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शिशु में जटिलताएं बढ़ा सकता है गर्भावस्था का मधुमेह

गोरखपुर, गर्भावस्था में उच्च शर्करा स्तर (मधुमेह) अगर नियंत्रित न हो तो यह पैदा होने वाले शिशु में जटिलताएं बढ़ा सकता है। यही वजह है कि प्रसव पूर्व जांच के दौरान पहले ही त्रैमास में सभी गर्भवती की रैंडम ब्लड शुगर (आरबीएस) जांच कराई जाती है। जिन गर्भवती में गर्भावस्था में मधुमेह की पुरानी पृष्ठभूमि रही है उनकी प्रथम त्रैमास में ही मधुमेह की सम्पूर्ण जांच कराई जाती है और अन्य गर्भवती की भी दूसरे त्रैमास में मधुमेह की पूरी जांच कराई जाती है । यह कहना है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे का।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि गर्भावधि मधुमेह में रक्त शर्करा का मान सामान्य से अधिक होता है लेकिन मधुमेह के निदान से कम हो जाता है। गर्भावधि मधुमेह सिर्फ गर्भावस्था के दौरान ही होता है। इससे पीड़ित महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है। इन महिलाओं और संभवतः उनके बच्चों को भी भविष्य में टाइप दो मधुमेह की आशंका अधिक होती है। गर्भावधि मधुमेह का निदान लक्षणों के आधार पर नहीं, बल्कि प्रसवपूर्व जांच के माध्यम से किया जाता है, इसलिए प्रत्येक महिला को गर्भावस्था का पता चलते ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर तुरंत जांच करानी चाहिए। सरकारी अस्पतालों पर न सिर्फ जांच की सुविधा है, बल्कि गर्भावस्था में मधुमेह का पता चलने पर जांच के साथ साथ कुशल इलाज व प्रबन्धन से सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित कराया जा रहा है।

वहीं, प्रथम संदर्भन इकाई और पिपराईच सीएचसी की स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ एमडी वर्मन का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान मधुमेह के मामले औसतन दस फीसदी से भी कम आते हैं, लेकिन इन मामलों में सतर्कता अधिक जरूरी है। मधुमेह पाए जाने पर गर्भवती को उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) की श्रेणी में रखा जाता है और सुरक्षित प्रसव होने तक उनकी नियमित निगरानी की जाती है। उन्हें मधुमेह की दवाएं भी चलाई जाती हैं। अगर गर्भधारण करने के पहले से ही महिला मधुमेह पीड़ित है तो गर्भावस्था के दौरान उसे चिकित्सकीय देखरेख में अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी। मधुमेह पीड़ित महिला को गर्भधारण में भी दिक्कत होती है।

शाहपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नीतू बताती हैं कि अगर गर्भावस्था में मधुमेह नियंत्रित नहीं रहता है तो शिशु के लिए अधिक दिक्कत बढ़ सकती है। गर्भावस्था के पहले आठ सप्ताह के दौरान शिशु के अंग, जैसे मस्तिष्क, हृदय, गुर्दे और फेफड़े आदि बनने लगते हैं। इस चरण में उच्च रक्त शर्करा का स्तर हानिकारक हो सकता है । इससे शिशु में जन्म दोष, जैसे कि हृदय दोष या मस्तिष्क अथवा रीढ़ की हड्डी में दोष होने की आशंका बढ़ जाती है। गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्त शर्करा स्तर के कारण इस बात की आशंका भी बढ़ जाती है कि शिशु समय से पहले पैदा हो जाए या उसका वजन बहुत अधिक हो जाए अथवा जन्म के तुरंत बाद उसे सांस लेने में समस्या हो या रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाए। इसकी वजह से गर्भपात या मृत शिशु के जन्म की आशंका भी बढ़ जाती है ।

समुदाय तक सुविधा उपलब्ध

जिला मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता डॉ सूर्य प्रकाश का कहना है कि छाया बीएचएसएनडी सत्रों, एएनएम सब सेंटर, आयुष्मान आरोग्य मंदिर, सभी पीएचसी और सीएचसी पर गर्भवती के मधुमेह जांच की सुविधा उपलब्ध है। प्रयास होता है कि प्रथम त्रैमास में ही जांच हो जाए ताकि समय से मधुमेह की पहचान हो और चिकित्सकीय देखरेख में सुरक्षित प्रसव कराया जा सके।

