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बलिया:नरही की मासिक शिक्षक संकुल बैठक प्रा०वि०-नरही नम्बर-2 पर आयोजित संपन्न
संजीव सिंह बलिया!शिक्षक संकुल बैठक कार्यवृत्त आज दिनांक 18-03-2025 कों न्याय पंचायत नरही की मासिक शिक्षक संकुल बैठक  प्रा०वि०-नरही नम्बर-2 पर आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ आज की बैठक में उपस्थित प्रा०वि०-जुडनपुर के प्रधानाध्यापक  विजय शंकर यादव द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात सभी ने मिलकर प्रार्थना "दयाकर दान विद्या का हमें परमात्मा देना गायन किया । उस के बाद मीटिंग की कार्यवाही शुरू हुई। निपुण भारत मिशन की अकादमिक बेस्ट प्रैक्टिस शेयरिंग के अंतर्गत छात्रों के शैक्षिक स्तर के आधार पर वर्गीकृत छात्रों पर कार्य करने के लिए बेस्ट प्रैक्टिस शेयरिंग, पीयर लर्निंग, संदर्शिका, कार्यपुस्तिका निर्देशिका का कक्षा- कक्ष में क्रियान्वयन ,उत्कृष्ट टी०एल०एम०के विकास के उपयोग पर चर्चा ।प्रा०वि० - विश्वनाथपुर(देवरिया) जय प्रकाश गुप्ता द्वारा किया गया। एकेडमिक वर्ष 2024 -25 की रणनीति,प्रभावी शिक्षण योजना, छात्र उपस्थिति बढ़ाने, कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाने पर चर्चा  इंद्रजीत यादव(संकुल शिक्षक) ने भी कुछ बिंदु पर सुझाव दिए। निष्कर्ष एवं संकलन के अंतर्गत सभी शिक्षकों को अपने विद्यालय को निपुण विद्यालय बनाने हेतु कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। बैठक के अंत में "प्रा० वि०-नरही नम्बर -2 के प्रधानाध्यापक जितेन्द्र कुमार सिंह ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। सभी शिक्षक संकुलों द्वारा डी०सी०एफ०* भरा गया। राष्ट्रगान के साथ आज की संकुल बैठक का समापन हुआ।
प्राथमिक विद्यालय पाण्डेयपुर में रिटायर्ड शिक्षक को संकुल बैठक में दी विदाई
संजीव सिंह बलिया। शिक्षा-क्षेत्र नगरा में पड़ने वाले प्राथमिक विद्यालय पांडेयपुर के प्रांगण में बुधवार को विद्यालय के शिक्षक मोहम्मद आतिफ अख्तर के सेवानिवृत होने पर विदाई समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में स्कूल के छात्र- छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।इस मौके पर प्राथमिक शिक्षक संघ नगरा के मंत्री ओमप्रकाश ने कहा कि आतिफ अख्तर सर को विद्यालय परिवार उनके कार्यों को सदैव याद रखेगा। उनकी कुशल कार्यक्षमता व उत्कृष्ट योगदान हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। ये सेवानिवृत्त जरूर हुई हैं, पर सेवा के दायित्वों से नहीं। इनके मार्गदर्शन की हमें हमेशा अपेक्षा रहेगी। मौके पर संकुल के वरिष्ठ प्रधानाध्यापक जनार्दन तिवारी ने कहा कि विदाई की घड़ी हमेशा दुखदाई होती है,फिर भी इसे हम सबों को निभाना पड़ता है। उन्होंने आगे उनके स्वास्थ्य बेहतर होने की कामना की। मौके पर सेवानिवृत्त शिक्षक आतिफ अख्तर ने भी कहा कि यहां पर मैने अपने जीवन के बहुमूल्य समय बिताई हैं। नौकरी के दौरान सभी का भरपूर सहयोग और स्नेह मिलता रहा। इस विद्यालय की कमी हमेशा मुझे खेलेगी। इस विदाई समारोह में सेवानिवृत शिक्षक को कई तरह के उपहार देकर सम्मानित करते हुए उन्हें विदाई दी गयी। इस मौके पर ARP  डॉक्टर संजय कुमार यादव, प्राथमिक शिक्षक संघ नगरा के मंत्री ओमप्रकाश, विद्यालय की प्रधानाध्यापक रचना कुमारी, मोहन गुप्ता,चन्द्रभान गुप्ता,संतोष कुमार गुप्त, राजीव शुक्ल, हरेंद्र कुमार यादव,  संजीवकुमार सिंह,कृष्णानंद पांडेय, आशीष कुमार श्रीवास्तव,आशुतोष सिंह, राजेश गुप्ता,देवेंद्र चौहान, संजीव कुमार गुप्ता,भवानी प्रसाद गुप्त,अखिलेश यादव पुष्पांजलिश्रीवास्तव, रुपा पांडेय, किरन यादव, किरन सिंह,महिमा सिंह,रेनू यादव,आंगनबाड़ी पूनम पांडेय, व रसोईया समेत विद्यालय के सभी शिक्षक व छात्र छात्रएं उपस्थित थे।
मासिक शिक्षक संकुल कोदई की बैठक प्रा०वि० पाण्डेयपुर पर संपन्न
