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धनबाद में शराब की ओवररेटिंग और मनपसंद ब्रांड की कमी से उपभोक्ता परेशान

धनबाद में शराब की दुकानों पर इन दिनों उपभोक्ताओं को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तरफ उन्हें निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत चुकाने पर मजबूर किया जा रहा है, तो दूसरी तरफ अपनी पसंद का ब्रांड ढूंढने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ग्राहकों की लगातार शिकायतों के बावजूद, ओवररेटिंग की समस्या जस की तस बनी हुई है और दुकानों में केवल कुछ चुनिंदा ब्रांड ही उपलब्ध हैं, जिससे उपभोक्ताओं में भारी नाराजगी है।

उत्पाद विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले में 56 शराब कंपनियों के 700 से अधिक ब्रांडों को बेचने की अनुमति है। कागजों पर तो उपभोक्ताओं के पास विभिन्न प्रकार के ब्रांडों का विकल्प मौजूद है, लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है। जब ग्राहक अपनी पसंदीदा शराब खरीदने दुकान पर पहुंचते हैं, तो उन्हें अक्सर यह कहकर लौटा दिया जाता है कि वह ब्रांड उपलब्ध नहीं है। इसके बजाय, दुकान संचालक उन्हें मौजूद ब्रांडों में से ही किसी एक को खरीदने के लिए दबाव डालते हैं, भले ही वह उनकी पसंद का न हो।

इस स्थिति के कारण

 उपभोक्ताओं को न केवल अपनी पसंद से समझौता करना पड़ रहा है, बल्कि कई बार उन्हें मजबूरन अधिक कीमत भी चुकानी पड़ती है। ओवररेटिंग की समस्या धनबाद में कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में इसने और भी गंभीर रूप ले लिया है। दुकान संचालक खुलेआम निर्धारित मूल्य से 10 से 20 प्रतिशत तक अधिक वसूल रहे हैं, और जब ग्राहक इसका विरोध करते हैं, तो उन्हें शराब देने से भी इनकार कर दिया जाता है।

इस संदर्भ में जब उत्पाद विभाग के अधिकारियों से बात की गई, तो उन्होंने ओवररेटिंग की शिकायतों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। हालांकि, जमीनी स्तर पर स्थिति में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि विभाग की ओर से नियमित निरीक्षण और सख्त कार्रवाई की कमी के कारण दुकान संचालकों के हौसले बुलंद हैं और वे मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

मनपसंद ब्रांडों की कमी के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह जानबूझकर किया जा रहा है ताकि कुछ खास ब्रांडों की बिक्री को बढ़ावा दिया जा सके, जिनमें दुकान संचालकों का अधिक मुनाफा होता है। वहीं, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि आपूर्ति श्रृंखला में गड़बड़ी के कारण सभी ब्रांड समय पर दुकानों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। कारण चाहे जो भी हो, इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब और पसंद पर पड़ रहा है।

धनबाद के जागरूक नागरिकों और उपभोक्ता मंचों ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि उत्पाद विभाग को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और ओवररेटिंग को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही, सभी अधिकृत ब्रांडों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी उचित व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को अपनी पसंद की शराब खरीदने में कोई परेशानी न हो।

उपभोक्ताओं ने यह भी मांग की है कि शराब की दुकानों पर मूल्य सूची स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की जानी चाहिए और यदि कोई दुकानदार निर्धारित मूल्य से अधिक वसूली करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उनका कहना है कि यह उनकी गाढ़ी कमाई का सवाल है और उन्हें अपनी पसंद की चीज उचित मूल्य पर खरीदने का अधिकार है।

बहरहाल, धनबाद में शराब उपभोक्ताओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ओवररेटिंग और मनपसंद ब्रांडों की कमी के कारण वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। अब देखना यह है कि उत्पाद विभाग इस गंभीर समस्या पर कब तक ध्यान देता है और उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।

कोयला राजस्व में झारखंड का दबदबा, कोल इंडिया के भुगतान में शीर्ष स्थान पर

धनबाद, झारखंड: कोयला मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट ने झारखंड राज्य को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि से नवाजा है। अप्रैल 2025 के आंकड़ों के अनुसार, कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) द्वारा विभिन्न मदों में किए गए कुल ₹5066.61 करोड़ के राजस्व भुगतान में झारखंड पहले स्थान पर रहा है। यह आंकड़ा न केवल राज्य की कोयला खदानों की विशालता और उत्पादकता को दर्शाता है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में कोयला क्षेत्र के महत्वपूर्ण योगदान को भी रेखांकित करता है।

