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आप नेता दुर्गेश पाठक के आवास पर सीबीआई का छापा, विदेशी फंडिंग मामले में एक्शन

#cbiraidataapleaderdurgeshpathak_residence

आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता दुर्गेश पाठक के घर पर सीबीआई ने छापा मारा। यह कार्रवाई विदेशी फंडिंग से जुड़े मामले को लेकर हो रही है। सीबीआई ने दुर्गेश पाठक के खिलाफ विदेशी मुद्रा विनियमन (एफसीआरए) उल्लंघन का मामला दर्ज किया है और उसी के संबंध में आम आदमी पार्टी के नेता के आवास पर तलाशी ली। सीबीआई ने कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जब्त किए हैं और आगे की जांच जारी है। वहीं, छापेमारी के बाद आप ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार गुजरात में आप नेताओं को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।

दरअसल, आम आदमी पार्टी और उसके कुछ नेताओं के खिलाफ विदेशी फंडिंग को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। सीबीआई ने अब इस मामले में गृह मंत्रालय के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर की है। गृह मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी राजेश कुमार के द्वारा शिकायत के आधार पर सीबीआई ने दुर्गेश पाठक, कपिल भारद्वाज और अन्य अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इससे पहले ईडी ने इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की थी और अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी थी।

पिछले साल मई में जांच एजेंसी ईडी ने ग्रह मंत्रालय को जानकारी दी थी कि आप पार्टी के कुछ नेताओं के बैंक एकाउंट में विदेशी फंडिंग के सबूत मिले हैं जिसमे दुर्गेश पाठक शामिल हैं। आप नेताओं ने विदेशी फंडिंग के डोनर्स के नाम को अपने एकाउंट्स में छिपाया ताकि पॉलिटिकल पार्टी को विदेशी फंड कौन दे रहा है इसको छिपाया जा सके। जांच में सामने आया कि 2016 में कनाडा में एक फंड इवेंट में आप विधायक दुर्गेश पाठक ने पर्सनल बेनिफिट के लिए विदेशी फंड कलेक्ट किए थे।

विदेशी चंदे से जुड़ी कानून का उल्लंघन

आरोप है कि आप ने 'AAP Overseas India' नाम का एक नेटवर्क बनाया था, जिसमें अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के वॉलंटियर्स शामिल थे। इस नेटवर्क के जरिए विदेशी फंड जुटाया गया। ये पैसा आप नेताओं को सीधे भेजा गया, जोकि विदेशी चंदे से जुड़ी कानून का उल्लंघन है। इस केस में आप के नेता दुर्गेश पाठक और कपिल भारद्वाज का नाम सामने आया है।

क्या है पूरा मामला?

विदेश में रहने वाले 155 लोगो ने 1.02 करोड़ रुपए अलग-अलग 404 ओकेजन के जरिए डोनेट किए इसमे 55 पासपोर्ट का इस्तेमाल किया गया था। 22.11.2015 को आप ने कनाडा के टोरंटो में एक इवेंट ऑर्गेनाइज किया था जिसको आप विधायक दुर्गश पाठक ने अटेंड किया था।

इसमें 15000 कनेडियन डॉलर्स रेज किए गए थे। हाथ से लिखी रॉ डेटा शीट्स ( डोनर्स के नाम और डोनेट किए गए अमाउंट) को आप पार्टी के नेताओं द्वारा मेल पर भेजा गया था। जांच में सामने आया कि हैंड रिटन डेटा शीट्स में डोनर्स के जो नाम लिखे गए थे उनको आप नेताओं ने आधिकारिक रिकार्ड्स में मेंशन नही किया बल्कि उनको छिपाया था और विदेशी फंडिंग में डोनर के नाम छिपाकर गड़बड़ी की गई है।

वहीं, आप ने जवाब में कहा- 201 विदेशी नागरिकों ने पार्टी को डोनेशन दिया। 51 ईमेल आईडी के जरिए 639 बार में 2.65 करोड़ का दान किया। सभी डोनेशन पारदर्शी तरीके से हुए हैं और उनके पास पूरा रिकॉर्ड है।

