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अब सैफ पर हमले को लेकर बिगड़े नितेश राणे के बोल, कहा-सच में हमला हुआ या सिर्फ़ एक्टिंग की गई?

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अपने बयानों से आए दिन सुर्खियों में रहने वाले बीजेपी नेता नितेश राणे ने भी अब बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर हुए हमले को लेकर सवाल उठाया है। फडणवीस सरकार के मंत्री नितेश राणे ने सैफ अली खान के अस्पताल से डिस्चार्ज होने पर आश्चर्य जताया और कहा कि क्या सच में हमला हुआ या सिर्फ़ एक्टिंग की गई? राणे ने सैफ अली खान के हमले के सहारे कई लोगों पर भी निशाना साधा। इससे पहले संजय निरुपम ने गंभीर हमले के बाद इतनी जल्दी सैफ की रिकवरी पर हैरानी जताई थी। बता दें कि कि सैफ को बीते मंगलवार को अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद अपने घर लौट आए।

'कचरा हटा देना चाहिए'

बीते दिन एक सभा को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने कहा, 'देखिए मुंबई में बांग्लादेशी क्या कर रहे हैं। वे सैफ अली खान के घर में घुस गए। पहले वे सड़कों के चौराहे पर खड़े रहते थे, अब वे घरों में घुसने लगे हैं। शायद वे सैफ को ले जाने आए थे। यह अच्छा है, कचरा हटा देना चाहिए।'

राणे यहीं नहीं रूके, उन्होंने मामले की सत्यतता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब सैफ अस्पताल से बाहर आए, तो मैंने तो देखा, उस पर संदेह हुआ। मुझे शक हुआ कि उन्हें चाकू मारा गया था या वह एक्टिंग कर रहे थे। वह चलते-चलते हंस-मुस्कुरा रहे थे। वे नाच रहे थे।

सुप्रिया सुले और जितेंद्र आव्हाड पर बोला हमला

बीजेपी नेता ने कहा कि जब भी शाहरुख खान या सैफ अली खान जैसे किसी खान को चोट लगती है, तो हर कोई इसके बारे में बात करना शुरू कर देता है। जब सुशांत सिंह राजपूत जैसे हिंदू अभिनेता को प्रताड़ित किया जाता है, तो कोई भी कुछ कहने के लिए आगे नहीं आता है। सुप्रिया सुले और जितेंद्र आव्हाड पर हमला बोलते हुए नितेश राणे ने कहा कि मुंब्रा के जीतुद्दीन (जितेंद्र आव्हाड) और बारामती की ताई (सुप्रिया सुले) कुछ कहने के लिए आगे नहीं आईं। उन्हें केवल सैफ अली खान, शाहरुख खान के बेटे और नवाब मलिक की चिंता है। क्या आपने कभी उन्हें किसी हिंदू कलाकार की चिंता करते देखा है? आप लोगों को इन सब बातों पर ध्यान देना चाहिए।

संजय निरुपम ने क्‍या कहा था

नितेश राणा से पहले शिवसेना नेता संजय निरुपम ने सैफ अली खान के बांद्रा स्थित आवास पर चाकू से किए गए हमले के बाद उनकी रिकवरी पर कहा कि 16 जनवरी को सैफ अली खान के साथ जो कुछ भी हुआ, वह बेहद चिंताजनक है. हम परिवार के साथ हैं. सैफ को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है और बाहर वह ऐसे दिखे हैं जैसे वह शूटिंग करने के लिए फिट हैं. यह देखना आश्चर्यजनक है. डॉक्टरों ने कहा था कि चाकू उनकी पीठ में 2.5 इंच तक घुस गया था, जिसके लिए छह घंटे का ऑपरेशन करना पड़ा. चिकित्सकीय रूप से इतनी जल्दी ठीक होना कैसे संभव है? सैफ के अस्पताल में भर्ती होने के दौरान जिस तरह से डॉक्टरों का बयान आया था. उसके बाद जिस तरह से सैफ अली खान की रिकवरी हुई, उससे कई सवाल पैदा हो रहा है

दुनिया फिर देखेगी ट्रंप-मोदी की दोस्ती, अगले महीने फ्रांस या अमेरिका में हो सकती है मुलाकात

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अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद एक बार फिर से डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हो सकती है। यह मुलाकात फरवरी के मध्य में हो सकती है। यह तभी संभव होगा अगर ट्रंप पेरिस में आयोजित एआई समिट में शामिल होते हैं। यह समिट फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा बुलाया गया है। अगर ट्रंप एआई समिट में नहीं आते हैं, तो मोदी फरवरी में वाशिंगटन डीसी जा सकते हैं। दरअसल, भारतीय और अमेरिकी राजनयिक फरवरी में वॉशिंगटन में पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के के बीच एक बैठक आयोजित करने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, यह तय नहीं है कि दोनों देशों के नेता फरवरी में मिलेंगे या नहीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने फ्रांस के दौरे पर जाएंगे। फ्रांस 11 और 12 फरवरी को एआई शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। पीएम 10-11 फरवरी को पेरिस में होने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) समिट में भाग लेंगे। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पीएम मोदी के दौरे की पुष्टि की है। ट्रंप को भी इस समिट के लिए आमंत्रित किया गया है। अगर ट्रंप समिट में आते हैं तो दोनों नेता वहां मुलाकात कर सकते हैं।

वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति इस साल के अंत में भारत आएंगे। भारत क्वाड समिट की मेजबानी करेगा। जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के क्वाड समूह के नेता भारत द्वारा आयोजित वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान फरवरी 2020 में भारत का दौरा किया था। तब उन्होंने मोदी के राजनीतिक गृहनगर अहमदाबाद के क्रिकेट स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की थी। जहां उन्होंने भारत के साथ "एक अविश्वसनीय व्यापार समझौते" का वादा किया था।

ट्रंप के व्हाइट हाउस में लौटने से नई दिल्ली में अधिकारियों के बीच भारत पर टैरिफ लगाए जाने को लेकर चिंता बढ़ गई है। ट्रंप ने भारत को उन देशों में से एक बताया है, जो अमेरिकी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाते हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि वह भी टैरिफ लगाने के पक्ष में हैं। सूत्रों ने बताया कि भारत अमेरिकी निवेश आकर्षित करने के लिए अमेरिका को कुछ रियायतें देने के लिए भी तैयार है। इसके अलावा भारत अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाने और अपने नागरिकों के लिए कुशल श्रमिक वीजा को आसान बनाने का भी इच्छुक है।

बांग्लादेश और पाकिस्तान की सेना में साझेदारी! भारत के लिए कितना बड़ा खतरा?

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बांग्लादेश की सत्ता से शेख हसीना के बेदखल होने के बाद उसकी पाकिस्तान से करीबी बढ़ती ही जा रही है। भारत से दूर होने की पूरी कोशिश में लगे बांग्लादेश के अधिकारी चीन और पाकिस्तान के साथ अलग-अलग मुद्दों पर बैठक कर रहे हैं और यात्राओं का दौर जारी है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते संबंधों के बीच पाकिस्तानी सेना की खुफिया विंग आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक ने बांग्लादेश का दौरा किया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ की यह दशकों पर पहली ढाका यात्रा थी, जिसने भारत की पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमाओं पर नई सुरक्षा चुनौतियों को लेकर चिंताओं को जन्म दिया है।

भारत और बांग्लादेश के बीच बीते करीब एक साल से संबंध पहले की तरह नहीं रहे हैं। दोनों देशों के बीच के संबंध अभी भी हर बीतते दिन के साथ तनावपूर्ण होते दिख रहे हैं। वहीं, शेख हसीना के पतन के बाद आ मोहम्मद युनूस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार पाकिस्तान से संबंध गहरा कर रही है। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच न केवल द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर बात हो रही है बल्कि दोनों देश सैन्य सहयोग बढ़ाने में भी लगे हैं।

बुधवार को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई चीफ जनरल आसिफ मलिक ढाका पहुंचे हैं। दुबई के रास्ते ढाका पहुंचे मलिक का स्वागत बांग्लादेश सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान ने किया, जिनके लिए माना जाते है कि उनके इस्लामवादियों और पाकिस्तान से कथित संबंध हैं।आईएसआई चीफ का दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब बीते सप्ताह ही बांग्लादेश का एक उच्च स्तरीय रक्षा प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान की यात्रा करके लौटा है।

आईएसआई के इस दौरे से भारत की पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमाओं पर सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ गई हैं। क्योंकि इस यात्रा का मकसद बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच खुफिया जानकारी साझा करना है। जानकार इस यात्रा को भारत के खिलाफ गतिविधियों को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में भी देख रहे हैं।

बांग्लादेशी सेना के अधिकारियों ने भी किया था पाकिस्तान का दौरा

इसके पहले बांग्लादेश के एक टॉप जनरल ने इस्लामाबाद में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर से मुलाकात की थी। बांग्लादेश के सशस्त्र बल के प्रिंसिपल स्टाफ अफसर लेफ्टिनेंट जनरल कमरुल हसन कई वर्षों इस्लामाबाद की यात्रा करने वाले पहले शीर्ष बांग्लादेशी जनरल थे। हसन बांग्लादेश की सेना में दूसरे नंबर के अधिकारी भी हैं। उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में आगे बढ़ने का साफ संकेत देती है।

