/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz ट्रंप ने किम जोंग उन से मुलाकात की इच्छा जताई, नॉर्थ कोरिया के तानाशाह को स्मार्ट India
ट्रंप ने किम जोंग उन से मुलाकात की इच्छा जताई, नॉर्थ कोरिया के तानाशाह को स्मार्ट

#trumpsayshewillreachouttonorthkoreakimjong

अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप एक्टिव मोड में हैं। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद उन्होंने एक्जीक्यूटिव ऑर्डर के जरिए कई बड़े ऐलान किए। उसके बाद उन्होंने ग्लोबल लीडर्स से भी बात की। एक तरफ रूसी राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन युद्ध रोकने की सलाह दी तो ईरान को चेतावनी दी। इस बीच उन्होंने नॉर्थ कोरिया के लीडर किम जोंग उन को स्मार्ट बताते हुए उनसे मिलने की भी इच्छा जताई है।

किम धार्मिक कट्टरपंथी नहीं हैं-ट्रंप

राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने दक्षिण कोरियाई नेता किम जोंग के बारे में बात की। फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में बातचीत के दौरान जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से उत्तर कोरियाई नेता के साथ किम जोंग के साथ संबंध पर सवाल किए तो उन्होंने उन्हें स्मार्ट आदमी बताते हुए कहा कि वह उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग से संपर्क करने वाले है। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने किम के साथ अच्छा संबंध स्थापित किया है और किम धार्मिक कट्टरपंथी नहीं हैं।

ट्रंप खुद चलकर प्योंगयोंग गए थे

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी किम जोंग उन से मुलाकात की थी। 2017 से 2021 तक अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने किम के साथ एक असामान्य कूटनीतिक संबंध स्थापित किया था, जिसमें न सिर्फ किम से मुलाकात की, बल्कि यह भी कहा कि दोनों ‘प्यार में पड़ गए हैं।’ हालांकि, उनके विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने स्वीकार किया था कि ये प्रयास उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के लिए एक स्थायी समझौते तक पहुंचने में विफल रहा।

नॉर्थ कोरिया से संबंध सुधारना नहीं आसान!

उत्तर कोरिया को अमेरिका सबसे बड़े दुश्मनों से एक माना जाता है। यूक्रेन युद्ध के बाद ये दुश्मनी और गहरी हो गई है, क्योंकि उत्तर कोरिया ने खुले तौर पर इस युद्ध में रूस का साथ दिया है। ऐसे में ट्रंप के लिए किम जोंग से रिश्ता बनाना आसान नहीं है। दरअसल साउथ कोरिया अमेरिका का करीबी सहयोगी है, लेकिन नॉर्थ कोरिया से उसके रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। अगर ट्रंप ने नॉर्थ कोरिया से संबंध सुधारने की शुरुआत की तो साउथ कोरिया अमेरिका से नाराज हो सकता है।

इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो भारत पहुंचे, गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेंगे

#indonesiapresidentprabowosubiantoarrivesinindiaforrepublic_day

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो राष्ट्र प्रमुख के रूप में भारत की अपनी पहली यात्रा पर दिल्ली पहुंच चुके हैं। सुबियांतो भारत के 76वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली आए हैं। इंडोनेशियाई राष्ट्रपति का हवाई अड्डे पर विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने स्वागत किया।

राष्ट्रपति सुबियांतो की इस यात्रा के दौरान कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण समझौते किए जाने की संभावना है। ये यात्रा भारत और इंडोनेशिया के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी। पिछले कुछ सालों में भारत और इंडोनेशिया के संबंधों में विशेष रूप से बढ़ोतरी देखने को मिली है।

गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने वाले चौथे इंडोनेशियाई राष्ट्रपति

