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Oppo F29 Pro 5G ने भारत में अपना नया स्मार्टफोन किया लॉन्च,जानिए इसके डिजाइन, बैटरी और प्रोसेसर की पूरी डिटेल्स

डेस्क:–Oppo F29 Pro 5G ने भारत में अपना नया स्मार्टफोन लॉन्च कर दिया है। आज हम आपको इस फोन के डिजाइन, डिस्प्ले, कैमरा, प्रोसेसर, और कीमत के बारे में सारी जानकारी देंगे। अगर आप भी इस फोन को खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो यह जानकारी आपके लिए काफी मददगार साबित होगी।

*Oppo F29 Pro 5G के अलग-अलग वेरिएंट्स की कीमत*

8GB RAM + 128GB स्टोरेज – ₹27,999
8GB RAM + 256GB स्टोरेज – ₹29,999
12GB RAM + 256GB स्टोरेज – ₹31,999

*Oppo F29 के वेरिएंट्स की कीमत:*

8GB RAM + 128GB स्टोरेज – ₹23,999
8GB RAM + 256GB स्टोरेज – ₹25,999

*बैटरी और चार्जिंग*

Oppo F29 Pro 5G में 6000 mAh की बड़ी बैटरी दी गई है, जो पूरे दिन बिना किसी परेशानी के बैकअप दे सकती है। इसके साथ ही, 80W फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट भी है, जिससे फोन जल्दी चार्ज होता है।

*स्टोरेज और रैम*

Oppo F29 Pro 5G में आपको 12GB RAM और 256GB स्टोरेज मिलेगा। इसका मतलब है कि फोन की स्पीड काफी बेहतरीन होगी और आप एक साथ कई ऐप्स को बिना किसी परेशानी के चला पाएंगे।

*प्रोसेसर*

इसमें MediaTek Dimensity 7300 SoC प्रोसेसर दिया गया है, जो फोन को बेहतरीन परफॉर्मेंस देता है। शुरुआती अनुभव के अनुसार, फोन में कोई लैगिंग नहीं होती और इसकी स्पीड काफी तेज है।

*IP रेटिंग और अंडरवॉटर फोटोग्राफी*

Oppo F29 Pro 5G IP66, IP68 और IP69 रेटिंग के साथ आता है, जिससे यह पानी, धूल और झटकों से सुरक्षित रहेगा। इसके अलावा, इसमें अंडरवॉटर फोटोग्राफी का भी सपोर्ट मिलेगा, जिससे आप पानी के अंदर भी शानदार तस्वीरें ले सकेंगे।

*सेल और उपलब्धता*

Oppo F29 Pro 5G Flipkart, Amazon और OPPO India e-store पर उपलब्ध होगा। आप इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके आसानी से घर बैठे ले सकते हैं।

*Oppo F29*

Oppo F29 Pro के साथ ही Oppo F29 भी लॉन्च किया गया है, जिसमें 6500 mAh की बैटरी दी गई है। इस फोन में 45W SuperVOOC चार्जिंग का भी सपोर्ट है, जो फास्ट चार्जिंग में मदद करता है।

*सिग्नल बूस्ट*

Oppo ने फोन में एक विशेष सिग्नल बूस्ट एंटीना दिया है, जिससे आपको बेहतर नेटवर्क सिग्नल मिलेंगे। यह फीचर खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या से जूझते हैं।

*बॉडी और डिजाइन*

Oppo F29 Pro 5G में 360 डिग्री आर्मर बॉडी दी गई है, जो डैमेज प्रूफ है और फोन को झटकों से बचाती है। इसके अलावा, इस फोन में 300% नेटवर्क बूस्ट की सुविधा भी है। मार्बल व्हाइट कलर में यह फोन देखने में बेहद स्टाइलिश लगता है।

