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बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों पर जयशंकर: 'सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी'

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार बांग्लादेश के नागरिकों, जिसमें अल्पसंख्यक भी शामिल हैं, की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। जयशंकर ने बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के बारे में लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बयान दिया। विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार ने अगस्त 2024 से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की कई रिपोर्ट देखी हैं, जब शेख हसीना को बांग्लादेश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हाल ही में दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान मंदिरों और पूजा मंडपों पर हमलों की खबरें भी सामने आईं। जयशंकर ने अपने जवाब में कहा, "सरकार ने इन घटनाओं को गंभीरता से लिया है और बांग्लादेश सरकार के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है।" जयशंकर ने यह भी कहा कि ढाका में भारतीय उच्चायोग बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों से संबंधित स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है। उन्होंने कहा, "बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों सहित सभी नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की है।"

इस्कॉन पुजारी की गिरफ्तारी

विदेश मंत्री की यह प्रतिक्रिया बांग्लादेश में अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) बांग्लादेश के पूर्व पुजारी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी को लेकर विरोध और अशांति के बीच आई है। दास पर अक्टूबर में एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप है। भारत में विपक्ष के नेताओं सहित कई राजनीतिक नेताओं ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की है और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी गिरफ्तार हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास का समर्थन करते हुए कहा है कि उन्हें "अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार" किया गया है और उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। हसीना ने बांग्लादेश सरकार से धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का भी आह्वान किया है, जिन्होंने अगस्त में सत्ता से उनके हटने के बाद से हिंसा का सामना किया है।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जताई ट्रंप की सुरक्षा को लेकर चिंता, जानें क्या सलाह दी?

#putinsayshedoesnotbelievetrumpissafe

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। पुतिन ने कहा कि अमेरिकी चुनाव कैंपेन के दौरान ट्रंप के खिलाफ हत्या के प्रयास किया गया था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि ट्रंप अब भी सुरक्षित नहीं हैं। पुतिन ने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति ट्रंप सतर्क रहेंगे। इसके साथ ही पुतिन ने ट्रंप की तारीफ भी की। उन्होंने ट्रंप एक अनुभवी और बुद्धिमान राजनीतिज्ञ हैं।

समाचार एजेंसी रायटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक कजाकिस्तान के दौरे पर गए रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि वह अमेरिकी चुनाव प्रचार को लेकर अचंभित हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह असभ्य तरीके अपनाए गए। यहां तक कि उनकी जान लेने की भी कोशिश हुई. वो भी एक नहीं दो-दो बार. मेरा मानना है कि ट्रंप की जिंदगी सुरक्षित नहीं है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी इतिहास में कई घटनाएं घटी हैं लेकिन मेरा मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप समझदार हैं और मुझे लगता है कि वह खतरों के प्रति सचेत हो गए हैं

ट्रंप की चिंता कर रहे हैं पुतिन

पुतिन ने आगे कहा कि अमेरिकी चुनाव में जिस तरह से ट्रंप के परिवार और बच्चों को घसीटा गया, उसको देखकर वह और ज्यादा अचंभित हो गए। राजनीतिक विरोधियों ने ट्रंप के बच्चों और परिवार की खूब आलोचना की।

बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बीच जुलाई में पेंसिल्वेनिया में ट्रंप की हत्या की कोशिश हुई थी, जिसमें वह घायल हो गए थे। इसके बाद सितंबर में फ्लोरिडा गोल्फ कोर्स में एक एक शख्स ने उनकी जान लेने की कोशिश की थी, लेकिन वे नाकाम हो गया।

यूक्रेन के साथ जंग पर कही बड़ी बात

वहीं, अमेरिका द्वारा यूक्रेन के साथ जंग को और भड़काने संबंधी सवाल पर पुतिन ने कहा कि यह एक चाल हो सकती है। पुतिन ने यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों का रूस में इस्तेमाल करने की अनुमति देने पर कहा, बाइडेन प्रशासन जानबूझकर ट्रम्प के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है। हालांकि ट्रम्प एक ‘होशियार राजनेता’ हैं जो जंग खत्म करने के लिए कोई न कोई समाधान ढूंढ़ लेंगे। हम भी ट्रम्प से बातचीत के लिए तैयार हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या बाइडेन के फैसले से क्या रूस-अमेरिका के संबंधों पर असर पड़ेगा, पुतिन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ट्रम्प के आने के बाद चीजें बेहतर हो सकती हैं।