वह गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने वाले चौथे इंडोनेशियाई राष्ट्रपति होंगे। इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो 1950 में भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे।इस अवसर पर इंडोनेशिया से 352 सदस्यीय मार्चिंग और बैंड दस्ता कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेगा। ये पहली बार होगा जब इंडोनेशियाई मार्चिंग और बैंड दस्ता विदेश में राष्ट्रीय दिवस परेड में भाग लेगा।

रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इंडोनेशिया से 162 सदस्यों वाला मार्चिंग दस्ता और 190 सदस्यों वाला बैंड दल भी गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा होंगे। यह पहली बार है, जब इंडोनेशियाई दल किसी दूसरे देश के राष्ट्रीय परेड में भाग ले रहा है। यह दोनों देशों के बीच मजबूत सैन्य और सांस्कृतिक सहयोग का प्रतीक है।

ये समझौते हो सकते हैं

इंडोनेशिया भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें खरीदने का इच्छुक है। ऐसे में सुबियांतो की यात्रा के दौरान इस आशय की घोषणा हो सकती है। वे शनिवार को पीएम मोदी के साथ वार्ता भी करेंगे। उनकी यात्रा के बारे में जानकारी रखने वाले कुछ लोगों ने बताया कि वार्ता में रक्षा और सुरक्षा, व्यापार और निवेश, स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा, कनेक्टिविटी, पर्यटन और द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की जाएगी।

भारत-इंडोनेशिया रिश्ते

पिछले कुछ वर्षों में भारत-इंडोनेशिया संबंधों में तेजी आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में इंडोनेशिया की यात्रा की थी, जिस दौरान भारत-इंडोनेशिया संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया। पिछले साल 19 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो से मुलाकात की थी।

वक्फ पर जेपीसी की बैठक में बवाल, बुलाना पड़ा मार्शल, ओवैसी-कल्याण समेत 10 विपक्षी सांसद सस्पेंड

#parliamentary_panel_meet_on_waqf_begins_on_stormy

वक्फ संशोधन विधेयक की समीक्षा के गठित संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। शुक्रवार को दिल्ली में हुई बैठक में तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे में तीखी नोकझोंक हुई। देखते ही देखते बैठक में हंगामा शुरू हो गया। हालात काबू में न आते देख मार्शल बुलाए गए। जिसके बाद 10 सांसदों को समिति की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया और बैठक को 27 जनवरी तक के लिए टाल दिया गया। यह पहली बार नहीं है जब जेपीसी की बैठक में हंगामा हुआ हो। इससे पहले भी इस बैठक में विवाद हो चुके हैं।

बैठक में बिल पर क्लॉज-दर-क्लॉज चर्चा होगी और रिपोर्ट के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा। मगर बैठक के पहले दिन ही इस पर जमकर हंगामा हो गया। वक्फ पर बनी जेपीसी में विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा हंगामे के पीछे का मुख्य कारण समिति के सदस्यों की ये मांग थी कि रिपोर्ट एडॉप्ट की तारीख को 31 जनवरी किया जाए। समिति की रिपोर्ट तैयार करने से पहले क्लॉज दर क्लॉज अमेंडमेंट पर चर्चा के लिए पहले 24 और 25 जनवरी की तारीख तय की गई थी। लेकिन कल गुरुवार की देर रात वो तिथि चेंज करके 27 जनवरी कर दी गई थी।

बताया जा रहा है कि कल्याण बनर्जी ने पूछा कि बैठक को इतनी जल्दबाजी में क्यों बुलाया जा रहा है। इस पर निशिकांत दुबे ने आपत्ति दर्ज कराई. इसके बाद दोनों नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई।बैठक में हुए हंगामे के बाद वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक से सभी 10 विपक्षी सांसदों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया गया। निलंबित विपक्षी सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह, एम अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीमुल हक, इमरान मसूद शामिल हैं।

समिति में विपक्षी दलों के सांसदों की ये मांग थी कि क्लॉज बाय क्लॉज के लिए बैठक 27 जनवरी की जगह 31 जनवरी कर दिया जाए। अरविंद सावंत ने कहा कि समय नहीं दिया, जल्दबाजी कर रहे हैं। 10 सदस्यों को आज भर के लिए सस्पेंड कर दिया है। हम 31 को क्लॉज-दर-क्लॉज चर्चा चाहते थे पर ये 27 जनवरी पर अड़े हैं।

