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महापर्व छठ के समापन के बाद काम पर लौटने की जद्दोजहद, ट्रेनो में बढ़ी भारी भीड़

डेस्क : महापर्व छठ के समापन के बाद बिहार के कामकाजी अपने-अपने काम पर लौटने लगे हैं। पटना, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा सहित विभिन्न स्टेशनों पर शनिवार को यात्रियों की भारी भीड़ दिखी।

राजेन्द्र नगर टर्मिनल पर अनारक्षित टिकट खरीदकर संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस और संपूर्ण क्रांति क्लोन में चढ़ने की कोशिश में यात्रियों का हाल बेहाल हो गया। टिकट खरीदकर उन्हें बोगी में प्रवेश करने के लिए कतार में चार घंटे तक समय गुजारना पड़ा। यात्रियों की भीड़ इतनी थी कि आधा किमी तक लंबी कतार दिखी। यात्री काफी देर तक इंतजार करने के बाद कतार में ही बैठ गए। यात्रियों की भीड़ इतनी थी कि व्यवस्थित करने में रेलवे अफसरों के पसीने छूट गए।

मौके पर दानापुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम अभिनव सिद्धार्थ सहित रेलवे के दो अन्य अफसर शाम से ही यात्रियों को समझाते दिखे। ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर आने के बाद आरपीएफ की मदद से यात्रियों को बोगियों में प्रवेश दिलाया गया। कतारबद्ध यात्रियों को बोगियों में सवार होने में आधे घंटे तक का समय लगा। रेलयात्री मजहर ने बताया कि अनारक्षित टिकट लेने के दौरान भी आधे घंटे तक कतार में खड़ा होना पड़ा। इतनी भीड़ है कि शाम साढ़े तीन बजे से लाइन में लगे हैं। जनरल डब्बों की संख्या और बढ़ाई जानी चाहिए। शनिवार तक की छुट्टी कंपनी से मिली थी। रविवार को हर हाल में काम पकड़ना है। स्पेशल ट्रेनों के भरोसे रहेंगे तो पता नहीं कब पहुंचेंगे।

गरीब रथ, संपर्क क्रांति, संपूर्ण क्रांति, मगध, विक्रमशिला, दानापुर सिकंदराबाद, श्रमजीवी, पटना -कोटा, श्रमजीवी एक्सप्रेस, संघमिश्रा, दानापुर पुणे सहित ट्रेनों में भारी भीड़ रही। वहीं राजेन्द्रनगर टर्मिनल से नई दिल्ली को जाने वाली तेजस राजधानी एक्सप्रेस में भी भारी संख्या में वेटिंग टिकट वाले यात्री सवार हुए। जिनकी टिकट कंफर्म नहीं हुई वे टीटीई से आरजू मिन्नत करते दिखे। कई यात्रियों ने पेंट्रीकार में घुसकर सफर किया। हालांकि रास्ते में यात्रियों पर जुर्माना भी किया गया। संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस में राजेन्द्रनगर टर्मिनल पर अनारक्षित बोगी में रेलवे यार्ड में ही कई यात्री बोगी में घुसने की कोशिश करते दिखे। हालांकि आरपीएफ की तैनाती होने की वजह से यात्रियों को सफलता नहीं मिली। इस ट्रेन में एसी, स्लीपर और सामान्य बोगी में ठसमठस भीड़ रही। अनारक्षित बोगियों में ट्रेन खुलने पर भी यात्री चढ़ने की कोशिश करते रहे।

सीएम नीतीश कुमार का बड़ा बयान : वाजपेयी ने ही मुझे मुख्यमंत्री बनाया था, अब दाएं-बाएं नहीं

डेस्क : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एकबार फिर कहा है कि उन्होंने दो बार गलती कर चुके है। स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी ने ही पहली बार मुझे मुख्यमंत्री बनाया था। अब वे दाएं बाएं नहीं करने वाले है। अब उनका बीजेपी से अलग होने का कोई सवाल ही नहीं है।

