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एक देश एक चुनाव और सेकुलर सिविल कोड...गुजरात में एकता दिवस पर पीएम मोदी का संदेश

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को गुजरात के केवड़िया में सरदार वल्लभभाई पटेल की 149वीं जयंती के अवसर पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की और राष्ट्रीय एकता दिवस (राश्ट्रिय एकता दिवस) के आयोजन में भाग लिया। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' और 'समान नागरिक संहिता' की जरूरत पर जोर दिया।

आज देश लौहपुरुष सरदार पटेल की जयंती मना रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के केवड़िया में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पहुंचकर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय एकता दिवस परेड की सलामी भी ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर कार्यक्रम में मौजूद लोगों को एकता की शपथ दिलाई। सरदार पटेल की 149वीं जयंती और राष्ट्रीय एकता दिवस पर पीएम मोदी ने कहा कि सरदार पटेल संकल्पवादी, मानववादी और राष्ट्रवादी थे। उन्होंने असंभव कार्य को भी संभव किया। सरदार पटेल ने सैंकड़ों रियासतों को एक कर के दिखाया।

गुजरात के केवड़िया में पीएम मोदी ने कहा कि इस बार का राष्ट्रीय एकता दिवस अद्भुत संयोग लेकर आया है। एक तरफ आज हम एकता का उत्सव मना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर दीपावली का पावन पर्व है। एकता दिवस का आयोजन देश को नई उर्जा से भर देगा।पीएम मोदी ने कहा कि दीपावली दीपों के माध्यम से पूरे देश को जोड़ती है। पूरे देश को प्रकाशमय कर देती है। अब तो दीपावली का पर्व भारत को दुनिया से भी जोड़ रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार को जल्द ही साकार होने का विश्वास दिलाया। उन्होंने कहा, हम 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की ओर बढ़ रहे हैं, जो भारत के लोकतंत्र को मजबूत करेगा और विकास के सपनों को साकार करने में सहायक होगा। इस प्रस्ताव को पहले ही कैबिनेट द्वारा मंजूरी मिल चुकी है और इसे आने वाले शीतकालीन सत्र में संसद के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का उद्देश्य देश भर में सभी चुनावों को एक ही दिन या एक निर्धारित समय सीमा के भीतर संपन्न करना है, ताकि संसाधनों का समुचित उपयोग हो सके और देश के विकास को नई गति मिले।

प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक राष्ट्र, एक नागरिक संहिता' का भी जिक्र किया। उन्होंने इसे "धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता" करार देते हुए कहा कि भारत को एकजुट और मजबूत बनाने में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। समान नागरिक संहिता का उद्देश्य देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून का लागू करना है, जिससे धर्म, जाति या लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो। पीएम मोदी ने कहा, आज हम सभी एक राष्ट्र पहचान- आधार की सफलता देख रहे हैं और दुनिया भी इसकी चर्चा कर रही है।

नहीं बचेगा हिजबुल्लाह का नया चीफ! इजराइल ने दी खुलेआम धमकी

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इजराइल ने हिजबुल्लाह के नए चीफ नईम कासिम को चेतावनी दी है। इजराइल का कहना है कि हिजबुल्लाह का नया कमांडर ज्यादा दिन नहीं रहने वाला है। अगर कासिम भी अपने पुराने लीडरों के रास्ते पर चला, तो वह हिजबुल्लाह के इतिहास में सबसे कम दिन चीफ रहने वाला व्यक्ति होगा। बता दें कि मंगलवार को ही हिजबुल्लाह ने नईम कासिम को संगठन का नया नेता चुना गया था। उनकी नियुक्ति हसन नसरल्लाह के उत्तराधिकारी के रूप में की गई है।

हसन नसरल्लाह की मौत के करीब एक महीने बाद हिजबुल्लाह ने अपना नया लीडर चुन लिया है।नईम कासिम को हिजबुल्लाह के संगठन का नया नेता चुने जाने के कुछ घंटे के भीतर ही इजराइल ने उनकी उलटी गिनती शुरू कर दी है। इजरायल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने मंगलवार को नईम कासिम को चेतावनी दी और कहा कि उनकी नियुक्ति 'लंबे समय तक नहीं है।' कासिम की एक तस्वीर एक्स पर शेयर करते हुए गैलेंट ने लिखा, 'अस्थायी नियुक्ति। लंबे समय तक नहीं।'

इजराइल का कहना है कि लेबनान में शांति केवल तभी ही आएगी जब हिजबुल्लाह की सैन्य शक्ति खत्म कर दी जाए। लेबनान की समस्या का एक ही समाधान है, वो ये कि इस संगठन को पूरी तरह समाप्त किया जाए। इजराइल ने हिजबुल्लाह को खत्म करने के अभियान में सफलता भी मिली है। संगठन की टॉप 8 लीडरों में से इजराइल 5 का खात्मा कर चुका है।