मंत्रालय द्वारा जारी किए गए विस्तृत आंकड़ों के अनुसार, कोल इंडिया ने विभिन्न राज्यों में स्थित अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से यह राजस्व भुगतान किया है। इन भुगतानों में मुख्य रूप से रॉयल्टी, जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) में योगदान और अन्य कर एवं शुल्क शामिल हैं। झारखंड ने इन सभी मदों में अन्य कोयला उत्पादक राज्यों को पीछे छोड़ते हुए सबसे अधिक राजस्व उत्पन्न किया है।

इस उपलब्धि का श्रेय मुख्य रूप से झारखंड में स्थित कोल इंडिया की प्रमुख सहायक कंपनियों जैसे सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) के उत्कृष्ट प्रदर्शन को जाता है। इन कंपनियों ने अप्रैल माह में कोयला उत्पादन और प्रेषण के लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त किया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार को भारी राजस्व प्राप्त हुआ।

यह राजस्व राज्य सरकार के लिए विकास कार्यों और सामाजिक कल्याण योजनाओं को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कोयला राजस्व का एक बड़ा हिस्सा DMF में जाता है, जिसका उपयोग कोयला खनन से प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और आधारभूत संरचना के विकास के लिए किया जाता है। इस प्रकार, झारखंड का शीर्ष स्थान न केवल राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत करेगा बल्कि कोयला खनन क्षेत्रों के निवासियों के जीवन स्तर में सुधार लाने में भी सहायक होगा।

इस संदर्भ में, झारखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य के कोयला क्षेत्र के कर्मचारियों, अधिकारियों और कोल इंडिया प्रबंधन को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि राज्य सरकार और कोल इंडिया के बीच समन्वय और सहभागिता का परिणाम है। उन्होंने भविष्य में भी इसी तरह के प्रदर्शन की उम्मीद जताई ताकि राज्य और इसके निवासियों को कोयला संपदा का अधिकतम लाभ मिल सके।

विशेषज्ञों का मानना है कि झारखंड में उच्च गुणवत्ता वाले कोयले के विशाल भंडार और कुशल खनन गतिविधियों के कारण यह राज्य हमेशा से ही कोयला राजस्व के मामले में अग्रणी रहा है। भौगोलिक परिस्थितियां और अनुकूल सरकारी नीतियां भी इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि कोयला एक सीमित प्राकृतिक संसाधन है और पर्यावरण पर इसके नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। इसलिए, झारखंड सरकार को कोयला क्षेत्र से प्राप्त राजस्व का उपयोग राज्य में सतत विकास और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने की दिशा में भी करना चाहिए।

अप्रैल 2025 में कोयला राजस्व में झारखंड का शीर्ष स्थान प्राप्त करना राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह न केवल राज्य की आर्थिक प्रगति का प्रतीक है बल्कि कोयला क्षेत्र के महत्व को भी दर्शाता है। उम्मीद है कि झारखंड भविष्य में भी इस प्रदर्शन को बनाए रखेगा और कोयला राजस्व का उपयोग राज्य के विकास और नागरिकों के कल्याण के लिए प्रभावी ढंग से करेगा।

निशिकांत दुबे और महुआ मोइत्रा के बीच ट्विटर पर फिर से तीखी बहस


गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा के बीच ट्विटर पर फिर से तीखी बहस छिड़ गई है। यह बहस तब शुरू हुई जब महुआ मोइत्रा ने एक ट्वीट किया, जिस पर निशिकांत दुबे ने हरिवंश राय बच्चन की कविता 'मधुशाला' की पंक्तियाँ लिखकर पलटवार किया।

बहस का कारण

बहस का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि यह दोनों सांसदों के बीच पहले से चले आ रहे राजनीतिक मतभेदों का नतीजा है। दोनों सांसद अक्सर एक-दूसरे पर सार्वजनिक रूप से आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे हैं।

दुबे का पलटवार

महुआ मोइत्रा के ट्वीट के जवाब में, निशिकांत दुबे ने हरिवंश राय बच्चन की कविता 'मधुशाला' की पंक्तियाँ लिखीं। उन्होंने लिखा, "मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, पूरबी पश्चिम से वे आते सब हैं पीने वाला।" दुबे के इस ट्वीट को महुआ मोइत्रा पर कटाक्ष माना जा रहा है।