सीबीआई रेड पर आप ने खोला मोर्चा

इस छापे के बाद आम आदमी पार्टी, बीजेपी पर हमलावर है। आप नेता मनीष सिसोदिया ने कहा, गुजरात चुनाव 2027 की जिम्मेदारी मिलते ही दुर्गेश पाठक के घर सीबीआई रेड हुई है। ये कोई इत्तफाक नहीं, बल्कि भाजपा की साजिश है। बीजेपी जानती है कि गुजरात में अब सिर्फ आप ही उन्हें चुनौती दे सकती है।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने गुरुवार को दावा किया कि पिछले गुजरात चुनाव के दौरान भी यही हुआ था, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आप के नेताओं को गिरफ्तार किया था। पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एक्स पर पोस्ट किया, 'पिछले गुजरात चुनावों के कारण, भाजपा की केंद्र सरकार ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया था और अब जब दुर्गेश पाठक को गुजरात की जिम्मेदारी मिली है तो आज सीबीआई ने उनके घर पर छापा मारा है।

हम हिंदुओं से अलग, बच्चों को पाकिस्तान की कहानी सुनाएं', पाक सेना प्रमुख ने उगला भारत के खिलाफ जहर

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पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने भारत के खिलाफ जहर उगला है। बुधवार को इस्लामाबाद में प्रवासी पाकिस्तानी सम्मेलन में पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर ने एक बार फिर भारत और हिंदू धर्म को लेकर जहरीला बयान दिया।असीम मुनीर ने एक बार फिर ‘टू नेशन थ्योरी’ को दोहराते हुए कहा कि पाकिस्तान की नींव इस्लाम के कलमे पर रखी गई है और हम हर मामले में हिंदुओं से अलग हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक धार्मिक सोच की बुनियाद पर बना है।

जनरल मुनीर ने विदेशी पाकिस्तानियों से कहा कि वे देश के राजदूत हैं और उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि वे उच्च विचारधारा और संस्कृति" से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने कहा कि आपको अपने बच्चों को पाकिस्तान की कहानी जरूर बतानी चाहिए। हमारे पूर्वजों ने सोचा था कि हम जीवन के हर पहलू में हिंदुओं से अलग हैं। हमारे धर्म, हमारे रीति-रिवाज, परंपराएं, विचार और महत्वाकांक्षाएं अलग हैं। यही द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की नींव थी जो रखी गई थी।

पाकिस्तान की कहानी याद रखने की अपील की

इसके साथ ही उन्होंने भारत से अपने देश की तुलना करते हुए कहा, हम दो देश हैं, हम एक देश नहीं हैं। इस देश के लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया है। उन्होंने इस देश को बनाने के लिए बहुत ज्यादा त्याग किया है। हम जानते हैं कि इसकी कैसे रक्षा करना है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने कहा, मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, बेटों और बेटियों, पाकिस्तान की कहानी को मत भूलिए और इस पाकिस्तान की कहानी को अपनी अगली पीढ़ियों को जरूर सुनाइए, ताकि उनका पाकिस्तान से जुड़ाव कभी कमजोर न हो- चाहे वह तीसरी पीढ़ी हो, चौथी या फिर पांचवीं- उन्हें यह पता होना चाहिए कि पाकिस्तान उनके लिए क्या है।

13 लाख की मजबूत भारतीय सेना हमे डरा नहीं सकी-मुनीर

आसिम मुनीर यहीं नहीं रुके और विदेशों में रह रहे पाकिस्तानियों से कहा कि वे इस बात को न भूलें कि वे बेहतर विचारधारा और बेहतर संस्कृति से ताल्लुक रखते हैं। पाकिस्तान में बढ़ रहे आतंकी हमलों पर मुनीर ने कहा कि क्या आतंकी हमारे देश से हमारी किस्मत छीन सकते हैं? जब 13 लाख की मजबूत भारतीय सेना, हमारे नहीं डरा सकती तो कुछ आतंकी क्या हमें हरा सकते हैं?