*शुरुआती अनुभव*

हमारा शुरुआती अनुभव Oppo F29 Pro 5G के साथ काफी अच्छा रहा है। फोन को इस्तेमाल करते वक्त हमें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आई। फोन का डिजाइन सबसे आकर्षक और पॉजिटिव पहलू है। बता दें कि इस प्रकार, Oppo F29 Pro 5G एक बेहतरीन स्मार्टफोन है, जो अच्छी बैटरी, तेज प्रोसेसर, और शानदार डिजाइन के साथ आता है। अगर आप एक नया स्मार्टफोन खरीदने की सोच रहे हैं तो यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
फिल्म ‘छावा'' पर प्रतिबंध लगाने की मांग, मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने शाह को लिखा पत्र

डेस्क:–ऑल इंडिया मुस्लिम जमात, दरगाह आला हजरत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर फिल्म ‘‘छावा'' पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। |

उनका आरोप है कि ‘‘यह फिल्म सांप्रदायिक तनाव भड़का रही है और नागपुर में हाल ही में हुए दंगों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है।'' शाह को लिखे पत्र में मौलाना रजवी ने फिल्म के निर्देशक, निर्माता और लेखक के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया। मौलाना का दावा है कि फिल्म में बादशाह औरंगजेब को इस तरह से दिखाया गया है, जिससे हिंदू युवा भड़क गए हैं। रजवी ने अपने पत्र में कहा, ‘‘फिल्म ‘छावा' की रिलीज के बाद से देश का माहौल खराब हो रहा है। फिल्म में बादशाह औरंगजेब की छवि हिंदू विरोधी के रूप में दिखाकर हिंदू युवाओं को भड़काया गया है। यही कारण है कि हिंदू संगठनों के नेता जगह-जगह औरंगजेब के बारे में नफरत भरे भाषण दे रहे हैं।''

उन्होंने कहा, ‘‘इसी कारण 17 मार्च को नागपुर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जो बेहद खेदजनक है।'' मौलाना रजवी ने कहा, ‘‘मैंने तुरंत मीडिया के माध्यम से शांति की अपील की और माहौल को शांत करने के लिए नागपुर की मस्जिद के उलेमा और इमामों से रात भर संपर्क बनाए रखा।'' उन्होंने औरंगजेब के बारे में मुस्लिम समुदाय के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘भारत के मुसलमान बादशाह औरंगजेब को अपना आदर्श और नेता नहीं मानते। हम उन्हें केवल एक शासक मानते हैं, इससे अधिक कुछ नहीं।''
50 साल पुरानी परंपरा को आगे बढ़ा रहे गुलाब यादव

डेस्क:–रमजान माह पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए बेहद मुकद्दस होता है लेकिन अन्य धर्मों को मानने वाले कुछ लोगों की भी इससे गहरी वाबस्तगी (जुड़ाव) है। आजमगढ़ के कौड़िया गांव के गुलाब यादव भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं। जिनकी पुकार रोज भोर में रोजेदारों को सहरी (रमजान के दिनों में भोरकालीन भोजन) के लिए जगाती हैं। बनारसी साड़ियों के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर कस्बे के निकट के गांव कौड़िया में भोर में जब सभी लोग सो रहे होते हैं तब गुलाब यादव और उनके 12 वर्षीय बेटे रात एक बजे से अगले दो से तीन घंटों तक गांव के मुस्लिम परिवारों को रमजान में सहरी के लिए जगाने निकल पड़ते हैं।

किसी ने खूब कहा है कि ‘‘दोस्ताना इतना बरकरार रखो कि मजहब बीच में न आये कभी। तुम उसे मंदिर तक छोड़ दो, वो तुम्हें मस्जिद छोड़ आये कभी।'' यादव के यह जज्बात इसी का अक्स हैं। वैसे तो रमजान के दिनों में मस्जिदों से ऐलान करके लोगों को सहरी के लिए उठाया जाता रहा है लेकिन उच्चतम न्यायालय के लाउडस्पीकर को लेकर जारी किए गए निर्देशों का सरकार द्वारा कड़ाई से पालन कराये जाने के बाद अब गुलाब यादव की इस जिम्मेदारी भरी कवायद का महत्व और बढ़ गया है।