नईम कासिम की दशकों से हिजबुल्लाह में अहम भूमिका रही है। वे 34 वर्षों से चरमपंथी समूह में नंबर 2 के रूप में काम कर रहे थे। कासिम ने हिजबुल्लाह के पूर्व महासचिव अब्बास अल-मौसावी के कार्यकाल में संगठन के उपमहासचिव का पद संभाला था। मौसावी की 1992 में इजरायल ने हत्या कर दी थी, जिसके बाद नसरल्लाह को महासचिव बनाया गया। इसके बाद भी कासिम उपसचिव के पद पर बने रहे।

क्या भारत-चीन सीमा समझौते में अमेरिका का भूमिका? जानें क्या कह रहा यूएस

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भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर समझौता हो गया है। समजौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट रही हैं। भारत-चीन संबंध पर दुनियाभर की नजर है, खासकर अमेरिका की। अब दोनों देशों के बीच हे सीमा समझौते के बाद अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है।अमेरिका ने कहा है कि वह भारत-चीन के बीच एलएसी समझौते पर 'गहरी नजर' बनाए हुए है और सीमा पर तनाव कम होने का "स्वागत" करता है। ये बात अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कही। बता दें कि भारत और चीन के बीच बड़ी डील हुई है। 5 साल से पूर्वी लद्दाख में बॉर्डर पर जो तनातनी चल रही थी, वो कई बैठकों के बाद आखिरकार समाप्त हो रही है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि वह भारत-चीन सीमा पर तनाव की स्थिति कम होने का स्वागत करता है। साथ ही कहा कि नई दिल्ली ने इस संबंध में उसे जानकारी दी है। विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने पत्रकारों से कहा, हम भारत और चीन के बीच के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं। हम समझते हैं कि दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों को वापस बुलाने के लिए शुरुआती कदम उठाए हैं। हम सीमा पर तनाव की स्थिति में किसी भी कमी का स्वागत करते हैं।

वहीं, जब मिलर से पूछा गया कि क्या इस मामले में अमेरिका की कोई भूमिका है, तो उन्होंने जवाब दिया, नहीं, हमने भारतीय साझेदारों से इस बारे में जानकारी ली है, लेकिन इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है।

भारत-चीन के बीच समझौता

बता दें कि जून 2020 से भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव बना हुआ था। तब गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था और दोनों ओर से सैनिक हताहत हुए थे। एलएसी पेट्रोलिंग समझौता 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले घोषित किया गया था। सम्मेलन रूस के कजान में 22 से 24 अक्टूबर के बीच हुआ था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भाग लिया।उस दौरान उनकी रूस के कजान शहर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय मुलाकात भी हुई थी।

ट्रूडो के मंत्री ने माना अमित शाह के बारे में अमेरिकी अखबार में प्लांट की खबर, क्या भारत-कनाडा के बीच तल्खी और बढ़ेगी?

#canadadeputyforeignministersayshegaveinformationaboutamitshahtoamerican_media

कनाडा ने भारत पर आरोप लगाए थे कि वहां होने वाली हिंसा में भारत की संलिप्तता रही है। अब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दो सीनियर अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने भारत के बारे में 'खुफिया जानकारी' अमेरिकी मीडिया को लीक कर दी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने इस मामले में संवेदनशील जानकारी लीक करने की बात स्वीकार की है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के विदेश उप-मंत्री डेविड मॉरिसन ने मंगलवार को एक संसदीय पैनल में यह बयान दिया। मॉरिसन ने संसदीय पैनल में कहा कि उन्होंने अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट को बताया था कि इस मामले में भारत के गृह मंत्री शामिल हैं। मॉरिसन ने कहा कि अमेरिकी अखबार को भारत-कनाडा मीटिंग से जुड़ी जानकारी उन्होंने ही दी थी। हालांकि, इस दौरान मॉरिसन यह नहीं बता पाए कि उन्हें अमित शाह को लेकर ये जानकारी कैसे मिली। यह पहली बार है, जब कनाडाई अधिकारी ने खुलकर भारत सरकार के किसी मंत्री का नाम लिया है।

नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन द्वारा लीक की गई जानकारी में भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर नई दिल्ली से ऐसी कार्रवाइयों को निर्देशित करने का आरोप लगाया गया है। कॉमन्स पब्लिक सेफ्टी कमेटी के सामने गवाही देते हुए, ड्रोइन ने कहा कि उन्हें जानकारी लीक करने के लिए ट्रूडो की मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वाशिंगटन पोस्ट के साथ कोई वर्गीकृत खुफिया जानकारी साझा नहीं की गई थी। इसका उद्देश्य कनाडा के लोगों के खिलाफ भारतीय एजेंटों द्वारा कथित अवैध गतिविधियों के बारे में कनाडा की चिंताओं को साझा करना था, जिसमें कनाडाई लोगों के जीवन को खतरा भी शामिल है।

क्या था अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में?

वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी पहले की एक रिपोर्ट में दावा किया था कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों ने सबूत जुटाए हैं कि भारत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कनाडा में 'खुफिया जानकारी जुटाने वाले मिशन और सिख अलगाववादियों पर हमले को अधिकृत किया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि एक कनाडाई स्रोत ने भारतीय अधिकारी की पहचान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रूप में की है।

डेविड मॉरिसन ने अधिक जानकारी या सबूत दिए बिना कहा कि पत्रकार ने मुझे फोन किया और पूछा कि यह वही व्यक्ति हैं। मैंने पुष्टि की कि यह वही व्यक्ति हैं।

वॉशिंगटन पोस्ट की खबर पर भारत ने क्या कहा?

जब पहली बार वॉशिंगटन पोस्ट में निज्जर के मर्डर पर ख़बर छपी थी तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय ने अख़बार की रिपोर्ट पर बयान जारी कर कहा था, “रिपोर्ट एक गंभीर मामले पर अनुचित और निराधार आरोप लगा रही है। बयान में कहा गया, संगठित अपराधियों, आतंकवादियों के नेटवर्क पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं के बाद भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जो मामले की जांच कर रही है। इसे लेकर अटकलें लगाना और गैर ज़िम्मेदाराना बयान देना मददगार साबित नहीं होगा।

भारत-कनाडा संबंध और होंगे खराब ?

कनाडा के मंत्री के इस बयान के बाद भारत-कनाडा संबध और और ख़राब होने की आशंका जताई जा रही है। कनाडा में ख़ालिस्तान समर्थकों की ओर से भारत विरोधी प्रदर्शनों और खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव लगातार बढ़ा है। कनाडा का आरोप है कि खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, जबकि भारत इससे इनकार करता रहा है। पिछले दिनों इस मामले में दोनों देशों के बीच तल्ख़ी इतनी बढ़ी कि पिछले दिनों दोनों देशों ने एक दूसरे के कई राजनयिकों को निकाल दिया है। एक-दूसरे के राजनयिकों को निकालने का फ़ैसला तब सामने आया है जब निज्जर हत्या मामले में कनाडा ने भारतीय राजनयिकों और उच्चायोग के दूसरे अधिकारियों को ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’ बताया। इसमें कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे संजय कुमार वर्मा प्रमुख रूप से शामिल थे।

