दो पटरियों के बीच बना है ये मंदिर, रोज गुजरती हैं एक्सप्रेस ट्रेनें…
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गाजीपुर में एक ऐसा मंदिर जिसके दोनों तरफ से रेल पटरी पर ट्रेनें गुजरती रहती हैं. लेकिन फिर भी लोग जान की परवाह किए बगैर इस मंदिर में पहुंचते हैं और पूजा पाठ करते हैं. जी हां यह मंदिर दानापुर रेल मंडल के अंतर्गत आने वाला दिलदारनगर रेलवे स्टेशन पर स्थित है. इस मंदिर का नाम सायर माता मंदिर है. दो पटरियों के बीचोबीच यह मंदिर बना हुआ है. इस मंदिर और रेलपटरी के निर्माण को लेकर कई कहानियां लोगों की जुबान से आज भी सुनने को मिलती हैं.
दिलदार नगर में रेलवे स्टेशन के मध्य दो लाइनों के बीच स्थित सायर माता का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है. वैसे तो साल भर इस मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए दूर-दराज से भी श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी रहता है. लेकिन सावन और नवरात्र में माता के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की भीड़ काफी बढ़ जाती है. प्लेटफॉर्म नम्बर 3 और 4 के मध्य में स्थित मां का मंदिर आस्था का जीता जागता उदाहरण है.
सायर माता मंदिर की अलौकिक शक्तियां की कहानियां काफी प्रचलित हैं. नवरात्र में माता के भक्त भारी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं. लोग यहां आकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद दोबारा दर्शन के लिए आते हैं. यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं दूर दराज से लाखों श्रद्धालु सायर माता के मंदिर पर दर्शन-पूजन कर अपने तथा अपने परिवार के सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता के चमत्कार को जानने के बाद ग्रामीणों का हुजूम रोजाना दर्शन के लिए पहुंचने लगा. इसके बाद से धीरे-धीरे माता की महिमा का प्रचार-प्रसार दूर-दूर तक होता गया और अब जिले के लोग ही नहीं, वरन पूर्वांचल सहित बिहार, बंगाल और झारखंड प्रांत से भी श्रद्धालु यहां आकर श्रद्धा पूर्वक माता के दर्शन पूजन करते हैं.
भक्त अपनी मुराद पूरी होने पर मां के मंदिर में घंटी बांधते है और मंदिर के फर्श में चांदी का सिक्का जड़वाते है। वर्षों से इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है नवरात्र के दिनों में यहां रात्रि जागरण भी होता है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि लोगों की आस्था का एक जीवंत प्रतीक भी है, जहां श्रद्धालु अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। रेलवे पटरियों के बीच यह मंदिर सैकड़ो साल से विराजमान है लेकिन आज तक किसी भी दर्शनार्थी के साथ कोई भी घटना नहीं हुई है.
पेड़ काटने का दे दिया आदेश
कहा जाता है कि कई साल पहले जब यहां नई रेल पटरी को बिछाने का काम चल रहा था तो मजदूरों को नीम के पेड़ के नीचे एक मिट्टी की पिंडी दिखाई दी. काम करने वाले मजदूरों ने इसकी सूचना अपने अधिकारी को दी. इंजीनियर ने काम कर रहे मजदूरों की बात अनसुनी करते हुए नीम के पेड़ को काटने का आदेश दिया.
पेड़ काटने वाले मजदूरों की मौत
जब काम करने वाले मजदूरों ने पेड़ काटने के लिए कुल्हाड़ी पेड़ पर चलाई, तो पेड़ के तने से खून जैसा लाल रंग का द्रव्य निकलने लगा. तभी सभी मजदूरों ने ऐसा करने से साफ साफ मना कर दिया. अधिकारी ने दूसरे मजदूरों से फिर इस पेड़ को काटने के लिए कहा. उन्होंने पेड़ काट भी दिया. लेकिन पेड़ काटने वाले सभी मजदूरों और पेड़ कटवाने वाले इंजीनियर के बेटे की उसी रात मौत हो गई. तभी से लोगों ने यहां मंदिर बना दिया.
Feb 06 2025, 16:43