संजीव सिंह बलिया:शिक्षक संकुल बैठक  कार्यालय खंड शिक्षा अधिकारी नगरा, बलिया के पत्रांक-संकुल मीटिंग 4560-67/2024-25 दिनांक 15/03/2025 के अनुपालन में न्याय पंचायत कोदई, शिक्षा क्षेत्र-नगरा के समस्त प्र०अ०/प्र०प्र०अ०/स०अ०/शिक्षामित्र/अनुदेशक को दिनांक *18/03/2025* दिन मंगलवार को माह मार्च की शिक्षक संकुल बैठक  का आयोजन अपराह्न *2:30 से 4:00 बजे तक "प्रा०वि० पाण्डेयपुर" पर *एआरपी संजय कुमार यादव* की अध्यक्षता में किया गया है !जिसमें सभी की उपस्थिति अनिवार्य रही|बैठक में  सभी प्रतिभागी अपने साथ संदर्शिका, नोटबुक व अपने द्वारा बनाए गए TLM लेकर संकुल बैठक में  आये*बैठक की संक्षिप्त कार्य योजना:पर चर्चा करतेहुए.सत्र का नाम:30 सेकेण्ड चैलेंज:* सभी प्रतिभागियों को दो समूह में बॉंटकर उन्हें चैलेंज दिया गया एवं समय का ध्यान रखा गया। *सुझावात्मक गतिविधि:* १. 10 देश के नाम लिखा।२.A से Z तक उल्टा बोलें ।३.किसी शब्द के 10 पर्यायवाची लिखे।४.पांच अलग-अलग आवाजों की नकल करें।५.एक अच्छी ड्राइंग बनाएं। ६.बिना उठाये पेन से फूल बनाएं। सुगमकर्ता: *आशीष कुमार श्रीवास्तव (संकुल शिक्षक* ) समय- 10 मिनट *2.Pause, Refresh and Reflect, Share* _Pause:_ १.शिक्षकों को तीन- चार समूह में बाँटकर उनसे पूछा गया *2024-25 के लिए आपका मुख्य लक्ष्य क्या था? *अपनी कक्षा अनुभवों पर सोचें- किन चीजों का सकारात्मक प्रभाव पड़ा? *Refresh and Reflect:* छोटे समूह में चर्चा: *शैक्षिक सत्र 2024-25 में क्या उपलब्धियां रही। *मुख्य चुनौतियां क्या थी? *आपने चुनौतियों को कैसे दूर किया और इसके लिए क्या प्रयास किया गया? _Share:_ प्रत्येक समूह में एक शिक्षक अपनी टीम के insights को साझा करेगा। *महत्वपूर्ण बिंदु बोर्ड पर लिखे जाएंगे। सुगमकर्ता:* आशुतोष कुमार सिंह (शिक्षक संकुल)* समय-30 मिनट *3.Pause, Refres  h and Reflect, Share* _Pause:_ छोटे समूह में प्रश्न पूछे गए |नए दृष्टिकोण और तकनीक अधिक प्रभावित रही । आगामी शैक्षिक सत्र में  क्षेत्रों में विशेष रूप से कार्य किए जाने की आवश्यकता है उनकी पहचान करें। चार्ट पेपर पर अपनी प्रमुख सीख और सुझाव लिखें Share-_ 2025-26 के लिए क्या लक्ष्य और माइलस्टोन निर्धारित किया गया! मंच को और अधिक प्रभावी कैसे बनाया जाए। _Action Point:_ हर शिक्षक एक प्रतिबद्धता साझा किए जो वह आगामी शैक्षिक सत्र में हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। पूरे समूह के सामने प्रतिबद्धता प्रस्तुत की गयी! *सुगमकर्ता:संतोष कुमार गुप्ता (संकुल शिक्षक)* समय-25 मिनट *4.आगामी शैक्षिक सत्र के लिए नामांकन वृद्धि पर रणनीति:* आगामी शैक्षिक सत्र के लिए नामांकन वृद्धि के लिए कार्य योजना पर चर्चा किए चंद्रभान गुप्ता स0अ०, प्रा० वि० रेंकुआं)समय-10 मिनट *5.प्राथमिकता एवं प्रशंसा सत्र:आईसीटी एवं स्मार्ट क्लास के माध्यम से कक्षा शिक्षण की डिजिटल कंटेंट के उपयोग से संबंधित SOPऔर नवाचारों पर चर्चा की गयी| आगामी वार्षिक परीक्षा की तैयारी पर चर्चा जिसमें छात्रों के लिए रिवीजन, समय प्रबंधन, प्रभावी अध्ययन, तकनीक, मॉडल प्रश्नों का अभ्यास और परीक्षा तनाव प्रबंधन जैसे रणनीतियां शामिल हुई! संकुल में सर्वाधिक उपस्थिति वाले विद्यालयों के शिक्षकों तथा शिक्षण में नवाचार के लिए शिक्षकों की सराहना की गयी| और सफल अनुभव साझा किए गए। उत्कृष्ट शैक्षिक प्रथाओं नई तकनीक के उपयोग और छात्र केन्द्रित दृष्टिकोण पर चर्चा किया गया। इको क्लब फॉर मिशन लाइफ, स्पोर्ट्स क्लब, गणित क्लब, विज्ञान क्लब, ज्योग्राफी क्लब, डिजिटल इनीशिएटिव तथा अन्य क्लबों के गठन एवं आगामी माह की गतिविधियों पर चर्चा की गई । *पुष्पांजलि श्रीवास्तव (संकुल शिक्षक* ) व अन्य शिक्षकों द्वारा समय-10 मिनट *6.समेकन एवं धन्यवाद:* महत्वपूर्ण बिंदुओं की पुनरावृत्ति। कृष्णा देवी ( नोडल संकुल शिक्षक* )समय-5 मिनट *शिक्षक संकुल द्वारा DCF भरा गया [ विस्तृत दिशा निर्देश हेतु खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा संकुल मीटिंग से संबंधित जारी पत्र का अवलोकन किया गया
