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दिल्ली विधानसभा चुनाव: कांग्रेस नेता विनेश फोगाट ने बीजेपी और AAP पर साधा निशाना, जानें क्या कहा

दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब 20 दिन से भी कम का समय बचा है. सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी है. दिल्ली में इस बार त्रिकोणीय मुकाबले के असार हैं. 10 साल से अधिक केंद्र और दिल्ली की सत्ता से बाहर रहने के बाद कांग्रेस भी पूरे दम खम के साथ मैदान में है. इस बीच पूर्व ओलंपियन और कांग्रेस नेता विनेश फोगाट ने शुक्रवार को बीजेपी के संकल्प पत्र पर निशाना साधा है. साथ ही आम आदमी पार्टी को भी निशाने पर लिया है.

हरियाणा के जुलाना से कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीजेपी और आम आदमी पार्टी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि, ‘शिला दीक्षित जी ने भी दिल्ली के लिए काम किया. हम बीजेपी और AAP दोनों को देख चुके हैं. ये केवल एक दूसरे से झगड़ते हैं. जब दिल्ली में शिला दीक्षित की सरकार थी तब भी केंद्र में बीजेपी सत्ता में थी. लेकिन उन्होंने दिल्ली वासियों के लिए काम करके दिखाया.

‘हमारी पार्टी के लोगों ने बहुत खून पसीना बहाया है’

विनेश फोगाट ने कहा कि शिला दिक्षित ने जो काम करके दिखाया और पार्टी की जो विचारधारा हैं हम उसी को लेकर वोट मांग रहे हैं. लोगों को देखना चाहिए कि जिस राज्य में कांग्रेस की सरकार है वहां सरकार ने सभी वादे पूरे किए हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का इतिहास मजाक का नहीं रहा है. हमारी पार्टी के लोगों ने बहुत खून पसीना बहाया है. लोग जेल में रहे हैं तब जाकर पार्टी बनी है. पार्टी का इतिहास देखना हैं तो कांग्रेस के नए वाले मुख्यालय में जाकर देख सकते हैं.

उन्होंने कहा कि जाट समाज के लिए OBC आरक्षण सबसे पहले दिल्ली में शीला दीक्षित की कांग्रेस सरकार ने लागू किया था. आम आदमी पार्टी और बीजेपी एक झूठा प्रोपगेंडा फैलाने की कोशिश कर रही है. इनकी कथनी और करनी में हमेशा ही फर्क रहा है. जब मोदी सरकार तीन काले कृषि कानून लेकर आई थी, तब अरविंद केजरीवाल ने इसे स्वीकार कर लिया था. इससे साफ पता चलता है कि ये किसान और जाट के हितैषी नहीं हैं.

सिर्फ कॉपी पेस्ट का स्कीम चला रही BJP- फोगाट

विनेश फोगाट ने दिल्ली चुनाव के लिए बीजेपी के संकल्प पत्र पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने जो 2500 रुपए महिलाओं को देने का वादा कर रहे हैं वो कांग्रेस से कॉपी पेस्ट किया गया. ये लोग सिर्फ कॉपी पेस्ट का स्कीम चला रहे हैं. वहीं, बीजेपी द्वारा 5 रुपए में भरपेट खाने देने के वादे पर फोगाट ने कहा कि ये तो हंसी का पात्र है. आज की मंहगाई को देखें तो 5 रुपए में पानी की बोतल भी नहीं आती है.

रेसलर जैसी बॉडी, 7 फीट हाइट… महाकुंभ में आए रूस के रहने वाले ‘मस्कुलर बाबा’


उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में दुनियाभर से लाखों लोग भाग लेने पहुंच रहे हैं. यहां भारत के अलावा विदेशों से भी तीर्थयात्री और साधुओं का आगमन हो रहा है. हर बार की तरह इस बार भी कई संतों ने अपने तंबू स्थापित किए हैं. जिनमें से एक प्रमुख संत हैं जिनका नाम है आत्म प्रेम गिरि महाराज. ये संत अपने कद-काठी की वजह से ‘मस्कुलर बाबा’ के नाम से भी प्रसिद्ध हो गए हैं.