दरअसल बीते शनिवार को उपचुनाव को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए प्रत्याशियों के पक्ष में तरारी और रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सभाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हमलोग 2005 से ही बिहार के विकास में लगे है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, पुल-पुलिया, सिंचाई समेत हर क्षेत्र में कार्य हुआ है। केंद्र सरकार से भी अब भरपूर मदद मिल रही है। इससे विकास और तेजी से होगा।

तरारी स्थित खेल मैदान में राजग समर्थित भाजपा प्रत्याशी विशाल प्रशांत और रामगढ़ क्षेत्र के अंतर्गत नुआंव प्रखंड के चंदेश गांव में भाजपा उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह के समर्थन में आयोजित जनसभा में मुख्यमंत्री ने लालू-राबड़ी के शासनकाल की याद दिलाई। कहा कि 2005 के पहले बिहार में जंगल राज था। लोग शाम में डरकर घर से बाहर नहीं निकलते थे। स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती थी। अस्पतालों में इलाज नहीं होता था। बिजली नहीं थी। आने-जाने का रास्ता नहीं था। लेकिन, जबसे हमारे हाथ में बिहार की कमान आई, तब से लगातार विकास हो रहा है। हमलोगों ने सब काम किया।

उन्होंने मुस्लिम समुदाय को आगाह करते हुए कहा कि वे लोग केवल वोट लेने का काम करते थे और हिन्दू-मुस्लिम में झगड़ा कराते थे। 1989 के भागलपुर दंगे का जिक्र करते हुए कहा कि हम लोगों ने सरकार में आने पर इसकी जांच कराई और दोषियों पर कार्रवाई हुई। पीड़ितों को मदद भी दिलाई। 2006 से कब्रिस्तान की घेराबंदी शुरू कराई और हिन्दू-मुस्लिम का झगड़ा बंद हुआ। इसलिए अब फिर से उन्हें वोट दीजिएगा तो वे लोग गड़बड़ करेंगे। हम लोगों ने सबके लिए काम किया है। चाहे हिन्दू हों या मुस्लिम, अगड़ा हों या पिछड़ा-अतिपिछड़ा, दलित हों या महादिलत, युवा हों या महिला। इसीलिए आज आपके बीच आये हैं। अगले साल विधानसभा चुनाव के पहले सारे काम पूरे कर लिये जायेंगे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने ही मुझे बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था। केन्द्र में मंत्री रहते वे मुझे बहुत मानते थे। तभी से हम भाजपा के साथ बिहार के विकास में लगे हैं। हमसे दो बार गलती हो गई थी। गलत लोगों का साथ लेकर काम किया। बाद में पता चला कि वे लोग हर काम में गड़बड़ करते हैं तो हमने तय कर लिया है कि अब किसी भी प्रकार से दाएं-बाएं नहीं होगा।

अंग्रेजी से हिन्दी या अन्य विदेशी भाषाओं की तरह मैथिली सहित 17 भाषा का होगा सटीक अनुवाद

डेस्क: अंग्रेजी से हिन्दी या अन्य विदेशी भाषाओं की तरह अब 17 स्थानीय भाषाओं में भी सटीक अनुवाद हो सकेगा। अब तक इसमें कई भाषाओं में अनुवाद हो भी रहा है, लेकिन उनमें तकनीकी रूप से पूरी तहत शुद्धता नहीं है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा नई पहल की गई है। इसके तहत देश के 17 स्थानीय क्षेत्रीय भाषाओं में सटीक अनुवाद सुविधा देने की कवायद की जा रही है। इसमें बिहार के मैथिली भाषा भी शामिल है।

इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) व अन्य केंद्रीय संस्थानों का कंसोर्टियम बनाया है। इसका नोडल अधिकारी आईआईटी पटना को बनाया गया है। इसके बाद सबसे पहले बिहार के प्रमुख स्थानीय भाषा मैथिली में भी ट्रांसलेट करने को लेकर टूल्स डेवलप करेंगे।

