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महाराष्ट्र को आज मिल सकता है मुख्यमंत्री, भाजपा विधायक दल की बैठक में फैसला संभव

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महाराष्‍ट्र का नया मुख्यमंत्री कौन होगा, इस प्रश्न पर से आज यानी बुधवार को पर्दा हट सकता है। आज महाराष्ट्र बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। इसमें विधायक अपना नेता चुनेंगे। सूत्रों के अनुसार, विधायक दल की बैठक के बाद बीजेपी अपने सहयोगी दलों के प्रमुख नेताओं के साथ उनके समर्थन पत्र लेकर 3.30 बजे राज्यपाल के पास जाएगी। इसमें महायुति के नेता भी होंगे। राज्यपाल से मिलकर बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।

बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने के लिए गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी मुंबई पहुंच गए हैं जबकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सुबह मुंबई पहुंच जाएंगी। जिसके बाद विधान भवन के सेंट्रल हॉल में बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। चर्चा है कि नेता चुने जाने के बाद कौन बनेगा मुख्यमंत्री से पर्दा उठ सकता है क्योंकि मुख्यमंत्री बीजेपी का बनेगा इसलिए रेस में अब भी देवेंद्र फडणवीस आगे चल रहे हैं। बीजेपी के विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद महायुति की बैठक होगी जिसमें नेता चुना जाएगा। फिर महायुति के नेता राजभवन जाएंगे, जहां राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।

मंत्री पद के बंटवारे के लिए फॉर्मूला तैयार

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले सत्तारूढ़ गठबंधन ने अभी तक मौजूदा मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि मंत्री पद के बंटवारे के लिए एक फॉर्मूला तैयार हो गया है। सत्ता का बंटवारा 6-1 के फॉर्मूले पर आधारित होगा यानी पार्टी के हर छह विधायकों पर एक मंत्री पद दिया जाएगा। इस फॉर्मूले के तहत 132 सीटें जीतने वाली भाजपा के पास सबसे ज्यादा मंत्री पद होंगे। इसके दो सहयोगी दलों - एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गुट के लिए भी यह फायदे का सौदा है। संख्या के हिसाब से भाजपा को 20 से 22 मंत्री पद मिल सकते हैं। एकनाथ शिंदे की पार्टी को 12 और एनसीपी के अजित पवार गुट को 9 से 10 मंत्री पद दिए जा सकते हैं।

नई सरकार का पांच दिसंबर को शपथ ग्रहण

शिवसेना के एक नेता ने कहा कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे मंत्रियों को महाराष्ट्र की नई सरकार में शामिल नहीं करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं और महायुति के अन्य सहयोगियों के बीच व्यापक सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि बुधवार को भाजपा विधायकों द्वारा अपने विधायक दल के नेता का चुनाव करने के बाद ही विभागों के आवंटन पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। नई सरकार पांच दिसंबर को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में शपथ लेगी।

सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमला, स्वर्ण मंदिर के पास गोली चली, बाल-बाल बचे
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* पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमला हुआ है। उनके ऊपर अमृतसर में फायरिंग हुई है। हालांकि जानकारी के मुताबिक वे बाल-बाल बच गए हैं। तत्काल उन्हें घेर लिया गया और सुरक्षा मुहैया कराई गई है। बता दें कि सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से दी गई धार्मिक सजा भुगतने श्री हरमंदिर साहिब पहुंचे थे। यह घटना अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के बाहर घटी जहां सुखबीर बादल पहरेदार के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर एक शख्स ने अचानक गोली चला दी।हालांकि मौके पर मौजूद लोगों ने उस व्यक्ति को पकड़ लिया। जानकारी के अनुसार, आरोपी की पहचान नारायण सिंह चाैड़ा के ताैर पर हुई है। आरोपी डेरा बाबा नानक का है और वह दल खालसा से संबंधित बताया जा रहा है। गोली चलाने के बाद पुलिस कर्मियों ने तुरंत उसे पकड़ लिया गया। पुलिस ने आरोपी का हाथ ऊपर कर दिया जिससे गोली हवा में चल गई। वारदात मेन गेट के सामने हुई।
*संभल जाने के लिए घर से निकले राहुल गांधी और प्रियंका, पार्टी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर रोका
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* कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी आज संभल जाएंगे, लेकिन प्रशासन ने एंट्री की इजाजत नहीं है। इस बीच राहुल और प्रियंका को रोकने के लिए प्रशासन ने बड़े स्तर पर तैयारी की है। राहुल गांधी के संभल दौरे से पहले ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी है। दिल्ली से बाहर जाने वाले रास्ते पर भारी पुलिस बल तैनात है। सड़क के एक साइट पर बैरिकेडिंग की है और वहीं यूपी गेट के नीचे वाले हिस्से को बैरिकेट से बंद कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित पांच लोगों का प्रतिनिधि मंडल संभल जाएगा। फिलहाल कांग्रेस के दिल्ली दफ्तर में कांग्रेस नेता बड़ी संख्या में मौजूद हैं। राहुल गांधी घर से निकल चुके हैं। उन्हें संभल जाने से रोकने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से पुख्ता तैयारी की गई है। उधर उन्हें रोकने के लिए संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने मंगलवार को पड़ोसी जिलों बुलंदशहर, अमरोहा, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के अधिकारियों को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि वे लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को अपने जिले की सीमा पर ही रोक लें। संभल के एसपी केके बिश्नोई ने भी राहुल गांधी से अपील की है कि वो अपना संभल दौरा टाल दें। इधर, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर आज भारी ट्रैफिक जाम देखा गया, जब कांग्रेस कार्यकर्ता लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के संभल दौरे को लेकर इकट्ठा हुए। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के गाजीपुर बॉर्डर पर आज सुबह से ही धीमी गति से यातायात देखा गया। इसकी वजह बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था का सख्त होना बताया जा रहा है। संभल में हाल ही में कोर्ट द्वारा शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद राहुल गांधी का दौरा काफी अहम हो गया है। राहुल के दौरे को लेकर भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। संभल प्रशासन ने 10 दिसंबर तक बाहरी शख्स की एंट्री पर रोक लगा रखी है।
दिसंबर में भी ज्यादातर राज्यों में तापमान सामान्य से 3 से 5 डिग्री ज्यादा*

*अक्टूबर और नवंबर माह में बारिश न होने से ठंड में देरी,15 के बाद सर्दी के जोर पकड़ने की संभावना* रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव देश के अधिकतर इलाकों में न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा जा रहा है, जबकि दिसंबर का महीना शुरू हो चुका है। ज्यादातर राज्यों में न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री सेल्सियस तक अधिक है। आमतौर पर दिसंबर के पहले हफ्ते का तापमान 24 से 26 डिग्री के आसपास रहता है। इस बार सात दिसंबर तक तापमान 26 डिग्री से नीचे जाने की संभावना नहीं है। इसके 26 या 27 डिग्री पर रहने के आसार हैं। 2011 से अब तक दिसंबर के पहले हफ्ते में मौसम का ऐसा मिजाज नहीं दिखा था। इस बार दिसंबर का पहला हफ्ता पिछले एक दशक में सबसे गर्म हो सकता है। अक्तूबर और नवंबर माह में बारिश न होने के कारण ठंड का आगाज देरी से हो रहा है। 12 से 15 दिसंबर के बाद ही ठंड के जोर पकड़ने की संभावना है। अक्तूबर, नवंबर और दिसंबर में बारिश ठंड को बढ़ाने के लिए जरूरी होती है, लेकिन यह पूरी तरह से पश्चिमी विक्षोभ पर निर्भर है। इस बार कमजोर पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत को प्रभावित नहीं कर पा रहे हैं रहे हैं। इसीलिए ठंड के आगमन में देरी हुई है। मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिम बंगाल में गंगा के तटीय इलाकों, बिहार, पंजाब, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा और तटीय आंध्र प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक यानी सामान्य से काफी ज्यादा है। *पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम मध्य प्रदेश में तापमान गिरा* मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से 5 से 3 डिग्री सेल्सियस यानी काफी नीचे है। इसी प्रकार पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों, असम और मेघालय के अलग-अलग हिस्सों, सौराष्ट्र, कच्छ, कोंकण और गोवा में न्यूनतम तापमान सामान्य से 1 से 3 डिग्री सेल्सियस नीचे बना हुआ है। अगले पांच दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत में न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है। *अगले तीन दिनों के दौरान मध्य भारत में तापमान बढ़ेगा* मौसम विभाग के अनुसार, अगले तीन दिनों के दौरान मध्य भारत में न्यूनतम तापमान में धीरे-धीरे दो से तीन डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने के आसार हैं। इसी दौरान पश्चिम भारत में न्यूनतम तापमान में धीरे-धीरे दो से चार डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने का पूर्वानुमान लगाया गया है। दिल्ली और एनसीआर में न्यूनतम तापमान में दो डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और अधिकतम तापमान में मामूली वृद्धि रिकॉर्ड की गई है। दिल्ली में ऑधकतम तापमान 24 से 27 और न्यूनतम 10 से 13 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है। ज्यादातर इलाकों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य के आसपास दर्ज किया जा रहा है। *देश का अधिकतम तापमान 34.6 डिग्री* देशभर में अधिकतम और न्यूनतम तापमान की बात करें तो सोमवार को तटीय कर्नाटक के कारवार में अधिकतम तापमान 346 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, देश के मैदानी इलाकों में पश्चिम मध्य प्रदेश के नौगांव में न्यूनतम तापमान 7.2 डिग्री सेल्सियस रहा।
बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त तलब, जानें क्या है मामला?