ट्रंप आ रहे हैं...”बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार पर ट्रंप के सहयोगी का बयान

#bangladesh_violence_against_hindu_america_statement_trump_is_coming

बांग्लादेश इस समय सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहा है। हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। ताजा मामले में इस्कॉन से जुड़े महंत चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश की युनूस सरकार का दुनियाभर में फजीहत हो रही है। पड़ोसी मुल्क में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ भारत लगातार आवाज उठाता रहा है, वहीं अब भारत को अमेरिका का भी साथ मिल गया है। अमेरिका से बांग्लादेश की सरकार के लिए चेतावनी आई है। यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) के पूर्व कमिश्नर जॉनी मूर ने बांग्लादेश के हालात पर चिंता जताई है।

जॉनी मूर ने कहा है कि अमेरिका की बाइडेन सरकार ने बांग्लादेश पर अधिक ध्यान नहीं दिया है।यह समय बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के अस्तित्व पर खतरे की तरह है। लेकिन ट्रंप अब आ रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप अपनी बेहतरीन टीम के साथ पद संभालने वाले हैं। उनकी यह टीम अमेरिकी मूल्यों की पैरोकार है और भारत को एक सहयोगी के तौर पर देखती है।

दरअसल मूर से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के बीच अमेरिका के रुख के बारे में पूछा गया था? उनसे ये पूछा गया था कि ऐसी स्थिति में ट्रंप सरकार बाइडेन सरकार की तुलना में क्या अलग करेगी? इस पर उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसी कोई चुनौती नहीं है, जिसे सुलझाया नहीं जा सके।

मूर ने कहा कि इस समय दुनियाभर में 50 से अधिक जंग चल रही हैं और मैं हैरान हूं कि मौजूदा अमेरिकी सरकार का बांग्लादेश पर ध्यान ही नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में धार्मिक स्वतंत्रता मानवाधिकारों में शीर्ष प्राथमिकता थी। यह कई मायनों में हमारी विदेशी नीति का केंद्र थी। इस बार भी आपको ऐसा ही देखने को मिलेगा। ट्रंप की टीम भारत को एक ज़रूरी सहयोगी के तौर पर देखती है, लिहाजा आगामी ट्रंप सरकार में आपको अमेरिका और भारत के बीच ऐसा सहयोग देखने को मिलेगा, जो अभी तक नहीं देखने को मिला था।

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद अल्पसंख्यकों खास तौर पर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। इसी बीच 25 नवंबर को हिंदू धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में 25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। बांग्लादेश की अदालत ने उन्हें जमानत नहीं दी और जेल भेज दिया। चिन्मय दास समेत 19 लोगों पर आरोप है कि उन्होंने इस रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। इसके बाद चिन्मय दास के समर्थक सड़कों पर उतर आए और उग्र विरोध प्रदर्शन करने लगे। भारत सरकार ने भी बयान जारी कर बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत नहीं देने पर गहरी चिंता जताई थी।

अपनी हरकतों से बाज नहीं आया कनाडा, अब भारतीय राजनयिकों पर निगरानी, निजी बातचीत भी सुनी जा रही

#indian_diplomats_in_canada_under_surveillance

भारत और कनाडा के बीच तनाव कम नहीं हो रहा है। कनाडा सरकार ने निज्जर हत्याकांड की जांच में उच्चायुक्त सहित भारतीय राजनयिकों पर गंभीर आरोप लगाया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता गया। इस बीच खबर है कि कनाडा में भारतीय कॉन्सुलेट के अधिकारियों को निगरानी में रखा जा रहा है और उनकी निजी बातचीत भी इंटरसेप्ट की जा रही है।केंद्र ने गुरुवार को संसद को बताया कि कनाडाई सरकार ने वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों को बताया था कि अभी भी उनकी ऑडियो और वीडियो सर्विलांस की जा रही है और उनकी निजी बातचीत भी इंटरसेप्ट हो रही है।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में दिए एक लिखित जवाब में कहा, "कनाडा के साथ भारत के संबंध चुनौतीपूर्ण रहे हैं और बने रहेंगे, इसका मुख्य कारण कनाडा सरकार द्वारा चरमपंथी और अलगाववादी तत्वों को मौका देना है। ऐसे तत्व भारत विरोधी एजेंडे की वकालत करते हैं और ऐसी हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कनाडा के स्वतंत्र आवाजाही नियमों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा पैदा करता है।"

