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चीन के साथ कैसे सुधरे संबंध? एस जयशंकर ने लोकसभा में बताई कूटनीतिक कामयाबी की कहानी*
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भारत-चीन के संबंध में हाल के दिनों में बेहतर हुए हैं। गलवां घाटी झड़प के बाद दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। हालांकि, कई दौर के बातचीत के बाद संबंध पटरी पर लौटे हैं। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को लोकसभा में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मौजूदा हालात की जानकारी दी और बताया कि अब हालात बेहतर हैं।जयशंकर ने साफ किया कि पूर्वी लद्दाख के इलाकों में डिसइंगेजमेंट पूरी तरह पूरा हो चुका है। अब दोनों देश आगे तनाव न हो इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन एलएसी पर सीमा विवाद खत्म करने के लिए दशकों से बात कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमलोग आपसी सहमति से विवाद हल करने के लिए सहमत हुए हैं। उन्होंने बताया कि मई-जून 2020 में चीन ने एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की थी जिसके बाद भारतीय सैनिकों को पेट्रोलिंग में दिक्कत आई थी। गलवां में हुए तनाव के बाद दोनों देशों के बीच तनातनी काफी बढ़ गई थी। इसके बाद भारत ने भी एलएसी पर बड़ी संख्या में हथियार और सैनिकों की तैनाती की थी। जयशंकर ने आगे कहा कि यह सदन जानता है कि चीन ने 1962 के युद्ध और उससे पहले की घटनाओं में अक्साई चिन के 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर लिया था। इसके अलावा पाकिस्तान ने 1963 में चीन को 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र अवैध रूप से सौंप दिया था। भारत और चीन ने सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कई दशकों से बातचीत की है। एस जयशंकर ने कहा, हम एक निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य सीमा समाधान के लिए बायलेट्रल बातचीत के माध्यम से चीन के साथ जुड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। *कोई भी पक्ष स्थिति से छेड़छाड़ नहीं करेगा- विदेश मंत्री* विदेश मंत्री ने आगे कहा कि, सीमा पर हालात सुधारने के लिए दोनों देश प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने बताया कि, कोई भी पक्ष स्थिति से छेड़छाड़ नहीं करेगा और सहमति से ही सभी मसलों का समाधान किया जाएगा। चीन से बातचीत के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, सीमा पर हालात सामान्य होने के बाद ही चीन से बातचीत की गई है। *एलएसी पर बहाली के लिए सेना को श्रेय- विदेश मंत्री* विदेश मंत्री ने कहा कि, एलएसी पर बहाली का पूरा श्रेय सेना को जाता है। उन्होंने आगे कहा कि, कूटनीतिक पहल से सीमा पर हालात सामान्य हुए हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच सहमति बनी है कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं किया जाएगा और साथ ही दोनों देशों के बीच पुराने समझौतों का पालन किया जाएगा। सीमा पर शांति के बिना भारत-चीन के संबंध सामान्य नहीं रह सकते। *विवादित जगह से हटीं दोनों देशों की सेनाएं* बता दें कि बीते 21 अक्तूबर को भारत और चीन की सेनाओं ने विवादित पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से अपने-अपने सामान समेटने शुरू किए थे और नवंबर महीने से पहले ही इसे पूरा कर लिया गया था। भारत और चीन के संबंध 2020 के जून में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प के बाद काफी बिगड़ गए थे। यह झड़प दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष थी।
भारत के साथ क्यों दुश्मनी साध रहा बांग्लादेश? अब भारतीय चैनलों पर रोक लगाने की मांग
