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बढ़ेंगी शेख हसीना की मुश्किलें, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में मुकदमा चलाना चाहती है बांग्लादेश की यूनुस सरकार
#bangladesh_seeks_international_criminal_court_trial_for_former_pm_sheikh_hasina
* बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। बांग्लादेश की यूनुस सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बड़ी प्लानिंग कर रही है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) में मुकदमा चलाना चाहती है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने बृहस्पतिवार को इस बारे में जानकारी दी है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस की प्रेस शाखा के एक अधिकारी ने कहा, 'मुख्य सलाहकार यूनुस ने हसीना के खिलाफ मुकदमे के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) के अभियोजक करीम ए खान से चर्चा की, जिन्होंने जमुना स्थित उनके आधिकारिक आवास पर उनसे मुलाकात की।' बांग्लादेश में जून में विवादास्पद नौकरी आरक्षण प्रणाली को लेकर अवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन भड़क उठा। इसके बाद शेख हसीना और अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर भारत आने पर मजबूर होना पड़ा। इस घटनाक्रम के तीन दिन बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला था। सत्ता छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने दर्जनों केस दर्ज किए हैं, जिनमें मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप भी शामिल है। हसीना के अलावा उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्यों के खिलाफ भी आरोप लगाए गए हैं, जिनमें से कुछ जेल में बंद हैं और कुछ देश छोड़कर भाग गए हैं।
रूस ने यूक्रेन पर की मिसाइलों की बरसात, 90 से अधिक मिसाइलों और ड्रोन से हमला, अंधेरे में डूबा देश

#russiahitsukrainianenergyfacilities1millionpeoplein_dark

रूस-यूक्रेन के बीच लगभग तीन साल से चल रहे युद्ध में हाल के दिनों में तनाव बढ़ा है, जिसमें दोनों पक्ष नए हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। अमेरिकी और ब्रिटिश हथियारों से मॉस्को पर हमले के बाद से ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन बौखलाए हुए हैं। व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को कीव में निर्णय लेने वाले केंद्रों पर रूस की नई हाइपरसोनिक मिसाइल से हमले की धमकी दी। इस धमकी के कुछ घंटों बाद ही रूस ने गुरुवार को यूक्रेन पर मिसाइलों की बारिश की। इस हमले के जरिए उसने यूक्रेन के ऊर्जा बुनियादी ढांचे पर दूसरा सबसे बड़ा अटैक किया। हमले के कारण दस लाख लोग बिजली से वंचित हो गए।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि यूक्रेन की ओर से रूस में लंबी दूरी की ATACMS मिसाइलों से किए गए हमले के जवाब में यह हमला किया गया है। इसके अलावा उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में कीव में 'निर्णय लेने वाले केंद्र' निशाना बन सकते हैं।पुतिन ने दावा किया कि रूस ने 17 लक्ष्यों को निशाना बनाया जो सैन्य सुविधाएं, रक्षा उद्योग और उनकी सहायता प्रणाली थीं। उन्होंने बिजली के बुनियादी ढांचे पर हमलों को स्वीकार नहीं किया।

पुतिन ने कजाखिस्तान की राजधानी अस्ताना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम कीव समेत सैन्य और निर्णय लेने वाले केंद्रों के खिलाफ हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल करने से इंकार नहीं करते।"

क्लस्टर हथियारों के साथ क्रूज मिसाइलों के इस्तेमाल का आरोप

वहीं, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने रूस पर “घृणित वृद्धि” का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने क्लस्टर हथियारों के साथ क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने रूस पर “घृणित वृद्धि” का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने क्लस्टर हथियारों के साथ क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया है।

ज़ेलेंस्की ने इन नेताओं से मांगी मदद

बाद में अपने रात के वीडियो संबोधन में, ज़ेलेंस्की ने कहा कि वह नाटो महासचिव मार्क रूटे, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ सहित पश्चिमी नेताओं से बात कर रहे थे, ताकि “स्थिति को और अधिक असहनीय बनाने और युद्ध को लम्बा खींचने के रूस के प्रयास” का जवाब दिया जा सके। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि हम अपनी स्थिति – यूक्रेन और हमारे भागीदारों की स्थिति को मजबूत करें।”

