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कौन हैं दुलारी देवी जिनकी दी हुई साड़ी पहन कर वित्त मंत्री सीतारमण पेश करेंगी बजट 2025

भारत का आज यानी 1 फरवरी को आम बजट पेश होगा. आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में आम बजट 2025 पेश करने पहुंचीं, तो उनकी साड़ी ने सभी की निगाहें अपनी ओर खींची. उन्होंने मधुबनी कला से सजी क्रीम रंग की एक खास साड़ी पहनी थी. वित्त मंत्री की ये साड़ी इसीलिए और भी ज्यादा खास है क्योंकि यह न सिर्फ भारत की कला को पेश करती है, बल्कि इसको बिहार की मशहूर मधुबनी चित्रकार पद्मश्री दुलारी देवी ने तैयार किया है.

पद्मश्री दुलारी देवी की तैयार की हुई यह साड़ी सिर्फ एक साड़ी नहीं है, बल्कि संघर्ष, परंपरा और कला की अद्भुत यात्रा की कहानी है. दुलारी देवी ने वित्त मंत्री को यह साड़ी गिफ्ट की थी. दुलारी देवी ने वित्त मंत्री से यह साड़ी गिफ्ट करते वक्त कहा था कि वो यह साड़ी पहनकर बजट 2025 पेश करें. दुलारी देवी ने निर्मला सीतारमण को यह साड़ी तब गिफ्ट की थी जब वो मिथिला कला संस्थान में क्रेडिट आउटरीच के लिए मधुबनी के दौरे पर गई थीं.

मछुआरा परिवार से राष्ट्रीय पहचान तक का सफर

बिहार के मधुबनी जिले में जन्मीं दुलारी देवी मछुआरा समुदाय से आती हैं, जहां महिलाओं का कला से कोई संबंध नहीं था. दुलारी देवी के जीवन में ऐसा नहीं हुआ कि वो बचपन से ही मधुबनी सीखने और चित्र करने की शौकीन हो या उन्होंने बचपन से ही इसको सीखा हो. बल्कि परिस्थितियों ने उन्हें मधुबनी से मिलाया और यहीं से उन्होंने इसको अपनी पहचान बनाने का साधन बना लिया और कामयाबी के शिखर पर चढ़ती चली गई.

दुलारी देवी की छोटी उम्र में शादी हो गई थी और महज 16 साल की उम्र में उन्हें उनके पति ने छोड़ दिया था. इससे भी बड़ा दुख तब मिला जब उन्होंने अपने बच्चे को खो दिया था. इसके बाद अपनी जिंदगी जीने के लिए उन्होंने 16 सालों तक एक घरेलू नौकरानी के रूप में काम किया.

लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. जिस घर में वो नौकरानी थीं, वहां प्रसिद्ध मधुबनी चित्रकार कर्पूरी देवी रहती थीं. उन्हें देखकर दुलारी देवी को भी इस कला में दिलचस्पी पैदा हुई. उन्होंने धीरे-धीरे चित्रकारी सीखनी शुरू किया और यहीं से उनकी प्रतिभा को कामयाबी की राह मिली. अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर वो राष्ट्रीय स्तर की कलाकार बन गईं और उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया.

समाज के लिए कला का माध्यम

दुलारी देवी की मधुबनी चित्रकारी सिर्फ रंगों का संगम नहीं है, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने का एक जरिया भी है. उन्होंने अब तक 10,000 से अधिक पेंटिंग्स बनाई हैं, जिनमें वो बाल विवाह, एड्स जागरूकता, भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों को उकेरने का काम करती हैं. उनकी कला न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में प्रदर्शनी का हिस्सा बन चुकी है.

इतना ही नहीं, उन्होंने 1,000 से अधिक विद्यार्थियों को भी मधुबनी की ट्रेनिंग दी और मधुबनी कला की विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया.

बजट दिवस पर संसद में दिखी मधुबनी कला

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भारतीय हस्तकला और हैंडलूम को हमेशा बढ़ावा देती आई हैं. इस साल जब उन्होंने बजट पेश करने के दौरान दुलारी देवी की बनाई मधुबनी साड़ी पहनी, तो यह न केवल एक कलाकार का सम्मान था, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर को भी सलाम था और उन्होंने न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया को बड़ा संदेश दिया. साथ ही पीएम मोदी की मेक इन इंडिया की पहल को भी आगे बढ़ाने का काम किया.

इस ऐतिहासिक मौके पर दुलारी देवी ने भावुक होकर कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी बनाई कला संसद तक पहुंचेगी, यह मेरे लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं है.”