सऊदी अरब के प्रिंस सलमान ने ट्रंप को दिया बड़ा ऑफर, 600 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान

#saudiintendstoinvestusd600billioninus

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर लौटते ही सऊदी अरब ने अमेरिकी को खुश कर दिया है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका में 600 अरब डॉलर के निवेश और व्यापार करने की इच्छा जताई है। सऊदी अरब की सरकारी न्यूज़ एजेंसी ने जानकारी दी कि प्रिंस एमबीएस ने ट्रंप को उनके राष्ट्रपति बनने की बधाई दी और उनसे फोन पर बातचीत की। इसके साथ ही इतना बड़ा ऑफर दे डाला। इसके साथ ही सऊदी अरब और अमेरिका के बीच रिश्तों में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। दरअसल, इससे पहले जो बाइडन के राष्‍ट्रपति रहने के दौरान प्रिंस से उनके रिश्‍ते तल्‍ख बने हुए थे। दोनों के बीच मानवाधिकारों को सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्‍या को लेकर विवाद था।

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने गुरुवार को डोनाल्ड ट्रम्प से बातचीत कर उन्हें दोबारा राष्ट्रपति बनने की बधाई दी। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रम्प के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद विदेशी नेताओं में सबसे पहले प्रिंस सलमान से बातचीत हुई। क्राउन प्रिंस ने ट्रम्प से कहा कि सऊदी अरब, अमेरिका में अगले 4 साल में 600 बिलियन डॉलर (52 लाख करोड़) का निवेश करने को तैयार है। प्रिंस सलमान ने कहा कि अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो यह निवेश और बढ़ भी सकता है।

सऊदी प्रिंस ने ट्रंप से कहा कि उनका देश नए प्रशासन के सुधार से पैदा होने वाले अवसरों का फायदा उठाना चाहता है और भागीदारी तथा निवेश करना चाहता है। उन्‍होंने कहा कि इन सुधारों से अप्रत्‍याशित समृद्धि आ सकती है। सऊदी एजेंसी ने यह नहीं बताया कि प्रिंस किन सुधारों की बात कर रहे हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल से ही सऊदी अरब और अमेरिका के बीच बहुत करीबी संबंध रहे थे। ट्रंप और सऊदी प्रिंस पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता लाना चाहते थे। साथ ही उनका इरादा आतंकवाद से मिलकर लड़ने का भी है।

सऊदी से हो सकती है ट्रंप की विदेश यात्रा की शुरुआत

अपने पिछले कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों की पहली यात्रा पर ब्रिटेन जाने की परंपरा तोड़ते हुए, सऊदी अरब की पहली यात्रा की थी। इस बार भी वह ऐसा कर सकते हैं। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा था कि वह फिर से पहला विदेशी दौरा सऊदी अरब का कर सकते हैं, लेकिन इसकी कीमत देनी होगी। ट्रंप की टिप्पणी के बाद सऊदी प्रिंस ने अमेरिका में अरबों डॉलर का निवेश करने का ऐलान किया है।

पहली बार विदेश दौरे पर सऊदी गए थे ट्रंप

अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के बाद कनाडा-मेक्सिको या फिर यूरोपीय देश की यात्रा करने की परंपरा है। पहली बार ट्रंप ने ही इस परंपरा को 2017 में तोड़ा था। ट्रम्प ने सोमवार को इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने पहले विदेशी दौरे के लिए सऊदी अरब को इसलिए चुना था, क्योंकि वहां से सैकड़ों अरब डॉलर की बिजनेस डील हुई थी। तब सऊदी अरब 450 अरब डॉलर की कीमत के अमेरिकी सामान खरीदने पर राजी हुआ था, इसके बाद उन्होंने वहां का दौरा किया। मैं फिर से वहां का दौरा कर सकता हूं लेकिन इसके लिए उन्हें अमेरिकी सामान खरीदना होगा। अगर सऊदी 450 या फिर 500 अरब डॉलर की बिजनेस डील के लिए तैयार होता है, तो मैं फिर से वहां जाने के लिए तैयार हूं।

