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सरायकेला :कुरली गांव में दिल दहला देने वाले घटना सामने आई है ।यहां 2 वर्षीय मासूम बालक और उसकी मां की निर्मम हत्या कर दी गई है।पुलिस जुटी जांचम.
सरायकेला : चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के कुरली गांव में दिल दहला देने वाले घटना सामने आई है ।यहां 2 वर्षीय मासूम बालक और उसकी मां की निर्मम हत्या कर दी गई है। वहीं मृतक मासूम का पिता लापता है. अंदेशा जताया जा रहा है कि मासूम का पिता ही दोनों की हत्या कर मौके से फरार हो गया है. पुलिस इस दिल दहला देने वाली घटना की जांच में जुट गई है ।चांडिल के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अरविंद कुमार बिन्हा के नेतृत्व में पुलिस ने गहराई से मामले की जांच शुरू कर दी हे।

ूत्र के अनुसार चौका थाना क्षेत्र के कुरली गांव में रविवार की रात चौका थाना क्षेत्र के कुरली गांव निवासी 35 वर्षीय अशोक महतो की 26 वर्षीय पत्नी मधुमिता महतो और उसके दो साल के बेटा रोहित कुमार की हत्या कर दी गई ।वहीं रात से ही अशोक महतो भी घर से गायब है। पुलिस की जांच में दोनों की हत्या जहर देकर किए जाने की आशंका जताई गई है ।वैसे पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल सरायकेला भेज दिया है। बताया जा रहा है कि मृतक मां और बेटे के मुंह में कपड़ा भर दिया गया था. वहीं गला दबाने का निशान भी मिलने की बात कही जा रही है. बताया जा रहा है कि रोज की भांति रविवार की रात भी मधुमिता अपने ससुर को खाना देकर अपना और पति का खाना लेकर ऊपरी मंजिल पर चली गई थी ।सुबह देर तक नीचे नहीं उतरने पर ससुर विजय महतो ने ऊपर जाकर देखा तो मां और बेटे की लाश पड़ी हुई मिली. वहीं उसका बेटा अशोक महतो घर पर नहीं मिले. इसके बाद उन्होंने अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी। जानकारी मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की. पुलिस घर से लापता अशोक महतो की भी तलाश कर रही है। घटना की जानकारी मिलने के बाद चांडिल के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अरबिंद कुमार बिन्हा ने घटना स्थल पर पहुंचकर मामले की जानकारी ली. इसके पूर्व चौका थाना प्रभारी बजरंग महतो ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर मामले की जांच की, पुलिस मृतका के ससुराल और मायके वालों से पूछताछ कर जानकारी जुटा रही है. वहीं आशंका जताई जा रही है कि अशोक महतो ही दोनों की हत्या कर मौके से फरार हो गया। मृतका के पिता सत्यनारायण महतो ने चौका थाना में लिखित आवेदन देकर अपने दामाद के खिलाफ जहर देकर जान मारने का आरोप लगाया है। जानकारी के अनुसार अशोक महतो की शादी वर्ष 2021 में चांडिल प्रखंड के रावताड़ा में सत्यनारायण महतो की बेटी मधुमिता महतो के साथ हुई थी। अशोक शेयर मार्केट में रुपये लगाने का काम करता था. फिलहाल उसका धंधा मंदा चल रहा था।
सरायकेला : नारायण आईटीआई में स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि मनाई गई।...
सरायकेला : जिला के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के नारायण आईटीआई लुपुंगडीह परिसर में स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि मनाई गई एवं उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया । इस अवसर संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडेजी ने कहा की लाला लाजपत राय भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है। इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। सन् 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये और अन्ततः 17 नवम्बर सन् 1928 को इनकी महान आत्मा ने पार्थिव देह त्याग दी।लाला लाजपत राय का जन्म पंजाब के मोगा जिले में 28 जनवरी 1865 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।इन्होंने कुछ समय हरियाणा के रोहतक और हिसार शहरों में वकालत की। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता थे। बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के साथ इस त्रिमूर्ति को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता था। इन्हीं तीनों नेताओं ने सबसे पहले भारत में पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग की थी बाद में समूचा देश इनके साथ हो गया। इन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज को पंजाब में लोकप्रिय बनाया। लाला हंसराज एवं कल्याण चन्द्र दीक्षित के साथ दयानन्द एंग्लो वैदिक विद्यालयों का प्रसार किया, लोग जिन्हें आजकल डीएवी स्कूल्स व कालेज के नाम से जानते है। लालाजी ने अनेक स्थानों पर अकाल में शिविर लगाकर लोगों की सेवा भी की थी30 अक्टूबर 1928 को इन्होंने लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध आयोजित एक विशाल प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये। उस समय इन्होंने कहा था: "मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।" और वही हुआ भी; लालाजी के बलिदान के 20 साल के भीतर ही ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त हो गया। 17 नवंबर 1928 को इन्हीं चोटों की वजह से इनका देहान्त हो गया।लाला जी की मृत्यु से सारा देश उत्तेजित हो उठा और चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी पर जानलेवा लाठीचार्ज का बदला लेने का निर्णय किया।[4] इन देशभक्तों ने अपने प्रिय नेता की हत्या के ठीक एक महीने बाद अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर ली और 17 दिसम्बर 1928 को ब्रिटिश पुलिस के अफ़सर सांडर्स को गोली से उड़ा दिया। लालाजी की मौत के बदले सांडर्स की हत्या के मामले में ही राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह को फाँसी की सजा सुनाई गई। इस अवसर मुख्य रूप से मौजूद रहे ऐडवोकेट निखिल कुमार, शांति राम महतो, प्रकाश महतो, जोयदीप पाण्डेय, पवन कुमार महतो,अजय मंडल, शशि महतो, कृष्णा पद महतो आदि उपस्थित रहे।
सरायकेला : पत्रकारिता जीवन को अलविदा कर गया वानांचल 24 टी वी लाईव का मुख्य संपादक: सुदेश कुमार।
सरायकेला : नया कुछ कर गुजरने के चाहत और उत्साह के साथ 2010 पत्रकारिता टी वी न्यूज चैनल से आरंभ किया । सुदेश कुमार झारखंड से प्रसारित होने वाला पहला इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनल 365 दिन मे काम करना आरंभ किया ।

