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परिसीमन के लिए नए फॉर्मूले की जरूरत, जानें कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का सुझाव
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देश में इस वक्त परिसीमन का मामला गरमाया हुआ है। दक्षिण भारत के राज्य परिसीमन को लेकर खासी नाराजगी जता रहे हैं। इसकी वजह यह है कि नए परिसीमन के तहत दक्षिण भारत की लोकसभा सीटों में कमी हो सकती है। यही, वजह है कि राजनीतिक दलों और नेताओं में नाराजगी बढ़ गई है। इस बीच कांग्रेस नेता मनीष तिवारी परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला तैयार करने का सुझाव दिया है।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने गुरुवार को कहा कि अगर परिसीमन प्रक्रिया ‘एक वोट, एक मूल्य’ के सिद्धांत पर होती है तो सिर्फ मध्य भारत के राज्यों को ही इसका फायदा होगा, जबकि वे जनसंख्या कंट्रोल के मामले में पिछड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला तैयार करने की जरूरत है।

मनीष तिवारी ने इसको लेकर सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर एक पोस्ट डाला। उन्होंने कहा, 'अगर परिसीमन ‘एक वोट, एक मूल्य’ के मौजूदा सिद्धांत पर किया जाता है, तो दक्षिणी और उत्तरी राज्यों में लोकसभा सीट तुलनात्मक रूप से हो जाएंगी और केवल मध्य भारत के राज्यों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए परिसीमन के बाद पंजाब और हरियाणा दोनों की लोकसभा सीट की संख्या 18 होगी, जबकि वर्तमान में, पंजाब में 13 और हरियाणा में 10 सीट हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला तैयार करने की जरूरत है।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि हमारी सीमा पाकिस्तान और चीन दोनों से लगती है. ऐसी परिस्थितियों में, इस परिसीमन को करने के लिए एक नया तरीका खोजना होगा। इसलिए, भारतीय संघ बनाने वाले राज्यों की आकांक्षाएं और अपेक्षाएं नए सदन की संरचना में उचित रूप से परिलक्षित हों। नहीं तो सभी की संख्याएं स्थिर होनी चाहिए। यदि मौजूदा सिद्धांतों का पालन किया जाता है, तो केवल उन्हीं राज्यों को पुरस्कृत किया जाएगा जिन्होंने बर्थ कंट्रोल या जनसंख्या कंट्रोल का अभ्यास नहीं किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, देश में साल 2026 में नया परिसीमन होना है। कहा जा रहा है कि इस परिसीमन से पूरे देश में लोकसभा सीटों का बढ़ना तय है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने चिंता जताई है कि परिसीमन से दक्षिणी राज्यों को नुकसान होगा।

पाकिस्तानी मुस्लिम हूं, मुझे वहां...', भारत प्रत्यार्पण से पहले तहव्वुर राणा का एक और दावं
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मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण किए जाने से बचने के लिए फिर नया दांव चला है। राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि उनके प्रत्यर्पण पर इमरजेंसी स्टे लगाया जाए। राणा ने भारत में टॉर्चर मिलने का दावा करते हुए कहा कि अगर उसे प्रत्यर्पित किया गया, तो वह जिंदा नहीं रहेगा। बता दें कि इस महीने व्हाइट हाउस में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के वक्त डोनाल्ड ट्रंप ने तहव्वुर राणा को भारत भेजने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि उनका प्रशासन मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत भेजने के लिए तैयार है।

समाचार एजेंसी एएनआई ने तहव्वुर राणा की याचिका के हवाले से बताया है कि उसकी याचिका में कहा गया है कि यदि प्रत्यर्पण के आदेश को रोका नहीं गया तो कोई समीक्षा नहीं होगी और अमेरिकी अदालतें अपना अधिकार क्षेत्र खो देंगी और याचिकाकर्ता (राणा) जल्द ही मर जाएगा। उसने अपनी याचिका में कहा है कि उसके मुस्लिम धर्म, पाकिस्तानी मूल, आरोपों और पाकिस्तान से उसके संबंध की वजह से उसे भारत में यातनाएं दी जाएगी, जिससे उनकी जल्दी ही मौत हो जाएगी।