गाजियाबाद में गैस सिलेंडर से लदे ट्रक में भीषण आग, कई घर और दुकानें जलकर स्वाहा

गाजियाबाद जिले के थाना टीला मोड़ क्षेत्र में दिल्ली-वजीराबाद रोड पर भोपुरा चौक पर गैस सिलेंडर ले जा रहे एक ट्रक में भीषण आग लग गई, जिससे सिलसिलेवार विस्फोट हुए. मुख्य अग्निशमन अधिकारी राहुल कुमार के मुताबिक, फायर ब्रिगेड के अधिकारी और कर्मचारी मौके पहुंचे थे. लेकिन लगातार सिलेंडर फटने के कारण फायर ब्रिगेड कर्मी ट्रक तक नहीं पहुंच पा रहे थे. स्थानीय नागरिकों के मुताबिक, आग लगने की वजह से आस-पास की दुकानें पूरी तरह से जल गईं. धमाके का शोर इतना ज्यादा था कि लोग किसी तरह से वहां से बाहर निकले.

ब्लास्ट से लोगों में डर का माहौल

हालांकि आग लगने का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है. इस घटना में अभी तक किसी के हताहत होने या घायल होने की सूचना नहीं है. गैस सिलेंडर में रुक-रुक हो रहे ब्लास्ट से लोगों में डर का माहौल है. स्थानीय लोग अपना-अपना घर छोड़कर जा रहे हैं. पूरे इलाके में धुआं फैल गया है. इससे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है.

घर में भी लगी आग

एक स्थानीय का दावा है कि यह घटना सुबह करीब 4.30 बजे हुई और कई सिलेंडर फट गए. इसकी वजह से पास का एक लकड़ी का गोदाम प्रभावित हुआ और एक घर में भी आग लग गई. एक और स्थानीय ने कहा कि पास का होटल क्षतिग्रस्त हो गया है, शीशे टूट गए हैं. जनता में बहुत दहशत है.

आसपास के घरों को कराया खाली

मुख्य अग्निशमन अधिकारी राहुल पाल ने बताया कि सुबह करीब 4.35 बजे हमें एलपीजी सिलेंडर से लदे ट्रक में आग लगने की सूचना मिली थी. जिसके बाद तत्काल दमकल की गाड़ियों को मौके पर भेजा गया. पुलिस ने आसपास के घरों को खाली करा लिया. घरों और कुछ वाहनों में आग पूरी तरह से बुझ गई है.

इस बार बजट में क्या होगा खास? यहां समझिए पूरी बात

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज सुबह 11 बजे संसद में वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश करने जा रही हैं. ये बजट ऐसे समय पेश होने जा रहा है जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद दुनिया की इकोनॉमी में बड़े बदलाव की आशंका है. देश में महंगाई नियंत्रण में होते हुए भी जमीन पर उतरती नहीं दिख रही है. कॉरपोरेट टैक्स अपने निचले स्तर पर होते हुए भी देश में प्राइवेट इंवेस्टमेंट ना के बराबर है और रोजगार से लेकर थाली तक की चिंता आम आदमी के माथे की शिकन बनी हुई है. ऐसे में इस बार बजट में क्या खास होने वाला है, गरीब, मिडिल क्लास, सैलरी क्लास, महिला और युवा के हाथ में क्या आने वाला है, यहां समझते हैं पूरी बात आसान भाषा में…

बजट से ठीक पहले इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 पेश हो चुका है. ये भी देश की इकोनॉमी को लेकर कई खुलासे करता है. इसमें देश की इकोनॉमिक ग्रोथ अगले वित्त वर्ष में 6.5 से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताया गया है. तो आखिर सरकार किस मोर्चे पर क्या कदम उठाने जा रही रही है? वित्त मंत्री अब बजट को अंतिम रूप दे चुकी हैं.

इनकम टैक्स

आम आदमी या कहें सैलरी क्लास के लिए इनकम टैक्स में छूट या उसकी स्लैब चेंज का मुद्दा सबसे बड़ा होता है. सरकार ने जुलाई में आए पिछले बजट के बाद कई संकेत दिए हैं कि वह इनकम टैक्स के लेवल पर आम आदमी को कुछ राहत दे सकती है. ऐसे में इस बात की सबसे ज्यादा उम्मीद है कि सरकार न्यू इनकम टैक्स में नई राहत का ऐलान कर सकती है. पिछले बजट में भी सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को 50,000 से बढ़ाकर 75,000 कर दिया था. हालांकि ओल्ड टैक्स रिजीम को लेकर कोई बड़ा बदलाव होने की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि सरकार उस दिशा में सोच भी नहीं रही है. इसकी वजह भी है.

देश की इकोनॉमी इस समय उपभोक्ता मांग में कमी से जूझ रही है. ऐसे में सरकार इनकम टैक्स में राहत देकर आम आदमी के हाथ में थोड़ा एक्स्ट्रा पैसा छोड़ सकती है. इससे देश में डिमांड बेहतर हो सकती है. किसी भी इकोनॉमी में महंगाई का ऊंचा होना उतना चिंताजनक नहीं होता, जितना की डिमांड का कम होना. भारत में इस स्थिति और अजीब है रिटेल महंगाई नीचे बनी हुई है, लेकिन फूड इंफ्लेशन हाई पर है. उसके बावजूद देश में डिमांड का स्तर कम है.

