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जलगांव रेल हादसाःचाय वालों की एक अफवाह से बिछ गई लाशें, ट्रेन में फैली थी आग की खबर

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महाराष्ट्र के जलगांव जिले में बुधवार शाम एक ट्रेन में आग की अफवाह फैली। इसके बाद यात्री दहशत में आए। घबराए यात्रियों ने ट्रेन से बाहर कूदना शुरू कर दिया। इस दौरान पटरी पर उतरे कुछ यात्री पास की पटरी पर विपरीत दिशा से आ रही दूसरी ट्रेन की चपेट में आ गए। इस हादसे में कम से कम 13 यात्रियों की मौत हो गई।

हादसे के बाद सवाल उठ रहे हैं कि इस जानलेवा अफवाह का जिम्मेदार कौन है? पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक 2 चायवालों के अफवाह फैलाने से ये घटना घटी है। बताया जा रहा है कि बुधवार शाम करीब 4.45 बजे ट्रेन में चाय बेचने आए शख्स ने यात्रियों को बताया कि ट्रेन में आग लग गई है। यह सुनते ही वहां अफरा-तफरी मच गई और हल्ला हो गया। इसके बाद कुछ यात्रियों ने न आव देखा न ताव, चेन पुलिंग की और दरवाजों से नीचे कूदने लगे। घबराए हुए लोगों ने खुद को ही मौत के मुंह में धकेल दिया और कुछ ही पल में सब खत्म हो गया।

महाराष्ट्र के जलगांव जिले में बुधवार शाम एक ट्रेन में आग की अफवाह के बाद पटरी पर उतरे कुछ यात्री पास की पटरी पर विपरीत दिशा से आ रही दूसरी ट्रेन की चपेट में आ गए। एक अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक यह हादसा उस समय हुआ जब 12533 लखनऊ-मुंबई पुष्पक एक्सप्रेस में सवार यात्री आग लगने के डर से जल्दबाजी में बगल की पटरियों पर कूद गए और बेंगलुरु से दिल्ली जा रही कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में आ गए। सेंट्रल सर्किल के रेलवे सुरक्षा आयुक्त दुर्घटना के कारणों की जांच करेंगे।

हालांकि, रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने इस बात से इनकार किया कि डिब्बे के अंदर किसी चिंगारी या आग के कारण यात्रियों ने अलार्म बजाया। उन्होंने बताया कि हमें जो सूचना मिली है उसके अनुसार कोच में कोई चिंगारी या आग नहीं देखी गई। इस बीच स्विटजरलैंड के दावोस से एक वीडियो संदेश में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ट्रेन में कुछ यात्रियों ने गलती से मान लिया कि ट्रेन से धुआं निकल रहा है और वे कूद गए। दुर्भाग्य से वे दूसरी ट्रेन की चपेट में आ गए। उन्होंने इस त्रासदी में मारे गए यात्रियों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री के अलावा रेलवे बोर्ड ने अलग से मृतकों के परिजनों को 1.5-1.5 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये और मामूली रूप से घायल लोगों के लिए 5,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।

जम्मू कश्मीर में रहस्यमय बीमारीःअबतक 6 बच्चों समेत 17 की मौत, पूरा गांव कंटेनमेंट जोन घोषित

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जम्मू-कश्मीर के राजौरी में एक रहस्यमय बीमारी ने दहशत फैला रखा है। हालात कोरोना काल जैसे हो गए हैं। इस रहस्यमय बीमारी के कारण एक गांव को कंटेनमेंट जोन बना दिया गया है। यहां रहस्यमयी बीमारी से 44 दिनों में 3 परिवारों के 17 लोगों की मौत के बाद बुधवार को यह फैसला लिया गया। यहां अब भीड़ इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है।

जम्मू कश्मीर के राजौरी के बुधाल गांव में रहस्यमयी बीमारी का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। बीमारी के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। इस बीच प्रशासन ने अब पूरे गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है। गांव में बाहरी लोगों के आने पर रोक लगा दी गई है। साथ ही प्रभावित परिवारों को भी घरों में रहने को कहा गया है।