प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय में चलेंगे यूनिक कोर्स

गोरखपुर, सिटी ऑफ नॉलेज के रूप में ख्याति अर्जित कर रहे गोरखपुर में प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य इस माह के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। महायोगी गुरु गोरखनाथ के नाम पर बने इस विश्वविद्यालय में आयुष से जुड़े सभी चिकित्सा पद्धतियों पर पारंपरिक पाठ्यक्रमों के साथ आज के दौर की आवश्यकताओं के अनुरूप यूनिक कोर्स भी चलाए जाएंगे। इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर आयुष विभाग के अफसर देश के अन्य राज्यों में चलाए जा रहे आयुष पाठ्यक्रमों के तुलनात्मक अध्ययन में जुटे हैं ताकि यहां चलाए जाने वाले और नए कोर्स की ड्राफ्टिंग की जा सके। फिलहाल पीएचडी समेत दर्जनभर पाठ्यक्रमों को चलाने की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। 

52 एकड़ का है आयुर्वेद विश्वविद्यालय का परिसर

भटहट के पिपरी में 52 एकड़ क्षेत्रफल में बन रहे महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास 28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। आयुष विश्वविद्यालय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। शिलान्यास के बाद वह यहां आकर कई बार निर्माण कार्य का जायजा ले चुके हैं। अब इसका निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। फिनिशिंग से संबंधित जो कुछ कार्य शेष हैं, उसके भी 30 नवंबर 2024 तक पूर्ण हो जाने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि आयुष विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने से पहले आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग, सिद्धा की चिकित्सा पद्धति, जिन्हें समन्वित रूप में आयुष कहा जाता है, के लिए अलग-अलग संस्थाएं रही हैं। पर, सत्र 2021-22 से प्रदेश के सभी राजकीय और निजी आयुष कॉलेजों का नियमन अब आयुष विश्वविद्यालय से ही होता है। वर्तमान सत्र 2024-25 में प्रदेश के 97 आयुष शिक्षण (आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी) के कॉलेज/संस्थान इस विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। इस सत्र में इन सभी कॉलेजों में कुल मिलाकर स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों के करीब सात हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। 

महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके सिंह बताते हैं कि स्नातक और परास्नातक के साथ मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप समयानुकूल कई और रोजगारपरक पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। पाठ्यक्रमों को लेकर आयुष विश्वविद्यालय ने जो आगामी कार्ययोजना बनाई है उसमें पीएचडी, बीएससी नर्सिंग आयुर्वेद, बी फार्मा आयुर्वेद, बी फार्मा होम्योपैथ, बी फार्मा यूनानी, पंचकर्म असिस्टेंट डिप्लोमा, पंचकर्म थेरेपिस्ट डिप्लोमा, विदेशी छात्रों के लिए डिप्लोमा, क्षारसूत्र डिप्लोमा, अग्निकर्म डिप्लोमा, उत्तरवस्ति डिप्लोमा और योग नेचुरोपैथी डिप्लोमा शामिल है। इसके अलावा कुछ सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। 

आयुष ओपीडी में अबतक एक लाख मरीज ले चुके हैं परामर्श लाभ

आयुष विश्वविद्यालय में आयुष ओपीडी का शुभारंभ 15 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। तब से प्रतिदिन यहां आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी की ओपीडी में औसतन 300 मरीज परामर्श लेते हैं। ओपीडी शुभारंभ के बाद अब तक करीब एक लाख आयुष चिकित्सकों से परामर्श लाभ ले चुके हैं। अब जल्द ही यहां आयुष अस्पताल शुरू होने से आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथ योग, प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति आदि से उपचार की बेहतरीन सुविधा भी उपलब्ध होने लगेगी।