सऊदी अरब की निवेश योजना के संभावित पहलू

• अमेरिका में निवेश: सऊदी अरब ने अगले चार वर्षों में 600 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा, और तकनीकी क्षेत्रों पर जोर दिया जाएगा। यह प्रस्ताव अमेरिका और सऊदी अरब के बीच आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।

• हथियार सौदे: सऊदी अरब और अमेरिका के बीच हमेशा हथियार सौदे महत्वपूर्ण रहे हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल में 450-500 अरब डॉलर के हथियार सौदे हुए थे। हालांकि, अब 600 अरब के निवेश में हथियार खरीदारी का हिस्सा बड़ा हो सकता है।

• मध्य पूर्व में स्थिरता: एमबीएस और ट्रंप दोनों पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता लाना चाहते हैं। ये आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने का इरादा भी इस साझेदारी को मजबूत करेगा।

ब्रिटेन में कंगना की 'इमरजेंसी' की स्क्रीनिंग पर बवाल, खालिस्तान समर्थकों ने सिनेमाघर में आकर रोकी फिल्म

#khalistaniscreateruckusinukagainstemergency_film

कंगना रनाउत की 'इमरजेंसी' को जहां पंजाब में बैन कर दिया गया है, वहीं इंग्लैंड में भी विरोध चल रहा है। ब्रिटेन में कंगना रनाउत की फिल्म "इमरजेंसी" के विरोध में खालिस्तानियों ने सिनेमा घरों में तांडव मचा दिया है। लंदन में कई जगह ‘इमरजेंसी’ दिखाई जा रही थी। इस दौरान कुछ लोगों ने फिल्म देख रहे दर्शकों को डराया और धमकी दी। मामले को लेकर विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने ब्रिटेन के गृह सचिव से दखल देने की मांग की है।

बॉब ब्लैकमैन ने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ (ब्रिटिश संसद के निचले सदन) को बताया कि “अत्यंत विवादास्पद” फिल्म के प्रदर्शन को वोल्वरहैम्पटन, बर्मिंघम, स्लो, स्टेन्स और मैनचेस्टर में भी इसी प्रकार बाधित किया गया। इसके परिणामस्वरूप ‘व्यू और सिनेवर्ल्ड’ ने ब्रिटेन में अपने कई सिनेमाघरों से फिल्म को हटाने का निर्णय लिया है। व्यू और सिनेवर्ल्ड ब्रिटेन में कई सिनेमाघरों का संचालन करते हैं। ब्लैकमैन ने संसद को बताया, “रविवार को मेरे कई मतदाताओं ने हैरो व्यू सिनेमा में ‘इमरजेंसी’ फिल्म देखने के लिए टिकट लिये थे। फिल्म के प्रदर्शन के लगभग 30 या 40 मिनट बाद, नकाबपोश खालिस्तानी आतंकवादी घुस आए, दर्शकों को धमकाया और फिल्म को जबरन बंद करवा दिया।”

एसजीपीसी ने पंजाब में फिल्म के बैन के लिए सीएम को लिखा पत्र

वहीं, कंगना ने कहा कि उनका देश के प्रति प्यार उनकी इस फिल्म 'इमरजेंसी' से प्रदर्शित होता है। एक्ट्रेस ने वीडियो में कहा कि पंजाब के अलावा यूके और कनाडा में भी ऐसे ही हमले हुए हैं और यह आग कुछ छोटे-मोटे लोगों ने लगाई है। उधर, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कुछ दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक लेटर लिखा। उन्होंने लेटर में 'इमरजेंसी' पर पंजाब में बैन लगाने की मांग की थी।

