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युक्तियुक्तकरण पर कांग्रेस के प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री का कटाक्ष, कहा- प्रदर्शन करना विपक्ष का काम

रायपुर- प्रदेश में युक्तियुक्तकरण को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कांग्रेस पर तीखा पलटवार किया है। कांग्रेस के प्रदर्शन पर कड़ा जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि “प्रदर्शन करना विपक्ष का काम है, लेकिन बच्चों के भविष्य के साथ राजनीति न की जाए।” मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदर्शन करे ना करे यह उनका काम है। लेकिन युक्तियुक्तकरण शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने का कदम है और बच्चों के हित में यह कदम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कई प्रदेशों से हमारे प्रदेश में शिक्षकों की संख्या अच्छी है। पिछले सरकार में ट्रांसफ़र की नीति अपनाए जिसकी वजह से 300 स्कूल शिक्षक विहीन है। 5 हज़ार स्कूल एकल शिक्षक है, कहीं स्टूडेंट से टीचर ज़्यादा है। युक्तियुक्तकरण बच्चों और शिक्षा गुणवत्ता के हित में है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अफ़वाह फैलाई जा रही है कि स्कूल बंद किया जा रहा है। इस सबका विरोध कहां तक उचित है ?

मुख्यमंत्री ने कहा – “स्कूल नहीं बंद हो रहे, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ रही है”

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य स्कूल बंद करना नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। उन्होंने कहा:

“यह कदम बच्चों के हित में उठाया गया है। आज प्रदेश में कई स्कूल ऐसे हैं जहां छात्रों से ज्यादा शिक्षक हैं और कई जगह ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षक ही नहीं हैं। पिछली सरकार की अव्यवस्थित ट्रांसफर नीति के चलते 300 स्कूल शिक्षक विहीन हो चुके हैं और 5 हज़ार से अधिक स्कूलों में केवल एक शिक्षक कार्यरत हैं।”

अफवाहों से बचें, बच्चों के भविष्य की चिंता करें: CM

मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता को भ्रमित किया जा रहा है कि स्कूल बंद किए जा रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि शिक्षा व्यवस्था को संतुलित किया जा रहा है। उन्होंने कहा:

“युक्तियुक्तकरण से शिक्षा व्यवस्था में संतुलन आएगा, संसाधनों का समुचित उपयोग होगा और बच्चों को बेहतर पढ़ाई का वातावरण मिलेगा। अफवाहों के ज़रिए विरोध करना कहां तक उचित है?”

कांग्रेस के आरोपों पर तंज

CM साय ने कांग्रेस के आंदोलन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“कांग्रेस क्या प्रदर्शन करे, यह उनका काम है, लेकिन उन्हें यह भी देखना चाहिए कि वे किस बात का विरोध कर रहे हैं – बच्चों के उज्ज्वल भविष्य का या एक सुदृढ़ शिक्षा प्रणाली का?”


युक्तियुक्तकरण के खिलाफ कांग्रेस का आंदोलन 5 जून से : दीपक बैज की अगुवाई में प्रदर्शन, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा बोले-

रायपुर- छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे युक्तियुक्तकरण के खिलाफ कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। PCC अध्यक्ष दीपक बैज ने इस फैसले को जनविरोधी बताते हुए चरणबद्ध आंदोलन का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम प्रदेश के लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है और कांग्रेस इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।

प्रेस कॉन्फ्रेंस से शुरू होगा विरोध

कांग्रेस 5, 6 और 7 जून को प्रदेश के सभी जिलों में प्रेस कांफ्रेंस कर सरकार के फैसले का विरोध दर्ज कराएगी। इसके माध्यम से जनता को बताया जाएगा कि कैसे युक्तियुक्तकरण की आड़ में सरकार ने 10463 स्कूलों को बंद करने की तैयारी कर ली है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच पर सीधा असर पड़ेगा।

BEO और DEO कार्यालयों का होगा घेराव

आंदोलन के अगले चरण में कांग्रेस 9, 10 और 11 जून को ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) कार्यालयों का घेराव करेगी। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) कार्यालयों तक यात्रा निकाल कर प्रदर्शन किया जाएगा। इस दौरान 3 से 5 किलोमीटर की जन-जागरूकता यात्रा भी निकाली जाएगी जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और आमजन शामिल रहेंगे।