ट्रूडो के मंत्री ने माना अमित शाह के बारे में अमेरिकी अखबार में प्लांट की खबर, क्या भारत-कनाडा के बीच तल्खी और बढ़ेगी?*
#canada_deputy_foreign_minister_says_he_gave_information_about_amit_shah_to_american_media कनाडा ने भारत पर आरोप लगाए थे कि वहां होने वाली हिंसा में भारत की संलिप्तता रही है। अब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दो सीनियर अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने भारत के बारे में 'खुफिया जानकारी' अमेरिकी मीडिया को लीक कर दी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने इस मामले में संवेदनशील जानकारी लीक करने की बात स्वीकार की है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के विदेश उप-मंत्री डेविड मॉरिसन ने मंगलवार को एक संसदीय पैनल में यह बयान दिया। मॉरिसन ने संसदीय पैनल में कहा कि उन्होंने अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट को बताया था कि इस मामले में भारत के गृह मंत्री शामिल हैं। मॉरिसन ने कहा कि अमेरिकी अखबार को भारत-कनाडा मीटिंग से जुड़ी जानकारी उन्होंने ही दी थी। हालांकि, इस दौरान मॉरिसन यह नहीं बता पाए कि उन्हें अमित शाह को लेकर ये जानकारी कैसे मिली। यह पहली बार है, जब कनाडाई अधिकारी ने खुलकर भारत सरकार के किसी मंत्री का नाम लिया है। नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन द्वारा लीक की गई जानकारी में भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर नई दिल्ली से ऐसी कार्रवाइयों को निर्देशित करने का आरोप लगाया गया है। कॉमन्स पब्लिक सेफ्टी कमेटी के सामने गवाही देते हुए, ड्रोइन ने कहा कि उन्हें जानकारी लीक करने के लिए ट्रूडो की मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वाशिंगटन पोस्ट के साथ कोई वर्गीकृत खुफिया जानकारी साझा नहीं की गई थी। इसका उद्देश्य कनाडा के लोगों के खिलाफ भारतीय एजेंटों द्वारा कथित अवैध गतिविधियों के बारे में कनाडा की चिंताओं को साझा करना था, जिसमें कनाडाई लोगों के जीवन को खतरा भी शामिल है। *क्या था अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में?* वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी पहले की एक रिपोर्ट में दावा किया था कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों ने सबूत जुटाए हैं कि भारत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कनाडा में 'खुफिया जानकारी जुटाने वाले मिशन और सिख अलगाववादियों पर हमले को अधिकृत किया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि एक कनाडाई स्रोत ने भारतीय अधिकारी की पहचान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रूप में की है। डेविड मॉरिसन ने अधिक जानकारी या सबूत दिए बिना कहा कि पत्रकार ने मुझे फोन किया और पूछा कि यह वही व्यक्ति हैं। मैंने पुष्टि की कि यह वही व्यक्ति हैं। *वॉशिंगटन पोस्ट की खबर पर भारत ने क्या कहा?* जब पहली बार वॉशिंगटन पोस्ट में निज्जर के मर्डर पर ख़बर छपी थी तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय ने अख़बार की रिपोर्ट पर बयान जारी कर कहा था, “रिपोर्ट एक गंभीर मामले पर अनुचित और निराधार आरोप लगा रही है। बयान में कहा गया, संगठित अपराधियों, आतंकवादियों के नेटवर्क पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं के बाद भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जो मामले की जांच कर रही है। इसे लेकर अटकलें लगाना और गैर ज़िम्मेदाराना बयान देना मददगार साबित नहीं होगा। *भारत-कनाडा संबंध और होंगे खराब ?* कनाडा के मंत्री के इस बयान के बाद भारत-कनाडा संबध और और ख़राब होने की आशंका जताई जा रही है। कनाडा में ख़ालिस्तान समर्थकों की ओर से भारत विरोधी प्रदर्शनों और खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव लगातार बढ़ा है। कनाडा का आरोप है कि खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, जबकि भारत इससे इनकार करता रहा है। पिछले दिनों इस मामले में दोनों देशों के बीच तल्ख़ी इतनी बढ़ी कि पिछले दिनों दोनों देशों ने एक दूसरे के कई राजनयिकों को निकाल दिया है। एक-दूसरे के राजनयिकों को निकालने का फ़ैसला तब सामने आया है जब निज्जर हत्या मामले में कनाडा ने भारतीय राजनयिकों और उच्चायोग के दूसरे अधिकारियों को ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’ बताया। इसमें कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे संजय कुमार वर्मा प्रमुख रूप से शामिल थे।
दिल्ली में प्रदूषण के बीच पटाखों को लेकर केजरीवाल का बड़ा बयान, बोले-हिंदू-मुसलमान की बात नहीं, सभी की सांसें जरूरी

#arvind_kejrwial_on_fire_cracker_ban

देश का राजधानी दिल्ली में लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। इस बीच दिवाली के बाद प्रदूषण के खतरनाक स्थिति में चले जाने की आशंका जतायी जा रही है। हालांकि राजधानी में पटाखे बैन है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पटाखे बैन को हिंदू विरोधी बताया जा रहा है। ऐसे में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से दिवाली पर पटाखे न जलाने की अपील की है। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ये धर्म का नहीं बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ा मसला है।

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये तो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट का भी कहना है कि दिवाली पर पटाखे नहीं दिये जलाएं। ये रोशनी का त्योहार है। ऐसा नहीं है कि हम किसी पर एहसान कर रहे हैं। जो भी प्रदूषण होगा, उसका खामियाजा हमारे बच्चों को भुगतना पड़ेगा। इसमें कोई हिंदू मुस्लिम की बात नहीं है। सभी की सांसें जरूरी हैं।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने एक दिन पहले बताया था कि शहर में छापों के दौरान 19,005 किलोग्राम पटाखे जब्त किये गये हैं और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ अबतक 79 मामले दर्ज किये गये हैं। दीवाली से पहले उठाये गये प्रदूषण रोधी कदमों की समीक्षा के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और पुलिस के साथ बैठक के दौरान राय ने कहा था कि 377 टीम को राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर रोक लगाने के लिए तैनात किया गया है।दिल्ली पुलिस को जनसहयोग को बढ़ावा देने के लिए रेसीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, बाजार समितियों एवं धार्मिक समितियों के साथ बैठकें करने का निर्देश दिया गया है। राय ने कहा कि पटाखों पर पाबंदी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए ‘दिया जलाओ, पटाखा नहीं’ नामक अभियान शुरू किया गया है।