कंगना ने विरोध को "कला और कलाकार का उत्पीड़न" बताया

बता दें कि 17 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज कंगना रनौत की 'इमरजेंसी' को भारत के पंजाब में भी विरोध का सामना करना पड़ा था। देश में लागू इमरजेंसी (1975-77) पर बनी फिल्म में निर्देशन भी कंगना रनौत ने किया है। उन्होंने इस फिल्म में इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है। पंजाब में फिल्म को लेकर हुए विरोध को लेकर कंगना रनौत का हाल ही में बयान सामने आया था। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर अभिनेत्री ने विरोध को "कला और कलाकार का उत्पीड़न" बताया था।

अभिनेत्री ने लिखा था, “यह कला और कलाकारों का उत्पीड़न है, पंजाब के कई शहरों से रिपोर्ट आ रही है कि ये लोग ‘इमरजेंसी’ को प्रदर्शित नहीं होने दे रहे हैं। मैं सभी धर्मों का बहुत सम्मान करती हूं और चंडीगढ़ में पढ़ने और पले-बढ़े होने के कारण मैंने सिख धर्म को बहुत करीब से देखा और उसका पालन किया है। यह पूरी तरह से झूठ है और मेरी छवि को खराब करने और मेरी फिल्म को नुकसान पहुंचाने के लिए दुष्प्रचार है।"

तुने मुझे बुलाया शेरा वालिए…” फारूक अब्दुल्ला ने गाया माता का भजन

#farooqabdullahsurprisedeveryonesingingmatavaishnodevibhajan

जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को मां शेरा वाली को समर्पित एक भजन गाकर श्रद्धालुओं को चौंका दिया। उन्होंने कटरा के आश्रम में 'तू ने मुझे बुलाया शेरावालिये' भजन गाया। अब्दुल्ला के भजन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।इससे पहले अप्रैल 2024 में भी रामधुन को लेकर उनका एक वीडियो वायरल हुआ था।

जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कटरा में माता वैष्णो देवी के धाम पहुंचे। लाल चुनरी ओढ़े हुए फारूक अब्दुल्ला मातारानी के लिए भजन गाते हुए दिखाई दिए। उन्होंने भजन गायक के सुर में सुर मिलाकर ‘चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है भजन गुनगुनाया।’फारूक अब्दुल्ला 87 साल के हैं और उन्होंने सुरीली आवाज मे जब भजन गुनगुनाया तो आश्रम में मौजूद लोग बहुत खुश हो गए।

रोपवे परियोजना के खिलाफ कटरा के लोगों के विरोध को दिया समर्थन

इस मौके पर अब्दुल्ला ने रोपवे परियोजना के खिलाफ कटरा के लोगों के विरोध में अपना समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि मंदिर का संचालन करने वालों को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे वहां रह रहे लोगों की हितों को नुकसान पहुंचे। ना ही ऐसा कोई फैसला लिया जाए, जिससे उनके लिए बड़ी समस्या पैदा हो। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि शहर में अगर कोई नई परियोजना या निर्माण शुरू करना है तो सबसे पहले स्थानीय लोगों से जुड़े विषयों पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कटरा शहर में रोपवे बनाने वाले बोर्ड की कड़ी निंदा की है। अब्दुल्ला ने कहा कि लोगों ने अपनी मांगों को लेकर मजबूती से आवाज उठाई।

हो रहा रोपवे का विरोध?

