसारी की मां के हाथ की रोटियां पसंद थीं। वे हमेशा कहते थे कि घर से खाना लाया करो। उनके साथ व्यक्तिगत संबंध थे। शिबू सोरेन के निधन ने उन्हें तोड़ दिया है।

81 साल की उम्र में शिबू सोरेन का निधन

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन 19 जून 2025 से दिल्ली से सर गंगाराम अस्पताल में इलाजरत थे। आखिरी वक्त तक उन्होंने संघर्ष किया। चार अगस्त की सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली। वे 81 साल के थे। कई बीमारियों से वे पीड़ित थे।