धर्म से जुड़े विवादों का कैसे होगा निपटारा? एनएसए अजीत डोभाल ने बताया
#nsaajitdovaloncountryreligionandislamrelationship
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल रविवार 2 फरवरी को दिल्ली में आयोजित हो रहे पुस्तक मेले में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने तुर्की-अमेरिकी विद्वान अहमद टी कुरु की पुस्तक 'इस्लाम, ऑथरिटेरियनिस्म एंड अंडर डेवलपमेंट' को लॉन्च किया। इस दौरान अजीत डोभाल ने मेले में धार्मिक पहचान से जुड़े विवादों पर बातचीत की। एनएसए ने कहा कि धार्मिक पहचान से जुड़े विवादों से बचने के लिए विचारों का स्वतंत्र प्रवाह महत्वपूर्ण है। संघर्ष समाधान पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों और समाजों द्वारा ‘‘आत्मनिरीक्षण'' हमेशा महत्वपूर्ण रहा है।
अजीत डोभाल ने कहा देश और धर्म के बीच संबंधों की घटना इस्लाम के लिए नई बात नहीं है. कुरु की किताब में जैसे बताया गया है कि इस्लाम के इतिहास में अलग-अलग कई स्टेज आए, जिसमें देश और धर्म के बीच रिश्ते कई दफा बदले, घटे और बढ़े क्योंकि अब्बासिद राजवंश के शासन में देश और धर्मगुरु की भूमिका पर स्पष्टता थी। पादरी वर्ग की भूमिका क्या है और राज्य की भूमिका क्या है, इसकी समझ बिल्कुल साफ थी। हिंदू धर्म में भी यह बात रही है और मुझे नहीं लगता कि आने वाले समय में शायद इसमें कोई भिन्नता हो।
विवादों से बचने के लिए विचारों का स्वतंत्र प्रवाह बहुत जरूरी-डोभाल
डोभाल ने कहा कि संघर्ष किसी भी विचारधारा या किसी भी देश के अस्तित्व में अंतर्निहित होते हैं। विचार और विचारधारा में प्रतिस्पर्धी होना बहुत जरूरी है। अगर यह प्रतिस्पर्धी नहीं है, तो फिर यह नहीं है या फिर सर्वमान्य है। हम संघर्षों का हल कैसे करते हैं, ये महत्वपूर्ण है। समाज की मानसिकता क्या है, इसको भी समझना बहुत जरूरी है। विवादों से बचने के लिए विचारों का स्वतंत्र प्रवाह बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि पहला संघर्ष खुद से खुद के बीच है। आपकी मान्यताओं, विचारों, आवश्यकताओं, आकांक्षाओं के बीच संघर्ष है। यहां तक कि दूसरे इंसानों, भगवान और समाज के साथ भी संघर्ष है। आपके खुद एक से अधिक विचार हो सकते हैं और कभी-कभी आप खुद इसे सोचते भी होंगे।
प्रिंटिंग प्रेस के विरोध का किया जिक्र
हिंदू धर्म का जिक्र करते हुए एनएसए ने कहा कि हिंदू धर्म में लड़ाई-झगडों को शास्त्रार्थ और मेडिटेशन के जरिए सुलझाया जाता था। वहीं जो पीढ़ियां लीक से हटकर नहीं सोच पाईं वे स्थिर हो गईं। एनएसए अजीत डोभाल ने प्रिंटिंग प्रेस का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रिंटिंग प्रेस को अपनाने के लिए इमाम वर्ग की ओर से काफी विरोध हुआ था। उन्होंने सोचा था कि इसके आने से इस्लाम के वास्तविक अर्थ की सही ढंग से या उनकी मान्यता के हिसाब से व्याख्या नहीं हो पाएगी।
आत्मनिरीक्षण को बताया महत्वपूर्ण
एनएसए डोभाल ने कहा कि राज्यों और समाजों द्वारा आत्मनिरीक्षण बहुत महत्वपूर्ण है। धर्म या राज्य के प्रति निष्ठा से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। हमें अपने दिमाग को कैद नहीं होने देना चाहिए। अगर आप आत्मनिरीक्षण नहीं करते हैं तो आप समय और दिशा खो देते हैं। अगर बहुत देर से किया तो आप पिछड़ जाते हैं। किसी भी विचार या विचारधारा को प्रतिस्पर्धी होना चाहिए, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि हम समाज की ऐसी परस्पर विरोधी मानसिकताओं का समाधान कैसे करते हैं।
6 hours ago