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भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच यह जानना जरूरी है कि पाकिस्तान ने अपना आर्मी मुख्यालय रावलपिंडी को ही क्यों बनाया? ये हैं 5 बड़ी वजह

डेस्क:–पाकिस्तान का एक प्रमुख शहर है रावलपिंडी, जहां बैठकर पाकिस्तानी जनरल यह फैसले करते हैं कि कब और कहां जंग लड़ना है. यहीं पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय है. यहीं से छद्म युद्ध भी लड़े जाते हैं. ऐसे में सवाल है कि रावलपिंडी को पाकिस्तानी सेना का हेडक्वार्टर क्यों चुना गया?

तनाव के बीच सबसे ज्यादा परेशानी में पाकिस्तान का एक प्रमुख शहर रावलपिंडी है. कारण यह है कि यही वह शहर है जहां बैठकर पाकिस्तानी जनरल यह फैसले करते हैं कि कब और कहां बम फोड़ना है? किस आतंकी को सिर चढ़ाना है? किसका कस तरीके से उपयोग करना है. यहीं पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय है. यहीं से छद्म युद्ध भी लड़े जाते हैं. ऐतिहासिक शहर रावलपिंडी के संस्थापकों ने कभी सोच भी नहीं होगा कि उनकी धरती का इस तरह दुरुपयोग पाकिस्तानी सेना करेगी.

भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच यह जानना जरूरी है कि पाकिस्तान ने अपना आर्मी मुख्यालय रावलपिंडी को ही क्यों बनाया? जबकि उसके पास कराची, लाहौर जैसे महत्वपूर्ण, बड़े और हर तरह की सुविधाओं से सम्पन्न ऐतिहासिक महत्व के शहर थे. इसकी कई महत्वपूर्ण वजहें थीं.

1-ब्रिटिश सेना का उत्तरी कमान सेंटर था रावलपिंडी

पाकिस्तान नाम का नया देश जब दुनिया के नक्शे में जुड़ा तो रावलपिंडी ब्रिटिश सेना का उत्तरी कमान का हेडक्वार्टर हुआ करता था. यहां सेना से जुड़े बहुत सारे संसाधन मौजूद थे. नया देश होने की वजह से पाकिस्तान के सामने बहुत सारे दूसरी तरह के चैलेंजेज थे, ऐसे में पाकिस्तानी सेना ने खुद को रावलपिंडी में ही मजबूती दी.

साल 1947 में भारत से अलग बने देश पाकिस्तान के सेना प्रमुख ब्रिटिश जनरल सर डगलस ग्रेसी थे. अंग्रेज अफसर सुविधाओं में रहने के आदती थे. ब्रिटिश सेना का उत्तरी कमान का हेडक्वार्टर होने की वजह से यहां पर्याप्त सुविधाएं-संसाधन मौजूद थे. ऐसे में जनरल डगलस ने सेना मुख्यालय के रूप में रावलपिंडी को ही चुन लिया. समय बीतता गया और पाकिस्तानी सेना का प्रभाव देश के अंदर बढ़ता गया. अपने फैसले में सेना ने सरकार को बहुत तवज्जो कभी नहीं दी. उनका ध्यान लोकतंत्र को कमजोर करने में लगा रहा.

इसीलिए जब साल 1960 में पाकिस्तान ने इस्लामाबाद को देश की स्थाई राजधानी के रूप में स्थापित किया तब भी सेना ने अपना मुख्यालय शिफ्ट नहीं किया. सामान्य दशा में किसी भी देश में सेना और सरकार का मुख्यालय एक ही जगह होते हैं. पाकिस्तान में तख्तापलट का लंबा इतिहास है. ऐसे में सर डगलस ने जो नींव रख दी, पाकिस्तानी जनरल्स ने उसे हटाने की सोची भी नहीं, बल्कि रावलपिंडी को ही मजबूती देते गए. पाकिस्तान की स्थापना से लेकर साल 1960 तक रावलपिंडी में सेना के संसाधनों में पर्याप्त इजाफा कर लिया था.