बीएनएस धारा 163 के तहत आदेश जारी

राजौरी के जिलाधिकारी अभिषेक शर्मा ने बीएनएस धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि जन सुरक्षा सुनिश्चित करने और संक्रमण के संभावित प्रसार को रोकने के लिए यह रोक लगाई गई है। आदेश में कहा गया है कि नामित अधिकारी कंटेनमेंट जोन के भीतर परिवारों को प्रदान किए जाने वाले सभी भोजन की निगरानी करेंगे।

गांव को 3 कंटेनमेंट जोन में बदला गया

• पहला जोन उन परिवारों को कवर कर रहा है, जिनमें मौतें हुई हैं। इन परिवारों के घरों को सील कर दिया गया है और सभी लोगों के लिए यहां पर एंट्री बैन कर दी गई है। परिवार वालों को भी यहां जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्हें यहां जाने के लिए अधिकारियों की मंजूरी लेनी होगी।

• दूसरे कंटेनमेंट जोन में प्रभावित व्यक्तियों के करीबी संपर्क में आने वालों यानी परिवार वालों को रखा गया है। इन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट कर दिया गया है। उनकी सेहत पर नजर रखी जा रही है। तीसरे जोन में गांव के सभी परिवारों को रखा गया है।

• तीसरे कंटेनमेंट जोन में मेडिकल स्टाफ लगातार गांववालों के खान-पान पर नजर रख रहा है। यहां अस्पताल की तरफ से तैनात किया गया अफसर ही लोगों को खाना और पानी देगा। यहां पहले से मौजूद कुछ भी खाने पर रोक लगा दी गई है। पुलिस टीम भी यहां मौजूद है।

44 दिनों में 3 परिवारों के 17 लोगों की मौत

यहां रहस्यमयी बीमारी से 44 दिनों में 3 परिवारों के 17 लोगों की मौत हुई है। गांव में 7 दिसंबर से 19 जनवरी के बीच संदिग्ध परिस्थितियों में ये मौतें हुई हैं। पांच बीमार लोगों को पहले सीएचसी कंडी में भर्ती कराया गया था। बुधवार को तीन बहनों की तबीयत बिगड़ गई। इन बहनों की उम्र 16 से 22 साल के बीच है और इन्हें राजौरी के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) में भर्ती किया गया। इससे पहले मंगलवार को 25 साल के युवक एजाज अहमद की तबीयत बिगड़ी थी। पहले उसे जीएमसी जम्मू लाया गया था। फिर पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया गया। उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए एयर एम्बुलेंस से वहां ले जाया गया। तीन नाबालिग बहनों को पहले सीएचसी से जीएमसी राजौरी रेफर किया गया, फिर उन्हें सेना के हेलीकॉप्टर से जम्मू एयरलिफ्ट किया गया। जीएमसी के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. शमीम अहमद ने बताया कि पांचवें मरीज को सीएचसी कंडी से जीएमसी राजौरी स्थानांतरित किया गया।

सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेषः रहस्य बनकर रह गई नेताजी की मौत, गुमनामी बाबा को लेकर थी लोगों के मन में शंका

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क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही शख्स थे? क्या नेताजी ने ही गुमनामी बाबा बनकर अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त फैजाबाद में गुमनाम ज़िंदगी के तौर पर गुज़ारी थी? ऐसे कई सवाल है जिनपर अभी भी पर्दा पड़ा है, जिनके जवाब आज दशकों बाद भी तलाशे जा रहे हैं।नेताजी की मौत का रहस्य अब भी बरकरार है।

नेताजी को लेकर दावे

क्या नेताजी की मौत 1945 में प्लेन क्रैश में ही हुई थी? इसको लेकर देश विदेश में लगातार खोज चल रही है। कई लोगों का मानना था कि नेताजी जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई। नेताजी गुमनामी बाबा के नाम से यूपी में 1985 तक रह रहे थे। नेताजी पर रिसर्च करने वाले बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे।

ना तो मृत्यु का प्रमाण, ना ही कोई तस्वीर

दरअसल गुमनामी बाबा की मौत से पहले उनकी ज़िंदगी एक तरह से गुमनाम सी ही थी। गुमनामी बाबा बेहद रहस्यमयी तरीके से रहा करते थे।आम लोग उनका चेहरा तक नहीं देख पाते थे। थोड़े-थोड़े वक्त पर किराए का घर बदलते रहते थे।यहां तक कि उनके निजी सेवक भी हर कुछ महीने में बदल जाते थे। यहां तक तो तब भी ठीक था,लेकिन शक और सवाल उठने लगे गुमनामी बाबा की मौत के दो दिन बाद।