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बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ढाका में मंगलवार को भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया है। यह घटना त्रिपुरा के अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग में हमले में एक दिन बाद हुई है। त्रिपुरा के अगरतला में स्थित बांग्लादेश के उप-उच्चायोग में हुई तोड़फोड़ के मामले में प्रणय वर्मा को बुलाया गया। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए त्रिपुरा के अगरतला स्थित उप उच्चायोग में वीजा और वाणिज्य दूतावास से जुड़े कामकाज भी रोकने का निर्णय भी लिया है।

सरकारी समाचार एजेंसी बांग्लादेश संगबाद संस्था (बीएसएस) ने कहा कि भारतीय दूत शाम 4 बजे विदेश मंत्रालय में दाखिल हुए। भारतीय उच्चायुक्त को कार्यवाहक विदेश सचिव रियाज हमीदुल्लाह ने तलब किया।

भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा ने मंगलवार को कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच “व्यापक और बहुआयामी संबंध” हैं और इसे “सिर्फ एक मुद्दे तक सीमित नहीं किया जा सकता।” द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, “हमारे बीच व्यापक और बहुआयामी संबंध हैं।” उन्होंने कहा कि भारत आपसी लाभ के लिए दोनों देशों के बीच “निर्भरता” का निर्माण करना चाहता है। वर्मा ने यह टिप्पणी ढाका में बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश सचिव रियाज हमीदुल्लाह से मुलाकात के बाद की।

भारत ने हमले की निंदा की

इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने पहले एक बयान में हमले को "बेहद खेदजनक" बताया और कहा कि किसी भी परिस्थिति में राजनयिक और वाणिज्य दूतावास की संपत्तियों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। भारत ने कहा, "सरकार नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग और देश में उनके उप/सहायक उच्चायोगों की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के लिए कार्रवाई कर रही है।" अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग पर भीड़ द्वारा हमला करने, परिसर में कथित तौर पर तोड़फोड़ करने और बांग्लादेशी 'राष्ट्रीय ध्वज' को जबरन हटाने के बाद सोमवार को सात लोगों को गिरफ्तार किया गया और तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित भी किया गया।

अगरतला में क्या हुआ था?