बलूचिस्तान को बताया पाकिस्तान का गर्व

पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने बलूचिस्तान में बढ़ रहे विद्रोह पर कहा कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का गर्व है और आपको लगता है कि आप इसे आसानी से ले सकते हैं? आपकी दस पीढ़ियां भी इसे नहीं ले पाएंगी। हम जल्द ही आतंकियों को हरा देंगे।

करीब आ रहे भारत के दो ‘दुश्मन’, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच 15 साल बाद फिर वार्ता शुरू

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बांग्लादेश से शेख हसीना शासन के पतन के बाद पाकिस्तान से इसकी नजदीकी तेजी से बढ़ रही है। अब करीब 15 साल बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के टॉप डिप्लोमैट्स एक ही टेबल पर आमने-सामने बैठने वाले है। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच गुरुवार 17 अप्रैल को ढाका में विदेश सचिव स्तर की विदेश कार्यालय परामर्श आयोजित होने जा रही है। इसके लिए पाकिस्तान की विदेश सचिव आमना बलूच इस्लामाबाद के प्रतिनिधिमंडल के साथ बुधवार को ढाका पहुंच चुकीं हैं।

दोनों देशों के बीच आखिरी फॉरेन ऑफिस कंसल्टेशन की बैठक 2010 में हुई थी। बांग्लादेश की तरफ से विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन राज्य अतिथि गृह पद्मा में होने वाली इस बैठक का नेतृत्व करेंगे। विदेश मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि बैठक के लिए कोई खास एजेंडा तय नहीं किया है, लेकिन चर्चा के दौरान आपसी हितों के सभी क्षेत्रों को शामिल किए जाने की संभावना है। अधिकारी ने बताया कि इतने लंबे समय के बाद हो रही वार्ता में पहले से विषयों को प्राथमिकता देना मुश्किल है, लेकिन वार्ता व्यापक होगी।

ये मीटिंग ऐसे वक्त में होने जा रही है जब भारत बांग्लादेश के रिश्ते पहले जैसे मजबूत नहीं रहे हैं। अब डेढ़ दशक बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान ऐसा कुछ करने जा रहे हैं, जो भारत की टेंशन बढ़ाएगा। पाकिस्तान और बांग्लादेश अपने रिश्तों को नई दिशा देने की तैयारी में हैं। चर्चा है कि इस दौरे के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार भी ढाका आ सकते हैं जो कि 2012 के बाद किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री का पहला बांग्लादेश दौरा होगा।

विदेश सचिव स्तर की बैठक के अलावा पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार इस महीने के अंत में ढाका का दौरा करने वाले हैं। 2012 के बाद यह किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पहली बांग्लादेश यात्रा होगी। विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, हम अभी तारीख तय कर रहे हैं, लेकिन यात्रा अप्रैल के अंतिम सप्ताह में होने की संभावना है।

टाइम मैगजीन की टॉप 100 प्रभावशाली हस्तियों की लिस्ट में यूनुस को जगह, एक भी भारतीय नहीं

#muhammadyunusintime100listofthemostinfluentialpeople

हाल के सालों में वैश्विक स्तर पर भारत ने अलग पहचान बनाई है। देश का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दुनियाभर के कई देशों ने अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया है। हालांकि, हैरानी की बात है कि इस साल टाइम की टॉप 100 वाली लिस्ट में एक भी भारतीय को जगह नहीं दी गई है। जी हां, टाइम मैगजीन की 2025 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में टैरिफ से टेंशन देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले बांग्लादेश के मुखिया मोहम्मद यूनुस का नाम है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का नाम भी

17 अप्रैल को जारी की गई टाइम मैगजीन की 2025 की वार्षिक सूची में राजनीति, विज्ञान, कला और सक्रियता के क्षेत्र से जुड़े लोगों को शामिल किया गया है। मैगजीन की इस एनुअल लिस्ट को 'लीडर्स', 'आइकॉन्स' और 'टाइटन्स' जैसी कई कैटेगरी में बांटा गया है। 'लीडर्स' की लिस्ट में अन्य प्रमुख हस्तियों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का नाम भी शामिल है।

मोहम्मद यूनुस प्रभावशाली लोगों की सूची में

मोहम्मद यूनुस को टाइम मैगजीन की 100 प्रभावशाली हस्तियों की सूची में जगह पिछले साल छात्रों के विद्रोह के चलते शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश का मुख्य सलाहकार बनने के बाद दी गई है। वहीं, इस साल किसी भारतीय को दुनिया के सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में जगह नहीं मिली है।

भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी शामिल

हालांकि इस साल भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी को इस सूची में जगह दी गई है। टाइम मैग्जीन ने अपने लीडर्स खंड में रेशमा को शामिल किया है। रेशमा केवलरमानी फार्मास्यूटिकल कंपनी वर्टेक्स की सीईओ हैं। वह जब 11 साल की थी, तभी उनका परिवार अमेरिका में बस गया था। रेशमा अमेरिका की सबसे बड़ी दवा कंपनियों में से एक वर्टेक्स की पहली महिला सीईओ भी हैं।

2024 में इन भारतीयों को मिली थी जगह

बता दें कि 2024 में बॉलीवुड एक्टर आलिया भट्ट और ओलंपियन पहलवान साक्षी मलिक इस लिस्ट में शामिल होने वाले कुछ भारतीय चेहरों में से थे। इस साल किसी भी भारतीय के इस लिस्ट में न होने पर सबको हैरानी हो रही है। सोशल मीडिया पर बहस हो रही है। यह तब है जब टेक, कूटनीति और कला के क्षेत्र में भारत हर दिन नए आयाम गढ़ रहा है।

कौन होगा भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष? 20 अप्रैल के बाद हो सकता है ऐलान

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बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 20 अप्रैल के बाद हो सकता है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के पार्टी अध्यक्षों के नाम भी कुछ दिनों में घोषित किए जा सकते हैं। बीजेपी संगठन चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री आवास पर बुधवार को बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष मौजूद रहे। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में हुई इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई।

20 अप्रैल के बाद शुरू होगी चुनावी प्रक्रिया

सूत्रों के मुताबिक एक हफ्ते के भीतर पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा हो सकती है। बैठक में कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के अध्यक्षों के नामों पर चर्चा हुई है। अगले दो-तीन दिनों में करीब आधा दर्जन राज्यों के अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया 20 अप्रैल के बाद कभी भी शुरू हो सकती है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में क्यों देरी?

जेपी नड्डा जनवरी, 2020 से राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं। पार्टी संविधान के मुताबिक उनका कार्यकाल जनवरी, 2023 में खत्म हो गया, लेकिन लोकसभा चुनाव समेत कई बड़े चुनावों के मद्देनजर उनका कार्यकाल आगे बढ़ा दिया गया। उनका कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ाया गया था, ताकि वे लोकसभा चुनाव तक काम कर सकें। अध्यक्ष पद का चुनाव फरवरी 2025 तक पूरा होना था, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली के राज्य चुनावों के कारण इसमें देरी हो गई।

आधा दर्जन प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा

सूत्रों का कहना है कि बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के बीजेपी प्रदेश अध्यक्षों के नामों पर भी चर्चा की गई। अगले 2 से 3 दिन में आधा दर्जन प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा की जा सकती है। पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए बीजेपी एक नए राज्य अध्यक्ष और नई टीम की तलाश में है, जो चुनाव से पहले जिम्मेदारी संभाल सके।

युवा चेहरों को मिल सकता है मौका

पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी एक युवा टीम बनाना चाहती है। इसलिए कुछ महासचिवों को बदला जा सकता है और उनकी जगह युवा चेहरों को मौका मिल सकता है। पार्टी भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव कर रही है। इसका मतलब है कि बीजेपी में युवाओं को आगे लाने की तैयारी है। पार्टी चाहती है कि युवा नेता आगे आएं और पार्टी को नई दिशा दें। यह बदलाव बीजेपी को भविष्य के लिए तैयार करने में मदद करेगा

वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, आज दे सकती है अंतरिम आदेश

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने बुधवार को साफ संकेत दिए कि कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई जा सकती है। खासकर ‘वक्फ बाय यूजर’, गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों की वक्फ बोर्ड में नियुक्ति और जिलाधिकारियों को वक्फ जमीन की स्थिति तय करने का अधिकार। इन पर कोर्ट गंभीरता से विचार कर रहा है। ऐसे में आज सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई काफी अहम है।

“नए कानून के तीन प्रावधान चिंताजनक”