गुलाब यादव ने बुधवार को मीडियो को बताया कि वह अपने परिवार की 50 साल पुरानी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। जिसकी शुरुआत 1975 में उनके पिता चिरकिट यादव ने की थी। यादव कहते हैं, ‘‘उस वक्त मैं काफी छोटा था और तब मुझे पिताजी की इस कवायद की वजह भी समझ नहीं आती थी। मगर वक्त के साथ मैंने इसके पीछे की भावना को समझा।'' अब यादव कहते हैं कि उन्हें इस काम से बहुत सुकून मिलता है। पेशे से दिहाड़ी मजदूर गुलाब यादव (45) ज्यादातर वक्त दिल्ली में रहते हैं, लेकिन रमजान आने पर वह अपने परिवार की पांच दशक पुरानी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए अपने गांव लौट आते हैं।

*50 साल पुरानी परंपरा को आगे बढ़ा रहे गुलाब यादव*

गुलाब यादव अपने पिता द्वारा शुरू की गई इस परंपरा को लेकर अपनी अगली पीढ़ी में भी जिम्मेदारी का भाव पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए मैं रोज अपने 12 साल के बेटे अभिषेक को भी साथ लेकर जाता हूं।'' एक हाथ में टॉर्च और दूसरे हाथ में आवारा कुत्तों से बचने के लिए डंडा लिये यादव और उनका बेटा अभिषेक गांव के सभी मुस्लिम लोगों के घरों पर दस्तक देते हैं और उन लोगों के जागने तक वहां से नहीं हटते हैं। यादव ने बताया, "मेरे पिता की मृत्यु के बाद मेरे बड़े भाई ने कुछ वर्षों तक यह काम किया लेकिन उनकी आंखों की रोशनी कम होने के बाद उन्हें मजबूरन यह काम छोड़ना पड़ा। उनके बाद मैंने यह जिम्मा उठाया है और अब मैं हर रमजान में इसी काम के लिए यहां लौट आता हूं।''

गुलाब यादव के इस नेक काम की पूरे इलाके में सराहना होती है। यादव के पड़ोसी शफीक ने कहा, ‘‘रोजेदारों को सहरी के लिए जगाना बेहद सवाब (पुण्य) का काम है।'' उन्होंने कहा, ‘‘गुलाब भाई लोगों को जगाने के लिए पूरे गांव का चक्कर लगाते हैं। इसमें दो घंटे का वक्त लगता है। इसके बाद वह यह पक्का करने के लिए एक बार फिर पूरे गांव में घूमते हैं कि कोई भी रोजेदार सहरी करने से बाकी न रहे। इससे ज्यादा मुकद्दस जज्बा और क्या हो सकता है।'' ‘‘जब मोहब्बत लिखी हुई है गीता और कुरान में, फिर ये कैसा झगड़ा हिन्दू और मुसलमान में'' दोहे का जिक्र करते हुए शफीक कहते हैं, ‘‘रमजान इस्लाम के प्रमुख कर्तव्यों में से एक है। उस फर्ज को निभाने में इतनी शिद्दत से मदद करके गुलाब यादव हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं।''
''मैं 7 दारोगा का हाथ-पैर तुड़वाकर यहां तक पहुंचा हूं'', संजय निषाद का विवादित बयान वायरल

डेस्क::–उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह मंच से एक विवादित बयान देते हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने पुलिसवालों की ओर इशारा करते हुए कहा कि मैं यहां ऐसे नहीं पहुंचा हूं, 7 दारोगा का हाथ-पैर तुड़वाकर और उन्हें गड्ढे में फेंकवाकर यहां तक पहुंचा हूं।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यह बयान उस समय सामने आया जब मंत्री संजय निषाद सुल्तानपुर जिले में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके समुदाय के कई लोगों को झूठे मामलों में फंसाया गया है। उन्होंने पुलिस से कहा कि हमारे लड़कों के ऊपर से सभी फर्जी केस हटा दो, नहीं तो हम आंदोलन करेंगे। दारोगा सस्पेंड हो जाएगा और मैं मुख्यमंत्री से भी शिकायत करूंगा। मैं ऐसे ही यहां तक नहीं पहुंचा हूं, मैंने कई दारोगाओं का हाथ-पैर तुड़वाकर यहां तक पहुंचा हूं।