अगरतला में हजारों लोगों ने हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के साथ-साथ बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों के खिलाफ सोमवार को ढाका के मिशन के पास एक विशाल प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारी कथित तौर पर कुंजाबन क्षेत्र में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग में घुस गए और कथित तौर पर तोड़फोड़ की। अब बांग्लादेश इसी को लेकर नाराज है।

ये कैसा युद्धविराम? सीजफायर के बीच इजरायल ने लेबनान पर दागी मिसाइलें

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इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच सीजफायर पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, लेबनान में 27 नवंबर को हुए युद्धविराम के बावजूद दोनों पक्षों से हमले जारी हैं। हिजबुल्लाह के साथ लंबे समय से जारी युद्ध के बीच लागू हुए सीजफायर के बाद इजरायल ने लेबनान में अपना सबसे बड़ा एयर स्ट्राइक किया है। दो दिसंबर (सोमवार) को इजरायली लड़ाकू विमानों ने हिजबुल्लाह के ठिकानों पर कई मिसाइलें दागी। जिससे करीब 11 लोगों की मौत हुई है।इजरायल ने ये हमले लेबनान से हिजबुल्लाह के मोर्टार दागे जाने के बाद किए हैं। पिछले बुधवार को 60 दिनों के युद्ध विराम को प्रभावी होने के बाद हिजबुल्लाह का इजरायल के ऊपर मोर्टार दागे जाने का यह पहला मामला है।

27 नवंबर इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच करीब एक साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से युद्ध विराम हुआ था।हालांकि युद्ध विराम के बावजूद दोनों देश एक दूसरे पर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए युद्धविराम के प्रोटोकॉल को बार-बार तोड़ते नजर आ रह हैं।

एक बयान में इजरायली रक्षा बलों ने कहा कि लड़ाकू विमानों ने लेबनान में हिजबुल्लाह के ऑपरेटिव्स और दर्जनों रॉकेट लांचरों और आतंकी समूह से संबंधित सुविधाओं पर हमला किया। हिजबुल्लाह ने इसके पहले सोमवार को दावा किया था कि उसने पिछले सप्ताह हुए युद्ध विरम समझौते के बार-बार उल्लंघन के जवाब में मोर्टार दागे और इसे संघर्ष विराम के दौरान लेबनान पर आईडीएफ के हमलों के खिलाफ 'प्रारंभिक चेतावनी' बताया था।

आईडीएफ ने कहा कि हमले के दौरान उसने हिजबुल्लाह की सुविधाओं के अलावा माउंट डोव पर दो मोर्टार दागने के लिए इस्तेमाल किए गए लांचर को भी निशाना बनाया। इजरायली सेना के अनुसार, हमले के कुछ समय बाद ही साइट को निशाना बनाया गया। सेना ने कहा, 'इजराइल की मांग है कि लेबनान में संबंधित पक्ष अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करें और लेबनानी क्षेत्र के भीतर हिज्बुल्लाह की शत्रुतापूर्ण गतिविधि को रोकें। इजराइल लेबनान में युद्ध विराम समझौते की शर्तों को पूरा करने के लिए बाध्य है।

27 नवंबर की सुबह हुए युद्धविराम में यह तय किया गया है कि इजरायल लेबनान में नागरिक, सैन्य या अन्य सरकारी लक्ष्यों के खिलाफ आक्रामक सैन्य अभियान नहीं चलाएगा। वहीं लेबनान हिजबुल्ला समेत किसी भी सशस्त्र समूह को इजरायल के खिलाफ अभियान चलाने से रोकेगा। लेबनान और इजरायल ने पहले ही एक-दूसरे पर युद्धविराम के उल्लंघन का आरोप लगा चुके हैं।

ट्रंप ने भारत समेत ब्रिक्स देशों को क्यों दी चेतावनी, किस बात की है बौखलाहट?

#worried_about_the_dollar_trump_threatens_brics 

अमेरिकी के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अभी शपथ ग्रहण नहीं किया है। हालांकि, पदभार ग्रहण करने से पहले ही ट्रंप एक्शन में दिख रहे हैं। एक तरफ ट्रंप अपनी टीम बनाने में जुटे हैं, तो दूसरी तरफ अपनी धमकी भरी घोषणाओं से सनसनी फैलाने में लगे हैं। अब अमेरिका के नए चुने गए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स (BRICS) देशों को चेतावनी दी है। ट्रंप ने चेताया है कि अगर इन देशों ने अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में उसका कोई विकल्प लाने का प्रयास किया तो उन्हें अमेरिकी बाजार से हाथ धोना पड़ सकता है। बता दें कि ब्रिक्स में केवल रूस और चीन जैसे अमेरिका विरोधी माने जाने वाले देश ही नहीं हैं, बल्कि भारत, ब्राजील और साउथ अफ्रीका के साथ ही अब इजिप्ट, ईरान और यूएई भी शामिल हैं।