हेल्थ टूरिज्म और औषधीय खेती को मिलेगा बढ़ावा, सृजित होंगे रोजगार के अवसर 

आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने से आयुष हेल्थ टूरिज्म में रोजगार की संभावनाएं भी सृजित होंगी। इस पर गंभीरता से काम किया गया तो प्रदेश के इस पहले आयुष विश्वविद्यालय के आसपास के गांवों के लोगों को रोजगार के किसी न किसी स्वरूप से जोड़ा जा सकता है। आयुष विश्वविद्यालय के पूर्णतः क्रियाशील होने से किसानों की खुशहाली और नौजवानों के लिए नौकरी-रोजगार का मार्ग भी प्रशस्त होगा। लोग आसपास उगने वाली जड़ी बूटियों का संग्रह कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगे। किसानों को औषधीय खेती से ज्यादा फायदा मिलेगा। आयुष विश्वविद्यालय व्यापक पैमाने पर रोजगार और सकारात्मक परिवर्तन का कारक बन सकता है।

जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति की बैठक बांसगांव सांसद की अध्यक्षता में हुई सम्पन्न

गोरखपुर। सर्किट हाउस के एनेक्सी भवन सभागार में जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति दिशा की बैठक केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री व बांसगांव सांसद कमलेश पासवान की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में कार्यक्रम अध्यक्ष को सीडीओ संजय कुमार मीणा ने फूल का गुलदस्ता देकर स्वागत किया। तत्पश्चात मौजूद अन्य जनप्रतिनिधियों का भी संबंधित विभागीय अधिकारियों द्वारा स्वागत किया गया। बैठक की अध्यक्षता कर रहे बांसगांव सांसद कमलेश पासवान ने नियमित रूप से बैठक न होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया की बैठक के दौरान लिए जाने वाले निर्णय का शत प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।

बैठक में विधायक विपिन सिंह महेंद्र पाल सिंह राजेश त्रिपाठी डॉ विमलेश पासवान सहित अन्य जनप्रतिनिधियों के प्रतिनिधि वह बड़ी संख्या में विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य की धारीदार हथियार से मारकर हत्या

गोरखपुर। एम्स थाना क्षेत्र के बहरामपुर तुर्रा नाले पूल के समीप मंगलवार की सुबह एक युवक का शव बरामद हुआ जिसकी पहचान एम्स थाना क्षेत्र के जगदीशपुर चौकी अंतर्गत सिसवा उर्फ चनकापुर निवासी विपिन पासवान (28 वर्ष) पुत्र दीनानाथ के रूप में हुई है।

मिलीजानकारी के मुताबिक विपिन के पिता दीनानाथ ने घटनास्थल पर पहुचकर बताया कि वह उनके साथ देवाचावर माता मंदिर पर सोमवार शाम की सात बजे बाइक से आया था।उसने पिता से कहा कि आप घर जाइये हम कुछ देर बाद आयेंगे पिता उसे छोड़कर घर चले गए। घर जाने के बाद देर रात तक उसके घर आने का इन्तजार करते रहे लेकिन जब रात में वह घर वापस नहीं आया तो परिवार के लोग सो गये सुबह बहरामपुर के कुछ युवक टहलने निकले तो तुर्रा नाले पूल के किनारे शव को पड़ा देख कर पुलिस को सूचना दिया पुलिस मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। विपिन अक्सर देवा चवर माता के मंदिर पर आया करता था वह पूर्व बीडीसी भी था पुलिस के मुताबिक उसके सर पर आगे और पीछे दोनों तरफ गहरा चोट का निशान था।वह दो भाइयों में बड़ा था और अविवाहित था।बगल में पुल के पास गिरे ख़ून के निशान और छिंनी भी पुलिस ने बरामद किया है

दो वर्ष बाद भी नहीं टपक सका एक बूंद पानी जल जीवन मिशन पानी की टंकी चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट

उरुवा ,गोरखपुरक सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक योजना जल जीवन मिशन भी शामिल है जिसे मार्च 2024 तक पूर्ण करना था। इसके तहत घर-घर लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं मिल रहा एक बूंद पानी.

विकास खण्ड उरुवा के ग्राम पंचायत रामपुर सनाथ में जल जीवन मिशन योजना सिर्फ कागजों में ही सफलता की कहानी गढ़ रहा है।जबकि हकीकत ठीक विपरीत है। सूत्रो की माने तो लगे कई ग्राम पंचायतों में योजना का हाल बेहाल है।

'जल जीवन मिशन योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है'। यदि यह कहा जाये तो शायद गलत न होगा। विभागीय अधिकारियों व ठेकेदारों के मिलीभगत से शासन की यह महत्वपूर्ण योजना जिले में फेल नजर आ रही है। इस योजना के तहत गांव-गांव में घर-घर तक लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।केन्द्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से संचालित हो रहे।इस योजना में करोड़ों रुपये पानी के लिए पानी की तरह बहाया जा रहा है।

