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झांसी मेडिकल कॉलेज के NICU में लगी आग, 10 मासूमों की मौत, पीएम बोले- हृदयविदारक घटना
#massive_fire_broke_out_in_the_medical_college_in_jhansi_several_children_died
* झांसी मेडिकल कॉलेज में बीती रात लगी आग में 10 मासूमों की मौत हो गई। मेडिकल कॉलेज के बच्चों के ICU में आग लगी थी। हादसे के वक्त NICU में 55 बच्चे थे, जिनमें से 37 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया। बताया जा रहा है कि बाहर वाले वार्ड से सभी बच्चों को बचा लिया गया, लेकिन जो बच्चे अंदर वाले वार्ड में थे, उनकी झुलसने से मौत हो गई। *मासूमों की मौत पर जताया शोक* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना को लेकर शोक जताया है। एक्स पर पीएमओ ने लिखा कि हृदयविदारक! उत्तर प्रदेश में झांसी के मेडिकल कॉलेज में आग लगने से हुआ हादसा मन को व्यथित करने वाला है। इसमें जिन्होंने अपने मासूम बच्चों को खो दिया है, उनके प्रति मेरी गहरी शोक-संवेदनाएं। ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें इस अपार दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे। *मुआवजे की घोषणा* महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में भीषण आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की झुलसने एवं दम घुटने से मौत हो गई। मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने बताया कि जिस वार्ड में आग लगी थी, वहां 55 नवजात भर्ती थे। 45 नवजात को सुरक्षित निकाल लिया गया। उनका इलाज चल रहा है। हादसे की सूचना मिलते ही करीब 15 दमकलें मौके पर पहुंच गईं। सेना को भी बुला लिया। सेना एवं दमकल ने मिलकर आग बुझाई। बच्चों को सर्वोत्तम चिकित्सा उपचार दिया जा रहा है, वे जल्द ठीक हो जाएंगे। आज सुबह डिप्टी सीएम बृजेश पाठक मेडिकल कॉलेड पहुंच गये हैं। झांसी मेडिकल कॉलेज हादसे में शिकार परिजनों को शासन द्वारा पांच लाख रुपये की सहायता की घोषणा की गई है। घायलों के परिजनों को पचास-पचास हजार की सहायाता मिलेगी। *परिजन बोले- अस्पताल प्रशासन की लापरवाही* मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड (एसएनसीयू) में पहले धुआं उठा, किसी को कुछ समझ नहीं आया और देखते ही देखते शिशु वार्ड में आग की लपटें उठने लगीं। वहीं, इस हादसे ने अस्पताल की व्यवस्था की भी कलई खोल दी। चाइल्ड वार्ड में आग लगने के बावजूद सेफ्टी अलार्म नहीं बजा। बच्चों के परिजन के मुताबिक, अगर समय से सेफ्टी अलार्म बज जाता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती। परिजनों का कहना था कि यह अस्पताल प्रशासन की लापरवाही है। समय-समय पर सेफ्टी अलार्म समेत अस्पताल की अन्य व्यवस्थाओं की जांच होती रहनी चाहिए थी, ताकि आपात स्थिति में बचाव किया जा सके। शिशु वार्ड से बाहर निकलने का एक ही गेट था, लेकिन हादसे के वक्त गेट पर आग की लपटें उठ रही थीं। ऐसे में जो लोग बाहर थे, वो भी बच्चों को बचाने के लिए अंदर नहीं जा सके। *बच्चों को लेकर बदहवास भागते नजर आए परिजन* NICU वार्ड में लगी आग लगने के बाद परिजन अपने नवजात शिशुओं के जले हुए अवशेषों को लेकर भागते नजर आए। बेहद परेशान करने वाले दृश्यों ने विचलित कर दिया। महिलाओं की चीख-पुकार साफ तौर पर वीडियो में सुनाई दे रही थी।
प्रधानमंत्री मोदी वक्फ अधिनियम में करेंगे संशोधन', अमित शाह का बड़ा दावा*
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ अधिनियम में संशोधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उद्धव ठाकरे और शरद पवार जैसे नेताओं के विरोध के बावजूद वक्फ अधिनियम में संशोधन करेंगे। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के उमरखेड़ में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि मोदी जी वक्फ बोर्ड के कानून को बदलना चाहते हैं। लेकिन उद्धव जी, शरद पवार और सुप्रिया सुले इसका विरोध कर रहे हैं।अमित शाह ने कहा कि उद्धव जी कान खोलकर सुन लीजिए, आप सभी जितना विरोध करना चाहते हैं कर लीजिए, लेकिन मोदी जी वक्फ का कानून बदलकर रहेंगे। *'कौरव' एमवीए का प्रतिनिधित्व कर रही* शाह ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के तहत 20 नवंबर को होने वाले मतदान में दो खेमे हैं। उन्होंने कहा कि एक ‘पांडवों’ का है।जिसका प्रतिनिधित्व भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति कर रही है और दूसरा 'कौरव' जिसका प्रतिनिधित्व महा विकास अघाड़ी कर रही है। उद्धव ठाकरे का दावा है कि उनकी शिवसेना असली है। क्या असली शिवसेना औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने के खिलाफ जा सकती है? क्या असली शिवसेना अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्यानगर करने के खिलाफ जा सकती है? असली शिवसेना भाजपा के साथ खड़ी है। *कांग्रेस अपने वादे पूरे नहीं करती-शाह* शाह ने आगे राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहुल बाबा कहते थे कि उनकी सरकार लोगों के खातों में तुरंत पैसे जमा करेगी। आप हिमाचल, कर्नाटक और तेलंगाना में अपने वादे पूरे नहीं कर पाए। महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन ने वादा किया है कि लड़की बहन योजना के तहत महिलाओं को 2,100 रुपये प्रति माह मिलेंगे। इस दौरान उन्होंने कहा, कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और दुनिया की कोई भी ताकत इसे हमसे नहीं छीन सकती।
अमेरिका-ईरान में खत्म होगा तनाव! एलन मस्क ने की ईरानी राजदूत से मुलाकात