आतंकवादी तहव्वुर राणा ने अपनी याचिका में अपने बिगड़ते स्वास्थ्य का भी हवाला दिया है। उसने दावा किया है कि उसे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हैं। उसके पेट में बीमारी है, जिसके फटने का खतरा है। इसके साथ ही उसने बताया है कि उसे पार्किंसंस नाम की बीमारी है, जिसकी वजह से वो चीजों को भूल जाता है। इसके अलावा उसने कहा है कि उसे कुछ ऐसे संकेत मिले हैं, कि उसके मूत्राशय में कैंसर होने का खतरा है। तहव्वुर राणा ने अपनी याचिका में आगे कहा है कि "उसे उस देश में नहीं भेजा जा सकता है, जहां उसे उसकी राष्ट्रीयता, उसके धर्म, उसकी संस्कृति और उसके मूल देश (पाकिस्तान) से दुश्मनी की वजह से उसे निशाना बनाया जाएगा।

राणा अभी कनाडा का नागरिक है, लेकिन उसकी जड़ें पाकिस्तान से जुड़ी हैं। तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। उसने आर्मी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की और पाकिस्तान आर्मी में 10 साल तक बतौर डॉक्टर काम काम किया। लेकिन बाद में उसने नौकरी छोड़ दी। भारत सरकार उसे 2008 के मुंबई हमले में शामिल होने के कारण प्रत्यर्पित करना चाहती है। राणा पर आरोप है कि उसने डेविड हेडली (जिसका असली नाम दाऊद गिलानी था) की मदद की थी। राणा हेडली के लश्कर-ए-तैयबा से संबंधों को जानता था और उसने उसे फर्जी दस्तावेज मुहैया कराए थे। इनकी मदद से हेडली भारत आया और मुंबई हमले के लिए संभावित ठिकानों की रेकी की। यह हमला पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने किया था। इस हमले में 174 लोगों की मौत हुई थी।

पूरी तरह से अस्वीकार्य': यू.के. ने जयशंकर की लंदन यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन की निंदा की
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यूनाइटेड किंगडम ने गुरुवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर की सुरक्षा उल्लंघन की निंदा की, जब खालिस्तान समर्थक एक प्रदर्शनकारी ने बुधवार शाम लंदन के चैथम हाउस में एक अवरोधक को तोड़कर मंत्री के काफिले के पास पहुंच गया।

विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) के प्रवक्ता ने कहा कि सार्वजनिक कार्यक्रमों को "डराने, धमकाने या बाधित करने" के ऐसे प्रयास "पूरी तरह से अस्वीकार्य" हैं। पीटीआई के अनुसार, एफसीडीओ के प्रवक्ता ने कहा, "हम विदेश मंत्री की यूके यात्रा के दौरान कल (बुधवार) चैथम हाउस के बाहर हुई घटना की कड़ी निंदा करते हैं।" "हालांकि यू.के. शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का समर्थन करता है, लेकिन पुलिस ने स्थिति को संभालने के लिए तेजी से कार्रवाई की, और हम अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप अपने सभी राजनयिक आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं," प्रवक्ता ने कहा।

चैथम हाउस में सुरक्षा भंग

रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स के मुख्यालय चैथम हाउस में यह घटना जयशंकर की यू.के. और आयरलैंड की लगभग एक सप्ताह लंबी यात्रा के दूसरे दिन हुई। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में चैथम हाउस के सामने सड़क के दूसरी तरफ खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों का एक छोटा समूह इकट्ठा हुआ और धातु की बाधाओं के पीछे पीले झंडों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहा था, जबकि जयशंकर इमारत के अंदर बोल रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने "खालिस्तान जिंदाबाद" जैसे नारे लगाए।

जब जयशंकर अपने कार्यक्रम के बाद इमारत से बाहर निकले और अपने वाहन में बैठने वाले थे, जो कि एक काफिले का हिस्सा था, तो एक लंबा आदमी भारतीय झंडा लेकर बाधाओं के पीछे से निकला, पुलिस की घेराबंदी को तोड़कर जयशंकर के काफिले की ओर भागा। वह पुलिस कर्मियों से भिड़ गया और भारतीय ध्वज को फाड़ने से पहले वाहन के सामने खड़ा हो गया। बाद में पुलिस उसे ले गई।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने लंदन में चैथम हाउस के बाहर सुरक्षा भंग की कड़ी निंदा की है और कहा है कि वह उम्मीद करता है कि यू.के. सरकार "अपने राजनयिक दायित्वों का पालन करेगी"। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह घटना मंत्री की सुरक्षा में सेंध लगाने के बराबर है और उन्होंने खालिस्तान समर्थक तत्वों की “भड़काऊ गतिविधियों” की निंदा की। “हमने विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान सुरक्षा में सेंध लगाने की फुटेज देखी है। हम अलगाववादियों और चरमपंथियों के इस छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों की निंदा करते हैं,” जायसवाल ने कहा। “हम ऐसे तत्वों द्वारा लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे मामलों में मेजबान सरकार अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।”