इसके बाद केंद्र सरकार के आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को भी ट्रांसलेट करने की सुविधा देने की कवायद होगी। इसकी निगरानी शिक्षा मंत्रालय की ओर से होगी। यह भाषिनी पोर्टल के माध्यम से क्रियान्वयन होगा।

इन भाषाओं में अनुवाद की चल रही कवायद

असमिया, बांग्ला, गुजराती, कश्मीरी, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, उर्दू, सिंधी, कोंकणी, मणिपुरी, नेपाली, बोडो, डोगरी, मैथिली, और संथाली।

मीडिया संस्थानों से लिए जाएंगे हिंदी के डाटा

अनुवाद को लेकर बनाएं गए प्रारूप के तहत साफ्टवेयर को सुचारू रूप से चलाने के लिए मीडिया संस्थानों से डाटा लिए जांएगे।

इसके तहत मीडिया हाउस के खबरों के हिंदी भाषा का डेटा बैंक तैयार होगी। इसमें विशेष रूप से विधि, प्रशासन, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और जलवायु क्षेत्र के डाटा होंगे। इसके तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, जलवायु, पर्यटन, न्यायपालिका से 50 प्रतिशत कंटेट रहेगा।

शिक्षा से 30 प्रतिशत एवं शासन और नीति के कंटेट 20 प्रतिशत होगा। इसके तहत साफ्टवेयर हिंदी भाषा को मुख्य भाषा मान कर कार्य करेगी। इसके तहत स्पेक्ट्रम में आसान अनुवाद की सुविधा करेगी। इसके आधार पर इसमें प्रोग्रामिंग किए जाएंगे।

बिहार में हजारों शिक्षक होंगे इधर से उधर, 16 हजार से ज्यादा शिक्षकों ने स्थानातंरण के लिए किया ऑनलाइन आवेदन

डेस्क: राज्य के सरकारी विद्यालयों में स्थानातंरण के लिए अब तक 16 हजार से ज्यादा शिक्षकों ने ऑनलाइन आवेदन किया है। वैसे शिक्षकों के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 22 नवंबर तक निर्धारित है।

यह आवेदन सरकारी विद्यालयों में कार्यरत नियमित शिक्षकों, सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों और बिहार लोक सेवा आयोग की अनुशंसा पर नियुक्त शिक्षकों के लिए है। इसके बाद शिक्षकों द्वारा दिए गए विकल्प के आधार पर दिसंबर के तीसरे/चौथे सप्ताह में स्थानांतरण व पदस्थापन किया जाएगा। इसमें वरीयता के आधार को प्राथमिकता दी जाएगी।

शिक्षा विभाग के मुताबिक, शिक्षकों द्वारा किए जा रहे ऑनलाइन आवेदन की ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर लगातार निगरानी की है। आवेदन में शिक्षकों द्वारा दिए गए विकल्प के इकाई अंतर्गत विद्यालयों में रिक्ति के आधार पर साफ्टवेयर के माध्यम से रैंडमाइजेशन से विद्यालय का आवंटन होगा।

प्रथम विकल्प की इकाई के विद्यालयों में रिक्ति नहीं रहने की स्थिति में शिक्षकों द्वारा दिए गए क्रमश अन्य विकल्पों के इकाईयों के विद्यालयों में उपलब्ध रिक्ति के आधार पर विद्यालय आवंटन किया जाएगा, इसलिए शिक्षकों को दस विकल्प आवेदन में देने को कहा गया है। जनवरी के पहले सप्ताह (एक से सात तारीख तक) में शिक्षकों को अपने आवंटित विद्यालय में योगदान करना सुनिश्चित किया जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग ने तीन खाद्य संरक्षा पदाधिकारियों को अपने कार्यों के साथ ही अन्य जिलों का प्रभार दिया है। बेगूसराय में खाद्य संरक्षा पदाधिकारी के पद पर तैनात वीरेंद्र कुमार 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो गए। वीरेंद्र कुमार के पास बेगूसराय के अलावा जहानाबाद और खगडिय़ा का भी प्रभार था। उनके सेवानिवृत्त होने ही तीन जिलों में खाद्य संरक्षा पदाधिकारी के पद रिक्त हो गए।