समय के अंतराल में सुदेश अन्य इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनलों मे काम किया और अल्प समय मे एक अच्छा पत्रकार के रूप मे क्षेत्र मे जगह बना लिया । पिछले दो साल से कुछ अधिक समय पहले पोर्टल और यूट्यूब न्यूज वानांचल 24 टी वी लाइव को आरंभ किया । सुदेश दिन रात कड़ी मेहनत कर ईचागढ़- सरायकेला खरसावां जिला से बाहर  राजधानी रांची में वानांचल के लिए टीम बनाया और देखते ही देखते वानांचल 24 टी वी लाईव की लोकप्रियता बढ़ने लगा। गौरतलब है कि, वानांचल टी वी 24 लाईव मे सुदेश कुमार को उनके पूर्व ब्यूरो हेड रह चुके साथी का भी साथ मिलता रहा । परिणाम स्वरूप यूट्यूब न्यूज होने का बाबजूद भी समय - समय पर वानांचल मे समाचार बनने का अंदाजा और वजन अच्छे इलैक्ट्रानिक न्यूज चैनल जैसा लगता था । कहते है न, वक्त से किसकी यारी है ? आज इसकी तो कल उसकी बारी है । बता दूं कि, 17 नवम्बर'2024 के देर रात सुदेश खाना खाने के बाद अपने न्यूज रूम कमरे मे काम करने चला गया । 17 के देर रात्री जब उनकी पत्नी उसे देखने आयी तो वह जमीन पर लेटा पाया गया । उसे जगाने पर भी जब वह नही जगा तो उसे रात मे ही हस्पताल ले जाया गया जहां डाक्टर ने उसे मृत घोषित किए ।

बता दूं कि, सुदेश अपने पीछे दो छोटे बेटा और पत्नी को छोड़कर गया है । इधर जानकारी के अनुसार, सुदेश जिस शौक से वानांचल 24 टी वी लाईव को आरंभ किया था । वानांचल के एक्टिव सारे रिपोर्टर इसके नाम को सुदेश के याद मे जीवित रखने का सोच बनाया है । क्यों कि सुदेश की पत्नि इस संथान मे सुदेश के साथ सह संपादक रह चुकी है । अगर वह सहमती देती है तो, वानांचल टीम हमेशा सुदेश के सपनों को पुरा करने मे कोई कसर बाकी नही छोड़ेगा ।चांडिल अनुमंडल के बामनी नदी स्थित मुक्ति धाम में उनकी अंतिम विधाएं दिए गए ।ओर देखते ही पंचत्वी में विलीन हो गया ।इस अंतिम क्षण में सिकोड़ा लोगो उपस्थित रहे।
सरायकेला :केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने फर्जी खबरों से निपटने और लोकतंत्र की रक्षा के लिए डिजिटल मीडिया में जवाबदेही
डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को ऐसे समाधान प्रस्तुत करने होंगे जो उनके सिस्टम के हमारे समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखें: श्री अश्विनी वैष्णव।

केंद्रीय मंत्री ने एआई की नैतिक और आर्थिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला, रचनाकारों के बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा का आह्वान किया सरायकेला :  भारतीय प्रेस परिषद ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2024 के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय मीडिया केंद्र, नई दिल्ली में राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह आयोजित किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, रेलवे और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन, भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की सचिव श्रीमती न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और वरिष्ठ पत्रकार श्री कुंदन रमनलाल व्यास उपस्थित रहे। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह में मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता के रूप में वर्चुअल माध्यम से उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए भारत के जीवंत और विविधतापूर्ण मीडिया पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रकाश डाला, जिसमें 35,000 पंजीकृत समाचार पत्र, कई समाचार चैनल और एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा शामिल है। मंत्री ने कहा कि 4जी और 5जी नेटवर्क में निवेश ने भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे कम डेटा कीमतों के साथ डिजिटल कनेक्टिविटी के मामले में सबसे आगे पहुंचा दिया है। हालांकि, उन्होंने मीडिया और प्रेस के बदलते परिदृश्य के कारण हमारे समाज के सामने आने वाली चार प्रमुख चुनौतियों की ओर इशारा किया:

