प्रलय के और करीब पहुंची दुनिया डूम्सडे क्लाॅक में नया समय सेट आधी रात से 89 सेकंड पहले सेट किया गया
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
परमाणु वैज्ञानिकों ने डूम्सडे क्लाॅक ( प्रयल की घड़ी) को नए सिरे से सटे किया। इस साल इसे आधी रात से 89 सेकंड पहले किया गया है। यह पिछले साल से एक सेकंड कम है। यह घड़ी अब तक के इतिहास में आधी रात के सबसे करीब पहुंच गई है। यानी हम दुनिया की तबाही के और पास पहुंच गए हैं। आधी रात ( 12 बजे) को प्रतीकात्मक रुपए से प्रयल का समय माना गया है। जब पृथ्वी इंसानों के रहने लायक नहीं रहेंगी और सर्वनाश हो जाएगा।
बुलेटिन आफ द एटाॅमिक साइंटिस्ट के अनुसार, 78 साल पहले 1947 में वैज्ञानिकों ने यह घड़ी बनाई थी। इस अनोखी घड़ी को प्रलय घड़ी कहा जाता है। यह प्रतीकात्मक प्रयास था कि मानवता दुनिया को नष्ट करने के कितने करीब है। यूक्रेन पर रुसी हमले, परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ने की आशंका,गाजा में इस्त्राइल - हमास के संघर्ष और जलवायु संकट के चलते पिछले दो सालों के लिए घड़ी को आधी रात से 90 सेकंड वाले सेट किया गया था। बुलेटिन आफ एटाॅमिक साइंटिस्ट के विज्ञान और सुरक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डेनियल होल्ज ने बताया कि हमने घड़ी को आधी रात के करीब सेट किया है क्योंकि हम परमाणु जोखिम, जलवायु परिवर्तन,जैविक खतरों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता ( एआई) जैसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियों समेत वैश्विक चुनौतियों पर प्रर्याप्त, सकारात्मक प्रगति नहीं देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिन देशों के पास परमाणु हथियार हैं,वे अपने शस्त्रागार के भंडार और भूमिका को बढ़ा रहे हैं। ऐसे हथियारों में सैकड़ों अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं जो सभ्यता को कई बार नष्ट कर कर सकते हैं।
ये हैं प्रलय घड़ी
बुलेटिन आफ एटाॅमिक साइंटिस्ट की स्थापना वैज्ञानिकों के एक समूह ने की थी। इन्होंने मैनहट्टन प्रोजेक्ट द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान परमाणु बस के विकास का कोड नाम था। मूल रूप से संगठन की कल्पना परमाणु खतरों को मापने के लिए की गई थी, लेकिन 2007 में इसने अपनी गणना में जलवायु परिवर्तन को शामिल करने का फैसला लिया। पिछले 78 सालों में, मानव जाति संपूर्ण विनाश के कितने करीब है,इस हिसाब से घड़ी का समय बदलता रहा है। कुछ वर्षों में समय बदल जाता है और कुछ वर्षों में नहीं बदलता।
पहली बार आइंस्टीन ने 1948 में किया था स्थापित
प्रयल घड़ी हर साल बुलेटिन आफ एटाॅमिक साइंटिस्ट के विज्ञान और सुरक्षा बोर्ड के विशेषज्ञों के इसके प्रायोजकों के बोर्ड के परामर्श से तय की जाती है। इसे पहली बार दिसंबर 1948 में अल्बर्ट आइंस्टीन की ओर से स्थापित किया गया था। बोर्ड में वर्तमान में नौ नोबेल पुरस्कार विजेता शामिल हैं।
घड़ी सटीक है
यह घड़ी कोई वास्तविक घंटी नहीं है। बल्कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का सांकेतिक सकते हैं,जो हमें बताता है हम मानव - निर्मित आपदा के कितने करीब है।
Jan 30 2025, 10:30