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चीन-कनाडा-मैक्सिको के बाद डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ लिस्ट में कौन, क्या अगला नंबर भारत का?

#trumptariffwaraffectindia

अमेरिका ने मेक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सामानों पर 25 फीसदी और चीन से इंपोर्ट पर 10 फीसदी का टैरिफ लगाने का फैसला किया है। ट्रंप के इस फैसले से तीनों देश नाराज हैं, वहीं पूरी दुनिया ट्रंप के इस फैसले को चिंतित है। सवाल है कि तीन देशों पर लगे टैरिफ के बाद अब किसकी बारी है? क्या अगला नंबर भारत का हो सकता है?

डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व में भारत की टैरिफ नीतियों की कड़ी आलोचना की है। वह भारत को 'टैरिफ किंग' तक कह चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से भारत की टैरिफ नीतियों की सख्त आलोचना पूर्व में की है। उससे ये अंदेशा है कि भारत भी उनके टैरिफ की हिट लिस्ट में होगा। हालांकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।भारत फिलहाल इससे बचा हुआ है लेकिन सवाल है कि क्या आगे भी इससे बच पाएगा?

ट्रंप के टैरिफ से बचने की कोशिश

शनिवार को भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया। सरकार ने कुछ कस्टम ड्यूटी कम की है। जिसका असर अमेरिका से होने वाले निर्यात पर पड़ता हुआ दिखाई दे सकता है। भारत ने हाई-एंड मोटरसाइकिल, कार और स्मार्टफोन पार्ट्स पर कस्टम ड्यूटी कम की है। इससे अमेरिकी कंपनियों जैसे हार्ले-डेविडसन, टेस्ला और ऐपल को फायदा होगा। भारत के कदम को ट्रंप के टैरिफ से बचने की कोशिश की तरह देखा गया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या कहा

वहीं, समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्रंप के टैरिफ को लेकर जब उनसे पूछा गया कि क्या इस घटना का असर भारत पर पड़ेगा तो उन्होंने कहा, हम नहीं जानते कि इसका हमारे लिए क्या परिणाम होगा। लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से हम पर असर हो सकता है। हम अभी नहीं जानते कि क्या होने वाला है। हम सतर्क रहेंगे, लेकिन हम इस समय यह अनुमान नहीं लगा सकते कि इसका हम पर क्या प्रभाव होगा। हालांकि, इस घटना से मैं चितिंत नहीं हूं।

अनावश्यक टैरिफ से फायदा नहीं- वित्त मंत्री

निर्मला सीतारमण ने एक संतुलित टैरिफ दृष्टिकोण की आवश्यकता की ओर इशारा किया। आवश्यक आयातों में अनावश्यक टैरिफ लगाए बिना घरेलू उद्योगों की रक्षा की जाए। कई वस्तुएं हैं, जो भारत में उपलब्ध नहीं है, उन पर ज्यादा टैरिफ लगाने से हमारा फायदा नहीं होने वाला

महाकुंभ भगदड़ पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, याचिका खारिज करने की बताई वजह

#stampede_at_prayagraj_maha_kumbh_supreme_court_refuses_to_entertain_a_pil

महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर प्रयागराज के संगम क्षेत्र में मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 अन्य लोग घायल हो गए थे। इस मामल में दायर एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट से महाकुंभ में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश देने का अनुरोध करने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। शीर्ष अदालत ने इसपर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया।

महाकुंभ भगदड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी की ओर से ये जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ पर स्टेटस रिपोर्ट और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई है। इतना ही नहीं इसमें सभी राज्यों की ओर से मेले में सुविधा केंद्र खोलने की भी बात कही गई है, जिससे गैर हिंदी भाषी नागरिकों को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो। याचिका में केंद्र सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पार्टी बनाया गया है।

महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने देशभर के करोड़ों लोग संगम पर जुटे थे। रात करीब डेढ़ बजे संगम नोज पर भगदड़ मच गई थी। भीड़ ने लोगों को कुचल दिया था। सरकार के मुताबिक, 30 लोगों की मौत हुई और 60 घायल हो गए थे। महाकुंभ नगर के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) वैभव कृष्ण ने बताया कि प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर मुख्य स्नान था। ब्रह्म मुहूर्त से पहले, देर रात एक से दो बजे के बीच, मेला क्षेत्र के अखाड़ा मार्ग पर भारी भीड़ जमा हो गई।