आत्म प्रेम गिरि महाराज की हाइट सात फीट है और वह केसरिया वस्त्र पहनते हैं. शरीर पर ‘रुद्राक्ष की माला’ धारण की हुई है. उनके महाकुंभ मेला में आगमन ने लोगों के बीच जिज्ञासा पैदा की है. उन्हें कई लोग भगवान परशुराम का आधुनिक रूप मान रहे हैं. परशुराम को योद्धा के रूप में पूजा जाता है. वह भगवान विष्णु के दशावतारों में से एक हैं.

प्रेमि गिरी महाराज मूल रूप से रूस के रहने वाले हैं. प्रेम गिरी महाराज ने 30 साल पहले सनातन धर्म को अपनाया था. इसके बाद से ही उन्होंने सनातन के प्रचार-प्रसार में अपना जीवन समर्पित कर दिया. पहले वह शिक्षक थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपने पेशेवर करियर को छोड़कर आध्यात्मिक यात्रा शुरू की. वर्तमान में वह नेपाल में निवास करते हैं और हिन्दू धर्म का प्रचार करते हैं. वह जूना अखाड़ा के सदस्य भी हैं, जो हिंदू संतों का एक प्रमुख संगठन है.

सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा

इंस्टाग्राम पर एक यूज़र ने आत्म प्रेम गिरि महाराज की एक तस्वीर शेयर की है. इसमें उनकी प्रभावशाली कद-काठी को दिखाया गया है. इस पोस्ट को बहुत व्यूज मिले हैं और कमेंट सेक्शन में ‘हर हर महादेव’ के उद्घोष से वह और भी चर्चित हो गए. आत्म प्रेम गिरि के अलावा महाकुंभ में कई और संतों की चर्चा हो रही है. इन्हीं में से एक हैं अभय सिंह जो पहले एयरोस्पेस इंजीनियर थे और अब ‘आईआईटी बाबा’ के नाम से प्रसिद्ध हैं. हरियाणा के निवासी अभय सिंह ने अपने करियर को छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का फैसला किया.

और भी संतों की चर्चा

महंत राजपुरी जी महाराज भी आकर्षण का केंद्र हैं जिन्हें ‘कबूतर वाले बाबा’ के नाम से जाना जाता है. महंत राजपुरी जी के साथ एक अनोखा साथी है एक कबूतर जिसका नाम ‘हरी पुरी’ है और जो उनके सिर पर शांति से बैठा रहता है. उनके लिए यह कबूतर उनके जीवन के सिद्धांत – सभी जीवों के प्रति सहानुभूति और सद्भाव का प्रतीक है.

लखनऊ में जल्द शुरू होगी 'मुफ्त बिजली योजना', जानें क्या हैं इसके फायदे और कैसे मिलेगा लाभ

लखनऊ शहर वासियों को अब जल्दी ‘मुफ्त बिजली योजना’ का लाभ मिलने वाला है. बता दें कि शुक्रवार को नगर निगम मुख्यालय में महापौर और नगर आयुक्त के नेतृत्व में ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस योजना से आने वाले समय में लोग लाभान्वित होंगे. इस योजना के तहत दो किलोवाट तक 90 हजार की सब्सिडी मिलेगी. तीन किलोवाट पर एक लाख 90 हजार की सब्सिडी मिलेगी. साथ ही विभाग के साथ मिलकर वेंडर भी बन सकते हैं.

पंकज सिंह, सचिव यूपी नेडा ने बैठक में आए सभी पार्षदों से इस योजना में सक्रियता दिखाने और लोगों के जागरूक करने के लिए कहा. सचिव यूपी नेडा द्वारा बताया गया कि दो किलो वाट पर 90 हजार की सब्सिडी और तीन किलोवाट पर एक लाख 90 हजार की सब्सिडी मिलेगी. हमारे यहां वेंडर भी बन सकते हैं और अन्य लोग भी इसके साथ जुड़कर लाभ उठा सकते हैं. पूरी जानकारी के लिए अगर चाहें तो पीएम फोल्डर पर जाकर सर्च कर सकते हैं.

सचिव यूपी नेडा ने बताया कि इसमें सभी वर्ग के लोगों का ध्यान रखा गया है. इसमें जनसंपर्क फोल्डर भी जोड़ा गया है, जो तीन किलो वाट तक अगर लोन चाहते हैं तो उनको भी लोन दिया जा सकता है. उनके लिए स्टेट लेबर बैंकर्स की कमेटी बनाई गई है, जो सुनिश्तिच करेंगे कि सभी को लोन दिया जाए.