भारतीय मूल की नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 286 दिनों के बाद धरती में वापसी और बुच विल्मोर की भी धरती में वापसी लोगों नेकिया अभिवादन
संजीव सिंह बलिया:  अनेक प्रयासों और कड़ी मेहनत के बाद आख़िरकार नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की धरती में वापसी हो गई है। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 286 दिनों के बाद धरती पर वापस लौट आई हैं। अंतरिक्ष एजेंसी- नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक सुनीता और बैरी विल्मोर को लेकर लौट रहा यान तड़के 3.27 बजे अमेरिका के फ्लोरिडा में समुद्र तल पर उतारा।अलेक्जेंडर गोरबुनोव फ्लोरिडा के तल्हासी में स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान से पृथ्वी पर वापस लौटे। यान का सफल स्प्लैशडाउन होने के बाद, बारी-बारी से निक हेग, बुच विल्मोर, सुनीता विलियम्स और रोस्कोस्मोस के अंतरिक्ष यात्री खुशी-खुशी हाथ हिलाते और मुस्कुराते हुए वापस आए। पृथ्वी पर आने के साथ ही सुनीता विलियम्स ने अपना हाथ दिखाकर वहां उपस्थित लोगों का अभिवादन किया । बता दें स्पेस से धरती तक पहुंचने में लगभग 17 घंटे का समय लगा। विलियम्ल और उनके साथियों को स्ट्रेचर पर लाया गया। इस दौरान सुनीता के पैर भी सीधे रखे गए थे। यह एक प्रोटोकॉल होता है जो हर अंतरिक्ष यात्री फॉलो करता है। यही कारण है कि अंतरिक्ष से आने के तुंरत बाद यात्री पैदल नहीं चल पाते। उनके शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं।
नासा ने 5 जून 2024 को बोइंग क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन लॉन्च किया। जिसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुच विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को आठ दिन तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में रुकना था और कुछ स्पेस रिसर्च करने थे। यह अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान की पहली उड़ान थी। नासा इस तरहवके प्रयोग करके अमेरिका के निजी उद्योग के साथ साझेदारी में अमेरिका से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक सुरक्षित, विश्वसनीय और कम लागत के मानव मिशन भेजने का प्रयास कर रहा है।
न्याय पंचायत सुल्तानपुर की मासिक शिक्षक संकुल बैठक  प्रा०वि० मु० ब० उरैनी पर संपन्न
  संजीव सिंह बलिया!शिक्षक संकुल बैठक कार्यवृत्त आज दिनांक 18/03/2025 को न्याय पंचायत सुल्तानपुर की मासिक शिक्षक संकुल बैठक  प्रा०वि० मु० ब० उरैनी  पर आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ नोडल संकुल अशोक कुमार शर्मा, संकुल अशोक कुमार वर्मा द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात प्रार्थना "वह शक्ति हमें दो दयानिधे कर्तव्य मार्ग पर डट जावें" का गायन किया गया। बैठक के वातावरण को सहज बनाने के लिए " पूनम यादव" द्वारा गतिविधि प्रस्तुत की गई जो बहुत ही रोचक रही। राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा प्रेषित एजेंडा के अनुसार "30 सेकेण्ड चैलेंज" नामक मनोरंजक गतिविधि कराई गई जिसमें सभी प्रतिभागियों को दो समूह में बाँटकर उन्हें चैलेंज दिए गए जिसमें दोनों समूहों ने उत्साह पू्र्वक प्रतिभाग किया। Pause, Refresh and Reflect,Share के अंतर्गत शिक्षकों को समूह में बाँटकर उनसे 2024-25 के लिए मुख्य लक्ष्य,चुनौतियों, किन क्षेत्रों में विशेष रूप से कार्य किए जाने की आवश्यकता के बारे में पूछा गया जिस पर समूहों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये, जिसमें प्रमुख रूप से  राम प्रवेश वर्मा , कृष्ण कुमार सिंहएवं  चंद्रशेखर द्वारा प्रतिभाग किया गया। आगामी शैक्षिक सत्र में नामांकन वृद्धि के लिए कार्य योजना पर चर्चा की गई। प्राथमिकता एवं प्रशंसा सत्र के अंतर्गत संकुल शिक्षक  अशोक कुमार वर्मा द्वारा आईसीटी एवं स्मार्ट क्लास के माध्यम से कक्षा शिक्षण में डिजिटल कंटेंट के उपयोग से संबंधित SOP और नवाचारों पर चर्चा हुई । इसके अलावा आगामी वार्षिक परीक्षा की तैयारी, समय प्रबंधन, परीक्षा तनाव प्रबंधन जैसी रणनीतियों पर भी विचार विमर्श किया गया। समेकन एवं धन्यवाद के अंतर्गत नोडल संकुल अशोक कुमार शर्मा  द्वारा सर्वाधिक छात्र उपस्थिति वाले विद्यालय के शिक्षकों का शिक्षण में नवाचार के लिए शिक्षकों की सराहना की गई तथा महत्वपूर्ण बिंदुओं की पुनरावृत्ति की गई। अंत में राष्ट्रगान के साथ बैठक का समापन किया गया।