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, रिक्त पदों को तत्काल भरने की आवश्यकता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने खाद्य संरक्षा पदाधिकारी मुकेश जी कश्यप को जहानाबाद, तपेश्परी सिंह को बेगूसराय जबकि अर्जुन प्रसाद को खगड़िया जिला का खाद्य संरक्षा पदाधिकारी नियुक्त किया है। स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।

बिहार में छठ पूजा के दौरान तालाब में डूबने से हादसा, 59 लोगों की मौत, 11 लापता

बिहार में छठ पूजा के दौरान पिछले 36 घंटे में नदियों व तालाब में डूबने से 59 लोगों की मौत हो गई, जबकि 11 लापता हैं। इनकी तलाश की जा रही है। मृतकों में बेगूसराय के सात, समस्तीपुर व रोहतास के पांच-पांच, पटना व मुजफ्फरपुर के चार-चार, गया, मुंगेर, पूर्णिया, खगड़िया, मधेपुरा व सहरसा के तीन-तीन, सारण, औरंगाबाद व आरा के दो-दो, सीतामढ़ी, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, लखीसराय, अररिया, कटिहार, रोहतास, वैशाली, जहानाबाद और नालंदा जिले के एक-एक लोग शामिल हैं।

इन जिलों में हुआ हादसा

बेगूसराय में गुरुवार को अलग-अलग घाटों पर तीन व शुक्रवार को चार लोग डूब गए।

रोहतास जिले में गुरुवार को नहर व नदी में डूबने से चार लोगों की, वहीं शुक्रवार को एक की मौत हो गई।

पटना जिले के फुलवारी शरीफ में दो, मनेर व बख्तियारपुर में एक-एक की मौत हुई है।

मनेर में शुक्रवार को तीन अलग-अलग स्थानों पर भाई-बहन समेत छह लोग डूब गए। जिसमें से दो को बचा लिया गया। वहीं एक का शव बरामद किया गया। तीन लोगों की नदी में तलाश जारी है।

मनेर में बरामद शव झारखंड के गुमला जिले के निवासी का है, जो खासपुर में भट्ठा मजदूर था।

पुनपुन प्रखंड में दो लोग डूब गए, एक को ग्रामीणों ने बचा लिया। दूसरे की तलाश जारी है।

भोजपुर जिले के सोन नदी में पांच बच्चे डूब गए। दो का शव बरामद किया गया है। एक बालक लापता है। दो बच्चियों को स्थानीय लोगों के प्रयास से बचा लिया गया।

सारण में पलटी नाव

सारण जिले के तरैया के पाचभिंडा में छठ पूजा के दौरान शुक्रवार सुबह युवकों से भरी नाव पोखर में पलट गई। नाव में बच्चे के साथ लगभग दस युवक सवार थे।

इसमें दो युवकों की डूबने से मौत हो गई है। मृतक पचभिंडा गांव के दसई मांझी के पुत्र सूरज कुमार मांझी (18) व वैद्यनाथ सिंह पुत्र बिट्टू कुमार (20) थे।

गांव के सरकारी पोखर पर छठ पूजा के दूसरे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने छठ व्रती पहुंचे थे। इसी बीच एक नाविक कुछ युवकों को नाव में बैठा कर पोखर में घुमाने लगा। तभी अचानक नाव पोखर में पलट गई। इस घटना को कुछ युवकों ने अपने मोबाइल में कैद कर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर दिया, जिसमें दिख रहा है कि नाव सीधे पानी में डूब रही है।

