पलामू पुलिस की पिटाई से जेल में महफूज अहमद की हुई मौत, रिम्स में पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ खुलासा,बढ़ सकती है पुलिस की मुश्किलें
पलामू के नावाबाजार निवासी 24 वर्षीय महफूज अहमद की मौत लाठी-डंडे से बेरहमी से पीटे जाने की वजह से हुई थी। पिटाई से उसके शरीर में हर जगह खून के थक्के जम गए, जिससे रक्त संचार रुक गया और यही मौत की वजह बनी। इसका खुलासा रिम्स में गठित मेडिकल बोर्ड की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ है, जिसकी कॉपी पलामू पुलिस को मिल गई है।
रिपोर्ट में बर्बरता से पिटाई का मामला उजागर हुआ है। महफूज अहमद की पिटाई किसने की, यह जांच का विषय है।
फिलहाल, मारपीट का आरोप पलामू पुलिस पर है। महफूज के स्वजनों ने पलामू पुलिस की हिरासत में महफूज को बेरहमी से पीटने का आरोप लगाते हुए इस पूरे मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग कर रखी है।
बर्बरता से पिटाई बनी मौत की वजह
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बर्बरता से पिटाई का मामला उजागर होने के बाद पलामू पुलिस के हाथ-पांव फूले हुए हैं। महकमे में भी इसकी चर्चा तेज है। यह मामला झारखंड विधानसभा में भी नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने उठाया था और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया था।
इसके बाद पलामू की एसपी रिष्मा रमेशन ने पूर्व में ही लापरवाही के आरोप में नावाबाजार थानेदार चिंटू कुमार को निलंबित कर दिया था। अब इस केस में कुछ और अधिकारियों की गर्दन फंसेगी। इस पूरे मामले की जांच अब सीआइडी करेगी।
क्या है पूरा मामला
पलामू पुलिस का दावा है कि महफूज को पांकी थाना क्षेत्र के कारीमाटी जंगल से लूट की योजना बनाते पांच मार्च को पकड़ा और तीन अन्य साथियों के साथ उसे छह मार्च को केंद्रीय कारा पलामू भेज दिया था। पुलिस ने उसके पास से हथियार व गोली बरामद होने का दावा किया था।
जेल पहुंचते ही महफूज की हालत बिगड़ी, उसे मेदिनीनगर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल भेजा गया, जहां से उसे बेहतर इलाज के लिए रिम्स रेफर कर दिया गया। सात मार्च को वह रिम्स के आइसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां वह बेहोश था।
रिम्स में 18 दिनों तक वह जिंदगी व मौत से जूझता रहा और अंतत: 23 मार्च को उसने दम तोड़ दिया था। इसके बाद रिम्स में दंडाधिकारी की उपस्थिति में 24 मार्च को उसके शव का पंचनामा हुआ।
डॉक्टरों के बोर्ड ने उसके शव का पोस्टमार्टम किया, पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई गई। बिसरा सुरक्षित रखा गया, जिसकी राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच होनी है।
स्वजन का दावा
महफूज के स्वजन का दावा है कि महफूज को पांच मार्च नहीं, बल्कि एक मार्च को पुलिस ने पकड़ा था और उसे अपने पास रखा था और परिवार को इसकी जानकारी भी नहीं दी।
महफूज झोला छाप डॉक्टर था और पुलिस ने उसे उसके क्लिनिक से पकड़ा था। कोर्ट में आवेदन देने के बाद अगले दिन महफूज को बीमार हालत में लेकर पुलिस कोर्ट गई थी।
पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों के बोर्ड में ये थे शामिल
पोस्टमार्टम करने वाले मेडिकल बोर्ड में रिम्स के मेडिसिन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. निलभ कुमार सिंह, सर्जरी विभाग के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर एन. माहेश्वरी।
पैथोलोजी विभाग के ट्यूटर डॉ. मोहम्मद अलीमुद्दीन अंसारी, एफएमटी विभाग के जूनियर रेजिडेंट डॉ. जेके चौधरी एफएमटी विभाग के सीनियर रेजिडेंट डॉ. आनंद कुमार, सीनियर रेजिडेंट डॉ. अंकुर चौधरी शामिल थे।
राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला को जो बिसरा भेजा गया है, उसमें पेट, छोटी आंत, लीवर, गॉल ब्लैडर, स्प्लिन व किडनी के पार्ट शामिल हैं।
May 02 2025, 12:35