महावीर नायक ने बढ़ाया झारखंड का मान, केंद्र सरकार ने पद्मश्री सम्मान के लिए किया चयन, खास बातचीत में बताई रोचक बातें
रिपोर्टर जयंत कुमार
रांची : वर्ष 2025 के लिए भारत के 139 महान विभूतियों को पद्म पुरस्कार प्रदान करने की मंजूरी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी है। उनमें झारखंड के भी एक कलाकार का नाम शामिल है, जिनका नाम है महाबीर नायक। राजधानी रांची से सटे उरुगुटु में आजादी से पांच साल पहले यानी 1942 में इस महान कलाकार का जन्म हुआ था। वर्तमान में रांची के हटिया स्थित नायम मोहल्ला में रह रहे है। आज उम्र के इस पड़ाव में महावीर नायक की कला को सम्मान "पद्मश्री" के रूप में मिला है। स्ट्रीट बज्ज से खास बातचीत में उन्होंने ने अपने जीवन और कला से जुड़ीं पहलुओं को साझा किया।
स्ट्रीट बज्ज के टीम से बात करते हुए महावीर नायक ने बताया कि दिल्ली के कला-संस्कृति मंत्रालय से 25 जनवरी को फोन आया और उन्हें सूचना दी गयी कि पद्मश्री सम्मान के लिए आप के नाम का चयन हुआ है। लोक कलाकार महाबीर नायक कहते हैं कि "कला" उन्हें पिता-दादा से विरासत में मिली है। दादा आनंद नायक और पिता खुद्दु नायक नागपुरी के बेहतरीन कलाकार रहे और वह प्रसिद्ध कवि घासी राम की कविताओं को गाते थे। वहीं से अपने सुरों के ज्ञान को बढ़ाया। उन्हें याद नहीं है कि कितनी गीतों को गाया और लिखा, लेकिन माना जाता है कि 300 से ज्यादा गीतों की रचना कर चुके है। महावीर नायक की सात बेटियां है जो उनकी कला की विरासत को संभाल रही है।
महावीर नायक कहते हैं कि वह पहले शिक्षक थे उसके CTI की जीवन उपार्जन के लिए HEC में अपना योगदान दिया। झारखंड में आज कलाकारों पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है इस बात का उन्हें दुख भी है। बता दे कि इससे पहले महाबीर नायक को कला संस्कृति से जुड़े कई सम्मान मिल चुके हैं। पिछले वर्ष प्रतिष्ठित अमृत पुरस्कार भी मिल चुका है, साथ ही झारखंड रत्न से भी उनको नवाजा गया है। पद्मश्री मिलने से उनके उत्साह का संचार जरूर हुआ है। महावीर नायक ने झारखंड में नागपुरी भाषा को राजभाषा के रूप में दर्जा देने का भी आग्रह किया है।
महावीर नायक ने अपने ताइवान ट्रिप को याद करते हुए बताया कि भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मुकुंद नायक व डॉ रामदयाल मुंडा और पूरी टीम के साथ नागपुरी गीतों को ही नहीं बल्कि वहां लोगो को झुमाया भी।
Jan 28 2025, 16:58