60 हजार का लोन होगा

जो पहला सेंटर प्रतिनिधि है, उसको 30000 और 15000 रुपए के हिसाब लोन मिलेगा और जो 15000 का एमी है, उसको आगे देना होगा. यह सुगम तरीके से बनाया गया है, जिससे पीएम सुविधा पोर्टल पर जाकर जानकारी कर सकते हैं. जानकारी के लिए ‘155243’ टोल फ्री नंबर जारी किया गया है. लखनऊ में हमारा विभूति खंड ऑफिस है. ऑफिस में भी आकर जानकारी ले सकते हैं.

भारत सरकार द्वारा इस योजना को लॉन्च किया गया है. सभी जगह सोलर रेडिएशन किया जा रहा है. पार्कों में सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं. सोलर पैनल को सभी जगह बढ़ावा दिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार लगातार सूचना को बढ़ा रही है. सभी सरकारी बिल्डिंग में भी सोलराइजेशन का प्रावधान दिया गया है. उसमें भी चयन करते हुए जल्दी लगाया जाएगा. लखनऊ में 654 बिल्डिंग हैं. चयन किया गया है, जिनका सर्वे किया जा रहा है. बहुत जल्द बात करके यहां भी सोलर पैनल लगाए जाएंगे

जम्मू कश्मीर के राजौरी में रहस्यमयी बीमारी से 16 लोगों की मौत, जांच में जुटी एसआईटी

जम्मू कश्मीर में राजौरी जिले के एक छोटे से गांव में अब तक एक-एक कर कुल 16 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, मौत की असली वजह क्या है इस अभी तक रहस्य बना हुआ है. इस रहस्यमयी बीमारी को लेकर गांव वालों के साथ अधिकारी तक हैरान हैं. वे पहली मौत के दो महीने बाद भी इसके कारणों के बारे में कुछ नहीं बता पाए हैं. करीब 2 हजार से ज्यादा सैंपल भी लैब भेजे गए लेकिन किसी भी वायरल या संक्रमण की कोई पुष्टि नहीं हुई.

सूत्रों ने बताया कि जट्टी बेगम नामक बुजुर्ग महिला की शुक्रवार को अज्ञात कारणों से मौत हो गई. उनकी उम्र 60 साल के करीब थी. इसके अलावा एक अन्य लड़की अब भी अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है. उन्होंने बताया कि पीड़ित राजौरी जिले के कोटरंका उप-मंडल के बदहाल गांव के हैं. जहां पिछले साल दिसंबर से 3 परिवारों के 16 सदस्यों की मौत हो चुकी है. इनमें सात की मौत रविवार से अब तक हुई है.

मोहम्मद असलम के 6 बच्चों में से पांच की मौत

अधिकारियों ने प्रभावित परिवारों के तीन घरों को सील कर दिया है. जबकि उनके 21 करीबी रिश्तेदारों को कड़ी निगरानी में रखने के लिए सरकारी देखभाल केंद्र में स्थानांतरित कर दिया है. अतिरिक्त उपायुक्त दिल मीर के नेतृत्व में एक टीम ने अभियान चलाया, जिसमें सुरक्षाकर्मी मौके पर तैनात थे. इस बीच, बधाल के पुलिस अधीक्षक (अभियान) वजाहत हुसैन की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, जो मौत के मामलों की जांच करेगी.

जट्टी बेगम के पति मोहम्मद यूसुफ की तीन दिन पहले एक अस्पताल में मौत हो गई. वही, अधिकारियों ने बताया कि मोहम्मद असलम की 15 साल की बेटी यास्मीन कौसर की हालत गंभीर बनी हुई है. वह जम्मू के एसएमजीएस अस्पताल में जीवन रक्षक उपकरणों पर है. वहीं, एसएमजीएस अस्पताल में भर्ती मोहम्मद असलम के 6 बच्चों में से पांच की मौत हो गई है.