मोइत्रा की प्रतिक्रिया

महुआ मोइत्रा ने अभी तक दुबे के ट्वीट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर दुबे के ट्वीट की आलोचना की है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी देखने को मिली है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेताओं ने दुबे का समर्थन किया है, जबकि विपक्षी दलों ने दुबे के ट्वीट की आलोचना की है।

सोशल मीडिया पर बहस

यह बहस सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा में है। दोनों सांसदों के समर्थकों ने ट्विटर पर एक-दूसरे के खिलाफ जमकर टिप्पणियाँ की हैं।

पहले भी हुई हैं बहसें

यह पहली बार नहीं है जब दुबे और मोइत्रा के बीच ट्विटर पर बहस हुई है। दोनों सांसद पहले भी कई बार सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा चुके हैं।

राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता

दुबे और मोइत्रा के बीच की यह बहस उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को दर्शाती है। दोनों सांसद अलग-अलग राजनीतिक दलों से हैं और अक्सर एक-दूसरे की आलोचना करते रहते हैं।

मीडिया का ध्यान

इस घटना ने मीडिया का भी ध्यान आकर्षित किया है। कई समाचार चैनलों और वेबसाइटों ने इस बहस को प्रमुखता से कवर किया है।

आगे क्या होगा?

यह देखना बाकी है कि इस बहस का आगे क्या परिणाम होता है। क्या दोनों सांसद सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहेंगे, या वे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कोई रास्ता निकालेंगे?

झारखंड में जल्द होगी 8000 पदों पर बंपर बहाली, दौड़ की प्रक्रिया हुई सरल

रांची: झारखंड के युवाओं के लिए खुशखबरी है! राज्य में जल्द ही असिस्टेंट जेलर, कक्षपाल, जिला बल, होम गार्ड और उत्पाद सिपाही समेत कुल 8000 पदों पर स्थायी नियुक्ति की जाएगी. कारा विभाग द्वारा राज्य के 31 जेलों में असिस्टेंट जेलर और कक्षपालों की कमी को देखते हुए यह अनुशंसा की गई है और जल्द ही इस संबंध में विज्ञापन जारी किया जाएगा.

जानकारी के अनुसार, इस बहाली प्रक्रिया में 45 असिस्टेंट जेलर और 1900 कक्षपालों की नियुक्ति की जाएगी. इसके अतिरिक्त, जिला बल, होमगार्ड और उत्पाद सिपाही के पदों पर भी बड़ी संख्या में भर्तियां होंगी. सूत्रों के अनुसार, इन सभी 8000 पदों पर नियुक्ति स्थायी आधार पर की जाएगी, जिसमें होम गार्ड की नियुक्तियां भी स्थायी रूप से होंगी.

कक्षपाल (सिपाही संवर्ग) के पदों पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों को दौड़, शारीरिक दक्षता और लिखित परीक्षा में सफल होना होगा. हालांकि, पिछली बार उत्पाद सिपाही की दौड़ के दौरान हुई एक दुखद घटना के बाद दौड़ की प्रक्रिया को सरल कर दिया गया है. अब अभ्यर्थियों को केवल 1.6 किमी की दौड़ लगानी होगी. 

पुरुष अभ्यर्थियों के लिए 1600 मीटर की दौड़ 6 मिनट में और महिला अभ्यर्थियों के लिए 10 मिनट में पूरी करनी होगी. पहले उत्पाद सिपाही के अभ्यर्थियों को 10 किमी की दौड़ लगानी होती थी.

बोकारो में सनसनीखेज वारदात: बीएसएल के जनरल मैनेजर के पिता की निर्मम हत्या


बोकारो : बोकारो स्टील सिटी में एक सनसनीखेज वारदात सामने आई है। बीएसएल के महाप्रबंधक विनय सिंह के 85 वर्षीय पिता कलिका राय की बेरहमी से हत्या कर दी गई। उनका शव को-ऑपरेटिव कॉलोनी स्थित आवास संख्या 192ए से बरामद हुआ। 

मृतक का शरीर निर्वस्त्र था और सिर पर गंभीर चोटों के निशान थे, जिससे आशंका जताई जा रही है कि लोहे की रड या लाठी से सिर पर हमला कर उनकी जान ली गई है।

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। डीएसपी सिटी आलोक रंजन भी घटनास्थल पर पहुंचे और बताया कि यह मामला प्रथम दृष्टया हत्या का प्रतीत होता है। 

