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कनाडा के पीएम ट्रूडो को आखिरकार देना पड़ा इस्तीफा, अब आगे क्या?

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कनाडा के प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी के नेता जस्टिन ट्रूडो ने लंबे चले विरोध के बाद सोमवार को इस्तीफा दे दिया। ट्रूडो के इस्तीफे के बाद उनके 10 साल पुरानी सत्ता का अंत हो गया। यह फैसला उन्होंने अपनी ही पार्टी में विद्रोह और जनता में बढ़ती अलोकप्रियता के बीच लिया है। इस साल होने वाले आम चुनावों में पियरे पोइलिवरे की कंजरवेटिव पार्टी के सत्ता में आने की भविष्यवाणी की जा रही है। जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे से पहले एक अधिकारी ने बताया कि सरकार के प्रति बढ़ते असंतोष के कारण उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया।

कनाडाई सरकार के एक अधिकारी ने कहा, सत्ताधारी लिबरल पार्टी में अगले नेता का चुनाव होने तक ट्रूडो कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहेंगे। अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि देश की संसद का सत्र 27 जनवरी से प्रस्तावित था। अब इस्तीफे के कारण संसद की कार्यवाही 24 मार्च तक स्थगित रहेगी।अधिकारी ने बताया कि 24 मार्च तक लिबरल पार्टी अपने नए नेता का चुनाव कर लेगी। सियासी उथल-पुथल के बीच यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कनाडा में आम चुनाव कब कराए जाएंगे।

इस्तीफा देते हुए ट्रूडो ने क्या कहा?

53 वर्षीय नेता ने ओटावा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से कहा, मैं पार्टी के नए नेता के चयन के बाद पार्टी नेता और प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का इरादा रखता हूं। इसका मतलब है कि ट्रूडो तब तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में बने रहेंगे जब तक कि नए नेता का चुनाव नहीं हो जाता। बतौर रेगुलर पीएम अपने आखिरी भाषण में उन्होंने खुद को फाइटर करार दिया। ट्रूडो ने कहा, यह देश अगले चुनाव में एक असल विकल्प का हकदार है और यह मेरे लिए साफ हो गया है कि अगर मुझे आंतरिक लड़ाई लड़नी पड़ रही है, तो मैं उस चुनाव में सबसे अच्छा विकल्प नहीं हो सकता।

ट्रूडो दो बार से कनाडा के पीएम चुने जा रहे हैं, हाल ही में 2021 में वे सत्ता में रहने में तो कामयाब रहे शुरुआत में उनकी नीतियों को सराहा गया था। लेकिन हाल के वर्षों में बढ़ती खाद्य और आवास की कीमतों और बढ़ते आप्रवासन के कारण उनका समर्थन घट गया है। यह राजनीतिक उथल-पुथल ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर कनाडा अपने यहां अमेरिका में आने वाले अप्रवासी और नशीली दवाओं को रोकने में विफल रहा तो, कनाडा के सभी सामानों पर 25 फीसदी शुल्क लगा दिया जाएगा।  

क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने भी दिया था वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा

कनाडा की पूर्व वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने 16 दिसंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अर्थव्यवस्था से जुड़े ट्रुडो के फैसलों की आलोचना की थी। फ्रीलैंड और ट्रूडो के बीच नीतियों पर मतभेद थे। फ्रीलैंड का कहना था कि इस समय कनाडा को आर्थिक रूप से मजबूत रहना चाहिए और खर्चों को नियंत्रण में रखना चाहिए, ताकि अगर अमेरिका से किसी प्रकार के आर्थिक दबाव या शुल्क का सामना करना पड़े, तो कनाडा के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन हों। उनका मानना था कि ब्रिकी कर पर अस्थायी छूट और नागरिकों को 250 डॉलर भेजने जैसी योजनाएं राजनीतिक दिखावा हैं और इनसे आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है। 

कौन होगा लिबरल का नया लीडर?

