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दिल्ली की महिलाओं का इंतजार खत्म, 2500 रुपये वाली योजना को कैबिनेट की मंजूरी
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#mahila_samriddhi_yojana_rs_2500_monthly_for_women 

महिला दिवस के मौके पर दिल्‍ली की महिलाओं को बड़ी सौगात मिली है। दिल्ली में महिला समृद्धि योजना लागू हो गई है। इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये मिलेंगे। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह योजना लागू किए जाने का ऐलान किया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बीजेपी ने दिल्ली जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, सीएम रेखा गुप्ता और दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा मौजूद रहे। इस दौरान महिला समृद्धि योजना को लेकर घोषणा की गई।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, पीएम मोदी ने कहा कि हम महिला समृद्धि योजना लाएंगे। हम दिल्ली में महिलाओं को 2500 रुपये देने का वादा पूरा करने का ऐलान करते हैं। पीएम मोदी ने 5100 करोड़ रुपये का प्रबंधन किया है। ताकि महिला समृद्धि योजना का वादा पूरा किया जा सके। महिला समृद्धि योजना तुरंत लागू होगी। इसका फैसला कैबिनेट ने कर दिया है।

दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने इस दौरान उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता से किए वो हर वादे पूरे करेंगे। पीएम मोदी जो कहते हैं वो करके दिखाते हैं। इतना बड़ा फैसला बीजेपी ही कर सकती है। उन्होंने कहा कि केवल बीजेपी में ही महिलाओं का सम्मान है। आम आदमी पार्टी ने महिला सांसद का अपमान किया।

दिल्ली में इस योजना का लाभ प्रत्येक परिवार से एक महिला को मिलेगा। अप्रैल से पात्र महिलाओं को यह सहायता राशि मिलनी शुरू हो सकती है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा तैयार प्रस्ताव के अनुसार दिल्ली में करीब 17-18 लाख महिलाओं को इस योजना का लाभ मिलेगा। योजना को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है। 

महिला समृद्धि योजना के लाभार्थी की न्यूनतम उम्र 21 साल और अधिकतम सालाना इनकम 2.50 लाख रुपये होनी चाहिए। इसके साथ ही जिन महिलाओं को विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन, सरकारी पेंशन जैसी योजनाओं का लाभ पहले से मिल रहा है। उन्हें इस योजना में शामिल नहीं किया गया है। महिला समृद्धि योजना के लिए रजिस्ट्रेशन के लिए दिल्ली का वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता, आय प्रमाण पत्र, आधार और बैंक खाते से मोबाइल नंबर लिंक होना जरूरी है। सरकार ने महिला समृद्धि योजना के तहत रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी लॉन्च करने की योजना बनाई है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली में महिला समृद्धि योजना का लाभ गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को दिया जाएगा। इसके लिए उनके पास बीपीएल कार्ड होना अनिवार्य है।

अपने ही लोगों पर भड़के राहुल गांधी, बोले- कांग्रेस में नेताओं की कमी नहीं, बब्बर शेर लेकिन चेन से बंधे
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#rahulgandhigetangryatcongressleaders

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इन दिनों गर्त में गिरती जा रही है। लगातार चुनावों में हार का सामना कर रही कांग्रेस ने अपना जनाधार खो दिया है। पार्टी के गिरते परफॉर्मेंस के बीच राहुल गांधी गुजरात में हैं। गुजरात में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं, इससे पहले राहुल गांधी ने राज्य पर अपना फोकस लगाया है। राहुल दो दिन के गुजरात दौरे पर हैं। आज दूसरा दिन है। राहुल गांधी ने आज अहमदाबाद में पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारियों लगे पार्टी पदाधिकारियों को संबोधित किया। राहुल ने कई चौंकाने वाली टिप्पणियां कीं और अपनी ही पार्टी को आईना दिखाया।