बताया जा रहा है कि संजय निषाद ने आगे कहा कि अगर किसी निषाद को झूठे मामले में फंसाया गया तो हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। दारोगा अगर ज्यादा ड्रामा करेगा तो उसे जेल में डाल देंगे, और उसे बेल भी नहीं मिलेगी। जरूरत पड़ी तो दारोगा के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी करेंगे। यह विवादित बयान तब आया जब संजय निषाद अपनी निषाद पार्टी की जनाधिकार यात्रा के दौरान सुल्तानपुर जिले में पहुंचे थे। उन्होंने चांदा इलाके के मदारडीह गांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए यह बयान दिया।

दरअसल, 14 मार्च को होली के दिन जिले के दोस्तपुर थाना क्षेत्र के शाहपुर गांव में रंग खेलने को लेकर एक विवाद हुआ था। इस विवाद में एक दलित और निषाद परिवार के बीच मारपीट हो गई थी, जिससे 65 वर्षीय दलित महिला सुनरा देवी की मौत हो गई थी। पुलिस ने मृतक महिला के परिजनों की शिकायत के आधार पर शाहपुर गांव के ग्राम प्रधान कृष्णा कुमार निषाद समेत 5 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इनमें से 4 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

बताया जा रहा है कि जब यह जानकारी मंत्री संजय निषाद को मिली, तो उन्होंने मंच से पुलिस के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि निषाद समाज के लोग निर्दोष हैं और उन्हें फर्जी मामलों में फंसाया गया है। उन्होंने पुलिस से मांग की कि इन लोगों को छोड़ा जाए, वरना वे कड़ी कार्रवाई करेंगे। अब संजय निषाद के इस बयान के बाद यह मामला और भी विवादों में घिर गया है, और यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है।

कानपुर जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई जहां एक पालतू जर्मन शेफर्ड ने अपनी मालकिन को उतारा मौत के घाट

डेस्क:–उत्तर प्रदेश में कानपुर जिले के विकास नगर इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जहां एक पालतू जर्मन शेफर्ड ने अपनी 80 वर्षीय मालकिन पर हमला कर उनकी जान ले ली। घटना के बाद से एक बार फिर पालतू कुत्तों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं।

*जानिए, क्या हुआ था घटना वाले दिन?*

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बीते रविवार को मोहनी देवी अपने घर के आंगन में थीं, तभी उनके पालतू कुत्ते ने उन पर अचानक जानलेवा हमला कर दिया। पहले परिजनों को लगा कि कुत्ता किसी बाहरी व्यक्ति पर भौंक रहा है, लेकिन जब उन्होंने मोहनी देवी की चीखें सुनीं, तो तुरंत बाहर भागे। लेकिन जब तक वे बाहर पहुंचे तब तक कुत्ते ने मोहनी देवी के चेहरे, पेट और कमर पर गंभीर घाव कर दिए थे जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

बताया जा रहा है कि मोहनी देवी अपने कुत्ते को बहुत प्यार करती थीं और उसे बच्चे की तरह पालती थीं, लेकिन वही कुत्ता अब उनकी मौत का कारण बन गया। परिवार वाले इस हमले से हैरान थे और समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। वहीं सूचना मिलते ही स्थानीय पार्षद ने पुलिस और नगर निगम की टीम को बुलाया। काफी प्रयासों के बाद, नगर निगम की टीम ने कुत्ते को काबू कर लिया और उसे अपने कब्जे में ले लिया।

वहीं इस घटना के बाद पालतू कुत्तों की सुरक्षा को लेकर नई बहस छिड़ गई है। स्थानीय पार्षद ने कहा कि पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाना चाहिए और कुत्तों के मालिकों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।पुलिस अब यह जांच रही है कि आखिर कुत्ते ने अचानक हमला क्यों किया। इस घटना ने पालतू कुत्तों के खतरों के प्रति लोगों को जागरूक किया है और इस पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता को उजागर किया है।
1 अप्रैल से Google Pay, PhonePe और Paytm इन मोबाइल नंबरों पर नहीं करेगा काम, जानिए क्या है वजह?

