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केंद्र से क्यों नाराज हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- किया गया वादा क्यों नहीं निभाया?

#vice_president_jagdeep_dhankhar_angry_on_the_issue_of_farmers

किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर एक बार फिर सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी किसानों के समर्थन में आए। किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। हम किसान को पुरस्कृत करने की बजाय, उसका सही हक भी नहीं दे रहे हैं।'

मुंबई में एक कार्यक्रम में मंगलवार को जगदीप धनखड़ ने कहा कि जिनको गले लगाना है, उनको दुत्कारा नहीं जा सकता। मेरे कठोर शब्द हैं। कई बार गंभीर बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवाई पीनी पड़ती है। मैं किसान भाइयों से आह्वान करता हूं कि मेरी बात सुनें, समझें। आप अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। राजनीति को प्रभावित करते हैं। भारत की विकास यात्रा के आप महत्वपूर्ण अंग हैं। सामाजिक समरसता की मिसाल हैं। बातचीत के लिए आपको भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्या हम किसान और सरकार के बीच एक सीमा बना सकते हैं? मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं हो रही है। मेरी चिंता यह है कि यह पहल अब तक क्यों नहीं हुई।

जगदीप धनखड के तीखे सवाल

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने किसानों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा,'कृषि मंत्री जी एक एक पल आपका भारी है। मेरा आपसे आग्रह है, भारत के सिद्धांत के तहत दूसरे पद विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है। कृप्या करके मुझे बताइए क्या किसान से वादा किया गया था और किया हुआ वादा क्यों नहीं निभाया गया।' जगदीप धनखड़ यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा,'किसानों से किया गया वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था और इस वर्ष भी आंदोलन है। काल चक्र घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं।'

हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है-धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'ये समय मेरे लिए कष्टदायक है क्योंकि मैं राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत हूं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था, दुनिया में हमारी साख पहले कभी इतनी नहीं थी, भारत का पीएम आज विश्व के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है, जब ऐसा कोहरा है तो मेरा किसान परेशान क्यों है? ये बहुत गहराई का मुद्दा है। इसको हल्के में लेने का मतलब है कि हम प्रैक्टिकल नहीं हैं। हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है। कौन हैं वो लोग जो किसानों को कहते हैं कि उसके उत्पाद का उचित मूल्य दे देंगे? मुझे समझ नहीं आता कि कोई पहाड़ गिरेगा। किसान अकेला है, जो असहाय है। '

कांग्रेस ने जताई खुशी

इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खुशी जताई है, उन्होंने कहा कि जिन मामलों पर उपराष्ट्रपति ने सवाल किए हैं, यही मामले हमारी पार्टी और राहुल गांधी पिछले 5 सालों से उठा रहे हैं।कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि हम उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, उन्होंने आगे कहा कि वे राज्यसभा के संरक्षक और संविधान के रक्षक हैं। उन्होंने कृषि मंत्री से जो सवाल पूछा, कांग्रेस पार्टी भी पिछले 4-5 साल से वही सवाल प्रधानमंत्री से पूछ रही है। हम इसी बात पर चर्चा चाहते हैं, और हमने इसके लिए नोटिस भी दिया है, हमें खुशी है कि उपराष्ट्रपति ने ये सवाल पूछा है।

चीन के गुइझोउ में ओवरलोड सरकारी नाव पलटने से 8 लोगों की मौत

चीनी अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि इस सप्ताह की शुरुआत में दक्षिण-पश्चिमी चीन के गुइझोउ प्रांत में "गंभीर रूप से ओवरलोड" सरकारी नाव पलटने से आठ लोगों की मौत हो गई। राष्ट्रीय आपातकालीन प्रबंधन मंत्रालय के एक ऑनलाइन बयान के अनुसार, सोमवार को गुइझोउ प्रांत में हुई दुर्घटना के दृश्य से पांच लोगों को बचा लिया गया।