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने बुधवार को तीन मुख्य चिंताएं बताईं। पहली, वक्फ की संपत्तियां जो पहले अदालती आदेशों से वैध घोषित की गई थीं, अब शायद अवैध हो जाएंगी। दूसरी, वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों को बहुमत मिल सकता है। तीसरी, विवादित वक्फ संपत्ति पर कलेक्टर की जांच लंबित रहने तक, यह घोषणा कि इसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा, चिंताजनक है।

“अंतरिम आदेश हिस्सेदारी को संतुलित करेगा”

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, हमारा अंतरिम आदेश हिस्सेदारी को संतुलित करेगा। पहला, हम आदेश में कहेंगे कि न्यायालय की ओर से वक्फ घोषित की गई किसी भी संपत्ति को गैर अधिसूचित नहीं किया जाएगा, यानी उसे गैर वक्फ नहीं माना जाएगा, फिर चाहे वह संपत्ति उपयोगकर्ता की ओर से वक्फ की गई हो या विलेख के जरिए। दूसरा, कलेक्टर किसी संपत्ति से संबंधित अपनी जांच की कार्यवाही जारी रख सकता है, पर कानून का यह प्रावधान प्रभावी नहीं होगा कि कार्यवाही के दौरान संपत्ति गैर वक्फ मानी जाए। तीसरा, बोर्ड व परिषद में पदेन सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं, लेकिन अन्य सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए।

“कुछ प्रावधानों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं”

सीजेआई खन्ना ने कहा कि वक्फ बाय यूजर को गैर-अधिसूचित करने के बहुत गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अधिनियम के कुछ प्रावधानों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसलिए, उन्होंने कहा कि बेंच एक अंतरिम आदेश पर विचार करेगी। सीजेआई ने कहा, एकतरफा रोक के संबंध में, हमारे (अदालत) पास कुछ अधिकार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आम तौर पर अदालतें विधायिका द्वारा पारित कानून पर प्रवेश स्तर पर रोक लगाने से बचती हैं, लेकिन 'इस मामले में कुछ अपवाद हैं।'

सुनवाई के आखिर में पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर बृहस्पतिवार को भी विचार करने का फैसला किया। जिसमें वह तय करेगा कि सुनवाई खुद करेगा या किसी हाईकोर्ट को सौंपेगा। सुप्रीम कोर्ट में ये सिर्फ कानून की बहस नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ की भी परीक्षा है जिसमें वक्फ की परंपरा सदियों से मौजूद रही है।

क्‍या है 'वक्फ बाय यूजर', जिसपर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, जानें क्या कहा

#waqf_by_user_meaning

नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं। इसे लेकर पहले दिन बुधवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से 'वक्फ बाय यूजर' संपत्तियों के प्रावधानों पर सवाल उठाए। सीजेआई संजीव खन्‍ना से लेकर कप‍िल स‍िब्‍बल, अभ‍िषेक मनु सिंघवी और तमाम वकीलों ने इस पर सवाल उठाए। सरकार से पूछा क‍ि आख‍िर इस क्‍लॉज में छेड़छाड़ क्‍यों की गई?

सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर ये 'वक्फ बाई यूजर' का मतलब क्या है? 'वक्फ बाय यूजर' का मतलब है, ऐसी संपत्ति जो लंबे समय से धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए इस्तेमाल हो रही है। लंबे समय तक इस्लामिक धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने के कारण वक्फ मानी जाती है, भले ही उसके पास लिखित दस्तावेज या रजिस्ट्री न हो।

सुप्रीम कोर्ट में आज बहस की शुरुआत करते हुए कप‍िल सिब्‍बल ने कहा, ‘वक्फ बाय यूजर’ वक्‍फ की एक शर्त है। मान लीजिए मेरे पास एक प्रॉपर्टी है और मैं चाहता हूं क‍ि वहां एक अनाथालय बनवाया जाए, तो इसमें समस्‍या क्‍या है? मेरी जमीन है, मैं उस पर बनवाना चाहता हूं, ऐसे में सरकार मुझे रज‍िस्‍टर्ड कराने के ल‍िए क्‍यों कहेगी? इस पर सीजेआई ने कहा, अगर आप वक्‍फ का रज‍िस्‍ट्रेशन कराएंगे तो रिकार्ड रखना आसान होगा। लेकिन सरकार ने ‘वक्फ बाय यूजर’ ही खत्‍म कर द‍िया है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने 'वक्फ बाय यूजर' प्रावधान को हटाने पर केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र से वक्फ कानून पर तीखे सवाल भी पूछे। सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, वक्‍फ बाई यूजर क्‍यों हटाया गया?

