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होली के रंग से स्किन पर निकल गए हैं दाने तो क्या करें? आईए जानते हैं
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डेस्क:–होली पर चेहरे पर कलर लगने के बाद कुछ लोगों को एलर्जी और स्किन पर दाने निकलने की समस्या हो जाती है. कुछ लोगों की स्किन लाल भी हो जाती है. अगर रंग लगने के बाद आपकी स्किन पर ये समस्या हो जाएं तो डॉक्टर की इन टिप्स को फॉलो कर सकते हैं.

होली खेलने के बाद कुछ लोगों के चेहरे पर दाने निकल जाते हैं. स्किन की एलर्जी की समस्या भी हो जाती है.यह समस्या होली के रंगों में मौजूद केमिकल के कारण होती है. होली के रंग में मौजूद केमिकल स्किन की लेयर को नुकसान करते हैं. इससे स्किन का लाल होना, ड्राई होना और दाने निकल जाते हैं. डॉक्टर सलाह देते हैं कि जिन लोगों को ये समस्या है तो उनको गुलाल से ही रंग खेलने चाहिए. अगर किसी ने केमिकल वाले रंग लगा दिए हैं और स्किन पर कोई समस्या हो गई है तो इन बातों का जरूर ध्यान रखें. लेकिन पहले जान लेते हैं कि रंग से स्किन एलर्जी क्यों होती है.

होली के कलर में क्रोमियम जैसे रासायनिक पदार्थ हो सकते हैं, जो स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं. क्रोमियम के अलावा रंगों में कैडमियम और लेड भी होते हैं. ये भी स्किन को नुकसान पहुंचाते हैं. कुछ लोगों कीत्वचा होली के रंगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती है, जिससे त्वचा पर समस्या हो सकती है.

*होली के रंग से दाने निकलने पर तुरंत क्या करें*

डर्मेटोलॉजिस्ट एवं कॉस्मेटोलॉजिस्ट, डॉ कनु वर्मा बताती हैं कि अगर होली का रंग खेलने के बाद स्किन पर दाने निकल गए हैं तो घरेलू उपचार नहीं करे. सिर्फ सॉफ्ट क्लींजर या सिंपल मॉस्चराइजर लगा लीजिए. इसके बाद आप किसी डर्मटॉलॉजिस्ट से संपर्क करें. होली का रंग खेलने से पहले यदि आपकी स्किन सेंसिटिव है तो एक वैसलिन प्रेट्रोलियम जेली की लेयर अपनी फेस पर लगाकर ही घर से निकलें, ताकि स्किन ज्यादा प्रभावित न हो.

*होली के बाद आंखों की केयर कैसे करें*

डॉ कनु बताती हैं कि अगर आंखों में रंग चला जाता हैतो आप तुरंत ठंडे पानी से धो लें. अगर आपके घर में कोई गुलाब जल है या फिर कोई लुब्रेकेटिंग आई ड्रॉप्स है तो वो डाल लें. आंखों पर ज्यादा पानी का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है. आई ड्राप्स से काम चल सकता है. अगर ये सब करने के बाद भी आंखों में कोई परेशानी हो रही है तो तुरंत आंखों के डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है.
जियो ने फिर दिखाई ताकत, टेलीकॉम इंडस्ट्री के सबसे बड़े जाएंट पर आफत
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डेस्क:–देलीकॉम इंडस्ट्रीज में कंपनियों के बीच की जंग लगातार तीखी होती जा रही है. जब दिसंबर तिमाही के नतीजों में बीएसएनएल 17 साल के बाद मुनाफे में दिखाई दी थी, तो उम्मीद की जा रही थी कि ये जंग और भी तेज होगी, लेकिन ट्राई की ओर से दिसंबर के कस्टमर बेस का आंकड़ा जारी कर स्थिति को पूरी तरह से साफ कर दिया है. जिसमें सरकारी टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा झटका लगा है.

इंफ्रस्ट्रक्चर के लिहाज से देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम जाएंट माने जाने वाली बीसीएसएनएल एक बार फिर से मुनाफे पर आ गई हो, लेकिन उसे अभी एक लंबा रास्ता तय करना है. ये रास्ता कस्टमर बेस और उनके विश्वास का है. इसका कारण भी है. भले ही आप कितना ही सस्ता प्लान लेकर क्यों ना आ जाएं, जब तक भरोसा और क्वालिटी नहीं होगी, तब तक कस्टमर बेस में इजाफा नहीं होगा. अल्टा जो मौजूदा कस्टमर हैं, वो भी किनारा करते हुए दिखाई देंगे. कुछ ऐसा ही दिसंबर के ट्राई के आंकड़ों में देखने को मिला. जहां बीएसएनएल के कस्टमर्स में गिरावट देखने को मिली.

वहीं दूसरी ओर मुकेश अंबानी की जियो और सुनील भारती मित्तल की एयरटेल ने एक बार फिर से सरकार और पूरे देश को अपनी ताकत का अहसास करा दिया. दोनों कंपनियों की तीसरी तिमाही का प्रॉफिट काफी शानदार रहा था. लेकिन ऐसा लग रहा था कि कहीं महंगे टैरिफ की वजह से कहीं दोनों कंपनियों के कस्टमर्स में गिरावट ना देखने को मिले. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जियो और एयरटेल दोनों ही जबरदस्त आंकड़ों के साथ नजर आईं. आइए आपको भी बताते हैें कि आखिर टेलीकॉम कंपनियों के कस्टमर बेस में कितना इजाफा देखने को मिला है.