12 जनवरी को मोहम्मद असलम की बेटी नवीना कौसर (9) और बेटे जहूर अहमद (14) की एसएमजीएस अस्पताल जम्मू में मौत हुई थी. वहीं, 13 जनवरी असलम के तीसरे बच्चे मोहम्मद मारूफ (10) की और 14 जनवरी उनकी बेटी सफीना कौसर (12) की मौत हो गई थी. वहीं, 15 जनवरी को असलम की ही बेटी जबीना की मौत हो गई उसकी उम्र केवल 10 साल थी.

मौतों की वजह बनी पहेली, नहीं मिले कोई सबूत

मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने जम्मू में संवाददाताओं से कहा, ‘स्थिति पर सभी पहलुओं से नजर रखी जा रही है. इन मौतों के कारणों का पता लगाने के लिए कई स्वास्थ्य एजेंसियां पहले से ही जांच कर रही हैं.’ उन्होंने कहा कि अब तक वायरल, जीवाणु जनित या फंगल संक्रमण का कोई सबूत नहीं मिला है. कारणों का पता लगाने के लिए जांच जारी है. किसी भी संभावित आपराधिक पहलू की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया है.

अधिकारियों ने कहा कि जांचकर्ता फजल, मोहम्मद रफीक और मोहम्मद असलम के परिवारों द्वारा खाए गए सभी खाद्य पदार्थों और दवाओं की जांच करेंगे. साथ ही उसके नमूनों को जांच के लिए प्रयोगशालाओं में भेजा जाएगा. हालांकि, पिछले दो महीनों में स्वास्थ्य कर्मियों ने गांव से सैकड़ों नमूने जांच के लिए देश के प्रतिष्ठित लैब में भेजे गए हैं लेकिन निगेटिव रहे. स्वास्थ्य विभाग के लिए अभी तक मौतों की वजह पहेली बनी हुई है और गांव के लोगों में डर हैं.

उल्टा मास्क लगाकर खेती कर रहे किसान, देख आप भी हो जाएंगे हैरान

उत्तर प्रदेश के बिजनौर में गुलदारों के हमलों से गांववालों को बचाने के लिए अब वन विभाग मुखौटे बांट रहा है. किसान और मजदूर गुलदारों को चकमा देने के लिये सिर के पीछे मुखौटे पहन कर खेतों पर काम कर रहे हैं. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गुलदार घात लगा कर पीछे से हमला करता है. हमला करने वाले गुलदार के मुखौटे को देख कर भ्रम होता है कि इंसान उसे देख रहा है.

अब तक पांच हजार मुखौटे बांटे जा चुके है. वन विभाग पांच हजार मुखौटे 31 जनवरी तक और बांटेगा. मुखौटा लगाकर खेती करने के कॉन्सेप्ट को सुंदरवन मॉडल कह जाता है. इससे पहले सुंदरवन नेशनल टाइगर रिजर्व पार्क के आस-पास खेतों पर काम करने वाले ग्रामीण मुखौटा सिर के पीछे लगा कर खेती कर रहे हैं. जिससे टाइगर के इंसानों पर होने वाले हमलों में कमी आई है. बिजनौर में बढती गुलदारों की संख्या और ग्रामीणों पर हो रहे हमलों की वजह से बिजनौर वन विभाग ने मुखौटा कॉन्सेप्ट लागू किया है.

गन्ना खेतों में हो रहे हमले

गन्ना बाहुल्य बिजनौर जिले में गन्ने के खेतों में रह रहे गुलदारों के हमलों से दो साल में अब तक पचास से ज्यादा इंसानों की जान जा चुकी है. दौ सौ से ज्यादा लोग घायल हुऐ हैं. सौ पिंजरे गांवों में लगा कर करीब एक सौ बारह गुलदार पकड़ कर जंगलों और चिडियाघरों में छोड़े जा चुके हैं. तीस से ज्यादा गुलदारों के बच्चे भी खेतों से बरामद किये जा चुके हैं.

500 गुलदार अभी भी मौजूद

वन विभाग के आंकडों के अनुसार पांच सौ से ज्यादा गुलदार गन्ने के खेतों में डेरा डाले हुए हैं. बिजनौर के सौ गांवों को गुलदार बाहुल्य होने की वजह से संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है. वन विभाग की टीमें गांव-गांव जागरूकता अभियान चला रही हैं. गाड़ियों में लाउड स्पीकर लगा कर ग्रामीणों को गुलदारों से बचाव के लिये सुझाव दिये जा रहे हैं.