भारतीय वायुसेना होगी और ताकतवर, लड़ाकू विमानों की “फौज” बनाने की तैयारी
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#india_preparing_to_purchase_114_new_fighter_aircraft

भारत का पड़ोसी देश चीन लगातार अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी कर रहा है। चीन अपनी सेना और हथियारों को अत्याधुनिक बनाने की कोशिश में जुटा है। चीन की बढ़ती ताकत सबसे पहले भारत के लिए खतरा पैदा कर सकती है। ऐसे में भारत को भी अपनी ताकत बढ़ाने की जरूरत है। इसी क्रम में भारतीय वायुसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए 114 नए मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी में है।

रक्षा मंत्रालय की एक कमेटी ने इस जरूरत को सही ठहराया है। पुराने सोवियत विमानों के रिटायर होने और नए विमानों की कमी के चलते वायुसेना के स्क्वाड्रनों की संख्या घट रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए नए विमान जरूरी हैं। इसका बजट अरबों डॉलर का होगा और इसमें कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हिस्सा लेंगी।

भारत ने वायुसेना के 20 अरब डॉलर के मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) कार्यक्रम के तहत 114 मल्टीरोल फाइटर जेट खरीदने की भी योजना बनाई है। इस योजना के तहत विदेशी जेट विमानों को भारत में बनाने की शर्त रखी गई है, जिसमें तकनीक हस्तांतरण (ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी) की जरूरत होगी और यही इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी चुनौती है। यह प्रोजेक्ट साल 2019 से रुका हुआ है।

वायुसेना चीफ एपी सिंह ने कहा है कि नए लड़ाकू विमानों का निर्माण C-295 मॉडल पर किया जाना चाहिए। यह वही मॉडल है जिसके तहत एयरबस और टाटा मिलकर भारत में सैन्य परिवहन विमान बना रहे हैं। इसी तरह, कोई भी विदेशी कंपनी किसी भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी कर इन लड़ाकू विमानों को भारत में बनाएगी। इससे भारतीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और तकनीकी क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी।

भारत सरकार और फ्रांस सरकार के बीच राफेल विमानों की खरीद पर हुई अलोचना के बाद, अब भारतीय सरकार चाहती है कि यह डील पूरी तरह पारदर्शी और बिना किसी विवाद के हो। इस डील के लिए पांच जेट विमान दौड़ में है, जिनमें राफेल सबसे आगे है क्योंकि यह पहले से ही भारतीय वायुसेना में इस्तेमाल हो रहा है।

इस सौदे में बोइंग (F/A 18 सुपर हॉर्नेट), लॉकहीड मार्टिन (F 21), डसॉल्ट (राफेल) और साब (ग्रिपेन) जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हो सकती हैं। इसमें से बोइंग और महिंद्रा पहले ही इस प्रोजेक्ट पर चर्चा कर चुके हैं। वहीं, लॉकहीड मार्टिन टाटा के साथ मिलकर काम कर सकती है। हालांकि, इसका F-35 विमान इस दौड़ में शामिल नहीं होगा, क्योंकि भारत चाहता है कि नए विमान भारत में ही बनाए जाएं और साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी हो।

जबकि फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट ने एक प्रस्ताव भेजा है कि अगर उसे 114 विमानों का ऑर्डर मिलता है, तो वह भारत में एक सहायक कंपनी बनाएगी, जो भारतीय वायुसेना के लिए और निर्यात के लिए विमान बनाएगी। स्वीडन की कंपनी 'साब' पहले अडानी डिफेंस के साथ काम कर रही थी, लेकिन अब यह समझौता दोनों के बीच समाप्त हो गया है। रूस भी अपने लड़ाकू विमान पेश करने को तैयार है, लेकिन भारतीय वायुसेना को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और उन्नत तकनीक वाले विमान चाहिए, जो चीन की चुनौती का सामना कर सकें।