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* बांग्लादेश में जिस तरह के हालात पैदा हुए है, उसके बाद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पड़ोसी देश पूरी तरह से कट्टरपंथियों के हाथों की कठपुतली बनता जा रहा है। वहां भारत और हिंदू विरोधी गतिविधियों में भी इजाफा हुआ है। बांग्‍लादेश में हिंदुओं पर हमले और अत्‍याचारों में बेतहाशा बढ़ोंतरी देखी जा रही है। हिंदुओं पर हमलों, मंदिरों को तोड़ने, देवी-देवताओं की मूर्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। इस बीच बांग्लादेश में भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर भी बैन लगाने की मांग की गई है। बांग्लादेश हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई है, जिसमें भड़काऊ समाचारों के प्रसारण का हवाला देते हुए देश में सभी भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया है। ‘ढाका ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, वकील इखलास उद्दीन भुइयां ने इस संबंध में याचिका दायर की है। भुइयां ने बताया कि न्यायमूर्ति फातिमा नजीब और न्यायमूर्ति सिकदर महमूदुर रजी की पीठ इस मामले में सुनवाई कर सकती है। *भारतीय चैनलों पर भड़काऊ खबरें प्रसारित करने का आरोप* इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि भारतीय चैनलों पर भड़काऊ खबरें प्रसारित की जा रही हैं और बांग्लादेशी संस्कृति का विरोध करने वाली सामग्री का अनियंत्रित प्रसारण युवाओं को बर्बाद कर रहा है। भुइयां की याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि भारतीय चैनल बांग्लादेश में किसी भी स्थानीय नियमन का पालन किए बिना काम करते हैं। ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, याचिका में यह भी सवाल उठाया गया है कि बांग्लादेश में भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने वाला नियम क्यों नहीं जारी किया जाना चाहिए। *इन चैनलों को बैन करने की मांग* खबर में कहा गया है कि ‘केबल टेलीविजन नेटवर्क ऑपरेशन एक्ट 2006’ की धारा 29 के तहत बांग्लादेश में सभी भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की गई है। खबर में बताया गया कि ‘स्टार जलसा’, ‘स्टार प्लस’, ‘जी बांग्ला’, ‘रिपब्लिक बांग्ला’ और अन्य सभी भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया है। *तख्तापलट के बाद भारत-बांग्लादेश के रिश्ते बिगड़े* 5 अगस्त 2024 को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटाए जाने के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंधों में गिरावट आई है। तब से, बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ हिंसक हमलों में वृद्धि देखी गई है, जिससे अधिक सुरक्षा और समर्थन की मांग उठ रही है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है, मंदिरों को नष्ट किया जा रहा है, 25 अक्टूबर को चटगांव में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने और देशद्रोह के आरोप में इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तार किया गया था। इसके बाद से तनाव और बढ़ गया है। 27 नवंबर को चटगांव कोर्ट बिल्डिंग क्षेत्र में पुलिस और दास के कथित अनुयायियों के बीच झड़पों के दौरान एक वकील की मौत के बाद तनाव और बढ़ गया। भारत ने कई बार बांग्लादेश की स्थिति के बारे में चिंता जताई है और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है।
अभी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे चिन्मय दास, हमले के बाद वकील नहीं हुआ पेश, जमानत पर सुनवाई 2 जनवरी तक टली