देश की टेलीकॉम रेगुलेटर ने जानकारी देते हुए कहा कि टेलीफोन कस्टमर्स की कुल संख्या दिसंबर, 2024 में मामूली रूप से बढ़कर 118.99 करोड़ हो गई. इसमें जियो ने मोबाइल और फिक्स्ड लाइन दोनों क्षेत्रों में सबसे अधिक ग्राहक जोड़े. नवंबर में कुल टेलीफोन ग्राहकों की संख्या 118.72 करोड़ थी. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के आंकड़ों के अनुसार, रिलायंस जियो इन्फोकॉम 47.66 करोड़ ब्रॉडबैंड कस्टमर्स के साथ सबसे आगे रही.

उसके बाद भारती एयरटेल (28.93 करोड़) और वोडाफोन आइडिया (12.64 करोड़) का स्थान था. शहरी टेलीफोन ग्राहक बढ़कर दिसंबर में 66.34 करोड़ हो गए, जबकि नवंबर में यह आंकड़ा 65.99 करोड़ था. इसी अवधि के दौरान ग्रामीण ग्राहक घटकर 52.66 करोड़ हो गये जो इससे पिछले महीने में 52.73 करोड़ थे.

ट्राई के आंकड़ों के अनुसार, वायरलेस ग्राहकों की संख्या दिसंबर, 2024 में 0.17 प्रतिशत बढ़कर 115.07 करोड़ हो गयी जो इससे पिछले महीने नवंबर में 114.87 करोड़ थी. दिसंबर के अंत में वायरलेस टेलीघनत्व बढ़कर 81.67 प्रतिशत हो गया, जबकि नवंबर के अंत में यह 81.59 प्रतिशत था. आंकड़ों के अनुसार, रिलायंस जियो ने 39,06,123 वायरलेस ग्राहक जोड़े, जबकि भारती एयरटेल ने इस अवधि के दौरान 10,33,009 ग्राहकों को जोड़ा.

ट्राई के आंकड़ों के अनुसार, वायरलाइन कस्टमर्स की संख्या दिसंबर, 2024 के अंत में बढ़कर 3.93 करोड़ हो गई, जो एक महीने पहले नवंबर, 2024 में 3.85 करोड़ थी. इससे देश में समग्र वायरलाइन टेली-डेंसिटी 2.73 फीसदी से बढ़कर 2.79 फीसदी हो गया. रिलायंस जियो ने 6,56,823 वायरलाइन ग्राहक जोड़े और इस मामले में वह अव्वल रही. इसके बाद भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज का स्थान रहा, जिन्होंने क्रमशः 1,62,945 और 9,278 वायरलाइन ग्राहक जोड़े.

वहीं दूसरी ओर कस्टमर बेस के मामले में दिसंबर के महीने में देश की सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल और एमटीएनएल को बड़ा झटका लगा. ट्राई के आंकड़ों के अनुसार बीएसएनएल ने दिसंबर के महीने में 3,16,599 वायरलेस कस्टमर गंवाए. जबकि एमटीएनएल को भी इस महने झटका लगा और कस्टमर्स की वायरलेस कस्टमर्स की संख्या में 8,96,988 की गिरावट देखने को मिली. सबसे बड़ा झटका तो वोडाफोन आइडिया को लगा. जिसने दिसंबर के महीने में 17,15,975 वायरलेस कस्टमर खो दिए. वहीं दूसरी ओर वायरलाइन कस्टमर के मामले में बीएसएनएल ने 33,306 ग्राहक गंवाए. वहीं एमटीएनएल ने 14,054 कस्टमर्स को खो दिया. आंकड़ों के अनुसार, कुल ब्रॉडबैंड ग्राहक दिसंबर में बढ़कर 94.49 करोड़ हो गए जबकि नवंबर में यह 94.48 करोड़ था.

दिसंबर तिमाही में बीसीएसएनएल को 262 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था. कंपनी ने 17 साल के बाद किसी तिमाही में मुनाफे का स्वाद चखा था. जिसकी जानकारी खुद टेलीकॉम मिनिस्टर ने दी थी. जानकारी देते हुए बताया गया था कि सरकारी कंपनी के घाटे में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है और मोबिलिटी, एफटीटीएच और लीज्ड लाइन्स से रेवेन्यू में क्रमशः 15 फीसदी, 18 फीसदी और 14 फीसदी का इजाफा देखने को मिला था. लेकिन किसी को क्या पता था कि कंपनी के कस्टमर बेस में दिसंबर के महीने में गिरावट देखने को मिलेगी.

वैसे मंगलवार को देश की सबसे बड़ी लिस्टेड टेलीकॉम कंपनी एयरटेल के शेयर में करीब दो फीसदी की तेजी देखने को मिली थी. बीएसई के आंकड़ों के अनुसार एयरटेल का शेयर 1.93 फीसदी यानी 31.50 रुपए की तेजी के साथ 1661.20 रुपए पर बंद हुआ था. जबकि कारोबारी सत्र के दौरान कंपनी का शेयर 1676.10 रुपए पर भी पहुंच गया था. सोमवार को कंपनी का शेयर 1629.70 रुपए पर देखने को मिला था. वहीं दूसरी ओर वोडाफोन आइडिया के शेयर में भी तेजी देखने को मिली थी. मंगलवार को कंपनी का शेयर 1.10 फीसदी की तेजी के साथ 7.34 रुपए पर बंद हुआ. जबकि कारोबारी सत्र के दौरान कंपनी का शेयर 7.40 रुपए के साथ दिन के हाई पर पहुंच गया था.
योगी सरकार का फैसला अब एक चिप में होगी सभी जानकारी…UP में अब बनेगा स्मार्ट कार्ड RC
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डेस्क:–उत्तर प्रदेश में वाहन खरीदने वालों को अब रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के बदले स्मार्ट कार्ड मिलेगा, जिसमें माइक्रो चिप लगी होगी. इस चिप में वाहन से जुड़ी सभी जानकारी होगी. स्मार्ट कार्ड आरसी से लोगों को अब कागजों का पुलिंदा नहीं होगा. आरटीओ ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.