भीड़ के दबाव के कारण दूसरी ओर के बैरिकेड्स टूट गए। बैरिकेड्स तोड़कर दूसरी ओर पहुंचे लोगों ने ब्रह्म मुहूर्त के स्नान का इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं को कुचलना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि इसके बाद मेला प्रशासन ने तुरंत एक मार्ग बनाकर एम्बुलेंस की मदद से 90 लोगों को अस्पताल पहुंचाया, जिनमें से 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई।

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की इस दलील पर गौर किया कि इस मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में पहले ही एक याचिका दायर की जा चुकी है और मौजूदा याचिका की शीर्ष अदालत में सुनवाई नहीं की जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने भगदड़ को दुर्भाग्यपूर्ण घटना करार देते हुए याचिकाकर्ता और अधिवक्ता विशाल तिवारी को इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख करने को कहा।

पीठ ने तिवारी से कहा, यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है लेकिन आप इलाहाबाद हाई कोर्ट जाइए। शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की इन दलीलों पर गौर किया कि न्यायिक जांच शुरू की गई है।

बजट सत्र का तीसरा दिन भी हंगामेदार, महाकुंभ में मची भगदड़ पर जवाब मांग रहा विपक्ष

#parliament_budget_session

बजट सत्र 2025 का आज तीसरा दिन है। संसद में जारी बजट सत्र के तीसरे दिन इस वक्‍त कुंभ भगदड़ को लेकर जोरदार हंगामा जारी है। विपक्षी नेता कुंभ में भगदड़ को चर्चा कराना चाहते हैं। सत्‍ता पक्ष अभी इसके लिए तैयार नहीं है।लोकसभा में बजट सत्र के तीसरे दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा शुरू हुई है।

लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष का हंगामा देखने को मिला। विपक्ष महाकुंभ में हादसे को लेकर चर्चा करना चाहता है। बजट सत्र के तीसरे दिन सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही विपक्षी सदस्य महाकुंभ में मची भगदड़ की घटना पर सरकार से जवाब की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे।

लोकसभा स्पीकर ने कहा कि राष्ट्रपति ने कुंभ हादसे का भी जिक्र किया है उनके अभिभाषण पर चर्चा के दौरान इसपर बहस की जा सकती है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में नारेबाजी करने वाले विपक्षी दलों के सांसदों से कहा कि यदि जनता ने उन्हें नारे लगाने के लिए भेजा है जो यही काम करें या फिर कार्यवाही चलने दें।

विपक्षी दलों के सदस्यों ने ‘प्रधानमंत्री जवाब दो’ और ‘शेम शेम’ के नारे लगाए। बता दें कि मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज महाकुंभ में मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का आरोप है कि सरकार ने इस घटना में मृतकों का सही आंकड़ा नहीं बताया।

शुरू हुआ ट्रे़ड वॉरः ट्रंप ने कनाडा-चीन-मैक्सिको को दिया आयात शुल्क का झटका, मिला करारा जवाब

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन पर नए टैरिफ लगा दिए हैं। ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन से आयातित वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है, जो शनिवार शाम से लागू हो गया। शनिवार को उन्होंने कनाडा और मैक्सिको से आयात होने वाले सामानों पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाने के आदेश पर साइन किया। ट्रंप ने चीन से आने वाले सामानों पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाया है। अमेरिका के इस फैसले से एक ट्रे़ड वॉर (व्यापार युद्ध) छिड़ गया है। ट्रेड के क्षेत्र में ये तनातनी आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ने जा रही है। ऐसा होता है तो सालाना 2.1 ट्रिलियन डॉलर ( करीब 181.72 लाख करोड़ रुपए) से अधिक का कारोबार प्रभावित होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आने वाले समान पर टैरिफ और चीनी प्रोडक्ट्स पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है। ट्रंप के इस ऐलान का कई देशों में विरोध किया जा रहा है और कनाडा, मेक्सिको से लेकर चीन तक ने अमेरिका को करारा जवाब दिया है।