महाराष्ट्र में महायुति में टकराव, एनसीपी अजित गुट ने नवाब मलिक को दिया टिकट, बीजेपी बोली-दाऊद से लिंक

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए नामांकन की तारीख खत्म हो चुकी है। नामांकन के आखिरी दिन कई उतार चढ़ाव देखने को मिले। इन सबके बीच नवाब मलिक की चर्चा सबसे अधिक हो रही है। अजित पवार की एनसीपी ने बीजेपी के विरोध के बाद भी नवाब मलिक को उम्मीदवार बना दिया। नवाब मलिक ने मुंबई के मानखुर्द के शिवाजीनगर सीट से एनसीपी के टिकट पर पर्चा भरा है। वहीं, पूर्व मंत्री नवाब मलिक की उम्मीदवारी को लेकर भाजपा और एनसीपी-अजित गुट में टकराव हो गया है।

मंगलवार को नामांकन के आखिरी दिन नवाब मल‍िक ने पहले मुंबई के शिवाजीनगर-मानखुर्द विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय पर्चा भरा लेकिन कुछ ही देर बाद उन्‍हें एनसीपी अज‍ित पवार गुट ने एबी फार्म देकर अपना कैंडिडेट बना दिया। इसके बाद बीजेपी का रुख हमलावर हो गया। मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने बुधवार को कहा- हमारी पार्ट का स्टैंड क्लियर है। हम पहले भी नवाब मलिक की उम्मीदवारी के खिलाफ थे। अब भी उनका समर्थन नहीं करेंगे, क्योंकि उनके दाऊद इब्राहिम से लिंक होने की बात सामने आई थी। यह बात डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही कही है और अब मैं भी यही कह रहा हूं।

मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि नवाब मलिक के लिए प्रचार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। हमारा मानना है कि महायुति के सभी सहयोगियों को अपने उम्मीदवार घोषित करने का अधिकार है, लेकिन नवाब मलिक को लेकर भाजपा का रुख साफ है। महायुति की ओर से यह सीट शिवसेना शिंदे गुट को दी गई है और सुरेश पाटिल को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने भी पाटिल का समर्थन करते हुए कहा है कि वे मलिक के लिए कैंपेन नहीं करेंगे।

वहीं, भाजपा नेता किरीट सोमैया ने बुधवार को नवाब मलिक को आतंकी करार दिया। बता दें कि यह सीट पहले बीजेपी नेता किरीट सोमैया के पास थी लेकिन इस बार इसी सीट पर शिवसेना शिंदे गुट के सुरेश कृष्णराव पाटिल को महायुति को 'आधिकारिक' उम्मीदवार बनाया गया है। जिसके बाद बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट किया और कहा कि मानखुर्द शिवाजी नगर सीट के लिए महायुति के आधिकारिक उम्मीदवार सुरेश कृष्ण पाटिल (बुलेट पाटिल) हैं। किरीट सोमैया ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, हम वोट जिहाद, आतंकवाद का समर्थन करने वाले उम्मीदवारों को हराने के लिए लड़ेंगे।

नवाब म‍ल‍िक के महायुत‍ि का उम्‍मीदवार बन जाने से उद्धव ठाकरे की पार्टी को बीजेपी पर हमला करने का मौका मिल गया। एनसीपी उद्धव गुट की नेता प्र‍ियंका चतुर्वेदी ने एक्‍स पर ल‍िखा, दाऊद का साथी अब देवेंद्र फडणवीस और आशीष शेलार का दोस्‍त होगा. उनकी पार्टी से चुनाव लड़ेगा। पेट्रोट‍िज्‍म का सर्टिफ‍िकेेट बांटने वाले आख‍िर कहा हैं?

प्रियंका ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि हाहाहाहाहा! आशीष शेलार कहते हैं, भाजपा नवाब मलिक के लिए प्रचार नहीं करेगी, लेकिन उनकी उम्मीदवारी का विरोध भी नहीं करेगी। पाखंड और झूठ की पार्टी! फुसकी फटाका!