2-ब्रिटिश काल में भी रावलपिंडी सेना के लिए महत्वपूर्ण था

जब अंग्रेज राज करते थे तब भी रावलपिंडी ब्रिटिश सेना के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र था. पाकिस्तान बनने के समय लाहौर, कराची और रावलपिंडी, यही तीन शहर थे, जहां पाकिस्तान कहीं अपनी राजधानी बना लेता. लाहौर और कराची अपेक्षाकृत ज्यादा विकसित और ऐतिहासिक शहर थे, इसलिए पाकिस्तान ने फौरी राजधानी के रूप में कराची का चुनाव किया. लेकिन जनरल डगलस ने सेना का मुख्यालय कराची ले जाना मुनासिब नहीं समझा और न ही पाकिस्तान के नीति-निर्धारकों ने सत्ता के केंद्र के रूप में रावलपिंडी को चुनने की जहमत उठाई. सर डगलस ने सेना का मुख्यालय कराची इसलिए भी नहीं शिफ्ट किया क्योंकि यह एक समुद्र तटीय, अधिक भीड़भाड़ वाला शहर था.

रणनीतिक दृष्टि से सेना ने इसे उपयुक्त नहीं पाया बल्कि माना गया कि रावलपिंडी पहले से ही सेना के लिए सक्रिय शहर है. उधर, कराची से स्थाई राजधानी इस्लामाबाद करने के फैसले के समय सेना ने खुद को रावलपिंडी में इतना मजबूत कर लिया कि सेना मुख्यालय को इस्लामाबाद शिफ्ट करने में बहुत बड़े बजट की जरूरत थी, जो पाकिस्तान के पास था नहीं. अगर सरकार और जनरल्स सेना का मुख्यालय इस्लामाबाद शिफ्ट करने का फैसला ले भी लेते तो रावलपिंडी में पहले से उपलब्ध इंफ्रा का उपयोग उस तरह नहीं हो पाता, जैसे आज हो रहा है.

3- इसलिए भी रावलपिंडी का महत्व बना रहा

रावलपिंडी पाकिस्तान के उत्तरी हिस्से में है. यह राजधानी इस्लामाबाद से ज्यादा दूर नहीं है. ऐसे में सेना और सरकार में समन्वय आसान माना गया. कहा जा सकता है कि भौगोलिक रूप से यह जगह सेना के संचालन और राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से एकदम अनुकूल है. ब्रिटिश सेना कि विरासत ने पाकिस्तानी सेना को इसे मुख्यालय बनाने में मदद की.

रावलपिंडी सड़क, रेल और हवाई मार्ग से देश के अन्य हिस्सों से जुड़ा हुआ है, जो किसी भी देश की सेना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. चूँकि, सेना की अनेक गतिविधियां शांति से संचालित होती हैं, ऐसे में लाहौर-कराची जैसे भीड़ वाले शहर में सैन्य गतिविधियां चलाना अपने आप में चुनौतीपूर्ण है. आबादी की दृष्टि से रावलपिंडी सेना के लिए उपयुक्त माना गया था.

4- पाकिस्तान की उम्र सिर्फ 78, रावलपिंडी का सैन्य इतिहास हजारों वर्ष पुराना

सेना के लिए रावलपिंडी तब भी महत्वपूर्ण था जब पाकिस्तान का नामों-निशान नहीं था. ब्रिटिश सेना की छावनियां यहां तब भी थीं. साल 1850 से ब्रिटिश सेना ने इसे अपनी छावनी के रूप में विकसित करना शुरू किया था, जो पाकिस्तान बनने तक जारी रहा क्योंकि धीरे-धीरे सुविधाएं बढ़ती रहीं और सेना ने इसका दर्जा भी बढ़ाया. पाकिस्तान के बनने के समय यह जगह ब्रिटिश सेना के उत्तरी कमान का मुख्यालय हुआ करता था.

5- कुछ यूं बनी सेना की एक चौकी सैन्य मुख्यालय

रावलपिंडी के ऐतिहासिक पक्ष को देखें तो पता चलता है कि राजस्थान के राजा बप्पा रावल ने पहली फौजी चौकी आठवीं सदी में यहां बनाई थी. बप्पा रावल ने 712 ईस्वी में मोहम्मद बिन कासिम को जंग में हराकर इस क्षेत्र से भागने पर मजबूर कर दिया था. युद्ध जीतने के बाद उन्होंने अनेक सैन्य चौकियां स्थापित की थीं, उसमें रावलपिंडी भी था. इस तरह मुगल हों या ब्रिटिश या फिर पाकिस्तानी शासक, सबने रावलपिंडी को सेना के केंद्र के रूप में मजबूती दी.