कनाडा- मेक्सिके ने दिखाए कड़े तेवर

कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि कनाडा भी अमेरिकी सामानों पर 25% शुल्क लगाएगा। ट्रूडो ने ऐलान किया कि ओटावा भी इसी तरह जवाब देगा और 155 बिलियन डॉलर तक के अमेरिकी आयातों पर 25 फीसद टैरिफ लगाएगा। ट्रूडो ने कहा कि इन टैरिफ में अमेरिकी बीयर, वाइन और बॉर्बन के साथ-साथ फल और फलों के जूस भी शामिल होंगे, जिसमें ट्रम्प के गृह राज्य फ्लोरिडा का संतरे का जूस भी शामिल है। कनाडा कपड़ों, खेल के प्रोडक्ट और घरेलू उपकरणों सहित अन्य समान को भी लक्षित करेगा।

अमेरिकी सरकार के मुताबिक 2022 में कनाडा देश के सामानों का सबसे बड़ा खरीदार था, जिसकी खरीद 356.5 बिलियन डॉलर है। अनुमान है कि 2023 में हर दिन 2.7 बिलियन डॉलर का सामान और सर्विस अमेरिका-कनाडा के बीच हुआ है।

इसी तरह मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने भी घोषणा की कि उन्होंने अपने अर्थव्यवस्था मंत्री को मैक्सिकन निर्यात पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापक शुल्कों के विरुद्ध नई टैरिफ और गैर-टैरिफ नीतियां लागू करने का आदेश दिया है।

चीन ने जताया विरोध

चीनी वस्तुओं पर टैरिफ लगाने के अमेरिकी आदेश को लेकर चीन ने तीखा विरोध दर्ज कराया है। रविवार को वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि चीन विश्व व्यापार संगठन में मुकदमा दायर करेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए उचित जवाबी कदम उठाएगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय ने कहा, अमेरिका की ओर से एकतरफा टैरिफ वृद्धि विश्व व्यापार संगठन के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। यह कदम न केवल अमेरिका के अपने मुद्दों को हल करने में नाकाम है बल्कि चीन-अमेरिका के सामान्य आर्थिक और व्यापार सहयोग को भी बाधित करता है। चीन अमेरिकी फैसले का कड़ा विरोध करता है और इससे बेहद असंतुष्ट है।

भारत के बजट से अमेरिका को क्या होगा फायदा? ट्रंप के 'टैरिफ वॉर' के बीच सीतारमण का जवाब

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को लोकसभा में बजट पेश किया। इस बजट में मध्य वर्ग को बड़ी राहत दी गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती और विकास दर पर उठ रहे सवालों के बीच इस बजट में अलग अलग वर्ग को राहत देने की कोशिश दिखाई दे रही है। इन सबके बीच देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक ऐसा भी ऐलान किया है, जो डोनाल्ड ट्रंप को काफी खुश कर सकता है। जी हां, सरकार ने कुछ कस्टम ड्यूटी कम की है। जिसका असर अमेरिका से होने वाले निर्यात पर पड़ता हुआ दिखाई दे सकता है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने रविवार को कहा कि मोटरसाइकिल और स्वाद बढ़ाने वाले कृत्रिम तत्व जैसे प्रोडक्ट्स पर बजट में कस्टम ड्यूटी घटाई गई है। इससे अमेरिकी निर्यात को लाभ होगा। जीटीआरआई ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत की‘टैरिफ किंग’के रूप में आलोचना करने के बाद देश के बजट ने कई उत्पादों पर महत्वपूर्ण शुल्क कटौती की गई है। इनमें से कई प्रोडक्ट्स अमेरिकी एक्सपोर्ट को फायदा पहुंचाने वाले हैं। जीटीआरआई ने बयान में कहा,‘‘टेक्नोलॉजी, व्हीकल, इंडस्ट्रीयल रॉ मटेरियल और स्क्रैप के आयात पर शुल्क कटौती के साथ भारत व्यापार को सुविधाजनक बनाने की दिशा में कदम उठाता दिख रहा है।

बदलेगा ट्रंप का नजरिया?