नव नियुक्त जिला अध्यक्ष संजय मिश्र का रसड़ा पहुंचने पर जगह-जगह हुआ भव्य स्वागत
संजीव सिंह बलिया! नव नियुक्त जिला अध्यक्ष संजय मिश्र का रसड़ा आगमन पर भाजपा किसान मोर्चा के जिला महामंत्री ठाकुर मंगल सिंह सेंगर के नेतृत्व मे जोरदार स्वागत किया गया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों और पुष्पवर्षा के साथ उनका अभिनंदन किया। मिश्रा ने पार्टी की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने का पूरी तत्परता से कार्य करेंगे! नवनियुक्त भाजपा जिला अध्यक्ष संजय मिश्रा का रसड़ा पहुंचने पर जगह-जगह स्वागत किया गया। उनके स्वागत के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों और पुष्पवर्षा के साथ उनका अभिनंदन किया। इस अवसर पर भाजपा के नेता, कार्यकर्ता और समर्थक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सोमवार को पहुंचे नवनियुक्त जिला अध्यक्ष संजय मिश्रा के रसड़ा पहुंचने पर लोगों ने स्वागत किया। समारोह में संजय मिश्रा ने कहा कि वह पार्टी की नीतियों और योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पूरी तत्परता से कार्य करेंगे। उन्होंने संगठन को मजबूत बनाने और पार्टी के कार्यकर्ताओं के हित में काम करने का वचन दिया। संजय मिश्रा ने सभी कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर काम करने की अपील की, ताकि भाजपा को आने वाले चुनावों में और भी बड़ी सफलता मिल सके। उनके स्वागत समारोह में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं सहित कार्यकर्ताओं का उत्साह साफ तौर पर दिखाई दे रहा था।इस अवसर पर मुख्य रूप से भाजपा किसान मोर्चा के जिला महामंत्री ठाकुर मंगल सिंह सेंगर , मंडल अध्यक्ष अविनाश सिंह, अंकित सिंह, अजय पांडेय, निर्मल पाण्डेय,निशू सिंह, धीरज तिवारी,धनंजय पाण्डेय, सोनू सिंह, भानु सिंह,पंकज सिंह,हिमांशु सिंह, नित्यानंद सिंह, प्रवीण सिंह सहित दर्जनो कार्यकर्ता रहे मौजूद !
बलिया: भाजपा के नए जिलाध्यक्ष बनें संजय मिश्र, कार्यकर्ताओं में उत्साह व चहुंओर खुशी की लहर
संजीव सिंह  बलिया!बलिया में नए बीजेपी जिलाध्यक्ष की घोषणा हो चुकी है। संजय मिश्र नए जिलाध्यक्ष बनाए गये है। नए जिलाध्यक्ष की घोषणा से बीजेपी कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है। यह घोषणा भाजपा कार्यालय में की गई। 
बलिया:होली के दिन नगरा सिकंदरपुर मार्ग पर स्थित नरही चट्टी के पश्चिम तरफ ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित नाली में अज्ञात युवक का शव ‌मिलने से सनसनी
ओमप्रकाश वर्मा नगरा बलिया। नगरा थाना क्षेत्र के नगरा सिकंदरपुर मार्ग पर स्थित नरही चट्टी के पश्चिम तरफ ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित नाली में एक युवक का शव ‌मिलने से सनसनी फैल गई। मौके पर सैकड़ों लोगों की भीड़ जुट गई।सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को नाले से निकलवा कर कब्जे में ले लिया तथा लोगों से शिनाख्त के लिए कहा किन्तु शव का शिनाख्त नहीं हो पाया।जानकारी के अनुसार शुक्रवार की रात लोग होली में एक दूसरे को बधाई आदि देने के लिए आ जा रहे थे तभी किसी को नाली में युवक का शव दिखाई दिया। शव दो तीन दिन पहले का लग रहा था। ग्राम प्रहरी ने शव मिलने की सूचना थाने को दी। मृतक की उम्र करीब 35 वर्ष के आस-पास बताई जा रही है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु बलिया भेज दिया। थानाध्यक्ष कौशल कुमार पाठक ने बताया कि नरही में नाली में अज्ञात युवक का शव मिला है, शिनाख्त कराने का प्रयास किया जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की वजह का पता चल पाएगा।