गुमनामी बाबा आखिरकार 1983 में फैजाबाद में राम भवन के एक आउट-हाउस में बस गए, जहां कथित तौर पर 16 सितंबर, 1985 को उनका निधन हो गया और 18 सितंबर को दो दिन बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।अजीब बात है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वास्तव में उनका निधन हुआ है। शव यात्रा के दौरान कोई मृत्यु प्रमाण पत्र, शव की तस्वीर या उपस्थित लोगों की कोई तस्वीर नहीं है। कोई श्मशान प्रमाण पत्र भी नहीं है।वास्तव में, गुमनामी बाबा के निधन के बारे में लोगों को पता नहीं था, उनके निधन के 42 दिन बाद लोगों को ये पता चला। उनका जीवन और मृत्यु, दोनों रहस्य में डूबा रहा पर कोई नहीं जानता कि क्यों।

विष्णु सहाय आयोग गुमनामी बाब की पहचान नहीं कर सकी

गुमनामी बाबा के विश्वासियों ने 2010 में अदालत का रुख किया था और उच्च न्यायालय ने उनका पक्ष लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को गुमनामी बाबा की पहचान स्थापित करने का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुमनामी बाबा की जांच रिपोर्ट के लिए जस्टिस विष्णु सहाय आयोग का गठन 2016 में किया। तीन साल बाद जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने अपनी रिपोर्ट यूपी विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गुमनामी बाबा’ नेताजी के अनुयायी थे, लेकिन नेताजी नहीं थे। इस रिपोर्ट को यूपी सरकार ने स्वीकार कर लिया है।

इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए लिखा है, 'आयोग द्वारा गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी की पहचान नहीं की जा सकी। गुमनामी बाबा के बारे में आयोग ने कुछ अनुमान लगाए हैं। जैसे गुमनामी बाबा बंगाली थे, गुमनामी बाबा बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी भाषा के जानकार थे। गुमनामी बाबा के राम भवन से बंगाली, अंग्रेजी और हिन्दी में अनेक विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं। गुमनामी बाबा के स्वर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के स्वर जैसा प्राधिकार का भाव था। गुमनामी बाबा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुयायी थे।

गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बात फैली

कहते हैं जब गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बातें फैलने लगीं तो नेताजी की भतीजी ललिता बोस कोलकाता से फैजाबाद आईं। फरवरी 1986 में, नेताजी की भतीजी ललिता बोस गुमनामी बाबा के कमरे में मिली वस्तुओं की पहचान करने के लिए फैजाबाद आई। पहली नजर में, वह अभिभूत हो गईं और यहां तक कि उन्होंने नेताजी के परिवार की कुछ वस्तुओं की पहचान की।

जो सामान गुमनामी बाबा के पास से मिला था।उसमें कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाए जाने वाले नेताजी के जन्मोत्सव की तस्वीरें थी।लीला रॉय की मौत पर हुई शोक सभाओं की तस्वीरें थी। नेताजी की तरह के दर्जनों गोल चश्मे थे। 555 सिगरेट और विदेशी शराब थी। सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता और परिवार की निजी तस्वीरें भी थी। एक रोलेक्स की जेब घड़ी थी और आज़ाद हिंद फ़ौज की एक यूनिफॉर्म थी।सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच के लिए बने शाहनवाज़ और खोसला आयोग की रिपोर्टें,सैकड़ों टेलीग्राम और पत्र आदि जिन्हें भगवनजी के नाम पर संबोधित किया गया था।

मुखर्जी आयोग भी रहा नाकाम

यही नहीं हाथ से बने हुए उस जगह के नक़्शे भी बरामद हुए थे, जहां नेताजी का विमान क्रैश हुआ था। गुमनामी बाबा की मौत के बाद सामान के साथ कुछ ऐसी बातें भी बाहर आईं जिनको लेकर लोगों को यकीन सा होने लगा था कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे। इसके बाद गुमनामी बाबा के ही नेताजी होने की जांच के लिए कई जगह प्रदर्शन हुए।इस मामले की जांच के लिए मुखर्जी आयोग का गठन किया गया। हालांकि ये साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे।

