हमले के वक्त गुरुद्वारे के बाहर क्या कर रहे थे सुखबीर बादल, जानें क्यों हुई धार्मिक सज़ा?
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* शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमला हुआ है। सुखबीर सिंह बादल को बुधवार की सुबह उस वक्त गोली मारने की कोशिश की गई जब वे अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में धार्मिक सजा काट रहे थे। अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल दरबार साहिब के गेट पर दरबान के रूप में अपनी सेवा दे रहे थे। तभी एक हमलावर सामने से आता है और उन पर पिस्तौल से हमला कर देता है। अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर सुखबीर सिंह बादल दरबार साहिब के गेट पर दरबान के रूप में क्यों तैनात थे? आखिर सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख़्त की ओर से सुनाई गई धार्मिक सेवा सज़ा क्या है? अकाल तख़्त सिख धर्म से जुड़ी सबसे बड़ी धार्मिक संस्था है और उसे ये अधिकार है कि वो अपराधों के लिए किसी भी सिख को तलब करे और उसके ख़िलाफ़ धार्मिक सज़ा का एलान करे, जिसे ‘तन्खाह’ कहते हैं। सिख परम्पराओं के अनुसार, अगर कोई सिख, सिख धर्म के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ काम करता है या सिख समुदाय की भावनाओें के विपरीत काम करता है तो उसे अकाल तख़्त की ओर से धार्मिक सज़ा सुनाई जा सकती है। तनखैया घोषित किया गया व्यक्ति ना तो किसी भी तख्त पर जा सकता है और ना किसी सिंह से अरदास करवा सकता है, अगर कोई उसकी तरफ से अरदास करता है तो उसे भी कसूरवार माना जाता है। अकाल तख्त साहिब की ओर से जब किसी शख्स को तनखैया करार दिया जाता है तो इस दौरान मिलने वाली सजा का कड़ाई से पालन करना होता है। दोषी व्यक्ति को पूरे सिखी स्वरूप में सेवा देनी होती है। उसे पांचों ककार (कच्छा, कंघा, कड़ा, केश और कृपाण) धारण करके रखने होते हैं। इसके अलावा शारीरिक स्वच्छता का भी पालन करना होता है।रोजाना अरदास में शामिल होना पड़ता है। सजा की अवधि तक व्यक्ति को गुरुद्वारा साहिब में ही रहना पड़ता है। मतलब घर जाने की भी मनाही रहती है। परिवार के सदस्य गुरुद्वारा साहिब में आकर मुलाकात कर सकते हैं, लेकिन दोषी व्यक्ति को वहां से बाहर जाने की अनुमति नहीं रहती है। दो दिसम्बर को सिख प्रतिनिधियों और सिखों के पांच प्रमुख धर्म स्थलों के मुखिया की अकाल तख़्त में मीटिंग हुई थी. और इसी मीटिंग में सुखबीर बादल समेत 2007 से 2017 के बीच उनके कैबिनेट में मंत्री रहे 17 लोगों को धार्मिक सज़ा दी गई। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रखवीर सिंह ने हजारों लोगों की मौजूदगी में अकाल तख्त की गैलरी से पढ़ कर सजा सुनाई। यह सजा सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम को माफी दिलाने, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और सिख युवाओं की हत्या करवाने वाले पुलिस अधिकारियों को उच्च पदों पर आसीन करने समेत कई पंथक गलतियों के लिए सुनाई गई। 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई थी। इसमें इन गलतियों के लिए 15 दिन के अंदर सुखवीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। 30 अगस्त को सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त ने तनखाहिया (पंधक गलतियों का दोषी) घोषित किया था। 24 जुलाई को सुखबीर ने बंद लिफाफे में अकाल तख्त को स्पष्टीकरण दिया था। साल 2007 से 2017 के बीच पंजाब में शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी की गठबंधन सरकार थी। दिवंगत अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल इस सरकार में मुख्यमंत्री थे जबकि सुखबीर बादल पार्टी के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री थे। अकाली दल के नेतृत्व पर सिख धर्म के सिद्धातों और सिख समुदाय की भावनाओं के विपरीत काम करने का आरोप है। साल 2015 में पंजाब के बरगारी में गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान हुआ था। गुरुग्रंथ साबिह के अपमान के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस फ़ायरिंग में दो सिख युवकों की मौत हो गई थी। कथित तौर पर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम के अनुयायियों पर अपमान करने के आरोप लगाए गए थे। अक्तूबर में राम रहीम के ख़िलाफ़ अपमान के मामले में सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही फिर से शुरू हुई। वहीं, साल 2007 में बठिंडा के सलबतपुरा में जुटे अपने अनुयायियों के बीच राम रहीम ने गुरु गोबिंद सिंह की नकल की थी। इस घटना के बाद डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों और सिखों के बीच झड़प हुई। साल 2007 में अकाल तख़्त ने राम रहीम के बहिष्कार का आदेश जारी किया था। यह सज़ा इस आरोप के तहत दी गई है कि 2007 में सिख समुदाय ने राम रहीम का बहिष्कार किया था इसके बावजूद अकाली नेतृत्व ने उनसे संबंध बनाए रखे। आरोप ये भी है कि कथित तौर पर अकाली नेतृत्व ने अकाल तख़्त की ओर से उन्हें माफ़ी दिलाने में मदद की। सोमवार को सुखबीर पांव में चोट लगी होने के कारण व्हील चेयर पर बैठकर अकाल तख्त के समक्ष पेश हुए। इस दौरान ज्ञानी रघवीर सिंह ने सुखबीर व पूर्व मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा को श्री दरबार साहिब के बाहर घंटाघर प्रवेश द्वार के समक्ष दो दिन के लिए एक-एक घंटा सेवादार की पोशाक पहन बरछा हाथ में लेकर सुबह नौ से दस बजे तक बैठना होगा। इस दौरान उन्हें अपने गले में अकाल तख्त की ओर से दी गई तख्ती भी पहननी होगी। उन्हें तख्त श्री केसगढ़ साहिब, तख्त श्री दमदमा साहिब, गुरुद्वारा मुक्तसर साहिब, गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब में एक-एक घंटा संगत के बर्तन व जूते साफ करने होंगे। इन गुरुद्वारों में उन्हें एक-एक घंटे तक कीर्तन का श्रवण भी करना होगा। सजा पूरी होने के बाद उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर 11 हजार रुपये की कड़ाह प्रसाद की देग और 11 हजार रुपये गुरु की गोलक में डालने की हिदायत दी गई है। जत्थेदार ने आदेश दिया कि सुखबीर का शिअद अध्यक्ष पद से दिया गया इस्तीफा तीन दिन में स्वीकार किया जाए। छह माह के भीतर पार्टी का पुनगर्ठन कर पार्टी के संविधान और लोकतांत्रिक ढंग से नए पदाधिकारियों का चयन किया जाए।
Dec 04 2024, 12:10