हकीकत ठीक विपरीत है

ग्राम प्रधान धर्मेंद्र यादव ने आरोप लगाया गया है कि आधा अधूरा निर्माण और गांव का इंटरलॉकिंग खड़ंजा व नाली तोड़ ठेकेदार चले गए । जिससे करोड़ों रुपये के ठेकेदारों को भुगतान का एक बड़ा खेल जिले में संचालित हो रहा है।

तीन वर्ष बाद भी नहीं टपक सका एक बूंद पानी

गोला तहसील में उरुवा के ग्राम पंचायत रामपुर सनाथ में जल जीवन के तहत ठेकेदारों ने पानी पाईप लाईन का विस्तार कर स्टैंड पोस्ट घर के बाहर जगह जगह लगा दिया।लेकिन तीन साल के बाद भी नहीं टपक सका एक बूंद पानी,टंकी का निर्माण तो अधूरा है। ऐसे जल जीवन मिशन योजना का क्या मतलब जिसका लाभ नहीं मिल रहा। ।

अपूर्ण पानी की टंकी से तीन साल बाद भी नहीं मिला पानी

जल जीवन मिशन से घर-घर पानी उपलब्ध कराने के लिए विभाग ने नल कनेक्शन के लिए पाइप और चबूतरे का काम तो कर दिया गया है। लेकिन सप्लाई लाइन कहीं कहीं आधा अधूरा है ।जबकि कार्यवाहिनी संस्था को केवल 18 महीने में ही पूर्ण करना था , लेकिन निर्माण के दो साल बाद भी पानी नहीं मिलने से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। पेयजल व निस्तार के लिए ग्रामीण पुराने स्रोतों पर ही निर्भर हैं।ग्रामीणों का कहना है कि अधूरे पड़े काम को लेकर विभागीय अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी गोरखपुर ने बताया कि आप मीडिया कर्मियों द्वारा मामला संज्ञान में आया है कार्यदाई संस्था पर शिथिलता बरतने के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

गुरु नानक देव जी के पावन प्रकाश पर्व एवं कार्तिक पूर्णिमा पर भव्य लंगर का हुआ आयोजन

गोरखपुर। गुरु नानक देव जी के पावन प्रकाश पर्व एवं कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शास्त्री चौक पर विशाल लंगर का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं, राहगीरों व स्थानीय लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस संबंध में मीडिया कर्मियों से बात करते हुए मोहद्दीपुर गुरुद्वारा के सचिव मनमोहन सिंह लाडे ने बताया कि गुरु नानक देव जी के 555 वें प्रकाश पर्व एवं कार्तिक पूर्णिमा पर सिख समाज द्वारा इस लंगर का आयोजन किया गया है।

देवउठनी एकादशी पूजन पर संतों का हुआ समागम

गोरखपुर। गुरुकृपा संस्थान एवं सनातन ग्रन्थालय के संयुक्त तत्वावधान में श्रीरामचरितमानस मासिक अखंड पाठ के अवसर पर देवउठनी एकादशी का पूजन संतों के समागम से हुआ। सनातनियों की ओर से सामूहिक फलाहार कार्यक्रम का आयोजन दाऊदपुर स्थित मानस सभागार में किया गया।

ध्यातव्य है कि हर महीने के शुक्ल पक्ष एकादशी को श्रीरामचरितमानस मासिक अखंड पाठ का आयोजन होता है जो यह 26 वें पड़ाव पर चल रहा है।

बृहद सोच एवं विश्वकल्याण के मंगलकामनाओं को लेकर भगीरथ प्रयास के सूत्रधार बृजेश राम त्रिपाठी ने कहा कि देवोत्थानी एकादशी 4 नवंबर 2022 से लगातार दो वर्ष पूर्ण होकर तीसरे वर्ष भी पूज्य साधू संतो, महंतों संन्यासियों के सानिध्य में शुभारंभ हुआ है जबकि जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु के जागरण दिवस का विशेष दिन है। मंगल कार्यों का शुभारंभ भी इसी अवसर पर किए जाने का शास्त्रों में वर्णन है।