रोजगार

बजट में रोजगार के मुद्दे पर भी सरकार फोकस कर सकती है. पिछले बजट में भी सरकार ने ‘प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना’ को पेश किया था. हालांकि ये अभी धरातल पर पूरी तरह से नहीं उतर पाई है. ऐसे में वित्त मंत्री सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को भरने से लेकर प्राइवेट सेक्टर में रोजगार बढ़ाने को लेकर ऐलान कर सकती हैं. इसके अलावा सरकार प्राइवेट इंवेस्टमेंट को बढ़ाने के लिए कोई प्रोत्साहन योजना का ऐलान कर सकती हैं, जो रोजगार से लिंक्ड हो सकती है.

गरीब और महंगाई

बजट में सरकार महंगाई से राहत के उपाय भी कर सकती है, ताकि गरीब की थाली में रोटी पहुंचती रहे. इसके लिए सरकार ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ का दायरा बढ़ाने से लेकर खाने-पीने की तमाम वस्तुओं पर टैक्स में कटौती, खाद्य तेल पर आयात शुल्क में छूट और पेट्रोल-डीजल पर टैक्स में कमी जैसे उपाय अपना सकती है. हालांकि इसके साथ सरकार को राजकोषीय घाटे पर लगाम रखने, देश पर बढ़ते कर्ज के बोझ को संभालने का भी उपाय करना है. इसलिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक बैलेंस अप्रोच रख सकती हैं.

महंगाई को नियंत्रण में लाना इकोनॉमी में कंजप्शन बढ़ाने के लिए जरूरी भी है. अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में साबुन-तेल बेचने वाली कंपनियों (एफएमसीजी सेक्टर) की सेल महज 3 प्रतिशत बढी है. कंज्यूमर बास्केट में शामिल चाय से लेकर खाने के तेल और स्किन केयर प्रोडक्ट्स तक की कीमतों में 5 प्रतिशत से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. तमाम ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सितंबर के बाद से ही लगातार सेल चल रही है, जो नए साल में भी जारी है. ये सभी देश में कंजप्शन की कमी की ओर इशारा करते हैं.

इंफ्रास्ट्रक्चर

बजट में जहां सरकार को टैक्स में कटौती करने का दबाव है, वहीं रोजगार बढ़ाने का भी प्रेशर है. इसलिए पिछले कई बजट की तरह सरकार का फोकस कैपेक्स पर रहेगा. पिछले बजट में सरकार ने रेलवे, डिफेंस ओर सड़क एवं राजमार्ग पर बजट का बड़ा हिस्सा खर्च किया था. इंफ्रास्ट्रक्चर पर किया खर्च इकोनॉमी में मल्टीप्लायर इफेक्ट डालता है. अगर सरकार 1 रुपए इंफ्रा पर खर्च करती है, तो इकोनॉमी को उसका फायदा करीब 3.5 रुपए का मिलता है. इसलिए इस बार भी बजट में जहां रेलवे और सड़क परिवहन मंत्रालय को अच्छा बजट मिलने वाला है. वहीं डिफेंस का बजट ‘मेक इन इंडिया’ से प्रेरित हो सकता है, ताकि हथियारों के स्वदेशीकरण से लेकर रोजगार तक सब बढ़ें.

इलेक्ट्रिक व्हीकल

साल 2024 वाहन उद्योग के लिए बस ठीकठाक ही रहा है. कई नई गाड़ियों के लॉन्च के बावजूद उनकी सेल्स में तेजी नहीं दर्ज की गई. वहीं ये देश के टोटल मैन्यूफैक्चर सेक्टर का करीब 40 प्रतिशत है. इतना ही नहीं बड़े पैमाने पर रोजगार भी जेनरेट करता है. सरकार बजट में इलेक्ट्रिक व्हीकल और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने पर फोकस कर सकती है. इससे दो फायदे होंगे, एक तो सरकार को अपना पेट्रोलियम इंपोर्ट कम करने में मदद मिलेगी. वहीं चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर नए तरह के व्हीकल बनाने से नए रोजगार भी जेनरेट होंगे.

इसके अलावा सोशल सिक्योरिटी, हेल्थ सिक्योरिटी और महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ बजट में सरकार का फोकस कृषि पर भी रहने वाला है. पीएम नरेंद्र मोदी ने बजट सत्र की शुरुआत से पहले कहा भी है कि मां लक्ष्मी देश के गरीब और मिडिल क्लास पर विशेष कृपा बनाए रखें हैं. ये सरकार के बजट की प्रायोरिटी को इंगित करता है.