कांग्रेस के आधे नेता बीजेपी से मिले-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने अहमदाबाद के जेड हॉल में प्रदेश के करीब 2 हजार कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान तेवर दिखाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि गुजरात में कांग्रेस की लीडरशीप में दो तरह के लोग हैं। उनमें बंटवारा है। एक हैं जो जनता के साथ खड़े हैं उनके लिए लड़ते हैं, उनकी इज्जत करते हैं जिनके दिल में कांग्रेस की विचारधारा है। दूसरे हैं, जो जनता से कटा हुआ है दूर बैठता है और उसमें से आधे बीजेपी से मिले हैं।राहुल ने आगे कहा, मेरी जिम्मेदारी है कि जो ये दो ग्रुप हैं इनको छांटना है।

कांग्रेस पार्टी बारात के घोड़े को रेस में डाल देती है-राहुल गांधी

कांग्रेस में नेताओं की कमी नहीं है। बब्बर शेर हैं लेकिन पीछे से चेन लगी हुई है तो वे चेन से बंधे हैं। राहुर लांधी ने आगे कहा कि एक मेरी बैठक हो रही थी, जिसमें एक कार्यकर्ता ने कहा कि दो तरीके के घोड़े होते हैं, एक होता है रेस का और दूसरा होता है बारात का। कांग्रेस पार्टी बारात के घोड़े को रेस में डाल देती है और रेस के घोड़े को बारात में डाल देती है। अब गुजरात की जनता भी ये देख रही है कि रेस में बारात के घोड़े डाले हुए हैं।

लोगों को निकालना पड़े तो निकाल देना चाहिए-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि पहला काम हमें ये करना है कि हमें पार्टी के भीतर जो गुटबाजी है, उसे अलग करना है और इसके लिए 20-30 लोगों को निकालना पड़े तो निकाल देना चाहिए। राहुल गांधी ने आगे कहा कि दिल में कांग्रेस होनी चाहिए। हाथ कटे तो खून कांग्रेस का निकलना चाहिए। मुझे गुजरात के चुनाव के बारे में बात नहीं करनी है। कांग्रेस पार्टी की विचारधारा गुजरात की विचार धारा हैं, जो गांधी ने सिखाया पटेल ने सिखाया है। नेताओं को जनता से जुड़ने की जरूरत है। हमने भारत जोड़ो यात्रा में ये कर दिखाया है। हमारे नेताओं को जनता के पास जाने की जरूरत है।

पाक के बाद चीन के करीब हो रहा बांग्लादेश, भारत के बिगड़ते संबंधों के बीच मोहम्मद यूनुस का चीन दौरा
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#muhammad_yunus_china_relations_visit

शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश के दोस्तो की फेहरिस्त बदल रही है। कभी शेख हसीना के लिए भारत सबसे करीबी दोस्त हुआ करता था। मोहम्मद यूनुस के मुख्य सलाहकार बनते ही यही भारत बांग्लादेश की आंखों को खटकने लगा है। मोहम्मद यूनुस पाकिस्तान से गलबहियां करने के बाद अब ढाका को बीजिंग के करीब ले जाने में जुट गए हैं। इसी क्रम में मोहम्मद यूनुस चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। मुहम्मद यूनुस द्विपक्षीय बैठक के लिए 26 मार्च को चीन का दौरा करेंगे। यूनुस 26 से 29 मार्च तक चीन के दौरो पर रहेंगे।

नोबेल पुरस्कार विजेता, जिन्होंने शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश के अंतरिम नेता के रूप में पदभार संभाला था।7 अगस्त, 2024 को पदभार संभालने के बाद यूनुस की यह पहली चीन यात्रा होगी। रिपोर्ट के अनुसार, 28 मार्च को बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं। यूनुस सबसे पहले 25 मार्च को हैनान प्रांत में बोआओ फोरम फॉर एशिया (बीएफए) सम्मेलन में भाग लेंगे। बीएफए के महासचिव झांग जून ने मुख्य सलाहकार को चीन में सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। बाद में, चीनी अधिकारियों ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बीजिंग में यूनुस की मेजबानी करने का प्रस्ताव रखा।