दीपक बैज होंगे आंदोलन की अगुवाई में

PCC चीफ दीपक बैज स्वयं इस आंदोलन की अगुवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई शिक्षा के अधिकार की है, और कांग्रेस बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होने देगी। उन्होंने जनता से भी अपील की है कि इस जन आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें।

कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सरकार की इस नीति से न केवल शिक्षक बेरोजगार होंगे, बल्कि दूर-दराज़ के गांवों में रहने वाले बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा। उनका यह भी कहना है कि स्कूलों का समापन नहीं बल्कि संसाधनों और शिक्षकों की संख्या में बढ़ोतरी की आवश्यकता है।

डिप्टी CM विजय शर्मा का पलटवार – “स्कूल बंद नहीं, हो रहा है विलय”

दूसरी ओर, डिप्टी मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा:

“यह युक्तियुक्तकरण है, न कि स्कूल बंद करना।
दो स्कूलों को एक किया जा रहा है ताकि संसाधन और शिक्षक दोनों का समुचित उपयोग हो सके।
जहां शिक्षकों की अधिकता है, वहां से उन्हें कम स्टाफ वाले स्कूलों में भेजा जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि युक्तियुक्तकरण से शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी, न कि गिरेगी।

सियासत गहराई

कांग्रेस जहां इसे ग्रामीण शिक्षा के खिलाफ साजिश बता रही है, वहीं सरकार इसे शिक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावशाली बनाने की कोशिश बता रही है। अब देखना यह है कि जनता इस लड़ाई में किसके साथ खड़ी होती है।

मरौदा डैम में डूबने से दो युवकों की मौत, चार दोस्त गए थे पिकनिक मनाने

दुर्ग- भिलाई के मरौदा डैम में डूबने से दो युवकों की मौत हो गई. घटना की सूचना मिलते ही पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और तत्काल दोनों युवकों को डैम से बाहर निकालकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया, जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित किया. पूरा मामला नेवई थाना क्षेत्र का है.

मिली जानकारी के मुताबिक, चार दोस्त पिकनिक मनाने मरौदा डैम गए थे, जहां खाना खाने के बाद 4 में से दो युवक डैम में नहाने उतरे. गहराई में जाने की वजह से साहिल और जुनैद दोनों डैम में डूब गए. घटना की सूचना मिलते ही नेवई पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और दोनों युवकों को डैम से बाहर निकालकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां डॉक्टरो ने दोनों को मृत घोषित कर दिया. मृतक दोनों युवक भिलाई 3 थाना क्षेत्र के हथखोज के रहने वाले थे.

जमीन मुआवजा घोटाला में तत्कालीन SDM निलंबित, राज्य सरकार ने जारी किया गया आदेश

रायपुर- बिलासपुर जिले में बहुचर्चित अरपा-भैंसाझार-चकरभाठा में भू-अर्जन में किये गये अनियमितता पर सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। कोटा के तत्कालीन एसडीएम रहे और वर्तमान में वरिष्ठ क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी आनंदरूप को सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। गौरतलब है कि बिलासपुर जिला में अरपा भैंसाझार परियोजना में एक ही खसरे का अलग-अलग रकबा दिखाकर मुआवजा बांटने में 3 करोड़ 42 लाख 17 हजार 920 रुपये की अनियमितता सामने आयी थी। पहले जांच में कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंद रूप तिवारी, कीर्तिमान सिंह राठौर समेत अन्य अफसरों को दोषी पाया गया था।

इस जांच रिपोर्ट में एसडीएम आनंदरूप का नाम सामने आने के बाद भी उन्हे बिलासपुर आरटीओं की जवाबदारी दे दी गयी थी। इस पूरे मामले में सरकार ने अब एक्शन लेते हुए तत्कालीन एसडीएम आनंदरूप को सस्पेंड कर दिया है। आदेश में सरकार ने स्पष्ट किया है कि रपा-भैंसाझार-चकरभाठा में भू-अर्जन में नहर निर्माण के लिए किये गये भू अर्जन में अनियमितता के कारण सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ है। इस गंभीर आर्थिक अनियमितता में लिप्त अफसर आनंदरूप को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी किया गया है