संभावित नेताओं में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के पूर्व गवर्नर मार्क कार्नी, विदेश मंत्री मेलानी जोली और पूर्व उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड शामिल हैं। उम्मीद है कि 20 अक्टूबर को या उससे पहले होने वाले आम चुनाव से पहले एक नया पार्टी नेता लिबरल्स को उनकी निराशा से बाहर निकाल सकता है।

हाल के सर्वों में ट्रूडो की लिबरल पार्टी विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी से पीछे है, जिसका नेतृत्व तेजतर्रार पियरे पोलीवर कर रहे हैं। पार्टी से जुड़े लोग मानते हैं कि एक नया नेता ही पिछड़ती पार्टी को आगे ला सकता है।

जॉर्ज सोरोस को मिला अमेरिका का सर्वोच्च सम्मान प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम, मच गया हंगामा
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जॉर्ज सोरोस की हाल के दिनों में भारत में भी खूब चर्चा होती रही है। उन पर भारतीय राजनीति को प्रभावित करने के आरोप लगे हैं। अब अमेरिका ने इस विवादित अमेरिकी बिजनैसमेन जॉर्ज सोरोस को सर्वोच्च अमेरिकी नागरिक सम्मान (प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम) से सम्मानित किया है। इसे लेकर पूरी दुनिया में चर्चा है। खुद अमेरिका में ही सोरोस को यह सम्मान दिए जाने के पक्ष-विपक्ष में कई आवाजें बुलंद हैं। दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने भी जॉर्ज सोरोस को यह सम्मान दिए जाने के फैसले को हास्यास्पद करार दिया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने जॉर्ज सोरोस और पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन समेत 19 लोगों को शनिवार को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा है। हालांकि, इनमें से किसी को भी मेडल ऑफ फ्रीडम दिए जाने को लेकर इतना हंगामा नहीं हुआ है, जितना जॉर्ज सोरोस के नाम को लेकर बातें चल रही हैं। व्हाइट हाउस के बयान के मुताबिक, सोरोस की उनकी दानकर्ता संस्था ओपन सोसाइटी फाउंडेशन ने दुनियाभर में लोकतंत्र को मजबूत करने के अलावा मानवाधिकार, शिक्षा और सामाजिक न्याय के लिए काम किया है।

*सोरोस को सम्मान दिए जाने को मस्क ने कहा शर्मनाक*
सोरोस को फ्रीडम मेडल मिलने पर टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने भी प्रतिक्रिया दी है। जो बाइडन के विरोधी और रिपब्ल्कन नेता डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक एलन मस्क ने एक पॉडकास्ट में इस सोरोस को इस सम्मान को दिए जाने को शर्मनाक बताते हुए कहा कि सोरोस मानवता से घृणा करते हैं। मस्क ने ट्विटर पर एक पोस्ट में सोरोस की तुलना स्टार वार्स के खलनायक डार्थ सिडियस से भी की है। उन्होंने लिखा, 'जॉर्ज सोरोस तो यहां काफी अच्छे लग रहे हैं। जरूर लाइटिंग अच्छी रही होगी।'

*रिपब्लिकन नेता भी फैसले से खुश नहीं*
सोरोस को सम्मान दिए जाने की रिपब्लिकन नेताओं ने भी निंदा की है। निक्की हेली ने इसे अमेरिका के मुंह पर एक तमाचा कहा है। उन्होंने बाइडन के पिछले फैसलों का हवाला देते हुए उन पर राष्ट्रीय मूल्यों के बजाय राजनीतिक एजेंडे को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया। डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें एक पिज्जा डिलीवरी करने वाले व्यक्ति ने पांच बच्चों को जलते हुए घर से बचाया था। उन्होंने लिखा, यह व्यक्ति प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम का हकदार है, सोरोस नहीं।

*प्रधानमंत्री मोदी के विरोधी रहे हैं जॉर्ज सोरोस*
जॉर्ज सोरोस पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने का एजेंडा चलाने का आरोप है। सोरोस की संस्था ‘ओपन सोसाइटी फाउंडेशन’ ने 1999 में पहली बार भारत में एंट्री की।
2014 में इसने भारत में दवा, न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने और विकलांग लोगों को मदद करने वाली संस्थाओं को फंड देना शुरू किया। 2016 में भारत सरकार ने देश में इस संस्था के जरिए होने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी।
अगस्त 2023 में जॉर्ज का म्यूनिख सिक्योरिटी काउंसिल में दिया बयान बेहद चर्चा में रहा। जब उन्होंने कहा था कि भारत लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं।

