ईंट भट्ठों और औद्योगिक संस्थानों में काम करने वाले मजदूरों के बच्चे भी होंगे शिक्षित, एसीएस एस सिद्धार्थ ने दिया यह बड़ा निर्देश
डेस्क : बिहार के वरिष्ठ आईएसएस अधिकारी व शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ अपने सादगी के साथ-साथ सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाते है। उन्होंने जब से शिक्षा विभाग का कमान संभाला है लगातार शिक्षा व्यवस्था में सुधार के प्रयास में लगे है। वहीं अब उन्होंने एक कदम उठाया है। उन्होंने ईंट भट्ठों और इसके जैसे दूसरे औद्योगिक और निर्माण स्थलों में काम करनेवाले मजदूरों के बच्चों को नजदीकी स्कूल में नामांकन कराने को लेकर बड़ा आदेश जारी किया है।
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एसीएस ने सभी जिलों के डीएम को निर्देश दिया है कि वह अपने क्षेत्र में चल रहे ईट भट्ठा अथवा अन्य निर्माण स्थलों पर कार्यरत श्रमिकों के 06-14 आयुवर्ग के बच्चों की पहचान की जाय एवं यह सुनिश्चित किया जाय कि बच्चे स्कूलों में अनामांकित न रहे।
वहीं उन्होंने कहा कि सभी ईट-भट्ठा मालिक एवं अन्य नियोजकों को यह हिदायत दी जाय कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके यहाँ कार्य करने वाले कामगारों / श्रमिकों के बच्चों का नामांकन निकटतम सरकारी अथवा निजी विद्यालय में हो। इसके लिए यह भी प्रावधान किया गया है कि विषय-ईंट भट्ठा एवं अन्य औद्योगिक / निर्माण स्थलों पर कार्य करने वाले कामगारों / श्रमिकों के 06-14 आयु वर्ग के बच्चों को निकटतम विद्यालय में नामांकन कराने के संबंध में। ऐसे बच्चों का नामांकन अकादमिक सत्र के बीच में कभी भी हो सकेगा। एसीएस ने निर्देश दिया है कि अपने जिलान्तर्गत अभियान चलाकर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
बताते चले कि तीन दिन पहले एसीएस सिद्धार्थ तीन दिन पहले नवादा के एक स्कूल में निरीक्षण के लिए गए थे। जहां शिक्षिकाओं ने बताया कि कुछ बच्चे स्कूल आने की जगह पास के ईंट भट्ठे में काम करने के लिए चले गए हैं। इसके बाद एसीएस खुद ईंट भट्ठे पर पहुंच गए। जहां उन्होंने कुछ बच्चों को काम करते हुआ पाया था। उन बच्चों से बातचीत के दौरान एसीएस को कुछ बड़ी बातों के बारे में पता चला था।
एसीएस ने बताया कि निरीक्षण के क्रम में यह पाया गया है कि कतिपय बच्चे, जिनके माता-पिता ईट भट्ठा, बालूघाट, सड़क निर्माण, अन्य सरकारी या गैर सरकारी बड़ी परियोजनाओं में काम करने हेतु अपना गाँव छोड़कर कार्यस्थल पर निवास करते हैं, उन्हें माता-पिता के साथ रहने की बाध्यता के कारण अपनी पढ़ाई से वंचित होना पड़ता है।
आप अवगत हैं कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 3 (1) में स्पष्ट प्रावधान है कि "06-14 आयु वर्ग प्रत्येक बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी आसपास के विद्यालय में निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार होगा।" इस प्रकार 06-14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को विद्यालय में नामांकन कराकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
Feb 05 2025, 09:33