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* बांग्लादेश में देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु अभी जेल में ही बंद रहेंगे। चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर होने वाली सुनवाई मंगलवार को टाल दी गई। चटगांव की अदालत में इस मामले में चिन्मय दास की तरफ से दलील रखने के लिए कोई वकील मौजूद नहीं था। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई टाल दी। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास के मामले की पैरवी कर रहे वकील रमन रॉय पर जानलेवा हमला हुआ है। वह गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। चिन्मय दास के वकील पर पहले भी जानलेवा हमला हुआ है, जिसके बाद से नए वकील उनका केस लड़ने को तैयार नहीं हैं। कोर्ट में सरकार ने उनकी जमानत का विरोध किया और अतिरिक्त समय की माँग की। अब 2 जनवरी तक चिन्मय दास जेल में ही रहेंगे। इस घटना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति और कट्टरपंथी दबाव को फिर उजागर कर दिया है। इससे पहले इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास ने सोमवार को दावा किया था कि चिन्मय दास का केस लड़ने वाले वकील रमन रॉय पर बुरी तरह से हमला किया गया और वो फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं। राधारमण दास ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में रमन रॉय की तस्वीर के साथ कहा कि रॉय की गलती केवल इतनी थी कि उन्होंने चिन्मय प्रभु का कानूनी बचाव किया। उन्होंने दावा किया कि इस्लामिक कट्टपंथियों ने रॉय के घर में घुसकर हमला किया। हमले में रॉय गंभीर घायल हो गए और फिलहाल आईसीयू में भर्ती हैं। इसके साथ ही उन्होंने आईसीयू के अंदर भर्ती वकील की तस्वीर भी पोस्ट की है। *चिन्मय दास की गिरफ्तारी?* बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार की बेदखली के बाद अल्पसंख्यकों खासतौर पर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में इजाफा हुआ है, इसके खिलाफ वहां मौजूद हिंदू संगठन लगातार आवाज उठा रहे हैं। सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता और पूर्व इस्कॉन लीडर चिन्मय कृष्ण दास ने भी हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के मामलों में न्याय की मांग करते हुए पिछले महीने के अंतिम सप्ताह में एक रैली की थी। चिन्मय दास समेत 19 लोगों पर इस रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है। बांग्लादेश की सरकार का कहना है कि उन्हें किसी धार्मिक लीडर के तौर पर नहीं बल्कि राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। *हमलों के डर में इस्कॉन के अनुयायी और संत* बांग्लादेश में इस्कॉन के अनुयायियों में दहशत बनी हुई है। हमलों की आशंका के चलते इस्कॉन ने ढाका को छोड़कर चटगांव, कुश्तिया, खुलना और मयमनसिंह शहरों में मंदिर के बाहर अपने सभी कार्यक्रम बंद कर दिए हैं। इस्कॉन के अनुयायी और संतों ने भगवा कपड़ों में मंदिर से बाहर निकलना बंद कर दिया है, वे अब सादे कपड़ों में ही बाहर जा रहे हैं। उन्हें डर है कि भगवा कपड़ों में देखकर उन्हें तरह-तरह की टिप्पणियों और हमलों का सामना करना पड़ेगा। बता दें कि बांग्लादेश में इस्कॉन के 75 से ज्यादा मंदिर हैं। उनके 60 हजार फुल टाइम मेंबर हैं जबकि 2 लाख से ज्यादा प्राइमरी मेंबर हैं।
संसद में संभल पर संग्रामःअखिलेश बोले-भाईचारे को गोली मारी गई, पुलिस पर हो हत्या का केस
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* संसद के शीतकालीन सत्र का मंगलवार को छठवां दिन है। सदन शुरू होने से पहले विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेताओं ने अडाणी और उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हुए।संभल हिंसा के मुद्दे पर विपक्षी सांसदों ने लोकसभा से वॉक आउट किया। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संभल हिंसा का मुद्दा उठाया, इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाने के लिए कहा। इस पर अखिलेश यादव और उनकी पार्टी के सांसदों ने सदन से वॉक आउट कर दिया। साथ ही कांग्रेस सांसद भी वॉक आउट कर गए। हालांकि बाद में प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी सांसद वापस सदन में लौट आए। *संभल की घटना सोची-समझी रणनीति के तहत-अखिलेश* अखिलेश यादव ने संभल हिंसा पर लोकसभा में बोलते हुए कहा कि 'संभल की घटना सोची-समझी रणनीति के तहत हुई है। भाजपा के शुभचिंतक बार-बार खुदाई की जो मांग कर रहे हैं, वह खुदाई देश के सौहार्द को खो देगी। उत्तर प्रदेश का उपचुनाव था, पहले चुनाव 13 तारीख को होना था, उसे बढ़ाकर 20 तारीख को कर दिया गया। अखिलेश यादव ने कहा कि मासूम लोगों पर गोलियां चलाई गईं। अखिलेश यादव ने कहा कि संभल में जो घटना हुई है, वह एक सोची समझी साजिश है और संभल के भाईचारे को गोली मारने का काम हुआ है। भाजपा और उसके सहयोगी दलों द्वारा पूरे देश में खुदाई की बातें देश के भाईचारे को खो देगी।' *पुलिस प्रशासन जिम्मेदार--अखिलेश* अखिलेश यादव ने कहा कि संभल कोर्ट में एक याचिका डाली गई। कोर्ट ने बिना दूसरे पक्ष को सुने बगैर सर्वे का आदेश दिया। इसके बाद संभल के डीएम और प्रशासन के लोग आदेश को पढ़े बगैर सर्वे कराने वहां पहुंच गए। संभल का माहौल का बिगाड़ने में याचिका दायर करने वालों के साथ पुलिस प्रशासन जिम्मेदार है। *राज्यसभा में राम गोपाल ने उठाया संभल का मामला* वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने 24 दिसंबर को एक घटना के दौरान उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पुलिस की बर्बरता का आरोप लगाया। राम गोपाल के अनुसार, स्थानीय लोगों को इसके उद्देश्य के बारे में बताए बिना सुबह से ही जिले में व्यापक पुलिस तैनाती की गई थी। राज्यसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), वकील और अन्य लोग ढोल-नगाड़ों के साथ एक मस्जिद में घुस गए, जिससे भीड़ में संदेह पैदा हो गया। उन्हें बर्बरता का डर था। उन्होंने दावा किया कि अशांति तब शुरू हुई जब सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) ने मस्जिद के अंदर पानी की टंकी खोली, जिससे संभावित छेड़छाड़ को लेकर स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई। कथित तौर पर अशांति हिंसा में बदल गई, जिसके दौरान पुलिस ने गोलियां चलाईं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई मामले दर्ज किए गए, कई व्यक्तियों को जेल में डाल दिया गया और बंदियों को गंभीर रूप से पीटा गया।
ओलंपिक मेडल जीतने वाली पीवी सिंधु बनेंगी दुल्हन, इस दिन लेंगी 7 फेरे
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* दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधू जल्द ही नई पारी का आगाज करने वाली हैं। भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु शादी करने जा रही हैं। 22 दिसंबर को उदयपुर में पीवी सिंधू हैदराबाद के वेंकट दत्ता साई से शादी करने वाली हैं।वेंकट दत्ता साई पोसाइडेक्स टेक्नोलॉजीस में कार्यकारी निदेशक हैं। ये खुलासा पीवी सिंधू के पिता ने किया है। हाल ही में पीवी सिंधू ने लखनऊ में हुए सैयद मोदी इंटरनेशनल में खिलात जीता था। सिंधु के पिता पीवी रमन ने सोमवार रात लखनऊ में कहा- 'दोनों परिवार एक-दूसरे को जानते थे लेकिन एक महीने पहले ही सब कुछ तय हुआ। यह एकमात्र संभावित समय था क्योंकि जनवरी से उसका (सिंधू का) कार्यक्रम काफी व्यस्त रहने वाला है।' सिंधु के पिता ने कहा, 'यही कारण है कि दोनों परिवारों ने 22 दिसंबर को शादी समारोह आयोजित करने का फैसला किया। रिसेप्शन 24 दिसंबर को हैदराबाद में होगा। वे जल्द ही अपनी ट्रेनिंग शुरू कर देंगी, क्योंकि अगला सीजन काफी महत्वपूर्ण होने वाला है।' शादी से जुड़े कार्यक्रम 20 दिसंबर से शुरू होंगे। *2 साल बाद कोई टाइटल जीता* 29 साल की भारतीय स्टार पीवी सिंधु ने सोमवार रात सैयद मोदी इंटरनेशनल बैडमिंटन टूर्नामेंट का टाइटल जीत लिया। उन्होंने चीन की वू लुओ यू को 21-14, 21-16 से हराया। सिंधु ने 2 साल 4 महीने बाद कोई टाइटल जीता था। उन्होंने जुलाई 2022 में आखिरी टाइटल जीता था। भारतीय स्टार ने कहा था- 'इस जीत से मेरा आत्म विश्वास बढ़ेगा। 