औरंगाबाद में दो लोगों की मौत

औरंगाबाद जिले में अलग-अलग घटनाओं में तालाब में डूबने से दो की मौत हो गई। पहली घटना में नगर थाना क्षेत्र के शाहपुर स्थित सूर्य मंदिर के समीप घाट पर 12 वर्षीय किशोरी की डूबकर मौत हुई है। किशोरी साधनी कुमारी शहर के वार्ड नंबर 32 के रामडीहा निवासी प्रदीप चौधरी की पुत्री थी। दूसरी घटना बारुण में तालाब में डूबने से खैरा गांव निवासी धर्मेंद्र यादव की नौ वर्षीय पुत्री वैष्णवी कुमारी की मौत हुई है।

वैशाली जिले के राजापाकड़ थाना के जाफर पट्टी पंचायत में पोखर में शुक्रवार की सुबह डूबने से रविंद्र पासवान के 17 वर्षीय पुत्र धर्मवीर कुमार की मौत हो गई। वहीं काजीपुर थाना क्षेत्र के चांदी घाट पर बीते गुरुवार की दौलतपुर चांदी निवासी बाबन राम के पुत्र राजू कुमार की नदी में स्नान करने के दौरान डूबने की आशंका है।

गया जिले में नदी व सरोवर में डूबने से अलग-अलग जगहों पर तीन की मौत हो गई। मुंगेर में गुरुवार की शाम में प्रिंस कुमार बेलहरणी नदी में डूब गया। शुक्रवार की सुबह सन्नी कुमार व शीतल कुमारी की डूबने से मौत हो गई। वहीं, अभिषेक कुमार की तलाश जारी है।

मधेपुरा में आनंद कुमार, सोनू कुमार व कामेश्वर मंडल की डूबने से मौत हो गई। वहीं 24 वर्षीय युवक लापता है। खगड़िया में विजय कुमार, मुकेश कुमार व पारो कुमारी उर्फ पार्वती कुमारी डूब गई। वहीं साधना कुमारी की तलाश की जा रही है।

पूर्णिया में ज्योति देवी, तारा रिषी और पप्पू कुमार की डूबने से मृत्यु हो गई। जबकि आसु कुमार लापता है। लखीसराय के हिमांशु कुमार, कटिहार में 10 वर्ष के बच्चे व अररिया के राजेश कुमार मल्लिक की मौत डूबने से हो गई।

उत्तर बिहार के जिलों में छठ घाट पर डूबने से 9 लोगों की मौत हो गई। समस्तीपुर में विशाल कुमार, निशांत कुमार, बादल पंडित व कृष्ण कुमार की डूबने से मौत हो गई।

वहीं, हरिपुर गांव के पोखरा में भैंस को नहलाने के दौरान डूबने से पितांबर पासवान की मृत्यु हो गई। सीतामढ़ी में लव कुमार, दरभंगा में भाग्यरंजन कुमार, पूर्वी चंपारण में संजय साह व मुजफ्फरपुर में अरुण राम, रीतू कुमारी, निधि कुमारी व राजहंस की मौत हो गई।

छठ से जैसे महापर्व का भी अपराधियों के अंदर नही रहा डर, व्रर्ती की धारदार हथियार से काटकर कर दी हत्या

डेस्क : लोक आस्था का महापर्व छठ से सभी डरते है। यह एक ऐसी पूजा है जिसमें अबतक लोगों की आस्था बरकरार है और लोग इसमें भूल से भी कोई गलती नहीं करना चाहते है। लेकिन अब ऐसा लगता है कि अपराधियों की अंदर से इस पूजा का भी भय खत्म हो चुका है। एक ऐसी ही घटना पश्चिम चंपारण जिले से सामने आई है। जहां एक छठ व्रर्ती की धारदार हथियार से काटकर हत्या कर दी गई। अपराधियो ने उन्हें सुबह का अर्घ्य देने का मौका भी नहीं दिया।

बेतिया में छठ व्रत कर रही एक महिला संध्या का अर्घ्य देकर अपने घर आई लेकिन सुबह के भगवान भास्कर को अर्घ्य नही दे सकीं। क्योंकी रात में ही महिला को बदमाशों ने मौत की नींद सुला दी। मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया है।