रविवार को द डेली स्टार को ढाका में एक राजनयिक सूत्र ने बताया, हम मुख्य सलाहकार के दौरे की तैयारी कर रहे हैं और सहयोग के संभावित क्षेत्रों की तलाश में हैं, जिसमें द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर की संभावना भी शामिल हैष बीएफए सम्मेलन, जिसे अक्सर ‘एशियन दावोस’ कहा जाता है, चीन के दक्षिणी हैनान प्रांत के बोआओ में होता है। प्रोफेसर यूनुस को बीएफए के महासचिव झांग जुन से निमंत्रण मिला है और वह 26 मार्च की शाम को चीनी अधिकारियों की ओर से आयोजित विशेष उड़ान से हैनान जाएंगे। विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, पिछले सप्ताह, ढाका में चीनी दूतावास ने विदेश मंत्रालय को पुष्टि की कि राष्ट्रपति शी के साथ बैठक निर्धारित है। इसके बाद, मुख्य सलाहकार ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की।

नई दिल्ली चीन और पाकिस्तान के साथ ढाका के बढ़ते संबंधों पर कड़ी नज़र रख रही है। हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद, बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते खराब हो गए हैं।अभी दो दिन पहले, भारत ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र में आरोप लगाया था कि बांग्लादेश पर संयुक्त राष्ट्र की तथ्य-खोजी रिपोर्ट ने “अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ बदले की हिंसा” की अवधारणा को “मुख्यधारा में ला दिया है।”

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार बांग्लादेश को तेजी से चीन के करीब ले जा रही है। इसके पहले यूनुस सरकार ने तीस्ता नदी के प्रबंधन के लिए चीन की तरफ हाथ बढ़ाया था। इसके लिए चीन की सरकारी कंपनी को इस साल दिसम्बर तक कॉन्सेप्ट नोट और 2026 के आखिर तक रिसर्च तैयार करने को कहा गया है। यह वही प्रोजेक्ट है, जिसे पूर्व पीएम शेख हसीना की सरकार भारत के साथ आगे बढ़ाना चाहती थी। अब 1 अरब डॉलर की इस परियोजना को लेकर यूनुस सरकार चीन के साथ आगे बढ़ी है।

विज्ञान ने भी माना भगवान की मौजूद, हार्वर्ड के वैज्ञानिक ने फॉर्मूले से किया साबित
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#harvard_scientist_claims_mathematical_formula_proves_gods_existence

पूरा ब्रह्मांड एक व्यवस्थित तरीके से चलता है। दिन ढलते हैं, राते होती है। समय-समय पर मौसम करवट लेते हैं। अक्सर मन में ये सवाल उठते हैं, ये सब कैसे मुमकिन होता है। हम इंसानों में अधिकांश इसे ईश्वर का शक्ति मानते हैं। बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग हैं जो “भगवान” की मौजूदगी को नहीं मानते। उनके अनुसार सब विज्ञान है। हालांकि, वैज्ञानिकों के लिए भी यह हमेशा जिज्ञासा का विषय रहा है कि कि क्या हमारे ब्रम्हांड में भगवान जैसी कोई चीज है भी या नहीं। हार्वर्ड खगोल भौतिक विज्ञानी और एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ. विली सून ने क्रांतिकारी खुलासा किया है। सून ने दावा किया है कि एक गणितीय सूत्र भगवान के अस्तित्व का अंतिम प्रमाण हो सकता है।

विली सून ने ईश्वर के अस्तित्व को साबित करने के लिए एक नया मैथमेटिकल फॉर्म्युला पेश किया है, जो विज्ञान और आध्यात्मिकता को जोड़ने की कोशिश करता है। उन्होंने 'फाइन ट्यूनिंग आर्गुमेंट' पर जोर दिया है और कहा है कि ब्रह्मांड के नियम इतने सटीक और व्यवस्थित हैं, तभी यहां जीवन संभव हो पाया। गुरुत्वाकर्षण की शक्ति से लेकर पदार्थ और ऊर्जा के सटीक अनुपात तक, ब्रह्मांड जीवन का समर्थन करने के लिए सटीक रूप से ट्यून किया गया लगता है।