*सोरोस ने सीएए, 370 पर भी विवादित बयान दिए*
सोरोस ने भारत में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने पर भी पीएम मोदी पर निशाना साधा था। सोरोस ने दोनों मौकों पर कहा था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की तरफ बढ़ रहा है। दोनों ही मौकों पर उनके बयान बेहद तल्ख थे।
बाबा सिद्दीकी केस में 4590 पन्नों की चार्जशीट दाखिल, हत्या के 3 कारण बताए गए
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बाबा सिद्दीकी केस में मुंबई पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। मुंबई क्राइम ब्रांच ने महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज क्राइम एक्ट (मकोका) कोर्ट के सामने 4,590 पन्नों की चार्जशीट दायर की है। इस चार्जशीट में बाबा सिद्दीकी के मर्डर केस मामले में 26 आरोपियों को नामजद किया गया है। साथ ही और 3 फरार आरोपियों के नाम शामिल हैं जिसमें शुभम लोनकर, जिशान अख्तर और अनमोल बिश्नोई शामिल है। चार्जशीट में मुंबई पुलिस ने हत्या की वजह का भी जिक्र किया है। पुलिस की जांच के मुताबिक हत्या की तीन प्रमुख वजह हो सकती हैं।

*चार्जशीट में हत्या की 3 वजहें बताई गई हैं*
चार्जशीट में मुंबई पुलिस ने हत्या की तीन प्रमुख वजहों का जिक्र किया है। जिनमें सलमान खान से करीबी, अनुज थप्पन की आत्महत्या का बदला और बिश्नोई गैंग की सुप्रीमेसी स्थापित करने और अपना खौफ मुंबई में बढ़ाना शामिल हैं। हत्याओं की इन तीन वजहों को स्थापित करने के लिए पुलिस ने शुभम लोनकर के फेसबुक पोस्ट को भी आधार बनाया है।
दरअसल, बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने हत्या की जिम्मेदारी ली थी। इस दावे को करने वाला एक फेसबुक पोस्ट काफी वायरल हुआ था। यह पोस्ट सबसे पहले फेसबुक शुभम लोनकर महाराष्ट्र पर अपलोड किया गया था। जिसके बाद पुलिस लोनकर की तलाश में जुट गई थी। हालांकि, यह बताया गया है कि उनके भाई ने जून 2024 से उनके साथ गांव छोड़ दिया, अकोट के पुलिस अधिकारी अनमोल मित्तल ने बताया कि 16 जनवरी, 2024 को अकोट सिटी पुलिस स्टेशन में आर्म एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत शुभम रामेश्वर लोनकर और प्रवीण रामेश्वर लोनकर सहित अकोट और अंजनगाव सुर्जी तालुका के 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

*लॉरेंस बिश्नोई का नाम सीधे तौर पर चार्जशीट में नहीं*
बता दें कि इस मामले के मुख्य आरोपी कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई और दो अन्य व्यक्ति शुभम लोनकर और जीशान अख्तर हैं। अनमोल और अख्तर के साथ-साथ लोनकर को भी हत्या के मामले में वॉन्टेड क्रिमिनमल घोषित किया गया है। पुलिस का मानना है कि उन्होंने अपराध की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, लॉरेंस बिश्नोई का नाम सीधे तौर पर इस चार्जशीट में नहीं है और उन्हें वॉन्टेड सस्पेक्ट के रूप में नहीं रखा गया है। वहीं कहा ये भी जा रहा है कि उनका इस मामले से इनडायरेक्ट कनेक्शन था।