बजट 2025: मध्यम वर्ग को मिल सकती है बड़ी राहत, इनकम टैक्स में हो सकते हैं ये बड़े बदलाव

बजट 2025 कई मायनों में काफी ऐतिहासिक हो सकता है. इसका पहला अहम कारण है कि देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार 8 बजट पेश की करने वाली पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी. साथ ही देश के मिडिल क्लास को बड़ी राहत देने का काम भी इस बजट में हो सकता है. इसके अलावा देश की सुस्त पड़ी इकोनॉमिक ग्रोथ को गति देने के लिए भी देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कई अहम ऐलान कर सकती है. लेकिन जिस तरह की खबरें आ रही है, उसमें सबसे अहम देश के टैक्सपेयर्स को राहत देने की हैं. जानकारों का मानना है कि देश के मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स में बड़ी छूट मिल सकती है. आइए आपको भी बताते हैं कि इस बारे में देश के जानकारों का क्या कहना है?

इनकम टैक्स स्लैब में मिल सकती है राहत

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को अपना लगातार आठवां बजट पेश करेंगी जिसमें महंगाई और स्थिर वेतन वृद्धि से जूझ रहे मिडिल क्लास को राहत देने के लिए इनकम टैक्स रेट/स्लैब में कटौती या बदलाव की उम्मीद की जा रही है. वित्त मंत्री राजकोषीय घाटे को कम करने के मसौदे पर टिके रहते हुए वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में कमजोर पड़ती आर्थिक वृद्धि को सहारा देने के उपाय भी कर सकती हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गरीब और मध्यम वर्ग के उत्थान के लिए धन की देवी का आह्वान करने के बाद आयकर में राहत मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं. खासकर निम्न मध्यम वर्ग को बजट में कुछ राहत मिल सकती है.

सरकारी खर्च बढ़ेगा

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि पहली तिमाही के आंकड़े निजी खपत में उल्लेखनीय वृद्धि और निवेश गतिविधि में मामूली सुधार की ओर इशारा करते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में चुनाव संपन्न होने के साथ अनुमान है कि सरकारी खर्च बढ़ेगा, जिससे आगामी तिमाहियों में वृद्धि को समर्थन मिलेगा. उन्होंने कहा कि सरकार कौशल विकास और रोजगार सृजन की दिशा में प्रयासों को प्राथमिकता देना जारी रखेगी.

कैपेक्स में 20 फीसदी के इजाफे की उम्मीद

अर्नेस्ट एंड यंग (ईवाई) को उम्मीद है कि आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए पूंजीगत व्यय में कम-से-कम 20 प्रतिशत बढ़ोतरी होगी. ईवाई इंडिया में मुख्य नीतिगत सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा कि चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिदृश्य के बीच आगामी बजट में राजकोषीय संयम को वृद्धि उपायों के साथ संतुलित करना चाहिए. डीबीएस की वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि केंद्र सरकार राजकोषीय समेकन के रास्ते पर टिके रहकर और लोकलुभावन उपायों से दूर रहकर व्यापक स्थिरता को प्राथमिकता दे सकती है.

चुटकी में होंगे रेलवे से जुड़े सारे काम, आ गया ये नया गजब का ऐप

भारतीय रेलवे एक बड़ी तैयारी में है. भारतीय रेलवे ने एक सुपर ऐप ऐप तैयार किया है. भारतीय रेलवे मंत्रालय द्वारा इसे डिजाइन किया गया है. यह लोगों को सुविधा पहुंचाने के लिए तैयार किया गया है. इस ऐप में विशेष रूप से इंटरफेस और यूजर्स एक्सपिरियंस के बेहतर बनाने पर जोड़ दिया गया है. ऐसे में आइए इनके फीचर्स पर एक नजर डालते है

सिंगल-साइन-ऑन

इस ऐप में यूजर्स को बार बार साइन ऑन नहीं करना पड़ेगा. यानि की सिंगल साइन ऑन से आप इसके सभी सर्विस का इस्तेमाल कर सकते है. यही नहीं यह भारतीय रेलवे के अन्य ऐप्स जैसे IRCTC RailConnect, UTS Mobile App आदि में भी काम करेगी. आसान भाषा में समझे तो यह एक ऑल इन वन ऐप है.

मौजूदा समय में आरक्षित और अनारक्षित बुकिंग के लिए अलग-अलग ऐप्स होते हैं. इसके अलावा ट्रेन की आवाजाही और डेट लाइन देखने के लिए भी अलग ऐप्स डाउनलोड करने पड़ते हैं. अब ये सभी सर्विस एक ही ऐप में मौजूद होंगी.