पाकिस्तान, सऊदी समेत 25 मुस्लिम देश हो रहे एकजुट, मिलकर बनाएंगे 'मुस्लिम नाटो', भारत पर क्या होगा असर?*
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आपने नाटो का नाम सुना ही होगा। नाटो यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन। ये एक ऐसा संगठन है जिसमें यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 32 सदस्य हैं। इनमें ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन और तुर्किए शामिल हैं। इनका मकसद एक दूसरे की सामरिक मदद करना है। अब कुछ मुस्लिम देश भी इसी तर्ज पर एकजुट होने की कोशिश में लगे हैं।आतंकवाद और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए 25 से ज्यादा मुस्लिम देश नाटो की तर्ज पर एक संगठन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसका नाम इस्लामिक नाटो और मुस्लिम नाटो हो सकता है। करीब 9 साल पहले दिसंबर 2015 में इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेरेरिज्म कोलिशन (IMCTC) नाम की संस्था बनाई गई थी।आतंकवाद के खिलाफ एशिया और अफ्रीका के 42 मुस्लिम देशों ने इसे बनाया।आज भी एक्टिव है ये संस्था। इस बीच दुनिया के 25 ताकतवर मुस्लिम देश मिलकर नाटो जैसा मिलिट्री अलायंस बनाने की कोशिश कर रहे हैं।सऊदी अरब, पाकिस्तान, तुर्किए, मिस्त्र, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, बहरीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और मलेशिया जैसे 10 बड़े मुस्लिम बहुमत वाले देश नए ‘मुस्लिम नाटो’ के कोर मेंबर यानी मुख्य सदस्य हो सकते हैं। *...दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन होगा* इनके अलावा इंडोनेशिया, ईरान, इराक, ओमान, कतर, कुवैत, मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया और लीबिया इन 10 देशों को ‘मुस्लिम नाटो’ का प्रमुख पार्टनर देश बनाया जा सकता है। कोर मेंबर और पार्टनर देशों के अलावा ‘मुस्लिम नाटो’ में 5 और देशों को सदस्य बनाया जा सकता है। अजरबैजान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ब्रुनेई ‘मुस्लिम नाटो’ के एसोसिएट सदस्य हो सकते हैं।ऐसा हुआ तो नाटो के बाद ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन होगा।10 कोर मेंबर, 10 पार्टनर देश और 5 एसोसिएट सदस्य, यानी कुल 25 देशों की सेनाओं के बीच दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन हो सकता है। *क्या है इसके निर्माण के पीछे का मकसद?* नाटो की तरह संगठन बनाने के पीछे का मकसद ये है कि ये मुस्लिम देश मिलकर आतंकवाद रोधी ऑपरेशंस को अंजाम देंगे। अपनी-अपनी सेना को मॉडर्न बनाने के लिए एक-दूसरे की मदद करेंगे। अपने सदस्य देशों की आंतरिक स्थिरता के लिए बाहरी मुश्किलों से लड़ेंगे। हालांकि, कूटनीति के जानकारों को लगता है कि इनका मकसद एक दूसरे से खुफिया जानकारी शेयर करना और इस्लामिक एकजुटता को बढ़ावा देना है। *‘मुस्लिम नाटो’ एर्दोआन के दिमाग की उपज* मुस्लिम बहुल जनसंख्या वाले देशों के बीच नाटो जैसे सैन्य गठबंधन का विचार तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन का है। ऐसा करके एर्दोआन अरब देशों में सबसे शक्तिशाली और मुस्लिम दुनिया का खलीफा बनाना चाहते हैं। कुछ दिन पहले एर्दोआन ने तुर्किए की राजधानी इस्तांबुल में इस्लामिक स्कूल एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में बोलते हुए ‘मुस्लिम नाटो’ की पूरी योजना का खुलासा किया था। एर्दोआन ने कहा था, इजराइली अहंकार, इजराइली डाकुओं और इजराइली सरकार समर्थित आतंकवाद को रोकने वाला इकलौता जवाब इस्लामिक देशों के बीच सैन्य गठबंधन है। हमें ‘मुस्लिम नाटो’ बनाना होगा। ‘मुस्लिम नाटो’ बनाने के लिए एर्दोआन हर उस मुस्लिम देश से संपर्क कर रहे हैं। जिसे लगता है कि इजराइल उनके लिए खतरा बन सकता है। एर्दोआन ने इसी महीने मिस्त्र और सीरिया से संपर्क किया है। पिछले हफ्ते ही एर्दोआन ने अंकारा में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी की मेजबानी की। तुर्किए और मिस्त्र के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। पिछले 12 साल में ये पहला मौका था, जब कोई मिस्र का राष्ट्रपति तुर्की पहुंचा था। एर्दोआन ने आपसी मतभेद भुलाकर अल सिसी के साथ ‘मुस्लिम नाटो’ को लेकर चर्चा की। *भारत पर क्या होगा असर?* अब सवाल ये है कि अगर 25 मुस्लिम देश अपने तमाम मतभेद भुलाकर मुस्लिम नाटो बनाने में कामयाब रहे, तो ये ग्रुप भारत को कैसे प्रभावित कर सकता है। जाहिर है कि मुस्लिम नाटो अगर वजूद मे आया, तो वहां आतंकवाद के पाकिस्तान जैसे समर्थक देश भारत को आतंकवाद की आग में झोंकने का प्रयास कर सकता है। इस संगठन के अस्तित्व में आने से कश्मीर विवाद को हवा मिल सकती है क्योंकि ये संगठन पाकिस्तान के पक्ष में दबाव बनाने का प्रयास कर सकता है।इसके साथ ही क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा होगा क्योंकि मुस्लिम नाटो से पाकिस्तान को मजबूती मिल सकती है।
पाकिस्तान, सऊदी समेत 25 मुस्लिम देश हो रहे एकजुट, मिलकर बनाएंगे 'मुस्लिम नाटो', भारत पर क्या होगा असर?