बयान के अनुसार, नाव स्थानीय शहर-स्तरीय सरकार के स्वामित्व में थी, जिसने घटना के लिए "गंभीर जवाबदेही" की मांग की। मंत्रालय ने कहा कि जहाज "नियमों का उल्लंघन करते हुए यात्री-वाहक व्यावसायिक गतिविधियों में लगा हुआ था और गंभीर रूप से ओवरलोड था।" चीनी आउटलेट कैक्सिन ने कहा कि नाव स्थानीय ग्रामीणों को पिंगझेंग नदी के उस पार जड़ी-बूटियाँ इकट्ठा करने के लिए ले जा रही थी। उस नदी पर नावों में आमतौर पर यात्री नहीं होते हैं, घटनास्थल के पास मौजूद एक व्यक्ति ने कैक्सिन को बताया।

अस्पष्ट नियमों और ढीले प्रवर्तन के कारण चीन में अक्सर घातक दुर्घटनाएँ होती रहती हैं। अगस्त में पड़ोसी सिचुआन प्रांत में एक खनन दुर्घटना में आठ लोगों की जान चली गई। मार्च में उत्तरी चीन के हेबेई प्रांत में गैस विस्फोट में सात लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। पूर्वी शहर नानजिंग में फरवरी में एक आवासीय इमारत में आग लगने से 15 लोगों की मौत हो गई।

संदिग्ध हालत में स्कूल में छठी कक्षा के छात्र की मौत, परिवार को स्कूल प्रबंधन पर शक

पुलिस ने बताया कि मंगलवार सुबह दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के एक निजी स्कूल में 12 वर्षीय छात्र की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। उन्होंने बताया कि वसंत विहार के कुदुमपुर पहाड़ी का निवासी प्रिंस छठी कक्षा का छात्र था। पुलिस को शक है कि उसकी मौत दौरा पड़ने से हुई होगी। हालांकि, परिवार ने आरोप लगाया है कि प्रिंस को उसके सहपाठी ने पीटा था।

पुलिस ने बताया कि वसंत कुंज के फोर्टिस अस्पताल से सुबह 10.15 बजे सूचना मिली कि प्रिंस को मृत अवस्था में लाया गया था। पुलिस ने एक बयान में बताया कि शव की जांच और जांच करने पर पता चला कि शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं थे, लेकिन उसके मुंह से झाग जैसा कुछ निकल रहा था। डॉक्टरों ने मौखिक रूप से सुझाव दिया कि लड़के को ऐंठन संबंधी बीमारी हो सकती है, लेकिन जांच की कार्यवाही जारी है। स्कूल के छात्रों और शिक्षकों से पूछताछ की जा रही है और उसके अनुसार आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

प्रिंस के पिता सागर, जो वसंत विहार सोसाइटी में सीवर लाइन वर्कर के रूप में काम करते हैं, ने कहा कि उनके बेटे का कोई मेडिकल इतिहास नहीं था और जब उन्होंने उसे स्कूल में छोड़ा था, तब वह पूरी तरह से स्वस्थ था। सागर ने पीटीआई से कहा, "मेरा बेटा पूरी तरह से स्वस्थ था और उसे दौरे पड़ने का कोई इतिहास नहीं था। वह फुटबॉल भी खेलता था और एक अच्छा खिलाड़ी था, अंतर-विद्यालय टूर्नामेंट में भाग लेता था और कई पदक जीतता था।" उन्होंने कहा कि "स्कूल और पुलिस की थ्योरी में कुछ गड़बड़ है।" उन्होंने दावा किया कि कुछ छात्रों ने उन्हें बताया कि प्रिंस का एक सहपाठी के साथ झगड़ा हुआ था, जिसके दौरान वह गिर गया और फिर स्कूल के शिक्षक उसे अस्पताल ले गए। उसे पहले होली एंजल्स अस्पताल ले जाया गया और बाद में फोर्टिस अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सागर ने आगे कहा कि उन्होंने काम पर जाने से पहले अपने बेटे को स्कूल में छोड़ा था। उन्होंने कहा, "मुझे सुबह 9.45 बजे स्कूल से फोन आया कि मेरे बेटे को चोट लगी है और जब मैं अस्पताल पहुंचा, तो वह पहले ही मर चुका था।"