केंद्रीय मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह से पूछा गया था कि क्या कनाडा में भारतीय राजनयिक अधिकारियों पर साइबर सर्विलांस या अन्य किसी तरह की निगरानी की कोई घटना ज्ञात है। कीर्ति वर्धन सिंह ने जवाब में कहा, “हां, हाल ही में वैंकुवर में भारतीय वाणिज्य दूतों यानी कॉन्सुलर अधिकारियों को कनाडा के अधिकारियों ने सूचना दी थी कि उनपर ऑडियो-वीडियो सर्विलांस के ज़रिए निगरानी रखी जा रही थी और उनके निजी संदेशों को भी पढ़ा जा रहा था। यह निगरानी जारी है।”

विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि भारत सरकार ने इस मुद्दे पर नयी दिल्ली में कनाडाई उच्चायोग के समक्ष दो नवंबर 2024 को कड़ा विरोध दर्ज कराया क्योंकि ये कार्य सभी राजनयिक प्रावधानों का घोर उल्लंघन थे। उन्होंने कहा, "विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मीडिया को अपनी साप्ताहिक ब्रीफिंग में भी कहा कि तकनीकी पहलुओं का हवाला देकर, कनाडा सरकार इस तथ्य को उचित नहीं ठहरा सकती कि वह उत्पीड़न कर रही है और धमका रही है। हमारे राजनयिक और वाणिज्य दूतावास के कर्मचारी पहले से ही उग्रवाद और हिंसा के माहौल में काम कर रहे हैं। कनाडा सरकार की यह कार्रवाई स्थिति को और खराब करती है और यह स्थापित राजनयिक मानदंडों और प्रथाओं के अनुरूप नहीं है।"

श्रीलंका ने भारत के साथ निभाई दोस्ती, एक जानकारी साझा की और अरब सागर में जब्त किए गए 500 किलो ड्रग्स

#jointoperationofindianandsrilankannavy500kgofdrugsseized

भारत में ड्रग्स तस्करी का कारोबार बढ़ रहा है। इंटरनेशनल नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के अनुसार भारत ड्रग्स सप्लाई का बड़ा रूट बनकर उभरा है। हालांकि, नशे के इस कारोबार पर शिकंजा करने का प्रयास लगातार जारी है। हाल के दिनों में देश में विभिन्न स्थानों पर बड़े पैमाने पर ड्रग्स जब्त की गई है। इसी क्रम में भारतीय नौसेना ने श्रीलंकाई नौसेना के साथ संयुक्त अभियान में अरब सागर से 500 किलोग्राम ड्रग्स जब्त की है। जो ड्रग्स जब्त हुई है वह क्रिस्टल मेथ है। इस ड्रग्स को दो नावों से जब्त किया गया। वहीं जब्त की गई दोनों नौकाओं और उन पर सवार दोनों लोगों और ड्रग्स को श्रीलंका सरकार को सौंप दिया गया है, अब उनके खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

पूरे ऑपेरशन की जानकारी भारतीय नौसेना ने दी है।भारतीय नौसेना के मुताबिक श्रीलंका की नौसेना की तरफ से भारतीय नौसेना को एक मैसेज मिला कि अरब सागर श्रीलंका फ्लैग फिशिंग वेसेल के जरिए ड्रग की संभावित स्मगलिंग हो रही है। मैसेज मिलते ही नौसेना से तुरंत उस बोट को इंटरसेप्ट करने के लिए ऑपरेशन को लॉंच किया।