मोहम्मद शमी के रमजान में एनर्जी ड्रिंक पीने से बवाल, मैच के दौरान रोजा न रखने पर भड़के मौलाना
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#maulana_shahabuddin_reprimands_cricketer_shami_roza

टीम इंडिया के धाकड़ तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। मोहम्मद शमी की एक तस्वीर को लेकर उन्हें जमकर ट्रोल किया जा रहा है। मोहम्मद शमी चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एनर्जी ड्रिंक पीते नजर आए। यह मैच रमजान के दौरान हुआ, जब दुनिया भर के मुसलमान रोजा रखते हैं। इस वजह से सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जा रहा है। इस बीच मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन रजवी टीम ने भी मोहम्मद शमी से खासी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि शमी ने रमजान में रोजा नहीं रखा, जो गुनाह है।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने शमी को अपराधी बताया है।शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, शरीयत के नियमों का पालन करना सभी की जिम्मेदारी है। इस्लाम में रोजा रखना फर्ज है। अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर रोजा नहीं रखता, तो वह इस्लामिक कानून के अनुसार गुनहगार माना जाता है। क्रिकेट खेलना बुरा नहीं है, लेकिन धार्मिक जिम्मेदारियों को भी निभाना चाहिए। मैं हिदायत देता हूं कि शमी शरीयत के नियमों का पालन करें और अपने धर्म के प्रति जिम्मेदार बनें।

मौलान अरशद ने किया शमी का समर्थन

वहीं, मोहम्मद शमी को दिल्ली की मोती मस्जिद के इमाम मौलाना अरशद का समर्थन मिला है। उन्होंने कहा है कि मोहम्मद शमी को ट्रोल करने वाले लोग न तो इस्लाम को जानते हैं और न ही कुरान को। उन्होंन कहा कि इस्लाम में मुसाफिर पर रोज़ा न रखने की छूट है। मौलाना ने कहा, 'मोहम्मद शमी इस समय सफर पर भारत से बाहर हैं, तो उन पर भी ये बात लागू होती हैं। रोज़े के मामले में सिर्फ कुरान का हुक्म माना जाए, बरेली के किसी मौलाना या दूसरे लोगों का नहीं। शमी देश के लिए खेल रहे हैं, सबको ये बात याद रखनी चाहिए।'

वहीं, मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी पर भाजपा नेता मोहसिन रजा ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा, यह इंसान और अल्लाह के बीच का मामला है और मुल्ला को बीच में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। वह (मोहम्मद शमी) अपना राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने गए हैं और हमारा धर्म ऐसा करने की इजाजत देता है। मौलाना ने बयान देकर खुद पाप किया है। उन्हें पूरे देश से माफी मांगने की जरूरत है।

ट्रंप से बहस के बाद खतरे में जेलेंस्की की कुर्सी! यूक्रेन के विपक्षी नेताओं के संपर्क में अमेरिका
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#trump_plots_zelensky_removal_us_officials_in_ukraine

व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की का डोनाल्ड ट्रंप को आंखे दिखाना महंगा पड़ने वाला है। जेलेंस्की का कभी भी तख्तापलट हो सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि ओवल ऑफिस में हुई बहस के करीब एक हफ्ते के बाद डोनाल्ड ट्रंप की टीम के कम से कम चार अधिकारियों ने यूक्रेन के विपक्षी नेताओं के साथ बात की है।

जेलेंस्की रूस के साथ जंग के बीच पिछले दिनों मदद मांगने के लिए अमेरिका पहुंचे थे। हालांकि, हालात हाथों से निकल गए। ओवल ऑफिस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी नोंकझोक हुई। जिसे पूरी दुनिया ने देखा। इस झड़प के बाद बाद जेलेंस्की को ना सिर्फ खाली हाथ लौटना पड़ा, बल्कि अमेरिका से रिश्ते भी बिगड़ गए। जिसके बाद से अमेरिका-यूक्रेन संबंधों पर अटकलों का बाजार गर्म है। अब अमेरिकी अखबार द पॉलिटिको की रिपोर्ट की मानें तो ट्रंप यूक्रेन में राष्ट्रपति जेलेंस्की के तख्तापलट की कोशिश में जुट गए हैं।