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बनी ज्यादातर मस्जिदों के पास सेल डीड नहीं होंगे। ऐसे में, उन्हें कैसे रजिस्टर किया जाएगा? कोर्ट ने यह भी कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि 'वक्फ बाय यूजर' में कोई असली संपत्ति नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी मस्जिदों से रजिस्टर्ड डीड मांगना नामुमकिन होगा, क्योंकि ये सभी वक्फ-बाय-यूजर प्रॉपर्टीज हैं।

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इसे रजिस्टर करवाने से किसने रोका? सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर सरकार कहने लगी कि ये जमीनें सरकारी हैं तो क्या होगा? यही समस्‍या है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह बड़ा मुद्दा है और इस पर और सुनवाई क‍िए जाने की जरूरत है। सरकार ने गुरुवार का द‍िन इसी पर सुनवाई के ल‍िए रखा है।

ट्रंप ने चीन पर 100% टैरिफ और बढ़ाया, 245% टैक्स का क्या जवाब देगा ड्रैगन?

#usimposednewtariffsupto245percenton_chinese

अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ की लड़ाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। 2 अप्रैल को जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन के ऊपर 34 प्रतिशत का टैरिफ लगाया था तो इसके विरोध में चीन ने भी अमेरिका के ऊपर उतना ही टैरिफ लगा दिया। जिसे बढ़ाकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले 84 प्रतिशत और फिर 125 प्रतिशत किया। अमेरिका के 125 फीसदी टैरिफ का जवाब जब चीन ने दिया तो, राष्ट्रपति ट्रंप ने एक बार फिर चीन के ऊपर टैरिफ को बढ़ाकर 245 प्रतिशत कर दिया।

व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा है कि लिबरेशन डे पर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन सभी देशों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया जो अमेरिका पर हाई टैरिफ लगाते हैं। टैरिफ को फिर रोक दिया गया क्योंकि 75 से अधिक देश नए व्यापार डील पर बातचीत करने के लिए अमेरिका के पास पहुंचे। इन चर्चाओं के बीच इंडिविजुअल टैरिफ को फिलहाल रोक दिया गया है, चीन को छोड़कर, जिसने जवाबी कार्रवाई की। चीन को अब अपनी जवाबी कार्रवाई के कारण अमेरिका में आयात पर 245% तक के टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है।

रणनीतिक सामग्रियों के निर्यात पर रोक से भड़का यूएस

चीन ने कुछ जरूरी हाई-टेक सामान जैसे कि भारी दुर्लभ धातुएं और चुंबक का निर्यात रोक दिया है। ये चीजें ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर और डिफेंस जैसी इंडस्ट्री के लिए बहुत जरूरी हैं। इसलिए अमेरिका ने ये कदम उठाया है। बयान में चीन की ओर उठाए गए कदमों का जिक्र किया गया है। चीन ने गैलियम, जर्मेनियम, एंटीमनी और अन्य रणनीतिक सामग्रियों के निर्यात पर रोक लगा दी है। इनका इस्तेमाल सेना में भी हो सकता है।

245% टैरिफ पर चीन का जवाब

अमेरिका ने जैसे ही चीन के ऊपर 245% टैरिफ लगाने की घोषणा की, ठीक वैसे ही चीन की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया आ गई है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन व्यापार युद्ध लड़ने से डरता नहीं है।

चीन को व्यापार युद्ध में झुकाना चाहते हैं ट्रंप

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि बातचीत की मेज पर आना बीजिंग पर निर्भर करता है। प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट द्वारा एक ब्रीफिंग में पढ़े गए एक बयान के अनुसार, मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, गेंद चीन के पाले में है। चीन को हमारे साथ एक समझौता करने की जरूरत है। यह कदम ट्रंप की उस कोशिश का हिस्सा है, जिसके जरिए वे चीन को व्यापार युद्ध में झुकाना चाहते हैं। लेकिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग न तो पीछे हट रहे हैं और न ही खुद को कमजोर दिखा रहे हैं।