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दुनिया के सबसे ज्यादा अमीरों की लिस्ट में शुमार एलन मस्‍क अब अलग ही अवतार में नजर आ रहे हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद कारोबारी एलन मस्क पॉलिटिशियन का रोल भी निभाने लगे हैं। ट्रंप के करीबी अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत से मुलाकात की है। दोनों की मुलाकात को अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव को खत्म करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। 

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मस्क ईरान-अमेरिका के बीच टेंशन खत्‍म करने में लगे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को वो यूनाटेड नेशन में ईरान के राजदूत से मिले। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक दोनों नेताओं ने किसी गुप्त जगह पर मुलाकात की। दोनों के बीच एक घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत हुई। हालांकि न तो ट्रंप की टीम के सदस्यों ने या फिर ईरान के दूतावास ने इस मुलाकात की पुष्टि की है। अगर मस्क और ईरानी राजदूत की मुलाकात की आधिकारिक पुष्टि हो जाती है तो इससे साफ हो जाएगा कि ट्रंप सरकार ईरान के साथ संबंध बेहतर करने का इरादा रखती है।

ईरान से जुड़े दो सूत्रों ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि मस्क ने इस मीटिंग के लिए पहल की थी, वहीं ईरानी डिप्लोमैट ने जगह का चयन किया था। दोनों पक्षों ने एक घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत की। सूत्रों ने कहा कि ईरानी डिप्लोमैट बातचीत से खुश नजर आए। रिपोर्ट के मुताबिक बातचीत के दौरान ईरानी डिप्लोमैट ने मस्क को सलाह दी कि उन्हें सरकार से छूट लेकर अपना कारोबार ईरान ले जाना चाहिए। ईरान और मस्क ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

बता दें कि ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में ईरान पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई थी, लेकिन इस बार सत्ता पर काबिज होने से पहले ही ट्रंप ने ईरान के साथ तनाव कम करने की कोशिश शुरू कर बड़े संकेत दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि एलन मस्क और ईरानी राजदूत की मुलाकात के दौरान राजदूत ने मस्क से अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट देने और तेहरान में व्यापार करने की अपील की। 

ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर किए गए समझौते को तोड़ दिया था। यह समझौते बराक ओबामा की सरकार के दौरान किए गए थे। जिसके बाद से ही ईरान और अमेरिका के बीच दूरियां काफी ज्‍यादा बढ़ गई थी। ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान ही ईरान के सेना प्रमुख कासिम सुलेमानी को अमेरिकी सेना ने बगदाद में मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात पैदा हो गए थे।