डॉक्टर विली सून हाल ही में 'टकर कार्ल्सन नेटवर्क' पॉडकास्ट पर दिखाई दिए। इस दौरान उन्होंने कुछ फॉर्मूले पेश किए और सुझाव दिया कि ब्रह्मांड का रहस्य मात्र तारों में ही नहीं, लेकिन गणित के कुछ बुनियादों में भी लिखे हो सकते हैं। अपनी थ्योरी में उन्होंने 'फाइन ट्यूनिंग आर्ग्यूमेंट' को मुख्य केंद्र बनाया है, जो सुझाव देता है कि ब्रम्हांड के फिजिकल लॉ सटीक रूप से जीवन को समर्थन देने के लिए संतुलित किए गए हैं। यह संयोग तो नहीं हो सकता है।

प्रसिद्ध खगोल भौतिकीविद् और एयरोस्पेस इंजिनियर डॉ. सून ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक पॉल डिराक के कार्यों का हवाला दिया, जिन्होंने एक गणितीय समीकरण के जरिए प्रतिपदार्थ (एंटीमैटर) के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी, जिसने भी वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया था। इसी तरह डॉ. सून का भी मानना है कि कुछ गणितीय समीकरण भले ही पहले समझ से बाहर लगें, लेकिन वे ब्रह्मांड की गहरी सचाई को प्रकट कर सकते हैं।

कैंब्रिज के गणितज्ञ पॉल डिराक की ओर से प्रस्तावित किया गया था कि कैसे कुछ कॉस्मिक एलाइन बिल्कुल अद्भुत सटीकता के साथ एक-दूसरे से मेल खाते हैं। इस घटना ने वैज्ञानिकों को चौंकाया। डिराक ने अनुमान लगाया है कि यूनिवर्स के फिजिकल लॉ के परफेक्ट बैलेंस को गणित के थ्योरी में महान सुंदरता और शक्ति के संदर्भ में परिभाषित किया जा सकता है। इसे समझने के लिए व्यक्ति को हाई इंटेलिजेंस की आवश्यकता पड़ेगी।

ललित मोदी ने भारतीय पासपोर्ट जमा करने के लिए दिया आवेदन, भगोड़े की भारत वापसी मुश्किल
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#lalit_modi_applied_to_surrender_indian_passport

पूर्व उद्योगपति और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी की भारत वापसी अब बेहद मुश्किल हो गई है। ललित मोदी ने अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए आवेदन किया है। दरअसल, ललित मोदी ने प्रशांत महासागर में मौजूद एक टापू देश वनुआतु की नागरिकता हासिल कर ली है।इसका मतलब है कि ललित मोदी को स्वदेश लाना अब और मुश्किल हो गया है। इसको लेकर विदेश मंत्रालय का भी रिएक्शन सामने आया है।

रणधीर जायसवाल ने बताया कि, ललित मोदी ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में अपना पासपोर्ट छोड़ने के लिए आवेदन किया है। इस आवेदन को नियमों और प्रक्रियाओं के तहत जांचा जाएगा। हमें यह भी पता लगा है कि उन्होंने वानुअतु की नागरिकता प्राप्त कर ली है। कानून के तहत हम उनके ख़िलाफ़ मामला आगे भी जारी रखेंगे।

ललित मोदी के वकील महमूद आब्दी ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने दक्षिण प्रशांत द्वीप राष्ट्र वानुअतु की नागरिकता ली है। महमूद आब्दी ने दावा किया कि किसी भी भारतीय एजेंसी ने भारत की किसी भी कोर्ट में ललित मोदी के खिलाफ शिकायत या चार्जशीट दायर नहीं की है। उन्होंने कहा कि भारत की किसी भी कोर्ट ने ललित मोदी के ख़िलाफ आरोप भी तय नहीं किए हैं।

ललित मोदी पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के उपाध्यक्ष पद पर रहते हुए बिडिंग में गड़बड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगा था। ललित मोदी ने सिर्फ एक बार मुंबई में आयकर और ईडी के अधिकारियों के साथ पूछताछ में हिस्सा लिया था। मई 2010 में वह देश छोड़कर यूके भाग गए थे।