वक्‍फ बोर्ड में गैर मुस्‍ल‍िम सदस्‍य, क्या हिंदू ट्रस्ट में मुस्लिम को लेंगे? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा सवाल

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वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है। आज तीन सदस्यीय पीठ ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों के मामले को लेकर सरकार से बड़ा सवाल किया। कोर्ट ने पूछा, क्या वो मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है?

दरअसल, सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा, केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। आर्टिकल 26 कहता है कि सभी मेंबर्स मुस्लिम होंगे। यहां 22 में से 10 मुस्लिम हैं। अब कानून लागू होने के बाद से बिना वक्फ डीड के कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है।

बोर्ड में गैर मुसलमानों की सदस्यता पर सवाल

सिब्बल की इस टिप्पणी पर सीजेआई जस्टिस खन्ना ने कहा, कानून में आप कहते हैं क‍ि वक्‍फ बोर्ड गैर मुस्‍ल‍िम सदस्‍य होंगे। क्‍या आप बता सकते हैं क‍ि कितने सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे? क्‍या आप अदालत को भरोसा देंगे क‍ि 2 पदेन सदस्‍यों के अलावा बाकी सब मुसलमान होंगे। कोर्ट ने यह भी पूछा क‍ि जब आप वक्‍फ बोर्ड में गैर मुस्‍ल‍िम सदस्‍य बना रहे हैं तो क्‍या हिन्‍दुओं के ट्रस्‍ट में भी ऐसा होता है? और ह‍िन्‍दू कैसे अन्‍य धर्म के बारे में फैसला कर सकता है?

अन्य मुस्लिम संप्रदायों के फायदे का तर्क

इस पर केद्र सरकार के वकील ने जवाब द‍िया। एसजी ने अपने जवाब में कहा, अगर आपका तर्क मान ल‍िया जाए तो फ‍िर सुप्रीम कोर्ट के जज भी इस मामले में सुनवाई नहीं कर सकते। इस पर सीजेआई ने कहा, जब हम यहां निर्णय लेने के लिए बैठते हैं, तो हम अपना धर्म खो देते हैं। हम धर्मनिरपेक्ष हैं। हम एक ऐसे बोर्ड की बात कर रहे हैं जो धार्मिक मामलों का मैनेजमेंट कर रहा है। इस पर एसजी ने कहा, यह एक ऐसा बोर्ड होगा जो सलाहकार की तरह काम करेगा। एसजी ने यह भी दलील दी क‍ि अब तक वक्‍फ कानून से सिर्फ शिया और सुन्‍नी को फायदा मिलता था। अब मुस्लिमों के अन्य संप्रदायों, बोहरा और अन्य को बोर्ड में प्रतिनिधित्व मिलेगा।

वक्फ बाय यूजर के प्रावधान पर भी सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बाय यूजर के प्रावधान पर भी सवाल उठाए। सीजेआई खन्ना ने कहा कि 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें हैं। उनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। ऐसी संपत्तियों को कैसे पंजीकृत करेंगे। उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा। हम यह जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ वक्फ ऐसे भी हैं, जिनकी वक्फ संपत्ति के तौर पर पहचान हुई। वक्फ बाय यूजर मान्य किया गया। अगर आप इसे रद्द कर देंगे तो समस्या होगी।

अमेरिका-ईरान के बीच परमाणु समझौते पर क्यों भारत की नजर, जानें क्या होगा फायदा?