लकड़ी तस्करों का आतंक, डिप्टी रेंजर पर कुल्हाड़ी से किया जानलेवा हमला, अस्पताल में इलाज जारी

बिलासपुर- छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से डिप्टी रेंजर पर जानलेवा हमले का मामला सामने आया है। कोटा के जंगल में लकड़ी तस्करों ने सर्चिंग के दौरान डिप्टी रेंजर अरविंद बंजारे पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। हमले में डिप्टी रेंजर गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।

जानकारी के अनुसार, वन विभाग की टीम सर्चिंग अभियान पर थी, तभी लकड़ी तस्करों ने वनकर्मियों को देख लिया और दौड़ा-दौड़ाकर हमला करने लगे। अपनी जान बचाने के लिए अन्य वनकर्मी किसी तरह भाग निकले, लेकिन डिप्टी रेंजर अरविंद बंजारे पर तस्करों ने कुल्हाड़ी से वार कर उन्हें लहूलुहान कर दिया।

घटना के बाद डिप्टी रेंजर को पहले कोटा अस्पताल लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बिलासपुर रेफर कर दिया गया। उनकी हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है।

घटना के बाद पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। कार्रवाई करते हुए 17 सागौन के लट्ठे, एक ट्रैक्टर और एक पिकअप वाहन जब्त किया गया है। वहीं, पुलिस ने आरोपियों की पहचान कर ली है और उनकी तलाश शुरू कर दी गई है।

लापता युवक की जंगल में मिली सड़ी-गली लाश, इलाके में फैली सनसनी, जांच में जुटी पुलिस

सरगुजा- जिले के मैनपाट के घने जंगलों में एक युवक की सड़ी-गली लाश मिलने से सनसनी फैल गई है। मृतक की पहचान सूरज उर्फ बबलू यादव के रूप में हुई है, जो बीते तीन दिनों से लापता था। दुर्गंध फैलने पर जब ग्रामीणों ने जंगल में जाकर देखा, तो वहां युवक का शव पड़ा मिला। मामले की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और जांच में जुट गई है। प्रथम दृष्टया हत्या की आशंका जताई जा रही है।

जानकारी के अनुसार, सूरज यादव ग्राम बरडांड (चोरकीपानी) का रहने वाला था। वह 31 मई की दोपहर करीब 3 बजे घर से निकला था, जिसके बाद वापस नहीं लौटा। परिजनों ने उसे आसपास के इलाकों में तलाशा लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। तीन दिन बाद सोमवार को ग्रामीणों को जंगल से तेज दुर्गंध आई। जब उन्होंने मौके पर जाकर देखा तो एक शव सड़ी-गली अवस्था में पड़ा था।

घटनास्थल पर पहुंची सीतापुर पुलिस ने पंचनामा कार्रवाई कर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और जांच में जुटी हुई है। प्रथम दृष्टया मामला संदिग्ध प्रतीत हो रहा है। युवक की मौत कैसे हुई, उसे ध्यान में रखते हुए पुलिस हर पहलू पर जांच कर रही है।

घर में घुसकर अधेड़ की गला रेतकर हत्या, इलाके में दहशत का माहौल

कवर्धा- छत्तीसगढ़ के कवर्धा से हत्या की सनसनीखेज वारदात सामने आई है. जहां दिनदहाड़े घर में घुसकर अधेड़ व्यक्ति का गला रेतकर मर्डर कर दिया गया. इस वारदात के बाद से इलाके में दहशत का माहौल है. मृतक की पहचान रामगुलाल धुर्वे (उम्र 40 वर्ष) के रूप में हुई है. मामला पांडातराई थाना क्षेत्र के महली गांव का है.

जानकारी के मुताबिक, घटना उस समय हुई जब रामगुलाल अपने घर में अकेले था. इस दौरान आरोपी ने घर के आंगन में हत्या की वारदात को अंजाम दिया. परिजनों और ग्रामीणों ने रामगुलाल के शव को खून से सना हुआ देखा तो तत्काल पुलिस को इसकी सूचना दी.

पुलिस मौके पर पहुंचकर शव को पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा दिया. फिलहाल हत्या के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है. पुलिस लगातार जांच में जुटी है.