ट्रंप ने कहा है कि अगर ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, साऊथ अफ्रीका जैसे विकासशील देशों का समूह) देशों ने अमेरिकी डॉलर को रिप्लेस करने की कोशिश की तो उन पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा।यही नहीं, यहां तक कह दिया कि फिर वे देश अमेरिकी बाजार तक पहुंचने का ख्वाब छोड़ दें। अब बड़ा सवाल ये है कि ट्रंप की इस धमकी की वजह क्या है? क्या अमेरिका को अपने डॉलर का दबदबा घटता नजर आ रहा है? या फिर अमेरिका दुनियाभर के देशों के बदलते समीकरण से चिंतित है?

ट्रंप ने क्या कहा?

ट्रंप ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के अपने हैंडल पर लिखा, “डॉलर से दूर होने की ब्रिक्स देशों की कोशिश में हम मूकदर्शक बने रहें, यह दौर अब ख़त्म हो गया है। हमें इन देशों से प्रतिबद्धता की ज़रूरत है कि वे न तो कोई नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही ताक़तवर अमेरिकी डॉलर की जगह लेने के लिए किसी दूसरी मुद्रा का समर्थन करेंगे, वरना उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ़ का सामना करना पड़ेगा।”

ट्रंप ने लिखा, “अगर ब्रिक्स देश ऐसा करते हैं तो उन्हें शानदार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अपने उत्पाद बेचने को विदा कहना होगा। वे किसी दूसरी जगह तलाश सकते हैं। इसकी कोई संभावना नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में ब्रिक्स अमेरिकी डॉलर की जगह ले पाएगा और ऐसा करने वाले किसी भी देश को अमेरिका को गुडबॉय कह देना चाहिए।”

क्या ब्रिक्स करेंसी की आहट से डरा अमेरिका?

ट्रंप का यह बयान ब्रिक्स देशों के अक्टूबर में हुए शिखर सम्मेलन का जवाब माना जा रहा है, जिसमें नॉन-डॉलर ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई थी। हालांकि सम्मेलन के आखिर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन ने साफ कर दिया था कि सिस्टम सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशल टेलिकम्युनिकेशन (SWIFT) जैसी वित्तीय संरचना का विकल्प खड़ा करने की दिशा में अब तक ठोस कुछ नहीं किया गया है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि ब्रिक्स को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे उसकी छवि ऐसी बने कि वह वैश्विक संस्थानों की जगह लेना चाहता है।

अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करना चाहता है ब्रिक्स

बता दें कि ब्रिक्स 9 देशों का एक समूह है, जो अपने हितों को ध्यान में रखकर आपसी व्यापार को बढ़ावा देने का काम करता है। भारत इसका कोर मेंबर है। भारत, चीन, रूस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका ने 2009 में इस ग्रुप का गठन किया था। ब्रिक्स देशों ने वैश्विक व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने की दिशा में कदम उठाए हैं। इसका ताजा उदाहरण है, भारत और चीन द्वारा रूस से तेल खरीदना। इस सौदे के लिए डॉलर का उपयोग नहीं किया गया।

रूस और यूक्रेन में लड़ाई के चलते अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। इसके बाद, रूस, भारत और चीन ने अपनी-अपनी करेंसियों का इस्तेमाल करके व्यापार किया। अमेरिका को लग रहा था कि बिना डॉलर रूस का तेल बिक नहीं पाएगा, मगर ऐसा हुआ नहीं। भारत और चीन ने रूस से ताबड़तोड़ तेल खरीदा। ये बात अमेरिकी को काफी चुभी है।

दुनियाभर में कम हो रहा डॉलर का दबदबा?