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अमेरिका और ईरान के बीच न्यूक्लियर डील को लेकर बातचीत जारी है। अमेरिका और ईरान के बीच हाल ही में पहले दौर की बातचीत ओमान में हुई है। अब अगले दौर की बातचीत 19 अप्रैल को होगी। समाचार एजेंसी मेहर ने ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एस्माईल बाघेई के हवाले से कहा कि शनिवार को होने वाली दूसरे दौर की वार्ता की मेजबानी मस्कट करेगा।

न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्रोग्राम रोकने के बदले मिलेगी राहत

अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने साफ-साफ कहा है कि अगर तेहरान को वाशिंगटन के साथ कोई डील करनी है तो अपने परमाणु संवर्धन कार्यक्रम यानी न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्रोग्राम को रोकना और समाप्त करना होगा। ईरान को अपनी यूरेनियम को एनरिच करने से जुड़ीं गतिविधियों पर रोक लगानी होगी और बदले में उसे अमेरिकी प्रतिबंधों से राहत मिलेगी। इस तरह ईरान के अधिकारियों के साथ वार्ता के एक और दौर से पहले अमेरिका ने अपने मांगों का स्तर बढ़ा दिया है।

अपनी मर्जी का डील चाहते हैं ट्रंप

वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी अपने अगले कदम को फूंक-फूंककर रख रहे हैं। ट्रंप अपनी मर्जी का डील करना चाहते हैं, चाहे उसके लिए कोई भी रणनीति अपनानी पड़े।वार्ता विफल होने की स्थिति में, ईरान पर दबाव बनाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने सैन्य योजनाओं को बैकअप के रूप में रखा है। अमेरिका-ईरान वार्ता के अगले दौर से पहले ही वाशिंगटन ने इस क्षेत्र में दूसरा विमानवाहक पोत भेज दिया है। यूएसएस कार्ल विंसन और उसका स्ट्राइक ग्रुप अरब सागर से फारस की खाड़ी की ओर बढ़ गया है। एक दूसरा अमेरिकी विमानवाहक पोत - यूएसएस हैरी एस. ट्रूमैन ने भी इसी तरह की कार्रवाई जारी रखी है। एक दूसरे स्ट्राइक ग्रुप को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली होसैनी खामेनेई के सामने अपने इरादे स्पष्ट करने के लिए ट्रंप द्वारा हमलों को तेज करने के एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

अमेरिका ने 2018 में न्यूक्लियर डील से खुद को बाहर किया था

अमेरिका ने बराक ओबामा के कार्यकाल में ईरान ने साथ न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर एक डील पर साइन किया था, जिसे ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव एक्शन प्लान के रूप में जाना जाता है। ईरान ने जुलाई 2015 में छह प्रमुख देशों - ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत ईरान प्रतिबंधों में छूट के बदले अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित करने पर सहमत हुआ था। हालांकि, मई 2018 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने एकतरफा तरीके से अपने देश को इस समझौते से बाहर निकाल लिया और ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगा दिए थे, जिससे तेहरान को समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को कम करना पड़ा।

इस डील से भारत को क्या होगा फायदा?

इधर, भारत ने अमेरिका और ईरान के बीच होने वाली डील पर नजर बनाए रखी है। दोनों देशों के बीच हो रही इस वार्ता का असर भारत पर भी पड़ सकता है। भारत के लिए ये वार्ता इसलिए अहम है क्योंकि अमेरिका और ईरान दोनों के साथ भारत के कूटनीतिक संबंध हैं। अमेरिका और ईरान के बीच बात बन जाए, ये भारत के लिए अच्छा होगा क्योंकि भारत कभी ईरान के तेल का बड़ा खरीदार था। कच्चे तेल के लिए भारत ईरान पर काफ़ी निर्भर था। 2019 से पहले ईरान से भारत का तेल आयात 11 फ़ीसदी था। लेकिन ट्रंप के पहले प्रशासन के दौरान जब ईरान पर प्रतिबंध वापस लगा दिया गया, तो भारत को ईरान से अपना तेल आयात रोकना पड़ा ताकि उस पर किसी तरह का सेकेंड्री प्रतिबंध न लगे।

अब भारत जो तेल सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और इराक से खरीद रहा है, वो ज़्यादा महंगा पड़ रहा है। ऐसे में ईरान पर प्रतिबंध जारी रहने से यही स्थिति बरकरार रहेगी। अगर भारत ईरान से तेल खरीदता है, तो वो सस्ता होगा। इससे भारत का जो व्यापार घाटा है, उसमें थोड़ी राहत मिल सकती है। घरेलू ईंधन के मूल्य भी स्थिर हो सकते हैं।