डेस्क:–यदि आप अपने स्मार्टफोन या मोबाइल फोन के जरिए बैंकिंग करते हैं या यूपीआई से लेनदेन करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। 1 अप्रैल 2024 से उन मोबाइल नंबरों को बैंक अकाउंट और यूपीआई ऐप्स से हटा दिया जाएगा, जो लंबे समय से सक्रिय नहीं हैं। मतलब, अगर आपने किसी नंबर को अपने बैंक खाते या यूपीआई ऐप (जैसे Google Pay, PhonePe, Paytm) से जोड़ा है और वह नंबर काफी समय से रिचार्ज नहीं हुआ या काम नहीं कर रहा है, तो वह नंबर आपके बैंक अकाउंट से हटा दिया जाएगा।


इस फैसले के पीछे मुख्य कारण यह है कि जिन मोबाइल नंबरों का अब कोई उपयोग नहीं हो रहा, वे बैंकिंग और यूपीआई सिस्टम में तकनीकी समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। यदि ये नंबर किसी और के नाम पर जारी हो जाते हैं, तो इससे धोखाधड़ी का खतरा भी बढ़ सकता है। सरकार का उद्देश्य लोगों को सुरक्षित रखना और फर्जीवाड़े से बचाना है।

यूपीआई पेमेंट्स में मोबाइल नंबर एक पहचान का साधन होता है। जब आप पेमेंट करते हैं, तो यही नंबर सुनिश्चित करता है कि पेमेंट सही व्यक्ति को जा रही है या नहीं। यदि कोई नंबर निष्क्रिय है और उसे किसी अन्य व्यक्ति को आवंटित कर दिया गया है, तो इससे पेमेंट फेल होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए ऐसे नंबरों को सिस्टम से हटाने का निर्णय लिया गया है।

यदि आपका मोबाइल नंबर आपके बैंक अकाउंट या यूपीआई ऐप से जुड़ा है और आपने उसे लंबे समय से रिचार्ज नहीं कराया है, तो आपको तुरंत अपने मोबाइल ऑपरेटर (जैसे जियो, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया) से यह पुष्टि करनी चाहिए कि वह नंबर अब भी आपके नाम पर सक्रिय है या नहीं।

- अगर नंबर डिएक्टिवेट हो चुका है, तो उसे तुरंत एक्टिवेट करा लें।
- अगर नंबर एक्टिव है, तो उसे रिचार्ज करा लें ताकि वह आपके बैंक अकाउंट और यूपीआई ऐप से जुड़ा रहे।

जानकारी के अनुसार, यदि किसी मोबाइल नंबर को 90 दिनों तक रिचार्ज नहीं किया जाता, तो वह डिएक्टिवेट हो सकता है। हालांकि, उपयोगकर्ताओं को 15 दिन का ग्रेस पीरियड दिया जाता है, जिसमें वे अपना नंबर फिर से एक्टिवेट करा सकते हैं। यदि यह अवधि पूरी हो जाती है और नंबर को फिर से एक्टिव नहीं कराया जाता, तो वह सिम निष्क्रिय हो जाएगा और किसी अन्य व्यक्ति को आवंटित किया जा सकता है।

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने बैंकों और यूपीआई ऐप्स को निर्देश दिए हैं कि वे हर हफ्ते डिलीट किए गए मोबाइल नंबरों की लिस्ट को अपडेट करें। इससे सुनिश्चित होगा कि 1 अप्रैल के बाद, बेकार नंबर सिस्टम से हटा दिए जाएं। यदि आपका नंबर भी उन मोबाइल नंबरों में है जो लंबे समय से रिचार्ज नहीं हुए हैं, तो इसे जल्द से जल्द चेक करें और एक्टिवेट करा लें। ऐसा करने से आप किसी भी परेशानी से बच सकेंगे।
गंगा बैराज में नहाने गए एक युवक की दर्दनाक मौत