भारतीय नौसेना ने अपने लॉग रेंज मेरिटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट पी8आई और ड्रोन को एरियल सर्विलांस के लिए लॉन्‍च किया। गुरुग्राम स्थित नौसेना के इनफार्मेशन फ्यूजन सेंटर से मिले इनपुट के बाद समुद्र में वॉरशिप को भी मूव किया। जिसके बाद 24-25 नवंबर को 2 श्रीलंकाई फिशिंग बोट को पहचाना गया, उसे रोका गया और पकड़ा गया। तलाशी के बाद उसमें से 500 किलोग्राम क्रिस्टल मेथ ड्रग बरामद की गई। दोनों बोट और उसमें पकड़े गए ड्रग और लोगों को आगे की कार्रवाई के लिए श्रीलंका के हवाले कर दिया गया।हाल ही में पकड़ी गई थी 5,500 किलो ड्रग्स

बता दें कि हाल ही में भारतीय तटरक्षक बल ने 5,500 किलो मेथाम्पटामिन ड्रग्स जब्त की थी, यह जब्ती अंडमान-निकोबार के समुद्री इलाके से की गई थी। तटरक्षक बल के एक पायलट ने रूटीन सर्विलांस के दौरान अंडमान निकोबार के बैरेन आइलैंड पर एक संदिग्ध नौका को देखा। चेतावनी के बाद भी जब क्रू ने नौका को भगाने की कोशिश की तो तटरक्षक बल ने कार्रवाई करते हुए नौका को जब्त कर लिया।

फरवरी में गुजरात तट से 3300 किलो ड्रग्स जब्त की गई थी

एंटी नारकोटिक्स एजेंसियों ने फरवरी में गुजरात तट पर 3300 किलो ड्रग्स जब्त की थी। अंडमान की जब्ती से पहले ये साल की सबसे बड़ी ड्रग्स जब्ती थी। नवंबर में एक ईरानी जहाज से 700 किलो ड्रग्स पकड़ी गई थी।भारत में बढ़ा ड्रग्स तस्करी का कारोबार

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में ड्रग्स तस्करी का मौजूदा बाजार करीब 650 अरब डॉलर का है, जो पूरी दुनिया में अवैध अर्थव्यवस्था का 30 प्रतिशत है। भारत का दुर्भाग्य ये है कि देश ड्रग्स तस्करी के गोल्डन ट्रायंगल (गोल्डन त्रिकोण) में फंसा हुआ है। म्यांमार, अफगानिस्तान के बाद अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक और हेरोइन का सबसे बड़ा सप्लायर है। इसके चलते म्यांमार से भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में ड्रग्स तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। इसके अलावा अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान भी ड्रग्स तस्करी के लिए बदनाम हैं। इन तीनों देशों के अपराधी अपनी ड्रग्स भारत में खपाते हैं, साथ ही भारत के समुद्री इलाकों से बड़े पैमाने पर ड्रग्स की तस्करी होती है और इसे पश्चिमी और दुनिया के अन्य देशों में भेजा जाता है। यही वजह है कि अक्सर भारत में बड़े पैमाने पर ड्रग्स की जब्ती के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं।

ब्रिटेन की संसद में उठा बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर हमले का मुद्दा, जानें विदेश मंत्रालय ने क्या कहा

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बांग्‍लादेश में हिंदुओं पर अत्‍याचार चरम पर हैं।मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, इस्‍कॉन के सेंटर बंद किए जा रहे हैं। हिंदुओं पर हो रहे इन अत्‍याचारों के विरोध में पूरी दुनिया से आवाजें उठ रही हैं। विभिन्‍न देशों में हिंदू संगठन, मानवाधिकार संगठन, वैश्विक नेता हिंदुओं के समर्थन में आवाज उठा रहे हैं और अपने-अपने स्‍तर पर बांग्‍लादेश की बर्बरता रोकने की मांग कर रहे है। अब ब्रिटेन की संसद में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की गूंज सुनाई दी।कंजर्वेटिव सांसद बॉब ब्लैकमैन ने संसद में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ जारी हिंसा का मुद्दा उठाया।