मृतिका के पति ने बताया कि बड़े ही धूमधाम से छठ पूजा मनाया जा रहा था और पत्नी अपने दो छोटे बच्चों के साथ संध्या का अर्घ्य देकर आई थी। और सभी लोग सो गए तभी आधी रात में अपराधियों ने कमरे में सो रही मेरी पत्नी को धारदार हथियार से सर पर वार कर दिया जिससे उसकी की मौत हो गई। वहीं मौत के बाद परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। वहीं पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करा कर परिजनों को सौंप दिया है और पुलिस आगे की कार्रवाई में जुटी हुई हैं।

बेतिया एसपी डॉ शौर्य सुमन ने बताया कि बेतिया के बसवरिया में मधुबाला सिंह नाम की एक महिला को अपराधियों ने धारदार हथियार से महिला के सिर पर वार कर दिया है जिससे महिला की मौत हो गई हैं। सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी हैं। वही एफएसएल की टीम डॉग स्क्वाड को बुलाया गया हैं। हर एक बिंदुओं पर जांच की जा रही हैं। बहुत जल्द ही अपराधियों को पकड़ लिया जाएगा।

आरसीपी की पार्टी के चुनाव मैदान में आने से किसका होगा फायदा और किसका होगा नुकसान ?

डेस्क : बिहार में पिछले 30-35 सालों से तीन दलों राजद, जदयू और बीजेपी ही सत्ता में है। इन्हीं तीन पार्टियों को बिहार की जनता अबतक अपना मत देती रही है। हालांकि इसके पीछे यह भी वजह रहा है कि अन्य कोई विकल्प नही था। लेकिन 2025 के चुनाव से पहले जनता को दो अन्य विकल्प मिल गए है। प्रशांत किशोर ने अपना जन सुराज पार्टी बना लिया है। जिसे चुनाव आयोग से मान्यता भी मिल गई है। वहीं अब आर.सी.पी सिंह ने अपनी नई पार्टी बना एक और विकल्प बिहार की जनता को दे दिया है। अब ऐसे में सबसे अहम सवाल यह है कि आरसीपी सिंह की पार्टी के चुनाव मैदान में आने से किसका फायदा होगा किसे नुकसान होगा।

यहां आपको हम बता दें कि अपनी पार्टी का एलान करते समय ही आरसीपी ने कहा था कि हमारे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 140 मजबूत उम्मीदवार तैयार हैं। वहीं आरसीपी नई पार्टी के गठन के बाद नीतीश कुमार पर ही ज्यादा हमलावर दिखे और बीजेपी का गुणगान किया। आरसीपी सिंह बिहार की राजनीति में कितना प्रभाव छोड़ेंगे ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन उनकी नाई पार्टी नालंदा, नवादा, पटना, बेगूसराय, समस्तीपुर और मुंगेर जैसे जिलों में कोइरी-कुर्मी वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते आऱसीपी ने इन जिलों पर विशेष फोकस किया था। खासकर कहा जा है कि आरसीपी सिंह के पास संजय गांधी जैसे कई ऐसे नेता हैं, जो उनके लिए आने वाले दिनों में टूल का काम करेंगे। ऐसे में यह समीकरण यदि काम कर जाता है तो निश्चित तौर पर इसका सबसे ज्यादा नुकसान जदयू को फायदा राजद को होगा।

बहरहाल आरसीपी सिंह बिहार की राजनीति में अपना कितना प्रभाव छोड़ेंगे ये तो वक्त ही बताएगा। लेकिन एक बात तय है कि अगले चुनाव में बिहार की राजनीति में एक अलग माहौल देखने को जरुर मिलेगा।

उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ महापर्व छठ का हुआ समापन, चार दिनों तक शहर से लेकर गांव तक रहा आस्था और भक्ति का माहौल

डेस्क : चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ शुक्रवार को संपन्न हो गया। व्रतियों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया और छठी मैया को नमन किया। सुबह-सुबह भगवान भास्कर के उषा किरण को सभी ने पूरी श्रद्धा से आराधना की। सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद 36 घंटे का महापर्व संपन्न हो गया। पटना गंगा घाट, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, वैशाली, बेगूसराय, भागलपुर, मुंगेर, लखीसराय, रोहतास, कैमूर, बक्सर, सिवान, छपरा सहित पूरे बिहार में छठ पूजा की गयी।