1. फर्जी खबरें और गलत सूचना

फर्जी खबरों के फैलने से मीडिया पर भरोसा कम होता है और लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा होता है। अपने संबोधन के दौरान, श्री अश्विनी वैष्णव ने डिजिटल मीडिया के तेजी से विकास और इन प्लेटफार्मों पर प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी पर एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया। 1990 के दशक में विकसित सेफ हार्बर की अवधारणा , जब डिजिटल मीडिया की उपलब्धता विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में चुनिंदा उपयोगकर्ताओं तक सीमित थी, ने प्लेटफार्मों को उपयोगकर्ता-जनित सामग्री के लिए जवाबदेह ठहराए जाने से प्रतिरक्षा प्रदान की। उन्होंने उल्लेख किया कि वैश्विक स्तर पर इस बात पर बहस तेज हो रही है कि क्या सेफ हार्बर प्रावधान अभी भी उचित हैं, गलत सूचना, दंगों और यहां तक कि आतंकवादी कृत्यों के प्रसार को सक्षम करने में उनकी भूमिका को देखते हुए। उन्होंने कहा, "क्या भारत जैसे जटिल संदर्भ में काम करने वाले प्लेटफॉर्म को अलग तरह की ज़िम्मेदारियाँ नहीं अपनानी चाहिए? ये ज़रूरी सवाल एक नए ढाँचे की ज़रूरत को रेखांकित करते हैं जो जवाबदेही सुनिश्चित करता है और राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने की सुरक्षा करता है।"

2. कंटेंट क्रिएटर्स के लिए उचित मुआवज़ा* पारंपरिक मीडिया से डिजिटल मीडिया में बदलाव ने पारंपरिक मीडिया को आर्थिक रूप से प्रभावित किया है, जो पत्रकारिता की अखंडता और संपादकीय प्रक्रियाओं में भारी निवेश करता है। श्री वैष्णव ने पारंपरिक सामग्री निर्माताओं के लिए उचित मुआवजे की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, डिजिटल प्लेटफॉर्म और पारंपरिक मीडिया के बीच सौदेबाजी की शक्ति में विषमता को संबोधित किया। उन्होंने कहा,

"सामग्री बनाने में पारंपरिक मीडिया द्वारा किए गए प्रयासों को उचित और उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।"

3. एल्गोरिथम पूर्वाग्रह* डिजिटल प्लेटफॉर्म को चलाने वाले एल्गोरिदम ऐसी सामग्री को प्राथमिकता देते हैं जो जुड़ाव को अधिकतम करती है, मजबूत प्रतिक्रियाएं पैदा करती है और इस तरह प्लेटफॉर्म के लिए राजस्व को परिभाषित करती है। ये अक्सर सनसनीखेज या विभाजनकारी कथाओं को बढ़ावा देते हैं। श्री वैष्णव ने इस तरह के पूर्वाग्रहों के सामाजिक परिणामों पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से भारत जैसे विविधतापूर्ण राष्ट्र में, और प्लेटफार्मों से ऐसे समाधान निकालने का आह्वान किया जो उनके सिस्टम के हमारे समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हों।