द पॉलिटिको की रिपोर्ट बुधवार को ट्रंप के 4 अधिकारी यूक्रेन पहुंचे, जहां वे जेलेंस्की के विरोधी नेताओं से मुलाकात की। मुलाकात का मकसद यूक्रेन में जल्द ही राष्ट्रपति के चुनाव कराना था। रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को ट्रंप के 4 वरिष्ठ सहयोगियों ने यूक्रेनी विपक्षी नेता यूलिया तिमोशेंको और पेट्रो पोरोशेंको की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत की। ट्रंप के अधिकारियों ने यूक्रेनी नेताओं से पूछा कि यहां चुनाव कब तक होने चाहिए और उसके लिए क्या करने की जरूरत है। पॉलटिका के मुताबिक ट्रंप के अधिकारियों ने जेलेंस्की से ऐसे वक्त में मुलाकात की, जब अमेरिका और रूस की कोशिश यूक्रेन में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराने की है।

आपको बता दें कि फिलहाल यूक्रेन में मार्शल लॉ लगा हुआ है और मौजूदा हालातों में चुनाव नहीं हो सकते हैं। डोनाल्ड ट्रंप इलेक्शन करवाने में हो रही देरी की बार बार आलोचना कर चुके हैं। पिछले साल राष्ट्रपति जेलेंस्की का शासनकाल खत्म हो गया था और उसके बाद से ही रूस लगातार उन्हें यूक्रेन का 'अवैध नेता' कहता आया है।

विपक्षी नेताओं से बात दर्शाता है कि डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन की अंदरूनी राजनीति में दखलअंदाजी कर रहे हैं। टिमोशेंको से बात करने वाले डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगियों ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि चल रहे युद्ध और सरकार के भीतर व्यापक भ्रष्टाचार की वजह से जेलेंस्की वोट खो देंगे। हालांकि जेलेंस्की ने वाकई अपनी लोकप्रियता खो दी थी लेकिन पिछले हफ्ते ट्रंप से बहस के बाद उनकी लोकप्रियता में जबरस्त उछाल देखने को मिला है। दूसरी तरफ इस हफ्ते अमेरिका की वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने उन दावों को खारिज कर दिया कि डोनाल्ड ट्रंप, यूक्रेनी राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप की एकमात्र दिलचस्पी यूक्रेन युद्ध में शांति खोजना है।

आरएसएस नेता भैयाजी जोशी ने ऐसा क्या कहा, भड़क गए संजय राउत
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देश में इन दिनों भाषा को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन भाषा को लेकर लगातार केन्द्र सरकार पर हमलावर है। स्टालिन तीन-भाषा नीति के माध्यम से हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने महाराष्ट्र के मुंबई में बड़ा बयान दिया है। आरएसएस नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि मुंबई आने के लिए मराठी सीखने की जरूरत नहीं है।

भैयाजी ने ठाणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मुंबई की कोई एक भाषा नहीं है। मुंबई के अलग-अलग भागों में अलग-अलग भाषा बोली जाती है। घाटकोपर परिसर के लोग गुजराती बोलते हैं, गिरगांव में हिंदी बोलने वाले कम मिलेंगे, वहां लोग मराठी बोलते हैं। इसलिए मुंबई आने वालों को मराठी भाषा सीखनी चाहिए ऐसा नहीं है।

ठाणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने भाजपा और आरएसएस को सुना दिया। उन्होंने भाजपा के मार्गदर्शक, पॉलिसी मेकर और आरएसएस के नेता भैयाजी जोशी का जिक्र करते हुए चैलेंज किया कि क्या ऐसी बातें आप लखनऊ जाकर कह सकते हैं?

राउत ने कहा, 'वह (भैयाजी) कल महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई आए थे। यहां आकर ऐलान कर दिया कि महाराष्ट्र की राजधानी की भाषा मराठी नहीं है। मराठी नहीं हो सकती। यहां कोई भी आकर मराठी के बिना रह सकते हैं, काम कर सकते हैं।' उद्धव सेना के वरिष्ठ नेता ने सवाल पूछते हुए कहा कि आपको (भैयाजी जोशी) इस प्रकार का बयान देने का अधिकार किसने दिया?