ट्रूडो की अग्निपरीक्षाःआतंकी अर्श डल्ला पर भारत ने चली बड़ी चाल, अब क्या करेंगे कनाडाई पीएम
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* कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यही यकीन दिलाने की कोशिश की कि उनके देश में खालिस्तानी आतंकी मौजूद नहीं हैं। खालिस्तानी आतंकी अर्श डल्ला भारत का मोस्ट वान्टेड टेररिस्ट है। वह खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर का करीबी गैंगस्टर रहा है। वह सालों से कनाडा में है और ट्रूडो सरकार की नाक के नीचे गैंग और भारत विरोधी अभियान चला रहा है। लेकिन अब कनाडा में हुए हालिया घटनाक्रम ने ट्रूडो के इन दावों की पोल खोल दी है। अब जब अर्श डल्ला की गिरफ्तारी हो चुकी है तो ट्रूडो सरकार उसे बचाने में जुट चुकी है। खालिस्तानी वोट बैंट की वजह से ट्रूडो सरकार आतंकी को भारत के हाथ नहीं सौंपना चाहती। हालांकि, भारत भी हाथ पर हाथ रखकर बैठने वाला नहीं है। अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण के लिए भारत ने अपनी चाल चल दी है।भारत ने खूंखार खालिस्तानी आतंकी अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण की आधिकारिक अपील कनाडा से की है। *नहीं होगी अर्श डल्ला केस की मीडिया कवरेज* दरअसल, खालिस्तान टाइगर फोर्स के सरगना अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला को गिरफ्तारी के बाद गुरुवार को कनाडा की कोर्ट में पेश किया गया। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो यहां भी भारत के दुश्मनों से प्यार छुपा नहीं सके। उसे बचाने के लिए कनाडा सरकार ने भरी अदालत में एक दांव चल दिया। आतंकी अर्श डल्ला को लेकर कोई भी जानकारी भारत और दुनिया को पता न चले, इसके लिए कनाडा की जस्टिन ट्रूडो की सरकार के वकील ने मीडिया कवरेज पर बैन की मांग कर दी। सरकारी वकील ने अदालत में एप्लिकेशन लगाई कि 517 पब्लिकेशन एक्ट के तहत कवरेज को लेकर मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। इसके बाद कनाडा की कोर्ट ने ऑर्डर दे दिया कि अर्श डल्ला केस की मीडिया कवरेज न हो। इस तरह से ट्रूडो ने भारत विरोधी अपनी एक हरकत को खुलेआम कर दिया। *भारत सरकार ने भी चल दी अपनी चाल* भले ही ट्रूडो भारत विरोधियों को पनाह देने की लाख कोशिश करें, मगर मोदी सरकार भी चुप बैठने वाली नहीं है। अपने मोस्ट वांटेड आतंकी को वापस पाने और उसे भारत में न्याय के कटघरे में खड़ा करने के लिए कई कदम उठा रहा है। भारत सरकार अब उसके प्रत्यर्पण की पूरी कोशिश में जुट गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया है कि 10 नवंबर को अर्श डल्ला की गिरफ्तारी हुई और अब ओंटोरियो कोर्ट में उसके केस की सुनवाई होगी। मंत्रालय के बयान में कहा गया है, 'अर्श डल्ला हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली और आतंकी फंडिंग सहित आतंकवादी कृत्यों के 50 से अधिक मामलों में एक घोषित अपराधी है। मई 2022 में उसके खिलाफ एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। उन्हें 2023 में भारत में आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था। जुलाई 2023 में भारत सरकार ने कनाडा सरकार से उसकी गिरफ्तारी का अनुरोध किया था। इसे अस्वीकार कर दिया गया था। इस मामले में अतिरिक्त जानकारी प्रदान की गई थी।' बयान में कहा गया है, 'अर्श डल्ला के संदिग्ध आवासीय पते, भारत में उसके वित्तीय लेनदेन, चल/अचल संपत्तियों, मोबाइल नंबरों के विवरण आदि को सत्यापित करने के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत कनाडा को एक अलग अनुरोध भी भेजा गया था - जिनमें से सभी जनवरी 2023 में कनाडा के अधिकारियों को प्रदान किए गए थे। दिसंबर 2023 में कनाडा के न्याय विभाग ने मामले पर अतिरिक्त जानकारी मांगी। इन सवालों का जवाब इस साल मार्च में भेजा गया था।' विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हालिया गिरफ्तारी को देखते हुए, हमारी एजेंसियां प्रत्यर्पण अनुरोध पर कार्रवाई करेंगी। भारत में अर्श डल्ला के आपराधिक रिकॉर्ड और कनाडा में इसी तरह की अवैध गतिविधियों में उसकी संलिप्तता को देखते हुए उम्मीद है कि उसे भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित या निर्वासित किया जाएगा।' *क्या है ट्रूडो सरकार की मंशा?* भारत के आग्रह पर जस्टिन ट्रूडो की सरकार क्या करेगी, इसका जवाब तो बाद में मिलेगा, लेकिन हालिया फैसलों से उसकी मंशा को जरूर उजागर कर दिया है। कनाडा में हाल के दिनों में हिंदुओं और भारत के खिलाफ दो बड़ी घटनाएं हुई हैं। दीपावली के मौके पर कनाडा के हिंदू मंदिरों में खालिस्तानी आतंकियों ने हमला किया था। तब कनाडा पुलिस ने मार-पीट और हिंसा करने वालों को सिर्फ गिरफ्तार किया और तुरंत रिहा भी कर दिया। दूसरी तरफ, ट्रूडो सरकार ने संदीप सिंह सिद्धू उर्फ सनी टोरंटो को क्लीन चिट दे दि जिस पर भारत में शौर्य चक्र विजेता बलविंद सिंह संधू की हत्या करवाने का आरोप है। सनी पर लगे आतंकवाद फैलाने के आरोपों की जांच कनैडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) कर रही थी। एजेंसी ने उसे क्लीन चिट दे दी है। सनी कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (CBSA) में तैनात था। उसे वापस सुपरिटेंडेंट के पद पर तैनात कर दिया गया है।
पीएम मोदी के विमान में आई तकनीकी खराबी, देवघर एयरपोर्ट पर रुका प्लेन