#islamicnato25countrieswillbeform

आपने नाटो का नाम सुना ही होगा। नाटो यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन। ये एक ऐसा संगठन है जिसमें यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 32 सदस्य हैं। इनमें ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन और तुर्किए शामिल हैं। इनका मकसद एक दूसरे की सामरिक मदद करना है। अब कुछ मुस्लिम देश भी इसी तर्ज पर एकजुट होने की कोशिश में लगे हैं।आतंकवाद और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए 25 से ज्यादा मुस्लिम देश नाटो की तर्ज पर एक संगठन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसका नाम इस्लामिक नाटो और मुस्लिम नाटो हो सकता है।

करीब 9 साल पहले दिसंबर 2015 में इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेरेरिज्म कोलिशन (IMCTC) नाम की संस्था बनाई गई थी।आतंकवाद के खिलाफ एशिया और अफ्रीका के 42 मुस्लिम देशों ने इसे बनाया।आज भी एक्टिव है ये संस्था। इस बीच दुनिया के 25 ताकतवर मुस्लिम देश मिलकर नाटो जैसा मिलिट्री अलायंस बनाने की कोशिश कर रहे हैं।सऊदी अरब, पाकिस्तान, तुर्किए, मिस्त्र, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, बहरीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और मलेशिया जैसे 10 बड़े मुस्लिम बहुमत वाले देश नए ‘मुस्लिम नाटो’ के कोर मेंबर यानी मुख्य सदस्य हो सकते हैं।

...दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन होगा

इनके अलावा इंडोनेशिया, ईरान, इराक, ओमान, कतर, कुवैत, मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया और लीबिया इन 10 देशों को ‘मुस्लिम नाटो’ का प्रमुख पार्टनर देश बनाया जा सकता है। कोर मेंबर और पार्टनर देशों के अलावा ‘मुस्लिम नाटो’ में 5 और देशों को सदस्य बनाया जा सकता है। अजरबैजान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ब्रुनेई ‘मुस्लिम नाटो’ के एसोसिएट सदस्य हो सकते हैं।ऐसा हुआ तो नाटो के बाद ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन होगा।10 कोर मेंबर, 10 पार्टनर देश और 5 एसोसिएट सदस्य, यानी कुल 25 देशों की सेनाओं के बीच दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन हो सकता है।

क्या है इसके निर्माण के पीछे का मकसद?

नाटो की तरह संगठन बनाने के पीछे का मकसद ये है कि ये मुस्लिम देश मिलकर आतंकवाद रोधी ऑपरेशंस को अंजाम देंगे। अपनी-अपनी सेना को मॉडर्न बनाने के लिए एक-दूसरे की मदद करेंगे। अपने सदस्य देशों की आंतरिक स्थिरता के लिए बाहरी मुश्किलों से लड़ेंगे। हालांकि, कूटनीति के जानकारों को लगता है कि इनका मकसद एक दूसरे से खुफिया जानकारी शेयर करना और इस्लामिक एकजुटता को बढ़ावा देना है।

‘मुस्लिम नाटो’ एर्दोआन के दिमाग की उपज

मुस्लिम बहुल जनसंख्या वाले देशों के बीच नाटो जैसे सैन्य गठबंधन का विचार तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन का है। ऐसा करके एर्दोआन अरब देशों में सबसे शक्तिशाली और मुस्लिम दुनिया का खलीफा बनाना चाहते हैं। कुछ दिन पहले एर्दोआन ने तुर्किए की राजधानी इस्तांबुल में इस्लामिक स्कूल एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में बोलते हुए ‘मुस्लिम नाटो’ की पूरी योजना का खुलासा किया था। एर्दोआन ने कहा था, इजराइली अहंकार, इजराइली डाकुओं और इजराइली सरकार समर्थित आतंकवाद को रोकने वाला इकलौता जवाब इस्लामिक देशों के बीच सैन्य गठबंधन है। हमें ‘मुस्लिम नाटो’ बनाना होगा।