सामाजिक सद्भाव का प्रतीक रंगों का त्यौहार शांतिपूर्ण वातावरण में सम्पन्न
ओमप्रकाश वर्मा  नगरा(बलिया)! रंगों व अबीर गुलाल के आदान प्रदान एवं ढोल मजीरा के साथ जगह जगह जुलूस निकालने के साथ ही सामाजिक एकता और सद्भाव का प्रतीक रंगों का त्यौहार होली शुक्रवार को नगर तथा क्षेत्र में परम्परागत तरीक़े से मनाया गया। इस अवसर पर जहां स्थानीय नगर तथा ग्राम्यांचलों में नागरिकों ने जम कर होली खेलने के साथ ही अबीर गुलाल उड़ाया वहीं दोपहर बाद अच्छी तरह से नहा धो नए वस्त्र धारण कर एक दूसरे के घर जा कर होली की शुभकामना के आदान प्रदान के साथ ही इस अवसर पर बनने वाले विशेष पकवानों का स्वाद चखा। इस अवसर पर रमजान के जुमा का नमाज़ भी शांतिपूर्ण वातारण में सम्पन्न हो जाने से सभी पक्षों ने राहत की सांस ली। होली और जुमा एक ही दिन पड़ जाने से लोग काफी सशंकित थे किन्तु कहीं से भी किसी तरह के तनाव की खबर नहीं है क्योंकि इस के मद्देनजर पुलिस पूरी तरह से अलर्ट मूड में रही और आवश्यक स्थानों पर प्रशासन द्वारा पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी। साथ ही जुमा का नमाज अदा होने वाली मस्जिदों पर प्रशासन की विशेष नजर थी और हर मस्जिद पर भी पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
बलिया:होली की मूल भावना है आपसी सौहार्द ::: डॉ विद्यासागर उपाध्याय

  संजीव सिंह बलिया:जैसा कि हम अवगत है और धीरे -धीरे निखिल विश्व भी यह स्वीकार कर रहा है कि भारतीय सनातन धर्म के रीति ,रिवाज ,परंपराएं ,व्रत और त्यौहार सबका वैज्ञानिक ,सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व है।और जब गहन चिंतन करते हैं तो यह पाते है कि हमारे ऋषियों की दृष्टि अत्यंत व्यापक रही थी। समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार और सबसे बड़ी इकाई राष्ट्र होता है । भारतवर्ष में संयुक्त परिवार की परम्परा लम्बे समय तक रही,बाद में छोटा परिवार सुखी परिवार की अवधारणा ने जन्म लिया और माता ,पिता ,पत्नी, बच्चों का पूरा भार मुखिया के कंधों पे आ गया ।आज पूर्वांचल का युवा उसी बोझ को कम करने के लिए जीविकोपार्जन हेतु बूढ़े मां-बाप ,विरहिणी पत्नी और पापा-पापा कहते छोटे बच्चों को छोड़कर,सारे अरमानों का गला घोंट कर सुदूर बड़े शहरों में जाकर स्वयं को छोटे कमरे में कैद कर लेता है ।लेकिन यह होली ही तो है जो फिर मिलाती है बूढ़े मां-बाप को बेटे से, प्रतीक्षा करती पत्नी को पति से ,अबोध बच्चों को उनके पिता से । होली का त्यौहारोत्सव सभी के जीवन मे बहुत सारी खुशियॉ और रंग भरता है, लोगों के जीवन को रंगीन बनाने के कारण इसे आमतौर पर ‘रंग महोत्सव’ कहा गया है। यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है। इसे “प्यार का त्यौहार” भी कहा जाता है। यह मन को तरोताज़ा करने का त्यौहार है,जो न केवल मन को तरोताजा करता है बल्कि रिश्तों को भी करता है। यह ऐसा त्यौहार है जिसे लोग अपने परिवार के सदस्यो और रिश्तेदारों के साथ प्यार और स्नेह वितरित करके मनातें हैं जो उनके रिश्तों को भी मजबूती प्रदान करता हैं। यह एक ऐसा त्यौहार हैं जो लोगों को उनके पुराने बुरे व्यवहार को भुला कर रिश्तों को एक डोर मे बॉधता हैं।जोर जोर से सड़क पर ,गलियों में ,घरों में एक ही आवाज आती है –बुरा न मानो ,होली है ।भारतीय समाज को सर्वाधिक मजबूती से जोड़ने वाला त्यौहार होली ही है ,गीत जरूर सुने होंगे “होली के दिन दिल मिल जाते हैं। वास्तव मे यह न केवल लोगों को बाहर से रंगता हैं, बल्कि उनकी आत्मा को भी विभिन्न रंगों मे रंग देता हैं। आज भारतीय समाज मे अधिकांश व्यक्ति सुगर ,ब्लड प्रेशर ,और अनिद्रा के शिकार है जिसका एक ही कारण है मानसिक तनाव,काम का बोझ ,भाग दौड़ ,समयाभाव,प्रसन्नता का चेहरे से गायब होना ,हंसी का लोप हो जाना,इत्यादि।