दो दिनों में दो हत्याएं

बता दें कि इससे एक दिन पहले पोड़ी क्षेत्र के प्रभाटोला गांव में एक बुजुर्ग की भी हत्या कर दी गई थी. लगातार दो दिनों में हुई हत्या की इन घटनाओं से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

गोधन न्याय योजना और मनरेगा में भ्रष्टाचार का आरोप: आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे ग्रामीण

पिथौरा- ग्राम पंचायत लाखागढ़ में गोधन न्याय योजना, गौठान निर्माण और मनरेगा के तहत हुए कार्यों में भारी वित्तीय अनियमितताओं को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद अब आंदोलन का रूप ले चुका है। सोमवार को पोमल कोसरिया के नेतृत्व में ग्रामीणों ने पिथौरा तहसील परिसर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी।

ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक ने योजनाओं के नाम पर हजारों रुपये का भ्रष्टाचार किया है। पोमल कोसरिया का कहना है कि बिना कार्य कराए ही राशि का भुगतान कर दिया गया। उन्होंने बताया कि पहले शिकायत पर जांच हुई थी और आरोप भी सिद्ध हुए, फिर भी किसी भी जिम्मेदार अधिकारी या जनप्रतिनिधि पर न तो एफआईआर दर्ज हुई और न ही कोई प्रशासनिक कार्रवाई की गई।

बिना अनुमति आंदोलन, पुलिस ने लिया हिरासत में

भूख हड़ताल शुरू होने के कुछ घंटों के भीतर ही पिथौरा पुलिस ने तहसीलदार के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए पोमल कोसरिया, तारेन्स कोसरिया, उर्मिला कोसरिया, पुनिया बाई कोसरिया और गीता बंजारे को हिरासत में ले लिया। पुलिस का कहना है कि आंदोलन की पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी और यह सरकारी स्थल पर आयोजित किया जा रहा था।

पिथौरा थाना प्रभारी एसआई दिलीप ठाकुर ने बताया कि तहसील परिसर में बिना अनुमति प्रदर्शन करना नियम विरुद्ध है, इसलिए आंदोलनकारियों को हटाया गया। वहीं, एसडीएम ओंकारेश्वर सिंह ने स्पष्ट किया कि क्षेत्र में आंदोलन के लिए कोई अधिकृत स्थल निर्धारित नहीं है, इसलिए अनुमति देना संभव नहीं था।

थाने में भी जारी रहा विरोध, प्रशासन पर भेदभाव के आरोप

हिरासत में लिए गए ग्रामीणों ने थाने में ही भूख हड़ताल जारी रखी और स्पष्ट किया कि जब तक जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती, वे पीछे नहीं हटेंगे। कुछ घंटों बाद पुलिस ने सभी आंदोलनकारियों को छोड़ दिया।

प्रशासन ने दी सफाई, ग्रामीणों ने बताया ‘मनमानी जांच’

जनपद पंचायत पिथौरा के सीईओ चंद्रप्रकाश मनहर ने कहा कि मामले की दोबारा जांच कराई गई थी, जिसमें पूर्व में अधूरे रहे कार्यों को बाद में पूर्ण पाया गया है, इसलिए अब कोई कार्रवाई जरूरी नहीं समझी गई।

वहीं आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पोमल कोसरिया ने आरोप लगाया कि जिला पंचायत द्वारा पूर्व में की गई जांच में दोष साबित होने के बाद भी, जनपद स्तर पर तीसरी बार मनमानी तरीके से जांच कराकर जिम्मेदारों को बचाने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि योजना बंद होने के बाद भी गोबर खरीदी कर गौठान में डंप करना नियमविरुद्ध है, जिसे जिला पंचायत महासमुंद ने भी गंभीरता से लिया था, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

सरपंच ने बताया आरोपों को निराधार

पंचायत के सरपंच प्रियरंजन कोसरिया ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि सभी कार्यों का मूल्यांकन एसडीओ आरईएस द्वारा कराया गया था और उन्हें पूर्ण पाया गया। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक त्रुटियां कार्य पूर्ण होने के साथ ही स्वतः समाप्त मानी जाती हैं। उन्होंने साफ कहा, “मेरे द्वारा कोई भ्रष्टाचार नहीं किया गया है।”