डेस्क:–उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में गंगा बैराज में नहाने गए एक युवक की दर्दनाक मौत हो गई। मृतक की पहचान कल्याणपुर निवासी कारोबारी हरिनाम सिंह यादव के बेटे 22 वर्षीय प्रांजुल यादव के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार, प्रांजुल अपने दोस्त नवीन कुमार मिश्रा और एक युवती के साथ गंगा बैराज पहुंचा था।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, नवीन कुमार मिश्रा ने बताया कि गांगा बैराज पर पहले तीनों ने शराब पी और फिर प्रांजुल ने कहा कि गंगा में नहाने से सारे पाप धुल जाएंगे। यह कहकर वह पानी में उतर गया। नशे की हालत में प्रांजुल गहरे पानी में चला गया और डूबने लगा। नवीन ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन पानी के तेज बहाव की वजह से वह उसे बचा नहीं सका।

बताया जा रहा है कि बाद में गोताखोरों की मदद से प्रांजुल के शव को पानी से बाहर निकाला गया और अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और परिजनों को सूचना दी।

प्रांजुल के परिजनों ने उसकी मौत पर संदेह जताया है, जिसके कारण पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब होली के दिन भी गंगा घाट पर नहाने गए 5 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग अभी भी लापता हैं। वहीं पुलिस अब यह जानने की कोशिश कर रही है कि आखिर प्रांजुल ने गंगा में नहाने का इतना जोखिम क्यों उठाया और क्या इसका कोई अन्य कारण था।
शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में तेलंगाना के ओबीसी समुदाय को मिलेगा  42% आरक्षण :मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी

डेस्क:–तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सोमवार को ओबीसी समुदाय के लोगों के लिए एक बड़ा ऐलान किया। सीएम रेड्डी ने शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में ओबीसी आबादी के लिए 42 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने की घोषणा की। सीएम रेड्डी ने इस ऐतिहासिक कदम को लेकर अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट भी किया, जिसमें उन्होंने इसे भारतीय स्वतंत्रता के बाद से पिछड़े वर्गों की सबसे लंबी बहुप्रतीक्षित मांग बताया।

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने अपनी पोस्ट में लिखा, "तेलंगाना को गर्व है कि वह भारत में सामाजिक क्रांति का नेतृत्व कर रहा है। यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि हम भारतीय स्वतंत्रता के बाद से पिछड़े वर्गों की सबसे लंबी मांग को पूरा कर रहे हैं। हमारे भाई-बहन जो पिछड़े वर्गों से आते हैं, उनकी यह मांग थी कि उन्हें आधिकारिक जनगणना में गिना और पहचाना जाए और आज इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर हम सफलता प्राप्त कर रहे हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "आज तेलंगाना विधानसभा के नेता के रूप में और मुख्यमंत्री के रूप में, मैं यह संजीदगी से घोषणा करता हूं कि हमारे लोगों की कड़ी मेहनत और वैज्ञानिक तरीके से की गई सर्वेक्षणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि तेलंगाना में ओबीसी आबादी 56.36 प्रतिशत है। हम अब यह सुनिश्चित करने का संकल्प लेते हैं कि इस समूह को शिक्षा, रोजगार, और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के सभी क्षेत्रों में 42 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।"

रेवंत रेड्डी ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह एक बड़ा कदम है, जो राज्य के सामाजिक और आर्थिक ढांचे में बदलाव लाएगा। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे इस ऐतिहासिक कदम का समर्थन करें और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। सरकार के इस फैसले के बाद तेलंगाना के ओबीसी समुदाय को विभिन्न सरकारी सेवाओं और अवसरों में समान भागीदारी मिलेगी। इस आरक्षण की घोषणा से राज्य में सामाजिक समानता और समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा, और पिछड़े वर्गों के विकास में मदद मिलेगी।