29 वर्ष का होना मेरे लिए कई मायनों में फायदेमंद है। मेरे पास काफी अनुभव है। मैं निश्चित रूप से कुछ वर्षों तक खेलूंगी।' *विश्व चैंपियनशिप में जीत चुकी हैं 5 मेडल* पीवी सिंधु को भारत की सबसे दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक माना जाता है, जिन्होंने 2019 में स्वर्ण सहित विश्व चैंपियनशिप में पांच पदक जीते हैं। इसके अलावा उन्होंने ओलंपिक खेलों में रजत और कांस्य पदक भी जीता है। इस चैंपियन बैडमिंटन खिलाड़ी ने रियो 2016 और टोक्यो 2020 में लगातार ओलंपिक पदक जीते। वह ओलंपिंक में दो मेडल जीतने वाली कुल चौथी भारतीय प्लेयर हैं। उनके अलावा मनु भाकर, सुशील कुमार और नीरज चोपड़ा ओलंपिक में दो मेडल जीत चुके हैं। सिंधु ने साल 2017 में करियर की सर्वश्रेष्ठ विश्व रैंकिंग नंबर दो हासिल की।
बांग्लादेश में नहीं थम रहा बवाल, अब चिन्मय दास के वकील पर जानलेवा हमला, आज जमानत पर होनी थी सुनवाई*
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बांग्लादेश में अल्पसंख्यक कहे जाने वाले हिंदुओं पर लगातार हमला हो रहा है। शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में हिंदू लगातार टारगेट पर हैं। बांग्लादेश में जब से मोहम्मद युनूस की सरकार आई है तब से हिंदू टारगेट पर हैं। इसी क्रम में बांग्लादेश में गिरफ्तार किए गए हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास के मामले की पैरवी कर रहे वकील रमन रॉय पर जानलेवा हमला हुआ है। वह गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यह जानकारी दी है। राधारमण दास ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में रमन रॉय की तस्वीर के साथ कहा कि रॉय की गलती केवल इतनी थी कि उन्होंने चिन्मय प्रभु का कानूनी बचाव किया। उन्होंने दावा किया कि इस्लामिक कट्टपंथियों ने रॉय के घर में घुसकर हमला किया। हमले में रॉय गंभीर घायल हो गए और फिलहाल आईसीयू में भर्ती हैं। इसके साथ ही उन्होंने आईसीयू के अंदर भर्ती वकील की तस्वीर भी पोस्ट की है। *चिन्मय दास की जमानत पर होनी है सुनवाई* यह घटना ऐसे समय में हुई है जब 3 दिसम्बर यानी आज को चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर अदालत में सुनवाई होनी है। बांग्लादेश में हिंदुओं समेत दूसरे अल्पसंख्यकों पर हमलों के खिलाफ आवाज उठाने वाले चिन्मय कृष्ण दास को बीते सप्ताह सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिया था। वे एक रैली में भाग लेने के लिए चटगांव जा रहे थे। उनके खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाया गया है। भारत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर आपत्ति जताई थी। *क्यों हुई चिन्मय दास की गिरफ्तारी?* बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार की बेदखली के बाद अल्पसंख्यकों खासतौर पर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में इजाफा हुआ है, इसके खिलाफ वहां मौजूद हिंदू संगठन लगातार आवाज उठा रहे हैं। सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता और पूर्व इस्कॉन लीडर चिन्मय कृष्ण दास ने भी हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के मामलों में न्याय की मांग करते हुए पिछले महीने के अंतिम सप्ताह में एक रैली की थी। चिन्मय दास समेत 19 लोगों पर इस रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है। बांग्लादेश की सरकार का कहना है कि उन्हें किसी धार्मिक लीडर के तौर पर नहीं बल्कि राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
