झारखंड में पंजीकृत पेशेवर मछुआरों को प्रशिक्षित कर चिह्नित जलाशयों पर गोताखोर के रूप में की जाएगी तैनाती, मिलेगा 10 हजार मानदेय
रांची : झारखंड के मुख्य सचिव अलका तिवारी ने राज्य में प्राकृतिक कारणों से होने वाली क्षति से निपटने के लिए आपदा राहत की त्वरित व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश संबंधित विभाग को दिया है। उन्होंने कहा है कि ससमय राहत और बचाव कार्य से हम प्राकृतिक आपदा की क्षति को कम कर सकते हैं।
आपदा प्रबंधन से जुड़ी राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक में तय हुआ कि राज्य के चिह्नित जलाशयों पर बचाव उपकरणों से लैश गोताखोर की तैनाती की जाएगी। इसके लिए पंजीकृत पेशेवर मछुआरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। चयनित गोताखोरों को 10 हजार रुपये मानदेय भी दिया जाएगा। वहीं राज्य की विशिष्ट स्थानीय आपदा, मसलन अतिवृष्टि से होनेवाली जान-माल की क्षति, सर्पदंश, खनन जनित आपदा, वज्रपात, रेडिएशन संबंधी आपदा, पानी में डूबने, भगदड़ एवं गैस रिसाव तथा सड़क दुर्घटना से मृत व्यक्ति के आश्रितों को अनुग्रह अनुदान भुगतान के लिए 10 करोड़ की राशि की स्वीकृति दी गई। इससे किसी भी आपदा के बाद जिले द्वारा राशि की मांग और उसकी स्वीकृति में लगने वाले समय से बचा जा सकता है। संबंधित जिले के उपायुक्त इस राशि का परिस्थिति के अनुसार तत्काल उपयोग कर सकेंगे। वहीं बैठक में राज्य में आंधी-तूफान तथा ग्रीष्म लहर (लू) से संभावित जानमाल की क्षति को देखते हुए राज्य की विशिष्ट स्थानीय आपदा के तहत आपदा घोषित करने के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया।
दूसरी ओर राज्य के शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों की संकीर्ण गलियों में निर्मित मकानों-भवनों में आगजनी की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्य के लिए 39 अग्निशामालयों के लिए अग्निशमन वाहन ( मिनी वाटर टेंडर विथ मिस्ट टेक्नोलॉजी) खरीद के प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया। आपदा प्रबंधन विभाग वज्रपात और डूबने से होने वाली मौतों के हॉटस्पॉट को झारखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के सहयोग से चिह्नित करेगा। उसके बाद चिह्नित स्थानों, इलाके में इस संकट से निपटने की रणनीति बनाई जाएगी।
Feb 05 2025, 16:27