इतिहास बताता है कि रावलपिंडी शहर का नाम भी राजा बप्पा रावल के नाम पर पड़ा है। बप्पा रावल इतने बहादुर थे कि उन्होंने उस जमाने में युद्ध जीतते हुए अफगानिस्तान, ईरान, इराक तक क्षेत्र का विस्तार किया. बप्पा रावल की राजधानी आज का चित्तौड़गढ़ हुआ करती थी. इस तरह हम पाते हैं कि रावलपिंडी को पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय बनाने में एक नहीं, अनेक कारण हैं. सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से उसका सैन्य इतिहास है.

एकतरफा प्यार में मौसेरे भाई ने युवती को कुल्हाड़ी से काट डाला,…आरोपी फरार

डेस्क:–एकतरफा प्यार में मौसेरे भाई ने गुरुवार की रात कुल्हाड़ी से गला काट कर युवती को मार डाला। वारदात का पता शुक्रवार सुबह चला। आरोपी फरार है। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की तीन टीमें लगी हैं। सूचना पर पहुंचे एसपी ने जांच-पड़ताल की है। मौके से खून से सनी कुल्हाड़ी मिली है।

बिसंडा थाना क्षेत्र के लौली टीकमऊ गांव निवासी प्रियंका (23) पुत्री स्व. रामप्रताप गुरुवार की रात बड़ी बहन गुड़िया और छोटी बहन समुद्री के साथ घर के बाहर वाले कमरे में सोई थी। प्रियंका से एकतरफा प्यार करने वाला उसका मौसेरा भाई पुनाहुर गांव का शिवशंकर रात में उसके घर पहुंचा। वह प्रियंका को जगाकर पीछे के कमरे में ले गया। वहां पर दोनों के बीच कहासुनी हो गई। इसी दौरान शिवशंकर ने कुल्हाड़ी से प्रियंका के गले पर तीन वार किए, जिससे वह लहूलुहान होकर गिर गई। प्रियंका को मरा समझकर शिवशंकर भाग गया।

शुक्रवार की सुबह प्रियंका की दोनों बहनों की नींद खुली तो वह चारपाई पर नहीं मिली। प्रियंका को खोजते हुए दोनों बहनें घर के पीछे वाले कमरे में पहुंचीं। वहां प्रियंका को लहूलुहान पड़ा देखकर शोर मचाते हुए बाहर आईं और पड़ोसियों को बताया। पड़ोसी चुन्नू और अन्य लोग प्रियंका को लेकर स्वास्थ्य केंद्र बिसंडा पहुंचे। वहां से जिला अस्पताल लाने पर डॉक्टरों ने प्रियंका को मृत घोषित कर दिया।


युवती की हत्या की खबर की सूचना पाकर पुलिस अधीक्षक पलाश बंसल लौली टीकमऊ गांव पहुंचे। परिजनों से पूछताछ की। हत्यारोपी की गिरफ्तारी के लिए एसपी ने पुलिस की तीन टीमें लगाई हैं। इधर, बिसंडा थाना प्रभारी कौशल सिंह ने कहा कि मौसेरे भाई की तलाश की जा रही है।

प्रेम-प्रसंग के चलते हुई घटना

एसपी ने पड़ोसियों के साथ प्रियंका की मां सेमिया और दोनों बहन गुड़िया व समुद्री से पूछताछ की। एसपी ने कहा कि प्रेम प्रसंग के चलते वारदात हुई है। मौसेरे भाई को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।

रील बनाने की होड़ में महिला की जान पर बन आई, आखिर फेमस होने की चाह में लोग अपनी जान को खतरे में क्यों डालते हैं?

डेस्क:–आज कल लोगों के बीच रील बनाने की होड़ इस कदर है की उन्हें अपनी जान से खेलने में भी जरा हिचकिचाहट नहीं होती। ना दाएं देखते हैं ना बाएं बस फेमस होना है तो कहीं भी कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं, फिर चाहे जान ही क्यों ना चली जाए। सोशल मीडिया पर रील्स एंटरटेनमेंट का स्त्रोत बन चुकी हैं। लोगों को बस फेमस होना है, लाइक्स और व्यूज बटोरने हैं और इसके लिए वो किसी भी हद को पार करने के लिए तैयार रहते हैं। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी इस हरकत से उनकी जान तक जा सकती है। हाल की वायरल हो रही वीडियो को ही देख लीजिए। एक महिला किसी जंगल में एक ब्रिज पर चढ़कर करतव करते दिखाई दे रही है। लेकिन इसके बाद महिला के साथ जो होता है वो देखकर आपकी भी रुह कांप जाएगी।