कैबिनेट मीटिंग में ट्रंप के सामने भिड़े दो मंत्री, मस्क-रुबियो में जमकर हुई तकरार
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद कई सख्त फैसले लिए जा रहे हैं। इनमें से कई फैसलों का अमेरिका में विरोध भी हो रहा है। ट्रंप प्रशासन का एक ऐसा ही फैसला स्टाफ कटौती का है। जिसकी आलोचना अमेरिकी राजकर्मियों के संगठन के साथ-साथ अन्य लोग भी कर चुके। अब इसी फैसले के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में विदेश मंत्री मार्को रुबियो और सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) के प्रमुख एलन मस्क के बीच नोकझोंक की खबर सामने आ रही है।

व्हाइट हाउस में हुई कैबिनेट बैठक में उस समय तनावपूर्ण माहौल बन गया जब ट्रंप के दो मंत्री आपस में एक बात को लेकर भिड़ गए। डीओजीई विभाग के प्रमुख एलन मस्क और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच तीखी बहस हो गई। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह विवाद स्टेट डिपार्टमेंट में की गई स्टाफ कटौती को लेकर हुआ। खास बात है कि इस बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही कर रहे थे।

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, तनाव कई हफ़्तों से चल रहा था, मगर कैबिनेट की बैठक में यह फूट पड़ा। रुबियो और मस्क के आक्रामक लागत-कटौती उपायों से लंबे समय से निराश थे। तभी बैठक के दौरान जब मस्क ने उन पर अपने विभाग का आकार कम करने में विफल रहने का आरोप लगाया, तो उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

बैठक के दौरान मस्क ने कहा, आपने किसी को भी नहीं निकाला है। आपका विदेश विभाग अभी भी फूला हुआ है। मस्क के तीखे सवाल को सुनते ही रुबियो भड़क उठे। उन्होंने जवाब दिया कि मस्क को 1,500 विदेश विभाग के अधिकारियों की याद दिला दी जिन्होंने बायआउट किया था। मगर मस्क प्रभावित नहीं हुए। दोनों के बीच जैसे ही बहस बढ़ी, ट्रंप, जो पहले हाथ पर हाथ धरे देख रहे थे, आखिरकार उनको हस्तक्षेप करना पड़ा।

दरअसल, हाल के दिनों में अमेरिका में बड़े पैमाने पर सरकारी एजेंसियों में कर्मचारियों की छटनी की गई है। ट्रंप और उनके सलाहकार ने हजारों लोगों को नौकरी से निकाल दिया है. ऐसा अमेरिकी नौकरशाही में कटौती के अभियान के तहत हुआ है। अलग-अलग विभागों के कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है। सत्ता में आने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक कड़े और बड़े फैसले ले रहे हैं। नौकरी में कटौती को लेकर ट्रंप का कहना है कि फेडरल गवर्नमेंट में बहुत से स्टाफ हैं। उन्होंने हाल में कहा था कि सरकार पर 36 लाख करोड़ डॉलर का कर्ज है। पिछले साल करोड़ों डॉलर का घाटा हुआ था इसलिए इसमें सुधार की जरूरत है।

चीन ने जापान को धमकायाःदिलाई हिरोशिमा-नागासाकी की याद, एटम बम गिराने की दी धमकी
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#china_nuclear_threat_to_japan

दुनिया के दो युद्ध पहले से ही जारी है। इस बीच चीन की अकड़ बढ़ती ही जा रही है। ताइवान से बढ़ते तनाव के बीच चीन ने जापान को बड़ी धमकी दी है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने जापान पर एटम हमले की धमकी दी है। ही नहीं, ड्रैगन ने जापान का पुराना जख्म भी कुरेदने की कोशिश भी की है। चीनी विदेश मंत्री ने जापान को हिरोशिमा और नागासाकी की तबाही की याद दिलाई है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी टैरिफ पर बात करते हुए चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि जापान जल्द ही हिरोशिमा-नागासाकी पर हुए परमाणु हमले के 80 साल पूरे करने वाला है। हम इस पर संवेदना जाहिर कर रहे हैं। लेकिन समय रहते जापान नहीं सुधरा तो हम 'हिरोशिमा-नागासाकी' से ज्यादा दर्द दे सकते हैं।

चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि ताइवान हमारा हिस्सा है। टोक्यो के शह पर उसके लोग उड़ रहे हैं। जापान जानबूझकर चीन में अस्थिरता पैदा करना चाह रहा है।दरअसल, चीन को लगता है कि जापान ताइवान का समर्थन करके उसे कमजोर करने में लगा हुआ है।

ये पहली बार नहीं है जब चीन ने जापान को धमकी दी है।पिछले दिनों चीन ने जापान को डराने के लिए उसके सीमा में फाइटर जेट और जंगी जहाज भेज दिया, जिसके बाद जापान के अधिकारी हरकत में आ गए। जापान ने चीन पर उकसावे का आरोप लगाया।

आरएसएस में होगा NRC पर मंथन, पांच साल से मोदी सरकार की चुप्पी का क्या?
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की कर्नाटक के बेंगलुरु में बड़ी बैठक होली के बाद होने जा रही है। आरएसएस की सर्वोच्च निर्णायक संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) की वार्षिक बैठक तीन दिनों तक चलेगी। इस बैठक में आरएसएस के 100 साल के कार्य विस्तार की समीक्षा के साथ-साथ आगामी 100 सालों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों, आयोजन और अभियानों की रूपरेखा तैयार की जाएगी। यही नहीं संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आगामी राज्यों के चुनाव का फुलप्रूफ प्लान तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा मुख्य एजेंडे में एनआरसी शामिल होने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि एबीपीएस पूरे भारत में एनआरसी के लागू करने पर चर्चा कर सकती है। साथ ही, कुछ राज्यों में इसे कैसे लागू किया जाए, इस पर भी विचार-विमर्श हो सकता है।

2019 में केन्द्र की मोदी सरकार ने संसद के दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन बिल पास करवाया था। जिसके बाद पूरे देश में एनआरसी को लेकर विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद विरोध को थामने के लिए खुद प्रधानमंत्री मोदी को आगे आना पड़ा था।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 दिसंबर, 2019 को दिल्ली की एक जनसभा में कहा था कि उनकी सरकार ने सत्ता में वापसी के बाद से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर कोई चर्चा नहीं की है। तब से लेकर अब तक इस मुद्दे पर बात नहीं हुई है। हालांकि, यह मुद्दा अब राष्ट्रीय राजनीतिक चर्चा में फिर से उभरता दिख रहा है।

संघ के एक पदाधिकारी ने कहा, 'घुसपैठ के कारण देश के कई राज्यों की जनसांख्यिकी बदल गई है। झारखंड में मुसलमानों की तुलना में ईसाई आबादी भी घट रही है। बांग्लादेश से आने वाले लोगों के कारण अरुणाचल प्रदेश जैसे रणनीतिक रूप से संवेदनशील राज्यों की जनसांख्यिकी भी तेजी से बदल रही है। हम सभी जानते हैं कि असम और पश्चिम बंगाल में क्या हुआ है। गैरकानूनी अप्रवासियों की पहचान करना और उन्हें वापस भेजना केंद्र सरकार का कर्तव्य है।'संघ पदाधिकारी के अनुसार, एबीपीएस इस बात पर चर्चा करेगा कि एनआरसी को कैसे लागू किया जाए ताकि किसी भी 'भारतीय नागरिक' को खतरा महसूस न हो।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शिखर सम्मेलन आरएसएस की सबसे महत्वपूर्ण बैठक है। इसमें सरसंघचालक मोहन भागवत और दूसरे नंबर के नेता दत्तात्रेय होसबले समेत सभी शीर्ष नेता उपस्थित रहेंगे। साथ ही, भाजपा अध्यक्ष और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी बैठक में शामिल हो सकते हैं। चर्चा किए गए मुद्दे और लिए गए फैसले न केवल अगले वर्ष के लिए संघ को दिशा देते हैं बल्कि सरकार को यह भी संकेत देते हैं कि वह नीतिगत स्तर पर क्या लागू करना चाहता है।