राजनीति में हर किसी को बड़े पद की लालसा...नितिन गडकरी का इशारा किसकी तरफ
#politics_ocean_of_dissatisfied_souls_everyone_unhappy_gadkari_statement * महाराष्ट्र में सरकार गठन में देरी हो रही है। बीजेपी, शिवसेना(शिंदे) और एनसीपी(अजीत) के गठबंधन वाली महायुति ने राज्य में बंपर जीत हासिल की है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आए 10 दिन हो चुके हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री पद को लेकर बात नहीं बन पा रही है। इस बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बड़ा बयान सामने आया है। नीतिन गडकरी ने कहा कि राजनीति ‘असंतुष्ट आत्माओं का सागर’ है यहां हर व्यक्ति दुखी है। कोई भी इंसान अपने वर्तमान पद से खुश नहीं है क्योंकि हर व्यक्ति को ऊंचे पद की आकांक्षा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार (2 दिसंबर) को महाराष्ट्र के नागपुर में एक किताब ’50 गोल्डन रूल्स ऑफ लाइफ के लॉन्च में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि जीवन समझौतों, मजबूरियों, सीमाओं और विरोधाभासों का खेल है। गडकरी ने कहा कि व्यक्ति अगर पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक या कॉर्पोरेट में है तो उसका जीवन चुनौतियों से भरा रहता है। व्यक्ति को उनका सामना करने के लिए ‘जीवन जीने की कला’ को समझना चाहिए मंत्री ने राजस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम को याद करते हुए कहा, ‘‘राजनीति असंतुष्ट आत्माओं का सागर है, जहां हर व्यक्ति दुखी है। जो पार्षद बनता है वह इसलिए दुखी होता है क्योंकि उसे विधायक बनने का मौका नहीं मिला और विधायक इसलिए दुखी होता है क्योंकि उसे मंत्री पद नहीं मिल सका।’’ भाजपा नेता ने कहा, ‘‘जो मंत्री बनता है वह इसलिए दुखी रहता है कि उसे अच्छा मंत्रालय नहीं मिला और वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाया तथा मुख्यमंत्री इसलिए तनाव में रहता है क्योंकि उसे नहीं पता कि कब आलाकमान उसे पद छोड़ने के लिए कह देगा।’’ उन्होंने कहा कि जीवन में समस्याएं बड़ी चुनौतियां पेश करती हैं और उनका सामना करना तथा आगे बढ़ना ही ‘‘जीवन जीने की कला’’ है। गडकरी का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है। कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। वहीं, कुछ लोग कयास लगा रहे हैं कि मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह महाराष्ट्र में भी बीजेपी चौंकाते हुए किसी नए चेहरे को सीएम बना सकती है।
महाराष्ट्र में सीएम पर सस्पेंस कब तक? 4 दिसंबर को बीजेपी विधायक दल की बैठक में होगा फैसला*
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महाराष्ट्र का नया सीएम कौन होगा? 23 नवंबर को आए विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद से लगातार ये सवाल बरकरार है। हालांकि, अब कहा जा रहा है कि ये सस्पेंस 4 दिसंबर को खत्म हो जाएगा।बीजेपी ने 4 दिसंबर को विधायक दल की बैठक बुलाई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को इस बैठक के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। वे मुंबई आकर विधायकों से चर्चा करेंगे और मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगाएंगे। *सरकार गठन मे देरी से बढ़ा सस्पेंस* सूत्रों के मुताबिक, महाराष्‍ट्र में देवेंद्र फडणवीस ही मुख्‍यमंत्री होंगे।बीजेपी आलाकमान ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है।देवेंद्र फडणवीस शुरुआत से ही इस रेस में आगे चल रहे हैं। उनके नाम को लेकर तीनों दलों में सहमत‍ि भी नजर आ रही है।