महाराष्ट्र में सीएम से लेकर मंत्रालय तक सब तय, दिल्ली में अमित शाह के साथ बैठक में सब तय, अब मुंबई पर नजर
#mahayuti_leaders_eknath_shinde_devendra_fadnavis_ajit_pawar_meets_amit_shah
* महाराष्ट्र का अगला सीएम कौन होगा? अगले कुछ घंटों के भीतर ये साफ हो जाएगा। महायुति में शामिल तीनों पार्टियों, बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के नेता गुरुवार को दिल्ली आए थे। देर रात उनकी मुलाकात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हुई। इस बैठक में महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस, एनसीपी के मुखिया अजित पवार और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हुए। दिल्ली से ग्रीन सिग्नल मिल चुका है। अब महायुति की मुंबई में होने वाली बैठक पर सबकी नजरें टिकी हैं। बीती देर रात तक गृह मंत्री अमित शाह के घर पर महायुति के नेताओं की बैठक हुई। 2 घंटे से ज्यादा देर तक चली बैठक में महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, लगभग 2 घंटे की बैठक में करीब 25 मिनट की पहली बैठक एकनाथ शिंदे, अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच हुई। बाद में अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस पहुंचे, जहां शिंदे, पवार, फडणवीस, सुनील तटकरे, गृहमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष की बैठक हुई। शिंदे के साथ बैठक में मराठा वोटरों के बीच विश्वास बहाली बनाए रखने को लेकर भी चर्चा की गई। बैठक में दोनों सहयोगी दलों ने अपनी सहमति दी कि बीजेपी का मुख्यमंत्री बने। बीजेपी के मुख्यमंत्री बनने पर दोनों दलों को कोई आपत्ति नहीं है। बीती रात दिल्ली में कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने शिवसेना का पक्ष रखा। शिवसेना के सूत्रों ने बताया कि शिंदे ने अमित शाह से 12 मंत्री पद मांगे हैं। बैठक में शिंदे ने विधान परिषद के सभापति पद की भी मांग की। शिंदे ने अपने पसंदीदा मंत्रायलों की भी सूची सौंपी है। उन्होंने गृह, शहरी विकास समेत कई अहम विभागों की मांग की है। शिंदे ने अमित शाह से अनुरोध किया कि वे पालक मंत्री का पद देते समय भी पार्टी का उचित सम्मान बनाए रखें। *महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो पर भी चर्चा* सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान कुछ महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो पर भी चर्चा हुई। गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, राजस्व मंत्रालय और कार्मिक बीजेपी के पास रहेगा। शिवसेना के पास शहरी विकास मंत्रालय और पीडब्ल्यूडी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय जाएंगे। एनसीपी को कृषि, सिंचाई, खाद्य आपूर्ति और मेडिकल और टेक्निकल एजुकेशन मंत्रालय दिया जा सकता है। *अब मुंबई में बैठक* मीटिंग के बाद श‍िंदे ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, 'बैठक अच्छी और सकारात्मक रही। यह पहली बैठक थी। हमने अमित शाह और जेपी नड्डा से चर्चा की। महायुति की एक और बैठक होगी। इस बैठक में फैसला लिया जाएगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा। बैठक मुंबई में होगी। *सरकार गठन में देरी* महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए शुक्रवार को सातवां दिन है। 23 नवंबर को रिजल्ट घोषित किया गया, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री कौन होगा इस पर फैसला नहीं लिया जा सका है। सत्तारूढ़ बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने अभी तक मुख्यमंत्री के लिए अपना नाम तय नहीं किया है। 280 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि उसके सहयोगी दलों में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी क्रमशः 57 और 41 सीटें जीती हैं।
क्या महाविकास अघाड़ी छोड़ देंगे उद्धव ठाकरे? अपने बना रहे प्रेशर

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं, लेकिन अब तक प्रदेश की नई सरकार को संशय का दौर बना हुआ है। चुनाव में जीत हासिल करने वाला महायुति गठबंधन अभी सीएम के पद पर मंथन ही कर रहा है तो शिकस्त का सामना करने वाले महा विका आघाड़ी हार से उबर नहीं सका है। आघाड़ी में अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। महायुति की प्रचंड जीत के बाद अब विपक्षी गठबंधन एमवीए पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है। अंदरखाने खबरें मिल रही हैं कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उद्धव ठाकरे महाविकास अघाड़ी से बाहर हो सकते हैं।