*खतरनाक स्टंट करना महिला को पड़ा भारी*

वायरल वीडियो में आप देख सकते हैं कि किसी जंगल के बीच में एक नदी बह रही है। नदी का बहाव काफी तेज दिखाई दे रहा है। नदी के ऊपर एक टूटे हुए पेड़ से बना ब्रिज भी दिख रहा है। वीडियो में एक महिला नदी पर पेड़ से बने ब्रिज के ऊपर करतव करते नजर आ रही है। महिला को योगा जैसा कुछ करते हुए देखा जा सकता है। लेकिन तभी अचानक से उसका बैलेंस बिगड़ता है और वो नदी में गिर जाती है। बहाव तेज होने के कारण महिला खुद को रोक भी नहीं पाती है। वीडियो में इस बात की कोई पुष्टि नहीं की गई है कि इस घटना के बाद महिला की जान बचती है या नहीं। फिलहाल वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

वायरल वीडियो को नाम के एक्स अकाउंट से शेयर किया गया है। वीडियो को पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा गया है कि, “रील का ऐसा जूनून है कि अपनी जान की भी परवाह नहीं है।“ खबर लिखे जाने तक वीडियो को 5 हजार से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं। इतना ही नहीं, लोग वीडियो को देखने के बाद जमकर कमेंट्स भी कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “सोशल मीडिया के जुनून में लोग कभी-कभी अपनी सुरक्षा भूल जाते हैं।” दूसरे ने लिखा, “रील के चक्कर में युवा वर्ग पागल हो गए हैं।“ एक अन्य ने लिखा, “पता नहीं क्या मिलता है रील बनाने में लोगो को।” वहीं कई लोगों ने महिला की इस हरकत को पागलपन का नाम दिया।

सोर्स ऑफ़ सोशल मीडिया
पाकिस्तान वालों के लिए नायक नहीं खलनायक हूं मैं, सचिन का यह रूप देख हैरान हुई सीमा हैदर

डेस्क:–भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की गई एयरस्ट्राइक के बाद सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। इनमें अधिकतर वीडियो पाकिस्तान से हैं, जिनमें वहां के लोग अपनी सरकार की आलोचना कर रहे हैं और आतंकियों के जनाजे निकलते दिख रहे हैं। इसी बीच भारत से भी कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें सीमा हैदर और उनके पति सचिन मीणा का नाम सामने आ रहा है। सचिन और सीमा देश के हर बड़े मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते हैं। अब एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सचिन पाकिस्तान को चुनौती देता नजर आ रहा है। इस वीडियो में सचिन कहता है, "नायक नहीं, पाकिस्तान के लिए खलनायक हूं मैं... शेर, एक शेर का मुकाबला नहीं कर पा रहे हो?" यह वीडियो उन पाकिस्तानी लोगों को जवाब के रूप में देखा जा रहा है, जो सीमा हैदर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हैं। भले ही वीडियो पुराना हो, लेकिन मौजूदा भारत-पाक तनाव के चलते इसे दोबारा शेयर किया जा रहा है।

*सीमा हैदर ने भी किया वीडियो पोस्ट*

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सीमा हैदर ने भी एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने कहा, "हिंदुस्तान जिंदाबाद, जय हिंद, जय भारत!" इस वीडियो में सीमा भारत की सेना और सरकार की सराहना करती दिखती हैं। इससे पहले भी वे कई बार ऐसे वीडियो पोस्ट कर चुकी हैं। सीमा का कहना है कि अब वे पाकिस्तान लौटना नहीं चाहतीं, क्योंकि अब सचिन ही उनके पति हैं।

*सचिन ने पाकिस्तान को दी खुली चुनौती*

सचिन और सीमा देश के हर बड़े मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते हैं। अब एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सचिन पाकिस्तान को चुनौती देता नजर आ रहा है। इस वीडियो में सचिन कहता है, "नायक नहीं, पाकिस्तान के लिए खलनायक हूं मैं... शेर, एक शेर का मुकाबला नहीं कर पा रहे हो?" यह वीडियो उन पाकिस्तानी लोगों को जवाब के रूप में देखा जा रहा है, जो सीमा हैदर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हैं। भले ही वीडियो पुराना हो, लेकिन मौजूदा भारत-पाक तनाव के चलते इसे दोबारा शेयर किया जा रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद चर्चा में आया यह श्लोक, 'धर्मो रक्षति रक्षितः' इस श्लोक का अर्थ समझे