इंटीग्रेटेड सर्विसेज

इस ऐप में सभी सर्विस को एकस जगह कर दिया जाएगा. उदाहरण के लिए PNR पूछताछ करते समय संबंधित ट्रेन की जानकारी भी दिखाई जाएगी. इसकी मदद से ऑनबोर्डिंग या साइन अप करना काफी आसान हो जाएगा. यूजर्स अपने मौजूदा RailConnect या UTS ऐप के क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल कर सुपर ऐप में आसानी से साइन अप कर सकते हैं.

साइन अप प्रक्रिया को आसान और यूजर्स के अनुकूल बनाने के लिए इसे डिजाइन किया गया है.इन सब के अलावा यह लॉगिन करने में भी काफी आसान होगा. यूजर्स के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए अलग अलग लॉगिन ऑप्शन दिए गए हैं. एक बार लॉगिन करने के बाद ऐप को बाद में mPIN या बायोमेट्रिक के जरिए भी एक्सेस किया जा सकेगा

जबलपुर का ऐसा गांव, जहां 25 सालों से नहीं पी किसी ने शराब

मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने भले ही प्रदेश के 17 शहरों में शराबबंदी लागू करने की घोषणा की हो, लेकिन जबलपुर जिले का एक आदिवासी गांव ऐसा भी है, जहां पिछले 25 वर्षों से पूर्ण शराबबंदी है. इस गांव की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां सभी गौड़ आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं और उन्होंने स्वेच्छा से शराब के खिलाफ यह अभियान चलाया है.

इस गांव से प्रेरणा लेकर आसपास के करीब एक दर्जन गांवों ने भी अपने क्षेत्र में शराबबंदी लागू कर दी है. गांव में शराब लाने, बेचने या पीने वालों पर 25,000 का जुर्माना लगाया जाता है और सजा के तौर पर पूरे गांव को भोजन कराना पड़ता है. इस सख्ती की वजह से गांव पूरी तरह नशामुक्त हो चुका है और इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि गांव के युवा अब शिक्षा और रोजगार की ओर अग्रसर हैं.

कैसे हुई शराबबंदी की शुरुआत?

दरअसल, जबलपुर से 55 किलोमीटर दूर स्थित देवरी नवीन गांव में 25 साल पहले तक शराब का बोलबाला था. गांव के कई युवा और बुजुर्ग शराब के आदी हो चुके थे, जिससे घर-परिवार की शांति भंग हो गई थी. शराब की वजह से झगड़े, हिंसा, घरेलू कलह और आर्थिक तंगी जैसी समस्याएं आम हो गई थीं. ऐसे हालात में बरगी विधानसभा क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत देवरी नवीन के पंचों और महिलाओं ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया.

पंचों ने ग्राम पंचायत की बैठक बुलाई और सभी ग्रामीणों ने आपसी सहमति से शराबबंदी का संकल्प लिया और महिलाओं की एक समिति बनाई. ग्राम पंचायत ने शराबबंदी को सख्ती से लागू करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया. इस समिति में गांव की महिलाओं की अहम भूमिका रही, जिन्होंने आगे बढ़कर शराब पीने वालों की पहचान करने, उन पर जुर्माना लगाने और गांव को शराब मुक्त बनाने में योगदान दिया.

शराब पीने पर कठोर दंड

ग्राम पंचायत ने शराबबंदी के लिए कड़े नियम बनाए.

शराब लाने, बेचने या पीने पर 25,000 का जुर्माना.

जुर्माने के साथ पूरे गांव को भोजन कराना अनिवार्य.

शराब पीकर गाली-गलौज करने वालों पर 10,000 का अतिरिक्त जुर्माना.

गांव की महिलाओं को यह अधिकार दिया गया कि वे शराब पीने वालों की शिकायत पंचायत से कर सकती हैं.

शराबबंदी के नियमों को तोड़ने वालों को सामाजिक रूप से बहिष्कृत करने का प्रावधान भी रखा गया.

गांव के लोगों ने इस नियम को अपनी परंपरा के रूप में स्वीकार कर लिया और तभी से कोई भी व्यक्ति शराब नहीं पीता और न ही गांव में लाने की हिम्मत करता है.

महिलाओं की अहम भूमिका

गांव की महिला समिति ने शराबबंदी को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई. गांव की महिला सदस्य होलिका बाई बताती हैं कि एक समय था, जब गांव के हर मोहल्ले में शराब बनाई और बेची जाती थी. गांव के युवा और बुजुर्ग शराब के आदी हो चुके थे और इससे महिलाओं और बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा था. गांव की महिलाओं ने एकजुट होकर शराबबंदी के लिए आंदोलन किया. उन्होंने शराब पीने वालों के नाम ग्राम पंचायत को बताए और कड़े फैसले लेने का आग्रह किया. धीरे-धीरे शराब पीने वाले कम होते गए और आज गांव पूरी तरह शराब मुक्त हो गया है.