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने नवंबर 2024 में गुफा मंदिर तक 13 किलोमीटर लंबे रास्ते पर रोपवे बनाने का ऐलान किया था। बोर्ड का कहना है कि इस रास्ते पर वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों और अन्य लोगों को मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल चलना पड़ता है। कई लोग इसमें सक्षम नहीं होते है और उन्हें पीठ पर बैठाकर ले जाना पड़ता है। श्रद्धालुओं की आसानी के लिए रोपवे बनाया जाएगा। इसमें 250 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसके जरिए ताराकोट मार्ग को सांजी छत से जोड़ा जाएगा, जो मंदिर की ओर जाता है। हालांकि, स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे माता वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों को विभिन्न सुविधाएं मुहैया कराने वाले हजारों श्रमिकों की आजीविका बंद हो जाएगी।

डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिकी कोर्ट से बड़ा झटका, बर्थराइट सिटिजनशिप खत्म करने के ऑर्डर पर लगाई रोक

#donald_trump_gets_setback_as_us_court_halts_order_to_end_birthright_citizenship

अमेरिका में स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले पर देश की एक संघीय अदालत ने रोक लगा दी है। अदालत के फैसले ने अमेरिका में रहने वाला हजारों आप्रवासियों को बड़ी राहत दी है। जज ने अपने फैसले में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश को 'साफ तौर पर असंवैधानिक' कहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को पदभार ग्रहण करने के बाद पहले ही दिन एक कार्यकारी आदेश के जरिए स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को खत्म कर दिया था।

सीऐटल में एक फेडरल जज ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है, जिसका मकसद जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करना है। जज ने इस कदम को स्पष्ट रूप से असंवैधानिक करार दिया है। अमेरिकी जिला न्यायाधीश जॉन कॉफनर ने गुरुवार को एक सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया। जज जॉन कफेनोर ने कहा कि यह आदेश संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई, जब एरिजोना, इलिनोइस, ओरेगन और वाशिंगटन सहित कई राज्यों ने ट्रंप के आदेश को चुनौती दी है। उनका तर्क है कि ट्रंप का जन्मसिद्ध नागरिकता वाला कार्यकारी आदेश गैरकानूनी है।

जस्टिस कॉफनर ने कहा, मैं 4 दशकों से बेंच पर हूं। मुझे कोई दूसरा मामला याद नहीं है जिसमें दिए गए सवाल इतना साफ हो। उन्होंने पूछा कि जब इस आदेश पर हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया गया था, तब वकील कहां थे। साथ ही कहा कि यह उनके दिमाग को चकित कर रहा था कि बार का एक सदस्य आदेश को संवैधानिक होने का दावा करेगा।

सिएटल में दायर चार राज्यों के मुकदमे के अनुसार, 2022 में, अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाली माताओं से लगभग 255,000 बच्चों का जन्म हुआ। जबकि, 153,000 बच्चे ऐसे पैदा हुए, जिनके माता-पिता दोनों अवैध रूप से रह रहे थे। जिनकी नागरिकता पर बादल छाए हुए हैं।इस आदेश के तहत नागरिकता से वंचित किए गए बच्चों को नकारात्मक प्रभावों का सामना करना पड़ेगा।

अमेरिका के संविधान का 14वां संशोधन अमेरिकी धरती पर पैदा हुए सभी बच्चों को नागरिकता की गारंटी देता है। इसमें अप्रवासियों के बच्चों को भी नागरिकता का अधिकार मिलता है।राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को पदभार ग्रहण करने के बाद पहले ही दिन एक कार्यकारी आदेश के जरिए स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को खत्म कर दिया था।इसे 19 फरवरी से लागू किया जाना था।

ट्रंप की धमकी का रूस ने दिया जवाब, कहा- बयानों में कुछ भी नया नहीं

#russia_rejects_donald_trump_s_comments_says_nothing_new_in_his_statements

डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि वो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कभी भी मिलने को तैयार हैं। इतना कहते हुए ट्रंप ने टर्म एंड कंडीशन भी लगाई। उन्होंने कहा, अगर रूस, यूक्रेन के मुद्दे पर बातचीत के लिए आगे नहीं आता है तो उस पर प्रतिबंध भी लग सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पण पर रूस का जवाब आया है।

