क्या है 'वक्फ बाय यूजर', जिसपर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, जानें क्या कहा
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नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं। इसे लेकर पहले दिन बुधवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से 'वक्फ बाय यूजर' संपत्तियों के प्रावधानों पर सवाल उठाए। सीजेआई संजीव खन्ना से लेकर कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और तमाम वकीलों ने इस पर सवाल उठाए। सरकार से पूछा कि आखिर इस क्लॉज में छेड़छाड़ क्यों की गई?
सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर ये 'वक्फ बाई यूजर' का मतलब क्या है? 'वक्फ बाय यूजर' का मतलब है, ऐसी संपत्ति जो लंबे समय से धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए इस्तेमाल हो रही है। लंबे समय तक इस्लामिक धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने के कारण वक्फ मानी जाती है, भले ही उसके पास लिखित दस्तावेज या रजिस्ट्री न हो।
सुप्रीम कोर्ट में आज बहस की शुरुआत करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा, ‘वक्फ बाय यूजर’ वक्फ की एक शर्त है। मान लीजिए मेरे पास एक प्रॉपर्टी है और मैं चाहता हूं कि वहां एक अनाथालय बनवाया जाए, तो इसमें समस्या क्या है? मेरी जमीन है, मैं उस पर बनवाना चाहता हूं, ऐसे में सरकार मुझे रजिस्टर्ड कराने के लिए क्यों कहेगी? इस पर सीजेआई ने कहा, अगर आप वक्फ का रजिस्ट्रेशन कराएंगे तो रिकार्ड रखना आसान होगा। लेकिन सरकार ने ‘वक्फ बाय यूजर’ ही खत्म कर दिया है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने 'वक्फ बाय यूजर' प्रावधान को हटाने पर केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र से वक्फ कानून पर तीखे सवाल भी पूछे। सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, वक्फ बाई यूजर क्यों हटाया गया?
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बनी ज्यादातर मस्जिदों के पास सेल डीड नहीं होंगे। ऐसे में, उन्हें कैसे रजिस्टर किया जाएगा? कोर्ट ने यह भी कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि 'वक्फ बाय यूजर' में कोई असली संपत्ति नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी मस्जिदों से रजिस्टर्ड डीड मांगना नामुमकिन होगा, क्योंकि ये सभी वक्फ-बाय-यूजर प्रॉपर्टीज हैं।
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इसे रजिस्टर करवाने से किसने रोका? सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर सरकार कहने लगी कि ये जमीनें सरकारी हैं तो क्या होगा? यही समस्या है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह बड़ा मुद्दा है और इस पर और सुनवाई किए जाने की जरूरत है। सरकार ने गुरुवार का दिन इसी पर सुनवाई के लिए रखा है।
Apr 17 2025, 10:17