उत्तर प्रदेश में अब वाहन मालिकों को आरसी जैसे तमाम कागजों का पुलिंदा नहीं रखना पड़ेगा क्योंकि योगी सरकार ने इसके लिए बड़ा फैसला लिया है. वाहन मालिकों को अब स्मार्ट कार्ड मिलेगा, जिसमें चीप लगी होगी. इस चिप में वाहन से जुड़ी सभी जानकारी होगी. परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने मंगलवार को इसकी घोषणा की.

दयाशंकर सिंह ने कहा कि ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन अब रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के बदले एक स्मार्ट कार्ड जारी करेगा. माइक्रो चिप वाले स्मार्ट कार्ड में सभी तरह के डाटा स्टोर रहेंगे. यह कार्ड पेन ड्राइव की तरह काम करेगा. इसे आसानी से एक्सेस किया जा सकेगा. चेकिंग में आसानी होगी. डिजिटलीकरण से भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी पर रोक लगेगी. इससे कागजी आरसी से छुटकारा मिलेगा.

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि स्मार्ट कार्ड आरसी में दो तरह का डेटा होगा. उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन की तारीख, मालिक का नाम जैसे डिटेल्स कार्ड पर होंगे, जबकि माइक्रोचिप में चालान, यातायात उल्लंघन, परमिट जैसे सभी डिटेल्स होंगे.

स्मार्ट कार्ड आरसी से कागज के गीले होने, फटने या खोने जैसी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी. ट्रैफिक चेकिंग के दौरान स्मार्ट कार्ड को स्कैन कर पूरी जानकारी हासिल की जा सकेगी. आरटीओ ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) से जुड़ी अन्य अनियमितताओं की शिकायतें मिलती थीं, जिन पर अब अंकुश लगेगा. सरकार की योजना होली से पहले इस पहल को लागू करने की है.

*स्मार्ट कार्ड RC के फायदे*

कागजों का पुलिंदा नहीं रखना पड़ेगा

RC के भीगने, कट जाने-फट जाने की परेशानी नहीं होगी

माइक्रो चिप में स्मार्ट कार्ड आरसी का डेटा स्टोर रहेगा

भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी पर रोक लगेगी

आरटीओ ऑफिस के चक्कर नहीं काटने होंगे
वृंदावन में चंदन के रथ पर निकलेंगे भगवान रंगनाथ, 17 मार्च से शुरू होने जा रहा मेला, जानें कब क्या होगा कार्यक्रम?
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डेस्क:–वृंदावन के रंगनाथ मंदिर प्रबंधक ने बताया कि रथ मेला का दिव्य महोत्सव का समापन 26 मार्च को अद्वितीय पुष्पक विमान से होगा. उसके बाद स्वर्ण स्तंभ पर विराजित भगवान के प्रमुख वाहन गरुण जी को वेद मंत्रों से विदाई दी जाती है. इस उत्सव के दौरान प्रसिद्ध होली 22 मार्च को होगी. वहीं, 24 मार्च को बड़ी आतिशबाजी का आयोजन किया जाएगा.

श्री कृष्ण नगरी मथुरा में मौजूद दक्षिण भारतीय शैली पर आधारित रंगनाथ मंदिर का विश्व प्रसिद्ध रथ का मेला 17 मार्च से शुरू होने जा रहा है. इस पावन मौके पर भगवान गोदा रंगनाथ रथ में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे. यह परंपरा पिछले 175 वर्षों से निभाई जा रही है. यह दर्शन साल में एक बार मेले के अवसर पर ही होते हैं. इस अवसर पर भगवान गोदा रंगनाथ नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. इस ब्रह्मोत्सव कार्यक्रम में प्रत्येक दिन अलग-अलग सवारियां निकाली जाएंगी.

मेले के दौरान 10 दिन तक लगातार सुबह-शाम सवारियां निकाली जाती हैं. मान्यता है कि दक्षिण शैली पर होली का कार्यक्रम आयोजित नहीं होता है, लेकिन ब्रज के वृंदावन में स्थापित दक्षिण शैली के मंदिर पर होली धूमधाम से मनाई जाती है. इस वर्ष मंदिर पर होली 22 मार्च को मनाई जाएगी. मेले को लेकर मंदिर पर तैयारियां शुरू हो गई हैं. मंगलवार को मंदिर प्रबंधक ने इसकी जानकारी साझा की. आइए जानते हैं कब और कैसे मनाया जाएगा रथ का मेला.