डेस्क:–मंगलवार देर रात भारत ने Operation Sindoor के तहत पाकिस्तान में 100 किलोमीटर अंदर घुसकर हवाई हमला किया। इस ऑपरेशन के जरिए पाक के सभी आतंकी कैंप को नष्ट कर दिया और पहलगाम हमले का बदला ले लिया है। आप सोच भी नहीं सकते है कि उस वक्त हमला होता है जब पुरी दुनिया सो रही थी, आधी रात करीब 2 बजे भारतीय सेनाओं ने पाक के कई आतंकी ठिकानों पर मिसाइलें बरसा दीं। इस बीच महाभारत का एक श्लोक सोशल मीडिया पर तेजी से ट्रेंड कर रहा है। हालांकि यह पूरा श्लोक नहीं है. धर्मो रक्षति रक्षितः एक लोकप्रिय संस्कृत वाक्यांश है, जिसका उल्लेख महाभारत और मनुस्मृति में देखने को मिलता है.

जानें श्लोक का अर्थ

तो चलिए जानते है इस श्लोक का अर्थ क्या है। श्लोक का अर्थ है, "धर्मो रक्षति रक्षितः एक लोकप्रिय संस्कृत वाक्यांश है, जिसका उल्लेख महाभारत और मनुस्मृति में देखने को मिलता है." पूरा श्लोक इस प्रकार है... धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्। अर्थात इस श्लोक का अर्थ है धर्म को नष्ट करने से वह नष्ट करने वालों का भी नाश कर देता है और रक्षित धर्म रक्षक की रक्षा करता है। इसलिए कभी भी धर्म का उल्लंघन नहीं करना चाहिए, ताकि नष्ट हुआ धर्म हमारा कभी नाश न कर सके।

पहलगाम आतंकी हमले पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे और ऑपरेशन सिंदूर आतंकियों की इस कायराना हरकत का कड़ा जवाब है। आतंकियों के इस हमले में माताओं-बहनों के सिंदूर को नष्ट किया गया था, इसलिए भारत की इस कार्रवाई को ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया। इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान में स्थित जैश, लश्कर, हिजबुल मुजाहिदीन के 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया और कम से कम 70 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया गया। इस ऑपरेशन के तहत माताओं-बहनों के सिंदूर का बदला लिया गया।
'आतंकवादी बहुत गंदे हैं मेरे पापा को मार दिया', ऑपरेशन सिंदूर के बाद मासूम बच्ची का  वीडियो वायरल

डेस्क:–जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने भारत के हर नागरिक का खून खौला दिया है। इस बीच भारत सरकार ने मंगलवार देर रात ऑपेरशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मुहतोड़ जबाव दिया है। भारतीय सेनाओं ने पाक के कई ठिकानों पर हमला किया है। इस हमले में 100 से अधिक आतंकी के मारे जाने की खबर है। इस बीच सोशल मीडिया पर एक छोटी बच्ची का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो उस बच्ची का है जिसके पिता की हत्या बैसरन घाटी में हुई थी।

वायरल वीडियो में बच्ची की आवाज सुनकर आपके रूह कांप जाएंगे। इस वीडियो ने हर भारतीय की आंखों में आंसू ला दिए। इस हमले में आतंकियों ने क्रूरता की सारी 544 हदें पार करते हुए बच्ची के पिता की बेरहमी से हत्या कर दी। कैमरे के सामने रोती मां और मासूम बच्ची का ये मंजर देख हर दिल दहल गया। ये मंजर सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे देश के सीने पर जख्म की तरह है।


सोर्स ऑफ़ सोशल मीडिया
सुहागरात पर दुल्हन लापता, दो दिन बाद मिली तो हालत देखर चौंक गए दूल्हा

डेस्क:–राजस्थान के पाली से हैरान कर देने वाली एक खबर सामने आई है। सुहागरात के दिन गायब हुई दुल्हन को पुलिस ने खोज निकाला है। लेकिन उसकी स्थिति देख दूल्हा चौंक गया। फिर जब मालुम हुआ कि उसके साथ क्या हुआ है, इसके बाद दूल्हा और पुलिस के ही होश उड़ गए। यह पूरी घटना रोहट थाना क्षेत्र की है।