जागरूक करने में जुटा वन विभाग

बिजनौर के डीएफओ ज्ञान सिंह ने बताया कि सौ वनकर्मियों और सौ वन वालेंटियर की बीस टीमें रात दिन गश्त कर रही हैं. गांवों में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. बिजनौर तीन तरफ से वनों से और अमानगढ टाइगर रिजर्व पार्क, राजा जी नेशनल पार्क और जिम कार्बेट नेशनल पार्क से घिरा हुआ है. बिजनौर में गन्ने की बहुत अधिक मात्रा में खेती की जाती है. जिसमें गुलदार यहीं रहने लगते है इसीलिए गुलदारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वन विभाग ने गुलदारों से बचाव के लिये एडवायजरी भी जारी कर रखी है. किसी भी घटना-दुर्घटना के होने की सूचना पर क्विक रेस्पांस टीम मदद को पहुंच जाती है

सैफ अली खान केस में नया मोड़, जिस संदिग्ध को मुंबई पुलिस ने पकड़ा उसका हमले से लेना-देना नहीं

मुंबई पुलिस ने जिस संदिग्ध को हिरासत में लिया है, वह सैप अली खान पर हमले का आरोपी नहीं है. सूत्रों के मुताबिक पुलिस थोड़ी देर में उस शख्स को छोड़ सकती है. सूत्रों ने बताया कि जिस शख्स से पुलिस ने पूछताछ की है, वह घर फोड़ी ( हाउस ब्रेकिंग) का आरोपी है पर सैफ केस का आरोपी नहीं है. दरअसल, 4 दिन पहले एक अज्ञात व्यक्ति ने शाहरुख के बंगले मन्नत में घुसने की कोशिश की थी.

दीवार पर चढ़ने के समय वो जाल के कारण बंगले में अंदर जाने में असफल रहा. पुलिस को शक है कि सैफ अली खान पर हमला करने वाला और शाहरुख खान के घर में घुसने वाला शख्स एक हो सकता है. जिस संदिग्ध को मुंबई पुलिस थाने लेकर आई है, वह संदिग्ध सैफ केस से कनेक्टेड नहीं दिख रहा. पुलिस की अब तक कि पूछताछ में ये सामने आया है. मुंबई पुलिस ने 31 घंटे के बाद उसे पकड़ा था.

16 जनवरी की सुबह हुआ था सैफ अली खान पर हमला

सैफ अली खान पर 16 जनवरी की सुबह करीब 3 बजे हमला हुआ था. किसी अज्ञात शख्स ने उन पर चाकू से 6 बार वार किया. इसके बाद उन्हें इलाज के लिए लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया. सैफ पर हमले की जांच के लिए क्राइम ब्रांच की टीम जुटी है. हमलावर को पकड़ने के लिए 20 टीम गठित की गई है. मुंबई पुलिस का कहना है कि देर रात सैफ के घर में कोई अनजान शख्स घुसा था.

इस शख्स की नौकरानी से भी बहस हुई थी. नौकरानी के हल्ले के बाद सैफ उठकर आए. इस दौरान हमलावर और सैफ में भी झड़प हो गई है. इसके बाद उस शख्स ने सैफ पर चाकू से हमला कर दिया. सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि हमलावर उस रोज रात 1 बजकर 38 मिनट पर सीढ़ियों से चढ़कर सैफ के घर पहुंचता है और 55 मिनट बाद यानी 2 बजकर 33 मिनट पर वह उसी रास्ते से लौट जाता है.

सैफ खतरे से बाहर, डॉक्टर ने दिया 1 हफ्ते का बेड रेस्ट

सैफ अली खान को कल यानी गुरुवार को एक दिन के लिए ICU में शिफ्ट किया गया था. चाकू का टुकड़ा रीढ़ की हड्डी के पास फंसा था. उनकी कॉस्मेटिग सर्जरी हुई. लीलावती अस्पताल के डॉक्टरों ने आज यानी शुक्रवार को सैफ अली खान का हेल्थ बुलेटिन जारी किया. डॉक्टरों ने कहा कि सैफ को आईसीयू से बाहर निकाल कर उन्हें स्पेशल रूम में शिफ्ट किया गया है. वो खून से लथपथ आए थे. मगर अब वो अब खतरे से बाहर हैं. उनकी सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है. उन्हें एक हफ्ते आराम की जरूरत है.