भारत की बढ़ सकती है टेंशन

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नजदीकियों का असर भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंध पर भी पड़ सकता है। जानकार बताते हैं कि 1971 के बाद ये पहली बार हो रहा है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान इतने करीब आ रहे हैं। ऐसे में ये भारत के साथ बांग्लादेश के पुराने संबंध को नुकसान जरूर पहुंचाएगा। पाकिस्तान अपनी सीमा पर आए दिन आतंकवादियों को बढ़ावा देकर भारत में अशांति फैलाने की कोशिश करता रहा है। बांग्लादेश के साथ सैन्य करीबी के बाद भारत को बांग्लादेश बॉर्डर पर आतंकी गतिविधियों का सामना करना पड़ सकता है।

अमेरिकी नागरिकता पर ट्रंप के आदेश से घबराए लोग, वक्त से पहले बच्चों की डिलीवरी कराने की लगी होड़

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डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत एक के बाद एक कई कार्यकारी आदेशों को जारी करते हुए की। इन आदेशों में से एक गैर-अमेरिकी माता-पिता के बच्चों को जन्म के साथ अपने आप मिलने वाली अमेरिकी नागरिकता के प्रावधान को खत्म करना भी शामिल था। अभी तक अमेरिका के कानून के मुताबिक वहां जन्‍म लेने वाला हर शख्‍स अमेरिकी नागरिक होता था, यानी कि उसे जन्‍मजात अमेरिकी नागरिकता मिलती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। ट्रंप ने बर्थराइट सिटिजनशिप के अधिकार को बदलने के आदेश पर दस्तखत भी कर दिए हैं। ऐसे में जन्म से मिलने वाली नागरिकता की परिभाषा बदलने का वहां रह रहे भारतीयों समेत अन्य देशों के लोगों पर प्रभाव पड़ सकता है।

30 दिन बाद अमेरिका में जन्‍मे बच्‍चों की नागरिकता को लेकर नया नियम लागू हो जाएगा और अमेरिकी प्रशासन नई शर्तों के साथ ही ऐसे बच्‍चों को नागरिकता देगा। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप आदेश एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर करने के 30 दिन के बाद शुरू होगा, यानी जो बच्चे 20 फरवरी के बाद जन्म लेंगे उन्हें अमेरिका की जन्मजात नागरिकता नहीं मिलेगी। इसी के चलते कई परिवार चाहते हैं कि उनके बच्चे 20 फरवरी से पहले जन्म ले और बर्थराइट सिटिजनशिप हासिल करें। ऐसे में वहां बीते कुछ घंटों के भीतर सिजेरियन डिलीवरी की बाढ़ आ गई है। अस्पतालों के बाहर बच्चों की डिलीवरी कराने के लिए लंबी लाइन लग गई है।

अखबार की रिपोर्ट में न्यू जर्सी के एक मेटरनिटी क्लिनिक के हवाले से कहा गया है कि बीते कुछ समय से असामान्य रूप से ज्यादा प्रीटर्म डिलीवरी के लिए अनुरोध मिल रहे हैं। इनमें से ज्यादातर कॉल करने वाली या क्लिनिक में आने वाली महिलाएं भारतीय हैं, जो आठ या नौ महीने की गर्भवती हैं और 20 फरवरी से पहले सी-सेक्शन कराने की मांग कर रही हैं। इनमें कुछ महिलाओं का प्रेग्नेंसी पीरियड काफी कम है। अखबार ने एक डॉक्टर एसडी राम के हवाले से लिखा है कि एक महिला जो केवल सात महीने की गर्भवती थी। वह पति के साथ आई और प्रीटर्म डिलीवरी के लिए अनुरोध किया। उसकी डिलीवरी मार्च में ड्यू है।

टेक्सास में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ एस जी मुक्कला ने बताया, पिछले 2 दिनों में मैंने ऐसे 15 से 20 कपल्‍स से इस संबंध में बात की है। साथ ही मैंने उन्‍हें यह बताने की कोशिश की कि भले ही सी-सेक्‍शन करना संभव है लेकिन समय से पहले बच्‍चे का जन्म मां और बच्चे दोनों के लिए बेहद रिस्‍की है। ऐसे प्री-मैच्‍योर बच्‍चे अविकसित फेफड़े, भोजन संबंधी समस्याएं, जन्म के समय कम वजन, तंत्रिका संबंधी जटिलताएं समेत कई शारीरिक समस्‍याओं का शिकार हो सकते हैं।