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव से जब पत्रकारों ने पुतिन की टिप्पणियों को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा, हमें इसमें कुछ नया नहीं दिखाई देता है। ट्रंप की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ट्रंप के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में साफ हो गया है कि उन्हें प्रतिबंध लगाने पसंद हैं। पेसकोव ने जोर दिया कि रूस अमेरिका के साथ समान और परस्पर सम्मानपूर्ण बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि मास्को, ट्रंप प्रशासन के बयानों को बारीकी से देख रहा है।

इससे पहले ट्रंप ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह बहुत जल्द पुतिन से बात करेंगे और ऐसी संभावना है कि अगर रूस बातचीत के लिए तैयार नहीं हुआ तो वे उसपर अतिरिक्त प्रतिबंध लगा देंगे।

वहीं, बुधवार को अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, मैं रूस और राष्ट्रपति पुतिन पर बहुत बड़ा अहसान करने जा रहा हूं। अब समझौता करो, और इस बेतुके युद्ध को रोको। अगर हम जल्द ही कोई सौदा नहीं करते हैं, तो मेरे पास रूस से आने वाले सामान पर भारी आयात शुल्क लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।

अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा, आइये इस युद्ध को ख़त्म करें। अगर मैं राष्ट्रपति होता तो ये शुरू ही नहीं होता। हम इस युद्ध का अंत आसान या कठिन तरीके से कर सकते हैं। आसान तरीका हमेशा बेहतर होता है। अब समझौता करने का समय आ गया है।

बता दें कि पुतिन ने भी बार-बार कहा है कि वह जंग रोकने के लिए बातचीत करने को तैयार हैं लेकिन यूक्रेन को अपनी ज़मीन का वो 20 फीसदी हिस्सा छोड़ना होगा जो अब रूसी कब्जे में है। इसके अलावा पुतिन ये भी नहीं चाहते कि यूक्रेन नेटो में शामिल हो। लेकिन यूक्रेन एक इंच जमीन छोड़ने को तैयार नहीं है। हालांकि राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ये कह चुके हैं कि उन्हें अपनी कुछ जमीन फ़िलहाल के लिए छोड़नी पड़ सकती है।

अजित डोभाल के बाद अब विदेश सचिव विक्रम मिस्री जा रहे चीन, क्या है प्लान?

#foreignsecretaryvikrammisrivisitbeijingknowwhaton_agenda

भारत और चीन के बीच रिश्तों में गर्मजोशी देखने को मिल रही है। भारत लगातार अपने पड़ोसी देश चीन के साथ संबंधों को मजबूत करने की कवायद में जुटा है। इसी क्रम में विदेश सचिव विक्रम मिस्री इस महीने के अंत में चीनी उप विदेश मंत्री के साथ बातचीत करने के लिए चीन का दौरा करेंगे। मिस्री की यात्रा वीजा, डॉयरेक्ट फ्लाइट फिर से शुरू करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सीमा विघटन में एक बड़ी सफलता के बाद आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित होगी। ये यात्रा दोनों पड़ोसियों के बीच तनाव कम करने के हालिया प्रयासों की अगली कड़ी है। मिस्री राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल के दौरे के एक महीने बाद यहां जा रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, विदेश सचिव विक्रम मिस्री दो दिन के लिए चीन के दौरे पर जा रहे हैं। वहां अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात के साथ ही टॉप लीडरशिप के साथ भी बातचीत होने की संभावना है। विदेश विभाग की ओर से जारी बयान के मुताबिक, विदेश सचिव विक्रम मिस्री 26 और 27 जनवरी 2025 तक चीन में रहेंगे। भारत और चीन ने विदेश सचिव और वाइस मिनिस्‍टर की मुलाकात को लेकर एक प्रॉपर मेकेनिज्‍म तैयार किया है, ताकि दोनों देशों के संबंधों को लेकर लिए गए फैसलों पर अमल की समय-समय पर समीक्षा की जा सके और उसे प्रभावशाली तरीके से लागू किया जा सके।