अपमानजनक हार के बाद एमवीए के प्रमुख दल शिवसेना(यूबीटी) के भीतर कलह का दौर तेज हो गया है। कहा जा रहा है कि ये वो लोग हैं, जिन्होंने पहले भी आवाज उठाई थी, लेकिन तब उनकी आवाज दबा दी गई। इन लोगों को कांग्रेस का साथ पहले भी पसंद नहीं था लेकिन उद्धव के आगे तब किसी की नहीं चली और मजबूरी में नाम जपते हुए मुंह बंद करके बैठे रहे। महाराष्ट्र में बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन ने महा विकास अघाड़ी का सूपड़ा साफ कर दिया तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के नेताओं को मुंह खोलने का मौका मिल गया। सूत्रों के मुताबिक अब यही नेतागण उद्धव ठाकरे पर अघाड़ी छोड़ने का दबाव बना रहे हैं। कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे जल्द ही एमवीए छोड़ने का यह फैसला ले सकते हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उद्धव ठाकरे द्वारा आयोजित एक बैठक में शिव सेना (यूबीटी) के 20 विधायकों में से अधिकांश ने कथित तौर पर उद्धव ठाकरे से जल्द से जल्द महाविकास अघाड़ी का साथ छोड़ने की अपील की। शिवसेना (यूबीटी) आगामी नगर निगम और स्थानीय निकाय चुनाव अपने दम पर लड़ने की तैयारी कर रही है। उद्धव ठाकरे गुट के एक नेता ने कहा है कि वह महानगरपालिका के चुनाव अलग लड़ने पर सोच रही है। शिवसेना भविष्य में सभी चुनाव अपने दम पर लड़ सकती है।

हालांकि, उद्धव ठाकरे ने अभी तक कोई फ़ैसला नहीं किया है। कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के कारण एकनाथ शिंदे और उनके साथ चालीस विधायक बग़ावत कर उद्धव को झटका दे चुके है ऐसे में अब उद्धव क्या फ़ैसला लेते है यह देखना होगा।

चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर भड़की शेख हसीना, यूनुस सरकार को चेताया

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बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा जारी है। इसी कड़ी में चटगांव में हालिया हिंसा के बाद इस्कॉन के पूर्व प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इस पर बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना का बयान आया है। शेख हसीना ने देशद्रोह के आरोप में हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की और इसे “अन्यायपूर्ण” बताया साथ ही उनकी तत्काल रिहाई की मांग की।

शेख हसीना ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सनातन धर्म के एक वरिष्ठ नेता को गलत तरीके से हिरासत में लिया गया है और उनकी अविलंब रिहाई होनी चाहिए। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने उनके इस बयान को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया पेज पर शेयर किया। इसमें उन्होंने चटगांव में एक वकील की हत्या की घटना पर भी प्रतिक्रिया दी और इसे मानवाधिकारों का बड़ा उल्लंघन बताया।

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म समुदाय के एक शीर्ष नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। चटगांव में एक मंदिर को जला दिया गया है। इससे पहले अहमदिया समुदाय की मस्जिदों, दरगाहों, चर्चों, मठों और घरों पर हमला किया गया, तोड़फोड़ की गई, लूटपाट की गई और आग लगा दी गई। सभी समुदायों के लोगों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता और जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

शेख हसीना ने कहा-मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन

हसीने ने आगे कहा है कि चटगांव में एक वकील की हत्या की गई है, इस हत्या का कड़ा विरोध किया जा रहा है। इस हत्या में शामिल लोगों को जल्द से जल्द ढूंढकर सजा दी जानी चाहिए। इस घटना से मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ है। एक वकील अपने पेशेवर कर्तव्यों का पालन करने गया था और उसे पीट-पीटकर मार डालने वाले आतंकवादी हैं। वे जो भी हों, उन्हें सजा मिलनी चाहिए।

अंतरिम सरकार की लगाई क्लास

हसीना ने मौजूदा सरकार पर हर मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगाया। शेख हसीना ने कहा कि अगर असंवैधानिक रूप से सत्ता हथियाने वाली यूनुस सरकार इन आतंकवादियों को दंडित करने में विफल रहती है तो उसे मानवाधिकार उल्लंघन के लिए भी सजा का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह सरकार आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण करने में विफल रही है और आम जनता की सुरक्षा देने में भी असमर्थ है। उन्होंने आम जनता पर हो रहे अत्याचारों की निंदा करते हुए कहा कि निर्दोष लोगों के खिलाफ कार्रवाई के जरिए दमन का माहौल बनाया जा रहा है।