आसपास के गांवों ने भी ली प्रेरणा

गांव के सचिव सतीश राय बताते हैं कि देवरी नवीन की सफलता से प्रेरित होकर आसपास के तिन्हेटा, पटी, उर्रम, चिरपोड़ी, करेली, नकटिया और बड़ीबारा जैसे गांवों ने भी शराबबंदी के लिए कड़े नियम बना दिए हैं. यह सभी गांव अब ग्राम पंचायत और महिलाओं की पहल से शराब मुक्त हो चुके हैं. शराब पीने वालों पर यहां भी भारी जुर्माना लगाया जाता है और जो राशि मिलती है, उसे गांव के विकास कार्यों, गरीब बच्चों की शिक्षा और शादी में खर्च किया जाता है.

एक युवक रोज शराब पीकर घर लौटता था, जिससे उसकी पत्नी बहुत परेशान थी. पत्नी ने पंचायत से शिकायत की और पंचायत ने युवक पर 10,000 का जुर्माना लगाया.

गांव में एक व्यक्ति बाहर से शराब लाकर बेचने की कोशिश कर रहा था. पंचायत ने उस पर 25,000 का जुर्माना लगाया और यह रकम गांव की एक बेटी की शादी में खर्च की गई.

जुर्माने की राशि से गांव में बर्तन खरीदे गए और अन्य सामूहिक जरूरतों को पूरा किया गया.

इन कड़े फैसलों का नतीजा यह निकला कि पिछले 10 वर्षों में गांव में शराब पीने या बेचने का एक भी मामला सामने नहीं आया.

प्रशासन की सराहना, लेकिन प्रचार की कमी

गांव की इस अनोखी पहल की कलेक्टर, कमिश्नर और मुख्यमंत्री तक सराहना कर चुके हैं, लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी के कारण अन्य गांवों तक इसकी मिसाल नहीं पहुंच सकी. यदि इस मॉडल को राज्य स्तर पर प्रचारित किया जाए और अन्य गांवों को इससे सीखने के लिए प्रेरित किया जाए तो यह पूरे प्रदेश में एक सशक्त नशामुक्ति अभियान का रूप ले सकता है.

गांव की सफलता और उज्ज्वल भविष्य

आज देवरी नवीन गांव में शिक्षा और रोजगार की दिशा में सकारात्मक बदलाव दिख रहे हैं.

गांव के युवा अब पढ़ाई और नौकरी पर ध्यान दे रहे हैं

महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं और उन्हें सामाजिक समानता मिली है.

गांव में घरेलू हिंसा और झगड़े पूरी तरह खत्म हो गए हैं.

गांव की आर्थिक स्थिति सुधर गई है, क्योंकि अब लोगों की कमाई शराब में बर्बाद नहीं होती.

गांव के लोग इस बदलाव से खुश हैं और इसे अपनी नई परंपरा बना चुके हैं. देवरी नवीन एक आदर्श गांव बन चुका है, जहां शराबबंदी केवल कानून से नहीं, बल्कि सामूहिक संकल्प से लागू हुई. यहां के लोगों ने सामाजिक चेतना और आत्मनियंत्रण के दम पर शराब को पूरी तरह खत्म कर दिया. यदि इस मॉडल को राज्य सरकार समर्थन दे और अन्य गांवों को इससे प्रेरित किया जाए तो मध्य प्रदेश के कई अन्य गांव भी शराब मुक्त बन सकते हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है.

दिल्ली में AAP को बड़ा झटका, वोटिंग से 5 दिन पहले 7 विधायकों ने छोड़ी पार्टी

दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान से पहले आम आदमी पार्टी को बहुत बड़ा झटका लगा है. 7 विधायकों ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देने वाले विधायकों में त्रिलोकपुरी से विधायक रोहित महरौलिया, जनकपुरी से राजेश ऋषि, कस्तूरबा नगर से मदनलाल, पालम सीट से भावना गौड़, बिजवासन से बीएस जून, आदर्श नगर से पवन शर्मा और महरौली से नरेश यादव हैं.

इस्तीफा देते हुए रोहित महरौलिया अरविंद केजरीवाल के नाम पत्र लिखा. उन्होंने कहा, “मैं अन्ना आंदोलन के समय अपनी 15 साल पुरानी नौकरी छोड़कर, ये सोचकर आपके साथ जुड़ा था कि हजारों सालों से छुआछूत, भेदभाव और शोषण का दंश झेलते आ रहे मेरे समाज की आप शायद बराबरी का दर्जा व सामाजिक न्याय दिलाकर बाबा साहेब के सपनों को सरकार करेंगे”.

