क्या है फ्रांस में लगा ITER प्रोजेक्ट,"धरती पर सूरज" बनाने में फ्रांस की कैसे मदद कर रहा भारत?
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अपने फ्रांस दौरे के तीसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) प्रोजेक्ट का दौरा किया। आपको बता दें कि ये वही जगह है जहां दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पृथ्वी पर "मिनी सन" बनाने के प्रयास में जुटे हैं। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य पृथ्वी पर “मिनी सन” बनाकर स्वच्छ और असीमित ऊर्जा की आपूर्ति करना है। यह वैश्विक सहयोग पर आधारित एक ऐतिहासिक पहल है। सबसे अहम बात भारत भी इस प्रोजेक्ट में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
न्यूक्लियर फ्यूजन: सूरज की तरह ऊर्जा पैदा करना
इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) प्रोजेक्ट 21 सदी का सबसे महंगा मेगा साइंस प्रोजेक्ट है। दक्षिणी फ्रांस के कैडराचे में स्थित ITER दुनिया का सबसे विकसित फ्यूजन एनर्जी न्यूक्लियर रिएक्टर है। न्यूक्लियर फ्यूजन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो हमारे सूरज और अन्य तारों में ऊर्जा पैदा करती है। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन के नाभिक मिलकर हीलियम बनाते हैं, जिससे अपार ऊर्जा उत्पन्न होती है। ITER प्रोजेक्ट का उद्देश्य इस प्रक्रिया को पृथ्वी पर कृत्रिम रूप से पुनः पेश करना है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रक्रिया से बिना किसी हानिकारक ग्रीनहाउस गैस या रेडियोधर्मी कचरे के ऊर्जा पैदा की जा सकती है। एक ग्राम परमाणु ईंधन से लगभग 8 टन तेल के बराबर ऊर्जा पैदा की जा सकती है।
सात देशों के साझेदारी में भारत भी शामिल
ITER को द वे प्रोजेक्ट के नाम से भी जाना जाता है। इसके जरिए कोशिश की जा रही है कि स्वच्छ ऊर्जा की असीमित सप्लाई पूरी दुनिया को की जा सके। 22 बिलियन यूरो से अधिक लागत वाली इस परियोजना के सात देश साझेदार हैं। इनमें भारत और फ्रांस के अलावा चीन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, रूस, जापान और यूरोपीय संघ (ईयू) भी शामिल हैं।
खर्च का कुल 10 फीसदी का सहयोग करेगा भारत
इस प्रोजेक्ट की सबसे खास बात यह है कि इसमें जगह-जगह मेड इन इंडिया लिखा गया है। इस पर खर्च होने वाली कुल राशि में से भारत को करीब 10 फीसदी का सहयोग देना है। हालांकि, वह इस तकनीक का शत-प्रतिशत इस्तेमाल कर पाएगा।
भारत में बना “फ्रिज” प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा
भारत ने इस परियोजना में सबसे बड़े घटक का भी योगदान दिया है - दुनिया का सबसे बड़ा रेफ्रिजरेटर जिसमें यह अनूठा रिएक्टर है, को लार्सन एंड टुब्रो द्वारा गुजरात में बनाया गया है। इसका वजन 3,800 टन से अधिक है और इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार से लगभग आधी है। ITER रिएक्टर का कुल वजन लगभग 28,000 टन होगा।
भारत के लिए कितना फायदेमंद?
वैज्ञानिकों का मानना है कि ITER प्रोजेक्ट के सफल होने पर दुनिया में ऊर्जा संकट का समाधान हो सकता है। यह प्रोजेक्ट न केवल स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करेगा, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत के इस प्रोजेक्ट में भागीदारी से देश की तकनीकी क्षमता और वैश्विक सहयोग की भावना का प्रदर्शन हो रहा है। यह प्रोजेक्ट भारत को वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाने में मदद करे
5 hours ago