महापर्व के दौरान चार दिनों तक बिहार के सभी जिलों में जगह-जगह आस्था का अद्भूत माहौल देखने को मिला। वहीं छठ घाटों और तालाबों में छठ व्रतियों के श्रद्धा का विहंगम दृश्य देखने को मिला। शुक्रवार को उगते सूरर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रतियों ने पूरे विधि विधान से छठी मैया की पूजा-अर्चना की। इसके बाद व्रत का पारण किया। व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास खत्म हुआ।

गौरतलब है कि बिहार समेत देश के अन्य राज्यों के साथ-साथ अब विदेशो में भी छठ पूजा मनाया जाता है। छठ घाटों पर भारी तादाद में व्रतियों ने पानी में उतरकर छठी मैया की आराधना की। यह व्रत छठी मैया और भगवान भास्कर को समर्पित होता है। मान्यता है कि छठी मैया की पूजा से घर में सुख, समृद्धि और वंश की वृद्धि होती है।

11 नवंबर तक पटना जंक्शन पर नहीं मिलेगा प्लेटफार्म टिकट, जानिए क्यों

डेस्क : पटनावासियों के लिए एक बड़ी खबर है। आज से अगले चार दिनों यानि 11 नवंबर तक पटना जंक्शन पर प्लेटफार्म टिकट नहीं मिलेगा। ऐसे मे वे अपने लोगों को स्टेशन छोड़ने जाने पर प्लेटफार्म तक नहीं जा पाएंगे। रेलवे के अनुसार यह बड़ा निर्णय सुरक्षा को लेकर लिया गया है।

दरअसल हर साल छठ पूजा के बाद पटना जंक्शन जैसे प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर भारी भीड़ जमा होती है। लाखों लोग छठ पूजा का उत्सव मनाकर वापस अपने काम पर लौटते हैं। इस साल भीड़ को नियंत्रित करने और यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए दानापुर रेल डिविजन ने विशेष कदम उठाया है।

प्लेटफॉर्म टिकट पर रोक

रेलवे प्रशासन ने 8 से 11 नवंबर के बीच पटना जंक्शन पर प्लेटफॉर्म टिकट की बिक्री पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। इसका मतलब यह है कि इस अवधि में बिना वैध यात्रा टिकट के कोई भी व्यक्ति स्टेशन पर प्रवेश नहीं कर सकेगा। इस फैसले का उद्देश्य प्लेटफॉर्म पर अनावश्यक भीड़ को रोकना है, ताकि केवल वे यात्री ही प्लेटफॉर्म पर प्रवेश कर सकें, जिनके पास यात्रा के लिए वैध टिकट होगा।

दानापुर रेल डिविजन के डीआरएम जयंत चौधरी ने इस कदम की आवश्यकता को बताते हुए कहा कि छठ पूजा के बाद यहां विशेष भीड़ होती है, और आमतौर पर यात्री अपने परिजनों के साथ स्टेशन तक आते हैं, जिससे प्लेटफॉर्म पर भीड़ और अव्यवस्था पैदा हो जाती है। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए यह व्यवस्था लागू की गई है, जिससे यात्रियों को अपनी ट्रेन पर चढ़ने में कोई कठिनाई न हो।

यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए यह कदम

उन्होंने कहा है कि पटना जंक्शन जैसे बड़े रेलवे स्टेशनों पर जहां हर दिन हजारों यात्रियों की आवाजाही होती है, वहां प्लेटफार्म पर भीड़ नियंत्रित करना बेहद आवश्यक हो जाता है। रेलवे प्रशासन ने यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है, ताकि प्लेटफॉर्म पर अधिक संख्या में लोग न हों और किसी प्रकार की अनहोनी या दुर्घटना की स्थिति उत्पन्न न हो।