बता दें कि दुनियाभर में डॉलर का दबदबा है, क्योंकि इसे ही व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। हर देश अपने रिजर्व में डॉलर को रखना चाहता है, क्योंकि किसी भी स्थिति में इसे इस्तेमाल किया जा सकता है। दूसरे देशों द्वारा डॉलर को रिजर्व मे रखने से इस करेंसी की मांग बढ़ी रहती है। इसके परिणामस्वरूप अमेरिका के लिए कर्ज लेना आसान हो जाता है और उसे कम ब्याज चुकानी पड़ती है।भारत या अन्य देशों को कर्ज लेने पर ज्यादा ब्याज दरें चुकानी पड़ती हैं। ऐसे में वह अपनी वित्तीय पूंजी की पूर्ति के लिए भी डॉलर का इस्तेमाल करता है। हालांकि, रूस-युक्रेन युद्ध के बाद से हालात बदले हैं। यह बदलाव अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती की तरह है।

चिन्मय दास के वकील रेगन आचार्य पर ‘क्रूर हमला’, इस्कॉन कोलकाता ने किया तोड़फोड़ का दावा


* इस्कॉन कोलकाता ने मंगलवार को दावा किया कि हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के दिन उनका प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों में से एक रेगन आचार्य पर सुनवाई के बाद “क्रूर हमला” किया गया। इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) कोलकाता के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने एक्स पर जाकर आचार्य के चैंबर के वीडियो पोस्ट किए, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि उसमें तोड़फोड़ की गई। राधारमण ने लिखा, “इस वीडियो में उनके चैंबर के साइनबोर्ड पर उनका नाम बंगाली में दिखाई दे रहा है।” उन्होंने पूछा कि कोई भी वकील पूर्व इस्कॉन पुजारी के लिए कैसे पेश हो सकता है “जब उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।” उल्लेखनीय है कि राधारमण के अकाउंट से यह पोस्ट अब डिलीट कर दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता का यह दावा बांग्लादेश की एक अदालत द्वारा चिन्मय की जमानत की सुनवाई स्थगित करने के कुछ घंटों बाद आया है, क्योंकि उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई वकील उपलब्ध नहीं था। आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, चिन्मय की अगली जमानत सुनवाई 2 जनवरी, 2025 को तय की गई है। बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता के रूप में काम करने वाले चिन्मय को पिछले सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था। साधु को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा, चिन्मय, जिन्हें इस्कॉन समुदाय के भीतर श्री चिन्मय कृष्ण प्रभु के नाम से भी जाना जाता है, बांग्लादेश में एक प्रभावशाली धार्मिक नेता हैं। उन्होंने पहले चटगाँव में इस्कॉन के लिए संभागीय आयोजन सचिव का पद भी संभाला था। इससे पहले दिन में, राधारमण ने दावा किया था कि बांग्लादेश में एक कानूनी मामले में चिन्मय का बचाव करने वाले अधिवक्ता रामेन रॉय पर "इस्लामवादियों" ने क्रूरतापूर्वक हमला किया था, जिन्होंने उनके घर में तोड़फोड़ भी की थी। इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष ने कहा था कि रामेन रॉय एक अस्पताल में अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि रॉय की "गलती" अदालत में चिन्मय दास का बचाव करना था। हमले में रॉय गंभीर रूप से घायल हो गए और फिलहाल वह आईसीयू में हैं और अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। गौरतलब है कि चिन्मय की गिरफ्तारी के बाद से बांग्लादेश में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है, जिससे ढाका और पूरे भारत में हिंदू और इस्कॉन समुदाय में भारी हंगामा मच गया है।
चीन की दक्षिणी महाद्वीप में धमक, अंटार्कटिका में पहला वायुमंडलीय निगरानी स्टेशन किया स्थापित
#china_expands_presence_in_antarctica_with_monitoring_station