आखिर सुबह में किसी पार्क में नकली हंसी निकालना आपको कितना स्वस्थ बनाएगी ?? तब यह होली समाज के व्यस्त जीवन की सामान्य दिनचर्या मे एक अल्पविराम लाती हैं।बनारस से लेकर बलिया और आज़मगढ़ से लेकर गोरखपुर तक हर जगह बुढ़वा मंगल तक होली का आनंद लेना,ब्रज में महीनों तक लट्ठमार होली ,काशी में श्मसान तक में होली मनाना ,हुड़दंग मचाना,रंग गुलाल लगाना ,फाग गाना,जोगीरा बोलना समाज के उक्त उद्देश्य को ही पूर्ण करता है ।व्यथित मन भी जब अमिताभ जी के आवाज में सुनता है कि “”लौंग इलाची का बीड़ा लगाया ,खाये गोरी का यार बलम तरसे रंग बरसे ” तो भीतर से खुलके हंसता है ,यही तो है होली का विशेष सामाजिक महत्व। फाग गायन के बीच जोगीरा सारा.रा.रा.रा की आवाज जब निकलती है तो मन में गुदगुदी होने लगती है। होली के अवसर पर होली गीत गायन के बीच-बीच में जोगीरा कहने की परंपरा प्राचीन है ,जो होली के आनंद को दोगुना कर देता है। जिसका पुरूष ही नहीं घर के भीतर बैठी महिलाएं भी होलरिया द्वारा गाए जा रहे जोगीरा का आनंद लेते हैं।जोगीरा में एक सवाल व दूसरा जबाब पक्ष होता है। उदाहरण देखिए स्वरूप सवाल- कै हाथ का धोती पहने कै हाथ लपेटा, कै घाट का पानी पिए कै बाप का बेटा,जोगीरा सा रा रा रा, जबाब- पांच हाथ का धोती पहने दो हाथ लपेटा, एक घाट का पानी पिए एक बाप का बेटा जोगीरा सारा रा रा रा।इसकी ख़ास बात यह है कि इसका कथ्य कुछ भी हो, उसमें चुटीला व्यंग्य जरूर मौजूद रहता है। जोगीरा रंगीन तो होते ही है सामाजिक और राजनीतिक भी होते हैं । समाज मे व्याप्त जाति-पाति ,छुवा-छूत सब होली में पीछे छूट जाते है जब होली गायन की मंडली एक साथ बैठती है ।विभिन्न जाति के लोगो का एक साथ बैठना ,एक बराबर बैठना ,एक साथ थाली से उठाकर गुझिया खाना ,मालपुआ का आनंद लेना ,एक ही रंग में रंग जाना और एक ही बीड़ी से धूम्रपान कर के बोलना बुरा न मानो होली है ,यही तो सामाजिक समरसता है ,जिसे बड़े बड़े समाज सुधारक नहीं स्थापित कर पाते उसे होली ऊंचाइयों पर पहुंचाती है । आयुर्वेद का मत है कि दो ऋतुओं के संक्रमण काल में मानव शरीर रोग से ग्रसित हो जाता है।आयुर्वेद शिशिर ऋतु में ठंड के प्रभाव से शरीर में कफ की अधिकता हो जाती है और वसंत ऋतु में तापमान बढ़ने पर कफ के शरीर से बाहर निकलने की क्रिया में कफ दोष पैदा होता है, जिसके कारण सर्दी, खांसी, सांस की बीमारियों के साथ ही गंभीर रोग जैसे खसरा, चेचक आदि होते हैं।इसके अलावा वसंत के मौसम का मध्यम तापमान शरीर के साथ मन को भी प्रभावित करता है। यह मन में आलस्य भी पैदा करता है।ऐसे समय जब रोग हो जाने के प्रबल योग हो ,मौसम परिवर्तन हो रहा हो ,शरीर आलस में चूर हो तब होली जैसे त्योहार का विधान किया हमारे ऋषि मुनियों ने ।अपने ज्ञान और अनुभव से मौसम परिवर्तन से होने वाले बुरे प्रभावों को जाना और ऐसे उपाय बताए जिसमें शरीर को रोगों से बचाया जा सके।स्वास्थ्य की दृष्टि से होली उत्सव के अंतर्गत आग जलाना, अग्नि परिक्रमा, नाचना, गाना, खेलना आदि शामिल किए गए। अग्नि का ताप जहां रोगाणुओं को नष्ट करता है, वहीं हुड़दंग,खेलकूद ,रंग लगाना ,नाच गाना की अन्य क्रियाएं शरीर में जड़ता नहीं आने देती और कफ दोष दूर हो जाता है,चित्त प्रसन्नता से भर जाता है । सदियों पूर्व ऋषियों ने वसुधैव कुटुम्बकम की बात की और यह जानना सुखद है कि होलिकोत्सव विश्व व्यापी पर्व है।भारतीय व्यापारियों के कालांतर में विदेशों में बस जाने के बावजूद उनकी स्मृतियों में यह त्यौहार रचा बसा है और समय के साथ साथ यह पर्व उन देशों की आत्मा से मिलजुल कर,किंतु मौलिक भावना संजोते हुए विभिन्न रूपों में आज भी प्रचलित है । 1-इटली में यह उत्सव फरवरी माह में “रेडिका ” के नाम से मनाया जाता है ।शाम के समय लोग भांति -भांति के स्वांग बनाकर “कार्निवल” की मूर्ति के साथ रथ पर बैठकर विशिष्ट सरकारी अधिकारी की कोठी पर पहुंचते हैं । फिर गाने-बजाने के साथ यह जुलुस नगर के मुख्य चौक पर आता है । वहां पर सूखी लकड़ियों में इस रथ को रखकर आग लगा दी जाती है । इस अवसर पर लोग खूब नाचते-गाते हैं और हो-हल्ला मचाते हैं । 