मुफ्त की योजनाओं के एलान से सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा लोगो की बिगड़ रही आदत, जाने राजनीतिक पार्टियों ने क्या कहा
रांची : सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव से पहले राजनीतिक दलों की ओर से मुफ्त देने की सुविधाओं की घोषणा पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा, 'लोग काम करना नहीं चाहते, क्योंकि आप उन्हें मुफ्त राशन दे रहे हैं। बिना कुछ किए उन्हें पैसे दे रहे हैं।' इस तरह की मुफ्त की योजनाओं से लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की बजाय, परजीवियों की जमात नहीं खड़ी कर रहे हैं?
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ड मसीह की बेंच शहरी इलाकों में बेघर लोगों को आसरा दिए जाने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान पीठ ने कहा कि 'मुफ्त वाली योजनाओं के चलते लोग काम नहीं करना चाहते। जस्टिस गवई ने कहा कि 'कहते हुए दुख हो रहा है, लेकिन क्या बेघर लोगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, ताकि वे भी देश के विकास में योगदान दे सकें।यह पहली बार नहीं है जब कोर्ट ने फ्रीबीज को लेकर सख्त टिप्पणी की है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर 2024 को केंद्र सरकार के मुफ्त राशन बांटने पर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था- कब तक ऐसे मुफ्त राशन बांटा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस टिप्पणी के बाद झारखंड के राजनीतिक पार्टियां सुप्रीम कोर्ट पर तो कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन एक दूसरे पर दोषारोपण जरूर करते नजर आए। एक और जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि यह फ्रीबीज बांटने की व्यापक कार्य केंद्र की भारतीय जनता पार्टी ने किया है। क्योंकि इनके पास एजेंट की कमी है और यह पैसे के बल पर वोट खरीदे है।
मनोज पांडे ने एक सवाल और खड़ा किया कि क्या उद्योगपतियों को हजारों करोड़ों रुपया माफ कर देना क्या यह फ्रीबिज में नहीं आता? उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में संसद से इस पर कानून बने या कोर्ट इस पर संज्ञान ले। वहीं दूसरी तरफ भाजपा के मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाइक ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के लोग राज्य की महिलाओं को ढाई हजार रुपया देने की बात कर रहे हैं क्या वह सम्मान है या रेवड़ी पहले अपना स्टैंड क्लियर कर ले।
Feb 14 2025, 18:25