लेकिन अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। इस देरी ने सस्पेंस को और बढ़ा दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी कोई बड़ा सरप्राइज देने की तैयारी में है? *सरप्राइज मॉडल लागू करेगी बीजेपी?* राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी राजस्थान और मध्य प्रदेश की तरह महाराष्ट्र में भी सरप्राइज देने की तैयारी कर रही है. चर्चा यह भी है कि गृह विभाग की जिम्मेदारी को लेकर शिंदे गुट की कुछ शर्तें हैं, जो सीएम के नाम पर अंतिम फैसला लेने में अड़चन पैदा कर रही हैं. *फडणवीस ने शिंदे और पवार से फोन पर की बात* इधर, सोमवार सुबह देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे को फोन क‍िया। कहा जा रहा है क‍ि उन्‍होंने हालचाल जाना। लेकिन सूत्रों का ये भी दावा है क‍ि उन्‍होंने एकनाथ शिंदे को मनाने की कोश‍िश की है। उधर, अज‍ित पवार के खुला समर्थन देने से एकनाथ शिंदे भी कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं। उनकी सौदेबाजी की ताकत कम हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे को शपथ ग्रहण समारोह के बारे में बताया. शिंदे ने सुझाव द‍िया क‍ि मंत्रालयों के बंटवारे पर गृहमंत्री अमित शाह को फैसला करना चाह‍िए। सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद फडणवीस ने एनसीपी नेता अज‍ित पवार को भी फोन क‍िया था। भले ही महाराष्ट्र में सीएम को लेकर सस्पेंस बरकरार है लेकिन, शपथ ग्रहण की तारीख तय हो गई है। बीजेपी नेताओं ने 5 दिसंबर को शपथग्रहण की तैयारी की पुष्टि की है। मुंबई के आजाद मैदान में यह आयोजन होने की संभावना है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेता शामिल होंगे।
लोकसभा में सिटिंग प्लानःगडकरी के बैठने की जगह बदली, जानें अब बैठेंगी प्रियंका? ऐसा है नया सीटिंग अरेंजमेंट*
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देश की सबसे बड़ी पंचायत में सीटों की व्यवस्था तय कर दी गई है। 18वीं लोकसभा में सीटों में बैठने के क्रम में थोड़ा बदलाव किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लोकसभा में सीट नंबर एक आवंटित की गई है, जबकि अगली पंक्ति के दूसरी तरफ उनके सामने वाली सीट विपक्ष के नेता राहुल गांधी के लिए निर्धारित की गई है। लोकसभा सचिवालय की ओर जारी लेटर के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पहले दूसरे कॉलम में डिवीजन नंबर 58 आवंटित किया गया था, लेकिन अब उन्हें गृह मंत्री अमित शाह के बगल वाली सीट संख्या चार दी गई है। वहीं पहली बार लोकसभा पहुंचीं प्रियंका गांधी की सीट भी निर्धारित कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय ने एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें पार्टियों से मिले इनपुट के आधार पर लोकसभा स्पीकर ने सीटों का आवंटन किया हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के पास ट्रेजरी बेंच में पहली तीन सीटें होंगी। पीएम मोदी की सीट नंबर 1 है। पीएम के बाद पहली पंक्ति में राजनाथ सिंह, अमित शाह बैठेंगे। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी अगली पंक्ति में सीटें आवंटित की गई हैं। भारी उद्योग मंत्री और जनता दल (सेक्युलर) नेता एचडी कुमारस्वामी, मत्स्य पालन मंत्री और जदयू के नेता राजीव रंजन सिंह, नागरिक उड्डयन मंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के नेता राममोहन नायडू, एमएसएमई मंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी को एनडीए के कोटे से अग्रिम पंक्ति की सीटें मिली है। हाल ही में वायनाड लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतने वाली कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को सीट नंबर 517 आवंटित की गई है, जो चौथी लाइन में है। विपक्ष की ओर से पहली कतार में पहली सीट पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी बैठेंगे। उनकी सीट का नंबर 498 है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव विपक्षी दीर्घा की आगे की पंक्ति में सीट संख्या 355 पर बैठेंगे।