महाराष्ट्र में किसी की भी कब्र को क्षति पहुंचाना गलत : मायावती

डेस्क:– महाराष्ट्र में मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेज हो रही है। इस बीच उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का कहना है कि किसी की भी कब्र व मजार आदि को क्षति पहुंचाना व तोड़ना ठीक नहीं है। वहीं, महाराष्ट्र के मंत्री और भाजपा नेता नितेश राणे ने औरंगजेब की कब्र को लेकर विवादित बयान दिया है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "महाराष्ट्र में किसी की भी कब्र व मजार आदि को क्षति पहुंचाना व तोड़ना ठीक नहीं है, क्योंकि इससे वहां आपसी भाईचारा, शांति व सौहार्द आदि बिगड़ रहा है। सरकार ऐसे मामलों में खासकर नागपुर के अराजक तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करे, वरना हालात काफी बिगड़ सकते हैं, जो ठीक नहीं।

वहीं, भाजपा नेता नितेश राणे ने कहा कि औरंगजेब का मकबरा है, जो गंदगी है वो यहां रखने लायक नहीं है। उसे शौचालय भी घोषित करेंगे तो गलत नहीं है। हमारे छत्रपति शिवाजी और संभाजी महाराज के साथ जो कुछ भी किया था, उसकी कोई भी गंदगी हमारे राज्य में रखने लायक नहीं है। यही भूमिका हमारे मुख्यमंत्री ने ली है और ये गंदगी अब ज्यादा दिनों की मेहमान नहीं है। सही समय पर आपको ब्रेकिंग न्यूज मिल जाएगी।

बता दें कि संभाजीनगर में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को गिराए जाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच नागपुर में दो समूहों के बीच हिंसक झड़प हो गई, जिसमें पथराव और आगजनी हुई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद पूरी घटना पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने पुलिस कमिश्नर को तनाव की स्थिति पैदा करने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटने का निर्देश दिया है।

गुजरात में सुनीता विलियम्स की वापसी पर जश्न का माहौल
डेस्क:–नौ महीने से अंतरिक्ष में फंसी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स मंगलवार को धरती पर वापस आएंगी। इस खबर के बाद सुनीता के परिवार और उनके गांव वालों में खुशी का माहौल है। सभी उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के वापसी की खबर पर उनके र‍िश्‍ते में बड़े भाई दीपक रावल ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए खुशी जाहिर की। उन्होंने बताया, "सुनीता विलियम्स के वापसी की खबर सुनकर परिवार में सभी खुश हैं। हमें लगता था कि पिछले नौ महीने से वह लड़की परेशान थी, लेकिन वो बहुत हिम्मत वाली है। पूरे परिवार के लोग उसके लिए बहुत चिंतित थे।

बचपन की बातों को याद करते हुए उन्होंने बताया, "सारी जिंदगी हम और उनके पिताजी साथ में रहे हैं। अमेरिका जाने के बाद वे लोग जब-जब भारत आए, हमारे घर पर रुके। बचपन से ही सुनिता निडर थी। हमें एक बात याद है कि जब बचपन में उसे ऊंट पर बिठाया गया, तो वह ऊंट के ऊपर से उतर ही नहीं रही थी, किसी तरह उसे उतारा गया।

एक अन्य किस्से को याद करते हुए उन्होंने बताया, "सुनीता जब लश्कर के अंदर सर्विस कर रही थी, तो उस समय कुछ दिन के लिए भारत आई थी। वो हमारे साथ घूमने उदयपुर गई और रात में वो होटल से बाहर निकल गई। मैं बहुत परेशान हुआ। जब वो बाद में घूमते हुए आई, तो मैंने उससे नए शहर में बाहर जाने को लेकर सवाल किया। तो उसने बताया, मैं लश्कर में काम करती हूं और किसी चीज से घबराती नहीं हूं। आप पुरुष लोग बाहर जा सकते हैं, लेकिन कोई महिला नहीं जा सकती? उसने उस समय मैसेज दिया था कि हम लेडिज आगे जाएंगे और दुनिया को बताएंगे।

उन्होंने बताया, "सुनिता पर आज हमें बहुत गर्व महसूस होता है। हमें लगता है कि ऐसी बहन हमें मिली है, उस पर हमें और पूरे गांव को गौरव है। उन्हें भारत और अपने गांव से बहुत लगाव है।"