बता दें कि यह पूरी घटना रोहट थाना क्षेत्र की है. जहां शादी के दूसरे दिन ही दुल्हन घर से अचानक गायब हो गई। इसके बाद से शादी वाले घर में हड़कंप मच गया। घर वाले दुल्हन की खोजबिन शुरू कर दी। हालांकि पुलिस ने 48 घंटे के अंदर ही नई दुल्हन को ढूंढ निकाला। पुलिस ने इस संबंध में बताया कि रोहट इलाके में रहने वाले एक युवक की शादी 19 अप्रैल को पास के ही क्षेत्र में रहने वाली युवती के साथ हुई थी। दुल्हन करीब 19 वर्ष की है। शादी के अगले दिन दुल्हन की विदाई के बाद घर में शादी के अन्य रीती रिवाज चल रहे थे। रात को दुल्हन-दूल्हे की सुहागरात थी, इससे पहले ही घर से दुल्हन गायब थी। पुलिस ने आगे बताया कि दुल्हन के माता-पिता के घर के पास रहने वाला एक युवक करीब दो साल से उसे परेशान कर रहा था और कई बार उसके साथ दुष्कर्म कर चुका था। वह लगातार उस पर दबाव बना रहा था। जैसे ही पुलिस को इसकी जानकारी मिली तो पुलिस ने आरोपी युवक के परिजनों से सख्ती से पूछताछ की। पूछताछ में पता चला कि लड़की को पाली के पास एक इलाके में बंधक बनाकर रखा गया है।

पुलिस वहां पहुंची और अगले दिन दुल्हन को वहां से बरामद कर लिया। इसके बाद आरोपी की तलाश शुरू की गई। पुलिस ने बताया कि आरोपी युवक लड़की से एकतरफा प्यार करता था। युवक ने लड़की से कहा था कि वह किसी और से शादी नहीं करेगी। हालांकि लड़की के घर वाले ने लड़की की शादी दूसरे जगह करा दी। इससे नाराज युवक ने दुल्हन के साथ ऐसा बर्ताव किया।
मगरमच्छ को बनाया अपना गुरू, मगरमच्छों से अनोखा ट्रेनिंग ले रहा है बिहार का ब्रूस ली


डेस्क:–सोशल मीडिया पर आज कल कई वीडियो ऐसे वायरल होते हैं जिनको देखकर कभी-कभी वाकई काफी हैरानी होती है। इन वीडियो में लोग कुछ न कुछ अजीबो-गरीब हरकत करते हुए अक्सर दिखाई देते हैं। इस तरह के कई वीडियो आए दिन सोशल मीडिया पर हर समय छाए रहते हैं। कुछ लोग सोशल मीडिया पर अपना अजीब टैलेंट दिखाते हुए नजर आते हैं तो कुछ लोग सोशल मीडिया कुछ वीडियो में एक दूसरे से लड़ते -झगड़ते हुए दिखाई देते हैं। तो वहीं कुछ लोग सोशल मीडिया पर हैरान कर देने वाले स्टंट करते हुए दिखाई देते हैं। लेकिन इस बार जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है उसमें कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला है। आपको अगर कुछ सीखना होता है तो आप अपने किसी बड़े को पास या किसी गुरू के पास जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी किसी जानवर को अपना गुरू बनाया है। दरअसल एक शख्स ने कुछ ऐसा ही किया है। शख्स मगरमच्छ को अपना गुरू बनाकर उससे अनोखी ट्रेनिंग ले रहा है। शख्स को मगरमच्छों से जरा भी डर या खौफ नहीं है और वह उनके बीच जाकर वहां जमकर फाइटिंग स्टाइल सीखने को कोशिश करता है।

*मगरमच्छ को बनाया अपना गुरू*

जानकारी के अनुसार शख्स का नाम 25 वर्षीय धर्मेंद्र कुमार है। धर्मेंद्र कुमार बिहार के बगहा के रहने वाले हैं। लेकिन अब बिहार के लाडले का नाम लोगों ने ब्रूस ली रख दिया है। इसके पीछे का कारण है कि धर्मेंद्र खूंखार जानवर से एक अनोखी ट्रेनिंग ले रहा है। दरअसल धर्मेंद्र मगरमच्छों के बीच में रहकर उनसे उनका हमला करने का स्टाइल सीख रहा है। एक तरफ जहां लोग जिम जाकर या कोच से फाइटिंग सीखने की कोशिश करते हैं। लेकिन धर्मेंद्र रोज सुबह बगहा-1 प्रखंड के छत्रौल गांव से 12 किलोमीटर दूर गोईती क्षेत्र में स्थित जंगल-नुमा इलाके पर जाकर वहां एक जलधारा के पास बैठकर कुल 100 से अधिक मगरमच्छों के बीच जाते हैं और उनसे अनोखी ट्रेनिंग लेते हैं। इस अनोखी ट्रेनिंग को लेकर धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि- मगरमच्छों की चाल कैसी होती है और वह हमला कैसे करते हैं वह इस चीज को ध्यान से देखते हैं और यह सब सीखने की कोशिश करते हैं। धर्मेंद्र उनके बगल में लेटते हैं और पुश-अप करते है, ध्यान लगाते है और फिर उनके मूवमेंट्स की नकल करने की कोशिश करते हैं।