*10 दिन तक चलेगा रथ का मेला*

वृंदावन में श्री रामानुज संप्रदाय के प्रसिद्ध दिव्यदेश श्री रंगनाथ मंदिर का दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव 17 मार्च से शुरू होगा. यह कार्यक्रम विविध धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों के साथ वैदिक परंपरानुसार आयोजित किया जा रहा है. ब्रज के अनूठे उत्सव को लेकर मंदिर प्रबंधन द्वारा दिव्याकर्षक तैयारियां की जा रही हैं. इस संबंध में मंगलवार को मंदिर में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में स्वामी रघुनाथ आचार्य ने बताया कि यह श्री रामानुज संप्रदाय की श्री वैष्णवीय परंपरा के प्रमुख दिव्यदेश श्री रंगनाथ मंदिर है.

उन्होंने बताया कि यहां वैसे तो प्रतिदिन मंगल उत्सवों की श्रंखला अनवरत रूप से जारी रहती है, लेकिन इनमें सबसे प्रमुख ब्रह्मोत्सव है. ब्रह्मोत्सव का शुभारंभ अंकुरारोपण, देव आह्वान, ध्वजारोहण से होता है, जिसमें दक्षिण भारतीय वेदपाठी विद्वान वेदमंत्रो से आव्हान करते हैं.

*23 मार्च को होंगे दर्शन*

मंदिर के प्रबंधक श्री कृष्णन ने बताया कि 17 मार्च को मेला शुरू होगा. इस दिन सुबह काल ठाकुर रंगनाथ भगवान स्वर्ण निर्मित पूर्ण कोठी में विराजित होकर भक्तो को कृतार्थ करेंगे. इसी क्रम में ठाकुर गोदारंगमन्नार भगवान प्रतिदिन स्वर्ण रजत निर्मित वाहन सूर्यप्रभा, चंद्रप्रभा, गरुण, हनुमान, पालकी, सिंह, अश्व, सिंहशार्दुल पर विराजित होकर दर्शन देते हैं. मंदिर की CEO अनघा श्रीनिवासन ने बताया कि मुख्य आकर्षण विशालकाय चंदन निर्मित रथ है, जिसमें 23 मार्च को ठाकुर गोदा रंगमन्नार भगवान विराजित होकर भक्तो को कृतार्थ करेंगे.

विश्वजीत कदम ने बजट को बताया धोखा, सरकार पर साधा निशाना
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डेस्क:–महाराष्ट्र विधानसभा में सोमवार को वित्त मंत्री अजित पवार ने वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया, जिसमें कृषि, सड़क परियोजनाओं, परिवहन, उद्योग, युवाओं और महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान किए गए। इस बजट को पेश करते हुए पवार ने राज्य की विकास योजनाओं का खाका प्रस्तुत किया, लेकिन बजट के पेश होने के बाद विपक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया। कांग्रेस विधायक विश्वजीत कदम ने बजट को लेकर सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए इसे राज्य की जनता को धोखा देने वाला करार दिया।

कांग्रेस विधायक ने कहा कि सरकार ने बजट में लोगों को फंसाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि बजट में किसानों और महिलाओं के लिए कुछ ठोस योजनाओं का जिक्र नहीं किया गया, जबकि चुनाव के समय सरकार ने महिलाओं के लिए 2100 रुपये देने का वादा किया था। कदम ने सवाल उठाया कि चुनाव के दौरान जो वादे किए गए थे, उनका कोई जिक्र क्यों नहीं किया गया और बजट में 1500 रुपये की राशि की बात की गई, जो पहले की तुलना में बहुत कम है।

कांग्रेस विधायक ने राज्य सरकार के बजट पर यह भी सवाल उठाया कि इस बजट में 7.5 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि राज्य सरकार का वास्तविक राजस्व करीब 5 लाख करोड़ रुपये है। इस अंतर को लेकर कदम ने कहा कि यह कैसे पूरा होगा और सरकार किस तरह से अपनी योजनाओं को लागू करेगी, इसका स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने केवल चुनावी लाभ के लिए ऐसे वादे किए थे, जिनका अंततः कोई पालन नहीं किया जाएगा।

कदम ने यह भी कहा कि सरकार ने जो घोषणाएं की हैं, वे महज चुनावी प्रचार के लिए थीं और उन्हें पूरा करना असंभव होगा। उन्होंने आशंका जताई कि भविष्य में सरकार अपने चुनावी वादों को पूरा करने में सक्षम नहीं होगी और महिलाओं और किसानों को जो राहत देने की बात की गई थी, वह भी सिर्फ एक झूठी घोषणा साबित होगी। विश्वजीत कदम का यह आरोप था कि राज्य की जनता को केवल चुनावी फायदे के लिए फंसाया गया है और बजट में उनकी असल समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अब यह देखना होगा कि विपक्ष का रुख इस बजट को लेकर आगे किस दिशा में रहेगा।
तीन साल के बच्चे का अपहरण, प्रेमी के साथ रहने के लिए महिला ने रची साजिश,मह‍िला गिरफ्तार
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डेस्क:–महाराष्ट्र के मांडवी थाना पुलिस को तीन साल के बच्चे के अपहरण मामले में बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। अपहरण के मामले में बिहार के नालंदा जिले से पुलिस द्वारा एक महिला को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने इसके पास से बच्चे को बरामद किया है। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। मांडवी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय हजारे ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान बताया कि उनके पास तीन साल के बच्चे के अपहरण की शिकायत आई थी। शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई। शिकायतकर्ता नबीउल्लाह हमीदुल्लाह चौधरी (38) ने बताया कि 18 फरवरी को 2025 को उसकी रिश्तेदार (साले की पत्नी) उसके बच्चे को बाहर खेलने के लिए ले गई थी। लेकिन, बच्चे के साथ वह नहीं लौटी।