चूंकि एच1बी वीजा होल्‍डर्स में 70 फीसदी से ज्‍यादा भारतीय हैं और ट्रंप एच1बी वीजा को लेकर भी नियम सख्‍त करने जा रहे हैं, ऐसे में भारतीयों के पास भविष्‍य में अमेरिका में रहने के लिए बच्‍चा पैदा करने के सिवाय कोई और चारा ही नहीं बचा है। मां और बच्चे के लिए जोखिम के बावजूद, कई लोगों को लगता है कि स्थिरता पाने के लिए और अमेरिका में रहने के लिए उनके पास यही एक मौका है। खासकर ऐसे लोग जो लंबे समय से ग्रीन कार्ड पाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने देश में सत्ता संभालने के बाद 20 जनवरी को बर्थराइट पॉलिसी में बदलाव करने के आदेश पर हस्ताक्षर किए। जिसके तहत अब संविधान में 14वें संशोधन के तहत अमेरिका में पैदा हुए सभी बच्चे जन्मजात नागरिकता के हकदार नहीं है। बल्कि जन्मजात नागरिकता हासिल करने के लिए बच्चे की मां या पिता का अमेरिकी नागरिक होना जरूरी है।

आदेश कहता है इन परिस्थितियों में अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगीः-

- अमेरिका में पैदा हुए बच्चे की मां यदि अवैध रूप से वहां रह रही हो।

- पिता अगर बच्चे के जन्म के समय अमेरिका का नागरिक या वैध स्थायी निवासी न हो।

- बच्चे के जन्म के समय मां अमेरिका की वैध, लेकिन अस्थायी निवासी हो।

-पिता, बच्चे के जन्म के समय अमेरिका के नागरिक या वैध स्थायी निवासी न हो।

हालांकि, ये आदेश जारी होने के अगले दिन डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान जब एच-1 बी वीज़ाधारकों के भविष्य से जुड़ा सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, मुझे ये पसंद है कि हमारे देश में प्रतिस्पर्धी लोग आएं। जहां तक एच-1बी वीजा की बात है, तो मैं इसको अच्छे से समझता हूं। मैंने इस प्रोग्राम का इस्तेमाल किया है। हमें चाहिए कि यहां अच्छा काम करने वाले लोग आएं। हमें जरूरत है कि हमारे देश में अच्छे लोग आएं और हम ये एच-1 बी प्रोग्राम के जरिए करते हैं।

जलगांव रेल हादसाःचाय वालों की एक अफवाह से बिछ गई लाशें, ट्रेन में फैली थी आग की खबर

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महाराष्ट्र के जलगांव जिले में बुधवार शाम एक ट्रेन में आग की अफवाह फैली। इसके बाद यात्री दहशत में आए। घबराए यात्रियों ने ट्रेन से बाहर कूदना शुरू कर दिया। इस दौरान पटरी पर उतरे कुछ यात्री पास की पटरी पर विपरीत दिशा से आ रही दूसरी ट्रेन की चपेट में आ गए। इस हादसे में कम से कम 13 यात्रियों की मौत हो गई।

हादसे के बाद सवाल उठ रहे हैं कि इस जानलेवा अफवाह का जिम्मेदार कौन है? पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक 2 चायवालों के अफवाह फैलाने से ये घटना घटी है। बताया जा रहा है कि बुधवार शाम करीब 4.45 बजे ट्रेन में चाय बेचने आए शख्स ने यात्रियों को बताया कि ट्रेन में आग लग गई है। यह सुनते ही वहां अफरा-तफरी मच गई और हल्ला हो गया। इसके बाद कुछ यात्रियों ने न आव देखा न ताव, चेन पुलिंग की और दरवाजों से नीचे कूदने लगे। घबराए हुए लोगों ने खुद को ही मौत के मुंह में धकेल दिया और कुछ ही पल में सब खत्म हो गया।

महाराष्ट्र के जलगांव जिले में बुधवार शाम एक ट्रेन में आग की अफवाह के बाद पटरी पर उतरे कुछ यात्री पास की पटरी पर विपरीत दिशा से आ रही दूसरी ट्रेन की चपेट में आ गए। एक अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक यह हादसा उस समय हुआ जब 12533 लखनऊ-मुंबई पुष्पक एक्सप्रेस में सवार यात्री आग लगने के डर से जल्दबाजी में बगल की पटरियों पर कूद गए और बेंगलुरु से दिल्ली जा रही कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में आ गए। सेंट्रल सर्किल के रेलवे सुरक्षा आयुक्त दुर्घटना के कारणों की जांच करेंगे।

हालांकि, रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने इस बात से इनकार किया कि डिब्बे के अंदर किसी चिंगारी या आग के कारण यात्रियों ने अलार्म बजाया। उन्होंने बताया कि हमें जो सूचना मिली है उसके अनुसार कोच में कोई चिंगारी या आग नहीं देखी गई। इस बीच स्विटजरलैंड के दावोस से एक वीडियो संदेश में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ट्रेन में कुछ यात्रियों ने गलती से मान लिया कि ट्रेन से धुआं निकल रहा है और वे कूद गए। दुर्भाग्य से वे दूसरी ट्रेन की चपेट में आ गए। उन्होंने इस त्रासदी में मारे गए यात्रियों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री के अलावा रेलवे बोर्ड ने अलग से मृतकों के परिजनों को 1.5-1.5 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये और मामूली रूप से घायल लोगों के लिए 5,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।