*12 अक्टूबर को की गई थी बाबा सिद्दीकी की हत्या*
12 अक्टूबर 2024 को बाबा सिद्दीकी की उनके बेटे के ऑफिस से निकलते वक्त हत्या कर दी गई थी। उनके सीने पर दो गोलियां लगी थी। उन्हें लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई थी।
दिल्ली में 27 साल का सूखा खत्म कर पाएगी बीजेपी? आप का किला भेदने के लिए बनाई खास रणनीति
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* दिल्ली विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन स्टार्ट हो गया है कुछ ही दिनों में बहुत जल्द केंद्रीय निर्वाचन आयोग दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है लेकिन उससे पहले सभी राजनीतिक दल दिल्ली में अपनी-अपनी सरकार बनाने के लिए हर जोर-आजमाइश में जुटे हुए हैं। एक तरफ जहां आम आदमी पार्टी दिल्ली की जनता को लोक लुभावन योजनाओं के जरिए साधने में लगी है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से चुनाव की कमान अब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाल ली है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या भाजपा दिल्ली में 27 साल से चला आ रहा सूखा खत्म कर पाएगी? *क़रीब तीन दशक से सत्ता से गायब बीजेपी* दिल्ली में बीजेपी क़रीब तीन दशक से सत्ता से गायब है। दिल्ली में बीजेपी ने पिछली बार साल 1993 में जीत हासिल की थी। उस वक़्त मदनलाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। 1993 में 49 सीटों पर मिली बड़ी जीत के बाद भी उस दौरान पांच साल में बीजेपी को तीन बार मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे। बीजेपी ने पहले मदनलाल खुराना, फिर साहिब सिंह वर्मा और अंत में सुषमा स्वराज को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया। कहा जाता है कि उस वक़्त प्याज़ की बढ़ी कीमतों के आंसू बीजेपी को लंबे वक़्त तक रुलाते रहे। बीजेपी के लिए तीन मुख्यमंत्रियों का प्रयोग ऐसा रहा कि बीते क़रीब तीन दशक से उसे दिल्ली की सत्ता नहीं मिल पाई है। *लोकसभा में सफल लेकिन विधानसभा में फेल* उसके बाद जनता ने लगातार तीन चुनावों में कांग्रेस को जीत दिलाई और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनीं। आम आदमी पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद दिल्ली में जनता ने आम आदमी पार्टी को पसंद कर लिया, लेकिन बीजेपी जैसी पुरानी पार्टी पर भरोसा नहीं जताया। दिल्ली में लगातार छह बार चुनाव हारने के बाद सातवीं बार उसे जीतने के इरादे से बीजेपी मैदान में उतर रही है। सबसे दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी को बीते तीन लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सभी सीटों पर जीत मिली है। लेकिन इस दौरान विधानसभा चुनावों में पार्टी सफल नहीं हो पाई है। 70 सीटों की दिल्ली विधानसभा में बीजेपी को साल 2013 में 31 सीटों पर जीत मिली। उसके बाद साल 2015 के विधानसभा चुनावों में उसे महज 3 सीटें और साल 2020 में 8 सीटों से संतोष करना पड़ा। जबकि बीते तीनों लोकसभा चुनावों यानी साल 2014, 2019 और 2024 में बीजेपी को दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत मिली ऐसे में बीजेपी ने इस बार अपनी विरोधी आम आदमी पार्टी “साफ” करने के ले खास रणनीति अपनाई है। *पीएम मोदी ने खुद संभाली कमान* इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीख़ों के ऐलान से पहले ही पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के तमाम नेता चुनावी मैदान में दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आम आदमी पार्टी पर 'आप-दा' कहकर हमला किया है। उन्होंने कहा है, दिल्ली में एक ही आवाज़ गूंज रही है, आप-दा नहीं सहेंगे, बदलकर रहेंगे। अब दिल्ली विकास की धारा चाहती है। जबकि गृहमंत्री अमित शाह ने भी अरविंद केजरीवाल पर उनके मुख्यमंत्री रहते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास को 'शीशमहल' बनाने का आरोप लगाया है। *आप