4. बौद्धिक संपदा अधिकारों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रभाव ।
एआई का उदय उन रचनाकारों के लिए नैतिक और आर्थिक चुनौतियां पेश करता है जिनके काम का उपयोग एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है। केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता में प्रगति के कारण रचनात्मक दुनिया के सामने आने वाली महत्वपूर्ण उथल-पुथल पर प्रकाश डाला । एआई प्रणालियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करते हुए, उन्होंने मूल रचनाकारों के बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया। “एआई मॉडल आज उन विशाल डेटासेट के आधार पर रचनात्मक सामग्री उत्पन्न कर सकते हैं जिन पर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। लेकिन उस डेटा में योगदान देने वाले मूल रचनाकारों के अधिकारों और मान्यता का क्या होता है? क्या उन्हें उनके काम के लिए मुआवजा या मान्यता दी जा रही है?” मंत्री ने सवाल किया। उन्होंने कहा, "यह केवल एक आर्थिक मुद्दा नहीं है, यह एक नैतिक मुद्दा भी है"। श्री वैष्णव ने हितधारकों से राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर इन चुनौतियों से निपटने के लिए खुली बहस और सहयोगात्मक प्रयासों में शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने लोकतंत्र के एक मजबूत स्तंभ के रूप में मीडिया की भूमिका को बनाए रखने और 2047 तक एक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध विकसित भारत के निर्माण के महत्व पर जोर दिया। *डिजिटल युग में आगे बढ़ना: फर्जी खबरों से निपटना और नैतिक पत्रकारिता को कायम रखना* पारंपरिक प्रिंट से लेकर सैटेलाइट चैनलों और अब डिजिटल युग तक पत्रकारिता के विकास पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. मुरुगन ने आज लोगों तक समाचार पहुँचने की गति का उल्लेख किया। हालाँकि, उन्होंने फ़र्जी खबरों की बढ़ती चुनौती पर ज़ोर दिया , जिसे उन्होंने “वायरस से भी तेज़” फैलने वाला बताया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि फ़र्जी खबरें राष्ट्रीय अखंडता के लिए ख़तरा हैं, सेना को कमज़ोर करती हैं और भारतीय संप्रभुता को चुनौती देती हैं। हर व्यक्ति को संभावित कंटेंट क्रिएटर में बदलने में स्मार्टफोन की भूमिका को स्वीकार करते हुए, डॉ. मुरुगन ने गलत सूचना से निपटने में अधिक जिम्मेदारी और विनियमन की आवश्यकता पर जोर दिया । उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि संविधान द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है, लेकिन इसका प्रयोग सटीकता और नैतिक जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए। डॉ. मुरुगन ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के प्रयासों की सराहना की, जिसमें समाचारों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने और झूठे आख्यानों का मुकाबला करने के लिए प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के भीतर एक तथ्य जांच इकाई की स्थापना भी शामिल है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री संजय जाजू ने पत्रकारों को समर्थन देने के उद्देश्य से सरकार की पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें मान्यता , स्वास्थ्य और कल्याण योजनाएं , तथा भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) जैसे संस्थानों के माध्यम से क्षमता निर्माण कार्यक्रम शामिल हैं। उन्होंने प्रेस और पत्रिकाओं के पंजीकरण अधिनियम, 2023 जैसे सुधारों का भी उल्लेख किया , जो मीडिया विनियमों को आधुनिक बनाता है। नियमित प्रेस ब्रीफिंग, वेब स्क्रीनिंग, कॉन्फ्रेंस आदि के माध्यम से सूचना तक पहुँच में सुधार के प्रयासों पर भी जोर दिया गया। उन्होंने निष्पक्ष, पारदर्शी और टिकाऊ प्रेस इकोसिस्टम बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों का भी आह्वान किया , जो पत्रकारिता को सच्चाई के प्रतीक , विविध आवाज़ों के लिए एक मंच और समाज में सकारात्मक बदलाव के उत्प्रेरक के रूप में स्थापित करता है। *पत्रकारिता की अखंडता बनाए रखने में पीसीआई की भूमिका* अपने संबोधन के दौरान, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की व्यापक उपलब्धता और आध्यात्मिक मीडिया, ब्लॉग और पॉडकास्ट के लगातार उपयोग ने समाचार और सूचना तक पहुँच को काफ़ी हद तक बढ़ा दिया है। इसने न केवल जीवन को आसान बनाया है, बल्कि अपने साथ चुनौतियाँ भी लाई हैं और इसी संबंध में सटीक समाचार समय पर हम तक पहुँचना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारतीय प्रेस परिषद ने पत्रकारिता की अखंडता को बनाए रखने, जनहित की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कदम उठाए हैं कि मीडिया सूचना के लिए एक विश्वसनीय और नैतिक मंच के रूप में कार्य करे। उन्होंने पीसीआई द्वारा चलाए जा रहे पुरस्कारों और इंटर्नशिप कार्यक्रमों पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, "इस साल, 15 पत्रकारों को विभिन्न श्रेणियों में राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार मिले और पीसीआई की पहल का उद्देश्य पत्रकारिता में प्रतिभा, नैतिक विकास को बढ़ावा देना है, लेकिन साथ ही महत्वाकांक्षी पत्रकारों के बीच जिम्मेदारी और जागरूकता की भावना को भी बढ़ावा देना है।"
सरायकेला : आद्रा मंडल, दक्षिण पूर्व रेलवे ने इस सेवा के प्रचार और जागरूकता के लिए कियोस्क, हेल्प डेस्क और बैनर की व्यवस्था की है।...
सरायकेला : आद्रा मंडल, दक्षिण पूर्व रेलवे द्वारा इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) के सहयोग से पेंशनभोगियों के लिए बायोमेट्रिक-आधारित डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (DLC) सेवा शुरू की गई है। इस सेवा का उद्देश्य पेंशनभोगियों को उनके जीवन प्रमाण पत्र की प्रक्रिया को आसान और सुविधाजनक बनाना है।

इस अभियान की मुख्य विशेषताएं:

1- पूरी तरह कागजरहित प्रक्रिया: यह सेवा फिंगरप्रिंट और फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से संचालित है।

2- त्वरित जारीकरण: पोस्टमैन/ग्रामीण डाक सेवक के माध्यम से पेंशनभोगियों के दरवाजे पर यह सेवा उपलब्ध है। नजदीकी डाकघरों में भी यह सुविधा दी जा रही है।

3- सीधा अपडेट: DLC की जानकारी सीधे पेंशन विभाग को भेज दी जाती है, जिससे बैंकों या पेंशन कार्यालयों में जाने की जरूरत समाप्त हो जाती है।

4- सस्ती सेवा: इस सुविधा का शुल्क मात्र ₹70 (कर सहित) रखा गया है।

5- स्थिति जांच और डाउनलोड: पेंशनभोगी जीवन प्रमाण पोर्टल से DLC की स्थिति जांच सकते हैं और इसे डाउनलोड कर सकते हैं।

सेवा की उपलब्धता: पेंशनभोगी अपने स्थानीय पोस्टमैन/ग्रामीण डाक सेवक से संपर्क कर सकते हैं। Postinfo ऐप के माध्यम से अपनी सेवा का अनुरोध कर सकते हैं। पोस्टर पर दिए गए QR कोड को स्कैन कर इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।