उत्तर प्रदेश के इटावा में सड़क पर उड़े पांच-पांच सौ के नोट, लोगों में मची लूट की होड़

उत्तर प्रदेश के इटावा से एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. इटावा की सड़क पर पांच-पांच सौ के हजारों नोट अचानक उड़ाते दिखाई दिए. नोटों को उड़ता देख लोगों में अफरा तफरी मच गई और सब बीच सड़क पर नोट उठाने के लिए टूट पड़े. जानकारी के मुताबिक घटना इटावा जिले के भरथना कोतवाली कस्बा के मोहल्ला आजाद रोड अर्बन बैंक के पास गुरुवार की दोपहर करीब 2 बजे की है.

सड़क पर मोटरसाइकिल सवार व्यक्ति की जेब से पांच पांच सौ और हजार रुपये सड़क पर गिर कर बिखर गए. ऐसे में रोड पर वाहनों की आवाजाही से नोट उड़ने लगे, जिसे देख आसपास खड़े लोग,दुकानदार और वाहन चालक उठाने के लिए दौड़ने लगे.

क्या है मामला?

सड़क पर नोटों का उड़ना और लोगों का उन्हें उठाने के लिए भागने की घटना पास में लगे सीसीटीवी में कैद हो गई.ऐसा बताया जा रहा है कि सड़क पर करीब 40 से 50 हजार रुपये के पांच पांच सौ के नोट किसी व्यक्ति के गिर पड़े थे, जिसे लूटने के लिए लोगों में होड़ मच गई. फिलहाल अभी तक पता नहीं चल सका कि आखिर वो रुपये किस व्यक्ति थे.घटना भरथना तहसील क्षेत्र के कस्बा आजाद नगर की है. घटना का सीसीटीवी वीडियो अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.

नोट लूटने के लिए लोगों में मच गई होड़

ऐसा बताया जा रहा है कि किसी अनजान शख्स की जेब से बीच सड़क पर करीब 40 से 50 हजार रुपए के नोट गिर पड़े थे. ऐसे तो इन रुपयों पर किसी की नजर नहीं पड़ी, लेकिन जैसे ही तेज ई-रिक्शा मोटरसाइकिल आवाजाही कर रहे थे,तभी नोट सड़क पर हवा में उड़ने लगे. नोटों को उड़ता देख आसपास के लोग टूट पड़े, यहां तक कि दुकानदार,बाइक सवार,ट्रैक्टर चालक भी नोटों को उठाने में जुटे दिखाई दिए. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि किसी अज्ञात बाइक सवार व्यक्ति के पांच-पांच सौ रुपए के नोट उक्त स्थान पर गिर गईं और बाइक सवार अपनी तेज रफ्तार बाइक दौड़ाकर सीधे चला गया,जिसके बाद पब्लिक में हवा में उड़ते रुपयों को उठाने की होड़ दिखाई दी.

भावनाओं को शांत करने के लिए लागू नहीं कर सकते धारा 306: SC

आत्महत्या के मामलों में पुलिस की तरफ से धारा- 306 लगा दी जाती है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते कहा कि इस धारा को सिर्फ परेशान परिवार की भावनाओं को शांत करने के लिए लागू नहीं किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे जीवन की दिन-प्रतिदिन की वास्तविकताओं से अलग नहीं किया जा सकता है. जांच एजेंसियों को धारा 306 पर निर्णयों के बारे में संवेदनशील बनाया जाना चाहिए. ताकि आरोपियों को परेशान न किया जाए. कोर्ट ने माना कि इन धाराओ की वजह से कई लोगों को वेवजह परेशान किया जाता है.

जांच के बाद ही हो इस कानून का उपयोग- सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को भी ऐसे मामलों में यंत्रवत आरोप तय नहीं करना चाहिए. इस धारा का इस्तेमाल करने से पहले बारीकी से जांच होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि आत्महत्या के मामले में उकसाने को साबित करने के लिए कड़े मापदंड हैं. जिसके लिए कई तरह के सबूतों की आवश्यकता होती है. कोर्ट ने जांच एजेंसियों को इस कानून के उपयोग से पहले सुनिश्चित जांच करने के आदेश दिए हैं.

क्या है धारा 306 ?

आईपीसी की धारा 306 अब भारतीय न्याय संहिता में धारा 108 हो गई है. जिसमें गैर-जमानती वारंट, सत्र अदालत में उसका ट्रायल, 10 साल की सजा और जुर्माना का प्रावधान है. मगर अब इस धारा 108 की भी व्याख्या आगे के मामलों में जाहिर है सुप्रीम कोर्ट की ओर से कही गई हालिया टिप्पणियों की रौशनी में देखी जाएंगी.

अतुल सुभाष मामले में की थी सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी

हाल ही में इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या की थी. जो मामला काफी चर्चा में था. आत्महत्या से पहले उन्होंने एक लंबा वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार वाले वालों को आत्महत्या का कसूरवार बताया था. ये मामला उस सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था, तब कोर्ट ने कहा था कि केवल कहने से नहीं चलेगा कि आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया है, इसके लिए सबूत देने होंगे.

नागा साधुओं का अखाड़ा शब्द कहां से निकला, मुगल काल से है कनेक्शन

महाकुंभ या कुंभ में सबसे पहले स्नान के लिए साधुओं की एक टोली आती है. शरीर पर धुनि और राख लिपटी हुई होती है. माथे पर टीका. कुछ दिगंबर होते हैं तो कुछ श्रीदिगंबर. यानि कुछ बिना कपड़ों के होते हैं तो कुछ ने बस छोटा सा लंगोट पहना होता है. उनके स्नान करने के बाद महिला साधुओं की टोली स्नान करती है. वो महिलाएं भी सिर्फ तन पर दंती लपेटे हुए होती हैं. यानि बिना सिला कपड़ा. इन सभी को नागा साधु कहा जाता है. ये लोग सिर्फ आपको कुंभ मेले में ही दिखेंगे. फिर वापस लौट जाते हैं.

नागा साधुओं का जीवन रहस्यमयी रहा है, लोगों को कभी नहीं पता चलता कि नागा महाकुंभ में कैसे आते हैं और महाकुंभ खत्म होने के बाद कहां गायब हो जाते हैं. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि नागा साधु रात के समय खेत-पगडंडियों का सहारा लेकर जाते हैं, लेकिन इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले.

महामंडलेश्वरों के मुताबिक, ये नागा प्रयागराज, काशी, उज्जैन, हिमालय के कंदराओं और हरिद्वार में कहीं दूर-दराज इलाकों में निवास करते हैं. जो ज्यादातर समय तप करते हुए बिताते हैं.

13 अखाड़े, 7 में ट्रेनिंग

कहा जाता है कि नागा साधुओं की ट्रेनिंग किसी कमांडो ट्रेनिंग से ज्यादा खतरनाक होती है. जो व्यक्ति नागा साधु बनना चाहता है उसकी महाकुंभ, अर्द्धकुंभ और सिहंस्थ कुंभ के दौरान साधु बनने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. नागा साधुओं के कुल 13 अखाड़े हैं, जिनमें से कुल 7 अखाड़े ही ऐसे ही जो नागा संन्यासी की ट्रेनिंग देते हैं, जिनमें, जूना, महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आनंद और आह्वान अखाड़ा हैं.

कहां से आया अखाड़ा शब्द?

लेकिन क्या आप जानते हैं ये अखाड़ा शब्द आया कहां है. कुछ जानकारों के मुताबिक, अखाड़ा शब्द मुगल काल से ही शुरू हुआ है. इसके पहले साधुओं के जत्थे को बेड़ा या जत्था ही कहा जाता था. अखाड़ा साधुओं का वह दल होता है जो शास्त्र विद्या में पारंगत होता है और एक जैसे नियमों का पालन कर तप करता है.

नागा एक पदवी

नागा दरअसल एक पदवी ही होती है. साधुओं में वैष्णव, शैव और उदासीन तीन सम्प्रदाय होते हैं. इन सम्प्रदायों के अंदर भी कई सारे विभाजन होते हैं. जैसे दिगंबर, निर्वाणी और निर्मोही तीनों ही वैष्णव संप्रदाय के हैं. इन तीनों सम्प्रदायों को मिलाकर कुल 13 अखाड़े हैं. इन सभी अखाड़ों से नागा साधु बनाए जा सकते हैं.

नागा साधुओं को सार्वजनिक तौर पर नग्न होने की अनुमति होती है. वो तपस्या के लिए अपने कपड़ों का त्याग कर सकते हैं. नागा में बहुत से वस्त्रधारी और बहुत से दिगंबर यानी निर्वस्त्र होते हैं. अधिकतर निर्वस्त्र नागा साधु शैव अखाड़े से आते हैं. हर अखाड़े के साधुओं का स्वभाव अलग होता है और उनके नियम भी अलग ही होते हैं. कई लोगों का मानना है कि नागा का अर्थ नग्न से ही लगा लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. वस्त्रधारी भी नागा साधु हो सकते हैं.

बरेली: पाकिस्तानी महिला ने फर्जी प्रमाण पत्रों से प्राप्त की सरकारी नौकरी, मुकदमा दर्ज

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में शिक्षा विभाग से संबंधित एक फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. जिले में एक पाकिस्तानी महिला ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाकर सहायक अध्यापक की नौकरी पा ली. ऐसे में जब मामले की जांच हुई तो पता चला कि उसने जो निवास प्रमाण पत्र जमा किया है वो फर्जी है. मामले से शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.

सहायक अध्यापक पाकिस्तान की नागरिक है. साथ ही उसने अभी तक भारत की नागरिकता नहीं ली और फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर लंबे समय से सहायक अध्यापक की नौकरी करती रही. पुलिस ने महिला टीचर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है. हालांकि महिला टीचर फरार है.

सरकारी प्राथमिक विद्यालय माधौपुर में थीं कार्यरत

बरेली जिले के फतेहगंज पश्चिमी क्षेत्र में एक फिर शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पाकिस्तान की रहने वाली शुमायला खान एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय माधौपुर में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थीं. उन्होंने तथ्यों को छुपाते हुए कूटरचित निवास प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल की. ऐसे में जब पूरे मामले की शिकायत हुई तो विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी में सहायक अध्यापक की नियुक्ति को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है. शुमायला खान नामक महिला पर आरोप है कि उन्होंने कूटरचित निवास प्रमाण पत्र का उपयोग कर सरकारी पद पर नियुक्ति प्राप्त की ओर अध्यापक बन गईं.

नहीं ली है भारत की नागरिकता

शुमायला खान ने नियुक्ति के दौरान उप जिलाधिकारी सदर, रामपुर के कार्यालय से जारी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था. जांच के बाद पाया गया कि यह प्रमाण पत्र त्रुटिपूर्ण है और शुमायला वास्तव में पाकिस्तानी नागरिक हैं. साथ ही उन्होंने अभी तक भारत की नागरिकता भी नहीं ली है. शुमायला की 2015 में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी,बरेली द्वारा प्राथमिक विद्यालय माधोपुर में सहायक अध्यापक के पद पर उनकी नियुक्ति की गई थी.नियुक्ति के लिए उन्होंने जो प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए थे उनकी सत्यता की गई और जांच के दौरान यह भी पाया गया कि निवास प्रमाण पत्र तथ्यों को छुपाकर बनाया गया था.

आरोपी टीचर के खिलाफ मुकदमा दर्ज

जांच के दौरान तहसीलदार सदर,रामपुर की रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि शुमायला खान ने गलत जानकारी देकर सामान्य निवास प्रमाण पत्र बनवाया. इस आधार पर उनका प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया. इसके अलावा,शिक्षा विभाग ने कई बार संबंधित शिक्षिका से स्पष्टीकरण मांगा और हर बार पुष्टि हुई कि प्रमाण पत्र कूटरचित है. पाकिस्तानी महिला शुमायला खान पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी प्राप्त की. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 3 अक्टूबर 2024 को शुमायला खान को निलंबित कर दिया. इसके बाद,उन्हें नियुक्ति तिथि से पद से हटा दिया गया. वहीं पूरे मामले में फतेहगंज पश्चिमी के खंड शिक्षा अधिकारी ने इस मामले में BSA के आदेश पर फतेहगंज पश्चिमी थाने में गंभीर धाराओं में आरोपी टीचर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. ऐसे में महिला पर अब गिरफ्तार की तलवार लटक रही है.