अब दुश्मनों की खैर नहीं, समंदर में ही होगा काम तमाम, इंडियन नेवी ने मिली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल

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भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है। इंडियन नेवी ने बुधवार को K-4 बैलिस्टिक मिसाइल की सफल टेस्टिंग की। यह टेस्टिंग न्यूक्लियर सबमरीन अरिघात से की गई थी। अरिघात को 2017 में लॉन्च किया गया था। इसका अपग्रेड वर्जन जल्द ही कमीशन किया जाएगा। यह परीक्षण न केवल भारत की परमाणु ताकत को नई ऊंचाई पर ले जाता है, बल्कि देश की दूसरी मारक क्षमता को भी प्रमाणित करता है। इस सफलता के बाद नौसेना इस मिसाइल प्रणाली के और भी परीक्षण करेगी, जिससे भारत की सामरिक स्थिति और मजबूत होगी।

भारतीय नौसेना ने हाल ही में शामिल की गई परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात से 3,500 किलोमीटर की क्षमता वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया। इसे बंगाल की खाड़ी में विशाखापत्तनम के पास से लॉन्च किया गया। परीक्षण में ये मिसाइल अपनी सभी तय मानकों पर खरी उतरी। हालांकि इस लॉन्च की आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है।पहली बार इस मिसाइल को सबमरीन से फायर किया गया। 2010 में इसका डेवलपमेंट ट्रायल किया गया था। उसके बाद से आधा दर्जन से ज्यादा सफल टेस्ट किए जा चुके हैं। 10 मीटर लंबा 20 टन वजनी इस मिसाइल से एक टन पैलोड को 3500 किलोमीटर तक दागा जा सकता है।

हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ेगी भारत की ताकत

फिलहाल सबमरीन से दागे जाने वाली मिसाइलों में शार्ट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल K-15 मौजूद है जो कि आईएनएस अरिंहत में लगी है। इसकी रेंज 750 किलोमीटर है। दूसरी मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल K-4 है जिसकी रेंज 3500 किलोमीटर है। अरिघात की ताकत और K-4 मिसाइल की क्षमता के कारण भारत की स्ट्रैटेजिक पोजिशन में बड़ा सुधार हुआ है। इस सफलता ने चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। यह परीक्षण हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की ताकत और न्यूक्लियर ट्रायड को और भी मजबूत बनाता है।

भारत ने तैयार की परमाणु मिसाइलों से लैस 3 पनडुब्बियां

भारतीय नौसेना अब तक 3 न्यूक्लियर सबमरीन तैयार कर चुकी है। इसमें से एक अरिहंत कमीशंड है, दूसरी अरिघात मिलने वाली है और तीसरी S3 पर टेस्टिंग जारी है। इन सबमरीन के जरिए दुश्मन देशों पर परमाणु मिसाइल दागी जा सकती हैं। 2009 में पहली बार सांकेतिक तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी ने कारगिल विजय दिवस के मौके पर INS अरिहंत को लॉन्च किया था। इसके बाद 2016 में इसे नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। अगले 5 साल में दो और पनडुब्बियों को भारतीय नौसेना ने लॉन्च किया है।

2009 में लॉन्च करने से पहले भारत ने पनडुब्बियों को दुनिया से छिपा रखा था। 1990 में भारत सरकार ने एडवांस टेक्नोलॉजी वेसल प्रोग्राम शुरू किया था। इसके तहत ही इन पनडुब्बियों का निर्माण शुरू हुआ था।

अब अजमेर शरीफ पर बवाल! दरगाह में शिव मंदिर पर क्या हैं दोनों पक्षों के दावे

#claimoftempleinsideajmer_dargah

यूपी के संभल जिले में मस्जिद के सर्वे के बाद बवाल मचा हुआ है। इसी बीच राजस्थान के अजमेर शरीफ को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। जिसके बाद यूपी के संभल में स्थित जामा मस्जिद के बाद अब राजस्थान के अजमेर में दरगाह शरीफ का सर्वे हो सकता है। एक निचली अदालत ने हिंदू पक्ष की उस याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताया गया है। इसमें कहा गया है कि यहां पहले एक शिव मंदिर था। याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दायर की गई थी।