डोनाल्ड ट्रंप हमेशा भारत की टैरिफ किंग के तौर पर आलोचना करते हैं, लेकिन बजट ने कई उत्पादों पर महत्वपूर्ण शुल्क कटौती से अमेरिकी निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। उम्मीद की जा रही है कि बजट में इस ऐलान के बाद ट्रंप का नजरिया बदलेगा।

बता दें कि अप्रैल-नवंबर, 2024-25 के दौरान अमेरिका 82.52 अरब डॉलर व्यापार के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। इसके पहले 2021-24 के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

इन चीजों से शुल्क घटी

फ्रोजेन मछली पेस्ट (सुरीमी) और जलीय चारे के लिए मछली हाइड्रोलाइजेट पर शुल्क घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है. इन पर अभी तक लागू शुल्क क्रमश: 30 प्रतिशत और 15 प्रतिशत था. रसायन क्षेत्र में, पिरिमिडीन और पिपरेजीन यौगिकों पर शुल्क को मौजूदा 10 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है. इनका उपयोग खाद्य और पेय पदार्थों को एक निश्चित स्वाद देने के लिए किया जाता है. इसी तरह कम कैलोरी वाले यौगिक सोर्बिटोल पर शुल्क मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके अलावा, प्रमुख खनिजों (लिथियम, कोबाल्ट, सीसा, जस्ता, तांबा) और कोबाल्ट पाउडर के अपशिष्ट और स्क्रैप पर सीमा शुल्क खत्म कर दिया गया है. मंत्रालय ने कहा कि इन उपायों से आयात निर्भरता कम होगी, उत्पादन लागत कम होगी और प्रमुख उद्योगों में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी

धर्म से जुड़े विवादों का कैसे होगा निपटारा? एनएसए अजीत डोभाल ने बताया

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल रविवार 2 फरवरी को दिल्ली में आयोजित हो रहे पुस्तक मेले में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने तुर्की-अमेरिकी विद्वान अहमद टी कुरु की पुस्तक 'इस्लाम, ऑथरिटेरियनिस्म एंड अंडर डेवलपमेंट' को लॉन्च किया। इस दौरान अजीत डोभाल ने मेले में धार्मिक पहचान से जुड़े विवादों पर बातचीत की। एनएसए ने कहा कि धार्मिक पहचान से जुड़े विवादों से बचने के लिए विचारों का स्वतंत्र प्रवाह महत्वपूर्ण है। संघर्ष समाधान पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों और समाजों द्वारा ‘‘आत्मनिरीक्षण'' हमेशा महत्वपूर्ण रहा है।

अजीत डोभाल ने कहा देश और धर्म के बीच संबंधों की घटना इस्लाम के लिए नई बात नहीं है. कुरु की किताब में जैसे बताया गया है कि इस्लाम के इतिहास में अलग-अलग कई स्टेज आए, जिसमें देश और धर्म के बीच रिश्ते कई दफा बदले, घटे और बढ़े क्योंकि अब्बासिद राजवंश के शासन में देश और धर्मगुरु की भूमिका पर स्पष्टता थी। पादरी वर्ग की भूमिका क्या है और राज्य की भूमिका क्या है, इसकी समझ बिल्कुल साफ थी। हिंदू धर्म में भी यह बात रही है और मुझे नहीं लगता कि आने वाले समय में शायद इसमें कोई भिन्नता हो।

विवादों से बचने के लिए विचारों का स्वतंत्र प्रवाह बहुत जरूरी-डोभाल

डोभाल ने कहा कि संघर्ष किसी भी विचारधारा या किसी भी देश के अस्तित्व में अंतर्निहित होते हैं। विचार और विचारधारा में प्रतिस्पर्धी होना बहुत जरूरी है। अगर यह प्रतिस्पर्धी नहीं है, तो फिर यह नहीं है या फिर सर्वमान्य है। हम संघर्षों का हल कैसे करते हैं, ये महत्वपूर्ण है। समाज की मानसिकता क्या है, इसको भी समझना बहुत जरूरी है। विवादों से बचने के लिए विचारों का स्वतंत्र प्रवाह बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि पहला संघर्ष खुद से खुद के बीच है। आपकी मान्यताओं, विचारों, आवश्यकताओं, आकांक्षाओं के बीच संघर्ष है। यहां तक कि दूसरे इंसानों, भगवान और समाज के साथ भी संघर्ष है। आपके खुद एक से अधिक विचार हो सकते हैं और कभी-कभी आप खुद इसे सोचते भी होंगे।