सागर के दो बेटों में प्रिंस छोटा था। उसका बड़ा भाई प्रियांशु दूसरे निजी स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ता है। प्रिंस के चाचा विनीत ने घटना के दौरान उसके क्लास टीचर और अन्य स्टाफ की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए। घटना के बारे में स्कूल की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के नाम का एलान, देवेंद्र फडणवीस चुने गए भाजपा विधायक दल के नेता

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महाराष्‍ट्र के अगले सीएम के रूप में देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लग गई है। बीजेपी की कोर कमेटी ने फडणवीस को महाराष्‍ट्र के अगले सीएम के रूप में चुना है। इस महाराष्‍ट्र विधानसभा में बीजेपी के विधायक दल की बैठक जारी है। उन्‍हें सदन के नेता के रूप में चुने जाने की कार्यवाही जारी है। कल देवेंद्र फडणवीस मुंबई में शपथ लेंगे।

महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि हमें फडणवीस के नेतृत्व में जीत मिली है। वे राज्य के विकास के लिए लगातार काम करते रहे हैं। इसके बाद चंद्रकांत पाटिल और सुधीर मुगंटीवार ने फडणवीस के नाम का प्रस्ताव रखा। पंकजा मुंडे ने उनके नाम का अनुमोदन किया।

दो बार सीएम रह चुके देवेंद्र फडणवीस को इस पद के लिए रेस में सबसे आगे थे। वह 2014 में पहली बार राज्य के सीएम बने थे। इस बार विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन ने प्रचंड जीत दर्ज की है। गठबंधन को 230 विधानसभा सीटों पर जीत मिली है। इसमें बीजेपी के खाते में सबसे ज्यादा 132 सीटें आई हैं। एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटों पर जीत मिली है।