*क्रोको स्टाइल सीख रहे धर्मेंद्र*

बता दें कि धर्मेंद्र स्टेट लेवल पर मार्शल आर्ट मुकाबला जीत चुकें हैं। अब धर्मेंद्र मगरमच्छ से कुछ अनोखा स्टाइल सीख रहे हैं। धर्मेंद्र एक नई फाइटिंग स्टाइल डेवलप कर रहे हैं जिसका नाम है- क्रोको स्टाइल। धर्मेंद्र का ऐसा मानना है कि- जिस तरह ब्रूसली ने सांप और बिल्ली की मूवमेंट सीखकर उनसे फाइटिंग स्टाइल सीखा था। ठीक उसी तरह वह भी मगरमच्छों से क्रोको स्टाइल सीखकर मगरमच्छों की ताकत, सटीकता और टैक्टिक्स को फाइटिंग में बदलना चाहते हैं। धर्मेंद्र पूरी तरह से नेचर और मगरमच्छों पर अपने आप को निर्भर कर चुके है। उनका कहना है कि-मगरमच्छ उनको देखकर उन पर हमला नहीं करते हैं वह उन्हें समझने लगें हैं, जब वह उनके पास जाते हैं तो वो आक्रामक नहीं होते है। धर्मेंद्र मगरमच्छों के बीच एक भरोसा कायम करने में कामयाब हो चुके हैं। धर्मेंद्र का मानना है कि-मगरमच्छ न शोर करते हैं, न डरते हैं. उनका हमला अचानक और सटीक होता है और मैं यही सीख रहा हूं।

*एक नई पहचान बनाने की कोशिश*

इस अनोखी तैयारी के पीछे धर्मेंद्र का मानना है कि वह सभी लोगों के सामने अपना एक अलग स्टाइल पेश करना चाहते हैं। धर्मेंद्र का इसको लेकर कहना है कि-वह चाहते हैं कि दुनिया उन्हें उस नजरिए से देखे जो लड़का अपना खुद का नया स्टाइल लेकर आया है। वह लड़का किताबों या किसी बड़े कोच से नहीं बल्कि मगरमच्छों को अपना गुरू बनाकर उनसे ट्रेनिंग लेकर आया है। धर्मेंद्र ने आगे कहा कि वह इंटरनेशनल लेवल पर फाइटिंग करना चाहते हैं, लेकिन इस फाइटिंग के लिए वह अपना अलग स्टाइल लोगों को दिखाना चाहते हैं। बता दें कि धर्मेंद्र का मगरमच्छों के साथ एक वीडियो भी इस समय सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। कई लोग धर्मेंद्र की इस वीडियो पर जमकर कमेंट कर रहे हैं। कुछ लोग इसे खतरनाक और अपनी जान को दांव पर लगाना मान रहे हैं तो वहीं कुछ लोग धर्मेंद्र की लगन और उनकी कोशिश की जमकर तारीफ कर रहे हैं।
पहलगाम अटैक से आहत मुस्लिम टीचर ने त्याग दिया इस्लाम, कह डाली ये बड़ी बात

डेस्क:–जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को जो कुछ भी हुआ, उससे शायद ही कोई कभी भुला पाएगा. 28 टूरिस्ट्स को आतंकियों ने निशाना बनाते हुए बेरहमी से मार डाला. कई अन्य टूरिस्ट इस हमले में घायल भी हुए. आए तो वो यहां अच्छी यादें संजोने के लिए थे, लेकिन न जाने कितने ही परिवारों ने यहां अपनों को हमेशा हमेशा के लिए खो दिया. पूरे देश में इस घटना को लेकर रोष व्याप्त है. वहीं, इस हमले से निराश होकर पश्चिम बंगाल के एक मुस्लिम टीचर साबिर हुसैन ने इस्लाम मजहब छोड़ने का फैसला लिया है.