छठ पूजा के बाद पटना से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, पुणे और अन्य प्रमुख शहरों की ओर जाने वाले यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि हो जाती है। इन यात्रियों के लिए रेलवे को अतिरिक्त ट्रेनों और विशेष इंतजामों की आवश्यकता होती है। इस समय के दौरान पटना जंक्शन पर टिकटों की मांग में भी वृद्धि देखी जाती है, क्योंकि लोग अपने काम पर लौटने के लिए यात्रा करते हैं। रेलवे की इस नई व्यवस्था के बाद यात्री किसी प्रकार की असुविधा से बच सकेंगे और अपनी यात्रा को आराम से पूरा कर सकेंगे। यह कदम यात्री सुरक्षा और प्रबंधन के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।

11 नवंबर के बाद यह विशेष व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और प्लेटफॉर्म टिकट की बिक्री सामान्य रूप से शुरू हो जाएगी। रेलवे प्रशासन ने साफ किया है कि इस व्यवस्था का उद्देश्य केवल छठ पूजा के बाद बढ़ी हुई भीड़ को नियंत्रित करना है और स्थिति सामान्य होते ही सभी सामान्य सेवाएं फिर से बहाल कर दी जाएगी।

छठ महापर्व : पटना के उल्लारधाम में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, लाखों की संख्या में व्रतियों ने दिया अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य

डेस्क : लोक आस्था का महापर्व छठ का आज तीसरे दिन डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया गया। पटना के विभिन्न छठ घाटों पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। वहीं कल शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्ध्य के साथ इस महापर्व का समापन होगा। छठ महापर्व के उमंग में पूरा बिहार डूबा हुआ है। रंगीन रोशनी से नहा उठे पटना के गंगा घाटों की नयनाभिराम सुंदरता देखते ही बन रही है। हर गली, हर घर में छठी मइया के गीत गूंज रहे हैं।

वहीं पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र के दुल्हन बाजार प्रखंड स्थित भगवान भास्कर की नगरी उल्लारधाम में आस्था का जनसैलाब उमड़ा। लाखों श्रद्धालु छठव्रतियों ने अस्तचलगामी सूर्य (डूबते सूर्य) की पहली आर्ग देकर भगवान भास्कर और छठी मईया की सूर्य उपासना करते हुए भगवान भास्कर और छठी मइया की दरबार में हाजरी लगाते हुए पूजा अर्चना कर अपने परिवार की सुख शांति और समृद्धि की मंगलकामना करते हुए अपने मनोवांक्षित मनोकामनाएं पूर्ण करने की आशीर्वाद लिया।

गौरतलब है कि पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र के दुल्हन बाजार प्रखंड के उल्लारधाम स्थित द्वापर कालीन पौराणिक और ऐतिहासिक विश्व विख्यात सूर्य उपासना की बारह सूर्य पीठों में से एक मुख्य केंद्र स्थलियों में एक उल्लार्क सूर्य मंदिर है। जिसको द्वापरयुग भगवान श्रीकृष्ण के जामवंती पुत्र राजा शांब द्वारा स्थापित किया गया था।

ऐसी मान्यता है राजा शांब को दुर्वासा ऋषि की श्राप से पूरे शरीर में भयंकर कुष्ठ व्याधि हो गई थी। जिससे निजात पाने के लिए ऋषि दुर्वासा ने राजा शांब को कुष्ठ व्याधि से मुक्ति के लिए बारह अलग अलग जगहों पर बाहर सूर्य पीठों की स्थापना कर वहां बारह वर्ष सूर्य उपासना करने की उपाय बताए थे। जिसके बाद राजा शांब ने देश विभिन्न हिस्सों में कोणार्क, लोलार्क, पंडारक, देवार्क, अंगारक के साथ साथ बारह सूर्य पीठों में से एक उल्लार्क सूर्य मंदिर और एक तलाब की निर्माण कर यहां सूर्य उपासना किया था। जोकि अब उल्लारधाम के नाम से विश्व विख्यात और सुप्रसिद्ध है।