भाजपा समेत ये संगठन होंगे शामिल

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में संघ के 45 प्रांत के साथ-साथ सभी क्षेत्र के क्षेत्र प्रमुख, प्रांत प्रमुख मौजूद रहते हैं। इसके अतिरिक्त संघ के सभी 32 सहयोगी संगठनों के पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे, जिसमें विश्व हिंदू परिषद, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्र सेविका समिति, जैसे सभी संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। प्रतिवर्ष ये बैठक मार्च में होती है और हर 3 साल बाद यह बैठक चुनावी वर्ष के रूप में मानी जाती है। हर तीसरे वर्ष नागपुर में बैठक संपन्न होती है। पिछले वर्ष यह बैठक नागपुर में हुई थी और इस वर्ष यह बैठक बेंगलुरु में हो रही है।

बिहार-बंगाल चुनाव पर होगी चर्चा

इस बैठक से पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बिहार दौरा काफी अहम माना जा रहा है। आरएसएस के विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बैठक में बिहार चुनाव के संबंध में भी चर्चा होगी। बिहार चुनाव से संबंधित सभी सहयोगी संगठनों को कार्य करने का दिशा निर्देश भी तय किया जाएगा। बिहार प्रवास से पहले आरएसएस के सरसंचालक मोहन भागवत पूर्वी भारत के प्रवास पर थे। 10 दिन का बंगाल प्रवास, 5 दिन का असम प्रवास, चार दिन का अरुणाचल का प्रवास, अब बिहार का प्रवास। 2026 के मार्च-अप्रैल के महीने में बंगाल का भी चुनाव होने की संभावना है। उस संबंध में भी इस बैठक में चर्चा होने की पूरी संभावना बताई जा रही है।

क्या बदल गया दिल्ली के तुगलक लेन का नाम? भाजपा सांसदों ने लिखवाया स्वामी विवेकानंद मार्ग
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उत्तर प्रदेश से बीजेपी सांसद और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने राजधानी दिल्ली में अपने आवास का पता बदल दिया है। शर्मा के अलावा केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने भी अपने आवास का नेमप्लेट बदल दिया है। दरअसल, इन दोनों नेताओं का सरकारी आवास तुगलक लेन पर स्थित है। लेकिन अब दोनों नेताओं ने तुगलक लेन की जगह अब नेम प्लेट पर स्वामी विवेकानंद मार्ग लिखवा दिया है।

दरअसल, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री कृष्‍णपाल सिंह गुर्जर और भाजपा सांसद दिनेश शर्मा को तुगलक लेन में नया सरकारी आवास आवंटित हुआ है। इसके साथ ही दोनों नेताओं के नए सरकारी आवास में सड़क का नाम बदलकर लिखा गया है। दोनों नेताओं के घर के बाहर लगी नेम प्लेट में तुगलक लेन की बजाय विवेकानंद मार्ग पते के रूप में लिखा गया है। दोनों नेताओं के घर के बाहर शुक्रवार को नई नेमप्लेट लगाई गई।

केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने नेमप्लेट पर तुगलक लेन के बजाय विवेकानंद मार्ग लिखने की वजह भी बताई है। उन्होंने कहा, 'स्वामी विवेकानंद इस देश के युवाओं के लिए एक आदर्श हैं। देश के लोगों की उनके नाम के साथ भावनाएं जुड़ी हुई हैं, हमें ऐसे महापुरुष के नाम पर आस्था है, हमें स्वामी विवेकानंद और उनके आदर्शों में आस्था है। इसीलिए हमने वो नाम लिखवाया है। ये आधिकारिक तौर पर नहीं किया गया है, लेकिन देश के लोगों की स्वामी विवेकानंद में आस्था है, हम उन्हें आदर्श मानते हैं। मुझे इसे बदलने का न अधिकार था न है। न मैंने किया है। ये देश कानून, नियम और प्रक्रियाओं का पालन करने वाला देश है। ये हमारी आस्था है इसलिए हमने यह लिखा और इसके साथ ही हमने आधिकारिक नाम भी लिखवाया है... ये राजनीति नहीं है, ये हमारी आस्था है।'