हमले के वक्त गुरुद्वारे के बाहर क्या कर रहे थे सुखबीर बादल, जानें क्यों हुई धार्मिक सज़ा?
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* शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमला हुआ है। सुखबीर सिंह बादल को बुधवार की सुबह उस वक्त गोली मारने की कोशिश की गई जब वे अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में धार्मिक सजा काट रहे थे। अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल दरबार साहिब के गेट पर दरबान के रूप में अपनी सेवा दे रहे थे। तभी एक हमलावर सामने से आता है और उन पर पिस्तौल से हमला कर देता है। अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर सुखबीर सिंह बादल दरबार साहिब के गेट पर दरबान के रूप में क्यों तैनात थे? आखिर सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख़्त की ओर से सुनाई गई धार्मिक सेवा सज़ा क्या है? अकाल तख़्त सिख धर्म से जुड़ी सबसे बड़ी धार्मिक संस्था है और उसे ये अधिकार है कि वो अपराधों के लिए किसी भी सिख को तलब करे और उसके ख़िलाफ़ धार्मिक सज़ा का एलान करे, जिसे ‘तन्खाह’ कहते हैं। सिख परम्पराओं के अनुसार, अगर कोई सिख, सिख धर्म के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ काम करता है या सिख समुदाय की भावनाओें के विपरीत काम करता है तो उसे अकाल तख़्त की ओर से धार्मिक सज़ा सुनाई जा सकती है। तनखैया घोषित किया गया व्यक्ति ना तो किसी भी तख्त पर जा सकता है और ना किसी सिंह से अरदास करवा सकता है, अगर कोई उसकी तरफ से अरदास करता है तो उसे भी कसूरवार माना जाता है। अकाल तख्त साहिब की ओर से जब किसी शख्स को तनखैया करार दिया जाता है तो इस दौरान मिलने वाली सजा का कड़ाई से पालन करना होता है। दोषी व्यक्ति को पूरे सिखी स्वरूप में सेवा देनी होती है। उसे पांचों ककार (कच्छा, कंघा, कड़ा, केश और कृपाण) धारण करके रखने होते हैं। इसके अलावा शारीरिक स्वच्छता का भी पालन करना होता है।रोजाना अरदास में शामिल होना पड़ता है। सजा की अवधि तक व्यक्ति को गुरुद्वारा साहिब में ही रहना पड़ता है। मतलब घर जाने की भी मनाही रहती है। परिवार के सदस्य गुरुद्वारा साहिब में आकर मुलाकात कर सकते हैं, लेकिन दोषी व्यक्ति को वहां से बाहर जाने की अनुमति नहीं रहती है। दो दिसम्बर को सिख प्रतिनिधियों और सिखों के पांच प्रमुख धर्म स्थलों के मुखिया की अकाल तख़्त में मीटिंग हुई थी. और इसी मीटिंग में सुखबीर बादल समेत 2007 से 2017 के बीच उनके कैबिनेट में मंत्री रहे 17 लोगों को धार्मिक सज़ा दी गई। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रखवीर सिंह ने हजारों लोगों की मौजूदगी में अकाल तख्त की गैलरी से पढ़ कर सजा सुनाई। यह सजा सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम को माफी दिलाने, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और सिख युवाओं की हत्या करवाने वाले पुलिस अधिकारियों को उच्च पदों पर आसीन करने समेत कई पंथक गलतियों के लिए सुनाई गई। 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई थी। इसमें इन गलतियों के लिए 15 दिन के अंदर सुखवीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। 30 अगस्त को सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त ने तनखाहिया (पंधक गलतियों का दोषी) घोषित किया था। 24 जुलाई को सुखबीर ने बंद लिफाफे में अकाल तख्त को स्पष्टीकरण दिया था। साल 2007 से 2017 के बीच पंजाब में शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी की गठबंधन सरकार थी। दिवंगत अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल इस सरकार में मुख्यमंत्री थे जबकि सुखबीर बादल पार्टी के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री थे। अकाली दल के नेतृत्व पर सिख धर्म के सिद्धातों और सिख समुदाय की भावनाओं के विपरीत काम करने का आरोप है। साल 2015 में पंजाब के बरगारी में गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान हुआ था। गुरुग्रंथ साबिह के अपमान के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस फ़ायरिंग में दो सिख युवकों की मौत हो गई थी। कथित तौर पर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम के अनुयायियों पर अपमान करने के आरोप लगाए गए थे। अक्तूबर में राम रहीम के ख़िलाफ़ अपमान के मामले में सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही फिर से शुरू हुई। वहीं, साल 2007 में बठिंडा के सलबतपुरा में जुटे अपने अनुयायियों के बीच राम