जलगांव रेल दुर्घटना: अधिकारीयों ने दुर्घटना के कारणों का किया खुलासा

महाराष्ट्र के जलगांव जिले में एक दुखद रेल दुर्घटना में लखनऊ-छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पुष्पक एक्सप्रेस के 11 यात्री मारे गए और पांच घायल हो गए, जब वे ट्रेन से बाहर निकले और दूसरी दिशा से आ रही कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में आ गए।

रेल दुर्घटना के पीछे क्या कारण था?

अधिकारियों के अनुसार, शाम करीब 5 बजे माहेजी और परधाडे स्टेशनों के बीच ट्रेन में आग लगने की अफवाह के कारण पुष्पक एक्सप्रेस में चेन-पुलिंग की घटना हुई। मध्य रेलवे के सीपीआरओ स्वप्निल कुमार लीला ने एक वीडियो में कहा, “ट्रेन रुक गई थी, जिसके बाद एक कोच से कुछ यात्री बाहर निकल गए। इस बीच, विपरीत दिशा में जा रही कर्नाटक एक्सप्रेस अगले ट्रैक से गुजर रही थी।” “हमने आस-पास के अस्पतालों से भी मदद मांगी है। रेलवे की दुर्घटना राहत चिकित्सा वैन भी भुसावल से रवाना हो गई है और यह जल्द ही घटनास्थल पर पहुंच जाएगी।

कर्नाटक एक्सप्रेस ने अपनी आगे की यात्रा फिर से शुरू कर दी है और पुष्पक एक्सप्रेस घायल यात्रियों को मदद मुहैया कराए जाने के बाद यात्रा फिर से शुरू करेगी," लीला ने एएनआई से बातचीत में कहा। नासिक के डिवीजनल कमिश्नर प्रवीण गेदम ने एएनआई को बताया कि अतिरिक्त एसपी, एसपी, कलेक्टर और अन्य अधिकारी दुर्घटना स्थल पर जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "हम डीआरएम और रेलवे अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहे हैं। अंतिम उपलब्ध जानकारी के अनुसार 8 एम्बुलेंस घटनास्थल पर पहुंच गई हैं, रेलवे की अतिरिक्त बचाव वैन और रेलवे एम्बुलेंस को घटनास्थल पर भेजा जा रहा है।"

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक्स पर पोस्ट किया, "जलगांव जिले के पचोरा के पास कुछ लोगों की जान जाने की दुखद घटना बेहद दुखद है। मैं उन्हें अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।" "मेरे सहयोगी मंत्री गिरीश महाजन और पुलिस अधीक्षक घटनास्थल पर पहुंच गए हैं, और जिला कलेक्टर जल्द ही वहां पहुंचेंगे। फडणवीस ने मराठी में एक पोस्ट में कहा, "पूरा जिला प्रशासन रेलवे प्रशासन के साथ समन्वय में काम कर रहा है और घायलों के इलाज के लिए तत्काल व्यवस्था की जा रही है।" 8 एम्बुलेंस भेजी गई हैं। घायलों के इलाज के लिए सामान्य अस्पताल के साथ-साथ अन्य नजदीकी निजी अस्पतालों को भी तैयार रखा गया है। ग्लास कटर, फ्लडलाइट आदि जैसे आपातकालीन उपकरण भी तैयार रखे गए हैं। हम पूरी स्थिति पर नज़र रख रहे हैं और सभी आवश्यक मदद तुरंत उपलब्ध कराई जा रही है। मैं जिला प्रशासन के संपर्क में हूं।"

टैरिफ की धमकी पर ट्रूडो ने ट्रंप को चेताया, बोले-कनाडा जवाबी कार्रवाई करेगा

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अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कनाडा को अमेरिका का अंग बनाने जैसे बयान दे चुके हैं। यही नहीं, शपथ ग्रहण के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि वह एक फरवरी से कनाडा पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे। डोनाल्ड ट्रंप की कनाडा पर टैरिफ की धमकी पर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जवाब दिया है।उन्होंने कहा कि अगर डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ते हैं तो कनाडा इसका कड़ा जवाब देगा।

जस्टिन ट्रूडो ने तर्क दिया कि कनाडा ऊर्जा महाशक्ति है, जिसके पास तेल और महत्वपूर्ण खनिज भंडार है और ट्रंप के संकल्प के मुताबिक अमेरिका को ‘तेजी से बढ़ती’ अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कनाडा की इस संपदा की आवश्यकता होगी। ट्रूडो ने कहा कि अगर आवश्यक हुआ तो कनाडा जवाबी कार्रवाई करेगा।

क्यूबेक के मोंटेबेलो में एक विशेष कैबिनेट बैठक में बोलते हुए, ट्रूडो ने कहा कि वो ट्रम्प के इस कदम से बेफिक्र हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस राष्ट्रपति के साथ काम करते समय अनिश्चितता की बहुत उम्मीद है। ट्रूडो ने आगे कहा कि वह ट्रंप को पीछे हटाने के लिए अमेरिका को आर्थिक दर्द देने के लिए तैयार है। ट्रूडो ने कहा कि कनाडा का मुख्य लक्ष्य प्रस्तावित अमेरिकी टैरिफ से बचना और उसके साथ एक बहुत ही सकारात्मक संबंध विकसित करना है। उन्होंने कहा कि कनाडा ट्रंप की धमकियों के सामने झुकेगा नहीं।

ट्रूडो ने कहा कि अगर वो वास्तव में उसे अमेरिका के स्वर्णिम युग में एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उन्हें ऐसा करने के लिए तेल, लकड़ी, स्टील, एल्युमिनियम और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे कनाडा के प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता होगी। ट्रूडो ने कहा कि इससे कनाडा को कुछ लाभ मिलेगा।

बता दें कि ट्रंप ने सोमवार को अपने शपथ ग्रहण के बाद कनाडा पर टैरिफ लगाने के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी करने से परहेज किया, लेकिन बाद में उन्होंने यह सुझाव दिया कि वे दो हफ्ते के समय में 25 प्रतिशत टैरिफ लागू करना चाहते हैं।

आग की अफवाह में पुष्पक एक्सप्रेस से कूदे यात्री, दूसरे ट्रैक पर कर्नाटक एक्सप्रेस ने कुचला, 11 की मौत

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महाराष्ट्र के जलगांव जिले में एक बड़ी रेल दुर्घटना सामने आई है। महाराष्ट्र के जलगांव में लखनऊ से मुंबई जा रही ट्रेन हादसा पुष्पक एक्सप्रेस में आग की अफवाह फैलने पर यात्रियों ने छलांग लगा दी। दूसरे ट्रैक से आ रही ट्रेन ने कई लोगों को कुचल दिया। तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आने से 11 लोगों की मौत हो गई। करीब 40 लोग घायल हैं।

जानकारी के अनुसार, भुसावल रेल मंडल में यह हादसा हुआ है। शुरू में बताया गया था कि ट्रेन में आग लगने की वजह से लोग कूदने लगे थे, जिस वजह से यह हादसा हुआ। इस अफवाह के चलते लोग ट्रेन से नीचे उतर गए। दूसरी तरफ से कर्नाटक एक्‍सप्रेस ट्रेन रफ्तार में गुजर रही थी और कई लोग इसकी चपेट में आ गए। इस हादसे में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई यात्रियों के घायल होने की भी सूचना है।

जलगांव में पुष्पक एक्सप्रेस की घटना पर सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ डॉ. स्वनिल ने बयान दिया है। उन्होंने बताया कि पुष्पक एक्सप्रेस लखनऊ से मुंबई आ रही थी। कुछ यात्री ट्रैक पर उतर गए थे। दूसरी दिशा से जाने वाली कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में कुछ यात्री आए। सीपीआरओ के अनुसार ट्रेन में 'एसीपी' यानी अलार्म चेन पुलिंग हुई थी। चेन पुलिंग क्यों हुई इसकी जानकारी अभी रेलवे के पास नहीं है।

जलगांव हादसे पर सीएम फडणवीस ने क्या कहा?