कंजर्वेटिव सांसद बॉब ब्लैकमैन ने कहा कि बंलादेश में हिंदुओं के घर और मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है। इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की जा आ रही है। वहां की अंतरिम सरकार इस मुद्दे पर कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रही है। ऐसे में ब्रिटेन की जिम्मेदारी बनती है कि वह धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करे।

बॉब ब्लैकमैन ने कहा, इस्कॉन मंदिर जो भक्तिवेदांत का प्रचार करते हैं और इस देश में सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। बांग्लादेश में उनके आध्यात्मिक नेता को गिरफ्तार कर लिया गया है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है। उनके घरों को जलाया जा रहा है। उन्हें मारा जा रहा है। उनके मंदिरों को जलाया जा रहा है। आज एक प्रयास किया गया कि बांग्लादेश का हाईकोर्ट यह निर्णय दे कि इस्कॉन को देश में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। यह हिंदुओं पर सीधा हमला है।

ब्लैकमैन ने कहा, अब हमारी जिम्मेदारी है, क्योंकि हमने बांग्लादेश को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाया है। वहां की सरकार में जो भी बदलाव हुए हों, लेकिन यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को इस तरह सताया जाता है। अभी तक हमारे पास FCDO का केवल एक लिखित बयान ही है। तो क्या हाउस ऑफ कॉमन्स की नेता एक मौखिक बयान दे सकती हैं जिसे इस सदन की पटल पर लाया जा सके, ताकि विश्व का ध्यान जाए कि बांग्लादेश में क्या हो रहा है।

उनके इस सवाल पर हाउस ऑफ कॉमन्स की नेता लूसी पॉवेल ने कहा, इस मुद्दे पर बॉब ब्लैकमैन का कदम सही है। हम हर जगह धर्म, विश्वास की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं। जिसमे बांग्लादेश भी शामिल है। मैं इस बारे में विदेश कार्यालय से पूछूंगी और कहूंगी कि इस मुद्दे पर गौर किया जाए। इसके अलावा हम देखेंगे कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को कैसे रोका जा सकता है।

बढ़ेंगी शेख हसीना की मुश्किलें, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में मुकदमा चलाना चाहती है बांग्लादेश की यूनुस सरकार
#bangladesh_seeks_international_criminal_court_trial_for_former_pm_sheikh_hasina
* बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। बांग्लादेश की यूनुस सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बड़ी प्लानिंग कर रही है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) में मुकदमा चलाना चाहती है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने बृहस्पतिवार को इस बारे में जानकारी दी है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस की प्रेस शाखा के एक अधिकारी ने कहा, 'मुख्य सलाहकार यूनुस ने हसीना के खिलाफ मुकदमे के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) के अभियोजक करीम ए खान से चर्चा की, जिन्होंने जमुना स्थित उनके आधिकारिक आवास पर उनसे मुलाकात की।' बांग्लादेश में जून में विवादास्पद नौकरी आरक्षण प्रणाली को लेकर अवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन भड़क उठा। इसके बाद शेख हसीना और अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर भारत आने पर मजबूर होना पड़ा। इस घटनाक्रम के तीन दिन बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला था। सत्ता छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने दर्जनों केस दर्ज किए हैं, जिनमें मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप भी शामिल है। हसीना के अलावा उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्यों के खिलाफ भी आरोप लगाए गए हैं, जिनमें से कुछ जेल में बंद हैं और कुछ देश छोड़कर भाग गए हैं।
रूस ने यूक्रेन पर की मिसाइलों की बरसात, 90 से अधिक मिसाइलों और ड्रोन से हमला, अंधेरे में डूबा देश