जानकारी के मुताबिक, पहलगाम में आतंकियों ने लोगों को मारने से पहले यह भी सुनिश्चित किया कि वे किस धर्म के हैं. साबिर दक्षिण 24 परगना जिले के बादुरिया स्थित निर्माण आदर्श विद्यापीठ में विज्ञान के शिक्षक हैं. स्कूल टीचर साबिर हुसैन ने कहा है कि देश में आए दिन मजहब के नाम पर हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे वो बेहद दुखी हैं. पहलगाम आतंकी हमले से आहत बदुरिया के साबिर हुसैन ने इस्लाम छोड़ने के लिए कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है.

‘धर्म का गलत इस्तेमाल’

एक न्यूज चैनल से बात करते हुए साबिर हुसैन ने कहा- हिंसा फैलाने के लिए बार-बार धर्म का गलत इस्तेमाल किया जाता है, जो सही नहीं है. उन्होंने अपने फैसले के बारे में बताते हुए कहा- मैं किसी धर्म का अनादर नहीं कर रहा हूं. यह मेरा निजी फैसला है. मैंने देखा है कि किस तरह हिंसा फैलाने के लिए एक हथियार के रूप में धर्म का इस्तेमाल किया जाता है. कश्मीर में ऐसा कई बार हुआ है. मैं अब इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता.

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सिर्फ एक इंसान के रूप में जाना जाना चाहता हूं, किसी धार्मिक पहचान की वजह से नहीं. इसलिए मैं कोर्ट में आवेदन करने आया हूं.’ साबिर ने आगे कहा- पहलगाम जैसी हिंसक घटनाओं में महजब का गलत इस्तेमाल किया जाता है. किसी को उसके धर्म की वजह से मारना कैसे ठीक है? ये मुझे बहुत आहत करता है.’

साबिर बोले- मौजूदा माहौल पर टिप्पणी करते हुए हुसैन ने कहा कि वह ऐसी दुनिया में नहीं रहना चाहते हैं, जहां सब कुछ मजहब के इर्द-गिर्द घूमता रहता है. उन्होंने कहा- आजकल सब कुछ धर्म के इर्द-गिर्द घूमता हुआ लगता है. मैं ऐसी दुनिया में नहीं रहना चाहता. साबिर हुसैन के मुताबिक उन्होंने यह फैसला स्वतंत्र रूप से लिया है और कहा है कि उनकी पत्नी और उनके बच्चे जो भी रास्ता चुने वह उन्हें पूरी आजादी देंगे.
35 वर्षों में पहली बार कश्मीर में आतंक के खिलाफ  ऐतिहासिक बंद

डेस्क:–जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले के जवाब में बुधवार को पूरे कश्मीर में बंद और विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि देने और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश देने के लिए बंद बुलाया गया। यह पिछले 35 वर्षों में पहली बार हुआ, जब कश्मीर घाटी में आतंकवाद के खिलाफ इस प्रकार का एकजुट और शांतिपूर्ण बंद देखा गया। समाज के हर तबके, व्यापारी, छात्र, सामाजिक संगठन, आम नागरिक ने सड़कों पर उतरकर इस बर्बरता की निंदा की।

कश्मीर में पिछले कुछ वर्षों से जो पर्यटकीय रौनक लौटी थी, वह आज एकदम सन्नाटे में बदल गई। बंद दुकानों, खाली सड़कों और मातम में डूबी घाटी ने इस हमले की विभीषिका को बयां किया। यह हमला न केवल मानवीय त्रासदी है, बल्कि स्थानीय पर्यटन-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ा झटका है, जो हाल के वर्षों में धीरे-धीरे गति पकड़ रही थी। हमले के बाद बड़ी संख्या में पर्यटक वापसी की राह पकड़ रहे हैं। उधमपुर स्थित शहीद कैप्टन तुषार महाजन रेलवे स्टेशन पर भी बड़ी संख्या में पर्यटक अपने घर लौटने की तैयारी में हैं। पर्यटकों का कहना है कि कश्मीर में डर का माहौल बना हुआ है, जिससे वे खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

इस स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन और उधमपुर प्रशासन ने पर्यटकों के लिए भोजन, ठहरने और अन्य मूलभूत सुविधाओं का प्रबंध किया है। इसके अलावा, पर्यटकों की सुरक्षित वापसी के लिए विशेष ट्रेनों की व्यवस्था भी की गई है, जिनके माध्यम से उन्हें उनके गृह राज्यों की ओर रवाना किया जा रहा है। बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई है और कई घायल हैं। घायलों का इलाज चल रहा है। मृतकों में एक विदेशी नागरिक भी शामिल है।