हिंदू सेना की राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा 25 सितंबर को अजमेर न्यायालय में अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को शिव मंदिर होने का दावा करते हुए वाद दायर किया था।अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह हिंदू संकट मोचन मंदिर तोड़कर बनाने का दावा अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम ने स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने एएसआई दरगाह कमेटी और अल्पसंख्यक मामला विभाग को नोटिस भेजा है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर रखी गई है। दूसरे पक्ष को सुना जाएगा और इस मामले में अग्रिम कार्रवाई की जानी है। बुधवार को अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम ने दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर सुनावाई करते हुए कहा कि इससे संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए जाएंगे। कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस देकर पक्ष रखने को भी कहा है

क्यों शुरू हुआ विवाद?

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने इसी साल सितंबर के महीने में अजमेर दरगाह केस से जुड़ी याचिका अदालत में दायर की थी। मगर इस पर सुनवाई नहीं हो सकी। अदालत ने याचिका के साथ सबूत पेश करने के आदेश दिए। याचिकाकर्ताओं ने 38 पन्नों का सबूत अदालत के सामने रख दिया, जिन्हें देखकर अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली और 20 दिसंबर को इस पर सुनवाई की तारीख दे दी है

मुस्लिम पक्ष की राय

अजमेर दरगाह की देखभाल करने वाली अंजुमन मोइनिया फकीरा कमेटी के सचिव सय्यद सरवर चिश्ती का कहना है कि हिंदू पक्ष के आरोप पूरी तरीके से बेबुनियाद हैं। इस तरह के दावे देश में सांप्रदायिक शांति को भंग कर सकते हैं। मक्का और मदीना के बाद यह दरगाह मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद अहम मानी जाती है। इस तरह के कदम से पूरी दुनिया के मुस्लिमों को ठेस लगी है।

अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर शुरू होने जा रहे सालाना उर्स के मेरे से पहले नया विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू सेवा का दावा है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में प्राचीन शिव मंदिर है। अपने इस दावे के समर्थन में 1911 में प्रकाशित एक पुस्तक (हरविलास शारदा की 1911 में लिखी किताब- अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव) को अजमेर की अदालत में सबूत के तौर पर पेश भी किया गया है।

अचानक पाकिस्तान क्यों पहुंचे चीनी आर्मी प्रमुख, क्या सिक्योरिटी फोर्सेस की तैनाती पर बनी बात?
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चीन और पाकिस्तान अच्छे दोस्त माने जाते हैं। हालांकि, पाकिस्तान में लगातार हो रहे चीनी नागरिकों और वर्कर्स पर हमलों को लेकर चीन नाराज हो गया है। अब चीन वहां अपनी सेना तैनात करना चाहता है। बताया जा रहा है कि चीन की सिक्योरिटी फोर्सेस को तैनात करने की मंजूरी के लिए पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है। इस बीच चीनी सेना के प्रमुख जनरल बुधवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पहुंचे। उनके साथ एक बड़ा प्रतिनिधि मंडल भी इस्लामाबाद आया है। चीनी सेना के प्रमुख जनरल झांग योशिया ने बुधवार को पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनिर से बातचीत की। पाकिस्तानी न्यूज पोर्टल डॉन के अनुसार दोनों देशों के के बीच में क्षेत्रीय सुरक्षा, स्थिरता और आपसी रक्षा सहयोग को बढ़ाने को लेकर चर्चा की गई। वहीं, कुछ सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना के प्रमुख जनरल झांग ने आतंकवाद के खिलाफ चल रहे अभियानों और चीनी नागरिकों पर पाकिस्तान में हमलों को लेकर उन्होंने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिम मुनिर से पूछा कि इन घटनाओं पर लगाम कैसे लगेगी। डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान में अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर अधिक सक्रिय भूमिका की मांग की। बीजिंग इस बात पर जोर दे रहा है कि पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी नागरिकों के लिए सुरक्षा उपाय और मजबूत किए जाएं। हालांकि, पाकिस्तान ने स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच आतंकवाद रोधी सहयोग "आपसी संप्रभुता और सम्मान" के सिद्धांतों पर आधारित रहेगा। बैठक में भारत की क्षेत्रीय भूमिका और अफगानिस्तान के हालात, विशेषकर आतंकवादी समूहों की सक्रियता, पर गहन चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए मिलकर प्रयास करना जरूरी है। वहीं, पाकिस्तानी सेना की ओर से भी इस मुलाकात को लेकर बयान जारी किया गया है।पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय का कहना है कि दोनों देशों के बीच बातचीत के दौरान अफगानिस्तान और इस क्षेत्र में भारत की भूमिका पर चर्चा की गई। विशेषकर अफगानिस्तान के सक्रिय आतंकवादी संगठनों को लेकर भी चर्चा की गई है।बैठक में इन विषयों पर हुई चर्चा:- • आतंकवाद से निपटने के उपाय:** पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर हमलों को लेकर चिंता जताई गई। • क्षेत्रीय सुरक्षा:** भारत की भूमिका और अफगानिस्तान में आतंकवादी समूहों की मौजूदगी पर विचार-विमर्श किया गया। • द्विपक्षीय रक्षा सहयोग:** दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। • राष्ट्रीय सुरक्षा:** क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सामूहिक कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
संभल हिंसा मामले में चौकाने वाला खुलासा, सर्वे के पहले ही दिन भी बगैर अनुमति के अंदर घुसे थे 150-200 लोग