जम्मू कश्मीर में रहस्यमय बीमारीःअबतक 6 बच्चों समेत 17 की मौत, पूरा गांव कंटेनमेंट जोन घोषित

#jammukasmirrajauribadhaalvillagedeclaredcontainmentzoneafter_17deaths

जम्मू-कश्मीर के राजौरी में एक रहस्यमय बीमारी ने दहशत फैला रखा है। हालात कोरोना काल जैसे हो गए हैं। इस रहस्यमय बीमारी के कारण एक गांव को कंटेनमेंट जोन बना दिया गया है। यहां रहस्यमयी बीमारी से 44 दिनों में 3 परिवारों के 17 लोगों की मौत के बाद बुधवार को यह फैसला लिया गया। यहां अब भीड़ इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है।

जम्मू कश्मीर के राजौरी के बुधाल गांव में रहस्यमयी बीमारी का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। बीमारी के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। इस बीच प्रशासन ने अब पूरे गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है। गांव में बाहरी लोगों के आने पर रोक लगा दी गई है। साथ ही प्रभावित परिवारों को भी घरों में रहने को कहा गया है।

बीएनएस धारा 163 के तहत आदेश जारी

राजौरी के जिलाधिकारी अभिषेक शर्मा ने बीएनएस धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि जन सुरक्षा सुनिश्चित करने और संक्रमण के संभावित प्रसार को रोकने के लिए यह रोक लगाई गई है। आदेश में कहा गया है कि नामित अधिकारी कंटेनमेंट जोन के भीतर परिवारों को प्रदान किए जाने वाले सभी भोजन की निगरानी करेंगे।

गांव को 3 कंटेनमेंट जोन में बदला गया

• पहला जोन उन परिवारों को कवर कर रहा है, जिनमें मौतें हुई हैं। इन परिवारों के घरों को सील कर दिया गया है और सभी लोगों के लिए यहां पर एंट्री बैन कर दी गई है। परिवार वालों को भी यहां जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्हें यहां जाने के लिए अधिकारियों की मंजूरी लेनी होगी।

• दूसरे कंटेनमेंट जोन में प्रभावित व्यक्तियों के करीबी संपर्क में आने वालों यानी परिवार वालों को रखा गया है। इन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट कर दिया गया है। उनकी सेहत पर नजर रखी जा रही है। तीसरे जोन में गांव के सभी परिवारों को रखा गया है।

• तीसरे कंटेनमेंट जोन में मेडिकल स्टाफ लगातार गांववालों के खान-पान पर नजर रख रहा है। यहां अस्पताल की तरफ से तैनात किया गया अफसर ही लोगों को खाना और पानी देगा। यहां पहले से मौजूद कुछ भी खाने पर रोक लगा दी गई है। पुलिस टीम भी यहां मौजूद है।

44 दिनों में 3 परिवारों के 17 लोगों की मौत

यहां रहस्यमयी बीमारी से 44 दिनों में 3 परिवारों के 17 लोगों की मौत हुई है। गांव में 7 दिसंबर से 19 जनवरी के बीच संदिग्ध परिस्थितियों में ये मौतें हुई हैं। पांच बीमार लोगों को पहले सीएचसी कंडी में भर्ती कराया गया था। बुधवार को तीन बहनों की तबीयत बिगड़ गई। इन बहनों की उम्र 16 से 22 साल के बीच है और इन्हें राजौरी के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) में भर्ती किया गया। इससे पहले मंगलवार को 25 साल के युवक एजाज अहमद की तबीयत बिगड़ी थी। पहले उसे जीएमसी जम्मू लाया गया था। फिर पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया गया। उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए एयर एम्बुलेंस से वहां ले जाया गया। तीन नाबालिग बहनों को पहले सीएचसी से जीएमसी राजौरी रेफर किया गया, फिर उन्हें सेना के हेलीकॉप्टर से जम्मू एयरलिफ्ट किया गया। जीएमसी के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. शमीम अहमद ने बताया कि पांचवें मरीज को सीएचसी कंडी से जीएमसी राजौरी स्थानांतरित किया गया।

सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेषः रहस्य बनकर रह गई नेताजी की मौत, गुमनामी बाबा को लेकर थी लोगों के मन में शंका

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क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही शख्स थे? क्या नेताजी ने ही गुमनामी बाबा बनकर अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त फैजाबाद में गुमनाम ज़िंदगी के तौर पर गुज़ारी थी? ऐसे कई सवाल है जिनपर अभी भी पर्दा पड़ा है, जिनके जवाब आज दशकों बाद भी तलाशे जा रहे हैं।नेताजी की मौत का रहस्य अब भी बरकरार है।