पुलिस को मिली शिकायत पर मांडवी पुलिस थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 137 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया। इसके बाद एक टीम बनाकर महिला की तलाश की गई। सीसीटीवी फुटेज से भी पता चला कि बच्चे को महिला ले जा रही है। पुलिस की जांच में पता चला कि महिला बिहार के नालंदा जिले में छिपी हुई है। पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और महिला को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस के अनुसार, महिला शादीशुदा है और उसके पहले से तीन बच्चे हैं। लेकिन, नालंदा जिले के सरमेरा निवासी एक युवक के साथ उसका लंबे समय से प्रेम संबंध था। प्रेमी के साथ नई जीवन की शुरुआत करने के लिए वह अपने तीन बच्चों के बारे में नहीं बताना चाहती थी। चूंकि दोनों में उम्र का फासला काफी ज्यादा था। महिला 36 साल की थी और युवक 18 साल का था। प्रेमी के साथ हर हाल में रहने के लिए उसने बच्चे के अपहरण की साजिश रची। उसने प्रेमी को विश्वास दिला दिया है कि यह बच्चा उसी का है और उसके साथ उसके गांव में रहने लगी। जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो उसने यही जवाब दिया कि वह बच्चे की मां है। पुलिस ने बच्चे को उनके माता-पिता को सौंप दिया है।
होली पर मौलाना गोरा की अपील, नजदीकी मस्जिदों में ही अदा करें जुमे की नमाज
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डेस्क:–उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध देवबंदी उलमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने होली के दिन मुसलमानों से अपने नजदीक की मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा करने की अपील की है। मौलाना कारी इसहाक गोरा ने वीडियो बयान में कहा कि हमारा देश अनेक-अनेक धर्म के मानने वालों का मुल्क है। इस मुल्क की खूबसूरती ये कि यहां पर तमाम मजहब के लोग अपनी मजहबी आजादी के अनुसार अपने त्योहारों को खुशी से मनाते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि दारुल उलूम देवबंद ने भी तमाम तबकों खासकर मुसलमानों से होली के दिन संयम और अमन बनाए रखने की अपील की है। मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि होली के दिन सभी मुसलमान अपनी नजदीकी मस्जिदों में ही जुमे की नमाज अदा करें और उसके बाद घरों में रहकर इबादत करें। गैरजरूरी तौर पर बाहर निकलने से बचें और किसी भी फितने या गलतफहमी का कारण न बनें।

मौलाना गोरा ने कहा कि मुसलमानों को अपने अखलाक और आमाल से इस्लामी तालीमात का बेहतरीन नमूना पेश करना चाहिए। दारुल उलूम ने सभी मुसलमानों से शरीयत के दायरे में रहते हुए अमन और भाईचारे को कायम रखने की गुजारिश की है, ताकि समाज में शांति बनी रहे और हर शख्स अपने दीन व आमाल पर सुकून से अमल कर सके।

कैसे बदलता है सड़क का नाम? तुगलक लेन को विवेकानंद मार्ग करने की चर्चा, BJP नेता ने बदली नेमप्लेट
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डेस्क:–दिल्ली की सड़क का नाम बदलने की चर्चा शुरू हो गई है. भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा और सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के तुगलक लेन स्थित घर की नेमप्लेट पर स्वामी विवेकानंद लिखा गया है. इसके बाद से चर्चा है कि तुगलक लेन का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद मार्ग किया जा किया जा सकता है. जानिए, कैसे बदला जाता है सड़क का नाम, क्या है पूरी प्रक्रिया.

नजफगढ़ को नाहरगढ़ और मोहम्मदपुर को माधवपुर करने के प्रस्ताव के बाद अब दिल्ली की सड़क का नाम बदनने की चर्चा शुरू हो गई है. चर्चा है तुगलक लेन की. भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा और सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के तुगलक लेन स्थित घर की नेमप्लेट पर स्वामी विवेकानंद लिखा गया है. हालांकि, इसके साथ तुगलक लेन भी लिखा है.इसके बाद से चर्चा है कि तुगलक लेन का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद मार्ग किया जा किया जा सकता है.

हालांकि, इसको लेकर अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. इस बीच आइए जान लेते हैं कि किसी भी सड़क का नमा कैसे बदला जाता है, क्या होती है इसकी प्रक्रिया और नियम.

*तो तुगलक लेन बनेगा स्वामी विवेकानंद मार्ग?*

सड़कों का नाम बदलने की प्रक्रिया क्या होती है, इसे दिल्ली के उदाहरण से समझते हैं. किसी भी रोड का नाम बदलने की मांग कोई भी इंसान, संगठन या सरकारी निकाय कर सकता है. इसके लिए प्रस्ताव तैयार करना होगा उसे सम्बंधित नगर पालिका या अथॉरिटी को देना होगा जिसके तहत वो सड़क आती है. दिल्ली में यह प्रस्ताव NDMC या दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्ल्यूडी के पास जमा करना होगा.

NDMC के अधिकार क्षेत्र में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) के केंद्रीय और महत्वपूर्ण क्षेत्र आते हैं. इसमें संसद, राष्ट्रपति भवन, मंत्रालय और अन्य केंद्रीय सरकारी संस्थानों वाली लुटियंस दिल्ली आती है.