सिर बुरी तरह कुचला हुआ था। मौके पर डॉग स्क्वायड‌ और फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट को भी बुलाया गया, जिन्होंने सबूत इकट्ठा किए।

पुलिस को जानकारी मिली है कि घटना के वक्त कलिका राय घर में अकेले थे। आसपास सीसीटीवी कैमरे की तलाश की गई, लेकिन कोई कैमरा नहीं मिला जिससे जांच में बाधा आ रही है। 

बताया जा रहा है कि मृतक के तीन बेटे हैं, जिनमें से एक लोहांचल में, दूसरा सेक्टर-6 के मालती रेजिडेंसी में परिवार के साथ रहता है, जबकि तीसरा बेटा किसी शैक्षणिक कार्य से शहर से बाहर गया हुआ था। 

स्थानीय लोग कलिका राय को शांत और समाजप्रिय व्यक्ति के रूप में जानते थे। इस जघन्य हत्याकांड से इलाके में खौफ और तनाव का माहौल है। पुलिस ने जल्द से जल्द अपराधियों की गिरफ्तारी का भरोसा दिलाया है और हर एंगल से जांच में जुटी हुई है।

सीआईडी जाँच में झारखंड CGL परीक्षा को लेकर बड़ा खुलासा, अभ्यर्थियों से 20-20 लाख में हुआ था पेपर लीक का सौदा


झारखंड में जेएसएससी सीजीएल __ परीक्षा 2023 को लेकर सीआई डी ने बड़ा खुलासा किया है.इस खुलासे के बाद यह बात सामने आ रही है कि अभ्यर्थियों से प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने के नाम पर 20-20 लाख रुपये मांगे गए थे। सीआईडी ने प्रश्नपत्र लीक कराने के नाम पर फर्जीवाड़ा और अवैध वसूली से जुड़े साक्ष्य बरामद किए हैं।यह खुलासा विभागीय कार्रवाई से जुड़ी जांच में हुई है। इसकी जानकारी आईआरबी बटालियन को दी गई है।

जांच में यह बात सामने आई है कि प्रश्नपत्र के एवज में पैसे की उगाही के लिए आईआरबी जवान कुंदन कुमार उर्फ मंटू ने सहयोगी आईआरबी जवानों का इस्तेमाल एजेंट के रूप में किया था। इन्हीं कथित एजेंट के जरिए अभ्यर्थियों से 20-20 लाख रुपये वसूले जाने थे।

 मास्टरमाइंड संदीप त्रिपाठी ने असम रायइफल्स के जवान रामनिवास राय व उसके भाई निवास राय के जरिए कुंदन से संपर्क किया था। पैसों के लेनदेन के लिए कुंदन की पत्नी कंचन के बैंक खातों का इस्तेमाल हुआ था। इन खातों से 2.90 लाख रुपये रामनिवास के भतीजे कविराज उर्फ मोटू को भेजे गए थे। रिफरेंस में निवास सीजीएल और निवास जेएस का जिक्र कोड के तौर पर किया गया था। सफल अभ्यर्थी नवीन कुमार से 27 सितंबर को 90 हजार और 6 अक्तूबर 2024 को 60 हजार लिए थे।

सीआईडी ने जांच में पाया कि केस में गिरफ्तार आईआरबी जवान कुंदन कुमार उर्फ मंटू और मास्टरमाइंड संदीप त्रिपाठी ने अपने-अपने मोबाइल नंबरों से अभ्यर्थी अरविंद कुमार को कॉल कर धमकी दी थी। अरविंद से प्रश्नपत्र के जवाब के बदले पैसे मांग रहे थे। अरविंद ने धमकी भरे कॉल के वीडियो कॉल की रिकार्डिंग भी सीआईडी को मुहैया कराई है। अरविंद को भी गिरोह के सदस्य प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने की बात कह नेपाल के वीरगंज ले गए थे। केस में गिरफ्तार कुंदन कुमार और कौशलेश कुमार के मोबाइल से ही 28 अभ्यर्थियों की सूची बरामद की गई थी। अभ्यर्थियों को पटना, मुजफ्फरपुर, मोतीहारी, रक्सौल के रास्ते वीरगंज ले जाया गया था। लिस्ट में 28 में से 10 अभ्यर्थी पास हुए थे। जानकारी के मुताबिक, जवानों को वीरगंज में छह-सात पन्नों में सामान्य ज्ञान के 100 से 120 प्रश्न और उनके जवाब रटवाए गए थे।