‘मुस्लिम नाटो’ बनाने के लिए एर्दोआन हर उस मुस्लिम देश से संपर्क कर रहे हैं। जिसे लगता है कि इजराइल उनके लिए खतरा बन सकता है। एर्दोआन ने इसी महीने मिस्त्र और सीरिया से संपर्क किया है। पिछले हफ्ते ही एर्दोआन ने अंकारा में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी की मेजबानी की। तुर्किए और मिस्त्र के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। पिछले 12 साल में ये पहला मौका था, जब कोई मिस्र का राष्ट्रपति तुर्की पहुंचा था। एर्दोआन ने आपसी मतभेद भुलाकर अल सिसी के साथ ‘मुस्लिम नाटो’ को लेकर चर्चा की।

भारत पर क्या होगा असर?

अब सवाल ये है कि अगर 25 मुस्लिम देश अपने तमाम मतभेद भुलाकर मुस्लिम नाटो बनाने में कामयाब रहे, तो ये ग्रुप भारत को कैसे प्रभावित कर सकता है। जाहिर है कि मुस्लिम नाटो अगर वजूद मे आया, तो वहां आतंकवाद के पाकिस्तान जैसे समर्थक देश भारत को आतंकवाद की आग में झोंकने का प्रयास कर सकता है। इस संगठन के अस्तित्व में आने से कश्मीर विवाद को हवा मिल सकती है क्योंकि ये संगठन पाकिस्तान के पक्ष में दबाव बनाने का प्रयास कर सकता है।इसके साथ ही क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा होगा क्योंकि मुस्लिम नाटो से पाकिस्तान को मजबूती मिल सकती है।

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने की बकरी ईद बंद करने की मांग, कहा- जो दिवाली पर ज्ञान देगा, उसके मुंह में…

बाबा बागेश्वर के नाम से प्रसिद्ध पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते है. एक बार फिर उन्होंने कुछ ऐसा बयान दिया है, जिससे वो चर्चा में हैं. दिवाली पर पटाखों बैन करने को लेकर उन्होंने बड़ा बयान दिया है. दिवाली पर पटाखों और दिवाली के दिन जलाए जाने वाले दीयों पर आपत्ति जताने वालों को उन्होंने जयचंद और मूर्ख कहा. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि दिवाली पर जयचंद और मूर्ख चंद ज्ञान देते हैं कि दिवाली पर पटाखे जलाने से प्रदूषण होगा, दीपक जलाने पर तेल, घी जलेगा. जो तुम ज्ञान दिवाली पर देते हो वो ज्ञान बकरी ईद पर देना चाहिए.

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जो लोग दिवाली पर ज्ञान देते हैं, पटाखे जलाने से प्रदूषण हो जाएगा, दीपक जलाए जायेंगे तेल, घी जलाया जाएगा. इतना गरीबों में बांट दो तो भारत का भला हो जाएगा, जो ज्ञान तुम दीपावली पर दे रहे हो वो ज्ञान तुम्हें बकरी ईद पर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि बकरी ईद के दिन इतने बकरे काटे जाते हैं, लाखों की संख्या में जीव हत्या होती है. उसके लिए एक कानून बनना चाहिए की बकरी ईद बंद हो. बकरी ईद पर खर्च होने वाले रूपयों को गरीबों में बांटा जाए, जिस दिन ऐसा होगा तो हम सुधर जाएंगे.

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि सिर्फ हिंदुओं के त्योहारों पर ही क्यों बयान आता है. जब भी कोई हिंदु त्योहार आता है कोई न कोई स्टेटमेंट जरूर आता है. होली आती है तो कहा जाता है पानी की बर्बादी मत करो, वहां वो सीधे बकरा काट रहे हैं तो कोई दिक्कत नहीं है, हम पानी बर्बाद कर रहे हैं तो दिक्कत है. धन्य है दोगलों, वो कहते हैं पटाखों से प्रदूषण होता है, और जब एक जनवरी को पूरी दुनिया में करोड़ों लोग पटाखे जलाते हैं तब किसी कोई दिक्कत नहीं होती है. उन्होंने कहा कि पहले ईद बंद करवाओ और एक जनवरी को पटाखा बंद करवाओ. उन्होंने कहा कि हमने सुतली बम खरीद लिया है, जो भी कोई दिवाली पर ज्ञान देगा या दोबारा मुंह चलाएगा तो उसके मुंह में पटाखा रखकर फोड़ देंगे.