प्रिंटिंग प्रेस के विरोध का किया जिक्र

हिंदू धर्म का जिक्र करते हुए एनएसए ने कहा कि हिंदू धर्म में लड़ाई-झगडों को शास्त्रार्थ और मेडिटेशन के जरिए सुलझाया जाता था। वहीं जो पीढ़ियां लीक से हटकर नहीं सोच पाईं वे स्थिर हो गईं। एनएसए अजीत डोभाल ने प्रिंटिंग प्रेस का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रिंटिंग प्रेस को अपनाने के लिए इमाम वर्ग की ओर से काफी विरोध हुआ था। उन्होंने सोचा था कि इसके आने से इस्लाम के वास्तविक अर्थ की सही ढंग से या उनकी मान्यता के हिसाब से व्याख्या नहीं हो पाएगी।

आत्मनिरीक्षण को बताया महत्वपूर्ण

एनएसए डोभाल ने कहा कि राज्यों और समाजों द्वारा आत्मनिरीक्षण बहुत महत्वपूर्ण है। धर्म या राज्य के प्रति निष्ठा से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। हमें अपने दिमाग को कैद नहीं होने देना चाहिए। अगर आप आत्मनिरीक्षण नहीं करते हैं तो आप समय और दिशा खो देते हैं। अगर बहुत देर से किया तो आप पिछड़ जाते हैं। किसी भी विचार या विचारधारा को प्रतिस्पर्धी होना चाहिए, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि हम समाज की ऐसी परस्पर विरोधी मानसिकताओं का समाधान कैसे करते हैं।

महाकुंभ का आखिरी अमृत स्नानःबसंत पंचमी पर संगम में स्नान जारी, साधु-संतों पर की गई पुष्प वर्षा

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वसंत पंचमी पर महाकुंभ का तीसरा और अंतिम अमृत स्नान जारी है। महाकुंभ के आखिरी अमृत स्नान पर संगम तट पर जुटे साधु-संतों और श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई है। यह पुष्प वर्षा हेलिकॉप्टर के जरिए की गई है। 144 साल बाद आए इस महाकुंभ का यह आखिरी अमृत स्नान है। महाकुंभ का आज 22वां दिन है। 13 जनवरी से अब तक 34.97 करोड़ से ज्यादा लोग डुबकी लगा चुके हैं। प्रशासन का अनुमान है कि आज 3 से 4 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा सकते हैं। 20 से ज्यादा देशों के लोग भी अमृत स्नान देखने के लिए संगम पहुंचे हैं।

त्रिवेणी संगम में अखाड़े अपने निर्धारित समय और कार्यक्रम के मुताबिक पावन स्नान कर रहे हैं। तीसरे अमृत स्नान के दौरान सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े के साधु-संतों ने डुबकी लगाई। फिर निरंजनी अखाड़ा और उसके बाद जूना अखाड़े के साधु-संत ने डुबकी लगाई।

संगम जाने वाले सभी रास्तों पर 10 किमी तक श्रद्धालुओं का रेला है। प्रयागराज जंक्शन से 8 से 10 किमी पैदल चलकर लोग संगम पहुंच रहे हैं। भीड़ देखते हुए लेटे हनुमान मंदिर को बंद कर दिया। मेला क्षेत्र के सभी रास्ते वन-वे हैं।

100 से ज्यादा IPS को उतारा गया

महाकुंभ मेले में 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। भीड़ संभालने के लिए 100 से ज्यादा नए IPS को भी उतारा गया है। हेलिकॉप्टर से भीड़ की मॉनिटरिंग की जा रही है। 2750 सीसीटीवी भी लगाए गए हैं। लखनऊ में सीएम आवास पर कंट्रोल रूम बनाया गया है। डीजीपी, प्रमुख सचिव गृह और सीनियर अफसरों के साथ योगी तड़के 3 बजे से खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

सीएम योगी ने अधिकारियों को दिया निर्देश

योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे स्नान स्थल पर पूरी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करें और श्रद्धालुओं के लिए सभी आवश्यक इंतजाम पूरे करें। साथ ही, उन्होंने आस्था के इस महान पर्व पर प्रशासन की तत्परता को बढ़ाने का आह्वान किया। मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से सुरक्षा व्यवस्था और यातायात प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया, ताकि हजारों श्रद्धालुओं को बिना किसी समस्या के संगम में स्नान का लाभ मिल सके।