* चीन ने अब अंटार्कटिका में अपना परचम लहराते हुए पहला वायुमंडलीय निगरानी स्टेशन स्थापित किया है।चीन मौसम विज्ञान प्रशासन (सीएमए) के अनुसार, पूर्वी अंटार्कटिका में लार्समैन हिल्स में स्थित, झोंगशान राष्ट्रीय वायुमंडलीय पृष्ठभूमि स्टेशन ने रविवार को काम करना शुरू कर दिया। चीन मौसम विज्ञान प्रशासन यानी सीएमए वेबसाइट पर सोमवार को प्रकाशित एक लेख में कहा गया कि यह स्टेशन "अंटार्कटिका के वायुमंडलीय घटकों में सांद्रता परिवर्तनों का सतत और दीर्घकालिक परिचालनात्मक अवलोकन करेगा, तथा क्षेत्र में वायुमंडलीय संरचना और संबंधित विशेषताओं की औसत स्थिति का विश्वसनीय प्रतिनिधित्व प्रदान करेगा।" हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, लेख में कहा गया है कि निगरानी डेटा "जलवायु परिवर्तन के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया का समर्थन करेगा"। यह चीन का नौवां चालू वायुमंडलीय निगरानी स्टेशन है और विदेश में इसका पहला स्टेशन है। इसके अलावा, चीन में वर्तमान में 10 नए वायुमंडलीय निगरानी स्टेशनों का परीक्षण किया जा रहा है। साल 2024 की शुरुआत में, चीन ने अंटार्कटिका में अपने विशाल 5वें शोध स्टेशन का संचालन किया, जिसमें 5,244 वर्ग मीटर का फर्श क्षेत्र है, जिसमें गर्मियों के दौरान 80 अभियान दल के सदस्यों और सर्दियों के दौरान 30 सदस्यों का समर्थन करने की सुविधाएँ हैं। अपने कॉम्पीटीटर संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह, चीन अंटार्कटिका में अपने 5 वैज्ञानिक अनुसंधान स्टेशनों और अंटार्कटिका में 2 के माध्यम से ध्रुवीय संसाधनों का पता लगाने के प्रयासों का विस्तार कर रहा है।
चीन की दक्षिणी महाद्वीप में धमक, अंटार्कटिका में पहला वायुमंडलीय निगरानी स्टेशन किया स्थापित
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* चीन ने अब अंटार्कटिका में अपना परचम लहराते हुए पहला वायुमंडलीय निगरानी स्टेशन स्थापित किया है।चीन मौसम विज्ञान प्रशासन (सीएमए) के अनुसार, पूर्वी अंटार्कटिका में लार्समैन हिल्स में स्थित, झोंगशान राष्ट्रीय वायुमंडलीय पृष्ठभूमि स्टेशन ने रविवार को काम करना शुरू कर दिया। चीन मौसम विज्ञान प्रशासन यानी सीएमए वेबसाइट पर सोमवार को प्रकाशित एक लेख में कहा गया कि यह स्टेशन "अंटार्कटिका के वायुमंडलीय घटकों में सांद्रता परिवर्तनों का सतत और दीर्घकालिक परिचालनात्मक अवलोकन करेगा, तथा क्षेत्र में वायुमंडलीय संरचना और संबंधित विशेषताओं की औसत स्थिति का विश्वसनीय प्रतिनिधित्व प्रदान करेगा।" हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, लेख में कहा गया है कि निगरानी डेटा "जलवायु परिवर्तन के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया का समर्थन करेगा"। यह चीन का नौवां चालू वायुमंडलीय निगरानी स्टेशन है और विदेश में इसका पहला स्टेशन है। इसके अलावा, चीन में वर्तमान में 10 नए वायुमंडलीय निगरानी स्टेशनों का परीक्षण किया जा रहा है। साल 2024 की शुरुआत में, चीन ने अंटार्कटिका में अपने विशाल 5वें शोध स्टेशन का संचालन किया, जिसमें 5,244 वर्ग मीटर का फर्श क्षेत्र है, जिसमें गर्मियों के दौरान 80 अभियान दल के सदस्यों और सर्दियों के दौरान 30 सदस्यों का समर्थन करने की सुविधाएँ हैं। अपने कॉम्पीटीटर संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह, चीन अंटार्कटिका में अपने 5 वैज्ञानिक अनुसंधान स्टेशनों और अंटार्कटिका में 2 के माध्यम से ध्रुवीय संसाधनों का पता लगाने के प्रयासों का विस्तार कर रहा है।