धनबाद में शराब की ओवररेटिंग और मनपसंद ब्रांड की कमी से उपभोक्ता परेशान
![]()
धनबाद में शराब की दुकानों पर इन दिनों उपभोक्ताओं को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तरफ उन्हें निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत चुकाने पर मजबूर किया जा रहा है, तो दूसरी तरफ अपनी पसंद का ब्रांड ढूंढने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ग्राहकों की लगातार शिकायतों के बावजूद, ओवररेटिंग की समस्या जस की तस बनी हुई है और दुकानों में केवल कुछ चुनिंदा ब्रांड ही उपलब्ध हैं, जिससे उपभोक्ताओं में भारी नाराजगी है।
उत्पाद विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले में 56 शराब कंपनियों के 700 से अधिक ब्रांडों को बेचने की अनुमति है। कागजों पर तो उपभोक्ताओं के पास विभिन्न प्रकार के ब्रांडों का विकल्प मौजूद है, लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है। जब ग्राहक अपनी पसंदीदा शराब खरीदने दुकान पर पहुंचते हैं, तो उन्हें अक्सर यह कहकर लौटा दिया जाता है कि वह ब्रांड उपलब्ध नहीं है। इसके बजाय, दुकान संचालक उन्हें मौजूद ब्रांडों में से ही किसी एक को खरीदने के लिए दबाव डालते हैं, भले ही वह उनकी पसंद का न हो।
इस स्थिति के कारण
उपभोक्ताओं को न केवल अपनी पसंद से समझौता करना पड़ रहा है, बल्कि कई बार उन्हें मजबूरन अधिक कीमत भी चुकानी पड़ती है। ओवररेटिंग की समस्या धनबाद में कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में इसने और भी गंभीर रूप ले लिया है। दुकान संचालक खुलेआम निर्धारित मूल्य से 10 से 20 प्रतिशत तक अधिक वसूल रहे हैं, और जब ग्राहक इसका विरोध करते हैं, तो उन्हें शराब देने से भी इनकार कर दिया जाता है।
इस संदर्भ में जब उत्पाद विभाग के अधिकारियों से बात की गई, तो उन्होंने ओवररेटिंग की शिकायतों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। हालांकि, जमीनी स्तर पर स्थिति में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि विभाग की ओर से नियमित निरीक्षण और सख्त कार्रवाई की कमी के कारण दुकान संचालकों के हौसले बुलंद हैं और वे मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
मनपसंद ब्रांडों की कमी के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह जानबूझकर किया जा रहा है ताकि कुछ खास ब्रांडों की बिक्री को बढ़ावा दिया जा सके, जिनमें दुकान संचालकों का अधिक मुनाफा होता है। वहीं, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि आपूर्ति श्रृंखला में गड़बड़ी के कारण सभी ब्रांड समय पर दुकानों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। कारण चाहे जो भी हो, इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब और पसंद पर पड़ रहा है।
धनबाद के जागरूक नागरिकों और उपभोक्ता मंचों ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि उत्पाद विभाग को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और ओवररेटिंग को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही, सभी अधिकृत ब्रांडों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी उचित व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को अपनी पसंद की शराब खरीदने में कोई परेशानी न हो।
उपभोक्ताओं ने यह भी मांग की है कि शराब की दुकानों पर मूल्य सूची स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की जानी चाहिए और यदि कोई दुकानदार निर्धारित मूल्य से अधिक वसूली करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उनका कहना है कि यह उनकी गाढ़ी कमाई का सवाल है और उन्हें अपनी पसंद की चीज उचित मूल्य पर खरीदने का अधिकार है।
बहरहाल, धनबाद में शराब उपभोक्ताओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ओवररेटिंग और मनपसंद ब्रांडों की कमी के कारण वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। अब देखना यह है कि उत्पाद विभाग इस गंभीर समस्या पर कब तक ध्यान देता है और उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।
9 hours ago