आरएसएस को राउत की चुनौती

शिवसेना नेता ने आगे तंज कसते हुए कहा कि क्या आप कोलकाता में जाकर बोल सकते हैं कि कलकत्ता की भाषा बंगाली नहीं है? क्या आप कोच्चि और त्रिवेंद्रम में जाकर बोल सकते हो कि यहां की भाषा मलयाली नहीं है। क्या आप लखनऊ जाकर योगी जी के सामने खड़े होकर बोल सकते हैं कि लखनऊ की भाषा हिंदी नहीं है। क्या आप पटना में जाकर नीतीश कुमार जी के सामने बोल सकते हो कि पटना की भाषा हिंदी नहीं है। क्या आप चेन्नई में जाकर बोल सकते हो कि यहां की भाषा तमिल या तेलुगु नहीं है? क्या पंजाब में जाकर बोल सकते हों कि यहां की भाषा पंजाबी नहीं है।

मुंबई को महाराष्ट्र से तोड़ने की कोशिश-राउत

राउत ने कहा कि आप की मंशा मुंबई को महाराष्ट्र से तोड़ने की है। हमने मराठी भाषा के लिए बलिदान दिया है। हमारे लोग शहीद हो गए। शिवाजी महाराज ने मराठा राज्य स्थापित किया क्योंकि उनकी भाषा मराठी थी।

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाया, जानें क्या है सिद्धारमैया का प्लान?
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#karnatakamuslimreservation

कर्नाटक में एक बार फिर मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाता दिख रहा है। कांग्रेस सरकार मुस्लिम आरक्षण की तैयारी कर रही है। यह आरक्षण राज्य में दिए जाने वाले ठेकों में लागू किया जाएगा। राज्य में मुस्लिमों को आरक्षण क़ानून में बदलाव करके दिया जाएगा। इसके लिए कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स (केटीपीपी) एक्ट में संशोधन किया जाएगा। एक साल पहले इसी तरह का प्रस्ताव विवादों और तुष्टिकरण की राजनीति के आरोपों के बीच वापस ले लिया गया था, लेकिन अब दोबारा से अमलीजामा पहनाने की रणनीति बनाई है। भाजपा ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया और कांग्रेस सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

मीडिया रिपोर्स के अनुसार, कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार मुस्लिमों को कर्नाटक के सरकारी निर्माण के ठेकों में 4% का आरक्षण देना चाहती है। कांग्रेस ने इसके लिए 1999 के कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स एक्ट, में संशोधन कर मुस्लिमों को सरकारी निर्माण कार्यों में 4 फीसदी आरक्षण देने का प्लान बनाया है। सिद्धारमैया सरकार यह संशोधन विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में लाने की रणनीति बनाई है। इसके जरिए ही आरक्षण लागू किया जाएगा। कर्नाटक वित्त विभाग ने इसका खाका तैयार कर लिया है और कानून और संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने कथित तौर पर संशोधन को मंजूरी दे दी है।

मुस्लिम वोटों को लुभाने का एक पैंतरा

ऐसा पहली बार नहीं है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मुस्लिमों को अलग से आरक्षण देने की तैयारी की हो। इससे पहले नवम्बर, 2024 में भी सरकार इस प्रस्ताव पर काम कर चुकी है लेकिन तब विरोध के कारण इस आइडिया को छोड़ दिया गया था। कर्नाटक में कांग्रेस का यह कदम मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ लुभाने का एक पैंतरा माना जा रहा है। वह इस मामले में जेडीएस को किनारे करना चाहती है। सिद्दारमैया सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर अब राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा हमलावर है। भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस केवल मुस्लिमों को ही अल्पसंख्यक मानती है।

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण का इतिहास

कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने का इतिहास काफी पुराना है। 1994 में एच.डी. देवगौड़ा के मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने पिछड़ी जातियों के बीच ‘श्रेणी 2बी’ बनाकर मुस्लिम समुदाय को 4% आरक्षण दिया। हालांकि, बीजेपी के सत्ता में आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस 4% आरक्षण को रद्द कर दिया था। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और कोर्ट ने बीजेपी सरकार के फैसले पर रोक लगा दी।