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रूस-यूक्रेन के बीच लगभग तीन साल से चल रहे युद्ध में हाल के दिनों में तनाव बढ़ा है, जिसमें दोनों पक्ष नए हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। अमेरिकी और ब्रिटिश हथियारों से मॉस्को पर हमले के बाद से ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन बौखलाए हुए हैं। व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को कीव में निर्णय लेने वाले केंद्रों पर रूस की नई हाइपरसोनिक मिसाइल से हमले की धमकी दी। इस धमकी के कुछ घंटों बाद ही रूस ने गुरुवार को यूक्रेन पर मिसाइलों की बारिश की। इस हमले के जरिए उसने यूक्रेन के ऊर्जा बुनियादी ढांचे पर दूसरा सबसे बड़ा अटैक किया। हमले के कारण दस लाख लोग बिजली से वंचित हो गए।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि यूक्रेन की ओर से रूस में लंबी दूरी की ATACMS मिसाइलों से किए गए हमले के जवाब में यह हमला किया गया है। इसके अलावा उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में कीव में 'निर्णय लेने वाले केंद्र' निशाना बन सकते हैं।पुतिन ने दावा किया कि रूस ने 17 लक्ष्यों को निशाना बनाया जो सैन्य सुविधाएं, रक्षा उद्योग और उनकी सहायता प्रणाली थीं। उन्होंने बिजली के बुनियादी ढांचे पर हमलों को स्वीकार नहीं किया।

पुतिन ने कजाखिस्तान की राजधानी अस्ताना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम कीव समेत सैन्य और निर्णय लेने वाले केंद्रों के खिलाफ हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल करने से इंकार नहीं करते।"

क्लस्टर हथियारों के साथ क्रूज मिसाइलों के इस्तेमाल का आरोप

वहीं, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने रूस पर “घृणित वृद्धि” का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने क्लस्टर हथियारों के साथ क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने रूस पर “घृणित वृद्धि” का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने क्लस्टर हथियारों के साथ क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया है।

ज़ेलेंस्की ने इन नेताओं से मांगी मदद

बाद में अपने रात के वीडियो संबोधन में, ज़ेलेंस्की ने कहा कि वह नाटो महासचिव मार्क रूटे, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ सहित पश्चिमी नेताओं से बात कर रहे थे, ताकि “स्थिति को और अधिक असहनीय बनाने और युद्ध को लम्बा खींचने के रूस के प्रयास” का जवाब दिया जा सके। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि हम अपनी स्थिति – यूक्रेन और हमारे भागीदारों की स्थिति को मजबूत करें।”

महाराष्ट्र में सीएम से लेकर मंत्रालय तक सब तय, दिल्ली में अमित शाह के साथ बैठक में सब तय, अब मुंबई पर नजर
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* महाराष्ट्र का अगला सीएम कौन होगा? अगले कुछ घंटों के भीतर ये साफ हो जाएगा। महायुति में शामिल तीनों पार्टियों, बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के नेता गुरुवार को दिल्ली आए थे। देर रात उनकी मुलाकात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हुई। इस बैठक में महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस, एनसीपी के मुखिया अजित पवार और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हुए। दिल्ली से ग्रीन सिग्नल मिल चुका है। अब महायुति की मुंबई में होने वाली बैठक पर सबकी नजरें टिकी हैं। बीती देर रात तक गृह मंत्री अमित शाह के घर पर महायुति के नेताओं की बैठक हुई। 2 घंटे से ज्यादा देर तक चली बैठक में महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, लगभग 2 घंटे की बैठक में करीब 25 मिनट की पहली बैठक एकनाथ शिंदे, अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच हुई। बाद में अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस पहुंचे, जहां शिंदे, पवार, फडणवीस, सुनील तटकरे, गृहमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष की बैठक हुई। शिंदे के साथ बैठक में मराठा वोटरों के बीच विश्वास बहाली बनाए रखने को लेकर भी चर्चा की गई। बैठक में दोनों सहयोगी दलों ने अपनी सहमति दी कि बीजेपी का मुख्यमंत्री बने। बीजेपी के मुख्यमंत्री बनने पर दोनों दलों को कोई आपत्ति नहीं है। बीती रात दिल्ली में कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने शिवसेना का पक्ष रखा। शिवसेना के सूत्रों ने बताया कि शिंदे ने अमित शाह से 12 मंत्री पद मांगे हैं। बैठक में शिंदे ने विधान परिषद के सभापति पद की भी मांग की। शिंदे ने अपने पसंदीदा मंत्रायलों की भी सूची सौंपी है। उन्होंने गृह, शहरी विकास समेत कई अहम विभागों की मांग की है। शिंदे ने अमित शाह से अनुरोध किया कि वे पालक मंत्री का पद देते समय भी पार्टी का उचित सम्मान बनाए रखें। *महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो पर भी चर्चा* सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान कुछ महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो पर भी चर्चा हुई। गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, राजस्व मंत्रालय और कार्मिक बीजेपी के पास रहेगा। शिवसेना के पास शहरी विकास मंत्रालय और पीडब्ल्यूडी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय जाएंगे। एनसीपी को कृषि, सिंचाई, खाद्य आपूर्ति और मेडिकल और टेक्निकल एजुकेशन मंत्रालय दिया जा सकता है। *अब मुंबई में बैठक* मीटिंग के बाद श‍िंदे ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, 'बैठक अच्छी और सकारात्मक रही। यह पहली बैठक थी। हमने अमित शाह और जेपी नड्डा से चर्चा की। महायुति की एक और बैठक होगी। इस बैठक में फैसला लिया जाएगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा। बैठक मुंबई में होगी। *सरकार गठन में देरी* महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए शुक्रवार को सातवां दिन है। 23 नवंबर को रिजल्ट घोषित किया गया, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री कौन होगा इस पर फैसला नहीं लिया जा सका है। सत्तारूढ़ बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने अभी तक मुख्यमंत्री के लिए अपना नाम तय नहीं किया है। 280 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि उसके सहयोगी दलों में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी क्रमशः 57 और 41 सीटें जीती हैं।
क्या महाविकास अघाड़ी छोड़ देंगे उद्धव ठाकरे? अपने बना रहे प्रेशर

