कोयला राजस्व में झारखंड का दबदबा, कोल इंडिया के भुगतान में शीर्ष स्थान पर
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धनबाद, झारखंड: कोयला मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट ने झारखंड राज्य को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि से नवाजा है। अप्रैल 2025 के आंकड़ों के अनुसार, कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) द्वारा विभिन्न मदों में किए गए कुल ₹5066.61 करोड़ के राजस्व भुगतान में झारखंड पहले स्थान पर रहा है। यह आंकड़ा न केवल राज्य की कोयला खदानों की विशालता और उत्पादकता को दर्शाता है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में कोयला क्षेत्र के महत्वपूर्ण योगदान को भी रेखांकित करता है।
मंत्रालय द्वारा जारी किए गए विस्तृत आंकड़ों के अनुसार, कोल इंडिया ने विभिन्न राज्यों में स्थित अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से यह राजस्व भुगतान किया है। इन भुगतानों में मुख्य रूप से रॉयल्टी, जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) में योगदान और अन्य कर एवं शुल्क शामिल हैं। झारखंड ने इन सभी मदों में अन्य कोयला उत्पादक राज्यों को पीछे छोड़ते हुए सबसे अधिक राजस्व उत्पन्न किया है।
इस उपलब्धि का श्रेय मुख्य रूप से झारखंड में स्थित कोल इंडिया की प्रमुख सहायक कंपनियों जैसे सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) के उत्कृष्ट प्रदर्शन को जाता है। इन कंपनियों ने अप्रैल माह में कोयला उत्पादन और प्रेषण के लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त किया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार को भारी राजस्व प्राप्त हुआ।
यह राजस्व राज्य सरकार के लिए विकास कार्यों और सामाजिक कल्याण योजनाओं को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कोयला राजस्व का एक बड़ा हिस्सा DMF में जाता है, जिसका उपयोग कोयला खनन से प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और आधारभूत संरचना के विकास के लिए किया जाता है। इस प्रकार, झारखंड का शीर्ष स्थान न केवल राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत करेगा बल्कि कोयला खनन क्षेत्रों के निवासियों के जीवन स्तर में सुधार लाने में भी सहायक होगा।
इस संदर्भ में, झारखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य के कोयला क्षेत्र के कर्मचारियों, अधिकारियों और कोल इंडिया प्रबंधन को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि राज्य सरकार और कोल इंडिया के बीच समन्वय और सहभागिता का परिणाम है। उन्होंने भविष्य में भी इसी तरह के प्रदर्शन की उम्मीद जताई ताकि राज्य और इसके निवासियों को कोयला संपदा का अधिकतम लाभ मिल सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि झारखंड में उच्च गुणवत्ता वाले कोयले के विशाल भंडार और कुशल खनन गतिविधियों के कारण यह राज्य हमेशा से ही कोयला राजस्व के मामले में अग्रणी रहा है। भौगोलिक परिस्थितियां और अनुकूल सरकारी नीतियां भी इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि कोयला एक सीमित प्राकृतिक संसाधन है और पर्यावरण पर इसके नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। इसलिए, झारखंड सरकार को कोयला क्षेत्र से प्राप्त राजस्व का उपयोग राज्य में सतत विकास और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने की दिशा में भी करना चाहिए।
अप्रैल 2025 में कोयला राजस्व में झारखंड का शीर्ष स्थान प्राप्त करना राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह न केवल राज्य की आर्थिक प्रगति का प्रतीक है बल्कि कोयला क्षेत्र के महत्व को भी दर्शाता है। उम्मीद है कि झारखंड भविष्य में भी इस प्रदर्शन को बनाए रखेगा और कोयला राजस्व का उपयोग राज्य के विकास और नागरिकों के कल्याण के लिए प्रभावी ढंग से करेगा।
11 hours ago