अमृत स्नान की व्यवस्था पर डीआईजी ने क्या कहा

डीआइजी महाकुंभ वैभव कृष्ण ने कहा, व्यवस्था बहुत अच्छी है और आज भीड़ नियंत्रण आज हमारा काफी अच्छा है। सभी अखाड़ों का स्नान सफलतापूर्वक संपन्न हो रहा है और समय से पहले ही संपन्न हो रहा है। तीन अखाड़ों का स्नान अभी तक हो चुका है- महानिर्वाणी अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा और जूना अखाड़ा ने सफलतापूर्वक स्नान कर लिया है और अन्य अखाड़े भी सफलतापूर्वक स्नान करेंगे।

भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़ा झटका, ऑर्बिट में स्थापित नहीं हो सका NVS-02 सैटेलाइट, आगे क्या करेगा इसरो ?

#isros_100th_mission_faces_technical_glitch_nvs_02_navigation_satellite_stuck

अंतरिक्ष के क्षेत्र में लगातार सफलता हासिल कर रहे भारत को बड़ा क्षटका लगा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के 100वें NVS-02 सैटेलाइट मिशन में रविवार को तकनीकी खराबी आ गई। NVS-02 ऑर्बिट में स्थापित नहीं हो सका है। इसरो ने बताया कि अंतरिक्ष यान के थ्रस्टर्स सही से काम नहीं कर सके, जिसकी वजह से ऑर्बिट एजजस्टमेंट में बाधा आई। इसरो का ये मिशन अंतरिक्ष-आधारित नेविगेशन सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण था। 29 जनवरी को श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी-एफ 15 के जरिए NVS-02 सैटेलाइट लॉन्च किया था।

इसरो ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि अंतरिक्ष यान में लगे ‘थ्रस्टर्स’ के काम नहीं करने के कारण एनवीएस-02 उपग्रह को वांछित कक्षा में स्थापित करने का प्रयास सफल नहीं हो सका। इसरो ने कहा कि लॉन्‍च के बाद सेटेलाइट में लगे सौर पैनल को सफलतापूर्वक तैनात किया गया था। बिजली उत्पादन नाममात्र है. ग्राउंड स्टेशन के साथ कम्‍यूनिकेशन सिस्‍टम स्थापित हो गया है लेकिन सेटेलाइट कक्षा को आगे नहीं बढ़ाया जा सका क्योंकि ऐसा करने के लिए थ्रस्टर्स को फायर करने के लिए ऑक्सीडाइज़र को प्रवेश करने वाले वाल्व नहीं खुले थे।

इसरो ने अपने अपडेट में बताया कि हालांकि, सैटेलाइट के सभी सिस्टम सामान्य हैं और यह फिलहाल एक अंडाकार कक्षा (Elliptical Orbit) में मौजूद है। अब वैज्ञानिक इस सैटेलाइट का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसरो का NVS-02 सेटेलाइट को पृथ्वी के चारों ओर एक अण्डाकार कक्षा में स्थापित करने का इरादा था। बताया गया था कि इसकी अपोजी यानी सबसे दूर का बिंदू 37,500 किमी रहेगा जबकि पेरीजी यानी निकटतम बिंदू और 170 किमी की होगी। 29 जनवरी को जीएसएलवी द्वारा बहुत सटीक इंजेक्शन ने सेटेलाइट को एक ऐसी कक्षा में स्थापित कर दिया था जो लक्ष्‍य किए गए अपोजी से 74 किमी और पेरीजी से 0.5 किमी दूर थी।

बता दें कि इसरो का ये अभियान सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम का हिस्सा है, जो भारत में जीपीएस जैसी नेविगेशन सुविधा को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम कश्मीर से कन्याकुमारी, गुजरात से अरुणाचल तक का हिस्सा कवर करेगा। साथ ही साथ कोस्टल लाइन से 1500 किमी तक की दूरी भी कवर होगी। इससे हवाई, समुद्री और सड़क यात्रा के लिए बेहतर नेविगेशन हेल्प मिलेगी।

जनवरी में उत्तर - पश्चिम भारत में सामान्य से 80% कम बारिश, फसलों की पैदावार पर देखने को मिलेगा असर