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं, लेकिन अब तक प्रदेश की नई सरकार को संशय का दौर बना हुआ है। चुनाव में जीत हासिल करने वाला महायुति गठबंधन अभी सीएम के पद पर मंथन ही कर रहा है तो शिकस्त का सामना करने वाले महा विका आघाड़ी हार से उबर नहीं सका है। आघाड़ी में अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। महायुति की प्रचंड जीत के बाद अब विपक्षी गठबंधन एमवीए पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है। अंदरखाने खबरें मिल रही हैं कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उद्धव ठाकरे महाविकास अघाड़ी से बाहर हो सकते हैं।

अपमानजनक हार के बाद एमवीए के प्रमुख दल शिवसेना(यूबीटी) के भीतर कलह का दौर तेज हो गया है। कहा जा रहा है कि ये वो लोग हैं, जिन्होंने पहले भी आवाज उठाई थी, लेकिन तब उनकी आवाज दबा दी गई। इन लोगों को कांग्रेस का साथ पहले भी पसंद नहीं था लेकिन उद्धव के आगे तब किसी की नहीं चली और मजबूरी में नाम जपते हुए मुंह बंद करके बैठे रहे। महाराष्ट्र में बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन ने महा विकास अघाड़ी का सूपड़ा साफ कर दिया तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के नेताओं को मुंह खोलने का मौका मिल गया। सूत्रों के मुताबिक अब यही नेतागण उद्धव ठाकरे पर अघाड़ी छोड़ने का दबाव बना रहे हैं। कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे जल्द ही एमवीए छोड़ने का यह फैसला ले सकते हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उद्धव ठाकरे द्वारा आयोजित एक बैठक में शिव सेना (यूबीटी) के 20 विधायकों में से अधिकांश ने कथित तौर पर उद्धव ठाकरे से जल्द से जल्द महाविकास अघाड़ी का साथ छोड़ने की अपील की। शिवसेना (यूबीटी) आगामी नगर निगम और स्थानीय निकाय चुनाव अपने दम पर लड़ने की तैयारी कर रही है। उद्धव ठाकरे गुट के एक नेता ने कहा है कि वह महानगरपालिका के चुनाव अलग लड़ने पर सोच रही है। शिवसेना भविष्य में सभी चुनाव अपने दम पर लड़ सकती है।

हालांकि, उद्धव ठाकरे ने अभी तक कोई फ़ैसला नहीं किया है। कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के कारण एकनाथ शिंदे और उनके साथ चालीस विधायक बग़ावत कर उद्धव को झटका दे चुके है ऐसे में अब उद्धव क्या फ़ैसला लेते है यह देखना होगा।