अखिलेश यादव तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता सुदीप बंदोपाध्याय के बगल में बैठेंगे। टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी, कल्याण बनर्जी और सौगत रॉय को दूसरी पंक्ति में क्रमशः 280, 281 और 284 नंबर की सीटें आवंटित की गई हैं। द्रमुक नेता टी आर बालू और ए राजा को भी आगे की पंक्ति में सीटें आवंटित की गई हैं।
दिल्ली की दहलीज पर डटे किसान, इन मांगों पर हैं अड़े, सात दिनों में बनेगी बात?*
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दिल्ली कूच कर रहे किसानों ने अगले एक सप्ताह के लिए अपने आंदोलन पर ब्रेक लगा दिया है। हालांकि, वे इस दौरान किसान दलित प्रेरणा स्थल पर डटे रहेंगे।किसानों ने कहा कि अगर सात दिनों के भीतर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे फिर से दिल्ली की ओर कूच करेंगे। उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 5,000 किसानों ने सोमवार को संसद तक अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू किया। अपनी दस मांगों को लेकर निकले किसानों को किसी तरह पुलिस ने बॉर्डर पर रोका। हालांकि, ये ब्रेक अभी अस्थायी है। अधिकारियों के आश्वासन पर किसानों का कहना है कि एक हफ्ते तक वो दलित प्रेरणा स्थल में ही प्रदर्शन करेंगे। फिर भी अगर उनकी मांगें न मानी गईं तो वो दिल्ली कूच करेंगे। इस बार लड़ाई आर-पार की होगी। *सचिव स्तर पर बात होगी* किसान एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा का कहना है कि अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि शासन के सचिव स्तर पर बात होगी। अगर, एक सप्ताह में बात नहीं कराई गई तो हम दिल्ली जाकर संसद का घेराव करने के लिए निकलेंगे। किसान ठंड में धरने पर जोर-शोर से डटे हुए हैं। उनके खाने-पीने की व्यवस्था की गई है। *बैरिकेडिंग के कारण ट्रैफिक व्यवस्था पर असर* किसानों के आंदोलन के कारण नौएडा में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गयी है। यातायात अवरूद्ध हो जाने के कारण दिल्ली-नोएडा सीमा से गुजरने वाले यात्रियों को असुविधा हुई। किसानों के महाजुटान को देखते हुए मंगलवार को भी ट्रैफिक व्यवस्था पर असर की आशंका है। हालांकि मंगलवार को किसान सड़क पर नहीं उतरेंगे। किसानों के जमावड़े को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रशासन की तरफ से जगह-जगह पर बैरिकेडिंग की गई है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। बैरिकेडिंग के कारण ट्रैफिक व्यवस्था पर असर देखने को मिल रहा है। *5,000 पुलिसकर्मी तैनात* नोएडा के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त शिवहरि मीणा ने बताया कि किसानों को रोकने के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। विभिन्न स्थानों पर चेकिंग के लिए 5,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। 1,000 से अधिक पीएससीकर्मी भी तैनात है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने और यातायात प्रबंधन के लिए वाटर कैनन, टीजीएस दस्ते, अग्निशमन दस्ते को भी तैनात किया गया है। *किसानों की मांगें* ➤कानूनी गारंटी वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ➤कृषि ऋण माफ ➤किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन ➤पिछले विरोध प्रदर्शनों के दौरान दर्ज किए गए पुलिस मामलों को वापस लेना ➤2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय ➤भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना ➤2020-21 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा