कुपोषण मुक्त झारखण्ड बनाने के लिए झारखंड सरकार के महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा योजना तैयार
रांची : झारखंड सरकार का महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा कुपोषण मुक्त झारखण्ड बनाने के लिए कार्यक्रम चलाया जा रहा है.
इस दिशा में विभाग की तरफ से कई कदम उठाए जा रहे है.सरकार द्वारा प्रतिमाह 38523 आंगनवाडी केन्द्रों द्वारा लगभग 11 लाख लाभार्थियों को पूरक पोषाहार उपलब्ध काराया जा रहा है। जिसके अंतर्गत सभी आंगनवाडी केन्द्रों पर 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए प्रतिदिन गरमा गरम भोजन परोसा जा रहा है.
राज्य सरकार ने अपनी तरफ से अतिरिक्त राशि देते हुए इसमे अंडा जोड़ दिया है ताकि सभी बच्चों को सम्पूर्ण पोषण मिले। इसी के साथ लक्षित लाभार्थियों के पोषण स्तर को सुधारने हेतु सूक्ष्म पोषक तत्व युक्त ऊर्जा सघन भोजन (घर ले जाने योग्य राशन भी नियमित रूप से उपलब्ध कराया जा रह है.
कुपोषण की स्थिति में सुधार लाने हेतु राज्य सरकार द्वारा अति गंभीर कुपोषित बच्चों जिसकी उम्र 6 माह से 6 वर्ष तक है उसको वर्तमान में दिए जा रहे THR को संवर्धित करते हुए, अधिक उर्जा, प्रोटीन एवं सूक्ष्म पोषण तत्वों से भरपूर शिशु शक्ति उपलब्ध कराते हुए बच्चो के कुपोषण को समाप्त कर सुपोषित करने हेतु पायलट योजना चलाया जा रहा है.
शिशु शक्ति योजना के तहत अति गंभीर कुपोषित बच्चो के उम्र के अनुसार सही मात्रा में पोषण युक्त भोजन देने हेतु विशेष रूप से तैयार किया गया है.
महानिदेशक, झारखण्ड राज्य पोषण मिशन की अध्यक्षता में गठित THR समिति के द्वारा
कुपोषित बच्चो के लिए विशेष रूप से प्रोटीन एवं कैलोरी युक्त शिशु के सम्बन्ध में की गयी अनुशंसा के अंतर्गत तथा यूनिसेफ़ एवं राज्य के सर्वश्रेष्ठ केंद्र -RIMS के तकनीकी सहयोग से इस शिशु शक्ति संवर्धित THR को राज्य भर में लागू कराने से पूर्व निदेशक, समाज कल्याण के मार्गदर्शन में इसका प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल पश्चिम सिहभूम के चक्रधरपुर प्रखण्ड में किया जा रहा है.
इस पायलट स्टडी का शुभारम्भ दिनांक 18.01.2025 को सांसद जोबा मांझी के कर कमलो द्वारा किया जा रहा है.
बच्चों के स्वास्थ एवं सम्पूर्ण विकास के लिए विभाग सभी बच्चों की नियमित वृद्धि निगरानी के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 0-6 वर्ष के बच्चों को सभी आवश्यक सेवाएं प्रदान कर रहा है। समुदाय के बीच प्रमुख पोषण व्यवहारों को बढ़ावा दे रहा है, जैसे कि प्रारंभिक स्तनपान, ऊपरी आहार, टीकाकरण के साथ- साथ नियमित परामर्श देते हुए उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं के साथ जोड़ा जा रहा है.
इस पायलट स्टडी के परिणाम के अनुरूप इसको पूरे राज्य में लागू करने पर विचार किया जायेगा। इस प्रयोग का उद्देश्य कुपोषित बच्चों को सुपोषित की श्रेणी में लाते हुए माननीय मुख्य मंत्री महोदय के कुपोषण मुक्त झारखण्ड के संकल्प को पूर्ण करना है.
इस पहल को सफल बनाने में प्रेस मीडिया और अन्य संचार तंत्रो का सहयोग लिया जायेगा ताकि यह महत्वपूर्ण योजना को लेकर आम लोगों में जागरूकता आ सके.
Jan 18 2025, 21:05