के दिग्गजों को कड़ी चुनौती देने की कोशिश* यही नहीं, बीजेपी ने इस बार अपनी विरोधी आम आदमी पार्टी के दिग्गजों को कड़ी चुनौती देने के इरादे से अपने दो पूर्व सांसदों को दांव पर लगाया है। इसके अलावा पार्टी ने अपने मौजूदा विधायकों में से भी चार पर फिर से भरोसा जताया है। पार्टी ने इस बार आप के दिग्गज नेताओं को घेरने पर अधिक फोकस रखा है। यही वजह है कि पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपने पूर्व सांसद और जाट नेता प्रवेश वर्मा को टिकट दिया है। पार्टी को लग रहा है कि कांग्रेस के संदीप दीक्षित भी तगड़े दावेदार हैं। ऐसे में बीजेपी विरोधी वोट कांग्रेस व आप में बंट गए तो नई दिल्ली का किला बीजेपी जीत सकती है। इसी तरह से पार्टी ने वोटरों का प्रोफाइल देखकर जंगपुरा से तरविंदर सिंह मारवाह को टिकट दिया है। पार्टी को लग रहा है कि यहां मनीष सिसोदिया को मारवाह ही टक्कर दे सकते हैं। *स्थानीय मुद्दों पर आप का घेराव* वहीं, सियासी गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी को आम आदमी पार्टी (आप) के एक दशक लंबे शासन के खिलाफ “सत्ता विरोधी भावना” का एहसास है। इस बार भाजपा का अभियान भी बहुत स्थानीय है, जिसमें प्रधानमंत्री सीवर और जल-जमाव वाली सड़कों और डीटीसी बेड़े के बारे में बोल रहे हैं। भाजपा दिल्ली में आप के शासन मॉडल को घेरने के लिए यमुना नदी की स्थिति और राष्ट्रीय राजधानी में लगातार वायु प्रदूषण के मुद्दे पर भी जोर दे रही है। भाजपा लोगों को यह बताने की कोशिश कर रही है कि आप सीवेज सिस्टम और पानी की कमी जैसे मुख्य शासन मुद्दों पर विफल रही है और हमेशा केंद्र के साथ टकराव की मुद्रा में रहती है, जिससे दिल्ली का विकास बाधित होता है। उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश,गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों का उदाहरण देकर बीजेपी दिल्ली की जनता के सामने ये पेश करने के प्रयास में लगी है कि,दिल्ली में भी अब भाजपा के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार की जरुरत है। भाजपा ने आप की दो बड़ी मुफ्त बिजली योजना और पानी का बिल फ्री कराने का तोड़ निकाल लिया है। भाजपा ने दिल्ली में झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों पीएम आवास की चाबी देकर इसकी शुरुआत भी कर दी है।
कैग रिपोर्ट में केजरीवाल के ‘काले कारनामों’, 'शीश महल' बनाने में उड़ाई नियमों की धज्जियां, खर्ज किए करोड़ों
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* दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का घर फिर चर्चा में है। दिल्‍ली चुनाव से ठीक पहले सीएजी यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने सरकारी आवास के रिनोवेशन पर 33.66 करोड़ रुपये खर्च किए। दावा किया गया कि सीएम हाउस पर तय लागत से 342 प्रतिशत ज्‍यादा रकम खर्च की गई। पहले ही अरविंद केजरीवाल के घर को 'शीशमहल' बता चुकी बीजेपी दिल्‍ली चुनाव के बीचे इसे मुद्दा बनाने की कोशिश करने में लगी है। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि बिना इजाज़त लिए इमरजेंसी क्‍लॉज का इस्तेमाल करके बंगला बनाया है। साथ ही दावा किया कि एमसीडी की इजाजत लिये बिना बंगला बनाया गया। साल 2022 तक इस बंगले पर क़रीब 33 करोड़ रुपये खर्च किया गया। कैग रिपोर्ट में अरविंद केजरीवाल के बंगले को लेकर 139 सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीडब्ल्यूडी ने निजी संस्था के तौर पर काम किया, बिना इजाज़त करोड़ रुपये बंगला बनाने के लिए खर्च किए। पहले 7 करोड़ 91 लाख का बजट इमरजेंसी के तौर पर पास किया गया था। साल 2020 में पहला वर्क स्टीमेट बना जब दिल्ली कोविड की मार झेल रहा था। भाजपा नेता वीरेंद्र सचदेवा ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बंगले पर 75 से 80 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, कैग रिपोर्ट में 2023 और 2024 का खुलासा होना बाकी है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि 2020 में जब दिल्ली की जनता अपने लोगों को खो रही थी। उस समय अरविंद केजरीवाल अपना शीश महल बनवा रहे थे। किसी भी सरकारी विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई। इसके निर्माण में अनियमितताएं बरती गईं। पीडब्ल्यूडी विभाग ने 2024 में जो इन्वेंटरी घोषित की है और जो समान दिखाया है कि यह पीडब्ल्यूडी ने नहीं लगाया है, वह समान कहां से आया। वह किसका पैसा है? इसका जवाब अरविंद केजरीवाल को देना होगा।
भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी के बयान पर रो पड़ीं दिल्ली सीएम आतिशी, बोलीं-मेरे बीमार, बुजुर्ग पिता को दे रहे गाली
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* दिल्ली की सीएम आतिशी ने अपने पिता को लेकर हो रही बयानबाजी पर रो पड़ीं। सीएम आतिशी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मेरे बुजुर्ग पिता को गाली दी जा रही है। वो इतने बीमार रहते हैं कि बिना सहारे के चल तक नहीं पाते। रमेश बिधूड़ी अपने काम पर वोट मांगें। मेरे पिता को गाली देकर वोट नहीं मांगें। इस दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने चुनाव में बड़े घोटाले का दावा किया। आतिशी बोलीं- "मेरे पिता जिंदगी भर शिक्षक रहे, उन्होंने दिल्ली के हजारों मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग बच्चों को पढ़ाया है, आज वे 80 सालों के हो गए हैं। चुनाव के लिए बिधूड़ी ऐसी घटिया हरकत करेंगे कि बुजुर्ग व्यक्ति को गालियां देने पर उतर आएंगे। इस देश की राजनीति इतने निचले स्तर तक गिर सकती है यह मैं कभी नहीं सोच सकती थी। बिधूड़ी बताएं कि 10 साल में लोगों के लिए उन्होंने क्या किया? *बिधूड़ी ने कहा क्या था?* बीजेपी की की ‘परिवर्तन रैली’ को संबोधित करते हुए बिधूड़ी ने कहा था कि आतिशी ने अपना सरनेम बदलकर मार्लेना से ‘सिंह’ कर लिया है। उन्होंने कहा कि कालकाजी सीट से मौजूदा विधायक आतिशी ने कुछ समय पहले अपना सरनेम हटा दिया था। बिधूड़ी ने आरोप लगाया था कि वह मार्लेना से सिंह बन गईं, उन्होंने नाम बदल लिया। केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि भ्रष्ट कांग्रेस के साथ नहीं जाउंगा, (और अब) मार्लेना ने अपना बाप बदल लिया। पहले वह मार्लेना थीं, अब वह सिंह बन गई हैं। यह उनका चरित्र है। *बीजेपी राज्य में वोटर घोटाला कर रही-आतिशी* वहीं, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़े घोटाले का दावा किया। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में घोटाला हो रहा है। नईदिल्ली विधानसभा सीट पर बड़ा खेल हो रहा है। गलत तरीके से वोट काटने की साजिश हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी राज्य में वोटर घोटाला कर रही है। इसके बावजूद चुनाव आयोग ने इसकी जांच नहीं की। आतिशी ने आरोप लगाया- चुनाव आयोग, डोर टू डोर सर्वे, बूथ लेवल अधिकारी यह पता नहीं लगा पाए कि लोग शिफ्ट हो गए हैं, लेकिन इन बीजेपी लोगों ने पता लगा लिया है। जब समरी रिवीजन चल रहा था, तो मतदाताओं को क्यों नहीं शिफ्ट किया गया? आतिशी ने कहा- यह साफ है कि गलत तरीके से वोट काटने की साजिश चल रही है। 10% वोट जोड़े जाने हैं और 5% हटाए जाने हैं, यही साजिश चल रही है।
पिछले 10 वर्षों में भारतीय रेलवे के ऐतिहासिक ट्रांसफॉर्मेशन”, नए जम्मू रेलवे डिवीजन के उद्घाटन पर बोले पीएम मोदी