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

देश में अधिकतर हिस्से में जनवरी जाते - जाते गर्म होती है तो फरवरी में तापमान सामान्य से अधिक और बारिश सामान्य से कम होने के आसार हैं। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने बातें कही। आईएमडी ने कहा कि फरवरी में उत्तर भारत के कुछ इलाकों में पहले वाली शीतलहर का प्रकोप दिखने की संभावना भी इस बार कम है‌। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने फरवरी महीने के मौसम को लेकर पूर्वानुमान जारी किया। कहा कि फरवरी में देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक बना रहेगा। पश्चिमी मध्य भारत और दक्षिणी भारत के कुछ के इलाकों में यह सामान्य रह सकता है। इसी तरह न्यूनतम भी देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से अधिक रह सकता है। उत्तर - पश्चिम इलाकों, दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य रह सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण में बदरा कम बरस सकते हैं। मौसम विभाग ने कहा कि फरवरी के दौरान उत्तर - पश्चिमी राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, कश्मीर में बारिश सामान्य से 78% तक कम रहने की संभावना है।

कम बारिश से गर्म रही जनवरी

मौसम विभाग के अनुसार बारिश कम होने से जनवरी इस बार सबसे गर्म महीना रहा। वर्ष 1901 के बाद जनवरी सर्वाधिक गर्म रहा है जब अधिकतम पारा 25.45 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। जनवरी का अधिकतम औसत तापमान 24.61 डिग्री है। इस प्रकार जनवरी में 0.84 डिग्री की बढ़ोतरी हुई है। भारत में वर्ष 1901 के बाद बीते अक्टूबर सबसे गर्म महीना रहा था।

गर्मी और सूखे से गहराएगा संकट

मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर और पश्चिमी राज्यों जैसे यूपी, पंजाब, हरियाणा, कश्मीर, उत्तराखंड में रबी फसलें लगी है। सर्दी में बारिश कम होने से पैदावार प्रभावित होगी। बागवानी भी प्रभावित हो सकती है। फरवरी में तापमान की तेज चाल से फलों में फूल जल्दी जाएंगे। फसलें प्रभावित होने के साथ गुणवत्ता भी खराब हो सकती है। अच्छी पैदावार के लिए हल्की सिंचाई की जरूरत होगी। शीतलहर का प्रकोप कम रहने से यूपी, मध्य प्रदेश में नुकसान कम होगा।

कैंसर की दवा से लेकर मेडिकल उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियां और मोबाइल, क्या सस्ता क्या महंगा, देखें लिस्ट

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में वित्त वर्ष 2025 का आम बजट पेश किया। इस बजट पर आम जनता से लेकर व्यापार जगत की भी नजरें टिकी हुईं थी। बजट में मोदी सरकार ने इस बार मध्यम वर्ग के लिए अपना पिटारा खोल दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि इस बार मिडिल क्लास पर लक्ष्मी बरसेगी। बजट में आयकर से जुड़ी घोषणाओं के साथ-साथ कई ऐसे ऐलान हुए, जो रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े सामान की कीमतों को प्रभावित करते हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि सेक्टर से लेकर ऑटोमोबाइल सेक्टर को बड़ा तोहफा दिया है, जहां एक ओर किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक कर दिया है। वहीं, हेल्थ सेक्टर को बूस्ट देने के लिए भी फैसला किया है। बजट में कैंसर पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए कैंसर की दवाओं को सस्ता करने का ऐलान किया गया है। केपीएमजी ने सभी जिला अस्पतालों में डेकेयर कैंसर सेंटर लगाने की योजना का समर्थन किया है। यह योजना कैंसर मरीजों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं देने के दिशा में बढ़िया हैं।

ये चीजें हुईं सस्ती

• कई तरह के खनिज

• बुनकरों के बनाए कपड़े

• चमड़े से बने सामान

• मोबाइल फोन

• लीथियम बैटरी

• एलईडी

• एलसीडी टीवी

• इलेक्ट्रिक व्हीकल

• मेड इन इंडिया कपड़े

• मेडिकल उपकरण

• कैंसर की दवाएं

• फिश पेस्ट

• लेदर गुड्स

महंगे हुए ये सामान

वहीं, अब इम्पोर्टेड मोटरसाइकिल, इंटरेक्टिव फ्लैट, पैनल डिस्प्ले और प्रीमियम टीवी महंगी जो जाएगी।