2-फ़्रांस के नार्मन्दी नामक स्थान में घास से बनी मूर्ति को शहर में गाली देते हुए घुमाकर, लाकर आग लगा देते हैं । बालक कोलाहल मचाते हुए प्रदक्षिणा करते हैं । 4-जर्मनी में ईस्टर के समय पेड़ों को काटकर गाड दिया जाता है। उनके चारों तरफ घास-फूस इकट्ठा करके आग लगा दी जाती है । इस समय बच्चे एक दुसरे के मुख पर विविध रंग लगाते हैं तथा लोगों के कपड़ों पर ठप्पे लगा कर मनोविनोद करते हैं । 5-स्वीडन नार्वे में भी शाम के समय किसी प्रमुख स्थान पर अग्नि जलाकर लोग नाचते गाते और उसकी प्रदक्षिणा करते हैं । उनका विश्वास है की इस अग्नि परिभ्रमण से उनके स्वास्थ्य की अभिवृद्धि होती है । 6-साइबेरिया में बच्चे घर-घर जाकर लकड़ी इकट्ठा करते हैं । शाम को उनमे आग लगाकर स्त्री -पुरुष हाथ पकड़कर तीन बार अग्नि परिक्रमा कर उसको लांघते हैं । 7-अमेरिका में होली का त्यौहार “हेलोईन” के नाम से 31 अक्टूबर को मनाया जाता हैं ।इस अवसर पर शाम के समय विभिन्न स्वांग रचकर नाचने-कूदने व खेलने की परम्परा आज भी विद्यमान है। प्राचीन काल में होली की अग्नि में हवन के समय वेद मंत्र ” रक्षोहणं बल्गहणम ” के उच्चारण का वर्णन आता है ।होली पर्व को भारतीय तिथि पत्रक के अनुसार वर्ष का अन्तिम त्यौहार कहा जाता है । यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को संपन्न होने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है।कहा जाता है कि प्राचीन काल में इसी फाल्गुन पूर्णिमा से प्रथम चातुर्मास सम्बन्धी “वैश्वदेव ” नामक यज्ञ का प्रारंभ होता था, जिसमे लोग खेतों में तैयार हुई नई आषाढी फसल के अन्न -गेहूं,चना आदि की आहुति देते थे और स्वयं यज्ञ शेष प्रसाद के रूप में ग्रहण करते थे।आज भी नई फसल को डंडों पर बांधकर होलिका दाह के समय भूनकर प्रसाद के रूप में खाने की परम्परा “वैश्वदेव यज्ञ ” की स्मृति को सजीव रखने का ही प्रयास है।संस्कृत में भुने हुए अन्न को होलका कहा जाता है । संभवत: इसी के नाम पर होलिकोत्सव का प्रारंभ वैदिक काल के पूर्व से ही किया जाता है ।यज्ञ के अंत में यज्ञ भष्म को मस्तक पर धारण कर उसकी वन्दना की जाती थी , शायद उसका ही विकृत रूप होली की राख को लोगों पर उड़ाने का भी जान पड़ता है ।समय के साथ साथ अनेक ऐतिहासिक स्मृतियां भी इस पर्व के साथ जुड़ती गई ।नारद पुराण के अनुसार परम भक्त प्रहलाद की विजय और हिरण्यकश्यप की बहन “होलिका” के विनाश का स्मृति दिवस है।भविष्य पुराण के अनुसार कहा जाता है कि महाराजा रघु के राज्यकाल में ढुन्दा नामक राक्षसी के उपदर्वों से निपटने के लिए महर्षि वशिष्ठ के आदेशानुसार बालकों को लकड़ी की तलवार-ढाल आदि लेकर हो-हल्ला मचाते हुए स्थान स्थान पर अग्नि प्रज्वलन का आयोजन किया गया था । शायद वर्तमान में भी बच्चों का हो-हल्ला उसी का प्रतिरूप है।होली को बसंत सखा “कामदेव” की पूजा के दिन के रूप में भी वर्णित किया गया है ।”धर्माविरुधोभूतेषु कामोअस्मि भरतर्षभ ” के अनुसार धर्म संयत काम संसार में ईश्वर की ही विभूति माना गया है । आज के दिन कामदेव की पूजा किसी समय सम्पूर्ण भारत में की जाती थी । दक्षिण में आज भी होली का उत्सव ” मदन महोत्सव ” के नाम से ही जाना जाता है ।वैष्णव लोगों के किये यह ” दोलोत्सव” का दिन है । ब्रह्मपुराण के अनुसार – नरो दोलागतं दृष्टा गोविंदं पुरुषोत्तमं । फाल्गुन्यां संयतो भूत्वा गोविन्दस्य पुरं ब्रजेत ।। इस दिन झूले में झुलते हुए गोविन्द भगवान के दर्शन से मनुष्य बैकुंठ को प्राप्त होता है।कुछ पंचांगों के अनुसार संवत्सर का प्रारंभ कृष्ण पक्ष के प्रारंभ से और कुछ के अनुसार शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है । पूर्वी उत्तर प्रदेश में पूर्णिमा पर मासांत माना जाता है जिसके कारण फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को वर्ष का अंत हो जाता है और अगले दिन चैत्र कृषण प्रतिपदा से नव वर्ष आरम्भ हो जाता है । इसीलिए वहां पर लोग होली पर्व को संवत जलाना भी कहते हैं ।