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झारखंड में चुनावी रैली के लिए पहुंचे पीएम मोदी के विमान में तकनीकी खराबी आ गई। इस वजह से विमान को देवघर हवाई अड्डे पर ही रोकना पड़ा। इससे उनकी दिल्ली वापसी में कुछ देरी हुई।पीएम मोदी का विमान रुकने से एयर ट्रैफिक पर असर पड़ा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज झारखंड-बिहार सीम से लगते जमुई के दौरे पर थे और उन्हें देवघर एयरपोर्ट से वापस दिल्ली लौटना था। लेकिन, ऐन वक्त पर उनके विमान में तकनीकी खराबी आ गई जिसके चलते उन्हें कुछ देर देवघर एयरपोर्ट पर रुकना पड़ा।

प्रधानमंत्री जमुई के चाकई में सभा करने के बाद देवघर लौट रहे थे, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण विमान उड़ान नहीं भर सका। इससे एयर ट्रैफिक ब्लॉक हो गया, जिसका असर अन्य उड़ानों पर भी पड़ा। बता दें कि पीएम मोदी हमेशा एयर फोर्स के स्पेशल विमान से ही ट्रैवल करते हैं। वायुसेना के विशेष विमान के साथ दो और विमान भी पीएम मोदी के साथ यात्रा के दौरान होते हैं। एक में एसपीजी और दूसरे में अन्य तकनीकी सदस्य होते हैं।

राहुल गांधी का हेलीकॉप्टर गोड्डा में फंसा

जहां एक ओर देवघर में पीएम मोदी के विमान में तकनीकी खराबी आ गई वहीं लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी का हेलीकॉप्टर झारखंड के गोड्डा में फंस गया। एटीएस ने उनके हेलीकॉप्टर को उड़ान भरने की इजाजत नहीं दी। करीब आधे घंटे तक उनका हेलीकॉप्टर खड़ा रहा। कांग्रेस ने इसके लिए भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है।