जलगांव में हुए हादसे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जलगांव जिले के पचोरा के पास एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना में कुछ लोगों की मृत्यु की घटना हुई है। मैं उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मेरे सहयोगी मंत्री गिरीश महाजन और पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंच गए हैं और कुछ ही देर में कलेक्टर भी वहां पहुंच रहे हैं। पूरा जिला प्रशासन रेलवे प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है और घायलों के इलाज की तत्काल व्यवस्था की जा रही है। 8 एंबुलेंस भेजी गई हैं। घायलों के इलाज के लिए सामान्य अस्पताल के साथ-साथ आसपास के अन्य निजी अस्पतालों को भी तैयार रखा गया है। ग्लास कटर, फ्लडलाइट आदि जैसी आपातकालीन प्रणालियां भी तैयार रखी गई हैं। हम पूरी स्थिति पर नजर रख रहे हैं और तुरंत सभी जरूरी सहायता मुहैया करा रहे हैं। मैं जिला प्रशासन के संपर्क में हूं।

ट्रंप के शपथ लेते ही अमेरिका से 18 हजार भारतीयों पर खतरा, क्या होगी घर वापसी?

#18thousandillegalindianimmigrantswillbedeportedfrom_america

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही अवैध प्रवासियों की धड़कनें तेज हो गई हैं। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही गैरकानूनी प्रवासियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस बीच खबर है कि इसकी गाज अवैध भारतीय प्रवासियों पर भी गिरने जा रही है। 

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 18 हजार भारतीयों की देश वापसी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक इनके पास अमेरिका की नागरिकता नहीं है, वहां की नागरिकता हासिल करने के लिए सही कागज दस्तावेज भी नहीं हैं। अमेरिका में पिछले महीने अवैध प्रवासियों से डील करने वाली सरकारी संस्था आव्रजन-सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने करीब 15 लाख लोगों की एक सूची बनाई थी, जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं। 18 हजार भारतीय इसी सूची का हिस्सा हैं। सूत्रों ने बताया कि यह संख्या और भी अधिक हो सकती है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कितने और लोग इस सूची में जोड़े जा सकते हैं क्योंकि अवैध भारतीय प्रवासियों की सही संख्या ज्ञात नहीं है।

अमेरिका में कितने अवैध भारतीय प्रवासी?

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका में अवैध प्रवासियों के रहने के मामले में भारत का स्थान बहुत मामूली है। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा डेटा के मुताबिक साल 2024 में अवैध प्रवासियों में सिर्फ 3% भारतीय नागरिक थे। मेक्सिको, वेनेजुएला और ग्वाटेमाला जैसे लैटिन अमेरिकी देशों की हिस्सेदारी इसमें सबसे ज्यादा है।

वहीं,, 2024 की प्यू रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, अमेर‍िका में 725,000 भारतीय अवैध तरीके से रह रहे हैं। यह वहां रह रहे अवैध प्रवास‍ियों का सबसे बड़ा ह‍िस्‍सा है।

भारत सरकार वापसी में करेगी मदद

रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार वहां अवैध रूप से रह रहे अपने सभी नागरिकों की पहचान करने और उन्हें वापस लाने के लिए ट्रंप प्रशासन के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। इसमें बताया गया है कि भारत नहीं चाहता कि अवैध नागरिकों के मुद्दे का एच-1B वीजा और स्टूडेंट वीजा जैसे कार्यक्रमों पर असर पड़े। भारत उम्मीद कर रहा कि ट्रंप प्रशासन के साथ उसके रिश्ते इसमें काफी काम आएंगे। हो सकता है क‍ि ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी रिश्तों की वजह से छात्र वीजा और एच-1बी वीजा से जुड़े लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

अवैध प्रवासियों की एंट्री बैन करने के लिए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी

ट्रंप ने सोमवार को शपथ लीने के बाद अवैध प्रवासियों की एंट्री बैन करने के अलावा जन्मजात नागरिकता (बर्थराइट सिटीजनशिप) को खत्म करने को लेकर भी एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया है। एग्जीक्यूटिव ऑर्डर वह आदेश होते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति जारी करते हैं। उनका यह आदेश कानून बन जाता है जिसे कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत नहीं होती। कांग्रेस इन्हें पलट नहीं सकती। हालांकि इन्हें अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

ट्रंप ने कहा कि वह अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर नेशनल इमरजेंसी घोषित करेंगे। देश में अवैध एंट्री को तुरंत रोका जाएगा और सरकार लाखों अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करेगी। ट्रंप ने अपने एक भाषण में इसके संकेत भी दिए हैं कि जरूरत पड़ी तो वह 225 साल पुराने एलियन एनिमीज एक्ट (Alien Enemies Act of 1798) के तहत यह कार्रवाई करेंगे।

क्या है एलियन एनिमीज एक्ट?