आपने मेरे समाज को बोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया

“आपने कई बार सार्वजनिक मंचों से यह कहा था कि जब हम सत्ता में आएंगे तो दलित समाज/वाल्मीकि समाज के लोगों को आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे. कड्डे कर्मचारियों को पक्का करेंगे और ठेकेदारी प्रथा को पूरी तरह से बंद करेंगे. आपकी बात पर भरोसा करके मेरे समाज ने एक तरफा आपको लगातार समर्थन दिया, जिसके बूते पर दिल्ली में तीन-तीन बार सरकार बनी”.

पत्र में उन्होंने आगे लिखा, “बावजूद इसके ना तो ठेकेदारी प्रथा बंद हुई और ना ही 20-20 साल से कच्ची नौकरी पर काम करने वाले लोगों को पक्का किया गया. कुल मिलाकर आपने मेरे समाज के लोगों के साथ होने वाले भेदभाव और शोषण को रोकने के लिए अभी तक कुछ नहीं किया बल्कि आपने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए मेरे समाज को केवल बोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है”.

भ्रष्टाचार के दलदल में लिप्त है आम आदमी पार्टी

रोहित के साथ ही विधायक नरेश यादव ने अपने इस्तीफे में लिखा, “भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी का उदय राजनीति से भ्रष्टाचार को खत्म करना था. मगर, अब मैं बहुत दुखी हूं कि आम आदमी पार्टी बिल्कुल भी भ्रष्टाचार कम नहीं कर पाई. बल्कि आम आदमी पार्टी ही भ्रष्टाचार के दलदल में लिप्त हो चुकी है”.

“मैंने आम आदमी पार्टी ईमानदारी की राजनीति के लिए ही ज्वाइन की थी. आज कहीं भी ईमानदारी नजर नहीं आ रही है. मैंने महरौली विधानसभा क्षेत्र में पिछले 10 सालों से लगातार 100 फीसदी ईमानदारी से काम किया है. महरौली के लोग जानते हैं कि मैंने ईमानदारी की राजनीति, अच्छे व्यवहार की राजनीति और काम की राजनीति की है”.

“मैंने महरौली के बहुत से लोगों से चर्चा की, सभी ने यही कहा कि आम आदमी पार्टी अब पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त हो चुकी है. आपको इस पार्टी छोड़ देनी चाहिए क्योंकि इन्होंने लोगों के साथ धोखा किया है. कहते थे कि हम ईमानदारी की राजनीति करेंगे लेकिन आज पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं”.

महाकुंभ में एक और हादसा, टूट गया पीपा का पुल; कई श्रद्धालु दबे

प्रयागराज महाकुंभ में एक और हादसा हुआ है. शुक्रवार दोपहर के समय संगम क्षेत्र से बाहर फाफामऊ इलाके में गंगा नदी पर बना पीपा का पुल अचानक से टूट गया. पुल टूट जाने से कई लोगों के दबे होने की आंशका जताई जा रही है. फिलहाल मौके पर स्थिति गंभीर बनी हुई है. पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम रेस्क्यू ऑपेरशन में जुटी है. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. बता दें कि 29 जनवरी को मौनी अमावस्या स्नान के दिन संगम क्षेत्र में भगदड़ मचने से 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि 60 घायल हो गए थे.

बदा दें कि महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन से भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. प्रयागराज शहर क्षेत्र से लेकर संगम क्षेत्र तक श्रद्धालुओं की तांता लगा हुआ, जिधर देखो श्रद्धालु ही श्रद्धालु नजर आ रहे हैं. ये सभी बसंत पंचमी स्नान के लिए संगम क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं. वहीं अन्य श्रद्धालुओं का भी आगमन हो रहा है

फाफामऊ में गंगा नदी पर बना है ये पुल

ये हादसा जिस फाफामऊ इलाके में हुआ है, वहां से संगम की दूरी करीब 10 किलोमीटर है. इस रास्ते से लखनऊ, रायबरेली, अयोध्या, अमेठी, सुल्तानपुर और प्रतापगढ़ के श्रद्धालु आ-जा रहे हैं. फाफामऊ में गंगा नदी पर एक टू लेन का पुल बना है. महाकुंभ को देखते हुए प्रशासन ने टू लेन पुल से सटाकर पीपा का पुल बनवाया है. इसके अलावा एक स्टील ब्रिज भी बनाया गया है, जिससे श्रद्धालु आ-जा रहे हैं.

पुल को सही कर लिया गया

फिलहाल फाफामऊ में हुए हादसे के बाद पुलिस और फायर ब्रिगेड का दावा है कि पुल को दुरुस्त कर लिया गया है. सभी श्रद्धालु सुरक्षित हैं. किसी प्रकार की कोई जनहानि नहीं हुई है. हालांकि वायरल हो रहे वीडियो में एक शख्स यह साफ कहता हुआ सुनाई दे रहा है कि कई लोग दब गए हैं. यहां पर पुलिस-प्रशासन का कोई व्यक्ति नहीं है. प्रयागराज के छात्र मदद कर रहे हैं.