नेताजी को लेकर दावे

क्या नेताजी की मौत 1945 में प्लेन क्रैश में ही हुई थी? इसको लेकर देश विदेश में लगातार खोज चल रही है। कई लोगों का मानना था कि नेताजी जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई। नेताजी गुमनामी बाबा के नाम से यूपी में 1985 तक रह रहे थे। नेताजी पर रिसर्च करने वाले बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे।

ना तो मृत्यु का प्रमाण, ना ही कोई तस्वीर

दरअसल गुमनामी बाबा की मौत से पहले उनकी ज़िंदगी एक तरह से गुमनाम सी ही थी। गुमनामी बाबा बेहद रहस्यमयी तरीके से रहा करते थे।आम लोग उनका चेहरा तक नहीं देख पाते थे। थोड़े-थोड़े वक्त पर किराए का घर बदलते रहते थे।यहां तक कि उनके निजी सेवक भी हर कुछ महीने में बदल जाते थे। यहां तक तो तब भी ठीक था,लेकिन शक और सवाल उठने लगे गुमनामी बाबा की मौत के दो दिन बाद।

गुमनामी बाबा आखिरकार 1983 में फैजाबाद में राम भवन के एक आउट-हाउस में बस गए, जहां कथित तौर पर 16 सितंबर, 1985 को उनका निधन हो गया और 18 सितंबर को दो दिन बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।अजीब बात है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वास्तव में उनका निधन हुआ है। शव यात्रा के दौरान कोई मृत्यु प्रमाण पत्र, शव की तस्वीर या उपस्थित लोगों की कोई तस्वीर नहीं है। कोई श्मशान प्रमाण पत्र भी नहीं है।वास्तव में, गुमनामी बाबा के निधन के बारे में लोगों को पता नहीं था, उनके निधन के 42 दिन बाद लोगों को ये पता चला। उनका जीवन और मृत्यु, दोनों रहस्य में डूबा रहा पर कोई नहीं जानता कि क्यों।

विष्णु सहाय आयोग गुमनामी बाब की पहचान नहीं कर सकी

गुमनामी बाबा के विश्वासियों ने 2010 में अदालत का रुख किया था और उच्च न्यायालय ने उनका पक्ष लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को गुमनामी बाबा की पहचान स्थापित करने का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुमनामी बाबा की जांच रिपोर्ट के लिए जस्टिस विष्णु सहाय आयोग का गठन 2016 में किया। तीन साल बाद जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने अपनी रिपोर्ट यूपी विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गुमनामी बाबा’ नेताजी के अनुयायी थे, लेकिन नेताजी नहीं थे। इस रिपोर्ट को यूपी सरकार ने स्वीकार कर लिया है।

इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए लिखा है, 'आयोग द्वारा गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी की पहचान नहीं की जा सकी। गुमनामी बाबा के बारे में आयोग ने कुछ अनुमान लगाए हैं। जैसे गुमनामी बाबा बंगाली थे, गुमनामी बाबा बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी भाषा के जानकार थे। गुमनामी बाबा के राम भवन से बंगाली, अंग्रेजी और हिन्दी में अनेक विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं। गुमनामी बाबा के स्वर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के स्वर जैसा प्राधिकार का भाव था। गुमनामी बाबा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुयायी थे।

गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बात फैली

कहते हैं जब गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बातें फैलने लगीं तो नेताजी की भतीजी ललिता बोस कोलकाता से फैजाबाद आईं। फरवरी 1986 में, नेताजी की भतीजी ललिता बोस गुमनामी बाबा के कमरे में मिली वस्तुओं की पहचान करने के लिए फैजाबाद आई। पहली नजर में, वह अभिभूत हो गईं और यहां तक कि उन्होंने नेताजी के परिवार की कुछ वस्तुओं की पहचान की।

जो सामान गुमनामी बाबा के पास से मिला था।उसमें कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाए जाने वाले नेताजी के जन्मोत्सव की तस्वीरें थी।लीला रॉय की मौत पर हुई शोक सभाओं की तस्वीरें थी। नेताजी की तरह के दर्जनों गोल चश्मे थे। 555 सिगरेट और विदेशी शराब थी। सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता और परिवार की निजी तस्वीरें भी थी। एक रोलेक्स की जेब घड़ी थी और आज़ाद हिंद फ़ौज की एक यूनिफॉर्म थी।सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच के लिए बने शाहनवाज़ और खोसला आयोग की रिपोर्टें,सैकड़ों टेलीग्राम और पत्र आदि जिन्हें भगवनजी के नाम पर संबोधित किया गया था।