जमशेदपुर में भारी विरोध के बीच कदमा के अनिल सुर पथ स्थित दो एकड़ 20 डिसमिल सरकारी जमीन को कराया गया अतिक्रमण मुक्त


झारखंड के जमशेदपुर में एक बार फिर से बुलडोजर गरजा। भारी विरोध के बीच कदमा के अनिल सुर पथ स्थित दो एकड़ 20 डिसमिल सरकारी जमीन को शनिवार को

 अतिक्रमण मुक्त करा लिया गया। इसकी सरकारी कीमत 25 करोड़ रुपये आंकी गई है। इस जमीन पर चहारदीवारी बनी हुई थी और अंदर एक आउट हाउस जैसा घर बना हुआ था। यही नहीं, जमीन की प्लॉटिंग भी की हुई थी।

अतिक्रमण हटाने के लिए दो जेसीबी को लगाया गया था। मजिस्ट्रेट के रूप में सिटी मैनेजर जितेन्द्र सिंह, जबकि वरीय दंडाधिकारी के रूप में जमशेदपुर के अंचलाधिकारी मनोज कुमार, सीआई, राजस्व कर्मचारी और बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी पहुंचे थे। 

सभी करीब 11 बजे वहां पहुंचे। इसकी जानकारी मिलते ही जमीन पर दावा करने वाले सपन महतो के घर की महिलाएं विरोध में आगे आ गईं। दो महिलाएं तो जेसीबी के बकेट में चढ़ गईं। उग्र विरोध के कारण शुरू में जेसीबी को रोकना पड़ा।

इस बीच झारखंड आंदोलनकारी हरमोहन महतो भी पहुंच गए। उन्होंने दावा किया कि यह जमीन 1908 और 1932 के सर्वे में कदमा निवासी सपन महतो के पूर्वजों की थी। 1998 में जमशेदपुर अक्षेस क्षेत्र में हुए सर्वे में इसे गलत तरीके से सरकारी खाते में दर्ज करा दिया गया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट ने स्टे लगा रखा है। मामला डीसी कोर्ट में भी चल रहा है। ऐसे में जेपीएलई चलाकर आदेश पारित करना सरासर अन्याय है। वे इसके खिलाफ चुप नहीं बैठेंगे। वे मंगलवार को डीसी से मिलेंगे और उनके कोर्ट में चल रहे इस मामले के बारे में बताएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि वास्तव में यह जमीन दो नेताओं की नाक की लड़ाई का शिकार हो गई है।

महिला पुलिस ने विरोध कर रहीं महिलाओं को पकड़कर वहां से हटाया तब जेसीबी से वहां बने निर्माण को तोड़ा गया। यह कार्रवाई दोपहर करीब तीन बजे समाप्त हुई। सीओ मनोज कुमार ने इस मामले में बताया कि इस जमीन का खाता नंबर 622, प्लॉट नंबर 1278, 7073, 858, 857, 7071 व 1278, रकवा 2.20 एकड़ और किस्म अनाबाद झारखंड सरकार है। इस जमीन पर सपन महतो और वासुदेव राव ने कब्जा कर रखा था, जिनके खिलाफ जेपीएलई वाद चलाया गया और इसका फैसला उनके खिलाफ हुआ था।

अबुआ आवास की राशि का दुरूपयोग करने वाले के बिरुद्ध कारबाई शुरू, मचा ह्ड़कंप




झारखंड में अबुआ आवास योजना के तहत लोगों को घर बनाने के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है। इस योजना के तहत जिनके पास आवास नहीं है, उन्हें सरकारी मदद से घर बनाने का पैसा दिया जा रहा है। इस योजना के ज्यादातर लाभार्थी आवास का निर्माण करवा भी रहे हैं, लेकिन कई जिलों में यह देखने को मिला है कि अबुआ आवास के लाभार्थी सरकार से पैसा मिलने के बाद आवास का निर्माण नहीं करवा रहे हैं, 

बल्कि उस पैसे से दूसरे काम कर रहे हैं। 

अब प्रशासन ने ऐसे लाभार्थियों पर ऐक्शन लेना शुरू कर दिया है। इस दौरान ऐसे लाभार्थी जो योजना का लाभ लेकर आवास निर्माण नहीं करवा रहे हैं प्रशासन उनपर नामजद केस दर्ज करवा रहा है।