1798 का विदेशी शत्रु अधिनियम (Alien Enemies Act of 1798) एक युद्धकालीन कानून है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति को किसी शत्रु राष्ट्र के मूल निवासियों और नागरिकों को हिरासत में लेने या निर्वासित करने की अनुमति देता है। यह कानून राष्ट्रपति को इन अप्रवासियों को बिना सुनवाई के और केवल उनके जन्म के देश या नागरिकता के आधार पर बाहर करने की अनुमति देता है।

क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम? भारत के इस शहर में फैली ऐसी बीमारी

#guillain_barre_syndrome_in_pune

पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम नाम की बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है। स्वास्थ्य महकमे से लेकर आम लोग इसको लेकर तनाव में हैं। पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम के 24 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। जिसके बाद महाराष्‍ट्र सरकार एक्‍शन मोड में नजर आ रही है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी के मामलों में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक टीम गठित की है।सभी के ब्लड सैंपल आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ( एनआईवी) में जांच के लिए भेजे गए है।

राज्‍य के एक अधिकारी ने बताया कि पुणे नगर निगम (पीएमसी) के स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों के नमूने जांच के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (आईसीएमआर-एनआईवी) को भेजे हैं। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि इनमें से अधिकतर मामले शहर के सिंहगढ़ रोड इलाके से सामने आए। चिकित्सकों के अनुसार, गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ विकार है, जिसमें अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं।

दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग में डॉ अजीत कुमार बताते हैं कि यह न्योरोलॉजिक बीमारी है। जो लाखों में किसी एक मरीज में होती है। स्वाइन फ्लू के तरह इस बीमारी के लक्षण होते हैं। जिसमें सर्दी, जुकाम और तेज बुखार आता है। इस बीमारी में शरीर की इम्यूनिटी ही नसों पर हमला करने लगती है। यह एक अस्थायी बीमारी है, लेकिन कुछ मामलों में यह घातक भी हो सकती है। इससे संक्रमित होने पर हाथों और पैरों में झुनझुनी और कमज़ोरी, दर्द होने लगता है। अगर ये कंट्रोल न हो तो ब्रेन पर भी असर हो सकता है।

इस बीमारी से ठीक होने में लगने वाला समय अलग-अलग होता है, ज़्यादातर लोग कुछ हफ़्तों से लेकर महीनों में ठीक हो जाते हैं। लगभग 80% लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, जबकि 15% में कमज़ोरी रह सकती है और 5% को गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। समय रहते इलाज ही इसका उपाय है।

लेबनान में हिजबुल्लाह के टॉप लीडर हमादी की हत्या, घर के बाहर गोलियों से भूना, शक के घेरे में इजराइल

#top_hezbollah_commander_sheikh_hamadi_shot_dead

इजरायल और हमास के सीजफायर डील के बीच हमास को तगड़ा झटका लगा है। ईस्ट लेबनान में हिजबुल्लाह के एक टॉप लीडर शेख मुहम्मद अली हमादी की किसी अज्ञात ने हत्या कर दी है। द जेरुशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक बेका वैली में स्थित अपने घर के बाहर वह खड़े था, तभी दो गाड़ियों में आए आतंकियों ने उसपर हमला कर दिया। इसके बाद उसे पास के हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई।

हिजबुल्लाह कमांडर मोहम्मद हम्मादी की उनके घर के ठीक सामने गोली मारी गई। हमलावर दो गाड़ियों में आए थे, जिन्होंने हम्मादी पर अंधाधुंध फायरिंग की। मोहम्मद हम्मादी की हत्या के बाद लेबनानी सेना की इकाइयों ने मछघरा की घेराबंदी कर दी है। सुरक्षाबल पश्चिमी बेका के शहरों में मोबाइल चेकपॉइंट स्थापित किए और हमलावरों की तलाश में व्यापक पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। हिजबुल्लाह की ओर से अभी तक हत्या के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