मुखर्जी आयोग भी रहा नाकाम

यही नहीं हाथ से बने हुए उस जगह के नक़्शे भी बरामद हुए थे, जहां नेताजी का विमान क्रैश हुआ था। गुमनामी बाबा की मौत के बाद सामान के साथ कुछ ऐसी बातें भी बाहर आईं जिनको लेकर लोगों को यकीन सा होने लगा था कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे। इसके बाद गुमनामी बाबा के ही नेताजी होने की जांच के लिए कई जगह प्रदर्शन हुए।इस मामले की जांच के लिए मुखर्जी आयोग का गठन किया गया। हालांकि ये साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे।

जलगांव रेल दुर्घटना: अधिकारीयों ने दुर्घटना के कारणों का किया खुलासा

महाराष्ट्र के जलगांव जिले में एक दुखद रेल दुर्घटना में लखनऊ-छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पुष्पक एक्सप्रेस के 11 यात्री मारे गए और पांच घायल हो गए, जब वे ट्रेन से बाहर निकले और दूसरी दिशा से आ रही कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में आ गए।

रेल दुर्घटना के पीछे क्या कारण था?

अधिकारियों के अनुसार, शाम करीब 5 बजे माहेजी और परधाडे स्टेशनों के बीच ट्रेन में आग लगने की अफवाह के कारण पुष्पक एक्सप्रेस में चेन-पुलिंग की घटना हुई। मध्य रेलवे के सीपीआरओ स्वप्निल कुमार लीला ने एक वीडियो में कहा, “ट्रेन रुक गई थी, जिसके बाद एक कोच से कुछ यात्री बाहर निकल गए। इस बीच, विपरीत दिशा में जा रही कर्नाटक एक्सप्रेस अगले ट्रैक से गुजर रही थी।” “हमने आस-पास के अस्पतालों से भी मदद मांगी है। रेलवे की दुर्घटना राहत चिकित्सा वैन भी भुसावल से रवाना हो गई है और यह जल्द ही घटनास्थल पर पहुंच जाएगी।

कर्नाटक एक्सप्रेस ने अपनी आगे की यात्रा फिर से शुरू कर दी है और पुष्पक एक्सप्रेस घायल यात्रियों को मदद मुहैया कराए जाने के बाद यात्रा फिर से शुरू करेगी," लीला ने एएनआई से बातचीत में कहा। नासिक के डिवीजनल कमिश्नर प्रवीण गेदम ने एएनआई को बताया कि अतिरिक्त एसपी, एसपी, कलेक्टर और अन्य अधिकारी दुर्घटना स्थल पर जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "हम डीआरएम और रेलवे अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहे हैं। अंतिम उपलब्ध जानकारी के अनुसार 8 एम्बुलेंस घटनास्थल पर पहुंच गई हैं, रेलवे की अतिरिक्त बचाव वैन और रेलवे एम्बुलेंस को घटनास्थल पर भेजा जा रहा है।"

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक्स पर पोस्ट किया, "जलगांव जिले के पचोरा के पास कुछ लोगों की जान जाने की दुखद घटना बेहद दुखद है। मैं उन्हें अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।" "मेरे सहयोगी मंत्री गिरीश महाजन और पुलिस अधीक्षक घटनास्थल पर पहुंच गए हैं, और जिला कलेक्टर जल्द ही वहां पहुंचेंगे। फडणवीस ने मराठी में एक पोस्ट में कहा, "पूरा जिला प्रशासन रेलवे प्रशासन के साथ समन्वय में काम कर रहा है और घायलों के इलाज के लिए तत्काल व्यवस्था की जा रही है।" 8 एम्बुलेंस भेजी गई हैं। घायलों के इलाज के लिए सामान्य अस्पताल के साथ-साथ अन्य नजदीकी निजी अस्पतालों को भी तैयार रखा गया है। ग्लास कटर, फ्लडलाइट आदि जैसे आपातकालीन उपकरण भी तैयार रखे गए हैं। हम पूरी स्थिति पर नज़र रख रहे हैं और सभी आवश्यक मदद तुरंत उपलब्ध कराई जा रही है। मैं जिला प्रशासन के संपर्क में हूं।"

टैरिफ की धमकी पर ट्रूडो ने ट्रंप को चेताया, बोले-कनाडा जवाबी कार्रवाई करेगा

#canada_ready_to_cause_economic_pain_to_america_justin_trudeau_said

अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कनाडा को अमेरिका का अंग बनाने जैसे बयान दे चुके हैं। यही नहीं, शपथ ग्रहण के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि वह एक फरवरी से कनाडा पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे। डोनाल्ड ट्रंप की कनाडा पर टैरिफ की धमकी पर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जवाब दिया है।उन्होंने कहा कि अगर डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ते हैं तो कनाडा इसका कड़ा जवाब देगा।

जस्टिन ट्रूडो ने तर्क दिया कि कनाडा ऊर्जा महाशक्ति है, जिसके पास तेल और महत्वपूर्ण खनिज भंडार है और ट्रंप के संकल्प के मुताबिक अमेरिका को ‘तेजी से बढ़ती’ अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कनाडा की इस संपदा की आवश्यकता होगी। ट्रूडो ने कहा कि अगर आवश्यक हुआ तो कनाडा जवाबी कार्रवाई करेगा।