वहीं, भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ले ने कहा “यह सामान्य प्रक्रिया है कि जब कोई किसी घर में जाता है तो नाम पट्टिका लगा दी जाती है। मैं वहां नहीं गया था, मैंने नहीं देखा था, जब मुझसे उससे संबंधित लोगों ने पूछा कि किस तरह की नाम पट्टिका होनी चाहिए तो मैंने कहा कि आसपास के हिसाब से होनी चाहिए। आस-पास के घरों पर विवेकानंद मार्ग लिखा था और नीचे तुगलक लेन लिखा था, दोनों एक साथ लिखे थे। दिनेश शर्मा ने ये भी कहा, गूगल पर वह स्थान विवेकानंद रोड आता है, ऐसा इसलिए लिखा है ताकि लोगों को विवेकानंद रोड और तुगलक लेन में भ्रम न हो।

बीते दिनों दिल्ली के विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा विधायकों ने प्रस्ताव रखा था कि नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ कर दिया जाए। इसके अलावा मोहम्मदपुर गांव का नाम माधवपुरम किया जाए और मुस्तफाबाद का नाम बदलकर शिवपुरी कर दिया जाए। दिल्ली विधानसभा में उठाई गई इस मांग के इस बीच लुटियन दिल्ली में केंद्रीय मंत्री और सांसद ने खुद ही अपने नेम प्लेट में नया नाम लिख दिया। हालांकि तुगलक लेन नाम भी हटाया नहीं गया है।

हमारे पीएम सिर्फ तारीफ सुनना चाहते हैं, उन्हें टैरिफ की चिंता नहीं', कांग्रेस नेता जयराम रमेश का हमला
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#jairam_ramesh_targeted_pm_modi

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। ट्रंप की इस घोषणा से भारत पर होने वाले प्रभावों की चर्चा हो रही है। अमेरिका की तरफ से लगाया जाने वाला रेसिप्रोकल टैरिफ भारत के लिए भी काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। भारत के कई उद्योगों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। इस बीच कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी केवल अपनी तारीफ सुनना चाहते हैं। उन्हें टैरिफ की कोई परवाह नहीं है।

पीटीआई से बात करते हुए रमेश ने कहा कि अमेरिका की धमकी पर अब पीएम मोदी 56 इंच का सीना क्यों नहीं दिखा रहे हैं? कांग्रेस नेता का कहना था कि ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा और अमेरिका की ‘धमकी’ का जवाब देने के लिए भारत को दलगत भावना से ऊपर उठकर सामूहिक संकल्प दिखाने की जरूरत है।

रमेश ने कहा, इंदिरा गांधी जी (पूर्व प्रधानमंत्री) ने उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को क्या कहा था? याद करिये! चार नवंबर, 1971 को जब निक्सन और हेनरी किसिंजर (निक्सन के समय अमेरिका के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) ने भारत को बदनाम करने का प्रयास किया तो इंदिरा जी खड़ीं होकर बोलीं कि भारतीय हित में मुझे जो कुछ करना है, वो करूंगी, लेकिन आज हमारे प्रधानमंत्री तो नमस्ते ट्रंप और गले लगाने में लगे हुए हैं।

यह पूछे जाने पर कि ‘टैरिफ’ के मुद्दे पर बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान क्या कांग्रेस प्रधानमंत्री से संसद में जवाब मांगेगी, रमेश ने कहा, 'प्रधानमंत्री तो जवाब नहीं देते, विदेश मंत्री को भेजते हैं। विदेश मंत्री तो अमेरिका के प्रवक्ता और अमेरिका के राजदूत के रूप में बात करते हैं।

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बृहस्पतिवार को फिर दोहराया कि अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क लगाने वाले देशों पर जवाबी शुल्क दो अप्रैल से लागू होंगे। ट्रंप ने कहा, सबसे बड़ी बात दो अप्रैल को होगी जब जवाबी शुल्क लागू होंगे, फिर चाहे वह भारत हो या चीन या कोई भी देश।