*कैसे आगे बढ़ता है नाम बदलने का प्रस्ताव?*

अगर तुगलक लेन का नाम बदलने का प्रस्ताव NDMC तक पहुंचता है तो पहले काउंसिल में इसकी चर्चा होगी. काउंसिल में 14 सदस्य होते हैं. 13 मेम्बर और 1 चेयरपर्सन. अगर सहमति बनती है तो प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है. हालांकि, नाम बदलेगा या नहीं, यह इस बात पर भी निर्भर होता है कि इसका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व कितना है. इस आधार पर काउंसिल मुहर लगाती है.

सम्बंधित नगरपालिका या प्राधिकरण से प्रस्ताव पास होने के बाद इसे दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग को भेजा जाएगा. इस विभाग की रोड नेमिंग अथॉरिटी नाम बदलने की मंजूरी पर फैसला लेगी. इसके बाद प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. मंजूरी के बाद आदेश जारी होता है. इसे पोस्टमास्टर जनरल दिल्ली को भेजा जाएगा. इस तरह डाक सेवाओं में इस बदले हुए नाम को अपडेट किया जाएगा. फिर आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित करके हमेशा के लिए इसका नाम बदल जाएगा. इस तरह पर इस पर कानूनी रूप से मुहर लग जाती है.

*किसके पास कौन सी जिम्मेदारी?*

नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) के अधिकार क्षेत्र में नई दिल्ली के केंद्रीय क्षेत्र हैं. इसमें लुटियंस जोन भी आता है. दिल्ली नगर निगम (MCD) के पास दिल्ली के अधिकांश हिस्से हैं. वहीं, दिल्ली छावनी परिषद के पास कैंट एरिया है.

*क्या बोले BJP सांसद डॉ. दिनेश शर्मा?*

इस पूरे मामले में भाजपा राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा का कहना है, गूगल पर इस सड़क का नाम स्वामी विवेकानंद मार्ग के रूप में दर्ज है. उनका कहना है, जब कर्मचारियों ने मुझसे पूछा कि नेमप्लेट पर सड़क का नाम क्या लिखना है तो मैंने कहा आसपास जो नाम लिखा है वो लिख दो. आसपास के वरिष्ठ लोगों की नेमप्लेट में स्वामी विवेकानंद मार्ग और तुगलक लेन दोनों ही लिखा था. इसलिए नेमप्लेट में वही लिखा गया है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए बयान में उन्होंने कहा, किसी भी सड़क का नाम बदलने का अधिकार सांसद के पास नहीं होता, यह मैं जानता हूं. 11 सालों तक मैं खुद महापौर रहा हूं.

कौन थी वह औरंगजेब की हिंदू पत्नी जो सती होना चाहती थी?क्रूर मुगल बादशाह ने कितनी शादियां की आईए जानते हैं
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डेस्क:–मुगलों के सबसे कट्टर और क्रूर बादशाह औरंगजेब की पत्नियों के किस्से भी दिलचस्प हैं. औरंगजेब की एक हिन्दू बेगम ऐसी थी जो सती होना चाहती थी. औरंगजेब के जीवन में एक ऐसी महिला भी आई जिसकी खूबसूरती देखते ही वो बेहोश हो गया. अब सवाल यह भी है क्या औरंगजेब की बेगम भी उसकी तरह क्रूर थीं.

भारतीय इतिहास का सबसे विवादित मुगल बादशाह औरंगजेब एक बार फिर विवादों में है. इस बार कुछ राजनीतिज्ञ अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए औरंगजेब के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे पहले फिल्म छावा के चलते औरंगजेब लगातार सुर्खियां बटोरता रहा है. आइए जान लेते हैं कि कट्टर सुन्नी माने जाने वाले औरंगजेब की कितनी पत्नियां थीं और उनकी क्या भूमिका थी?

*अत्याचारी बादशाह के रूप में पहचान*

कुछ इतिहासकार मानते हैं कि औरंगजेब इस्लामिक कानून में पूरे देश को ढालकर सब लोगों को मुसलमान बनाना चाहता था. वहीं कुछ का मानना है कि वह एक महत्वाकांक्षी बादशाह था. उसने जो कुछ किया, वह केवल सत्ता के लिए था. यहां तक कि अपने पिता को कैद कर लिया. सिंहासन के लिए भाइयों का कत्ल करवा दिया. हालांकि, इतिहासकार इस बात से भी इनकार नहीं करते कि औरंगजेब के शासनकाल में हिन्दुओं पर अत्याचार बढ़ा था. तीर्थयात्रा पर जाने वाले हिन्दुओं पर जजिया कर, मंदिरों का विध्वंस, सिख गुरुओं की हत्या, छत्रपति संभाजी की हत्या जैसी उसके अत्याचार की तमाम कहानियां प्रचलित हैं.

*औरंगजेब की पत्नियों के नाम*

इतिहासकारों की मानें तो औरंगजेब की तीन पत्नियां थीं. उनके नाम नवाब बाई, दिलरास बानो बेगम और औरंगाबादी महल बताए जाते हैं. दिलरास बानो बेगम को औरंगजेब की मुख्य पत्नी बताया जाता है. इनके अलावा इतिहास की किताबें इस बात का भी जिक्र करती हैं कि औरंगजेब की पत्नियों में दो हिन्दू थीं. इनमें एक थीं नवाब बाई और दूसरी उदैपुरी.औरंगजेब और हीराबाई उर्फ जैनाबादी की मुलाकात मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में हुई थी, जिसे दिलरास बेगम के नाम से जाना गया.