डेस्क: जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर को लेकर चंदौसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह के आदेश का अनुपालन करने के लिए बेशक पुलिस और जिला प्रशासन, सर्वे की टीम के साथ था लेकिन मस्जिद के अंदर यह कार्य कर पाना बेहद चुनौती पूर्ण रहा क्योंकि 19 नवंबर को जैसे ही जिला प्रशासन के द्वारा मस्जिद के सदर और अन्य समिति के सदस्यों से सूचना देकर सर्वे करने सहमति ली गई थी तो कुछ चिह्नित लोगों को ही अंदर जाना था लेकिन ऐसा हुआ नहीं और अनाधिकृत लोग भी अंदर घुसे।

अत्यधिक भीड़ होने के चलते पहले दिन का कार्य अधूरा छोड़कर उसे स्थगित करना पड़ा। जिसकी वजह से ही 24 नवंबर को फिर से सर्वे करने का समय निर्धारित किया गया था।

डीएम और एसपी के अलावा प्रशासनिक सभी लोगों को बाहर रखा गया और मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया था। समस्या तब उत्पन्न हुई, जब अचानक शहर के कुछ जनप्रतिनिधि और उनके समर्थक लोग आए और मस्जिद का गेट खुलवाकर अंदर घुस गए।

मस्जिद में जबरन घुस गए 150-200 लोग

इस दौरान प्रशासन और पुलिस की टीम ने ऐसे लोगों के अंदर जाने का विरोध भी किया लेकिन उनकी आपत्ति को दरकिनार किया गया था। इतना ही नहीं एक के बाद एक मस्जिद में 150 से 200 लोग दाखिल हो गए और टीम को अपना सर्वे कार्य करने में दिक्कत आने लगी।

लोग सर्वे पर आपत्ति और विरोध की बातें करने लगे, सवाल खड़े करने लगा। ज्यादा भीड़ को देखते हुए कार्य लगातार प्रभावित हो रहा था और रात्रि का समय भी हो रहा था। जिसके चलते एडवोकेट कमिश्नर और जिला प्रशासन कार्य को स्थगित किया और यह कार्य अगले दिन करने का निर्णय लिया, लेकिन जुम्मे की नमाज और उपचुनाव की मतगणना को लेकर चार दिन तक यह कार्य नहीं हुआ।

संभल जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया-

यह बात सही है कि पहले दिन के सर्वे के दौरान मस्जिद के अंदर कुछ अनधिकृत लोग प्रवेश कर गए थे। जिनकी संख्या लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा थी। हालांकि उनको बाहर निकला गया था, क्योंकि रात्रि में सर्वे पूरा नहीं हो सकता था। इसलिए 24 नवंबर को टीम फिर से गई तो दूसरे दिन भी मस्जिद के अंदर काफी लोग थे। जिन्हें बाहर निकालने के बाद सर्वे का कार्य कराया गया था।