आईसीसी ने पाकिस्तान को दिया बड़ा झटका, चैंपियंस ट्रॉफी नहीं जाएगी PoK

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चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का आयोजन पाकिस्तान में होना है। आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 से पहले एक बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। दरअसल, आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने दुबई से इस्लामाबाद भेज दिया है। अब पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड इस ट्रॉफी के टूर के लिए तैयार है। यानी इस ट्रॉफी को पाकिस्तान की अलग-अलग जगहों पर फैंस के बीच लेकर जाया जाएगा। चैंपियंस ट्रॉफी के टूर का ऐलान भी हो चुका है। इसी बीच आईसीसी ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को बड़ा झटका दिया है।आईसीसी ने फैसला सुनाया है कि चैंपियंस ट्रॉफी को पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नहीं घुमाया जा सकता।इससे पहले पाकिस्तान ने कहा था कि वह आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की ट्रॉफी पीआके में घुमाएगा। इसपर भारत ने आपत्ति जताई थी।

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 को लेकर माहौल पूरी तरह से गर्म हो गया है। भारत ने इस टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान का दौरा करने से साफ मना कर दिया था। बीसीसीआई ने आईसीसी को इस बात की जानकारी दी थी कि वह चैंपियंस ट्रॉफी के लिए किसी भी कीमत पर पाकिस्तान का दौरा नहीं करेंगे। तब से पाकिस्तान आईसीसी से इसके पीछे का कारण मांग रहा है। जबकि बीसीसीआई ने सुरक्षा कारणों का हवाला पहले ही दे दिया है। इसी बीच पाकिस्तान ने चैंपियंस ट्रॉफी के टूर का आयोजन किया था। जोकि पीओके के तीन शहरों में जाने की बात थी, लेकिन अब आईसीसी ने उन्हें साफ तौर पर मना कर दिया है कि चैंपियंस ट्रॉफी कोई भी विवादित स्थान पर नहीं जाएगी।

पीसीबी ने चैंपियंस ट्रॉफी को देशभर में घुमाने संबंधी ऐलान गुरुवार को किया था। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने बयान जारी कर कहा था, ‘पाकिस्तान, तैयार हो जाओ. आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 की ट्रॉफी देशभर में घुमाई जाएगी। इसकी शुरुआत 16 नवंबर को इस्लामाबाद से होगी। बाद में यह ट्रॉफी स्कार्दु, हुंजा और मुजफ्फराबाद भी ले जाई जाएगी।’

जैसे ही पाकिस्तान ने इस बात का ऐलान किया वैसे ही बीसीसीआई ने आपत्ति जताई और आईसीसी ने इस पर तुरंत एक्शन लेते हुए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को मना कर दिया कि वह ट्रॉफी को किसी भी विवादित स्थान पर नहीं ले जा सकते हैं।

चैंपियंस ट्रॉफी पर अब तक काफी बवाल हो चुका है। टीम इंडिया टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान नहीं जाएगी। इसको लेकर पीसीबी में काफी हलचल मची हुई है। टीम इंडिया के पाकिस्तान जाने से इनकार करने और उसके जवाब में पाकिस्तान का हाइब्रिड मॉडल के लिए तैयार नहीं होने के कारण शेड्यूल के ऐलान में देरी हो रही है। टूर्नामेंट का आयोजन अगले साल 19 फरवरी से 9 मार्च तक होगा। लेकिन अभी तक शेड्यूल जारी नहीं हुआ है।

बीजेपी के विरोध के बाद भी नवाब मलिक को क्यों दिया टिकट? अजीत पवार ने बताई वजह

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। यहां विधानसभा के लिए 20 नवंबर को मतदान होने वाला है। सभी पार्टियां जोर-शोर से चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। वहीं, वोटर्स को लुभाने की कोशिश में महाराष्ट्र सरकार और महायुति के सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अजीत पवार गुट भी लगी हुई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार) ने दाऊद इब्राहिम के करीबी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल जाने वाले नवाब मलिक को मानखुर्द शिवाजी नगर सीट से टिकट दिया है। सहयोगी दलों के नहीं चाहने के बाद भी अजीत पवार ने नवाब मलिक को अंतिम समय टिकट दे ही दिया। अब अजीत पवार ने इस मामले में अपनी सफाई दी है।