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* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए नवगठित जम्मू रेलवे डिवीजन का उद्घाटन किया। साथ ही पीएम ने तेलंगाना में चरलापल्ली न्यू टर्मिनल स्टेशन का उद्घाटन किया और ईस्ट कोस्ट रेलवे के रायगढ़ रेलवे डिवीजन भवन की आधारशिला भी रखी। नए रेल डिवीजन के उद्घाटन के अवसर पर पीएम मोदी ने संबोधन भी दिया। उन्होंने कहा, साल 2025 की शुरुआत से ही भारत कनेक्टिविटी की तेज रफ्तार बनाए हुए है। प्रधानमंत्री ने कहा- पिछला एक दशक भारतीय रेलवे के ऐतिहासिक ट्रांसफॉर्मेशन का रहा है। रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर में एक विजिबल चेंज आया है। इससे देश की छवि बदली है और देशवासियों का मनोबल भी बढ़ा है। उन्होंने कहा पिछले 10 वर्षों में रेल कनेक्टिविटी का अद्भुत विस्तार हुआ है। 2014 तक देश में सिर्फ 35% रेल लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन हुआ था। आज हम रेल लाइनों के शत-प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन के करीब हैं। बीते 10 वर्षों में 30 हजार किमी से ज्यादा नए रेलवे ट्रैक बिछाए गए हैं। साथ ही सड़क संपर्क बढ़ाने के लिए हजारों ओवरपास और अंडरपास भी बनाए गए हैं। आज लोग कम समय में लंबी दूरी तय करना चाहते हैं। इसलिए हमने पूरे देश में हाई-स्पीड ट्रेनें चलाई हैं। आज 50 से अधिक रूटों पर वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं। 136 वंदे भारत सेवाएं लोगों की यात्रा को आरामदायक बना रही हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा भारत में रेलवे के विकास को हम चार पैरामीटर्स पर आगे बढ़ा रहे हैं। पहला- रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर का मॉर्डनाइजेशन, दूसरा- रेलवे के यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं, तीसरा- रेलवे की देश के कोने-कोने में कनेक्टिविटी और चौथा- रेलवे से रोजगार का निर्माण, उद्योगों को सपोर्ट। पीएम मोदी ने कहा कि हमारा जम्मू-कश्मीर आज रेल इंफ्रास्ट्रक्चर में नए रिकॉर्ड बना रहा है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन की चर्चा आज पूरे देश में है। ये परियोजना जम्मू-कश्मीर को देश के और हिस्सों के साथ और बेहतरी से जोड़ेगी। इसी परियोजना के तहत दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे केबल पुल चिनाब का काम भी पूरा हुआ है।
तमिलनाडु विधानसभा में हुआ राष्ट्रगान का अपमान! राज्यपाल ने सदन से किया वॉकआउट
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* तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि विधानसभा सत्र के दौरान राष्ट्रगान के कथित अपमान से नाराज हो गए और विधानसभा सत्र को बिना संबोधित किए ही सदन से चले गए। राज्यपाल के कार्यालय ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और विधानसभा स्पीकर ने तमिल थाई वाज़्थु गाए जाने के बाद राष्ट्रगान बजाने से इनकार कर दिया। जबकि राज्यपाल ने उन से मानक के तहत राष्ट्रगान गाने के लिए कहा था। तमिलनाडु विधानसभा के साल 2025 के पहले विधानसभा सत्र की शुरुआत हो रही है। नियमों के तहत विधानसभा सत्र की शुरुआत राज्यपाल आरएन रवि के संबोधन से होनी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विधानसभा सत्र की शुरुआत में तमिलनाडु सरकार के राज्य गीत 'तमिल थाई वजथु' का गायन हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि राज्यपाल आरएन रवि ने तमिलनाडु के राज्य गीत के बाद राष्ट्रगान वादन की मांग की, लेकिन उनकी मांग नहीं मानी गई। इस बात से राज्यपाल इस कदर नाराज हो गए कि विधानसभा सत्र को संबोधित किए बिना ही सदन से चले गए। राज्यपाल के आधिकारिक निवास, राजभवन ने कहा, राज्यपाल ने विधानसभा को बीच में इसीलिए छोड़ दिया और वो चले गए क्योंकि सदन ने मानक के तहत राष्ट्रगान बजाने से “इनकार” कर दिया था।तमिलनाडु के राजभवन ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कहा, भारत के संविधान और राष्ट्रगान का एक बार फिर तमिलनाडु की असेंबली में अपमान हुआ। राष्ट्रगान का सम्मान करना हमारा पहला मौलिक कर्तव्य है। इसे सभी राज्य विधानमंडलों में राज्यपाल के अभिभाषण के शुरू और आखिर में गाया जाता है। आज जब राज्यपाल हाउस में पहुंचे तो सिर्फ तमिल थाई वाज़्थु गाया गया। इसी के बाद जब राज्यपाल ने सभी को संवैधानिक ड्यूटी याद दिलाई और सीएम एम के स्टालिन और स्पीकर से राष्ट्रगान पढ़ने के लिए कहा तो उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। साथ ही कहा गया, यह गंभीर चिंता का विषय है। संविधान और राष्ट्रगान के इस तरह के बेशर्मी भरे अपमान में भागीदार नहीं बनना चाहते थे, इसलिए राज्यपाल गहरी पीड़ा में सदन से चले गए। बता दें कि बीते दो साल से विधानसभा सत्र में राज्यपाल के संबोधन के दौरान खासा विवाद देखने को मिला है। पिछली बार राज्यपाल ने संबोधन के दौरान सरकार के बयान की कुछ लाइनें पढ़ने से इनकार कर दिया था। जिस पर खूब विवाद हुआ था।