कांग्रेस के गढ़ में खिला कमलःतेलंगाना एमएलसी चुनावों में भाजपा ने मारी बाजी, 3 में से दो सीटों पर जीत दर्ज
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भारतीय जनता पार्टी दक्षिण भारत के राज्यों में बी अपने जड़े जमाने की कोशिश में लगी है। भाजपा की इस र सफलता मिलती भी दिख रही है। बीजेपी ने दक्षिण के उस राज्य में सफलता हासिल की है, जहां सत्ता में कांग्रेस है। बीजेपी ने तेलंगाना विधानसभा परिषद के चुनाव में अप्रत्‍याशित सफलता हासिल की है। उसने तीन सीटों पर हुए चुनावों में दो पर कामयाबी हासिल की।तीन एमएलसी सीट में से दो पर जीत कांग्रेस शासित राज्य में भाजपा के लिए एक नैतिक बढ़त के रूप में सामने आई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना विधान परिषद चुनाव में बीजेपी की जीत पर बधाई दी। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'एमएलसी चुनावों में तेलंगाना भाजपा को इस तरह के अभूतपूर्व समर्थन के लिए मैं तेलंगाना के लोगों को धन्यवाद देता हूं। हमारे नवनिर्वाचित उम्मीदवारों को बधाई।' उन्होंने कहा कि मुझे हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर बहुत गर्व है, जो लोगों के बीच कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

इससे पहले तेलंगाना विधान परिषद के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा समर्थित उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। एक अन्य शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ था। भाजपा समर्थित मलका कोमरैया ने मेडक-निजामाबाद-आदिलाबाद-करीमनगर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की और निर्दलीय उम्मीदवार श्रीपाल रेड्डी पिंगिली ने वारंगल-खम्मम-नलगोंडा शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी।

एक अन्य पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने आंध्र प्रदेश में स्नातक एमएलसी चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों की जीत की सराहना की। प्रधानमंत्री ने चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों की जीत पर मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की ओर से किए गए एक पोस्ट का जवाब देते हुए कहा, 'विजेता उम्मीदवारों को बधाई। केंद्र और आंध्र प्रदेश में एनडीए सरकारें राज्य के लोगों की सेवा करती रहेंगी और राज्य की विकास यात्रा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी।'

लंदन में एस जयशंकर की कार के सामने खालिस्तानियों का हंगामा, तिरंगे का अपमान
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समय लंदन में हैं। जयशंकर लंदन में कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय विदेश मंत्री ने चैथम हाउस थिंक टैंक में एक विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम के बाद जयशंकर पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमले की कोशिश की।यह घटना तब हुई जब वे चैथम हाउस थिंक टैंक में कार्यक्रम के बाद अपनी कार से जा रहे थे। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

वीडियो में देका जा सकता है कि एक व्यक्ति जयशंकर की गाड़ी की ओर भागते हुए आता है।हमलावर तेजी से भागकर विदेश मंत्री की गाड़ी के सामने आकर खाड़ा हो जाता है और तिरंगा फाड़ देता है। लंदन पुलिस ने इस शख्स को काबू करते हुए जयशंकर को वहां से सुरक्षित निकाला। वीडियो में खालिस्तानी समर्थक प्रदर्शनकारी कार्यक्रम स्थल के बाहर आपत्तिजनक नारेबाजी करते सुने जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, भारत सरकार ने इस घटना को यूके के सामने उठाते हुए अपना विरोध दर्ज कराया है।

भारतीय विदेश मंत्री ने इस घटना पर अपने बयान में कहा, हमने विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान सुरक्षा भंग होने की फुटेज देखी है। हम अलगाववादियों और चरमपंथियों के इस छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों की निंदा करते हैं। हम ऐसे तत्वों के लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे मामलों में यूके सरकार अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने लंदन के चाथम हाउस थिंक टैंक में 'भारत का उदय और विश्व में इसकी भूमिका' विषय पर बोलते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कश्मीर, धारा-370 हटाने, आर्थिक सुधारों और उच्च मतदान के साथ हुए चुनावों पर अपने विचार साझा किए। जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार ने कश्मीर में ज्यादातर समस्याओं का हल कर लिया है। उन्होंने बताया कि धारा-370 को हटाना पहला कदम था, इसके बाद वहां आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को बहाल किया गया।