रहीम ने गुरु गोबिंद सिंह की नकल की थी। इस घटना के बाद डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों और सिखों के बीच झड़प हुई। साल 2007 में अकाल तख़्त ने राम रहीम के बहिष्कार का आदेश जारी किया था। यह सज़ा इस आरोप के तहत दी गई है कि 2007 में सिख समुदाय ने राम रहीम का बहिष्कार किया था इसके बावजूद अकाली नेतृत्व ने उनसे संबंध बनाए रखे। आरोप ये भी है कि कथित तौर पर अकाली नेतृत्व ने अकाल तख़्त की ओर से उन्हें माफ़ी दिलाने में मदद की। सोमवार को सुखबीर पांव में चोट लगी होने के कारण व्हील चेयर पर बैठकर अकाल तख्त के समक्ष पेश हुए। इस दौरान ज्ञानी रघवीर सिंह ने सुखबीर व पूर्व मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा को श्री दरबार साहिब के बाहर घंटाघर प्रवेश द्वार के समक्ष दो दिन के लिए एक-एक घंटा सेवादार की पोशाक पहन बरछा हाथ में लेकर सुबह नौ से दस बजे तक बैठना होगा। इस दौरान उन्हें अपने गले में अकाल तख्त की ओर से दी गई तख्ती भी पहननी होगी। उन्हें तख्त श्री केसगढ़ साहिब, तख्त श्री दमदमा साहिब, गुरुद्वारा मुक्तसर साहिब, गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब में एक-एक घंटा संगत के बर्तन व जूते साफ करने होंगे। इन गुरुद्वारों में उन्हें एक-एक घंटे तक कीर्तन का श्रवण भी करना होगा। सजा पूरी होने के बाद उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर 11 हजार रुपये की कड़ाह प्रसाद की देग और 11 हजार रुपये गुरु की गोलक में डालने की हिदायत दी गई है। जत्थेदार ने आदेश दिया कि सुखबीर का शिअद अध्यक्ष पद से दिया गया इस्तीफा तीन दिन में स्वीकार किया जाए। छह माह के भीतर पार्टी का पुनगर्ठन कर पार्टी के संविधान और लोकतांत्रिक ढंग से नए पदाधिकारियों का चयन किया जाए।
जानें कौन है सुखबीर बादल पर हमला करने वाला नारायण सिंह चौरा? बब्बर खालसा से है कनेक्शन
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* पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर के बाहर जानलेवा हमला हुआ। स्वर्ण मंदिर के गेट पर सुखबीर बादल पर फायरिंग करने की कोशिश की गई। हालांकी वो इस हमले में बाल-बाल बच गए। सुखबीर बादल पर हमला करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की नारायण सिंह चौरा के तौर पर हुई है। आरोपी नारायण सिंह का क्रिमिनल बैकग्राउंड बताया जा रहा है। नारायण सिंह चौरा को खालिस्‍तानी आतंकी के रूप में जाना जाता है। वो बबर खालसा आतंकी संगठन से जुड़ा रहा है। वो चंडीगढ़ जेल ब्रेक कांड का भी आरोपी है। *बब्बर खालसा का पूर्व आतंकी है आरोपी* सुखबीर पर गोली चलाने के आरोपी की पहचान नारायण सिंह चौरा निवासी डेरा बाबा नानक के तौर पर हुई है। आरोपी गर्मपंथी है और दल खालसा से संबंध रखता है। हमलावर नारायण सिंह चौड़ा बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आतंकवादी रहा है। चौरा 1984 में पाकिस्तान गया था और आतंकवाद के शुरुआती चरण के दौरान पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में मददगार रहा है। पाकिस्तान में रहते हुए उसने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर एक किताब भी लिखी है। वह बुड़ैल जेलब्रेक मामले में भी आरोपी है। नारायण इससे पहले पंजाब की जेल में सजा काट चुका है। *आतंकियों की मदद करने का लगा था आरोप* चंडीगढ़ की बुरैल जेल से चार खालिस्तानी आतंकी साल 2004 में फरार हो गए थे। चारों कैदी 94 फुट लंबी सुरंग खोदकर जेल से भाग निकले थे। नारायण सिंह पर इन आतंकियों की मदद करे का आरोप है। हालांकि इस मामले में कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर कर दिया था। *खालिस्तान लिबरेशन फोर्स से संबंध* नारायण सिंह चौरा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत लंबे वक्‍त तक जेल में रहने के बाद बेल पर बाहर आया था। उसने अमृतसर सेंट्रल जेल में पांच साल गुजारे हैं। वो खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से जुड़ा हुआ था। उसे 28 फरवरी, 2013 को तरन तारन के जलालाबाद गांव से गिरफ्तार किया गया था। इसी दिन उसके साथी सुखदेव सिंह और गुरिंदर सिंह को भी पकड़ा गया था। उससे पूछताछ के आधार पर तब पुलिस ने मोहाली जिले के कुराली गांव में एक ठिकाने पर छापा मारा था और निशानदेही पर हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा बरामद करने का दावा किया था। उस पर करीब एक दर्जन मामले दर्ज हैं।
जानें कौन है सुखबीर बादल पर हमला करने वाला नारायण सिंह चौरा? बब्बर खालसा से है कनेक्शन