गोरखपुर देवरिया संतकबीरनगर सहित सुदूर क्षेत्रों से आए संत समाज के श्रीमुख से सीताराम संकीर्तन के साथ तीसरे वर्ष के मानस पाठ का पारायण प्रारंभ किया गया। सोलहों संस्कारों को संरक्षित करने तथा विश्व कल्याण के वैश्विक भाव को पूर्ण करने वाला सम्पूट "विश्व भरण पोषण कर जोई, ताकर नाम भरत अस होई" के साथ मानस पाठ किया जा रहा है।

आयोजक बृजेश राम त्रिपाठी ने संतो को अंगवस्त्र भेंट कर स्वागत किया। संत समागम के बाद संतों का सामूहिक फलाहार भंडारा का आयोजन हुआ।

इस अवसर पर रामशरण दास, रामदास, बालकदास, बाबा हरिनारायण, विश्वकर्मा दास, सुग्रीवदास, सत्य नारायण दास, गोविंद बाबा, सिद्धनाथ दास, बीरु दूबे, अभिषेक जायसवाल, अभिषेक त्रिपाठी

शंकर दूबे, महेश दूबे, अजय मिश्रा, नीलेश पांडेय, रमा राजेश्वरी, शिवांगी, सहित भारी संख्या में लोगों ने फलाहार प्रसाद ग्रहण किया।

*श्रद्धालुओं ने प्रबोधनी एकादशी पर गंगा में लगायी आस्था की डुबकी*

चंदौली- बलुआ स्थित पश्चिम वाहिनीं गंगा तट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रबोधनी एकादशी (भीमसेनी) के अवसर पर मंगलवार को आस्था की डुबकी लगायी। भीड़ को देखते हुए बलुआ इंस्पेक्टर डॉ. आशीष मिश्रा पूरी फोर्स के साथ घाट पर मौजूद रहे। गंगा सेवा समिति के अध्यक्ष दीपक जायसवाल अपने गंगा सेवको के साथ लोगों की सहायता करते रहे।

कार्तिक मास में गंगा में स्नान दान को बेहद खास महत्व दिया गया है। माना जाता है कि इस मास में तुलसी को जल देने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। इन्हीं परम्पराओं का निर्वहन करते हुए मंगलवार को बलुआ स्थित पश्चिम वाहिनी गंगा तट पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी। स्नान का सिलसिला भोर से ही शुरू हो गया। महिलाओं ने गंगा में स्नान के बाद मूली व बैगन गंगा में दान किया। वही घाट पर बने अस्थायी भीमसेन की पूजन अर्चन की।

भीड़ को देखते हुए सभी छोटे बड़े वाहनों को बलुआ पुलिस ने बाल्मीकि इंटर कालेज के फील्ड में पार्किंग करा दिया। बलुआ बाजार से लेकर घाट तक भारी मात्रा में फोर्स तैनात रही।बलुआ इंस्पेक्टर डॉ. आशीष मिश्रा घाट पर तैनात रहे। वही गंगा सेवा समिति के अध्यक्ष दीपक जायसवाल भी दर्जनों की संख्या में अपने गंगा भक्तों के साथ लोगों की मदद करते रहे। बाजारों में गन्ना व फल की लोगों ने खरीदारी की। लोगों के घरों में तुलसी विवाह का आयोजन धूमधाम से किया गया।

*सीएम सिटी में डिप्टी सीएम का चाबुक, जिला चिकित्सालय में तैनात कार्यवाहक प्रमुख अधीक्षक पर कार्रवाई के निर्देश*

गोरखपुर- सीएम सिटी के नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिला चिकित्सालय में तैनात कार्यवाहक प्रमुख अधीक्षक पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। पिछले कई दिनों से कार्यवाहक प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर राजेंद्र कुमार ठाकुर के खिलाफ भ्रष्टाचार, गलत तरीके से मेडिकोलीगल करने एवं अन्य गंभीर शिकायतें मिल रही थी।

कार्यवाहक प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर राजेंद्र कुमार ठाकुर के खिलाफ मिल रही शिकायतों को डिप्टी सीएम बृजेश पाठक में गंभीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को विभागीय अनुशासनीय करवाई संस्थित करने के निर्देश दिए हैं।