अजित पवार ने एनसीपी से नवाब मलिक को टिकट क्यों दिया, इस बारे में भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, मैं उम्मीदवार देने के समय मुस्लिम समाज को अपनी पार्टी के कोटे से 10 फीसदी टिकट देने का वादा किया था। मुम्ब्रा से नजीमुल्लाह को उम्मीदवार बनाया, नवाब मलिक को टिकट दिया। इस बात का बहुत से लोगों ने विरोध किया, फिर भी मैंने टिकट दिया और प्रचार में भी गया। उनकी बेटी सना को भी टिकट दिया गया है। इसके अलावा, बाबा सिद्दीकी के बेटे ज़ीशान सिद्दीकी को भी चुनावी मैदान में उतारा है। हसन मुशरिफ और शेख को भी एनीसीपी प्रत्याशी बनाया गया है।

बीड जिले में चुनाव प्रचार करने पहुंचे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने अपनी चुनावी जनसभा के दौरान यह दावा किया कि उनकी पार्टी से 10 फीसदी मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया है। अजीत पवार ने कहा, मैंने उम्मीदवार तय करने के दौरान मुस्लिम समाज का भी ख्याल रखा। मैंने अपनी पार्टी के कोटे से 10 प्रतिशत टिकट मुस्लिम नेताओं को दिया है।

वहीं, कई गंभीर आरोपों का सामना कर रहे नवाब मलिक को टिकट दिए जाने को लेकर अजित पवार ने कहा, "नवाब मलिक के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं, तो उन्हें टिकट क्यों नहीं दिया जाता?" अजित पवार ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए अपने इंटरव्यू में नवाब मलिक की स्थिति की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से की, जिन पर पद पर रहते हुए आरोप लगे थे। पवार ने कहा, "राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स जैसे कई आरोप लगाए गए थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे आरोपी हैं। यह लोकतंत्र है, हम बिना सबूत के किसी को दोषी नहीं ठहरा सकते।" इसके बाद पवार ने इस बात पर जोर दिया कि किसी को दोषी घोषित करने से पहले आरोपों को अदालत में साबित किया जाना चाहिए।

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। साल 2022 में मलिक को कुख्यात आतंकी और भगोड़े दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों के साथ संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा भी कई मुकदमे चल रहे हैं। हालांकि, अभी तक किसी भी अदालत ने नवाब मलिक पर लगे किसी आरोपों को साबित नहीं किया है।

श्रीलंका में दिसानायके की ‘आंधी’, राष्ट्रपति की पार्टी एनपीपी को संसदीय चुनाव में प्रचंड बहुमत

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श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) ने संसदीय चुनाव में एतिहासिक जीत हासिल की।श्रीलंका के निर्वाचन आयोग की वेबसाइट द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मलीमावा (कम्पास) चिह्न के तहत चुनाव लड़ने वाली एनपीपी ने 225 सदस्यीय संसद में 113 सीटें हासिल कीं। एनपीपी को 68 लाख यानी कुल वोटिंग के 61 फीसदी वोट मिले हैं।अब यह तय हो गया है कि अनुरा कुमारा दिसानायके की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है और वह आराम से श्रीलंका में सरकार चलाते रहेंगे। इस चुनावी रिजल्ट का मतलब है कि श्रीलंका में वामपंथी सरकार ने जड़ मजबूत कर ली है।

दिसानायके ने भ्रष्टाचार से लड़ने, चुराई गई संपत्तियों को वापस लाने के वादे पर सितंबर में राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी। दिसानायके सितंबर में ही 42.31 फीसदी वोट हासिल कर राष्ट्रपति चुने गए थे, लेकिन उनकी पार्टी के पास श्रीलंका की संसद में बहुमत नहीं था। जिसके चलते राष्ट्रपति ने संसद भंग कर समय से पहले चुनाव कराने के आदेश दे दिए थे। राष्ट्रपति चुनाव के बाद संसदीय चुनाव में भी वामपंथी लीडर अनुरा दिसानायके ने साबित कर दिया कि उनका दबदबा कायम है।

शुक्रवार को जारी नतीजों में एनपीपी ने श्रीलंका की संसद की 196 सीटों में से 141 सीटों पर जीत हासिल कर ली है। इस बीच, साजिथ प्रेमदासा की समागी जना बालवेगया (SJB) 35 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही। श्रीलंका चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक काउंटिंग में एनपीपी ने राष्ट्रीय स्तर पर करीब 62% या 68.63 लाख से अधिक वोट हासिल किए हैं। प्रेमदासा की मुख्य विपक्षी पार्टी समागी जन बालावेगया (SJB) को करीब 18 फीसदी, तो वहीं पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के समर्थन वाले नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (NDF) को महज 4.5 फीसदी वोट मिले हैं।

225 सीटों वाली श्रीलंका की संसद में किसी भी दल को बहुमत के लिए 113 सीटों पर जीत हासिल करनी होती है। इनमें से 196 सीटों पर जीत का फैसला जनता वोटिंग के जरिए होता है, बची हुई 29 सीटों के लिए उम्मीदवार एक नेशनल लिस्ट के जरिए चुने जाते हैं। नेशनल लिस्ट प्रक्रिया के तहत श्रीलंका तमाम सियासी दलों या निर्दलीय समूहों की ओर से कुछ उम्मीदवारों के नाम की लिस्ट चुनाव आयोग को सौंपी जाती है, बाद में पार्टी या समूह को जनता से मिले वोट के अनुपात में प्रत्येक दल की लिस्ट से उम्मीदवार चुने जाते हैं।

अजित पवार दशकों तक हिंदू विरोधियों के साथ रहे...,महाराष्ट्र में मतदान से पहले फडणवीस का बड़ा बयान

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल चुनावी अखाड़े में उतर चुके हैं। इस बार का विधानसभा चुनाव पूरी तरह से दो गठबंधन के बीच की 'जंग' में तब्दील हो चुका है। एक तरफ जहां महायुति गठबंधन है तो दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी। चुनाव हैं तो इस दौरान चुनावी प्रचार में तमाम तरीके की बायनबाजी भी हो रही है। बीते दिनों ऐसी ही एक बयानबाजी को लेकर अब महायुति गठबंधन के दो बड़े देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार एक दूसरे के सामने खड़े नजर आ रहे हैं। योगी के “बटेंगे तो कटेंगे” नारे ने बीच चुनाव में महाराष्ट्र एनडीए में दरार डाल दी है। इस नारे को लेकर अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस आमने-सामने आ गए हैं।

हाल ही में अजित पवार ने कहा था कि बटेंगे तो कटेंगे का नारा महाराष्ट्र के लिए नहीं है। वहीं, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बटेंगे तो कटेंगे के नारे का समर्थन किया है। साथ ही फडणवीस ने इस नारे को लेकर अजीत पवार पर तीखा हमला किया है।

फडणवीस ने न्यू एजेंसी एएनआई से बातचीत में बंटेंगे तो कटेंगे नारे का महायुति और भाजपा में हो रहे विरोध पर कहा- मुझे योगी जी के नारे में कुछ भी गलत नहीं लगता। इस देश का इतिहास देख लीजिए, जब-जब इस देश को जातियों, प्रांतों और समुदायों में बांटा गया, यह देश गुलाम हुआ है।

फडणवीस ने अजीत पवार को लेकर क्या कहा?

वहीं, महायुति की सहयोगी पार्टी एनसीपी के नेता अजित पवार ने योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे के नारे का विरोध किया है और कहा है कि ऐसे नारों के लिए महाराष्ट्र में कोई जगह नहीं है। इस पर फडणवीस से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 'अजित पवार कई दशकों तक ऐसी पार्टियों के साथ रहे हैं, जो खुद को कथित सेक्युलर बताती हैं। वे ऐसे लोगों के साथ रहे हैं जो हिंदुत्व का विरोध करते हैं, इसलिए उन्हें लोगों की भावनाएं समझने में थोड़ा समय लगेगा।

बटेंगे तो कटेंगे पर अजित ने क्या कहा था?