क्यूबेक के मोंटेबेलो में एक विशेष कैबिनेट बैठक में बोलते हुए, ट्रूडो ने कहा कि वो ट्रम्प के इस कदम से बेफिक्र हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस राष्ट्रपति के साथ काम करते समय अनिश्चितता की बहुत उम्मीद है। ट्रूडो ने आगे कहा कि वह ट्रंप को पीछे हटाने के लिए अमेरिका को आर्थिक दर्द देने के लिए तैयार है। ट्रूडो ने कहा कि कनाडा का मुख्य लक्ष्य प्रस्तावित अमेरिकी टैरिफ से बचना और उसके साथ एक बहुत ही सकारात्मक संबंध विकसित करना है। उन्होंने कहा कि कनाडा ट्रंप की धमकियों के सामने झुकेगा नहीं।

ट्रूडो ने कहा कि अगर वो वास्तव में उसे अमेरिका के स्वर्णिम युग में एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उन्हें ऐसा करने के लिए तेल, लकड़ी, स्टील, एल्युमिनियम और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे कनाडा के प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता होगी। ट्रूडो ने कहा कि इससे कनाडा को कुछ लाभ मिलेगा।

बता दें कि ट्रंप ने सोमवार को अपने शपथ ग्रहण के बाद कनाडा पर टैरिफ लगाने के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी करने से परहेज किया, लेकिन बाद में उन्होंने यह सुझाव दिया कि वे दो हफ्ते के समय में 25 प्रतिशत टैरिफ लागू करना चाहते हैं।

आग की अफवाह में पुष्पक एक्सप्रेस से कूदे यात्री, दूसरे ट्रैक पर कर्नाटक एक्सप्रेस ने कुचला, 11 की मौत

#pushpakexpresstrain_fire

महाराष्ट्र के जलगांव जिले में एक बड़ी रेल दुर्घटना सामने आई है। महाराष्ट्र के जलगांव में लखनऊ से मुंबई जा रही ट्रेन हादसा पुष्पक एक्सप्रेस में आग की अफवाह फैलने पर यात्रियों ने छलांग लगा दी। दूसरे ट्रैक से आ रही ट्रेन ने कई लोगों को कुचल दिया। तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आने से 11 लोगों की मौत हो गई। करीब 40 लोग घायल हैं।

जानकारी के अनुसार, भुसावल रेल मंडल में यह हादसा हुआ है। शुरू में बताया गया था कि ट्रेन में आग लगने की वजह से लोग कूदने लगे थे, जिस वजह से यह हादसा हुआ। इस अफवाह के चलते लोग ट्रेन से नीचे उतर गए। दूसरी तरफ से कर्नाटक एक्‍सप्रेस ट्रेन रफ्तार में गुजर रही थी और कई लोग इसकी चपेट में आ गए। इस हादसे में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई यात्रियों के घायल होने की भी सूचना है।

जलगांव में पुष्पक एक्सप्रेस की घटना पर सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ डॉ. स्वनिल ने बयान दिया है। उन्होंने बताया कि पुष्पक एक्सप्रेस लखनऊ से मुंबई आ रही थी। कुछ यात्री ट्रैक पर उतर गए थे। दूसरी दिशा से जाने वाली कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में कुछ यात्री आए। सीपीआरओ के अनुसार ट्रेन में 'एसीपी' यानी अलार्म चेन पुलिंग हुई थी। चेन पुलिंग क्यों हुई इसकी जानकारी अभी रेलवे के पास नहीं है।

जलगांव हादसे पर सीएम फडणवीस ने क्या कहा?

जलगांव में हुए हादसे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जलगांव जिले के पचोरा के पास एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना में कुछ लोगों की मृत्यु की घटना हुई है। मैं उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मेरे सहयोगी मंत्री गिरीश महाजन और पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंच गए हैं और कुछ ही देर में कलेक्टर भी वहां पहुंच रहे हैं। पूरा जिला प्रशासन रेलवे प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है और घायलों के इलाज की तत्काल व्यवस्था की जा रही है। 8 एंबुलेंस भेजी गई हैं। घायलों के इलाज के लिए सामान्य अस्पताल के साथ-साथ आसपास के अन्य निजी अस्पतालों को भी तैयार रखा गया है। ग्लास कटर, फ्लडलाइट आदि जैसी आपातकालीन प्रणालियां भी तैयार रखी गई हैं। हम पूरी स्थिति पर नजर रख रहे हैं और तुरंत सभी जरूरी सहायता मुहैया करा रहे हैं। मैं जिला प्रशासन के संपर्क में हूं।