अभी तक हमादी की हत्या की वजह का पता नहीं चला है। न ही अभी तक किसी ने इसकी जिम्मेदारी ली है। लेबनान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह हत्या पॉलिटिकल नहीं है ,बल्कि चार साल पुराना पारिवारिक विवाद इसकी वजह हो सकती है। वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में इस हत्या के पीछे इजराइल का हाथ भी बताया जा रहा है।

ये हत्या ऐसे समय हुई है, जब हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच लेबनान में संघर्ष विराम की समयसीमा भी नजदीक आ रही है। इजराइल-हिजबुल्लाह के बीच 27 नवंबर को 60 दिन की सीजफायर डील हुई थी। यह डील 25 जनवरी 2025 को खत्म हो रही है। इस सीजफायर को और आगे बढ़ाने के लिए बातें चल रही हैं।

पुष्पा 2' के डायरेक्टर सुकुमार के घर इनकम टैक्स ने मारा छापा, एयरपोर्ट पर ही पकड़े गए सुकुमार*

#pushpa_2_director_sukumar_house_office_raided_by_income_tax_department

साल 2024 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘पुष्पा 2’ अभी भी बॉक्स ऑफिस पर छाई हुई है। इस फिल्म ने दुनियाभर में कमाई के कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और भारत की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई है। इस बीच 'गेम चेंजर' जैसी फिल्म को प्रोड्यूस करने वाले प्रोड्यूसर दिल राजू के बाद बुधवार को भी हैदराबाद के कई जगह छापेमारी की खबरें सामने आईं। बुधवार को सुकुमार के घर और ऑफिस पर रेड मारी गई। बताया जा रहा है कि जिस वक्त सुकुमार के घर आईटी विभाग ने छापा मारा, उस वक्त सुकुमार हैदराबाद एयरपोर्ट पर थे।'साक्षी पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक, सुकुमार को आईटी अधिकारी एयरपोर्ट से ही उनके घर ले गए।

आयकर विभाग के अधिकारियों ने बुधवार (22 जनवरी) को ‘पुष्पा 2’ के डायरेक्टर सुकुमार के हैदराबाद स्थित घर और ऑफिस पर छापा मारा। साक्षी पोस्ट के अनुसार, ये छापे सुबह जल्दी शुरू हुए और कई घंटों तक चले। बताया जा रहा है कि सुकुमार हैदराबाद एयरपोर्ट पर थे जब आयकर अधिकारी उन्हें उनके निवास स्थान पर ले गए और फिर छापेमारी की गई।

हालांकि, छापे के उद्देश्य और परिणामों के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं दी गई है। आयकर विभाग के किसी भी अधिकारी ने इस छापे के बारे में कोई बयान नहीं दिया है।फिल्म मेकर की ओर से भी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

आयकर अधिकारियों को कथित तौर पर टैक्स चोरी का संदेह है। वे दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह कार्रवाई बेहिसाब बढ़ी आय की जांच का एक हिस्सा है। अधिकारी संभावित कर चोरी का पता लगाने के लिए वित्तीय रिकॉर्ड और लेन-देन की जांच कर रहे हैं।

इससे पहले 21 जनवरी यानी मंगलवार को भी इनकम टैक्स की कार्रवाई की खबरें सामने आई थीं। विभाग की 55 टीमों ने 8 से ज्यादा अलग अलग स्थानों पर छापेमारी की। इनमें पुष्पा 2 के प्रोड्यूसर नवीन येरनेनी और मैत्री मूवी मेकर्स के संस्थापक रविशंकर येलमंचिली से लेकर दिल राजू का नाम शामिल था।

सुकुमार हाल में ही अल्लू अर्जुन की पुष्पा 2 को लेकर चर्चा में थे। उनकी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर रही। जिसमें अल्ल के अलावा फहाद फासिल और रश्मिका मंदाना लीड रोल में थे। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 1800 करोड़ से अधिक का कारोबार भी किया।