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पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर के बाहर जानलेवा हमला हुआ। स्वर्ण मंदिर के गेट पर सुखबीर बादल पर फायरिंग करने की कोशिश की गई। हालांकी वो इस हमले में बाल-बाल बच गए। सुखबीर बादल पर हमला करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की नारायण सिंह चौरा के तौर पर हुई है। आरोपी नारायण सिंह का क्रिमिनल बैकग्राउंड बताया जा रहा है। नारायण सिंह चौरा को खालिस्‍तानी आतंकी के रूप में जाना जाता है। वो बबर खालसा आतंकी संगठन से जुड़ा रहा है। वो चंडीगढ़ जेल ब्रेक कांड का भी आरोपी है।

बब्बर खालसा का पूर्व आतंकी है आरोपी

सुखबीर पर गोली चलाने के आरोपी की पहचान नारायण सिंह चौरा निवासी डेरा बाबा नानक के तौर पर हुई है। आरोपी गर्मपंथी है और दल खालसा से संबंध रखता है। हमलावर नारायण सिंह चौड़ा बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आतंकवादी रहा है। चौरा 1984 में पाकिस्तान गया था और आतंकवाद के शुरुआती चरण के दौरान पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में मददगार रहा है। पाकिस्तान में रहते हुए उसने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर एक किताब भी लिखी है। वह बुड़ैल जेलब्रेक मामले में भी आरोपी है। नारायण इससे पहले पंजाब की जेल में सजा काट चुका है।

आतंकियों की मदद करने का लगा था आरोप

चंडीगढ़ की बुरैल जेल से चार खालिस्तानी आतंकी साल 2004 में फरार हो गए थे। चारों कैदी 94 फुट लंबी सुरंग खोदकर जेल से भाग निकले थे। नारायण सिंह पर इन आतंकियों की मदद करे का आरोप है। हालांकि इस मामले में कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर कर दिया था।

खालिस्तान लिबरेशन फोर्स से संबंध

नारायण सिंह चौरा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत लंबे वक्‍त तक जेल में रहने के बाद बेल पर बाहर आया था। उसने अमृतसर सेंट्रल जेल में पांच साल गुजारे हैं। वो खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से जुड़ा हुआ था। उसे 28 फरवरी, 2013 को तरन तारन के जलालाबाद गांव से गिरफ्तार किया गया था। इसी दिन उसके साथी सुखदेव सिंह और गुरिंदर सिंह को भी पकड़ा गया था। उससे पूछताछ के आधार पर तब पुलिस ने मोहाली जिले के कुराली गांव में एक ठिकाने पर छापा मारा था और निशानदेही पर हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा बरामद करने का दावा किया था। उस पर करीब एक दर्जन मामले दर्ज हैं।

महाराष्ट्र को आज मिल सकता है मुख्यमंत्री, भाजपा विधायक दल की बैठक में फैसला संभव

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महाराष्‍ट्र का नया मुख्यमंत्री कौन होगा, इस प्रश्न पर से आज यानी बुधवार को पर्दा हट सकता है। आज महाराष्ट्र बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। इसमें विधायक अपना नेता चुनेंगे। सूत्रों के अनुसार, विधायक दल की बैठक के बाद बीजेपी अपने सहयोगी दलों के प्रमुख नेताओं के साथ उनके समर्थन पत्र लेकर 3.30 बजे राज्यपाल के पास जाएगी। इसमें महायुति के नेता भी होंगे। राज्यपाल से मिलकर बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।

बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने के लिए गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी मुंबई पहुंच गए हैं जबकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सुबह मुंबई पहुंच जाएंगी। जिसके बाद विधान भवन के सेंट्रल हॉल में बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। चर्चा है कि नेता चुने जाने के बाद कौन बनेगा मुख्यमंत्री से पर्दा उठ सकता है क्योंकि मुख्यमंत्री बीजेपी का बनेगा इसलिए रेस में अब भी देवेंद्र फडणवीस आगे चल रहे हैं। बीजेपी के विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद महायुति की बैठक होगी जिसमें नेता चुना जाएगा। फिर महायुति के नेता राजभवन जाएंगे, जहां राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।

मंत्री पद के बंटवारे के लिए फॉर्मूला तैयार

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले सत्तारूढ़ गठबंधन ने अभी तक मौजूदा मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि मंत्री पद के बंटवारे के लिए एक फॉर्मूला तैयार हो गया है। सत्ता का बंटवारा 6-1 के फॉर्मूले पर आधारित होगा यानी पार्टी के हर छह विधायकों पर एक मंत्री पद दिया जाएगा। इस फॉर्मूले के तहत 132 सीटें जीतने वाली भाजपा के पास सबसे ज्यादा मंत्री पद होंगे। इसके दो सहयोगी दलों - एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गुट के लिए भी यह फायदे का सौदा है। संख्या के हिसाब से भाजपा को 20 से 22 मंत्री पद मिल सकते हैं। एकनाथ शिंदे की पार्टी को 12 और एनसीपी के अजित पवार गुट को 9 से 10 मंत्री पद दिए जा सकते हैं।