*बादशाह संग सती होना चाहती थीं उदैपुरी*

बताया जाता है कि औरंगजेब चाहे जितना क्रूर था, उदैपुरी उसे बेहद प्यार करती थीं. इस हद तक वह औरंगजेब से मोहब्बत करती थीं कि उसके साथ सती होने तक की बात करती थीं. औरंगजेब ने स्वयं अपने बेटे को लिखी एक चिट्ठी में अपनी इस हिंदू पत्नी की इच्छा का खुलासा किया था. हालांकि औरंगजेब की मौत के बाद उदैयपुरी सती तो नहीं हो पाई थीं पर उसी साल कुछ ही महीने बाद उदैपुरी का भी निधन हो गया था.

बिलीमोरिया के रुक्काते आलमगीरी का अंग्रेजी अनुवाद किया गया है, जिसे लेटर्स ऑफ औरंगजेब के नाम से जाना जाता है. इसमें औरंगजेब के इस पत्र का भी जिक्र है. इतिहासकार मानते हैं कि साल 1667 में उदैपुरी ने एक बेटे को जन्म दिया था, जिसे कामबख्श के नाम से जाना जाता है. औरंगजेब 50 साल का हो गया था, तब उदैपुरी जवान थीं. इसीलिए उसके प्रेम और खूबसूरती के चलते औरंगजेब कई बार कामबख्श की गलतियों को भी माफ कर देता था. कामबख्श शराबी था और शासन के कामों में उसका मन नहीं लगता था. इससे वह कई ऐसी भूल करता था, जो औरंगजेब की नाराजगी का कारण बनती थीं पर मां उदैपुरी के कारण हर बार कामबख्श बच जाता था.

*पत्नियों के हिन्दू होने पर विवाद*

औरंगजेब की दो पत्नियों के हिन्दू होने का मसला निर्विवाद नहीं है. कामबख्श की मां उदैपुरी को कुछ लोग तब ईसाई मानते थे. कुछ लोग उसे औरंगजेब की दासी भी बताते हैं. बताया जाता है कि वह जॉर्जिया की निवासी थी जिसको दारा ने खरीदा था. दारा की हत्या के बाद औरंगजेब ने उदैपुरी को अपने पास रख लिया था. हालांकि, इतिहासकार यदुनाथ सरकार ने अपनी किताब हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब में लिखा है कि उदैपुरी न केवल औरंगजेब की पत्नी थी, बल्कि वह एक राजपूत महिला थीं.

*औरंगजेब की एक प्रेम कहानी ऐसी भी*

औरंगजेब की एक प्रेम कहानी ऐसी भी है, जिसमें वह एक दासी को देखते ही बेहोश हो गया था. औरंगजेब को दक्कन का गवर्नर बनाया गया था. इसके लिए वह औरंगाबाद जा रहा था. रास्ते में उसकी मौसी सुहेला बानो का घर बुरहानपुर में पड़ता था. उसके मौसा मीर खलील खान-ए-जमान थे. उनसे मिलने के लिए औरंगजेब बुरहानपुर में रुक गया था. वहीं पर औरंगजेब ने अपनी मौसी की एक दासी को देखा तो देखता ही रह गया और बेहोश हो गया.

उस दासी का नाम हीराबाई उर्फ जैनाबादी बताया जाता है. कहा जाता है कि हीराबाई को औरंगजेब ने अपनी मौसी की मिन्नत कर हासिल कर लिया था. वहीं, कुछ लोग कहते हैं कि औरंगजेब ने अपने हरम से चित्राबाई को देकर हीराबाई को लिया था. हीरा बाई की मौत का साल 1654 बताया जाता है और संभावना जताई जाती है कि उसे ही नवाब बाई कहा जाता था.

*तानाशाही का नहीं मिलता कहीं उल्लेख*

जहां तक मुगल काल में बेगमों के सत्ता-शासन में हस्तक्षेप की बात है तो जहांगीर के शासनकाल में नूरजहां और शाहजहां के शासनकाल में मुमताज महल का काफी दखल था. अब बादशाह की पत्नी होने पर जाहिर है कि कम से कम महल के भीतर तो औरंगजेब की बेगमों का भी दखल रहा ही होगा पर इनकी तानाशाही को लेकर किसी तरह का कोई जिक्र नहीं मिलता है. इसी कारण तो उदैपुरी अपने बेटे कामबख्श की गलतियों को क्रूर माने जाने वाले औरंगजेब से बख्शवा लेती थी.




आईए जानते हैं किसान का बेटा अंतरिक्ष पर जाने वाला दुनिया का पहला इंसान कैसे बना?
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डेस्क:–अंतरिक्ष जाने वाले दुनिया के पहले इंसान यूरी गागरिन के पिता एक डेयरी किसान के रूप में काम करते थे. वह स्कूल में पहले साल पढ़ने गए तो दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया और जर्मन सैनिकों ने उनके स्कूल को जला दिया था. गांव पर जर्मन सैनिकों ने कब्जा कर लिया. इससे यूरी और उनके परिवार को खूब यातना सहनी पड़ी.

आज भले ही अंतरिक्ष पर्यटन तक का सपना साकार हो रहा है पर हमेशा से ऐसा नहीं था. कठोर प्रशिक्षण, परीक्षा के अलावा भाग्य साथ दे तो ही अंतरिक्ष की उड़ान भरी जा सकती थी. ऐसे में भला पहले अंतरिक्ष यात्री की उड़ान कितनी कठिन रही होगी, वह भी तब जब एक डेयरी किसान के घर जन्म लेकर यूरी गागरिन इस मुकाम तक पहुंचे थे. नौ मार्च को रूस में जन्मा किसान का यह बेटा अंतरिक्ष जाने वाला दुनिया का पहला इंसान कैसे बना, आइए जान लेते हैं.