मौनी अमावस्या पर 30 श्रद्दालुओं की हुई ती मौत

बता दें कि महाकुंभ में छिटपुट घटनाएं इस समय हो रही हैं. मौनी अमावस्या स्नान पर हुई भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि 60 श्रद्धालु घायल हो गए थे. इनमें से 24 को तो उनके परिजन प्राथमिक इलाज के बाद अपने साथ ले गए थे, जबकि 36 का अभी भी अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है.

दिल्ली चुनाव: अरविंद केजरीवाल के खिलाफ गांधी परिवार करेगा प्रचार, प्रियंका गांधी करेंगी जनसभा

दिल्ली विधानसभा चुनाव में पहली बार अरविंद केजरीवाल के खिलाफ गांधी परिवार खुलकर प्रचार करता नजर आएगा. कांग्रेस पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अब नई दिल्ली विधानसभा सीट पर सक्रिय प्रचार अभियान शुरू करने का फैसला किया है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आज शाम करीब साढ़े पांच बजे पिलनजी गांव, सब्जी मंडी में प्रचार करेंगी. वे कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित के समर्थन में जनसभा करेंगी और कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश करेंगी.

इससे पहले, कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 20 जनवरी को पदयात्रा निकालनी थी, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उनका कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था. इसके बावजूद, राहुल गांधी ने हाल ही में नई दिल्ली इलाके के बाल्मीकि मंदिर में दर्शन किए और पूजा-अर्चना की, लेकिन उन्होंने किसी प्रकार की चुनावी बयानबाजी से दूरी बनाए रखी थी. इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति बदली हुई नजर आ रही है. इस बार पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी जमीन पर उतरकर प्रचार कर रहा है.

लगातार जीतते आ रहे हैं केजरीवाल

नई दिल्ली विधानसभा सीट हमेशा से हाई-प्रोफाइल मानी जाती रही है, क्योंकि यहां से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विधायक हैं. 2013 में पहली बार आम आदमी पार्टी के टिकट पर उन्होंने कांग्रेस की तीन बार विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी.

इसके बाद से केजरीवाल लगातार इस सीट से जीतते आ रहे हैं. हालांकि, कांग्रेस इस बार संदीप दीक्षित को मैदान में उतारकर जोरदार टक्कर देने की तैयारी में है. संदीप दीक्षित, पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं. वो पहले लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं. कांग्रेस का मानना है कि गांधी परिवार की मौजूदगी से संदीप दीक्षित को नई दिल्ली विधानसभा सीट पर बड़ा फायदा हो सकता है.

जन्मदिन पर केक नहीं मिला तो घर छोड़कर चला गया 10 साल का बच्चा, पुलिस ने मनाया बर्थडे और लौटाया घर

महाराष्ट्र के नागपुर में पुलिस की मानवता देखने को मिली है. नागपुर पुलिस की इस संवेदनशीलता ने कई माताओं की आंखों में आंसू ला दिए. जानकारी के मुताबिक, शहर में 10 साल का लड़का अपने घरवालों से किसी बात को लेकर नाराज था. ऐसे में उसने घर छोड़ने का फैसला लिया और चला गया. नागपुर पुलिस ने शीघ्रता से उसका पता लगाया. साथ ही उसकी मांग भी पूरी की.

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, नागपुर में रहने वाले 10 साल के संचित अरविंद नारद का जन्मदिन 30 जनवरी को था. हालांकि किसी वजह से संचित के माता पिता उसका जन्मदिन नहीं मना पाए. ऐसे में संचित इस बात से बहुत नाराज था, जिसके चलते उसने घर छोड़ने का फैसला लिया और कहीं चला गया.

पुलिस ने तुरंत शुरू की तलाश

संचित जब काफी देर नहीं दिखा तो उसके माता-पिता ने उसे हर जगह ढूंढा. इसके बाद में वे सीधे वाथोडा पुलिस स्टेशन गए. माता पिता से सूचना मिलते ही पुलिस ने तुरंत उसकी तलाश शुरू कर दी. संचित की तलाश के लिए अलग-अलग पुलिस टीमें गठित की गई और शाम 7 बजे उन्हें स्वामीनारायण मंदिर परिसर में सुरक्षित पाया गया. पुलिस और माता पिता को संचित ने बताया कि वो अपना जन्मदिन न मना पाने के कारण गुस्से में घर से चला गया था. ऐसे में पुलिस ने उसकी इस इच्छा को पूरा किया और उसके लिए केक लेकर आई.

पुलिस ने कटवाया कैक

केक को देखकर संचित के चेहरे पर खुशी आ गई और उसने अपना जन्मदिन मनाया. आए दिन झगड़े, हत्या, डकैती और अत्याचार की खबरों के बीच संचित के जन्मदिन ने पुलिस के मन के एक संवेदनशील कोने को भी सामने ला दिया.