नई सरकार का पांच दिसंबर को शपथ ग्रहण

शिवसेना के एक नेता ने कहा कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे मंत्रियों को महाराष्ट्र की नई सरकार में शामिल नहीं करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं और महायुति के अन्य सहयोगियों के बीच व्यापक सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि बुधवार को भाजपा विधायकों द्वारा अपने विधायक दल के नेता का चुनाव करने के बाद ही विभागों के आवंटन पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। नई सरकार पांच दिसंबर को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में शपथ लेगी।

सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमला, स्वर्ण मंदिर के पास गोली चली, बाल-बाल बचे
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* पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमला हुआ है। उनके ऊपर अमृतसर में फायरिंग हुई है। हालांकि जानकारी के मुताबिक वे बाल-बाल बच गए हैं। तत्काल उन्हें घेर लिया गया और सुरक्षा मुहैया कराई गई है। बता दें कि सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से दी गई धार्मिक सजा भुगतने श्री हरमंदिर साहिब पहुंचे थे। यह घटना अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के बाहर घटी जहां सुखबीर बादल पहरेदार के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर एक शख्स ने अचानक गोली चला दी।हालांकि मौके पर मौजूद लोगों ने उस व्यक्ति को पकड़ लिया। जानकारी के अनुसार, आरोपी की पहचान नारायण सिंह चाैड़ा के ताैर पर हुई है। आरोपी डेरा बाबा नानक का है और वह दल खालसा से संबंधित बताया जा रहा है। गोली चलाने के बाद पुलिस कर्मियों ने तुरंत उसे पकड़ लिया गया। पुलिस ने आरोपी का हाथ ऊपर कर दिया जिससे गोली हवा में चल गई। वारदात मेन गेट के सामने हुई।
*संभल जाने के लिए घर से निकले राहुल गांधी और प्रियंका, पार्टी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर रोका
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* कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी आज संभल जाएंगे, लेकिन प्रशासन ने एंट्री की इजाजत नहीं है। इस बीच राहुल और प्रियंका को रोकने के लिए प्रशासन ने बड़े स्तर पर तैयारी की है। राहुल गांधी के संभल दौरे से पहले ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी है। दिल्ली से बाहर जाने वाले रास्ते पर भारी पुलिस बल तैनात है। सड़क के एक साइट पर बैरिकेडिंग की है और वहीं यूपी गेट के नीचे वाले हिस्से को बैरिकेट से बंद कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित पांच लोगों का प्रतिनिधि मंडल संभल जाएगा। फिलहाल कांग्रेस के दिल्ली दफ्तर में कांग्रेस नेता बड़ी संख्या में मौजूद हैं। राहुल गांधी घर से निकल चुके हैं। उन्हें संभल जाने से रोकने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से पुख्ता तैयारी की गई है। उधर उन्हें रोकने के लिए संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने मंगलवार को पड़ोसी जिलों बुलंदशहर, अमरोहा, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के अधिकारियों को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि वे लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को अपने जिले की सीमा पर ही रोक लें। संभल के एसपी केके बिश्नोई ने भी राहुल गांधी से अपील की है कि वो अपना संभल दौरा टाल दें। इधर, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर आज भारी ट्रैफिक जाम देखा गया, जब कांग्रेस कार्यकर्ता लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के संभल दौरे को लेकर इकट्ठा हुए। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के गाजीपुर बॉर्डर पर आज सुबह से ही धीमी गति से यातायात देखा गया। इसकी वजह बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था का सख्त होना बताया जा रहा है। संभल में हाल ही में कोर्ट द्वारा शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद राहुल गांधी का दौरा काफी अहम हो गया है। राहुल के दौरे को लेकर भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। संभल प्रशासन ने 10 दिसंबर तक बाहरी शख्स की एंट्री पर रोक लगा रखी है।