दिशा छात्र संगठन द्वारा इलाहाबाद में शहीद भगतसिंह पुस्तकालय की शुरुआत
विश्वनाथ प्रताप सिंह
प्रयागराज। शहीद-ए-आज़म भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के 94वें शहादत दिवस की पूर्वसन्ध्या पर दिशा छात्र संगठन की ओर से हाशिमपुर चौराहे पर शहीद भगतसिंह पुस्तकालय का उद्घाटन किया गया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर सुनील विक्रम, मध्यकालीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर विक्रम हरिजन और जाने-माने पत्रकार एवं कवि हिमांशु रंजन ने फीता काटकर उद्घाटन की औपचारिकताएं पूरी की। इसके बाद क्रान्तिकारियों की याद में दिशा छात्र संगठन की सांस्कृतिक टीम ने 'कारवां चलता रहेगा' गीत प्रस्तुत किया।
मुख्य वक्ता के तौर पर बात रखते हुए प्रोफेसर सुनील विक्रम ने कहा कि पुस्तकालय जैसी संस्थाएं आने वाली पीढ़ियों के निर्माण का काम करती हैं। सांस्कृतिक-वैचारिक तौर पर युवाओं को तैयार करती हैं। आज के दौर में जब चारों तरफ़ घटिया गानों-फिल्मों का बाज़ार बच्चों तक के मन में ज़हर घोलने का काम कर रहा है, सही विचार पहुँचने के माध्यम कम होते जा रहे हैं, ऐसे दौर में पुस्तकालय इस अतार्किकता-अवैज्ञानिकता के घटाटोप के बरक्स सही विचारों को लोगों तक पहुंचाने का माध्यम है। राष्ट्रीय आन्दोलन के दौर में भी भगतसिंह जैसे क्रान्तिकारियों के व्यक्तित्व को गढ़ने में पुस्तकालयों की बहुत बड़ी भूमिका रही है।
प्रोफेसर विक्रम हरिजन ने कहा कि दुनिया भर के इतिहास में हुए बड़े बदलावों में पुस्तकालयों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। फ़्रांस की क्रान्ति से लेकर रुसी क्रान्ति, चीनी क्रान्ति और भारतीय राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलनों तक में पुस्तकालयों ने एक विचार केन्द्र का काम किया है। आज की समस्या यह है कि एक तरफ सरकारों द्वारा पुस्तकालयों की उपेक्षा की जा रही है और दूसरी ओर बड़ी आबादी इसकी ज़रूरत को नहीं समझ पा रही। ऐसे ठण्डे दौर में दिशा छात्र संगठन का यह प्रयास सराहनीय है।
दिशा छात्र संगठन के अविनाश दिशा छात्र संगठन के इतिहास पर एक संक्षिप्त बातचीत रखी। अविनाश ने बताया 80 के दशक में बीएचयू में गतिविधि विचार मंच और गोरखपुर विश्वविद्यालय में अग्रगामी छात्र समुदाय 'दिशा' से शुरू हुआ यह सिलसिला आज देश के 11 राज्यों तक पहुँच चुका है। अविनाश ने आज के दौर में स्वतंत्र क्रान्तिकारी छात्र संगठन की ज़रूरत पर विस्तार से बात रखी।
अंजलि ने भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु की विरासत पर बात रखते हुए कहा कि इन क्रान्तिकारियों के शहादत के 94 साल बाद भी इन क्रान्तिकारियों के सपनों का समाज नहीं बन सका है। मौजूदा समय में फ़ासीवादी ताकतें देखते-देखते समाज के विभिन्न हिस्सों को अपनी गिरफ्त में ले चुकी है। तर्क, न्याय, जनवाद, समानता आदि की जगह आज हमारे समाज में अवैज्ञानिकता, अन्धविश्वास, अतार्किकता, भयंकर आर्थिक असमानता, महँगाई, बेरोज़गारी, जातिवाद, साम्प्रदायिकता, लैंगिक उत्पीड़न आदि ने ले ली है जो कि चारों ओर व्याप्त है।
आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहाँ मुठ्ठीभर लोगों के हाथों में सारे संसाधन संकेन्द्रित होते जा रहे हैं। इन्हीं मुठ्ठीभर लोगों के हितों में देश की बहुसंख्य मेहनतकश आबादी के हितों की बलि दे दी जाती है। ये वो लोग हैं जिनके लिए माल और पूँजी ही सबसे बड़ा भगवान है। इसी पूँजी की रक्षा और इसके लगातार बढ़ने के लिए छात्रों-नौजवानों को बेरोज़गारी में धक्के खाने के लिए सड़कों पर छोड़ दिया जाता है, स्त्रियों तक को वस्तुकृत कर बाज़ार में खड़ा कर दिया जाता है। इस पूरी लूट, धांधली और भ्रष्टाचार पर लोगों का ध्यान न जाय इसके लिए लोगों को जातिवाद और साम्प्रदायिकता में उलझा दिया जाता है। ज़ुल्मो-सितम के ऐसे दौर में शहीद-ए-आज़म भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहादत दिवस पर उनको याद करना ज़ुल्मो-सितम के ख़िलाफ़ कभी न हार मानने वाली ज़िद को याद करना है।
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ पत्रकार और कवि हिमांशु रंजन, संयुक्त कर्मचारी परिषद मण्डल के अध्यक्ष श्याम सूरत पाण्डेय, उच्च न्यायलय के अधिवक्ता मनोज कुमार मौर्या और प्रियांशु ने बात रखी। दिशा छात्र संगठन के सदस्य इशान्त ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन चंचल ने किया।
कार्यक्रम में अधिवक्ता महाप्रसाद,अधिवक्ता राजीव, अधिवक्ता नौशाद,अधिवक्ता आबिदा, बबिता, सुरेश, प्रशान्त, अपूर्व, हर्ष, प्रेमचंद, हरिओम, नाज़नीन, रवित, शम्स, अमन, अनुज आदि मौजूद रहे।



Mar 25 2025, 19:08