आद्रा मंडल में अभियान: आद्रा मंडल, दक्षिण पूर्व रेलवे ने इस सेवा के प्रचार और जागरूकता के लिए कियोस्क, हेल्प डेस्क और बैनर की व्यवस्था की है। ये सुविधाएं पुरुलिया, बांकुड़ा, बर्नपुर, बोकारो, आद्रा और अन्य रेलवे स्टेशनों पर

1 नवंबर से 30 नवंबर 2024 तक उपलब्ध रहेंगी। इस अवसर पर आज पुरुलिया और आद्रा रेलवे स्टेशनो पर इसकी व्यवस्था की गई। यह पहल पेंशनभोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी, क्योंकि यह उनके समय और श्रम की बचत करेगी।
सरायकेला : साईं गुरुकुल ट्रस्ट में एक बर्ष सेबतौर प्रशिक्षण दे रही हैं। मीता घोष को इससे पूर्व 2023 में झारखंड चार्मिंग फेस में प्रथम स्थान मिला
सरायकेला : आदित्यपुर स्थित साईं गुरुकुल ट्रस्ट की योगा एंड फिटनेस ट्रेनर मीता घोष मिसेज इंडिया 2024 चुनी गई हैं । यह अवार्ड उन्हें पिछले दिनों नई दिल्ली में जेमस्टोन यूनिवर्स और ब्यूटी एंड द बेस्ट मैगजीन द्वारा आयोजित था । जिसके द्वारा ग्लोबल ग्लोरी एंटरप्रेन्योर अवार्ड के तहत मिस, मिसेज और मिस्टर इंडिया का चयन प्रतियोगिता के तहत किया गया। जिसमें मिसेज इंडिया 2024 का अवार्ड मीता घोष को मिला है।



यह जानकारी प्रेसवार्ता में साईं गुरुकुल ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने दी ।उन्होंने बताया कि इस अवार्ड के लिए देश के 35 जगहों पर ऑडीशन हुआ था जिसमें 5-5 प्रतिभागियों को फाइनल टेस्ट के लिए चयन किया गया ।फाइनल में मिसेज इंडिया 2024 के लिए मीता घोष ने बाजी मारी. उन्हें बॉलीवुड अभिनेत्री मोनिका चौधरी ने ताज पहनाया और अवार्ड देकर पुरस्कृत किया ।

इंडिया प्रेसवार्ता में ट्रस्ट के निदेशक देव कुमार ने बताया कि मीता घोष पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर अंतर्गत परसूडीह की रहनेवाली हैं और साईं गुरुकुल ट्रस्ट में 1 वर्ष से बतौर प्रशिक्षण दे रही हैं। मीता घोष को इससे पूर्व 2023 में झारखंड चार्मिंग फेस में प्रथम स्थान मिला था ।
इसके अलावा 2023 में ही टाटा अर्बन सर्विसेज द्वारा आयोजित मॉडलिंग शो में पहला स्थान, 2024 में सनी फोटोग्राफी द्वारा आयोजित मॉडलिंग ऑफ द ईयर का अवार्ड, और टैलेंट का जमशेदपुर 2024 में भी फर्स्ट रनर अप का अवार्ड जीत चुकी हैं।


