डिप्रेशन और एंग्जायटी को एक न समझें,जानिए क्या हैं इनमें अंतर
डिप्रेशन (अवसाद) और एंग्जायटी (चिंता) दो मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जो अक्सर एक साथ देखी जाती हैं। लेकिन दोनों में महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। कई लोग इन्हें एक जैसा समझ लेते हैं, जिससे सही इलाज में देरी हो सकती है। इस लेख में हम डॉक्टरों की राय के आधार पर इन दोनों मानसिक स्थितियों के बीच अंतर को समझने की कोशिश करेंगे।
1. डिप्रेशन और एंग्जायटी: क्या हैं ये मानसिक स्थितियां?
डिप्रेशन (अवसाद) क्या है?
डिप्रेशन एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति लगातार उदासी, निराशा और रुचिहीनता महसूस करता है। यह सिर्फ कुछ दिनों की उदासी नहीं होती, बल्कि हफ्तों, महीनों या सालों तक बनी रह सकती है।
लक्षण:
हर समय उदासी या खालीपन का अनुभव
आत्मग्लानि और निराशा
किसी भी चीज़ में रुचि न होना
ऊर्जा की कमी और थकान
नींद की समस्या या ज्यादा सोना
आत्महत्या के विचार आना
एंग्जायटी (चिंता) क्या है?
एंग्जायटी एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति अत्यधिक चिंता और भय महसूस करता है। यह चिंता सामान्य नहीं होती, बल्कि हद से ज्यादा होती है और व्यक्ति को सामान्य जीवन जीने में कठिनाई होने लगती है।
लक्षण:
हर समय घबराहट और बेचैनी
बिना कारण डर और घबराहट महसूस करना
हृदय की धड़कन तेज होना
अत्यधिक पसीना आना
नींद न आना या बार-बार डर के साथ जागना
मांसपेशियों में तनाव और कंपकंपी
एंग्जाइटी और डिप्रेशन में 3 अंतर जान लें
एंग्जाइटी और डिप्रेशन में 3 बड़े अंतर होते हैं। 
एंग्जाइटी और डिप्रेशन में पहला अंतर
एंग्जाइटी में इंसान बहुत ज्यादा ओवरथिंकिग करता है। ऐसे इंसान लगातार सोचते रहते हैं। हर छोटी-बड़ी चीज के बारे में उनके मन में थॉट प्रोसेस होता रहता है।
जबकि जिस इंसान को डिप्रेशन होता है ऐसे इंसान के मन में किसी तरह के विचार नहीं आते। ऐसे इंसान का दिमाग पूरी तरह से खाली हो जाता है वो सोचता ही नही हैं।
एंग्जाइटी और डिप्रेशन में दूसरा अंतर
एंग्जाइटी जिस इंसान को होती है ऐसे इंसान नॉर्मली बिल्कुल ठीक दिखते हैं। लेकिन जैसे ही कोई अनएक्सपेक्टेड चीज होती है या फिर कुछ घटना हो गई तो ऐसे लोग काफी घबरा जाते हैं और पैनिक हो जाते हैं।
डिप्रेशन वाले इंसान को बाहर की दुनिया में हो रहे अच्छे-बुरे किसी भी घटना से कोई फर्क नहीं पड़ता। वो हमेशा उदास और दुखी ही महसूस करता है। चाहे खुशी की सिचुएशन ही क्यों ना हो।
एंग्जाइटी और डिप्रेशन में तीसरा अंतर
एंग्जाइटी जिस भी इंसान को होती है वो खुद को काफी इंपार्टेंट समझता है। उसे लगता है कि वो ही हर किसी का सेंटर है। उसके बगैर घर, परिवार, ऑफिस में कोई भी काम नहीं हो पाएगा। उसे अपने परिवार की हमेशा चिंता रहती है कि वो नहीं होगा तो उसके परिवार का क्या होगा। ऐसे इंसान खुद को हमेशा सेफ रखना चाहते हैं। इसलिए वो ठीक रहना चाहते हैं।
जबकि जिस इंसान को डिप्रेशन होता है वो खुद को यूजलेस समझता है। उसे लगता है कि वो किसी काम का नही है और वो ठीक नहीं होना चाहता। डिप्रेशन वाले इंसान को ठीक करने का मोटिवेशन देना भी जरूरी होता है।
एंग्जाइटी और डिप्रेशन के इन लक्षणों से दोनों में अंतर को अच्छी तरह से समझा जा सकता है।
क्या डिप्रेशन और एंग्जायटी एक साथ हो सकते हैं?
हाँ, कई लोगों में डिप्रेशन और एंग्जायटी एक साथ देखी जाती हैं। एक स्थिति दूसरी को बढ़ा सकती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से डिप्रेशन में है, तो वह अपने भविष्य को लेकर चिंता करने लगेगा, जिससे एंग्जायटी बढ़ सकती है।
इलाज और समाधान
डिप्रेशन और एंग्जायटी दोनों का इलाज संभव है। सही समय पर डॉक्टर से सलाह लेने पर इनका प्रभावी इलाज किया जा सकता है।
चिकित्सकीय इलाज:
मनोचिकित्सक से सलाह लें – डॉक्टर सही दवाएं और थेरेपी सुझा सकते हैं।
साइकोथेरेपी (CBT) – यह एक थेरेपी है जो नकारात्मक सोच को बदलने में मदद करती है।
मेडिटेशन और एक्सरसाइज – योग और व्यायाम तनाव को कम करने में सहायक होते हैं।
अच्छी दिनचर्या अपनाएं – सोने और खाने का समय तय करें, इससे मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है।
डिप्रेशन और एंग्जायटी को एक जैसा समझने की गलती न करें। दोनों अलग-अलग मानसिक स्थितियां हैं, जिनका सही समय पर इलाज करवाना जरूरी है। यदि आप या आपके किसी करीबी को इस तरह की समस्या हो रही है, तो जल्द से जल्द मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें। सही इलाज और देखभाल से व्यक्ति एक खुशहाल जीवन जी सकता है।
Mar 12 2025, 16:54
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