केजरीवाल की राह पर कांग्रेस, दिल्ली की महिलाओं के लिए किया 'प्यारी दीदी योजना' का ऐलान
#congress_announces_pyari_didi_yojana * दिल्ली चुनाव की तारीखों के एलान से पहले सियासी हलचल तेज है। पार्टियां जनता को अपने पाले में करने के लिए एक से बढ़कर एक दांव चल रही हैं। आम आदमी पार्टी ने पहले ही जनता के सामने अपान पिटारा खोल दिया है। महिलाओं से लेकर बुजुर्गों तक के लिए योजनाओं की घोषणा की है। अब आप की राह पर चलते हुए कांग्रेस ने भी बड़ी घोषणा की है। कांग्रेस ने 'प्यारी दीदी योजना' का एलान कर दिया है। कांग्रेस ने महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये देने का वादा किया है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि मैं यहां प्यारी दीदी योजना को लॉन्च करने आया हूं। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि कांग्रेस दिल्ली में सरकार बनाएगी और हमारी पहली कैबिनेट में प्यारी दीदी योजना लागू की जाएगी और दिल्ली की महिलाओं को 2500 रुपये दिए जाएंगे। यह उसी मॉडल पर है जो हमने कर्नाटक में लागू किया था। कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए कांग्रेस जरूरी है। *दिल्ली की महिलाओं को 2100 रुपए देगी आप सरकार* इससे पहले आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने महिला सम्मान योजना का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि अगर दिल्ली में हमारी सरकार फिर से सत्ता में आएगी तो हम इस सम्मान की राशि 1000 से बढ़ाकर 21 रुपये कर देंगे। केजरीवाल ने 2024 के बजट में इसका ऐलान किया था। 18 से 60 साल तक की महिलाओं को इस योजना का फायदा मिलेगा. लाभार्थियों की संख्या 38 लाख है।
*“मुझे वोट दिया, इसका मतलब यह नहीं कि मेरे बॉस हो” वोटर्स पर क्यों भड़के अजित पवार?
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महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार बारामती में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान अपना आपा खो बैठे। कार्यक्रम में डिप्टी सीएम अजित पवार एक वोटर पर भड़क गए। दरअसल, जब एक वोटर ने अपनी समस्या के बारे में उन्हें बताया, और समस्या के समाधान की बात कही। जिस पर पवार भड़क गए और बोले कि आपने वोट दिया इसका ये मतलब नहीं की आप मेरे मालिक हैं। अजित पवार रविवार को बारामती के दौरे पर थे। इस दौरे के दौरान उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में विभिन्न विकास कार्यों का उद्घाटन किया। उन्होंने बारामती के मेदाद में बारामती तालुका क्रय-विक्रय संघ परिसर में एक नए पेट्रोल पंप का उद्घाटन किया। पेट्रोल पंप के उद्घाटन के बाद अजीत वपार ने एक सभा की। जहां अलग अलग तहसीलों और गांवो से किसान अपनी समस्या लेकर पहुंचे थे। अजित पवार अधिकारियों को काम शुरू करने के निर्देश दे रहे थे। हालांकि, वहीं एक कार्यकर्ता ने कहा कि कई काम नहीं हुए। एक्टिविस्ट के बयान के बाद कुछ अन्य नागरिकों ने भी यही बात कही। इसके बाद अजित पवार थोड़ा नाराज हो गए और बोले, ‘अरे आपने मुझे वोट दिया इसका मतलब यह नहीं कि आप मेरे मालिक बन गए हो।’ अजित पवार का बचाव करते हुए कैबिनेट मंत्री संजय शिरसाट ने सफाई दी। उन्होंने कहा, 'कभी-कभी, जब निर्वाचित प्रतिनिधि काम कर रहे होते हैं, तो कुछ मतदाता कुछ मुद्दों पर जोर देते रहते हैं। निर्वाचित प्रतिनिधि की टिप्पणियों को प्रमुखता दी जाती है, जबकि मतदाताओं के व्यवहार के बारे में कहीं बात नहीं की जाती है।'