इससे पहले बटेंगे तो कटेंगे नारे का विरोध करते हुए अजित पवार ने कहा था कि यह सबका साथ, सबका विकास नहीं है। अजित ने कहा कि एक तरफ आप सबका साथ और सबका विकास की बात करते हो और दूसरी तरफ बटेंगे तो कटेंगे की बात करते हो। यह कैसे चलेगा? जूनियर पवार ने आगे कहा कि महाराष्ट्र का सियासी मिजाज यूपी जैसा नहीं है। यहां लोग काफी समझदार हैं, इसलिए इन नारों का कोई मतलब नहीं है।

थरूर ने गैर-नेट पीएचडी वजीफे के बारे में चिंताओं पर सरकार की आलोचना की, कहा 10 साल में नहीं आए हैं बदलाव

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने 2023 में संसद में गैर-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पीएचडी फेलोशिप वजीफे के बारे में 11 महीने पहले उठाई गई चिंताओं को दूर करने के लिए समयसीमा के बिना जवाब मिलने के बाद सरकार की आलोचना की है।

"क्या संबंधित नागरिक पिछले साल संसद में मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दे और 11 महीने बाद शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार की ओर से आए जवाब को देखना चाहेंगे? क्या कोई इसमें मेरे द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब ढूंढ सकता है - 2012 से गैर-नेट पीएचडी फेलोशिप वजीफे में वृद्धि क्यों नहीं की गई?" थरूर ने गुरुवार को एक ट्वीट में पूछा। थरूर ने मजूमदार के जवाब को संलग्न करते हुए सवाल किया कि फेलो से उसी ₹8,000 पर जीवन यापन करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है जो उनके पूर्ववर्तियों को 2012 में मिल रहे थे? “क्या इस सरकार ने मुद्रास्फीति के बारे में नहीं सुना है? वास्तव में पिछले वित्तीय वर्ष में जब मैंने यह प्रश्न पूछा था, तब से वजीफे का मूल्य और भी कम हो गया है!”

दिसंबर 2023 में संसद में वजीफे पर अपने हस्तक्षेप में, थरूर ने उल्लेख किया कि गैर-नेट पीएचडी फेलो को मासिक ₹8,000 वजीफा और विज्ञान विषयों के लिए ₹10,000 वार्षिक और मानविकी और सामाजिक विज्ञान के लिए ₹8,000 का आकस्मिक भत्ता मिलता है। यह वजीफा एक दशक से अधिक समय से अपरिवर्तित रहा है, जबकि अन्य फेलोशिप कार्यक्रमों को समय-समय पर संशोधित किया जाता है। थरूर ने वजीफे में संशोधन की कमी के कारण शोधकर्ताओं के सामने आने वाले वित्तीय तनाव को रेखांकित किया। “यूजीसी [विश्वविद्यालय अनुदान आयोग] विद्वानों के लिए शोध करने के लिए अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, देरी से किए गए संशोधनों ने मुद्रास्फीति दरों और जीवन-यापन की लागत में वृद्धि के कारण वित्तीय बोझ डाला है, जिससे उनके दैनिक जीवन और प्रभावशाली शोध के प्रति उनकी प्रतिबद्धता प्रभावित हुई है,” थरूर ने संसद में कहा। उन्होंने शोध संस्थानों में अपर्याप्त संसाधनों और बुनियादी ढांचे तथा पर्यवेक्षकों से समर्थन की कमी के बारे में चिंता जताई।

मजूमदार ने थरूर की चिंताओं को स्वीकार करते हुए जवाब दिया। “विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अन्य संबंधित अधिकारियों के परामर्श से मामले की विधिवत जांच की गई है। सरकार शोधार्थियों के सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति सचेत है और आवश्यक कार्रवाई के लिए मामले की समीक्षा करती रहेगी।”

मजूमदार ने वजीफे में संशोधन के लिए कोई विशिष्ट समयसीमा या इस मुद्दे को हल करने के लिए उठाए जा रहे कदमों का विवरण नहीं दिया।

यूजीसी ने नवंबर 2022 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप एमफिल कार्यक्रम को बंद कर दिया। दिसंबर 2023 में, इसने दोहराया कि विश्वविद्यालयों को एमफिल में छात्रों को प्रवेश देना बंद कर देना चाहिए। चार वर्षीय स्नातक डिग्री और कम से कम 75% अंक या समकक्ष ग्रेड वाले उम्मीदवार अब पीएचडी के लिए पात्र हैं। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए सहायक प्रोफेसरों की भर्ती के साथ-साथ 37,000 रुपये मासिक वजीफे के साथ जूनियर रिसर्च फेलोशिप प्रदान करने के लिए वर्ष में दो बार नेट परीक्षा आयोजित करती है।