सैन्य गश्त से संबंधित समझौता

दोनों देशों ने लद्दाख क्षेत्र में अपनी विवादित सीमा पर तनाव कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। अक्टूबर 2024 में, दोनों देश एलएसी पर सैन्य गश्त से संबंधित एक समझौते पर सहमत हुए। भारत-चीन सीमा मुद्दे में एक बड़े घटनाक्रम में चीनी सैनिक लद्दाख के वाई जंक्शन और राकी नाला के देपसांग क्षेत्र से पीछे हट गए। 12 सितंबर को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में अजित डोभाल और वांग यी की मुलाकात हुई थी। माना जा रहा है कि इसी मुलाकात के दौरान अक्टूबर में एलएसी पर हुए डिसइंगेजमेंट का फ्रेमवर्क तैयार किया गया था।

एनएसए डोभाल की चीन यात्रा

अजित डोभाल भारत-चीन विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता में भाग लेने के लिए 17 दिसंबर को चीन की यात्रा पर गए थे। चीनी विदेश मंत्री वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद पर चर्चा के लिए पिछले साल दिसंबर में बीजिंग में मुलाकात की थी। उन्होंने विवादित सीमा पर शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया और निष्पक्ष और पारस्परिक रूप से सहमत समाधान खोजने का वादा किया।

मोदी-शी के बीच हुई बात

2020 में गलवान घाटी में हुई भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प से पहले दिसंबर 2019 में चीन और भारत के बीच बैठक हुई थी। उसके बाद यह सिलसिला विवाद के कारण रुक गया था। ऐसे में 2019 के बाद दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच डोभाल और वांग यी के बाद दूसरी उच्च स्तरीय वार्ता है। दोनों देशों के बीच जमी बर्फ पिघलने का सिलसिला अक्टूबर 2024 में कजान में मोदी-शी के बीच बातचीत से शुरू हुआ।

उद्धव गुट का बड़ा दांव, संजय राउत ने की बाला साहब को भारत रत्न देने की मांग

#balthackeraybirthanniversaryubtshivsenademandsbharat_ratna

शिवसेना के संसथापक बाला साहब ठाकरे की आज जयंती है। बाला साहब ठाकरे की 99वीं जयंती पर शिंदे गुट की शिवसेना (यूबीटी) ने बाल ठाकरे को भारत रत्न दिए जाने की मांग उठाई। संजय राउत ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी को 26 जनवरी के मौके पर बाला साहब ठाकरे भारत रत्न देने का ऐलान करना चाहिए।

संजय राउत ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे ने अपने पूरे जीवनकाल में सिर्फ दूसरों को आगे बढ़ाया। उन्होंने कभी भी वसूलों के साथ समझौता नहीं किया। ठाकरे को जब देशहित में जो फैसला लगा, वो किया। चाहे इंदिरा को समर्थन देने की बात हो चाहे बीजेपी को।राउत ने कहा कि पिछले दस वर्षों में भाजपा सरकार ने कुछ ऐसे लोगों को भारत रत्न दिया है, जो इसके हकदार नहीं थे।

बाल ठाकरे के भारत रत्न से सावरकर को कैसे मिलेगा सम्मान?

बाल ठाकरे की जयंती के अवसर पर बोलते हुए संजय राउत ने कहा कि बाल ठाकरे को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने हिंदुत्व के बीज इस देश में बोए। उन्होंने कहा कि ठाकरे की जन्म शताब्दी एक साल दूर है और इस शताब्दी से पहले उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि अगर बाल ठाकरे को भारत रत्न मिलेगा, तो इससे वीर सावरकर को भी सम्मान मिलेगा।

पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

इधर, बालासाहेब ठाकरे की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा है। पीएम ने अपने पोस्ट में लिखा- मैं बालासाहेब ठाकरे जी को उनके जन्मदिन पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्हें जन कल्याण और महाराष्ट्र के विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए व्यापक रूप से सम्मान दिया जाता है और याद किया जाता है। उन्होंने अपनी मूल मान्यताओं से कभी समझौता नहीं किया और हमेशा भारतीय संस्कृति के गौरव को बढ़ाने में अपना योगदान दिया।