वैदिक कालीन होली की परम्परा का उल्लेख अनेक जगह मिलता है । मिमांशा दर्शनकार जैमिनी ने अपने ग्रन्थ में ” होलिकाधिकरण” नामक प्रकरण लिखकर होली की प्राचीनता को चिन्हित किया है।विन्ध्य प्रदेश के रामगढ़ नामक स्थान से 300 ईशा पूर्व का एक शिलालेख बरामद हुआ है जिसमे पूर्णिमा को मनाये जाने वाले इस उत्सव का उल्लेख है।वात्सायन महर्षि ने अपने कामसूत्र में ” होलाक” नाम से इस उत्सव का उल्लेख किया है । इसके अनुसार उस समय परस्पर किंशुक यानी ढाक के पुष्पों के रंग से तथा चन्दन-केसर आदि से खेलने की परम्परा थी।सातवी सदी में विरचित “रत्नावली” नाटिका में महाराजा हर्ष ने होली का वर्णन किया है।ग्यारहवीं शताब्दी में मुस्लिम पर्यटक “अलबरूनी” ने भारत में होली के उत्सव का वर्णन किया है । तत्कालीन मुस्लिम इतिहासकारों के वर्णन से पता चलता है कि उस समय हिन्दू और मुसलमान मिलकर होली मनाया करते थे।सम्राट अकबर और जहांगीर के समय में शाही परिवार में भी इसे बड़े समारोह के रूप में मनाये जाने के उल्लेख हैं।वैदिक काल में इस होली के पर्व को नवान्नेष्टि यज्ञ कहा जाता था। पुराणों के अनुसार ऐसी भी मान्यता है कि जब भगवान शंकर ने अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था, तभी से होली का प्रचलन हु‌आ। वर्तमान में घर के प्रत्येक सदस्य को उबटन लगाया जाता है,और शरीर से छुड़ाए गए उबटन को भी होलिका में इस विस्वास के साथ जलाया जाता है कि घर के समस्त सदस्यों की समस्त व्याधियां हमेशा के लिए अग्नि में जला दी गयीं।रंगोत्सव मनाए जाने के पीछे चाहे जो भी धार्मिक रीतियां-नीतियां रही हों, लेकिन, सूदूर ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी मस्ती के पीछे लोक संस्कृति का खास महत्व रहा है।यह होली केवल जोगीरा और बोल तक ही सीमित नहीं है ।यह जोड़ती है हमे मर्यादा पुरुषोत्तम राम से ,सोलह कलाओं से पूर्ण गिरधरनागर कृष्ण से ,सृष्टि के संहारक भगवान शिव से।ढोल-मजीरे पर पड़ती थाप के बीच राम ,कृष्ण और भगवान शिव के होली का निश्चय ही बखान हुआ करता है। होरी खेले रघुबीरा अवध में,होली खेले नंदलाल,कान्हा करे बलजोरी हो मइया।इसी तरह पण्डित छन्नूलाल मिश्र का गायन खेले मसाने में होली दिगंबर ,खेले मसाने में होली ,,,जन -जन को अध्यात्म से जोड़ता है । कुछ ही वर्ष पूर्व जब भक्ति से हटकर मस्ती का दौर चलता तो रंग बरसे भींगे चुनरवाली रंग बरसे और नकबेसर कागा ले भागा, सैंया अभागा ना जागा..पर लोग झूमते। लेकिन, आज के बदलते परिदृश्य, महानगरीय संस्कृति और पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव में ऐसा लगता है, जैसे होली के प्रति पुराने जमाने के उमंग, उत्साह और चहल-पहल सब कुछ पीछे छूटता चला जा रहा। होली अध्यात्म नहीं बल्कि फूहड़पन का पर्याय प्रतीत हो रहा है। बसंत की मादकता का अहसास भी नहीं होता। गांवों में भी अब फागुन के गीत गाने वाले खोजे नहीं मिलते।पहले लोग स्वयं होली गीत गाते, ढोल-मजीरा बजाते और जोगीरा गाने के दौरान नटुआ के नाच संग झूमने को विवश होते थे।परन्तु अब, ये चीजें डीजे ,मोबाइल और लैपटॉप के जिम्मे हो गयी हैं जो कष्टदायक है।आज विभिन्न रासायनिक रंगों के प्रयोग,कुछ व्यक्तियों द्वारा होली के हुडदंग में शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करके वातावरण खराब करने का प्रयास आदि से इसके मूल भावना पर प्रहार हो रहा है।जो पर्व आपसी भाई-चारे एवं वर्ष भर के मतभेदों को भुलाकर एक होने का है ,उस पर किसी भी प्रकार की रंजिश पैदा करना होली की मूल भावना के विपरीत है।हम विचार करें कि जो होली हमें अपनी जड़ से जोड़ती है, आपसी सम्बन्धों को मजबूत बनाती है उसे आधुनिकता के इस दौर में भी संजोकर रखने के लिए आवश्यक है कि हम सब उसकी मूल भावना को समझें और होली की मूल भावना आपसी सौहार्द ही है। डॉ विद्यासागर उपाध्याय