कब ओर कहा मिला था । आदित्यपुर की मीता घोष को मिसेज इंडिया 2024 का अवार्ड मिला है। यह अवार्ड जेमस्टोन यूनिवर्स और ब्यूटी एंड द बेस्ट मैगजीन द्वारा आयोजित ग्लोबल ग्लोरी एंटरप्रेन्योर अवार्ड के तहत दिया गया। मीता घोष साईं गुरुकुल ट्रस्ट में योगा और फिटनेस ट्रेनर हैं। उन्हें बॉलीवुड अभिनेत्री मोनिका चौधरी ने ताज पहनाया और अवार्ड देकर पुरस्कृत किया। मीता घोष पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर की रहनेवाली हैं। उन्हें पहले झारखंड चार्मिंग फेस 2023 का अवार्ड भी मिल चुका है।
प्रेसवार्ता में देव कुमार के साथ मीता घोष, मीनू टूडू, रिंकी कुमारी महतो और अलीशा महतो मौजूद रहीं।
सरायकेला : कुमारघाट-अगरतला रेलखंड पर फर्जी तरीके से कर रहे थे टिकट की जांच, आरपीएफ ने किया गिरफ्तार।
सरायकेला : कोल्हान में फर्जी टिकट चेकर हुसैन अली और कौशिक सरकार हुए गिरफ्तार । टिकट चेकर की वर्दी पहनकर पैसेंजर गाड़ी में यात्रियों के टिकट की जांच कर रहे दो फर्जी टिकट चेकरों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। दोनों को धर्मानगर अगरतला रेल खंड में चलने वाली पैसेंजर गाड़ियों में संध्या के समय बिना प्राधिकार पत्र के गलत तरीके से टिकट चेकिंग करते हुए पाए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया। प्राप्त सूचना के अनुसार फर्जी टिकट चेकर हुसैन अली द्वारा 05676 धर्मानगर अगरतला पैसेंजर गाड़ी में टिकट चेकिंग की जा रही थी। इस ट्रेन में एस्कॉर्ट की ड्यूटी कर रहे रेल सुरक्षा बल के अजीत कुमार सरकार और अंजन पॉल को हुसैन अली की कार्य प्रणाली और गतिविधियों को देखकर संदेह हुआ। आरपीएफ जवानों ने फर्जी टीटीई हुसैन अली से पहचान पत्र और प्राधिकार पत्र दिखाने के लिए कहा। हुसैन अली ने पहले तो कहा कि वह एक नवनियुक्त टिकट चेकिंग कर्मचारी है और इसलिए टिकट की जांच कर रहा है, लेकिन बाद में उसने स्वीकार कर लिया कि उसके पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं है। दीमापुर के टिकट चेकिंग मस्टर रोल से भी क्रॉस वेरिफिकेशन किया गया जिसमें हुसैन अली के फर्जी होने की पुष्टि हो गई। इसके बाद हुसैन अली को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। इसी रेलखंड में चलने वाली पैसेंजर गाड़ी 05675 डाउन में काम कर रहे सीनियर टिकट चेकिंग कर्मचारी सुबर्जित पॉल ने कौशिक सरकार नामक एक फर्जी टिकट चेकर को संदेह के आधार पर धड़ दबोचा। कौशिक सरकार ने पहले बयान दिया कि उसको टिकट चेकर के रूप में रेलवे में नौकरी मिली है लेकिन किसी प्रकार का अथॉरिटी लेटर या पहचान पत्र दिखाने में वह असफल रहा जिसके बाद सुब्रजीत पॉल ने फर्जी टिकट चेकर कौशिक सरकार को पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया।
सरायकेला :बदलते भारत की बदलती तस्वीर भारतीय रेल के स्वरूप मे अब उभरने लगी है।।...
सरायकेला : विविधताओं से भरा अपना देश निराला है। अपने यहाँ, चीज़ों को अलग नज़रिए से देखने की प्रशस्त परंपरा रही है। हमारे लिए गंगा और गोदावरी सिर्फ़ नदियों के नाम नहीं, जीवन दायिनी माँ के पर्यायी हैं। संगीत, कानों को सुख देने का सिर्फ़ साधन नहीं, सुरों की साधना का ज़रिया है।कुछ वैसे ही, हम देशवासियों के लिए, भारतीय रेल, महज़ एक अदद इंजन और डेढ़ दर्जन डिब्बों से लैस गाड़ी नहीं, घर परिवार से दूर जीविकार्जन कर रहे हमारे श्रमिकों, किसानों, जवानों और करोड़ों नागरिकों का अपने परिवारों और प्रियजनों से भावनात्मक रिश्तों को जोड़ता एक पुल है।

पूरब से पश्चिम, और उत्तर से दक्षिण बिछी पटरियों पर सिर्फ़ हमारी ट्रेनें नहीं दौड़तीं - उनसे होकर रिश्तों के एहसास गुज़रते हैं। विराट भारत देश की विविधताओं को अपने अंतर में समेटे, भारतीय रेल, भारत सरकार की प्रतिनिधि भी है, और देशवासियों की आकांक्षाओं का प्रतीक भी इन आकांक्षाओं की अग्नि परीक्षा हर साल त्योहारों के मौसम में होती है, जब परिवार से दूर जीवन यापन कर रहे करोड़ों देशवासी अपने घरों को लौटते हैं। महानगरों की गुमनामी भरी ज़िन्दगी में, साल भर की जी तोड़ मेहनत के बाद, अपनों से मिलने के अरमान लिए ये मेहनतकश एक विशाल समूह में निकल पड़ते हैं रेल के सफ़र पर। संख्या इतनी ज़्यादा, कि अगर आपने उस परिवेश में कभी काम ना किया हो, तो देखते ही हाथ-पाँव फूल जायें। और, अगर बात त्योहार और विशेष दिनों में उमड़ते जन-सैलाब की हो, तो सिर्फ़ रेल संचालन से बात नहीं बनती। आपको रेलवे स्टेशन पर आये लोगों के सुचारू रूप से ठहरने, टिकट ख़रीदने, जलपान आदि की भी पर्याप्त व्यस्तता करनी होती है। इसके लिए रेल अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा स्वयं सेवी संगठनों का भी सहयोग मिलता है।

भारतीय रेल प्रशासन को करोड़ों की संख्या में आये यात्रियों को अपने गंतव्यों तक पहुँचने का कई दशकों का अनुभव है, पर अब सारी कोशिश इस अनुभव को क्रमशः सुखद बनाने की है। अगर विदेशी मेहमानों से कभी इस विषय पर चर्चा हो, तो वे दांतों तले उँगलियाँ दबा लेते हैं। यातायात प्रबंधन की जानकारी रखने वाले कई साथी, यह सुनकर कि त्योहारों के दौरान रेलवे ने एक लाख सत्तर हज़ार ट्रेनों के फेरों के अलावा 7,700 विशेष ट्रेनों का संचालन किया, हैरत में पड़ जाते हैं।