विश्व निमोनिया दिवसः सरकारी खर्चे से लगते हैं बच्चों को बीमारी से बचाव के टीके

गोरखपुर- निमोनिया को सामान्य भाषा में फेफड़ों के संक्रमण या सूजन के रूप में जानते हैं। समय से इस बीमारी की पहचान हो जाए तो यह इलाज से ठीक हो सकता है, लेकिन अगर देरी की जाए तो जानलेवा बन जाता है। छोटे बच्चों और शुगर, किडनी, लीवर या हर्ट के सहरूग्णता वाले रोगियों में निमोनिया के प्रति अधिक सतर्कता जरूरी है। बच्चों को निमोनिया से बचाने के टीके सभी सरकारी अस्पतालों पर सरकारी खर्चे से लगाए जा रहे हैं। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने दी। डॉ दूबे श्वसन रोग विशेषज्ञ भी हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि यह बीमारी आमतौर पर छोटे बच्चों और बुजुर्गों में अधिक होती है। जन्म के समय बच्चे का वजन कम होने पर और समय से पहले बच्चे का जन्म होने पर उसे निमोनिया होने की आशंका अधिक है। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं होती है और उनकी श्वसन नली भी छोटी होती है, इसलिए बच्चों के निमोनिया के प्रति अपेक्षाकृत ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। विश्व में हर 43 सैकेंड में निमोनिया के कारण एक बच्चे की मौत हो जाती है। यूनिसेफ संस्था द्वारा नवम्बर 2023 में सार्वजनिक की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के प्रति एक लाख बच्चों पर निमोनिया के 1400 मामले देखे गये हैं।

डॉ दूबे ने बताया कि नियमित टीकाकरण के जरिये बच्चों में निमोनिया के मामले नियंत्रित किये जा रहे हैं। बच्चे के जन्म के छह हफ्ते और चौदह हफ्ते पर एवं इसके बाद नौ माह पर निमोनिया से बचाव के लिए उन्हें निमोकॉकल वैक्सीन (पीसीवी) लगाई जाती है। हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी निमोनिया से बचाव में पेंटावेलेंट टीका भी मददगार है। यह टीका बच्चे के जन्म के छह, दस और चौदहवें सप्ताह में सरकारी खर्चे पर लगाया जा रहा है। नवजात को शीघ्र स्तनपान, छह माह तक सिर्फ स्तनपान और छह माह बाद स्तनपान के साथ साथ दो वर्ष की उम्र तक पोषणयुक्त घरेलू पूरक आहार भी बच्चों को निमोनिया से बचाता है। बच्चों में दस्त के कारण भी निमोनिया की आशंका अधिक होती है । दस्त से बचाव के लिए ओआरएस के पैकेट और जिंक की गोलियां स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाती हैं।

इन लक्षणों पर हो जाएं सतर्क

सीएमओ ने बताया कि सूखी या फिर बलगम के साथ खांसी, सामान्य से अधिक बुखार, सांस फूलना, सांसो की घरघराहट और सीने में दर्द निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण हैं। अगर यह लक्षण नवजात या बच्चों में हो तो 102 नंबर एम्बुलेंस की मदद से सरकारी अस्पताल में जाना चाहिए। अन्य लोगों को भी अतिशीघ्र चिकित्सक की देखरेख में इलाज शुरू करवाना चाहिए।

ऐसे होती है बीमारी

जब नाक और गले का वायरस या बैक्टेरिया श्वसन नलिका में चला जाता है तो फेफड़े संक्रमित होने से निमोनिया हो जाता है। यह कफ या छींक से भी हवा में फैल सकता है। बच्चों के जन्म के शुरूआती दिनों में यह प्रदूषण, संक्रमण या रक्त के माध्यम से भी हो सकता है। धूल और प्रदूषण के कारण फेफड़े कमजोर हो जाते हैं और इस वजह से भी निमोनिया संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है।

कर सकते हैं बचाव

डॉ दूबे ने बताया कि चिकित्सक के परामर्श के अनुसार छह माह से अधिक उम्र के लोग और खासतौर से शुगर, किडनी, लीवर और हार्ट के मरीजों को इससे बचाव के टीके भी लगवाने चाहिए। नियमित व्यायाम और प्राणायाम करने से फेफड़ों की क्षमता मजबूत होती है और निमोनिया संक्रमण होने पर जटिलताएं बढ़ने की आशंका कम हो जाती है।