NSUI ने निकाली ‘भ्रष्टाचार’ की बारात, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में करोड़ों के घोटाले का आरोप

रायपुर- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में बायोटेक इनक्यूबेशन सेंटर के निर्माण में करोड़ों रुपये के कथित घोटाले का एनएसयूआई ने भंडाफोड़ किया है। इस भ्रष्टाचार के विरोध में NSUI ने “भ्रष्टाचार की बारात” निकालकर अनोखे अंदाज में प्रदर्शन किया।

ढोल-नगाड़ों की थाप पर एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने नाचते हुए आधे किलोमीटर लंबी सांकेतिक बारात निकाली। बारात में कुलपति का मुखौटा पहनकर एक व्यक्ति को घोड़े पर बैठाया गया था, दूल्हे की तरह सजाया गया था। नकली नोटों से भरा सूटकेस “दहेज” में दिया गया। इस बारात में एक व्यक्ति ने कृषि मंत्री रामविचार नेताम का मुखौटा पहनकर हिस्सा लिया और कुलपति की “भ्रष्टाचार की बहू” से प्रतीकात्मक शादी कराई।

एनएसयूआई का आरोप है कि बिना लोक निर्माण विभाग (PWD) की निगरानी के बायोटेक इनक्यूबेशन सेंटर का निर्माण कराया गया और नॉन-एसओआर दरों पर मनमाना भुगतान किया गया। निर्माण कार्य अब भी अधूरा है, फिर भी करोड़ों रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। विश्वविद्यालय की खरीदी में 30–40% तक कमीशन लिया गया।

दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की मांग

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे एनएसयूआई प्रदेश प्रभारी महामंत्री हेमंत पाल ने कहा, ये बारात नहीं, ये भ्रष्टाचार के खिलाफ जनजागरूकता की घंटी है। छात्र अब चुप नहीं बैठेंगे। कुलपति और उनके संरक्षणदाताओं की जवाबदेही तय होनी चाहिए। एनएसयूआई की मुख्य मांग है कि कुलपति को तत्काल बर्खास्त किया जाए। पूरी परियोजना की निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच हो, दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। NSUI ने चेतावनी दी है कि यदि मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन छेड़ा जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी राज्य शासन और विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।

रेरा का बड़ा फैसला: प्रमोटर को 28 लाख रुपये ब्याज सहित लौटाने का आदेश, आवंटी को मिली राहत

रायपुर- छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने रियल एस्टेट क्षेत्र में उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक अहम फैसला सुनाया है। रेरा ने आशीर्वाद अपार्टमेंट परियोजना (कोहका, जिला दुर्ग) से जुड़े एक मामले में प्रमोटर को निर्देश दिया है कि वह आवंटी को 28.71 लाख रुपये की राशि ब्याज सहित तत्काल लौटाए।

यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब यह पाया गया कि आवंटी और प्रमोटर के बीच अनुबंध होने के दो साल बाद भी फ्लैट का पजेशन नहीं दिया गया। निर्माण कार्य लंबे समय तक अधूरा रहा, जिससे आवंटी को मानसिक, सामाजिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा।

रेरा के आदेशानुसार, प्रमोटर द्वारा मूलधन 23 लाख 71 हजार रुपये और उस पर 5 लाख रुपये ब्याज सहित कुल 28 लाख 71 हजार रुपये की राशि लौटाई जाएगी। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि प्रमोटर की लापरवाही ने उपभोक्ता का विश्वास तोड़ा है और साथ ही रेरा कानून का उल्लंघन किया है ।

रेरा रजिस्ट्रार ने इस संदर्भ में कहा कि रेरा का उद्देश्य है कि प्रत्येक होमबायर को समय पर उसका अधिकार मिले। यह आदेश उसी दिशा में एक मजबूत संदेश है कि कोई भी प्रमोटर उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी या देरी नहीं कर सकता।

रेरा के इस निर्णय से न केवल पीड़ित उपभोक्ता को राहत मिली है, बल्कि यह अन्य खरीदारों के लिए भी एक सकारात्मक संदेश बनेगा। रेरा ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे सजग रहें और समय पर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए इस मंच पर शिकायत दर्ज करें।