अब आप, सूरत के पास स्थित औद्योगिक शहर ऊधना को ही ले लीजिये - यहाँ के रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन औसतन सात-आठ हज़ार यात्रियों का आवागमन होता है - चार नवंबर को इस छोटे से स्टेशन पर चालीस हज़ार से ज़्यादा की भीड़ उमड़ आयी। अगर, रेलवे प्रशासन ने एक टीम की तरह काम करते हुए उचित व्यवस्थाएँ ना की होती, तो यात्रियों की परेशानी का अन्दाज़ लगाना भी मुश्किल होता। त्योहार के दौरान, देश भर में सबसे अधिक आवागमन नई दिल्ली स्टेशन से हुआ। इस अवधि में सिर्फ़ इस स्टेशन से, यात्रियों की माँग पर एक दिन मे 64 स्पेशल और 19 अनारक्षित ट्रेनों का संचालन किया गया। विदेशी मेहमानों से भरी एक सभा में जब त्योहारों में रेल यात्रा की चर्चा हुई, तो एक राजनयिक यह सुनकर दंग रह गये कि इस साल अकेले छठ महापर्व के पहले, 4 नवम्बर को, लगभग 3 करोड़ लोग ट्रेन से अपने गंतव्यों तक गये, और त्योहार के दिनों में तो रेलवे ने लगभग 25 करोड़ यात्रियों को यात्रा करने में मदद की।

संबंधित राजनयिक ने, हल्की मुस्कान के साथ कहा कि पाकिस्तान की कुल आबादी से ज़्यादा लोगों ने तो महज़ कुछ दिनों में ही आपकी ट्रेनों में यात्रा की! भारतीय रेल को यह एहसास है कि देश के पूर्वी हिस्सों से बड़ी संख्या में उद्योग केंद्रों में श्रम कर रहे हमारे इन भाई-बहनों का देश के निर्माण में अहम किरदार है। जम्मू की अटल टनल से लेकर मुंबई की सी-लिंक तक, और बेंगलुरु की आई-टी प्रतिष्ठानों से लेकर दिल्ली के निर्माणाधीन भवनों तक को, पूरब की मिट्टी में रचे बसे लोगों ने अपने हाथों से गढ़ा है। देश की सीमाओं पर तैनात फ़ौज या सीमा सुरक्षा बल के जवान हों, पंजाब के खेतों में फ़सल उगा रहे मज़दूर, सरकारी ऑफिसों तथा निजी संस्थानों में सेवारत कर्मचारी, बड़े-बुज़ुर्ग, या देश की प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थी, ये सब अपने अपने तरीक़ों से आज और आनेवाले कल के भारत को गढ़ रहे हैं। भारतीय रेल भी आधुनिक तकनीक और सुविधाओं से लैस वन्दे भारत, अमृत भारत, नमो भारत जैसी ट्रेनों के लगातार विस्तार और देशभर में हजार से ज़्यादा रेलवे स्टेशनों को अमृत स्टेशन में बदलकर एक नयी और विश्वस्तरीय यात्रा पर चल पड़ी है। बदलते भारत की बदलती तस्वीर भारतीय रेल के स्वरूप मे अब उभरने लगी है।
सरायकेला : जंगली हाथीयों के झुंड ने जुगीलोंग गांव में गरीब किसानों का धान खाया ओर रौंद डाला ,हाथी भगाने के लिए पहुंचे ग्रामीण। वन विभाग के देखा
रायकेला : जिला के नीमडीह प्रखंड अंतर्गत जुगलोंग गाँव में जंगली हाथियों झुंड ने दर्जनों गरीब किसानो का पके खड़ी फसल धान को खाया और पैर से कुचल कर नष्ट कर दिया। चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में हाथियों के आतंक एक गंभीर समस्या बना है, जिसमे स्थानीय लोंगो का जन जीवन प्रभावित हो रहा है। विशाल ट्रस्कर हाथी जंगल को छोड़कर गांव मे प्रवेश कर रहे है और फसलों को नुकसान पंहुचा रहे है। जिसमें किसानों में वन विभाग के प्रति नाराजगी देखा गया । साल भर की मेहनत को एक ही रात में बर्बाद कर देते है। हाथियों की आतंक से जनजीवन अस्त व्यस्त हो रहा है। शाम ढलते ही हाथियों का झुंड विभिन्न जंगलों से उतर कर गांव में प्रवेश कर जाते है, साथ ही किसान की घर में रखे घरेलु सामग्री को दीवार को क्षति ग्रस्त करके धान व चावल आदि सामग्री को अपना निवाला बनाते है। जिसमें इस क्षेत्र के मानव समुदाय के लिए आज के दौर में एक बड़ा समस्या उत्पन्न हो गया। अब धान की फसल पक कर तैयार है।उस कड़ी में फसल को अपना भोजन बना रहे है एवं पैर तले रोंद कर नष्ट कर देते है। तीन दिन पहले कदला पहाड़ पर 22 हाथियों का झुंड देखा गया था, अभी पाड़कीडीह महुल गोड़ा के पास पलाश के झाड़ी मे छुपे है। शाम ढलते ही चिंगरापाड़किडीह, हुंडरूपत्थरडीह, चातरमा, जामडीह, जुगिलोंग, पूसपुतुल, होदागोड़ा मे घूम रहा है। जिससे गरीब किसान वन क्षेत्र पदाधिकारी ओर वर्तमान सरकार के प्रति नाराजगी जताई। दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी रहने के बाबजूद आज हाथियों का झुंड पलायन कर ग्रामीण क्षेत्र मे डेरा डाला।केंद्र सरकार ओर राज्य सरकार द्वारा वन एवं पर्यावरण विभाग को प्रति बर्ष करोड़ों रुपया मुहैया करते हैं परन्तु हाथी की जंगल छौड़ कर बारों महीना ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र में डेरा डाला हुआ हे। हाथी द्वारा क्षत्रि पूर्ति का मुआवजा का राशि ग्रामीणों नहीं मिलने के कारण आज ग्रामीण वन विभाग के प्रति नाराजगी जताई जा रहा हे। वन विभाग के पदाधिकारी से पूछे जाने पर मौन बना लिया हे।
सरायकेला : आईटीआई लूपुंग़डीह परिसर में लोक नायक भगवान बिरसा मुंडा जी का जयंती मनाई गई एवं उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया ।
सरायकेला : आज नारायण आईटीआई लुपुंगडीह परिसर में एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक भगवान बिरसा मुंडा जी का जयंती मनाई गई एवं उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया ।
इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडेजी ने कहा कि बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सुगना पुर्ती (मुंडा) और माता का नाम करमी पुर्ती (मुंडा) था। साल्गा गाँव में प्रारंभिक पढ़ाई के बाद वे चाईबासा (गोस्नर इवेंजेलिकल लुथरन चर्च) विद्यालय में पढ़ाई करने चले गए। बिरसा मुंडा को उनके पिता ने मिशनरी स्कूल में यह सोचकर भर्ती किया था कि वहाँ अच्छी पढ़ाई होगी लेकिन स्कूल में ईसाईयत के पाठ पर जोर दिया जाता था।सभी आदिवासियों को संगठित किया फिर छेड़ दिया अंग्रेजों के ख़िलाफ़ महाविद्रोह 'उलगुलान'।