यूरी गागरिन के अंतरिक्ष यात्री बनने की कहानी उनके संघर्ष और जुनून को बयां करती है. 9 मार्च 1934 को तत्कालीन सोवियत संघ (यूएसएसआर) में यूरी एलेक्सेयेविच गागरिन का जन्म हुआ था. स्मोलेनेस्क ओब्लास्ट के क्लूशिनो गांव निवासी अपने माता-पिता की चार संतानों में वह तीसरे थे. उनके पिता एक डेयरी किसान के रूप में काम करते थे. वह स्कूल में पहले साल पढ़ने गए तो दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया और जर्मन सैनिकों ने उनके स्कूल को जला दिया था. गांव पर जर्मन सैनिकों ने कब्जा कर लिया. इससे यूरी और उनके परिवार को खूब यातना सहनी पड़ी. बताया जाता है कि जब उनका गांव फिर से रूस के अधिकार में आया तब उनको काफी समय अस्पताल में रहना पड़ा.

यह साल 1946 की बात है, यूरी का परिवार ग्जात्स्क चला गया, जहां उनकी आगे की पढ़ाई हुई. स्कूल में यूरी को गणित और विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षक विमान के पायलट रह चुके थे. उनके चलते यूरी की रुचि हवाई जहाजों में जगने लगी. उसी बीच उनके गांव में एक फाइटर प्लेन क्रैश हो गया, तो उनकी उत्सुकता और भी बढ़ गई. इसी रुचि के चलते यूरी अपने स्कूल के समूह में शामिल किए गए, जिसने हवाई जहाज के मॉडल बनाए थे.

*इस तरह से यूरी बने पायलट*

यूरी केवल 16 साल के थे, तभी उनको मॉस्को के पास स्थित ल्यूबर्तस्ते के स्टील प्लांट में फाउंड्रीमैन के रूप में अप्रेन्टिस मिल गई. इसके साथ ही उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई भी जारी रखी. इसी दौरान उन्होंने सोवियत एयर कैडेट के रूप में एक स्थानीय फ्लाइंग क्लब से प्रशिक्षण भी लिया. इस प्रशिक्षण के दौरान यूरी ने बाइपोलर और योकवलोव याव-18 को उड़ाना सीख लिया था. साल 1955 में यूरी गागरिन ने ओरेनबर्ग स्थित चेकालोवस्की हायर एयरफोर्स पायलट स्कूल में दाखिला ले लिया. इसके अगले ही साल मिग-15 उड़ाने के लिए प्रशिक्षण में शामिल हुए. इस दौरान उनको दो बार नाकाम होने पर प्रशिक्षण से बाहर भी होने का डर सताने लगा. हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और प्रशिक्षकों की मदद से अंतत: उन्हें सफलता मिल ही गई और 1957 में उन्होंने अकेले विमान में उड़ान भरना शुरू कर दिया.

*अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए चुने गए*

मिग-15 की सफल उड़ान के बाद साल 1957 में ही यूरी को सोवियत संघ की एयरफोर्स में लेफ्टिनेंट का पद मिल गया. उन्होंने 166 घंटे, 47 मिनट तक उड़ान का अनुभव भी हासिल कर लिया. इसके बाद उनको नार्वे की सीमा के पास तैनाती मिली. इसके दो साल बाद ही रूस के लूना-3 की उड़ान को सफलता मिली तो यूपी की रुचि अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों में जगने लगी. यह देखकर उनको सोवियत स्पेस प्रोग्राम के लिए चुन लिया गया. साल 1959 में गागरिन को सीनियर लेफ्टिनेंट बना दिया गया. चिकित्सा और अन्य कठिन परीक्षणों के बाद उनको वास्तोक प्रोग्राम के लिए चुना गया. इसके लिए यूरी उम्र, वजन और ऊंचाई जैसे कई मानदंडों पर एकदम खरे उतरे थे. उनके समेत कुल 29 पायलट चुने गए थे, जबकि कुल 154 पायलट इसकी दौड़ में शामिल थे. फिर शीर्ष 20 पायलटों का चुनाव हुए, जिनमें यूपी गागरिन भी शामिल थे. इन सभी पायलटों को एक ओलंपिक खिलाड़ी की तरह कठोर प्रशिक्षण दिया गया.

*साल 1961 में भरी थी सफलता की ऊंची उड़ान*


सभी प्रशिक्षण और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद 12 अप्रैल 1961 को यूपी गागरिन ने अंतरिक्ष की उड़ान भरी और ऐसा करने वाले दुनिया के पहले इंसान बन गए. उन्होंने कजाख्स्तान के बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से वास्तोक-1 अंतरिक्ष यान के जरिए सफलता की ऊंची उड़ान भरी थी. पहले पांच चरण के इंजनों ने उनके यान को दूसरे चरण में पहुंचाया था. फिर कोर इंजन ने यूरी के यान को उपकक्षीय प्रक्षेपण पथ पर पहुंचा दिया. इसके बाद के अगले उच्च चरण में यान अपनी कक्षा में पहुंच गया और 108 मिनट तक अंतरिक्ष में रह कर चक्कर काटने के बाद वापस आ गया. इस तरह से यूरी गागरिन अंतरिक्ष से पृथ्वी का चक्कर लगाने वाले पहले इंसान बन गए.