कौन है 26 साल से फरार मोनिका कपूर? सीबीआई ने अमेरिका में लिया हिरासत में, लाया जा रहा भारत
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भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई को बड़ी सफलता हाथ लगी है। सीबीआई ने 26 साल से फरार चल रही कथित आर्थिक अपराधी मोनिका कपूर अब सीबीआई के हत्थे चढ़ गई है। दो दशक के बाद सीबीआई ने अब मोनिका को गिरफ्तार किया है। सीबीआई की टीम मोनिका को भारत लेकर आ रही है।
अमेरिका से सीबीआई लेकर हुई रवाना
केंद्रीय एजेंसी अमेरिका से मोनिका कपूर को हिरासत में लेकर एक अमेरिकी एयरलाइंस की फ्लाइट से भारत रवाना हो चुकी है। सीबीआई की इस टीम के बुधवार रात तक भारत पहुंचने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि न्यूयॉर्क स्थित यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट) ने भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी। अमेरिकी विदेश मंत्री ने मोनिका कपूर के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें भारत वापस लाया गया तो उन्हें प्रताड़ित किया जा सकता है, इसलिए उनका प्रत्यर्पण 1998 के विदेश मामलों के सुधार और पुनर्गठन अधिनियम द्वारा लागू किए गए संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी कन्वेंशन का उल्लंघन होगा।
फर्जी दस्तावेजों से करोड़ों का घोटाला करने का आरोप
मोनिका कपूर पर फर्जी दस्तावेजों से एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट में करोड़ों का घोटाला करने का आरोप है। जो ‘मोनिका ओवरसीज’ की प्रोपराइटर थी, इसने अपने दो भाइयों राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर फर्जी एक्सपोर्ट डॉक्युमेंट्स जैसे कि शिपिंग बिल्स, इनवॉयस और बैंक सर्टिफिकेट तैयार किए। इन फर्जी दस्तावेजों के दम पर उन्होंने 1998 में ‘रिप्लेनिशमेंट लाइसेंस’ हासिल किए, जिसकी मदद से 2.36 करोड़ रुपये का ड्यूटी-फ्री गोल्ड मंगवाया गया। इसके बाद इन लाइसेंस को अहमदाबाद की कंपनी डीप एक्सपोर्ट को प्रीमियम पर बेच दिया गया। डीप एक्सपोर्ट ने इनका इस्तेमाल कर गोल्ड इम्पोर्ट किया।
सरकार को हुआ था करोड़ों का नुकसान
इस हेराफेरी की वजह से भारत सरकार को करीब 6.8 लाख डॉलर यानी लगभग 5.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस मामले की जांच 1999 में डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने शुरू की थी। सितंबर 1999 में कपूर से पूछताछ भी हुई थी। फिर 2002 में यह केस सीबीआई को सौंपा गया।
2006 में कोर्ट ने ‘प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर’ अपराधी घोषित किया
2003 में दिल्ली की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कपूर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। इसके बाद 2004 में इस केस में चार्जशीट दाखिल हुई। जब कई बार नोटिस देने के बाद भी मोनिका कपूर जांच या कोर्ट में पेश नहीं हुई, तो फरवरी 2006 में कोर्ट ने उसे ‘प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर’ अपराधी घोषित कर दिया। भारत सरकार ने कपूर की तलाश में इंटरपोल से भी मदद मांगी, और 2003 में इंटरपोल ने कपूर के नाम रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया। 19 अक्टूबर 2010 में सीबीआई ने मोनिका के प्रत्यर्पण के लिए यूएस की एजेंसी से रिकवेस्ट की थी। सभी कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद सीबीआई की टीम यूएस पहुंची और मोनिका को हिरासत में लिया।
9 hours ago