आदिवासी पुनरुत्थान के जनक बिरसा मुंडा धीरे-धीरे बिरसा मुंडा का ध्यान मुंडा समुदाय की गरीबी की ओर गया। आदिवासियों का जीवन अभावों से भरा हुआ था। और इस स्थिति का फायदा मिशनरी उठाने लगे थे और आदिवासियों को ईसाईयत का पाठ पढ़ाते थे। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि गरीब आदिवासियों को यह कहकर बरगलाया जाता था कि तुम्हारे ऊपर जो गरीबी का प्रकोप है वो ईश्वर का है। हमारे साथ आओ हमें तुम्हें भात देंगे कपड़े भी देंगे। उस समय बीमारी को भी ईश्वरी प्रकोप से जोड़ा जाता था।20 वर्ष के होते होते बिरसा मुंडा वैष्णव धर्म की ओर मुड़ गए जो आदिवासी किसी महामारी को दैवीय प्रकोप मानते थे उनको वे महामारी से बचने के उपाय समझाते और लोग बड़े ध्यान से उन्हें सुनते और उनकी बात मानते थें। आदिवासी हैजा, चेचक, साँप के काटने बाघ के खाए जाने को ईश्वर की मर्जी मानते, लेकिन बिरसा उन्हें सिखाते कि चेचक-हैजा से कैसे लड़ा जाता है। वो आदिवासियों को धर्म एवं संस्कृति से जुड़े रहने के लिए कहते और साथ ही साथ मिशनरियों के कुचक्र से बचने की सलाह भी देते। धीरे धीरे लोग बिरसा मुंडा की कही बातों पर विश्वास करने लगे और मिशनरी की बातों को नकारने लगे। बिरसा मुंडा आदिवासियों के भगवान हो गए और उन्हें 'धरती आबा' कहा जाने लगा। लेकिन आदिवासी पुनरुत्थान के नायक बिरसा मुंडा, अंग्रेजों के साथ साथ अब मिशनरियों की आँखों में भी खटकने लगे थे। अंग्रेजों एवं मिशनरियों को अपने मकसद में बिरसा मुंडा सबसे बड़े बाधक लगने लगे।भगवान बिरसा मुंडा की वीरता और संघर्ष से काफी प्रभावित होकर धरती आबा पर फिल्म बनाने की पूरी तैयारी पूरी कर ली गयी है। साल 2024 के मार्च महीने में भगवान बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू से फिल्म की शूटिंग शुरू करने की बात कही गई है।1900ई को बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर लिया गया और रांची जेल में बिरसा की मृत्यु हैजे से हो गयी 'बिरसा मरे नहीं, अपितु अमर हो गए। जब जब आदिवासी विद्रोह के बारे में हम बात करेंगे, बिरसा मुंडा का नाम प्रथम पंक्ति में लिया जाएगा।आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजा जाता है। इस अवसर पर मुख्य रूप से मौजूद रहे ऐडवोकेट निखिल कुमार, सुधीष्ट कुमार, शांति राम महतो,पवन कुमार, अजय कुमार, प्रकाश महतो, कृष्णा पद महतो, गौरव महतो , शशि भूषण महतो, आदि मोजद रहे।