हाल ही में प्रशासन ने घाटशिला के डंडई इलाके में अबुआ आवास योजना मद की पहली किस्त लेने के बाद भी आवास निर्माण शुरू नहीं करने वाले 47 लाभुकों के खिलाफ स्थानीय थाने में नामजद केस दर्ज करवाया है। बीडीओ देवलाल करमाली के आवेदन पर पुलिस ने केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।

बीडीओ की ओर से दिए गए आवेदन में उल्लेख किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में लाभुकों को अबुआ आवास योजना का लाभ दिया गया था। उसके बाद उन्हें पहली किस्त का भुगतान भी किया गया। पहली किस्त की राशि लेने के बाद भी लाभुकों ने आवास निर्माण का काम शुरू नहीं किया। काम शुरू करने के लिए भी लाभुकों को अल्टीमेटम दिया गया। उसके बाद उन्हें भुगतान की गई पहली किस्त की राशि नजारत में जमा करने का भी निर्देश दिया गया। उसके लिए दो-दो बार उन्हें नोटिस दिया गया। नोटिस के बाद भी राशि जमा नहीं किया गया। बीडीओ की उक्त कार्रवाई से हड़कंप मच गया। बीडीओ ने बताया कि एक तो गरीब गुरबों को योजना का लाभ दिया गया।

अवैध बालू लदा 2 ट्रैक्टर जब्त, एफआईआर दर्ज


धनबाद : उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी सुश्री माधवी मिश्रा के निर्देशानुसार जिले में खनिज पदार्थों के अवैध खनन, भंडारण एवं परिवहन के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए खनन टास्क फोर्स ने शनिवार को महुदा थाना क्षेत्र से अवैध बालू लदा 2 ट्रैक्टर जब्त किया है। साथ ही महुदा थाना में एफआईआर दर्ज कराई है। 

इस संबंध में जिला खनन पदाधिकारी श्री रितेश राज तिग्गा ने बताया कि आज 11:00 बजे पूर्वाहन खान निरीक्षक श्री बिनोद बिहारी प्रमाणिक, खान निरीक्षक श्री सुमित प्रसाद एवं आवंटित सशस्त्र पुलिस बल के साथ संयुक्त रूप से बालू के अवैध खनन एवं परिवहन के विरूद्ध महुदा थाना में औचक जांच अभियान चलाया गया। 

इस क्रम में भुरुंगिया ग्राम के पास बोकारो धनबाद मुख्य पथ पर आ रहे दो बालू लदे ट्रैक्टरों, जिसका निबंधन संख्या, डाला संख्या, इंजन संख्या एवं चेचिस संख्या अस्पष्ट पाया गया, को बिना परिवहन चालान के बालू का परिवहन करते पकड़ा गया। 

दोनों ट्रैक्टर को जब्त कर वाहन मालिकों, वाहन चालको, वाहन पर लदे बालू खनिज एवं इसमें संलिप्त अन्य सभी लोगों के विरूद्ध सुसंगत धाराओं के अंतर्गत महुदा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है।

गिरिडीह में 3 बच्चों को लेकर कूएं में कूद गई महिला, सभी बच्चों की मौत; मां की हालत गंभीर

गिरिडीह : गिरिडीह के देवरी थाना क्षेत्र में दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां के खसलोडीह गांव में कथित रुप से पति के साथ हुए विवाद के बाद शुक्रवार को एक महिला ने अपने तीन मासूम बच्चों के साथ एक सिंचाई कूप में छलांग लगा दी।

जिसमें तीनों बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं गम्भीर रूप घायल महिला आरती देवी (30) को उपचार के लिए गिरिडीह ले जाया गया है।

 मृतकों में सोनू चौधरी के छह वर्षीय पुत्र अविनाश कुमार, चार वर्षीय पुत्री रानी कुमारी एवं दो वर्षीय पुत्री फूल कुमारी शामिल है।

इस सम्बंध में बताया गया कि सोनू चौधरी हैदराबाद में मजदूरी कर परिवार चलाता है। करीब एक माह पूर्व वह अपने चचेरे भाई की शादी समारोह में भाग लेने के लिए गांव आया हुआ था। बताया गया कि गुरुवार रात किसी बात को लेकर पत्नी से उसकी कथित रुप से कहा सुनी हो गई। उसी बात को लेकर शुक्रवार करीब 11 बजे दिन पत्नी आरती देवी अपने तीन मासूम बच्चों को साड़ी की पल्लू में बांधकर घर से करीब आधा किलोमीटर दूर खेत स्थित सिंचाई कूप में छलांग लगा दी।