पहले दिन जिस वक्त सर्वे का कार्य चल रहा था, उस वक्त सभी सुरक्षा कर्मियों को मस्जिद के बाहर ही रहने दिया गया था, यहां तक की पुलिस अधीक्षक के पीआरओ, कैमरामैन से लेकर अन्य सुरक्षा गार्ड भी बाहर रहे। डीएम के साथ भी रहने वाले स्टाफ को बाहर रखा गया था। चिंता की बात तब हुई जब मस्जिद का गेट अंदर से बंद तो था लेकिन 150 से 200 लोग एक प्रवेश करते जा रहे थे और सुरक्षा के लिए अंदर कोई नहीं था, जिसमें डीएम और एसपी के अलावा एडवोकेट कमिश्नर और याची दो अधिवक्ता की सुरक्षा का सवाल था।

इस्कॉन पर बैन लगाने से बांग्लादेश हाई कोर्ट का इनकार, जानें क्यों उठी है प्रतिबंध की मांग?
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* बांग्लादेश में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने इस्कॉन पर बैन लगाने से इनकार कर दिया है।बांग्लादेश इस्कॉन के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास की देशद्रोह मामले में गिरफ्तारी के बाद से ही बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान ही एक वकील सैफुल इस्लाम की हत्या कर दी गई। जिसके बाद बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठ गई। बांग्लादेश में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के वकील मोनिरुज्जमां ने जस्टिस फराह महबूब और जस्टिस देबाशीष रॉय चौधरी की पीठ के सामने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली अर्जी दाखिल की थी। उन्होंने चटगांव और रंगपुर में आपातकाल घोषित करने की भी अपील की थी। सुनवाई की शुरुआत में अटॉर्नी जनरल की ओर से डिप्टी अटॉर्नी जनरल असदउद्दीन ने सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी अदालत को दी। उन्होंने कोर्ट से कहा कि इस घटना पर सरकार का रुख सख्त है। इसे लेकर अब तक तीन मामले सामने आए हैं, एक में 13 लोग, एक में 14 लोग और दूसरे में 49 लोगों को आरोपी बनाया गया है। अब तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सीसीटीवी के जरिए 6 और लोगों की पहचान की गई है। सरकार की ओर से अदालत में कहा गया है कि पुलिस एक्टिव है, आरोपियों से पूछताछ करने पर जानकारी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। *कोर्ट ने क्या कहा?* सुनवाई के दौरान इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर जजों ने कहा कि, सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ काम कर रही है। हम सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट हैं औरराज्य की जिम्मेदारी पर हमें भरोसा है। इस दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि ‘हमारे देश में सभी धर्मों के लोग बहुत सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण हैं, आपसी सम्मान और प्यार कभी नहीं खोएगा। इसलिए आवेदक को कोई चिंता नहीं करनी चाहिए। *भारत ने चिन्ता जताई* वहीं, पड़ोसी देश के हालात पर भारत भी चिंतित है। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में "गहरी चिंता" व्यक्त की। विदेश मंत्रालय ने कहा- यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमलों के बाद हुई है। बयान में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी और बर्बरता और देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले हैं। इसने हिंदुओं के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर हमलों की भी निंदा की। विदेश मंत्रालय ने लिखा, "हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल है। *बांग्लादेश ने दी आंतरिक मामलों में दखल न देने की सला* वहीं, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत की प्रतिक्रिया की आलोचना करते हुए कहा कि यह मुद्दा बांग्लादेश का "आंतरिक मामला" है। बयान में कहा गया है, यह बेहद निराशा और गहरी पीड़ा के साथ है कि बांग्लादेश सरकार ने नोट किया है कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को कुछ हलकों द्वारा गलत समझा गया है क्योंकि चिन्मय कृष्ण दास को खास आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। बांग्लादेश ने यह भी कहा कि भारत का बयान तथ्यों को गलत तरीके से पेश करता है और पड़ोसी देशों के बीच दोस्ती और समझ की भावना का खंडन करता है। बांग्लादेश के बयान में यह भी कहा गया है कि भारत का बयान सभी धर्मों के लोगों के बीच मौजूद सद्भाव और इस संबंध में सरकार और लोगों की प्रतिबद्धता और प्रयासों को प्रतिबिंबित नहीं करता है।